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शा. दू.ब.महिला महाविद्यालय, रायपुर में राज्यस्तरीय वेबीनार स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम का "मानो या ना मानो" आयोजन

शा. दू.ब.महिला महाविद्यालय, रायपुर में राज्यस्तरीय वेबीनार स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम का "मानो या ना मानो" आयोजन
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रायपुर, श्रद्धा एवं विश्वास ये ऐसे शब्द है जिनको अपना कर हम अपने जीवन को सुखी एवं आंनदमय बना सकते हैं, किन्तु जब इन्हीं शब्दों के आगे "अंध" जुड़ जाता है जिसका अर्थ है बिना सोचे समझे और जाने बिना तर्क के किसी चीज पर आंख मूंदकर विश्वास करना। श्रद्धा जहां सकारातमक है तो अंधश्रद्धा पूर्णतनकारात्मक।
हमारी परम्पराओं , संस्कृति एवं धर्म में ना जाने कितनी ही मान्यताएं हैं जिनका हम बिना विचारे पीढ़ियों से अनुसरण किए जा रहे हैं कुछ मान्यताएं सही हो सकती है तो कुछ गलत।
कौन सी धारणाएं या मान्यताएं सही है और किन मान्यताओं को माना जाए और किन्हें वक्त के साथ छोड़ दिया जाए। इन्हीं कुछ सवालों के समाधान हेतु शासकीय दू.ब. महिला स्नात. स्वशासी महाविद्यालय, रायपुर के स्ववित्तीय पाठयक्रम फैशनडिजाइनिंग (गृहविज्ञान), आईक्यूएसी, मनोविज्ञान और समाजशास्त्र के संयुक्त तत्वाधान में लाईफस्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया ..
जिसका विषय था- अंधश्रद्धा एवं उसके दुष्परिणाम
"मानो या ना मानो"
अपनी सोच को एक नई दिशा देने हेतु आज दिनाँक 01अगस्त 2021 को शा. दू.ब. महिला महाविद्यालय, रायपुर में राज्यस्तरीय वेबीनार के तहत स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम में “मानो या ना मानो“: अंधश्रधा एवं उसके दुष्परिणाम विषय पर डॉ दिनेश मिश्रा जी का व्याखायान संपन्न हुआ।
कार्यक्रम का प्रारंभ आदरणीय प्राचार्य डॉ श्रधा गिरोलकर मैडम एवं महाविद्यालय की IQAC प्रभारी डॉ उषाकिरण अग्रवाल के संबोधन से हुआ। प्रमुख वक्ता डॉ दिनेश मिश्रा जी, नेत्ररोग विशेषज्ञ व अध्यक्ष अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति, जिनका परिचय डॉ मनीषा महापात्र ने दिया और उन्हें व्याख्यान के लिए आमंत्रित किया।
डॉ मिश्रा ने अपने अनुभव और अपनी समिति द्वारा किए गए कार्यों के माध्यम से अंधश्रधा के विषय में विस्तृत जानकारी प्रदान की, साथ ही इस कुरीति से जुड़े विभिन्न कानून की जानकारी भी उपलब्ध कराई।
डॉ मिश्रा को सुन कर एवं उनके अनुभवों का लाभ लेकर हम अपने मन की कई भ्रांतियों को दूरकर एक नई सोच के साथ आगे बढ़ सकते हैं।
कार्यक्रम के अंत में डॉ ऋचा शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम का तकनीकी संचालन डॉ ऋचा टिकरिहा, ऋचा ताम्रकार एवं सावित्री सप्रे ने किया और कार्यक्रम का संचालन डॉ शिप्रा बैनर्जी ने किया।

 

 


 


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