छत्तीसगढ़ पर फिर पड़ा Corona का साया,एक ही दिन में इस जिले में मिले इतने कोरोना मरीज,जानिए किस जिले में कितने एक्टिव केस ?    |    CG CORONA UPDATE : छत्तीसगढ़ में कोरोना के मामलों में बढ़त जारी...जानें 24 घंटे में सामने आए कितने नए केस    |    छत्तीसगढ़ में आज कोरोना के 10 नए मरीज मिले, कहां कितने केस मिले, देखें सूची…    |    प्रदेश में थमी कोरोना की रफ्तार, आज इतने नए मामलों की पुष्टिं, प्रदेश में अब 91 एक्टिव केस    |    CG CORONA UPDATE : छत्तीसगढ़ में कोरोना के मामलों में बढ़त जारी...जानें 24 घंटे में सामने आए कितने नए केस    |    BREAKING : प्रदेश में आज 15 नए कोरोना मरीजों पुष्टि, देखें जिलेवार आकड़े    |    प्रदेश में कोरोना का कहर जारी...कल फिर मिले इतने से ज्यादा मरीज, एक्टिव मरीजों का आंकड़ा पहुंचा 100 के पार    |    छत्तीसगढ़ में मिले कोरोना के 14 नए मरीज...इस जिले में सबसे ज्यादा संक्रमित,कुल 111 एक्टिव केस    |    सावधान : छत्तीसगढ़ में फिर बढ़ रहा कोरोना...जानें 24 घंटे में सामने आए कितने नए केस    |    Corona update: प्रदेश में 2 कोरोना मरीजों की मौत...इलाज के दौरान तोड़ा दम    |

बजट में इस बार क्या कुछ होने की संभावना है?

बजट में इस बार क्या कुछ होने की संभावना है?
Share

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक ऐसे वक़्त में बजट पेश करने जा रही हैं जब जीडीपी ऐतिहासिक संकुचन के दौर में है। इस साल अर्थव्यवस्था में क़रीब 8 फ़ीसद की गिरावट होने की उम्मीद है लेकिन अगले वित्त वर्ष में इसमें 11 फ़ीसद की तेज़ी की संभावना है।

वित्त मंत्री ने कहा है कि महामारी से बर्बाद हुई अर्थव्यवस्था को फिर से उच्च विकास दर की पटरी पर लाने के लिए इस बार का बजट ऐसा होगा जैसा पिछले 100 सालों में नहीं रहा है। उनके इस बयान से कई तरह की अटकलबाज़ियाँ शुरू हो गई हैं। लेकिन भारत की नाज़ुक वित्तीय स्थिति को देखते हुए वित्त मंत्री को उन क्षेत्रों पर सावधानी से ध्यान देना होगा जिन क्षेत्रों में ख़र्चे बढ़े हैं।

किन क्षेत्रों पर हो सकता है फ़ोकस

वित्त वर्ष में बजट का अंतर अनुमानित 3.4 फ़ीसद से बढ़कर सात फ़ीसद से अधिक होगा। हालाँकि ख़राब निजी निवेश की स्थिति को देखते हुए क्या स्वास्थ्य, आधारभूत संरचना और अनौपचारिक सार्वजनिक क्षेत्रों में उदारता के साथ ख़र्च करने की उम्मीद की जा सकती है ताकि आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहन मिले? ऐसा हो भी सकता है।

बैंकों की स्थिति सुधारने के लिए कितना ख़र्च किया जाएगा, इस पर भी फ़ोकस हो सकता है। बैंकों की ख़राब स्थिति को देखते हुए उन्हें फ़ंड की ज़रूरत होगी ताकि वो बाज़ार में नए क़र्ज़ देने की स्थिति में हो। नॉन परफॉर्मिंग एसेट (एनपीए) के 14 फ़ीसद तक बढ़ने की वजह से एक बैड बैंक के निर्माण की भी चर्चा है।

बैड बैंक एक आर्थिक अवधारणा है जिसमें घाटे में चल रहे बैंक अपने देयताओं को नए बैंक को स्थानांतरित कर देते हैं। यह देखना भी महत्वपूर्ण होगा कि क्या राजकोषीय घाटे और महामारी के दौर में बढ़े हुए ख़र्च को देखते हुए अमीरों पर नए टैक्स लगाए जाएंगे।

मनरेगा की तर्ज़ पर शहरी क्षेत्रों में भी रोज़गार गारंटी योजना प्रोग्राम की घोषणा पर सबकी नज़रें रहेंगी।
इसके अलावा क्या देश भर में वैक्सीन प्रोग्राम को लेकर भी किसी फ़ंड की घोषणा हो सकती है? हालांकि इसकी संभावना कम लगती है।

 


Share

Leave a Reply