नरेन्द्र मोदी ने कहा सभी मुद्दों पर खुलकर चर्चा करने को सरकार तैयार
संसद का शीतकालीन सत्र शुरू
संसद का शीतकालीन सत्र आज से शुरू हो रहा है। यह संसद का 250वां सत्र है। इसी सत्र के दरमियान 26 नवंबर को संविधान सत्र पड़ेगा। सत्र शुरू होने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी सांसदों को बधाई दी और कहा कि सरकार सभी मुद्दों पर बातचीत के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि संवाद और चर्चा होनी चाहिए, सभी को संसद में चर्चा को समृद्ध बनाने में योगदान देना चाहिए। वहीं लोकसभा में कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन चौधरी का कहना है कि संसद बहस, चर्चा और वार्ता के लिए होती है।
पीएम मोदी ने इस दौरान कहा कि 2019 का ये आखिरी संसद सत्र है, राज्यसभा का 250वां सत्र है। इस सत्र के दौरान 26 तारीख को हमारा संविधान दिवस है, हमारे संविधान के 70 साल हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि संविधान देश की एकता, अखंडता और विविधता को समेटे हुए है। बीते दिनों सभी दल के नेताओं से मिलने का मौका मिला है, जैसे पिछली बार सभी दलों के सहयोग के कारण चला था, ऐसा ही इस बार भी होने की उम्मीद है। पीएम मोदी ने कहा कि सरकार सभी मुद्दों पर खुलकर चर्चा चाहते हैं, वाद हो-विवाद हो और इसके साथ ही सदन की चर्चा को समृद्ध बनाने को योगदान दें। सभी सांसदों को शुभकामनाएं देते हुए सभी का धन्यवाद।
शीतकालीन सत्र सोमवार यानि आज से शुरू हो रहा है, जो 13 दिसंबर तक चलेगा। ऐसे में एक तरफ जहां एक तरफ सत्ताधारी बीजेपी पिछले सत्र की तरह इस बार भी अपना वर्चस्व बनाए रखने की कोशिश करेगी, वहीं विपक्षी दलों की कोशिश है कि सरकार को जनता से जुड़े मुद्दों पर घेरा जाए। इस सत्र में जिन प्रमुख विधेयकों पर चर्चा होनी है उनमें नागरिकता संशोधन विधेयक शामिल है, जिसे सरकार अपने पिछले कार्यकाल में पारित नहीं करा पाई थी। रविवार को सरकार की ओर से बुलायी गयी सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्षी दलों को आश्वासन दिया कि सरकार सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि संसद का सबसे महत्वपूर्ण काम चर्चा और बहस करना है।
यह एक ऐतिहासिक सत्र होगा क्योंकि इस बार राज्यसभा की 250 वीं बैठक होगी. रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उम्मीद जताई कि आगामी सत्र में देश के विकास और लोगों के सशक्तिकरण पर चर्चा हो पाएगी। पिछले सत्र में सरकार ने राज्यसभा में अपना बहुमत न होते हुए भी तीन तलाक और एनआईए की ताकत बढ़ाने वाले बिल को पास करा लिया था। पिछले बजट सत्र और इस शीतकालीन सत्र में कई राजनीतिक घटनाक्रम ऐसे रहे, जिन पर सदन में हंगामा होना लगभग तय है। जहां पिछली बार विपक्ष लोकसभा में करारी हार के कारण कुछ दबा हुआ महसूस कर रहा था, वहीं कुछ राज्यों के चुनावी नतीजों ने उसमें फिर से हवा फूंकी है।