सेनानियों की सम्माननिधि बंद करना तानाशाही व लोकतंत्र की हत्या: उपासने
रायपुर। लोकतंत्र सेनानी संघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सच्चिदानंद उपासने ने प्रदेश सरकार द्वारा आपातकाल के दौरान प्रताड़ित राजनीतिक व सामाजिक कारणों से जेलों में निरुद्ध किए गए मीसाबंदियों को पूर्व सरकार द्वारा प्रदत्त लोकनायक जयप्रकाश नारायण सम्मान निधि के नियमों को निरस्त कर सम्मान निधि बंद किए जाने के निर्णय को लोकतंत्र की हत्या करार देते हुए कहा कि जब इसी सरकार ने जनवरी 2019 के अपने आदेश से लोकतंत्र सेनानियों के सत्यापन पश्चात माह फरवरी से सम्मान निधि यथावत दिए जाने के आदेश प्रसारित किए गए थे जिसका पालन 1 वर्ष तक नहीं किए जाने पर प्रदेश के लगभग 90 सेनानियों ने माननीय उच्च न्यायालय से न्याय की मांग की। उक्त याचिकाओं पर निर्णय पारित कर माननीय उच्च न्यायालय ने शासन को आदेशित किया कि सेनानियों की बकाया सम्मान निधि तत्काल ही दिया जावे व भविष्य में भी बंद ना किया जावे। उपासने ने कहा कि शासन को माननीय उच्च न्यायालय ने आदेशित किया था जिसका एक तरफा अनदेखा कर पूर्ण तानाशाही रवैया अख्तियार करते हुए अपना आपातकालीन आदेश को परित कर सेनानियों को पुनः एक बार आपातकाल के समान प्रताड़ित किया है। अदालत के आदेश को वैसे ही रद्दी की टोकरी में फेंक दिया जैसे इंदिरा गांधी ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय की जस्टिस जगमोहन के फैसले को आपातकाल लगाकर देश में तानाशाही राज स्थापित कर दिया था। उपासने ने कहा कि प्रदेश में सेनानी संघ शासन के इस निर्णय का विरोध करेगा वह न्यायालयीन लड़ाई लड़ेगा।