जिले में स्टेट बैंक मुख्य शाखा से छोटे नोट नहीं मिल रहे आम नागरिकों को, आम नागरिक हो रहे है परेशान, जाने पूरी खबर
रायगढ़ | छत्तीसगढ़ चेंबर ऑफ कॉमर्स रायगढ़ इकाई ने स्टेट बैंक के उच्चाधिकारियों का ध्यान इस ओर आकर्षित करते हुए कहा है कि रायगढ़ में छोटे डिनॉमिनेशन के फ्रेश नोट आम नागरिकों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं यह नोट कब आते हैं और कब बंट जाते हैं इसकी कोई जानकारी आम नागरिकों को नहीं मिल पाती जबकि प्रत्येक परिवार में जब कोई मंगल कार्य होता है तो लोग फ्रेश नोट के लिए बैंकों का रुख करते हैं। और उन्हें उत्तर मिलता है कि ख़तम हो गये हैं तो वह निराश हो जाते हैं। वहीं दूसरी ओर कुछ खास ग्राहकों को यह नोट मिल जाने से वह मार्केट में ना आकर तिजोरियों में जाम हो जाते हैं जिससे मुद्रा का प्रसार प्रभावित होता है। ठीक इसी तरह चिल्हर की अधिकता के कारण जब व्यापारी चिल्हर लेकर बैंक पहुंचते हैं तो बैंक की तरफ से कोई रिस्पांस नहीं मिलने और रुखा व्यवहार मिलने से व्यापारियों में भी निराशा बढ़ती है। और उनके पास हजारों रुपए की चिल्हर एकत्रित हो जाती है जिसके कारण बाजार में वह पैसा भी चलन में नहीं आ पाता और जाम हो जाता है। जबकि होना यह चाहिए कि भले ही सप्ताह में एक निर्धारित दिवस पर एक विशेष काउंटर स्टेट बैंक की सभी शाखाओं में खुलना चाहिए जिसमें लोग चिल्हर जमा कर सके कटे-फटे नोट भी बदल सके और फ्रेश नोट प्राप्त कर सके। इसमें यह भी उल्लेखनीय है कि कई बार स्टेट बैंक मेन ब्रांच की तरफ से यह सुविधा कुछ अंश में अपने ही खाताधारकों को दी जाती है यह आवश्यक नहीं है कि जिले का प्रत्येक नागरिक स्टेट बैंक मेन चेस्ट ब्रांच का ही खाताधारक हो इसलिए सभी नागरिकों को यह सुविधा समान रूप से मिल पाए इसके लिये यह आवश्यक है कि स्टेट बैंक के सभी शाखाओं में एक विशिष्ट दिन पर सभी आम नागरिकों के लिए इस प्रकार की सुविधा उपलब्ध कराई जाए और इसकी जानकारी नोटिस बोर्ड पर भी चस्पा की जाए और सभी समाचार पत्रों में एक समाचार के रूप में भी प्रकाशित हो ताकि हर आम नागरिक तक यह जानकारी पहुंच सके ताकि वे इस सुविधा का लाभ उठा सकें। छत्तीसगढ़ चेंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष राजेंद्र अग्रवाल एवं महामंत्री हीरा मोटवानी ने कहा कि वे लगातार रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से पत्राचार करते हैं। और जब भी उनसे फ्रेश नोट के आपूर्ति के लिए पत्र लिखते हैं तो उन्हें यह कहा जाता है कि फ्रेश नोट तो हर जिले में पहुंच रहे हैं और उसकी आपूर्ति भी सामान्यत:हो रही है परंतु यह आपूर्ति होने के बाद यह नोट कहां चले जाते हैं इसका पता नहीं चलता। उल्लेखनीय है कि रायगढ़ में भारत सरकार द्वारा मुद्रित नये 1,2, 5 एवं 10 के प्रचलित नोट नहीं पहुंच पा रहे हैं जबकि आदिवासी बाहुल इलाके में यहां पर छोटे नोटों का ही प्रचलन अधिक रहता है अत: उच्चाधिकारियों से मांग की है कि वह अधिक से अधिक छोटे नोट रायगढ़ चेस्ट में भेजें ताकि यहां मुद्रा का प्रसार सामान्य रूप से चलता रहे।