कोरोना पॉजिटिव का क्यों हो रहा हार्ट फेल, रिकवरी के बाद हल्के में ना लें ये समस्याएं
नई दिल्ली। कोरोना वायरस से पूरी दुनिया त्रस्त है। भारत में कोरना के नए स्ट्रेन ने कहर बरपा दिया है। हर दिन संक्रमण और मौत का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। वहीं कोरोना पीड़ित मरीज ठीक होने के बाद भी चैन की सांस नहीं ले पा रहे हैं।
ऑक्सफोर्ड जर्नल के अध्ययन में पता चला है कि कोरोना संक्रमण से पीड़ित गंभीर मरीजों में से आधे से ज्यादा हॉस्पिटलाइज्ड मरीजों की रिकवरी के कई दिनों बाद हार्ट फेल हुआ है। विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड-19 का संक्रमण शरीर में इंफ्लेमेशन को अटैक करता है, इससे हार्ट की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं। इससे हार्ट बीट प्रभावित होती है और ब्लड क्लॉटिंग की दिक्कत शुरु हो जाती है।
वही, कोरोना वायरस शरीर के अंदर हमारे ग्राहा सेल्स पर अटैक कर सकता है, जिसे ACE2 रिसेप्टर्स के रूप में जाना जाता है। यह मायोकार्डियम टिशू के भीतर जाकर भी उसे क्षति पहुंचा सकता है। मायोकार्डाइटिस जैसी समस्याएं जो कि हार्ट की मांसपेशियों की इन्फ्लेमेशन है, समय पर इसकी देखभाल न की जाए तो एक समय के बाद हार्ट फेल हो सकता है। दिल की बीमारी वाले मरीजों के लिए ये समस्या जानलेवा हो सकती है।
हार्ट फेल उस समय होता है, जब उसके दिल की मांसपेशियां खून को उतनी कुशलता के साथ पंप नहीं कर पाती जितने की उसे आवश्यकता है। इस स्थिति में संकुचित धमनियां और हाई ब्लड प्रेशर दिल को समुचित पम्पिंग के लिए कमजोर बना देते हैं। ये एक क्रॉनिक समस्या है जिसका समय पर इलाज न होने से स्थिति बिगड़ सकती है। इस समय सही इलाज की जरुरत होती है।
मेदांता अस्पताल के सर्वेसर्वा डॉ. नरेश त्रेहन का कहना है कि कोरोना की दूसरी लहर में कम आयु के लोग ज्यादा संक्रमित हुए हैं। डॉ. त्रेहन ने बताया कि पिछली बार भी हमने 10-15 प्रतिशत पोस्ट कोविड-19 मरीजों में हार्ट इन्फ्लेमेशन से जुड़ी समस्या देखी थी। लेकिन इस बार ये इन्फ्लेमेटरी रिएक्शन ज्यादा घातक साबित हो रहा है। इसमें कई मरीजों का हार्ट बीट 20-25 प्रतिशत तक चली जाती है।
दिल से संबंधित कोई भी समस्या समझ आए तो बिना देर किए सबसे पहले अच्छे डॉक्टर से कंसल्ट करिए। कोरना से ठीक हुए लोग इस बात का विशेष ध्यान रखें कि उन्हें दिल से संबंधित किसी भी समस्या को टालना नहीं है, यथासंभव जल्द उपचार करवाएं।