नए बिल को लेकर विधानसभा में जमकर मचा हंगामा: पर्दा गिरते ही बरसने लगी लाठियां, चलने लगे घूंसे-थप्पड़
पटना। 23 मार्च की तारीख विधानसभा सत्र के इतिहास में काले अध्याय के रूप में जानी जाएगी। देश के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ कि सदन के अंदर पुलिस बुलाई गई, एसपी और डीएम ख़ुद विधायकों को बाहर करने का काम कर रहे थे। इस दिन को `काला दिन` के रूप में देश की जनता याद रखेगी। अब तक आपने मंच पर यह देखा और सुना होगा कि पर्दा गिरा और खेल खत्म। लेकिन, बिहार विधानसभा में मंगलवार को इसके बिल्कुल उलट हुआ। यहां पर्दा गिरा और खेल शुरू हो गया। दरअसल, मंगलवार को बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक 2021 के विरोध में आरजेडी के कार्यकर्ताओं ने पहले पटना की सड़कों पर कोहराम मचाया और फिर इस विरोध की आग सदन तक पहुंच गई।
विपक्ष के ऐसे हंगामे के बावजूद भी सत्ता पक्ष बिल पास कराने पर अड़ा हुआ था। प्रस्ताव पास करने के लिए सदन की बैठक कई बार शुरू करने की कोशिश हुई। लेकिन विपक्षी विधायकों ने स्पीकर को बैठक में भाग लेने से रोकने के लिए उनके चेंबर के सामने ही धरना शुरू कर दिया।
आम दिनों की तरह मंगलवार सुबह 11 बजे सदन की कार्यवाही शुरू हुई, लेकिन पांचवी बार जब 4.30 बजे सदन की कार्यवाही शुरू करने के लिये घंटी बजी उसी वक्त विपक्ष के तमाम विधायक विधानसभा अध्यक्ष के दरवाजे पर पहुंच गये और उन्हें एक तरह से बंधक बना लिया। विपक्ष सदस्यों के विरोध के बाद सदन 12 बजे तक के लिये स्थगित हो गया। पुलिस विधेयक को लेकर विपक्ष के हंगामे की वजह सदन दिन में चार बार स्थगित हुआ।सदन की कार्यवाही के लिए विधानसभा की घंटी काफी देर तक बजती रही, लेकिन अध्यक्ष सदन के अंदर नहीं पहुंचे, ऐसे में विधानसभा में तैनात मार्शल विधानसभा अध्यक्ष के गेट पर पहुंचे और विपक्षी विधायको को समझाने की कोशिश की लेकिन तब तक मामला बिगड़ चुका था। ऐसे में विधानसभा अध्यक्ष को आनन-फानन में पटना डीएम और एसएसपी को बुलाना पड़ा। वरीय अधिकारियों के पहुंचने के बाद अध्यक्ष को छुड़ाया गया। इससे पहले विधायकों और वरीय अधिकारीयो में नोकझोंक भी हुई। इसके बावजूद पुलिस विधेयक का विरोध कर रहे विधायक हटने के लिए तैयार नहीं थे।
बिगड़ते हालात के मद्देनर विधानसभा में भारी पुलिस बल की तैनाती की गई। विपक्ष के विधायक विधानसभा अध्यक्ष के गेट में रस्सी बांधकर जहां उन्हेंी बंधक बनाकर बैठे थे, वहीं बिल्कुल पास में बड़ा ग्रिल लगा है। पहले पटना एसएसपी और पटना डीएम ने विधायकों को मनाने की पूरी कोशिश की। लेकिन
पुलिस और प्रशासन के सदन में आते ही विपक्षी विधायकों का प्रदर्शन उग्र हो गया। विधायकों के साथ हाथापाई शुरू हुई और विधानसभा के मार्शल उन्हें घसीट-घसीट कर बाहर ले जाने लगे। ऐसे में विधानसभा अध्यक्ष के गेट के सामने बड़े ग्रिल पर लगे पर्दे को पहले पुलिस ने गिराया, और फिर क्या था। बिहार में लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिर की गरिमा तार-तार हो गई। विधायकों पर लात-घूसे, थप्पड़ और डंडे की बरसात हो गई। इसी दौरान पुलिस ने विधायकों को घसीट-घसीट कर बाहर फेंकना शुरू कर दिया. जिसमें किसी के हाथ में चोट आई तो किसी का पैर में तो किसी के पीठ और गाल लाल हो गए।
पुरुष विधायकों के साथ पुलिस का ऐसा बर्ताव देखकर विपक्षी महिला विधायक भी स्पीकर की कुर्सी के पास पहुँचकर प्रदर्शन करने लगीं। फिर महिला पुलिस बलों ने उन्हें ज़बरन घसीटकर बाहर किया। पुरुष विधायकों में राजद के सुधाकर सिंह, सीपीआईएम के सत्येंद्र कुमार, राजद के सतीश दास के साथ-साथ महिला विधायक प्रतिमा कुमारी और अनीता देवी को गंभीर चोटें लगी हैं।
विधायकों की पिटाई की घटना होने के बाद सदन एक बार फिर से शुरू हुआ। लेकिन, विपक्ष इस बार सदन से वॉकआउट कर गया। हालाँकि, बिना विपक्ष के मौजूदगी के ही नए पुलिस विधेयक को सदन से पास करा लिया गया।