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पांच महीने की बच्ची 'बदलने लगी है पत्थर में', डॉक्टरों ने उसकी स्थिति का पता लगाकर बीमारी की पुष्टि की

पांच महीने की बच्ची 'बदलने लगी है पत्थर में', डॉक्टरों ने उसकी स्थिति का पता लगाकर बीमारी की पुष्टि की
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ब्रिटेन में एक पांच महीने की बच्ची बेहद दुर्लभ जेनेटिक स्थिति के कारण 'पत्थर में बदलने लगी' है. बेबी लेक्सी रॉबिन्स में लाइलाज बीमारी की पहचान हुई है जो 20 लाख लोगों में से मात्र एक को प्रभावित करती है. बच्ची के माता-पिता दूसरे परिवारों को संभावित संकेतों की तलाश के लिए चेतावनी दे रहे हैं. 31 जनवरी को जन्मी लेक्सी किसी अन्य स्वस्थ बच्ची की तरह थी लेकिन अब जिंदगी को सीमित करनेवाली बीमारी Fibrodysplasia Ossificans Progressiva की चपेट में आ गई है. उसके माता-पिता एलेक्स और डेव ग्रेट ब्रिटेन के हर्टफोर्डशायर क्षेत्र के रहने वाले हैं. एक दिन उन्होंने देखा कि बच्ची के हाथ के अंगूठे में कोई हलचल नहीं हो रही है और बड़े पैर की उंगलियां बिल्कुल असामान्य लग रही थीं. डॉक्टरों ने उसकी स्थिति का पता लगाकर बीमारी की पुष्टि कर दी.


क्या है दुर्लभ जेनेटिक बीमारी?
दरअसल, इस स्थिति में मसल्स और कनेक्टिव टिश्यू हड्डी की जगह ले लेते हैं. बीमारी ढांचे के बाहर हड्डी का निर्माण पैदा कर सकती है, जिससे चलता-फिरना दुश्वार हो जाता है. स्थिति की तुलना अक्सर शरीर को पत्थर में बदलने से की जाती है. बीमारी से ग्रसित लोग 20 साल की उम्र तक बिस्तर पर पड़े रहे सकते हैं और उनकी जिंदगी की संभावना करीब 40 साल होती है.


कैसे चला बीमारी का पता?
अप्रैल में, एक्सरे से पता चला कि लेक्सी के पैर के अंगूठे में सूजन है और अंगूठे जुड़े हुए हैं. 29 वर्षीय मां एलेक्स ने कहा, "शुरुआत में हमें एक्सरे परीक्षण के बाद बताया गया कि शायद उसे कोई सिंड्रोम है और चल फिर नहीं सकेगी. हमें तो विश्वास नहीं हुआ क्योंकि उस वक्त बच्ची शारीरिक रूप से काफी मजबूत थी और अपने पैरों को मार सकती थी. हम पूरी तरह संतुष्ट नहीं हुए इसलिए मई में हमने थोड़ा रिसर्च कर इस बीमारी का पता लगाया और विशेषज्ञ के पास ले गए.


मई के अंत तक हमें जेनेटिक टेस्ट कराना पड़ा, फिर एक्सरे, लेकिन जेनेटिक टेस्ट के नतीजे आने में छह हफ्ते लग गए." उसके टेस्ट को अमेरिका के किसी लैब में भेजा गया जहां से Fibrodysplasia Ossificans Progressiva की पुष्टि हुई. बीमारी का इलाज न होने के चलते लेक्सी के माता-पिता का दिल दहल रहा है. उन्होंने विशेषज्ञों से बात की है और बच्ची की जिंदगी बचाने की जंग अभी खत्म नहीं हुई है. दोनों को अन्य अभिभावकों की तरफ से बहुत समर्थन मिल रहा है.  


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