रायपुर। शासकीय दू.ब.महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय रायपुर के स्ववित्तीय पाठयक्रम फैशन डिजाइनिंग और आई.क्यू.ए.सी. के साथ श्रीमती पी.जी.डागा गर्ल्स कॉलेज व मिनीमाता शासकीय महिला पॉलीटेकनिक राजनॉदगॉव के सन्युक्त तत्वाधान में यह 15 दिवसीय/ 30 घंटे का कोर्स दिनॉक 12 जुलाई 2021 को महविद्यालय की आदरणीय प्राचार्य डॉ श्रध्दा गिरोलकर मैडम के शुभकामना संदेश एवम प्राचार्य श्रीमती पी.जी.डागा कॉलेज,रायपुर सम्माननीय डॉ शिखा मित्रा, के उदबोधन के साथ प्रारम्भ हुआ. प्राचार्य द्वय ने इस वेल्यू एडेड कोर्स के लिए छात्राओ का उत्साहवर्धन किया और उन्हे अपनी शुभकामनाए प्रेषित की.कार्यशाला में कुल 155 छात्राओ ने रजिस्ट्रेशन कराया है।
यह कोर्स दिनॉक 12.07.2021 से 26.07.2021 तक 16 से 20 वर्ष की छात्राओ के लिए आयोजित की गई थी.कुल 15 दिन चले इस कोर्स में प्रत्येक दिवस छात्राओ को एक नए विषय में उस विषय के विशेषज्ञो द्वारा विषय से सम्बंधित जानकारी प्रदान की गई.
विशेषज्ञ के रूप में हमारे साथ डॉ अपूर्बा मित्रा , डॉ सविता चौधरी, डॉ सरिता जोशी, श्रीमती सावित्री रानी, श्रीमती अंजली जैन, ऋचा ठाकुर, डॉ हुमिका ताम्रकार , सावित्री सप्रे व ऋचा ताम्रकार जुडे और कोर्स के अंतिम दिवस पर छात्राओ ने अपने प्रेजेंटेशन एवम फीड बैक दिए।
इस वेल्यू एडेड कोर्स का मुख्य उद्देश्य हमारी छात्राओ को भारतीय वेशभूषा व उनके गौरवशाली इतिहास से परिचय कराना था. काश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक हमारे भारतीय वस्त्रो के इतिहास की जानकारी देने के साथ-साथ प्राचीन काल से वर्तमान तक कैसे और क्या परिवर्तन हुए , उनसे छात्राओ को अवगत कराया गया.
वस्त्रो पर परम्परागत रूप से रंगाई व छपाई के साथ प्राचीन काल में वस्त्रो का निर्माण कैसे होता था और इसमे वर्तमान में क्या बदलाव हुए
प्राचीन काल में परिधान व साडियो के साथ कैसी एसेसरीज उपयोग में लाते थे और वर्तमान में किन एसेसरीज का उपयोग होता है
भारत के अलग-अलग राज्यो में अलग परिधानो के प्रयोग और उसमे समय के साथ परिवर्तन
रेडीमेड परिधानो का इतिहास व वर्तमान में चलन व आवश्यकता
हाथकरघा से बने वस्त्र व उद्योग
भारत में साडी का इतिहास
छत्तीसगढ के आर्ट व क्रॉफ्ट
शारीरिक आकार के अनुरूप प्राचीन व वर्तमान महिलाओ के परिधान ,
एतिहासिक परिधान
छत्तीसगढ के गोदना शिल्प का वस्त्रो पर प्रयोग विषयो पर व्याख्यान के साथ विषय से हटकर एक अन्य विषय को शामिल किया गया जिसमे चिकित्सा के क्षेत्र में उपयोगी वस्त्र और प्री नेटल व पोस्ट नेटल केयर पर भी व्याख्यान रखा गया व चर्चा की गई .
आज दिनॉक 26.07.2021 को 15 दिवसीय अर्थात कुल 30 घंटे तक चले इस वेल्यू एडेड कोर्स का समापन हुआ. कार्यशाला का सन्योजन और संकल्पना डॉ शिप्रा बैनर्जी ने किया. हमारे साथ डॉ सविता चौधरी राजनॉदगॉव से जुडी. इस कार्यशाला की टेकनीकल हेड सावित्री सप्रे व ऋचा ताम्रकार थी जिन्होने अपने कार्य को बहुत अच्छी तरह से सम्पन्न किया।