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रायपुर मेकाहारा के डॉक्टरों का कमाल: गैंगरीन संक्रमित पैर को एसएफए स्टंटिंग से किया ठीक

 रायपुर मेकाहारा के डॉक्टरों का कमाल: गैंगरीन संक्रमित पैर को एसएफए स्टंटिंग से किया ठीक
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रायपुर। पं. जवाहर लाल नेहरु स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय एवं डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय के रेडियोलॉजी विभाग के डॉक्टरों ने कमाल कर दिया। उन्होंने एक 65 वर्षीय बुजुर्ग व्यक्ति के गैंगरीन के कारण काली पड़ चुकी पैर की अंगुलियों एवं पंजे को कटने से बचा लिया। इस बुजुर्ग के बायें पैर की दो अंगुलियां तो बिल्कुल काली होकर गल चुकी थीं लेकिन समय पर मेकाहारा के रेडियोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. एस. बी. एस. नेताम के कुशल मार्गदर्शन में इंटरवेंशन रेडियोलॉजिस्ट प्रो. डॉ. विवेक पात्रे ने डी. एस. ए. मशीन के जरिये सुपरफिशियल फीमोरल आर्टरी स्टंटिंग (एस.एफ.ए. स्टंटिंग) करके लगभग 23 सेंटीमीटर तक ब्लॉक हो चुके सुपरफिशियल फीमोरल आर्टरी को खोल कर पैर को सुरक्षित बचा लिया। बिना चीर-फाड़ के हुये इस एस.एफ.ए. स्टंटिंग के बाद पैर में खून की सप्लाई पुनः प्रारंभ हो गई। मरीज की बीमारी को डॉक्टरी भाषा में लेफ्ट सुपरफिशियल फीमोरल आर्टरी थ्राम्बोसिस विद लेफ्ट टो गैंगरीन कहते हैं। बेमेतरा का रहने वाला यह बुजुर्ग अब अपनी समस्या से निजात पाकर घर जाने को तैयार है।

हृदय से निकलने वाली मुख्य धमनी (एओर्टा) जिसको महाधमनी भी कहते हैं पेट में जाकर दो भागों में बंट जाती है जो दायें पैर एवं बायें पैर को खून की सप्लाई करती है। इस धमनी को इलियक आर्टरी कहा जाता है एवं आगे चलकर यह जांघ में फीमोरल आर्टरी कहलाता है।
फीमोरल आर्टरी (धमनी) जांघ की एक बड़ी धमनी है जो शरीर के निचले हिस्से यानी जांघ एवं पैर को ऑक्सीजन युक्त रक्त प्रदान करता है। सामान्य तौर पर फीमोरल आर्टरी पैर में कॉमन फीमोरल आर्टरी और सुपरफिशियल फीमोरल आर्टरी के नाम से जाना जाता है। सुपरफिशियल फीमोरल आर्टरी मध्य जांघ में थोड़ी गहरी हो जाती है।

 सीटी एंजियोग्राफी से बीमारी आई पकड़ में-
इंटरवेंशन रेडियोलॉजिस्ट प्रो. डॉ. विवेक पात्रे मरीज की समस्या के सम्बन्ध में जानकारी देते हुए बताते हैं- मरीज को रेस्ट पेन होता था अर्थात् बैठे-बैठे पैर में झनझनाहट महसूस होती थी। दर्द से परेशान मरीज लाठी के सहारे चलता था। झनझनाहट और दर्द के कारण कई बार तो स्थिति बैठकर उठने लायक भी नहीं बन पाती थी। अस्पताल आने पर पहले बुजुर्ग की सोनोग्राफी की गई उसके बाद सीटी एंजियोग्राफी किया गया जिससे बीमारी पकड़ में आयी। सीटी एंजियो में सुपरफिशियल फीमोरल आर्टरी के ब्लॉक होने की जानकारी मिली। 21 जनवरी को मरीज की सुपरफिशियल फीमोरल आर्टरी स्टंटिंग (एस.एफ.ए. स्टंटिंग) की गई जिसके बाद मरीज स्वस्थ्य है। मरीज का उपचार डॉ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजनांतर्गत के अंतर्गत निः शुल्क हुआ।

