जानकारी न देने पर जनसूचना अधिकारी को 25-25 हजार रूपए जुर्माना
महासमुंद। लोकतांत्रिक व्यवस्था में सरकार एवं प्रशासन की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता एवं जिम्मेदारी को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 प्रभावशील है। बाबजूद जानकारी छुपाने में लगे है। छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग ने आरटीआई कार्यकर्ता विनोद कुमार दास के प्रकरण में दो जनसूचना अधिकारी को पच्चीस-पच्चीस हजार रूपए का जुर्माना और अपीलार्थी को क्षतिपूर्ति राशि पांच-पांच सौ रूपए देने का आदेश पारित किया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार ग्राम पंचायत परघिया सरायपाली में वर्ष 2017 एवं ग्राम पंचायत बरेकेल में विनोद दास ने वर्ष 2018 में सूचना का अधिकार के तहत जानकारी मांगा था। निर्धारित समयसीमा पर जानकारी दस्तावेज प्राप्त नही होने से अपीलार्थी ने जनपद पंचायत पिथौरा कार्यालय में प्रथम अपील प्रस्तुत किया। प्रथम अपील में सुनवाई के पश्चात दोनों जनसूचना अधिकारी को अपीलार्थी को वांछित दस्तावेज देकर पालन प्रतिवेदन प्रस्तुत करने का आदेश पारित हुआ। मुख्य कार्यपालन अधिकारी जपं पिथौरा के आदेश का पालन नहीं किया गया। अपीलार्थी को जानकारी नहीं दी। अपीलार्थी ने इन दोनों जनसूचना अधिकारी के विरूद्व छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग में द्वितीय अपील प्रस्तुत किया। तात्कालीन सूचना आयुक्त ए.के. सिंह ने द्वितीय अपील प्रकरण की सुनवाई की। 16 मई 2019 को बरेकेल ग्राम पंचायत की जनसूचना अधिकारी सह सचिव सेेतकुमारी माछू और ग्राम पंचायत परघिया सरायपाली के जनसूचना अधिकारी सह सचिव अरूण बुड़ेक को 30 दिवस के भीतर अपीलार्थी को मांगी गई दस्तावेज देने का आदेश पारित किया। सूचना आयुक्त के आदेश का भी पालन दोनो जनसूचना अधिकारी ने जानबूझकर नहीं किया। मुख्य सूचना आयुक्त एमके राउत ने 02 दिसम्बर 2019 को द्वितीय अपील में अंतिम पारित आदेश में दोनो जनसूचना अधिकारी को जानकारी ना प्रदाय करने एवं आयोग में कोई जबाब प्रस्तुत नहीं करने पर 25-25 हजार रूपए अर्थदण्ड का आदेश दिया। साथ ही अपीलार्थी को पांच-पांच सौं रूपए क्षतिपूर्ति राशि भी देने का आदेश है। मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत महासमुन्द को निर्देशित किया गया है कि इन दोनों जनसूचना अधिकारी के वेतन से 25-25 हजार रूपए काटकर 'मुख्य शीर्ष 0070 अन्य प्रशासनीक सेवायें, उप मुख्य शीर्ष(60)अन्य सेवायें,लघु शीर्ष(118) सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के अधीन प्राप्तियां शासकीय कोष में जमा कर आयोग को अवगत कराये।