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मुख्यमंत्री सहायता कोष के लिए कर्मचारियों के एक दिन के वेतन की कटौती जबरिया, आदेश में हो तुरंत सुधार : भाजपा

मुख्यमंत्री सहायता कोष के लिए कर्मचारियों के एक दिन के वेतन की कटौती जबरिया, आदेश में हो तुरंत सुधार : भाजपा
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रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने मुख्यमंत्री सहायता कोष के लिए प्रदेश के कर्मचारियों के एक-एक दिन के वेतन की कटौती को जबरिया बताते हुए इस बारे में सरकार की अपील की पुनर्व्याख्या कर तत्संबंधी आदेश में सुधार की मांग की है। श्री कौशिक ने कहा कि प्रदेश सरकार ने कोरोना संक्रमण काल के मद्देनज़र सभी कर्मचारियों से अपने एक दिन का वेतन मुख्यमंत्री सहायता कोष में देने की अपील की थी और वित्त विभाग ने इसे लेकर अपने एक आदेश में इसे ‘स्वैच्छिक वेतन कटौती’ कहा था लेकिन अब सॉफ्टवेयर में वह ‘स्वैच्छिक’ कटौती के बजाय ‘अनिवार्य’ कटौती हो गई है। श्री कौशिक ने सवाल किया है कि क्या प्रदेश सरकार के इशारे पर सॉफ्टवेयर में छेड़छाड़ करके ऐसा जानबूझकर किया गया है?

नेता प्रतिपक्ष श्री कौशिक ने कहा कि स्वैच्छिक तौर पर वेतन जमा करने के लिए प्रदेश सरकार कोई दबाव कैसे डाल सकती है? स्वैच्छिक का आशय ही यह है कि कर्मचारी अपनी इच्छा हो तो वेतन जमा करें और न हो तो न जमा करें। अब जबकि वेतन बनाया जा रहा है तो सॉफ्टवेयर उस वेतन को तब तक स्वीकार नहीं कर रहा है जब तक कि उक्त वेतन में से कटौती न कर ली जाए। सॉफ्टवेयर में कर्मचारियों के पूरा वेतन अपलोड होने की एंट्री ही नहीं हो रही है और साथ ही यह संदेश आ रहा है कि ‘मुख्यमंत्री सहायता राशि की कटौती नहीं की गई है, कृपया कटौती करें।’ श्री कौशिक ने कहा कि कई तरीकों से प्रदेश सरकार ने कोरोना संक्रमण के नाम पर राशि एकत्रित की है, और अब मुख्यमंत्री सहायता कोष के लिए कर्मचारियों के एक दिन के वेतन की अनिवार्य कटौती करके प्रदेश सरकार जिस तरह राशि जमा कर रही है, उसे किसी भी रूप में जायज नहीं ठहराया जा सकता। कोरोना सेस, डीएमएफ फंड की करोड़ों रुपए की राशि का हिसाब तक देने में आनाकानी करने वाली प्रदेश सरकार कर्मचारियों के वेतन में कटौती करके अपनी बदनीयती का परिचय देती प्रतीत हो रही है।

नेता प्रतिपक्ष श्री कौशिक ने कहा कि ऐसा प्रतीत हो रहा है कि कमीशन, भ्रष्टाचार और किसी मद की राशि अन्य किसी मद में ग़ैर-ज़रूरी ख़र्च करके बेनक़ाब हो चली प्रदेश सरकार ने अब सहायता राशि के नाम पर यह नया दाँव आजमाने की कोशिश की है, जिसमें सार्वजनिक तौर पर तो इसे स्वैच्छिक दान बताया गया लेकिन गुपचुप तौर पर कर्मचारियों के वेतन से अनिवार्य कटौती करके प्रदेश सरकार फिर किसी नए घोटाले की भूमिका रचने जा रही हो। श्री कौशिक ने कहा कि जब एक दिन का वेतन देने की बात हुई थी, तभी कर्मचारियों में इसे लेकर रोष व असहमति की बात सामने आई थी क्योंकि कई कर्मचारियों के घरों में मरीज हैं, कहीं किसी के यहाँ शोक का माहौल है, इसके साथ-साथ मार्च माह में आयकर समेत कई तरह की कटौतियाँ पहले से निर्धारित होती हैं, लेकिन कर्मचारी निश्चिंत थे कि स्वैच्छिक होने की वज़ह से बिना सहमति के वेतन में से सहायता कोष के लिए राशि की कटौती नहीं होगी। श्री कौशिक ने प्रदेश सरकार के वित्त विभाग के आदेश के मद्देनज़र सॉफ्टवेयर की ‘त्रुटि’ को दुरुस्त कर बिना सहमति सहायता कोष के लिए की जा रही वेतन कटौती पर तत्काल रोक लगाने की मांग की है।
 


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