HMPV Cases in India: कोरोना जैसा वायरस! फिर होगा लॉकडाउन?
HMPV Cases in India: चीन से फैलना शुरू हुई नई बीमारी HMPV ने भारत में भी लोगों की टेंशन बढ़ा दी है. ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) ने सोमवार को भारत में भी दस्तक दे दी और देखते ही देखते एक दिन में पांच मामले सामने आए. इनमें दो-दो मामले कर्नाटक और तमिलनाडु, जबकि एक मामला गुजरात में सामने आया है. भारत में इस वायरस से संक्रमित होने वाले ये सभी बच्चे हैं, जिनमें से एक की उम्र 2 महीने तो एक की 8 माह है.
इस नए वायरस ने लोगों के मन में कोरोना काल की यादें ताजा कर दी है. चीन में HMPV के प्रकोप की खबरों के बाद सोशल मीडिया पर लॉकडाउन (Lockdown) ट्रेंड करने लगा. लोगों ने इस वायरस की तुलना COVID-19 से करना शुरू कर दिया, जिसने वैश्विक महामारी का रूप ले लिया था.
लॉकडाउन की क्यों ही रही चर्चा?
कोविड के मामले सबसे पहले नवंबर 2019 में चीन के वुहान में सामने आए और यह तेज़ी से दूसरे देशों में फैल गया. भारत में COVID-19 का पहला मामला जनवरी 2020 में केरल में सामने आया था. फिर देखते ही देखते पूरे देश में यह बीमारी फैल गई और सरकार को इसे काबू करने के लिए लॉकडाउन की घोषणा करनी पड़ी थी.
ऐसे में लोगों को डर है कि HMPV के मामलों में उछाल से एक और वैश्विक प्रकोप हो सकता है और इसे फैलने से रोकने के लिए सरकार को लॉकडाउन लागू करने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है.
हालांकि, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने लोगों को आश्वस्त किया कि सरकार स्थिति पर करीब से नजर रख रही है और चिंता की कोई जरूरत नहीं है. वहीं विशेषज्ञों ने भी पुष्टि की है कि यह कोरोना वायरस जैसी स्थिति नहीं है, ऐसे में इसे रोकने के लिए लॉकडाउन जैसे उपायों की जरूरत नहीं पड़ेगी.
क्या है यह वायरस?
HMPV वैश्विक स्तर पर पहचाना गया श्वसन संबंधी बीमारी पैदा करने वाला वायरस है. हाल में चीन में इसके प्रकोप की खबरों ने दुनिया का ध्यान खींचा. यह एक वायरल रोगजनक है, जो सभी आयु वर्ग के लोगों में सांसों में तकलीफ का कारण बनता है. हालांकि कर्नाटक, गुजरात और महाराष्ट्र की सरकारों ने आश्वस्त किया है कि घबराने की जरूरत नहीं है. वहीं दिल्ली सरकार ने राजधानी के सभी अस्पतालों को श्वसन संबंधी बीमारियों में संभावित वृद्धि से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार रहने का निर्देश दिया.
बच्चों में सावधानी जरूरी
ICMR के पूर्व वैज्ञानिक डॉ. रमन गंगाखेडकर ने कहा कि भारत को इस वायरस के बारे में ज्यादा चिंतित होने की जरूरत नहीं. यह वायरस हमेशा से देश में मौजूद था, लेकिन हाल ही में इसका पता चला है. उन्होंने कहा कि यह सर्दियों के दौरान अधिक पाया जाता है, लेकिन इससे मृत्यु नहीं होती है. डॉ. रमन गंगाखेडकर ने CNN-News18 से कहा, ‘वैश्विक स्तर पर ऐसा कोई अध्ययन नहीं है, जिसमें मृत्यु दर्ज की गई हो. यह एक सामान्य सर्दी का वायरस है और केवल बच्चे ही नहीं, बड़े लोग भी बार-बार वायरस से संक्रमित हो रहे हैं.’
हालांकि, गंगाखेडकर ने चेतावनी दी कि पांच साल से कम उम्र के बच्चों और सामान्य सर्दी के लक्षण दिखने पर उन्हें स्कूल नहीं भेजना चाहिए, क्योंकि वे संक्रमण फैला सकते हैं. उन्होंने कहा, ‘सुरक्षा के लिए, जिन लोगों को सामान्य सर्दी-जुकाम है, उन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अगर उनके 5 साल से कम उम्र के बच्चे हैं तो वे कोविड दिशा-निर्देशों का पालन करें. अगर आपका बच्चा 5 साल से कम उम्र का है और उसे सामान्य सर्दी है, तो उसे स्कूल नहीं भेजना चाहिए क्योंकि वह दूसरों में संक्रमण फैलाएगा…’
किसी दवा या टीके की जरूरत नहीं
वहीं नेफ्रॉन क्लिनिक के प्रमुख और पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित डॉ. संजीव बगई ने सीएनएन-न्यूज18 को बताया कि एचएमपीवी पिछले ढाई दशकों से दुनिया भर में मौजूद है. डॉ. बगई ने कहा कि इस वायरस के लिए कोई स्व-चिकित्सा या एंटीवायरल और स्वीकृत टीके नहीं हैं, लेकिन इनमें से किसी की भी आवश्यकता नहीं है.
HMPV से कैसे करें बचाव
मास्क पहनें.
अच्छी हवादार जगहों पर रहें.
स्वच्छता बनाए रखें.
संक्रमित लोगों के संपर्क से बचें.
डॉ. बगई ने कहा, ‘बच्चों को अच्छी तरह से पोषण और हाइड्रेशन देना सुनिश्चित करें. यह कोविड जैसी स्थिति नहीं है. यह वायरस सर्दियों में विशेष रूप से बच्चों में श्वसन संक्रमण को बढ़ाता है.’