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गर्मी के दिनों में शहर के कई इलाको में फिर पेयजल को लेकर मच सकता है हाहाकार, पढ़े पूरी खबर, न हो कोई मुश्किल...

गर्मी के दिनों में शहर के कई इलाको में फिर पेयजल को लेकर मच सकता है हाहाकार, पढ़े पूरी खबर, न हो कोई मुश्किल...
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रायपुर। ठंड के दिन लगभग खत्म होने को है और गर्मी धीरे-धीरे बढऩे लगी है। जिस तरह से तापमान बढ़ रहा है  उससे लग रहा है कि मार्च-अप्रैल माह आते-आते गर्मी भीषण रूप ले लेगी जो मई माह में पूरे सबाब पर रहेगी। इस भीषण गर्मी के दिनों में इस बार फिर राजधानी रायपुर के कई इलाको में पेयजल को लेकर हाहाकार मच सकता है। क्योंकि इस गंभीर समस्या से निजात दिलाने के लिए नगर निगम प्रशासन द्वारा अब तक कोई ठोस योजना नहीं बना पायी है। 


राजधानी रायपुर के 70 वार्डों में से ज्यादातर वार्डों में हर साल गर्मी के दिनों में लोगों को पेयजल जैसी गंभीर समस्या से जुझना पड़ता है और हर साल गर्मी के पहले नगर निगम प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारी और पदाधिकारी द्वारा कई दावे और वादे शहर की जनता से करते आये है। लेकिन ये सभी वादे अब तक खोखले साबित हुए है। पिछले साल तक की स्थिति में शहर के कई वार्डों में भीषण गर्मी के दिनों में पेयजल एक गंभीर समस्या के रूप में उभरकर सामने आयी है। ये स्थिति पिछले कई वर्षों से है। हालात ये रहे है कि वार्ड एवं मोहल्लेवासियों को पेयजल की समस्या को लेकर नगर निगम मुख्यालय तक का घेराव कर प्रदर्शन करना पड़ा है। नगर निगम में सत्ता चाहे भाजपा की रही हो या कांग्रेस की शहर में पेयजल की समस्या जस की तस है। 

नगर निगम चुनाव हुए लगभग दो माह हो चुके है लेकिन नगर निगम प्रशासन द्वारा अभी तक गर्मी के दिनों में राजधानी में पेयजल का छाने वाले संकट के निराकरण के लिए कोई ठोस योजना नहीं बना पायी है। पिछले कई वर्षों से यहीं देखा जाता रहा है कि रायपुर नगर निगम में महापौर किसी भी पार्टी से हो पेयजल की समस्या यहां जस की तस बनी हुई है। पिछले पांच साल की बात करें तो यहां के महापौर प्रमोद दुबे रहे है और महापौर का पद संभालने के बाद उन्होंने मीडिया से बातचीत करते हुए अपना सबसे पहला बयान जारी कर जनता से वादा किया था कि वो शहर को आवारा कुत्तों और आवारा मवेशियों से निजात दिलाएंगे, लेकिन उनके कार्यकाल में ही शहर में आवारा कुत्तों व मवेशियों का घटना तो दूर बल्कि वृद्धि हुई है। हालात ये है कि शहर की सड़कों पर लोगों का चलना व वाहन चलाना दुर्भर हो गया है, वहीं उनका दूसरा वादा शहर को पेयजल समस्या से मुक्त करना था लेकिन इस दिशा में भी वे पूरी तरह विफल रहे। शहर की जनता पांच तक गर्मी के दिनों में परेशान रही। इस तरह प्रमोद दुबे ने शहर की जनता से अन्य कई वादेंं भी किये थे जिनमें वे पूरी तरह से विफल रहे है। प्रमोद दुबे को उनकी विफलता के कारण ही इस बार कांग्रेस ने उनकी जगह एजाज ढेबर पर भरोसा जताया है। देखना यह है कि श्री ढेबर पार्टी के भरोसे पर कितना खरा उतरते है। 

पानी टैंकरो के भरोसे रहेंगे कई मोहल्ले: हर साल की तरह इस बार की भीषण गर्मी के दिनों में भी शहर के कई मोहल्ले व बस्तियां पानी टैंकरों के भरोसे रहेंगे। भीषण गर्मी में शहर के कई मोहल्लों व बस्तियां में पेयजल की आपूर्ति ठप्प हो जाती है जिसके चलते उन इलाकों में पेयजल की आपूर्ति नगर निगम प्रशासन द्वारा पानी टैंकरों के जरिए कराया जाता रहा है। इस बार भी यह स्थिति बन सकती है, क्योंकि अब तक पेयजल आपूर्ति के लिए निगम प्रशासन द्वारा कोई ठोस योजना नहीं बना पायी है।


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