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Chanakya Niti: कठिन समय में इस एक चीज का कभी न छोड़े साथ, जल्द टल जाएंगे बुरे दिन

Chanakya Niti: कठिन समय में इस एक चीज का कभी न छोड़े साथ, जल्द टल जाएंगे बुरे दिन
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 Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य ने बताया है कि मेहनत करने से दरिद्रता नहीं दूर होती है, धर्म करने से पाप नहीं रहता, मौन रहने से कलह नहीं होता और जागते रहने से भय नहीं होता. ये चार चीजें सफल और सार्थक जीवन के महत्वपूर्ण पहलू है.

चाणक्य की नीतियां बुरे समय में उस एक दीपक की तरह काम करती है जो घोर अंधेरे में भी उजाला कर देता है. आचार्य चाणक्य कहते हैं कि मनुष्य को संकट के समय किस एक चीज का साथ नहीं छोड़ना चाहिए. मुश्किल घड़ी में यही चीज इंसान की डूबती नैया पार लगा सकती है और बुरे वक्त जल्द टल जाता है. आइए जानते हैं.

कठिन समय में विपत्ति को अवसर में मोड़ें और अपने लक्ष्य को कभी न छोड़ें - चाणक्य

विपत्ति को अवसर में बदलें

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि मनुष्य को जीवन में कई तरह के इम्तिहान देने पड़ते हैं. खासकर बुरे समय में व्यक्ति को अपने साहस की परिक्षा जरुर देनी पड़ती है. चाणक्य के अनुसार जब व्यक्ति लगातार नाकाम होता है तो उस कठिन समय में विपत्ति को ही अवसर में बदलना चाहिए. इसके लिए जरुरी है खुद से संवाद. शांत मन से सोचने पर अवसाद को भी अवसर में बदला जा सकता है, क्योंकि जब भी चुनौतियां, मुश्किलें आती है उनके साथ अवसर भी आते हैं जरुरत है ठंडे दिमाग से उन पर ध्यान देने की.

लक्ष्य से भटकें नहीं

लक्ष्य प्राप्ति की राह आसान नहीं होती. ये गुलाब के फूल के समान है जिसकी डगर कांटों से भरी होती है लेकिन मंजिल बहुत खूबसूरत होती है. चाणक्य कहते हैं कि जो मुश्किल दौर में भी अपने लक्ष्य को कभी नहीं छोड़ते, धैर्य और ईमानदारी से अपना कार्य करते रहते हैं वह जरुर कामयाब होते है. असफल होने का डर ही व्यक्ति को संकट में डालता है.

अगर नाकामयाबी को इंसान सही तरीके से ले तो वह दो दिशाओं में आगे बढ़ता है. एक तो वह अपने काम को बेहतर करता है और दूसरे, इंसान के तौर पर भी श्रेष्ठ बनता है. अगर अपने भ्रम को समझ लिया तो जीवन में स्पष्टता आएगी जो लक्ष्य प्राप्ति के लिए बेहद जरुरी है. लक्ष्य साध लिया तो कभी बुरे दिन जल्द टल जाएंगे और जीवन खुशियों से भर जाएगा.

परिश्रम से पास होगी परिक्षा

परिश्रम करते रहना चाहिए कितना ही खराब समय आ जाए व्यक्ति को बैठे नहीं रहना चाहिए. लगातार परिश्रम करते रहना चाहिए. परिश्रम ही व्यक्ति को इस संकट से निकलने में मददगार होता है.


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