एनीमिया मुक्तु भारत अभियान के तहत डाटा मैनजर व डाटा एंट्री ऑपरेटरों को दिया गया प्रशिक्षण
रायपुर,एनिमिया मुक्त भारत के तहत रायपुर संभाग के अंतर्गत स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग और महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला डाटा मैनेजर व डाटा एंट्री ऑपरेटरों का एक दिवसीय उन्न्मुखीकरण प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। राजधानी के कालीबाड़ी स्थित टीबी अस्पताल के हॉल में आज संभाग के सभी पांचों जिलों रायपुर, बलौदाबाजार, गरियाबंद, महासमुंद, धमतरी के डाटा एंट्री ऑपरेटरों को प्रतिवेदन की रिपोर्टिंग और पोषण अभियान पोर्टल में ऑनलाइन डाटा एंट्री करने को लेकर उन्मुखीकरण कार्यक्रम तहत जानकारी दी गई। इस मौके पर सीएमएचओ डॉ श्रीमती मीरा बघेल ने बताया, एनीमिया के कारण होने वाले मातृ मृत्यु दर एवं शिशु मृत्यु दर में बढोत्तरी हो रही है। इस लिए एनीमिया से निजात दिलाने के लिए प्रदेश में एनीमिया मुक्त भारत अभियान चलाया जा रहा है। उन्होंने सभी सरकारी व सरकारी अनुदान प्राप्त स्कूलों के शिक्षक, 5 से 19 वर्ष के किशोर-किशोरियों व महिलाओं को आयरन की गोलियों के उपयोग, वितरण और उसके महत्व के बारे में भी जागरुक किया जा रहा । इस अभियान में गर्भवती महिला जो 4 से 9 माह की और शिशुवती माताएं जिनके शिशु की उम्र एक माह से छह माह तक के सभी को आयरन की खुराक दी जायेंगी।
स्वास्थ्य विभाग के डॉ ए.डी. माहपात्रा ने कहा, एनीमिया हर आयु वर्ग को प्रभावित करता है। इसकी वजह से गर्भवती महिलाओं में मृत्यु दर और कम वजन के नवजात होने की संभावना ज्याता होती है। किशोर-किशोरियों में एनीमिया की वजह से किसी काम में मन का न लगना व सुस्ती आदि की दिक्कतें बढ़ जाती हैं। प्रशिक्षण के दौरान अतुल कुलश्रेष्ठ ने बताया, पोषण अभियान के तहत पोर्टल में सही डाटा एंट्री होने से कार्यक्रम में सकारात्मक लक्ष्य हासिल हो सकेगा। इस अभियान के तहत सामुहिक रुप से प्रयास होना जरुरी है। एनीमिया की दर में कमी लाने हेतु केन्द्र सरकार ने देशव्यापी पोषण अभियान की शुरूआत की है। इसके तहत आईसीडीएस, चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, पंचायती राज, शिक्षा विभाग सहित कई विभाग मिलकर मिलकर काम कर रहे हैं। एनीमिया-मुक्त भारत अभियान में डिजिटल हिमोग्लोबिना मीटर द्वारा रक्त जांच कर उपचार किया जायेगा। प्रशिक्षण में शिक्षा विभाग से स्कूलों में मध्यान भोजन के रिपोर्ट को एंट्री करने वाले ऑपरेटर, स्वास्थ्य विभाग के जिला डाटा प्रबंधक व आईसीडीएस के पर्यवेक्षकों को साप्ताहिक रिपोर्टिंग प्रणाली की जानकारी दी गई। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अपने रजिस्टर में एंट्री करने के बाद कलस्टर, पर्यवेक्षक और सीडीपीओ के बाद बीएमओ को रिर्पोट सौंपेंगे। बीएमओ से डीपीओ के माध्यम होते हुए रिपोर्ट सीएमएचओ को पहुंचेगी। इसी तरह स्कूलों से संकुल में रिपोर्ट को बीईओ दफ़तर में एकत्रित किया जाएगा। बीईओ अपनी रिपोर्ट बीएमओ को सीएमएचओ और डीईओ को भेजेंगे। सीएमएचओ जिले से अपनी रिपोर्ट को स्टेट नोडल अधिकारी को भेजेंगे।
न्यूट्रेशन इंटरनेशल संस्था की ओर से प्रशिक्षण में डॉ. मिनाक्षी ने एनीमिया मुक्त अभियान के तहत विटामिन-ए एवं फोलिक एसिड के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा महिलाएं एवं किशोरियां खून की कमी से ज्यादा ग्रसित रहती हैं। विशेषकर ग्रामीण इलाकों में महिलाएं जानकारी के अभाव में तथा पोषक तत्वों की मकीम की वजह से एनीमिया की शिकार हो रहीं हैं। इसके लिए सामुदायिक स्तर पर जन-जनजागरुकता में गति लाने की जरुरत है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व मितानीन द्वारा अपने फिल्ड भ्रमण के दौरान आयरन युक्त भोजन और गोली लेने की जानकारी प्रदान करना चाहिए। हरी पत्तेदार सब्जियों , मुनगा के फल व पत्ते , पालक, मेथी , सोयाबीन सभी में आयरन पाया जाता है। आयरन की कमी को भोजन और गोली के खुराक से शरीर में हिमोग्लोबीन की कमी को दूर किया जा सकता है। गर्भवती व शिशुवती को प्रति दिन एक लाल गोली और 10 से 19 आयु वर्ग के किशोर व किशोरियों को एक हप्ते में एक नीली गोली दिया जाना है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, मितानीन और एएनएम की भूमिका महत्तवपूर्ण है। इसके अलावा डटा रिपोर्टिंग के लिए स्कूल के नोडल शिक्षक, पर्यवेक्षक व स्वास्थ्य विभाग के डाटा ऑपरेटरों द्वारा सही जानकारी ही एनिमिया मुक्त अभियान को सफल बना सकती है।
आंकडों के अनुसार प्रदेश में लक्ष्य –
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 वर्ष 2015-16 के अनुसार राज्य में 6 माह से 59 माह के 37.60 प्रतिशत बच्चे कुपोषण व 15 से 49 वर्ष की 41.50 प्रतिशत बेटियां और माताएं एनीमिया से पीड़ित हैं।
स्वास्थ्य विभाग की ओर से एनिमिया मुक्त भारत के लिए छत्तीसगढ़ के सभी 27 जिलों में 6 माह से 59 माह के बच्चों की संख्या 27 लाख है। वहीं 10 से 19 आयु वर्ग के किशोरियों की संख्या 11 लाख व किशोरों की संख्या 10 लाख है। प्रदेश में गर्भवती महिलाओं की संख्या 8 लाख व शिशुवती महिलाएं 7 लाख हैं।