राज्य सरकार के निकम्मेपन के कारण राज्यपाल को हस्तक्षेप करना पड़ा : बृजमोहन अग्रवाल
रायपुर, विधायक व पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने राज्य सरकार पर आदिवासी, जनजाति विरोधी होने का आरोप लगाया है। बृजमोहन ने कहा है कि, कांग्रेस सरकार ने तेंदूपत्ता संग्राहकों को मिलने वाले सुरक्षा और सुविधा मूलक योजनाओं को एक-एक कर बंद कर दिया है। बीमा की अनेक योजनाएं बंद कर दी गई हैं। तेंदूपत्ता संग्राहकों को उनका हक उनका खुद का पैसा 2 सीजन का बोनस नहीं दिया गया है। प्राथमिक समितियों को लाभांश नहीं दिया गया है। दो सत्रों से छात्रवृत्ति योजना की राशि बच्चों को नहीं मिली है। प्रदेश में 13 लाख 50 हजार संग्राहक संख्या है। संग्राहक परिवारिक सदस्यों की संख्या 18 लाख 38 हजार है। इसमें सर्वाधिक संख्या वनांचल में रह रहे आदिवासी समाज के लोग हंै। इन सब के लिए कांग्रेस सरकार ने एक भी बीमा योजना चालू नहीं की है, बल्कि पूर्व में भाजपा सरकार में चल रही योजनाऐ भी इस सरकार की लापरवाही की बलि चढ़ गई व बंद हो गई है। शासन, आदिवासी तेंदूपत्ता संग्रहणकर्ताओं और संस्थाओं के 1000 करोड़ से भी अधिक की राशि बैंक में जमा कर ब्याज कमा रही है। इसमें 597 करोड़ रुपए आदिवासी तेंदूपत्ता संग्रहणकर्ताओं को वितरित करने वाली राशि है,लेकिन कांग्रेस सरकार आदिवासी तेंदूपत्ता संग्रहकों को न तो बोनस दे रही है, न उनका बीमा करा रही है और न ही उनके बच्चों को उच्च शिक्षा के लिए छात्रवृत्ति जारी कर रही है। अपने हक के पैसे के लिए आदिवासी समाज दर दर भटक रहा हैं। पूरी सरकार मूकदर्शक की भूमिका में है। सरकार के निकम्मेपन के कारण इस विषय में राज्यपाल को नाराजगी व्यक्त करनी पड़ी है। संस्था के उन समितियों और संग्राहकों को कम से कम अभी तो कोविङ आपदा के समय में मानवीय आधार पर बोनस राशि का वितरण तत्काल प्रभाव से कर देना चाहिए। सिर्फ ब्याज प्राप्त करने के लिए राशि रोककर रखना उचित नहीं है। प्राथमिक समितियों को लाभांश की राशि भी सरकार नहीं दे रही है। 31मार्च 2019 की स्थिति में उक्त राशि 432 करोड़ रुपए है। बीमा योजना के संबंध में जानबूझ कर की गई लापरवाही के कारण लाखों आदिवासी संग्राहक परिवारों का भी हित प्रभावित हुआ है। तेंदूपत्ता के बोनस नहीं मिल पाने के कारण आदिवासी परिवारों के सामने इस कोरोना काल में आर्थिक संकट की स्थिति निर्मित हो गई है। आदिवासी हितों का ढिढ़ोरा पीटने वाली कांग्रेस सरकार प्रदेश के आदिवासी, जनजाति परिवार के साथ अन्याय कर रही है। आदिवासी हितों के लिए भाजपा की पूर्व सरकार की सारी योजनाएं बंद कर दी गई है।