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इस जेल से बाहर नहीं आना चाहते कैदी, पेरोल लेने से कर दिया इनकार, जानें क्यों

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कोरोना वायरस की दूसरी लहर के बीच जेलों में संक्रमण रोकने के लिए सरकार ने बंदियों को घर जाने के लिए पैरोल दिया तो गोरखपुर जेल में बंद दो कैदियों ने घर जाने से ही मना कर दिया। पैरोल ठुकराते हुए उन्होंने जेल प्रशासन को बताया कि पिछले साल का अनुभव बेहद खराब रहा। अब वह सजा पूरी करके ही घर जाना चाहते हैं। इस महामारी में वह घर से अच्छा तो जेल को ही मान रहे हैं। दरअसल, पिछली बार भी इन्हें पैरोल मिला था और यह घर गए थे। बाद में ये एक माह बाद पुलिस की मदद से वापस जेल लौट थे। दोबारा वह घर नहीं जाना चाहते हैं।
प्रदेश के सभी जेलों में पिछली बार की तरह इस बार भी भीड़ कम करने के लिए 2152 कैदियों को आठ हफ्ते पैरोल देने की व्यवस्था बनाई गई है। इस बार जब यह फरमान गोरखपुर जेल में पहुंचा तो सजायाफ्ता बंदी उषा व हरिशंकर ने घर जाने से इंकार कर दिया। चूंकि ये दोनों पिछली बार घर जाने के बाद लेट से जेल पहुंचे थे। गोरखपुर जेल में बंद उरुवा थानाक्षेत्र के शमदपुर टोला जगदीशपुर की रहने वाली उषा देवी (61) पत्नी सम्हारू, 2011 में दहेज हत्या के आरोप में जेल आई। 9 अक्तूबर 2015 को कोर्ट से 7 साल की सजा हुई। बड़हलगंज के मामखोर निवासी हरिशंकर (49) पुत्र गुलाब शुक्ला वर्ष 2007 में गैर इरादतन हत्या के प्रयास के आरोप में छह साल की सजा हुई।
सर्वोच्च न्यायालय में अपील खारिज होने के बाद दूसरी बार 2017 में फिर जेल पहुंचे। तभी से सजा काट रहे। दोनों की सजा आधी से अधिक पूरी हो चुकी है। प्रदेश के कुल 21 कैंदियों ने इस बार पैरोल पर जाने से मना कर दिया है। वहीं इस वर्ष 12 कैंदियों को पैरोल व 150 बंदियों को अंतरिम जमानत पर रिहा किया गया है। वहीं पिछले वर्ष 26 कैदी पैरोल व 250 से ज्यादा बंदी अंतरिम जमानत पर बाहर गए थे। वरिष्ठ जेल अधीक्षक डॉ रामधनी ने बताया कि दो सजायाफ्ता कैदियों ने पैरोल पर जाने से मना किया है।
 


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