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क्वारेंटाइन सेंटर्स में खाद्य सामग्री की खरीदी व पीने के पानी में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दावों की धज्जियाँ उड़ीं : शिवरतन शर्मा

क्वारेंटाइन सेंटर्स में खाद्य सामग्री की खरीदी व पीने के पानी में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दावों की धज्जियाँ उड़ीं : शिवरतन शर्मा
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रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता व विधायक शिवरतन शर्मा ने काँकेर ज़िले में क्वारेंटाइन सेंटर्स में खाद्य सामग्री की खरीदी व पीने के पानी में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार किए जाने के सामने आ रहे मामलों के मद्देनज़र प्रदेश सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा है कि भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ बड़ी-बड़ी डींगें हाँकने वाले प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और कांग्रेस के नेताओं के दावों की धज्जियाँ उड़ गई है। श्री शर्मा ने कहा कि बदनीयती, कुनीति और नेतृत्वहीनता के अभिशाप से जूझती प्रदेश की कांग्रेस सरकार हर मोर्चे पर भ्रष्ट और नाकारा साबित हो रही है। श्री शर्मा ने करारा कटाक्ष करते हुए कहा कि अब जाकर साफ हुआ कि प्रदेश सरकार ने क्वारेंटाइन सेंटर्स पर इस तरह 100 करोड़ रुपए खर्च किए हैं, जिसके बारे में बताते हुए मुख्यमंत्री बघेल विधानसभा में सत्तावादी अहंकार का प्रदर्शन कर रहे थे!


भाजपा प्रदेश प्रवक्ता व विधायक श्री शर्मा ने कहा कि सूचना के अधिकार के तहत जो तथ्य इस भ्रष्टाचार के मामले में सामने आए हैं, वे हैरतभरे हैं। काँकेर के इमलीपारा क्वारेंटाइन सेंटर में सब्जी बनाने के लिए 580 रुपए प्रतिकिलो की दर से टमाटर खरीदा जाना यह साबित करने के लिए पर्याप्त है कि शासन-प्रशासन की नाक के नीचे सरकारी धन की कैसी लूट-खसोट मची हुई है! अप्रैल-मई माह में जिन सब्जियों के भाव 05 से 10 रुपए प्रतिकिलो थे, उन सब्जियों के लिए 40-40 रुपए तक का भुगताना दर्शाया गया है। श्री शर्मा ने कहा कि अब जाकर अनुपूरक बज़ट में 500 करोड़ रुपए का प्रावधान करने वाली प्रदेश सरकार को पहले तो यह बताना होगा कि जब प्रदेश सरकार ने इससे पूर्व कोरोना के लिए कोई बज़ट प्रावधान किया ही नहीं था तो ये 100 करोड़ रुपए कहाँ से और किस हिसाब से खर्च किए गए? क्या अब तक प्रदेश सरकार केंद्र से मिली राशि से कोरोना की ज़ंग लड़ रही थी? क्या प्रदेश सरकार इसीलिए बार-बार केंद्र सरकार से पैसे मांग-मांगकर दबाव बना रही थी कि विभिन्न मदों में केंद्र से आने वाले पैसों से इसी तरह घोटालों को अंजाम दिया जा सके? क्या यही वज़ह है कि केंद्र से फिर 325 करोड़ रुपए की मांग करने पर प्रदेश सरकार को दो टूक पूर्व में प्रदत्त राशि 120 करोड़ रुपए का हिसाब देने कह दिया गया और भ्रष्टाचार में आकंठ डूबी प्रदेश सरकार यह हिसाब देने की स्थिति में नज़र नहीं आ रही है। श्री शर्मा ने आशंका जताई कि बज़ट प्रावधान की राशि का भी कहीं यही हश्र तो नहीं होगा?


भाजपा प्रदेश प्रवक्ता व विधायक श्री शर्मा ने कहा कि काँकेर ज़िले के अधिकांश क्वारेंटाइन सेंटर्स में भारी अव्यवस्थाओं के बीच रह रहे 4,737 प्रवासी मज़दूरों पर यात्रा, खाने-पीने और ठहरने का कुल खर्च 1. 67 करोड़ रुपए बताया गया है जबकि प्रदेश के दीग़र क्वारेंटाइन सेंटर्स में प्रति व्यक्ति औसत खर्च 1,021 रु. है और इस मान से काँकेर ज़िले में प्रति व्यक्ति तीन गुना से भी अधिक खर्च बताया गया है। और तो और, बोर का पानी पिलाकर सील बोतल का बिल हिसाब के साथ पेश किया गया है। श्री शर्मा ने कहा कि जिस ज़िले के तक़रीबन 90 फीसदी मज़दूर अपने खर्च से या फिर अपने मालिकों के उपलब्ध वाहन से इन सेंटर्स तक पहुँचे, जिनके लिए भोजन भी मज़दूरों के घर से मंगाया जाता था, उस ज़िले में खर्च की गई राशि का यह ब्योरा प्रदेश सरकार को बेनक़ाब करने के लिए पर्याप्त है। श्री शर्मा ने कहा कि कोरोना की रोकथाम के नाम पर प्रदेश सरकार के संरक्षण में शुरू से ही भ्रष्टाचार का यह खेल चल रहा है। सेनिटाइजेशन के लिए चूना के बजाय कई बोरियों में हुई मिट्टी की आपूर्ति का मामला इसी भ्रष्टाचार का एक काला अध्याय है। कंटेनमेंट ज़ोन तक में लोगों को या तो खाद्य सामग्रियों के लाले पड़े रहे या फिर उन्हें सड़ा हुआ कीड़ायुक्त अनाज दिया गया। श्री शर्मा ने कहा कि कोरोना के ख़िलाफ़ जंग में प्रदेश सरकार को कोई दिलचस्पी नहीं है और वह इस आपदा काल को भ्रषटाचार के जरिए अपनी जेब गर्म करने के अवसर के तौर पर भुनाने में लगी है। यही कारण है कि प्रदेश कोरोना संक्रमण के अपने विस्पोटक स्तर पर खड़ा है और सरकार मानसिक तौर पर इसे रोकने के लिए क़तई तैयार नहीं है।
 


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