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भगवान श्रीकृष्ण के ये 5 खास मंदिर जहां के दर्शन करने से होगा उद्धार

भगवान श्रीकृष्ण के ये 5 खास मंदिर जहां के दर्शन करने से होगा उद्धार
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संपूर्ण भारत में भगवान श्रीकृष्ण के वैसे तो कई मंदिर है परंतु 5 ऐसे खास मंदिर है जो उनके जीवन में खास महत्व रखते हैं।


1. मथुरा जन्मभूमि का मंदिर : श्रीकृष्ण का जन्म उत्तर प्रदेश की प्राचीन नगरी मथुरा के कारागार में हुआ था। उस स्थान पर वर्तमान में एक हिस्से पर मंदिर और दूसरे पर मस्जिद बनी हुई है। सबसे पहले ईस्वी सन् 1017-18 में महमूद गजनवी ने मथुरा के समस्त मंदिर तुड़वा दिए थे। तभी से यह भूमि भी विवादित हो चली है।

2.गोकुल का मंदिर : भगवान कृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ था। उनका बचपन गोकुल, वृंदावन, नंदगाव, बरसाना आदि जगहों पर बीता। गोकुल मथुरा से 15 किलोमीटर दूर है। यमुना के इस पार मथुरा और उस पार गोकुल है। कहते हैं कि दुनिया के सबसे नटखट बालक ने वहां 11 साल 1 माह और 22 दिन गुजारे थे। वर्तमान की गोकुल को औरंगजेब के समय श्रीवल्लभाचार्य के पुत्र श्रीविट्ठलनाथ ने बसाया था। गोकुल से आगे 2 किमी दूर महावन है। लोग इसे पुरानी गोकुल कहते हैं। यहां चौरासी खम्भों का मंदिर, नंदेश्वर महादेव, मथुरा नाथ, द्वारिका नाथ आदि मंदिर हैं। संपूर्ण गोकुल ही मंदिर है।


3.वृंदावन का मंदिर : मथुरा के पास वृंदावन में बांके बिहारी का प्रसिद्ध मंदिर स्थित है। यह भारत के प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। यहीं पर प्रेम मंदिर भी मौजूद है और यहीं पर प्रसिद्ध इस्कॉन मंदिर भी है जिसे 1975 में बनाया गया था। यहां विदेशी श्रद्धालुओं की भी अच्छी-खासी तादाद है जो कि हिन्दू हैं। इसी बृज क्षेत्र में गोवर्धन पर्वत भी है जहां श्रीकृष्ण से जुड़े अनेक मंदिर है।


4.द्वारिका का मंदिर : मथुरा को छोड़कर भगवान श्रीकृष्ण गुजरात के समुद्री तट स्थित नगर कुशस्थली चले गए थे। वहां पर उन्होंने द्वारिका नामक एक भव्य नगर बसाया। यहां भगवान श्रीकृष्ण को श्री द्वारकाधीश कहा जाता है। वर्तमान में द्वारिका 2 हैं- गोमती द्वारिका, बेट द्वारिका। गोमती द्वारिका धाम है, बेट द्वारिका पुरी है। बेट द्वारिका के लिए समुद्र मार्ग से जाना पड़ता है। द्वारकाधीश मंदिर के अलावा आप गुजरात के दाकोर में स्थित रणछोड़राय मंदिर के दर्शन भी कर सकते हैं। हालांकि गुजरात में श्रीकृष्ण के और भी मंदिर है।


5.श्रीकृष्ण निर्वाण स्थल : गुजरात स्थित सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के पास प्रभास नामक एक क्षेत्र है जहां पर यदुवंशियों ने आपस में लड़कर अपने कुल का अंत कर लिया था। वहीं एक स्थान पर एक वृक्ष ने नीचे भगवान श्रीकृष्ण लेटे हुए थे तभी एक बहेलिए ने अनजाने में उनके पैरों पर तीर मार दिया जिसे बहाना बनाकर श्रीकृष्ण ने अपनी देह छोड़ दी।

प्रभास क्षेत्र काठियावाड़ के समुद्र तट पर स्थित बीराबल बंदरगाह की वर्तमान बस्ती का प्राचीन नाम है। यह एक प्रमुख तीर्थ स्थान है। यह विशिष्ट स्थल या देहोत्सर्ग तीर्थ नगर के पूर्व में हिरण्या, सरस्वती तथा कपिला के संगम पर बताया जाता है। इसे प्राची त्रिवेणी भी कहते हैं। इसे भालका तीर्थ भी कहते हैं।

 


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