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मानव अधिकार आयोग ने लंबित मामलों की सुनवाई कर 12 लाख 90 हजार रूपए क्षतिपूर्ति के पीडि़तों को दिए

मानव अधिकार आयोग ने लंबित मामलों की सुनवाई कर 12 लाख 90 हजार रूपए क्षतिपूर्ति के पीडि़तों को दिए
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 रायपुर | राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग कैंप रायपुर द्वारा नवीन विश्राम गृह में खुले कैंप में अनुसूचित जाति, जनजाति से संबंध लंबित बड़ी संख्या में मामलों की सुनवाई की गई। कैंप आयोजित करने का मुख्य उद्देश्य मानवाधिकार हनन को रोकना एवं संबंधित प्रकरणों की समस्याओं के तह में जाकर निराकरण कर त्वरित निर्णय देना था। उक्त खुले कैंप में राज्य प्रशासनिक प्रमुख, पुलिस प्रमुख एवं राज्य सरकार के संबंधित विभागों के आला अधिकारियों की उपस्थिति में लंबित मामलों में मानव अधिकार अधिनियम 1993 के तहत कुल 54 प्रकरण तीन बैंचों में सुने गए। उकत सुनवाई के दौरान आयोग के अध्यक्ष एचएल दत्तू पूर्व न्यायधिपति सर्वोच्च न्यायालय नई दिल्ली, श्रीमती ज्योतिका कालरा एवं डा. डीएम मुले ने 13 अन्य महत्वपूर्ण मामलों में सुनवाई करते हुए आदिवासी एवं अनुसूचित जाति में शामिल महिलाओं, बच्चों एवं बुजुर्गों से संबंधित समस्याओं का निराकरण किया। उक्त जानकारी आज नवीन विश्रामगृह में आयोजित पत्रकारवार्ता में जयदीप गोविंद सचिव राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने दी। पत्रकारवार्ता में अध्यक्ष श्री दत्तू ने बताया कि 35 मामलों में सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को विशेष निर्देश दिए गए हैं। वहीं भूमि संबंधित मामले, क्षतिपूर्ति के मामले, एनटीपीसी में नौकरी संबंधी मामलों में राज्य सरकार द्वारा स्वीकृत 54 लाख रूपए की राशि में से 12 लाख 90 हजार की राशि वितरित करने के निर्देश राज्य सरकार को दिए गए। पत्रकारवार्ता में श्री गोविंद ने बताया कि संवेदनशील मामलों की समीक्षा की गई एवं लंबित प्रकरण की प्रकृति के आधार पर कार्यवाही करने के निर्देश राज्य पुलिस को दिया गया। उन्होंने बताया कि मानव अधिकार हनन की लड़ाई लंबी है, लेकिन आने वाली समस्याओं-लंबित समस्याओं का आयोग के अधिनियम के तहत समाधान भी है। पत्रकारवार्ता में अध्यक्ष श्री दत्तू ने कहा कि पेंशन संबंधी मामलों में पेंशनरों को मार्गदर्शन के नाम पर नहीं भटकाया जाएगा। पेंशन कैंप लगाकर सेवानिवृत्त अधिकारियों, कर्मियों की समस्याएं त्वरित गति से सुलझाने के निर्देश भी संबंधित विभागों के प्रमुखों को दिया गया है। आयोग की सदस्य ज्योतिका कालरा ने बताया कि सैप्टिक टैंक में सफाई के दौरान स्वच्छता कर्मियों की हुई मौत के मामलों में उनके परिजनों को प्रति मृतक 10 लाख रूपए की मुआवजा राशि दी गई है, वहीं एनटीपीसी में नौकरी न मिलने, भूमि संबंधी मामले , पुलिस के मामले आदि भी आयोग के समक्ष प्रस्तुत किए गए। छत्तीसगढ़ शासन के एडीजी पवनदेव के मामले पर श्रीमती ज्योतिका ने कहा कि उक्त मामले में महिला सिपाही के अधिकारों के हनन के संबंध में कैट में चल रहे मामले पर राज्य शासन को महाधिवक्ता के माध्यम से अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया गया है। उन्होंने कहा कि उक्त प्रकरण के बाद पदोन्नति के मामले में राज्य शासन को ही नीतिगत निर्णय लेना है। 

 

 

 


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