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ई-कॉमर्स नियमों से बना रहेगा ऑनलाइन-ऑफलाइन बाजारों का सह-अस्तित्व : कैट

ई-कॉमर्स नियमों से बना रहेगा ऑनलाइन-ऑफलाइन बाजारों का सह-अस्तित्व : कैट
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रायपुर। कन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने केंद्रीय वाणिज्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल से ई-कॉमर्स नियमों को तत्काल लागू करने की पुरजोर मांग करते हुए एक पत्र भेजा है। कैट ने पत्र में कहा है कि केंद्र सरकार के उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के प्रस्तावित ई-कॉमर्स नियम निश्चित रूप से ई-कॉमर्स व्यवसाय को कुछ बड़ी कंपनियों के चंगुल से न केवल मुक्त करेंगे, बल्कि बड़ी संख्या में छोटी और बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों को व्यापार के समान अवसर भी देते हुए ई-कॉमर्स परिदृश्य को बिल्कुल तटस्थ बना देंगे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल इंडिया मिशन में एक बड़ी निर्णायक भूमिका भी निभाएंगें। वहीं यह नियम बाजार की दुकानों और ऑनलाइन व्यापार के सह-अस्तित्व के लिए भी एक सामंजस्यपूर्ण वातावरण भी बनाएंगे जिससे देश के आम ग्राहक को फायदा होगा। कैट ने श्री गोयल को भेजे पत्र में यह भी कहा है, कि पिछले अनुभवों के आधार पर ई-कॉमर्स नियमों के कार्यान्वयन में देरी नहीं होनी चाहिए या किसी अन्य तंत्र को अब बीच में नहीं लाना चाहिए। क्योंकि इस स्तर पर नियमों का कार्यान्वयन बहुत महत्वपूर्ण है। देश के ई-कॉमर्स व्यापार में कुछ बड़ी कंपनियों के क़ानून एवं नियमों के खिलाफ व्यापार करने के कारन देश भर में एक लाख से अधिक छोटी दुकानें बंद हो गई हैं, जिसके परिणामस्वरूप अधिक बेरोजगारी भी हुई है।

कैट के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी एवं प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र दोशी ने कहा कि अमेज़न एवं फ्लिपकार्ट द्वारा नीति और कानून के बार-बार उल्लंघन के मद्देनजर, कर्नाटक उच्च न्यायालय ने दोनों कंपनियों के खिलाफ कठोर टिप्पणियां करने और जल्द ही राखी से शुरू होने वाले त्योहारी सीजन का अपहरण ये बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियां न कर सकें। इसके लिए यह आवश्यक है की ई-कॉमर्स के नियमों को जल्द से जल्द लागू किया जाए। जिससे एक निष्पक्ष एवं स्वस्थ प्रतिस्पर्धा के लिए सभी स्टेकहोल्डर्स के लिए एक समान स्तर का व्यापारिक वातावरण उपलब्ध हो सके।

दिसंबर, 2020 में दिल्ली उच्च न्यायालय ने अमेज़ॅन को एफडीआई नियमों का उल्लंघन करने के लिए एक आदेश में जिम्मेदार माना था। और अब कर्नाटक उच्च न्यायालय की डिवीजन बेंच ने 23 जुलाई को दिए एक फैसले में अमेज़ॅन और फ्लिपकार्ट के बिज़नेस मॉडल पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा की यदि वे दोनों किसी भी वैधानिक प्रावधान के उल्लंघन में शामिल नहीं हैं, तो उन्हें जांच का सामना करने में शर्म महसूस नहीं करनी चाहिए। बल्कि उन्हें सीसीआई जांच का स्वागत करना चाहिए। अदालत ने तह भी कहा कि इन दोनों की दायर रिट अपील सीसीआई द्वारा की जाने वाली जांच की कार्रवाई को रोकने का एक प्रयास है। उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि अमेज़ॅन और फ्लिपकार्ट दोनों जानबूझकर जांच में भाग नहीं ले रहे हैं, और जांच को कुचलने की कोशिश कर रहे हैं। उच्च न्यायालय ने यह भी नोट किया कि बाजार की गतिशीलता कुछ महीनों में भी बदल सकती है, इसलिए कोई भी पिछला मामला जहां फ्लिपकार्ट/अमेज़ॅन को सीसीआई द्वारा दोषमुक्त किया गया हो, कोई असर नहीं पड़ता। यह सिर्फ एक जांच है और हाई कोर्ट ने कई जगहों पर दोहराया कि अपीलकर्ता एक जांच को कुचलने की कोशिश कर रहे हैं और अब अमेज़ॅन और फ्लिपकार्ट ने कर्नाटक उच्च न्यायालय की डिवीजन बेंच द्वारा पारित आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपील की है। उपरोक्त अवलोकन और दोनों कंपनियों का एक साथ आचरण इस तथ्य को स्थापित करता है कि निश्चित रूप से उनके व्यापार मॉड्यूल में कुछ गड़बड़ है जो प्रचलित कानून या नीति के खिलाफ है।

श्री पारवानी और श्री दोशी ने आगे कहा कि कुछ निहित स्वार्थ वाले लोगों द्वारा एक गलत धारणा बनाने में का प्रयास कर रहे हैं की ई-कॉमर्स नियम कुछ विशेष ईकॉमर्स कंपनियों के खिलाफ हैं जो एक खुला झूठ है। उन्होंने कहा की ये ई-कॉमर्स नियम उन सभी व्यापार पर लागू होते हैं, चाहे वे भारतीय हों या विदेशी मूल, जो ई-कॉमर्स के किसी भी माध्यम से अपनी व्यावसायिक गतिविधियों का संचालन कर रहे हैं। कैट ने उम्मीद जताई है, कि सरकार जल्द ही ई-कॉमर्स नियमों को अधिसूचित करेगी।



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