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Corona की तीसरी लहर का पीक कब? जानें क्या कहते हैं एक्सपर्ट

Corona की तीसरी लहर का पीक कब? जानें क्या कहते हैं एक्सपर्ट
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देश मे एक लंबे वक्त के बाद एक दिन में एक लाख से ज्यादा कोरोना के नए केस सामने आए हैं. पिछले 24 घंटो में 1 लाख 17 हज़ार 100 नए संक्रमण के मामले सामने आए हैं. केस काफी तेजी से बढ़ रहे हैं लेकिन ऐसा कब तक होगा और भारत में कोरोना की तीसरी लहर का पीक कब आएगा? इंडियन पब्लिक हेल्थ एसोसिएशन के अध्यक्ष और कम्युनिटी मेडिसीन के डॉ संजय राय के मुताबिक, भारत में अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग समय में केस बढ़ेंगे और उसी हिसाब से पीक आएगा. पूरे भारत का पीक फरवरी के महीने में आने की संभावना है.
28 दिसंबर को भारत मे 6,538 नए कोरोना के मामले रिपोर्ट हुए और केस पॉजिटिव रेट 0.61% थी. इसके बाद-
- 1 जनवरी को 22,775 नए मामले सामने आए और केस पॉजिटिव रेट 2.05% थी.
- 2 जनवरी को 27,553 नए मामले सामने आए और केस पॉजिटिविटी रेट 2.48% थी.
- 3 जनवरी को 33,750 नए मामले सामने आए औए केस पॉजिटिव रेट थी 3.84%.
- 4 जनवरी को 37,379 कोरोना संक्रमण के मामले सामने आए और केस पॉजिटिव रेट 3.24% थी.
- 5 जनवरी को 58,097 नए मामले सामने आए और केस पॉजिटिविटी रेट 5.03% हो गई.
- 6 जनवरी को 90,928 नए मामले सामने आए और केस पॉजिटिव रेट 6.43% है.
- 7 जनवरी 1,17,100 नए केस.
हर दिन कोरोना के मामले और पॉजिटिव रेट बढ़ रहे हैं. कुछ वैसे ही जैसे पहली और दूसरी लहर में हुआ था. लेकिन पीक के बाद केस कम होने लगे. अभी जिस तरह से केस बढ़ रहे हैं ये तीसरी लहर की तरफ इशारा कर रहे हैं. ऐसे में अगर तीसरी लहर आती है तो इसका पीक कब आएगा.
इंडियन पब्लिक हेल्थ एसोसिएशन के अध्यक्ष और एम्स में कम्युनिटी मेडिसीन के डॉ संजय राय के मुताबिक, कुछ भी हम कर लें केस को रोक पाना संभव नहीं है. उन्होंने कहा कि दुनिया का कोई देश नहीं रोक पा रहा है और कोई भी एक्शन चाहे लॉकडाउन लगाना या नाईट कर्फ्यू लगाना, इससे रफ्तार स्लो हो सकती है लेकिन रोक नहीं सकते हैं.
उन्होंने कहा कि हर देश में इंफेक्शन रेट अलग अलग है क्योंकि ये पुरानी इम्युनिटी पर निर्भर करता है कि पहले कितनी इम्युनिटी हो चुकी है. जो अभी तक का एविडेंस है की सबसे इम्युनिटी नेचुरल इंफेक्शन से है. दिल्ली मुम्बई में इंफेक्शन काफी ज्यादा था तो यहां पीक जल्दी आना चाहिए और वो महीने के अंत तक प्लस माइनस 10 दिन हो सकता है.
डॉक्टर संजय राय ने बताया कि ग्रामीण इलाकों में थोड़ा इंफेक्शन स्लो होता है तो उसको देखकर लगता है इसकी संभावना की जा सकती है कि फरवरी मध्य से फरवरी के आखिर तक आ जाना चाहिए. अलग-अलग इलाकों अलग-अलग राज्य में अलग पीक आएगा लेकिन हिंदुस्तान का पीक वो फरवरी के आसपास आना चाहिए.
बता दें कि भारत मे कोरोना की पहली लहर में सबसे ज्यादा केस एक दिन में 17 सिंतबर 2020 को आए थे. उस दिन 97,894 मामले दर्ज किए गए थे. वहीं दूसरी लहर के दौरान 7 मई 2021 को एक दिन में सबसे ज्यादा 4,14,188 नए मामले रिपोर्ट हुए थे. यानी अगर इसी रफ्तार से केस आए तो फरवरी के महीने में सबसे ज्यादा केस एक दिन में रिपोर्ट होंगे जिसे पीक कहा जायेगा.
इसी तरह दुनिया के बाकी देश भी पीक के करीब है. दक्षिण अफ्रीका, यूएस, यूके जैसे देश जहां ओमिक्रोन के अधिकतर मामले आ रहे है वहां भी अलग-अलग शहरों में अलग-अलग समय पीक आएगा. लेकिन, इन देशों में भी अगले एक से दो हफ्ते में जिस रफ्तार से केस बढ़ रहे हैं और जो डेटा है उस आधार पर अनुमान है कि एक से दो हफ्ते में पीक आ जायेगा.
डॉ संजय राय के मुताबिक पूरी दुनिया में ओमिक्रोन डेल्टा वैरिएंट जिसने पूरी दुनिया मे कोहराम मचाया उसको रिप्लेस कर रहा है. कुछ हद तक अच्छा भी है कि ये समाज के बीच से डेल्टा को रिप्लेस कर रहा है. उन्होंने इसका कारण बताया कि इस वैरिएंट में मोर्टेलिटी कम है तो उसको रिप्लेस करेगा. दक्षिण अफ्रीका, यूके और यूएस जैसी जगहों पर ज्यादातर केस ओमिक्रोन के हैं. पीक वहां भी जल्द आएगा अगले 10 से 12 दिनों में पीक आ जाना चाहिए. सिर्फ लंदन में पीक आ चुका है, लंदन में गिरावट शुरू हो जाएगी जो डेटा से लगता है. उसी तरह यूएस में एक दो हफ्ते में आना चाहिए. हालांकि, इनका अनुमान लगाना मुश्किल है क्योंकि वहां वैक्सीन की पूरी डोज और बूस्टर के बाद भी केस आ रहे है. वहां मिक्स इम्युनिटी है.
अब तक मिली जानकारी के मुताबिक कोरोना का ये नया वैरिएंट तेज़ी से संक्रमित करता है लेकिन उतना घातक नहीं है जितना कि डेल्टा वैरिएंट था. इसमे संक्रमण ज्यादातर में माइल्ड हैं और अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं है. दुनिया के देशों से सामने आए आंकड़ों और स्टडी से भी ये बात सामने आई है कि संक्रमण तेज़ है लेकिन दूसरी लहर की तरह अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं पड़ रही है.
स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा कि दुनिया के जिन देशों में ओमिक्रोन संक्रमण के केस सामने आए है वहां ये देखने को मिल रहा है कि केस बढ़ रहे लेकिन हॉस्पिटल में भर्ती करने की ज्यादा लोगो को जरूरत नहीं पढ़ रही है. यानी ये वैरिएंट संक्रामक है लेकिन उतनी गंभीर बीमारी अभी नहीं पैदा कर रहा है.

 


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