छठे दिन होती है मां कात्यायनी की आराधना, जाने मंत्र, भोग...
रायपुर : चैत्र नवरात्र पर देवी मंदिरों में श्रद्धा, उल्लास का माहौल है। गुरुवार को सुबह रायपुर के महामाया मंदिर, काली मंदिर, चामुंडा मंदिर समेत अनेक मंदिरों में छठे दिन ब्रम्ह मुहूर्त में माता के छठे रूप कात्यायनी की पूजा की गई। अभिषेक के बाद श्रृंगार किया गया। सुबह आरती में भी भक्त पहुंचे।
माता कात्यायनी ने ही किया था शुम्भ निशुम्भ का वध
ऐसी मान्यता है कि कात्यायन नाम के ऋषि की बेटी होने के कारण मां को कात्यायनी कहा जाता है। कात्यायनी माता ने ही महिषासुर और शुंभ-निशुंभ जैसे राक्षसों का वध किया था। देवी कात्यायानी की पूजा करने से शत्रुओं पर विजय की प्राप्ति होती है। साथ ही मां संतान प्राप्ति का भी वरदान प्रदान करती है।
ऐसे करें पूजा
पूजा घर में मां की प्रतिमा की स्थापना करके गंगा जल से आचमन करें। इसके बाद मां को रोली, अक्षत से अर्पित कर धूप, दीप से पूजन करें। मां कात्यायानी को गुड़हल या लाल रंग का फूल चढ़ाना चाहिए। मां को चुनरी और सुहाग सामग्री अर्पित करना चाहिए। इसके बाद दुर्गा सप्तशती, कवच और दुर्गा चालीसा का पाठ करें। पूजन के बाद मां की आरती करें।
शहद का लगाएं भोग
मां कात्यायनी को पूजन में शहद का भोग लगाएं। ऐसा करने से मां प्रसन्न होती हैं और आपकी सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करती हैं।
कात्यायनी मंत्र का करें जाप :
मां कात्यायनी के मंत्र का जाप लाल चंदन की माला या फिर रुद्राक्ष की माला से करें। जाप करने के बाद माला को गले में धारण कर लें। मंत्र "ॐ कात्यायिनी देव्ये नमः। या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥ कात्यायनी महामाये, महायोगिन्यधीश्वरी।