छत्तीसगढ़ पर फिर पड़ा Corona का साया,एक ही दिन में इस जिले में मिले इतने कोरोना मरीज,जानिए किस जिले में कितने एक्टिव केस ?    |    CG CORONA UPDATE : छत्तीसगढ़ में कोरोना के मामलों में बढ़त जारी...जानें 24 घंटे में सामने आए कितने नए केस    |    छत्तीसगढ़ में आज कोरोना के 10 नए मरीज मिले, कहां कितने केस मिले, देखें सूची…    |    प्रदेश में थमी कोरोना की रफ्तार, आज इतने नए मामलों की पुष्टिं, प्रदेश में अब 91 एक्टिव केस    |    CG CORONA UPDATE : छत्तीसगढ़ में कोरोना के मामलों में बढ़त जारी...जानें 24 घंटे में सामने आए कितने नए केस    |    BREAKING : प्रदेश में आज 15 नए कोरोना मरीजों पुष्टि, देखें जिलेवार आकड़े    |    प्रदेश में कोरोना का कहर जारी...कल फिर मिले इतने से ज्यादा मरीज, एक्टिव मरीजों का आंकड़ा पहुंचा 100 के पार    |    छत्तीसगढ़ में मिले कोरोना के 14 नए मरीज...इस जिले में सबसे ज्यादा संक्रमित,कुल 111 एक्टिव केस    |    सावधान : छत्तीसगढ़ में फिर बढ़ रहा कोरोना...जानें 24 घंटे में सामने आए कितने नए केस    |    Corona update: प्रदेश में 2 कोरोना मरीजों की मौत...इलाज के दौरान तोड़ा दम    |

Chanakya Niti: गरीब नहीं रहना चाहते हैं तो मानें आचार्य चाणक्य की ये बात

Chanakya Niti: गरीब नहीं रहना चाहते हैं तो मानें आचार्य चाणक्य की ये बात
Share

 Chanakya Niti formula: जीवन में सुखी रहने की चाह हर किसी की होती है लेकिन कई बार गलत तरह से कमाए गए धन की वजह से हम अपनी सुख-शांति का सौदा कर देते हैं। आचार्य चाणक्य कहते हैं धन कमाने के लिए यदि कोई व्यक्ति गलत तरीको का इस्तेमाल कर जल्दी से जल्दी अमीर बनने की इच्छा रखता है तो वह धन उसे गरीब बना देता है। ऐसा धन जितनी जल्दी आता है, उतनी जल्दी खत्म भी हो जाता है। गलत करीके से कमाया गया धन शारीरिक और मानसिक परेशानियां देता है। जीवन में अशांति रहती है लाख कोशिश के बाद भी शांति नहीं मिल पाती।

चाणक्य नीति में लिखे श्लोक के अनुसार- असत्समृद्धिरसद्भिरेव भुज्यते।
भावार्थ : दुष्ट लोग जो धन एकत्र करते हैं वह अनीति कर्मों के द्वारा ही एकत्र किया जाता है। उनके साथ रहने वाले लोग भी दुष्प्रवृत्ति के होते हैं। वे ही उस धन का उपभोग करते हैं और भोग-विलास में पड़कर अपने आपको नष्ट कर लेते हैं। गलत तरीके से कमाया हुआ धन कभी भी शुभ काम में नहीं लग पाता। नीम का फल कौए ही खाते हैं।

चाणक्य नीति में लिखे श्लोक के अनुसार- असत्समृद्धिरसद्भिरेव भुज्यते।
भावार्थ : दुष्ट लोग जो धन एकत्र करते हैं वह अनीति कर्मों के द्वारा ही एकत्र किया जाता है। उनके साथ रहने वाले लोग भी दुष्प्रवृत्ति के होते हैं। वे ही उस धन का उपभोग करते हैं और भोग-विलास में पड़कर अपने आपको नष्ट कर लेते हैं। गलत तरीके से कमाया हुआ धन कभी भी शुभ काम में नहीं लग पाता। नीम का फल कौए ही खाते हैं।


Share

Leave a Reply