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आखिरकार झुकी सरकार, किसानों को मिली निरंकारी ग्राउंड पर प्रदर्शन करने इजाजत

 आखिरकार झुकी सरकार, किसानों को मिली निरंकारी ग्राउंड पर प्रदर्शन करने इजाजत
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नई दिल्ली। हरियाणा सरकार द्वारा किसानों पर की गई कठोर कार्रवाई ने किसानों को आक्रोशित और एकजुट कर दिया है। हरियाणा-दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर इकट्ठे हुए किसानों को रोकने के लिए पुलिस ने पूरी कोशिश की, उन पर पानी की बौछारें और आंसू गैस के गोले छोड़े। लेकिन इसके बाद भी किसानों ने बैरीकेडिंग तोड़कर दिल्ली कूच कर दिया। आखिरकार पुलिस ने किसानों को दिल्ली के संतनगर बुराड़ी में निरंकारी मैदान में एकजुट होने और सभा करने की अनुमति दे दी गई।

वहीं किसान नेताओं ने कहा है कि अगर सरकार चाहती है कि किसान उससे दूर निरंकारी मैदान में बैठें और इधर सरकार चैन से सोती रहे तो ऐसा होने वाला नहीं है। निरंकारी मैदान में जमा होने के बाद किसान दिल्ली की ओर दोबारा कूच करेंगे। सिंघु बॉर्डर से किसानों को आगे बढ़ने की मंजूरी मिलने से माना जा रहा है कि शाम तक बाकी सभी बॉर्डर से भी किसानों को दिल्ली में प्रवेश करने की इजाजत मिल जाएगी। शुक्रवार दोपहर दो बजे तक यूपी बॉर्डर से किसानों को आगे बढ़ने की अनुमति नहीं मिली है।

ऑल इंडिया किसान संघर्ष समन्वय समिति के नेता डॉक्टर आशीष मित्तल ने कहा कि सरकार ने हमें निरंकारी मैदान में जुटने की अनुमति दे दी है। हरियाणा और पंजाब से आ रहे किसान इस मैदान पर एकजुट होकर अपनी बात रखेंगे। लेकिन किसान यहां ठहरने वाले नहीं हैं। वे यहां से संसद तक मार्च करेंगे और सरकार से अपनी बात मनवाने तक शांत नहीं बैठेंगे।

किसानों के इस फैसले से साफ हो गया है कि सरकार की मुश्किलें फिलहाल खत्म नहीं हुई हैं। आगे आने वाले समय में दिल्ली में ट्रैफिक की गंंभीर समस्या उत्पन्न हो सकती है। कोरोना काल में सरकार के लिए इस समस्या से निबटना किसी चैलेंज से कम नहीं होगा।

हरियाणा सरकार की कार्रवाई ने आग में घी डाला-
हरियाणा किसान संघ के नेता सुखविंदर सिंह ने कहा कि मनोहरलाल खट्टर सरकार ने किसानों पर दमनकारी हथकंडे अपनाकर पूरे किसान नेताओं को आकोशित कर दिया है। आरोप है कि खट्टर सरकार ने किसानों को दिल्ली की तरफ आगे बढ़ने से रोकने के लिए सड़कों पर गड्ढे खोद दिए थे। मुख्य हाइवे पर जगह-जगह पर भारी-भारी पत्थर रख दिए गए और बैरीकेडिंग कर दी गई। सोनीपत, अंबाला और शंभू बॉर्डर पर किसानों पर पानी की बौछारें और आंसू गैस के गोले छोड़े गए। इससे किसानों में गुस्सा बढ़  गया और जो किसान आंदोलन में शामिल नहीं थे, वे भी साथ आ गए जिससे हमारी ताकत बढ़ गई।

भारतीय किसान यूनियन ने सरकार के इसी दमनपूर्ण कार्रवाई के बाद किसानों के प्रदर्शन में साथ आने का फैसला किया है। शुक्रवार सुबह से ही भारतीय किसान यूनियन के नेताओं ने मेरठ की सड़कों को जाम कर दिया। स्थिति की गंभीरता देखते हुए ही सरकार ने किसानों को दिल्ली में प्रवेश करने की अनुमति दे दी है।  

तो घिर जाती दिल्ली-
किसानों के एक प्रमुख नेता के अनुसार योजना की शुरुआत में ही इस बात की योजना बना ली गई थी कि पुलिस जहां भी उन्हें आगे बढ़ने से रोकेगी, किसान वहीं पर रुककर धरना देंगे। ठीक इसी योजना के तहत जब गुरुग्राम बॉर्डर पर पुलिस ने उन्हें दिल्ली की तरफ आगे बढ़ने से रोका, तो किसान सड़कों पर जम गए। हर तरफ से यातायात ठप हो गया। दिल्ली को फरीदाबाद बॉर्डर, यूपी बॉर्डर से भी घेरे जाने की योजना है। सरकार ने किसानों की इसी योजना को भांपते हुए उन्हें दिल्ली में प्रवेश करने की अनुमति दे दी। अन्यथा दिल्ली चारों तरफ से कट जाती।

बातचीत की कोशिशें आगे बढ़ीं-
चारों तरफ से घिरती सरकार ने बातचीत के लिए कदम आगे बढ़ाने का संकेत दिया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने किसानों से बात करने की बात कही है। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि इस योजना से सरकार किसानों की आय बढ़ाने की योजना पर काम कर रही है। लेकिन अगर किसानों की कुछ शंकाएं हैं तो उन पर बात की जा सकती है। इधर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने कहा है कि आंदोलन किसी समस्या का समाधान नहीं होता है। बातचीत से ही हर समस्या का समाधान निकल सकता है।

इधर किसानों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर दिल्ली में प्रवेश करने की बात कही थी। इससे अनुमान लगाया जा रहा है कि सरकार और किसानों में बातचीत होने की संभावनाएं बढ़ गई हैं। अगर दोनों पक्षों में कोई बात होती है तो इस मुद्दे का कोई सर्वमान्य हल निकल सकता है।

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