बढ़ा खतरा: फेफड़े ही नहीं शरीर के बाकी अंगों पर भी हमला करता है कोरोना वायरस
नई दिल्ली, देश में कोरोना (Coronavirus) की दूसरी लहर का हमला तेज हो गया है. बेलगाम कोरोना के चलते देश में पिछले एक सप्तानह से हर दिन कोरोना के तीन लाख से ज्यानदा नए केस सामने आ रहे हैं. कोरोना की दूसरी लहर में इस बात के संकेत मिले हैं कि वायरस न केवल फेफड़ों (Lungs) पर हमला करता है, बल्कि कोरोना के हमले से शरीर के कई अंग भी प्रभावित होते हैं.
हेल्थ एक्सपर्ट का कहना है कि जैसे-जैसे शरीर पर कोरोना वायरस का हमला बढ़ता है वैसे वैसे ये शरीर के इम्यूभन सिस्टेम को कमजोर करने लगता है और शरीर के अन्य़ अंगों पर हमला करने लगता है. वायरस दूसरे बॉडी पार्ट्स में सूजन पैदा कर रहा है. अगर किसी व्यक्ति को डायबिटीज, हाइपरटेंशन या मोटापे की समस्या है तो फिर कोरोना का शरीर पर असर और ज्यादा होता है.
ऐसे में जरूरी है कि अगर आपको अपनी शरीर में इस तरह की कोई दिक्कीत दिख रही है तो उसे नजरअंदाज करने की भूल न करें...
वायरस दिल पर करता है बड़ा हमला :
जिन लोगों को पहले से हार्ट की बीमारी है या फिर जिनका मेटाबोलकि सिस्टकम खराब है उन लोगों के कोरोना के चपेट में आने का खतरा ज्याजदा होता है. SARs-COV-2 वायरस कोरोना मरीजों के दिल की मांसपेशियों में सूजन बढ़ा देता है. कोरोना पर नजर रखने वाले डॉक्टारों का कहना है कि कोरोना के लगभग एक चौथाई मरीज, जिन्हेंज गंभीर लक्षण के बाद अस्पटताल में भर्ती कराया गया था.
न्यूरोलॉजिकल की बढ़ रही समस्या :
इस बार के कोरोना में कोविड मरीजों में सिर दर्द, चक्क,र आना, धुंधला दिखाई देना जैसे लक्षण सामने आए हैं. JAMA न्यूरोलॉजी में छपी एक स्टडी के मुताबिक, वुहान में अस्पताल में भर्ती 214 में से एक तिहाई कोरोना के मरीजों में न्यूरोलॉजिक लक्षण पाए गए थे. बताया जाता है कि कोरोना का ये असर काफी लंबे समय तक बना रहता है.
किडनी पर हमला कर सकता है वायरस :
कोरोना का असर अगर लंबे समय तक किसी के शरीर में रह जाए तो किडनी की समस्याह बढ़ जाती है. SARS-CoV-2 कोशिकाओं पर बड़ा हमला करता है, जिसकी वजह से किडनी समेत कई अंगो की कोशिकाएं संक्रमित हो जाती हैं. वायरस किडनी में पहुंचने के बाद सूजन कर देता है जिसका असर किडनी के टिश्यू पर भी पड़ता है. इसकी वजह से यूरीन की मात्रा कम हो जाती है.
ब्लड क्लॉट का भी बना रहता है खतरा :
कोरोना की वजह से शरीर में सूजन हो जाती है, जिसकी वजह से कई लोगों में खून के थक्केा बनने लगते हैं. एक्सपर्ट्स का कहना है कि ACE2 रिसेप्टर्स से जुड़ने के बाद SARS-COV-2 वायरस रक्त वाहिकाओं पर दबाव डालता है. इसकी वजह से बनने वाला प्रोटीन ब्लड क्लॉटिंग बढ़ाता है. खून के थक्कें बन जाने के कारण फेफड़ों पर सही मात्रा में खून नहीं पहुंच पाता और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है.