तंबाकू, गुटखा, बीड़ी, सिगरेट, अनियंत्रित मधुमेह, एथेरेस्केलोसिस एवं वैस्कुलाईटिस के कारण रक्त धमनी प्लॉक बन जाता है जिससे इस धमनी में रूकावट आ जाती है। रूकावट के बढ़ने के कारण पैर में रक्त की सप्लाई बाधित होने लगती है। एक समय ऐसा आता है जब धमनी पूर्णतः बंद हो जाती है और पैरों में गैंगरीन(एक तरह से ऊतकों की मृत्यु से होने वाला सड़न) होना प्रारंभ हो जाता है।

मेकाहारा में ही मिला सही इलाज: बुजुर्ग
”कई लोगों को दिखाया लेकिन बीमारी पकड़ में नहीं आ रही थी। सही इलाज के अभाव में बीमारी और दर्द दोनों बढ़ने लगा था। शुभचिंतकों की कृपा से मेकाहारा के रेडियोलॉजी विभाग तक पहुंचा और यहां मेरा इलाज संभव हुआ। अब तो न दर्द है ना कोई परेशानी । सामान्य लोगों की तरह चल-फिर पा रहा हूं।” यह कहना है इलाज के बाद ठीक हुए 65 वर्षीय बुजुर्ग का।

ऐसे किया प्रोसीजर-
डॉ. विवेक पात्रे के मुताबिक, सबसे पहले सुई की नोक के बराबर (पिनहोल) छेद के माध्यम से दाहिने जांघ की फीमोरल आर्टरी को पंक्चर किया। पंक्चर करके ऊपर से राइट फीमोरल आर्टरी से लेफ्ट फीमोरल आर्टरी तक पहुंचे। राइट फीमोरल आर्टरी से कॉमन इलियक आर्टरी तक गये। वहां से एओर्टा को क्रॉस करते हुए दूसरे साइड चले गये। वहां से दवाई डालकर देखा कि रूकावट कहां पर है ? सुपरफिशियल फीमोरल आर्टरी के ब्लॉक होने अथवा रूकावट के कारण खून का बहाव आजू-बाजू की नसों से होने लगा था। उस रूकावट को वायर और कैथेटर नली की मदद से क्रास किया और नीचे के पॉप्लिटियल आर्टरी तक गये फिर ब्लॉक वाले एरिया में दो स्टंट डाला और फिर उसको बैलून की मदद से खोल दिया जिससे रक्त का प्रवाह पुनः मुख्य धमनी में चालू हो गया।

इनके सामूहिक नेतृत्व से हुआ सफल उपचार-
रेडियोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ. एस बी एस नेताम के कुशल नेतृत्व में प्रो. डॉ. विवेक पात्रे के साथ डॉ. मनोज एवं डॉ. दिनेश । साथ ही एनेस्थेसिया विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ. केके सहारे के साथ डॉ. अशोक सिंह सिदार एवं डॉ. अंकिता, इस इंटरवेंशन प्रोसीजर में शामिल रहे।
रेडियोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. एस. बी. एस. नेताम बताते हैं कि वर्तमान में मेकाहारा के रेडियोलॉजी विभाग में आर्टरी यानी धमनी से संबधित समस्त प्रकार की समस्याओं की जांच एवं उनका निदान हो रहा है। धमनी से संबंधित बीमारी जैसे- आट्रियल थ्रॉम्ब्रोसिस, एन्युरिज्म, स्यूडो एन्युरिज्म, एवी मालफार्मेशन आदि, इन सभी बीमारियों के जांच एवं इलाज की सुविधा यहां उपलब्ध है। इसके अलावा शिराओं से सम्बन्धित विकारों की जांच एवं इलाज यहां पर हो रहे हैं।
 


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