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करवा चौथ की इस शुभ मुहूर्त में करें पूजा, जानिए चांद दिखने का समय और अन्य खास बातें

करवा चौथ की इस शुभ मुहूर्त में करें पूजा, जानिए चांद दिखने का समय और अन्य खास बातें
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देशभर में आज करवा चौथ का त्योहार धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। आज सुहागिन स्त्रियां निर्जला व्रत रखकर पति की लंबी आयु की कामना करती हैं। मान्यता है कि आज सच्ची निष्ठा से व्रत किया जाए तो माता पार्वती सदा सौभाग्यवती रहने का आशीर्वाद प्रदान करती हैं। करवा चौथ का व्रत चंद्र दर्शन कर चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही पूर्ण माना जाता है।

करवा चौथ के दिन चंद्रोदय का अधिक महत्व होता है। इस दिन व्रती स्त्रियों को चंद्रमा का बेसब्री से इंतजार रहता है। आज के दिन चंद्र दर्शन करना जरूरी होता है। भारत के सभी राज्यों में चंद्रमा अलग-अलग समय पर उदित होता है। इस समय में ज्यादा फर्क नहीं होता है। चंद्रमा उदित होने के समय में केवल 2-3 मिनट का अंतर होता है। माना जा रहा है कि इस साल व्रती स्त्रियों को चंद्रमा अधिक इंतजार नहीं करवाएंगे। इस साल 08 बजकर 11 मिनट पर देश के लगभग सभी राज्यों में चंद्र दर्शन हो जाएंगे। जानिए करवा चौथ से जुड़ी अन्य जरूरी जानकारी-

पूजा का शुभ मुहूर्त-

24 अक्टूबर शाम को 6 बजकर 55 मिनट से रात्रि 8 बजकर 51 मिनट तक। 

 

पति की विजय के लिए रखा गया करवाचौथ का व्रत-
करवाचौथ के व्रत का अरम्भ कब से शुरू हुआ इसकी सटीक विवरण उपलब्ध नहीं है। इसका विवरण शास्त्रों, पुराणों और महाभारत में मिलता है। श्वामन पुराण में भी करवा चौथ व्रत का वर्णन मिलता है। करवा चौथ से जुड़ी अनेक कथाएं भी प्रचलित हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार देवताओं और दानवों के साथ युद्ध से भी जुड़ा है इसका इतिहास। एक बार देवताओं और दानवों में युद्ध शुरू हो गया और उस युद्ध में देवताओं की हार हो रही थी। ऐसे में देवता ब्रह्मदेव के पास गए और रक्षा की प्रार्थना की। ब्रह्मदेव ने कहा कि इस संकट से बचने के लिए सभी देवताओं की पत्नियों को अपने.अपने पतियों के लिए व्रत रखना चाहिए और सच्चे दिल से उनकी विजय के लिए प्रार्थना करनी चाहिए।

ब्रह्मदेव ने वचन दिया कि ऐसा करने पर निश्चित ही इस युद्ध में देवताओं की जीत होगी। ब्रह्मदेव के इस सुझाव को सभी देवताओं और उनकी पत्नियों ने खुशी-खुशी स्वीकार किया। ब्रह्मदेव के कहे अनुसार कार्तिक माह की चतुर्थी के दिन सभी देवताओं की पत्नियों ने व्रत रखा और अपने पतियों यानी देवताओं की विजय के लिए प्रार्थना की। उनकी यह प्रार्थना स्वीकार हुई और युद्ध में देवताओं की जीत हुई। माना जाता है कि इसी दिन से करवाचौथ के व्रत के परंपरा शुरू हुई।

 

 

 

 

 

आपके शहर में कब निकलेगा चांद

 

रायपुर- रात 08 बजकर 05 मिनट पर।

गुरुग्राम- रात 08 बजकर 08 मिनट पर।
अलीगढ़- रात 08 बजकर 06 मिनट पर।
गोरखपुर- 07 बजकर 47 मिनट पर।
लखनऊ- 07 बजकर 55 मिनट पर।
गाजियाबाद- 08 बजकर 06 मिनट पर।
हरियाणा- 08 बजकर 10 मिनट।
लुधियाना- 08 बजकर 07 मिनट पर।
चंडीगढ़- 08 बजकर 03 मिनट पर।
कानपुर- 08 बजे।
प्रयागराज- 07 बजकर 56 मिनट पर।
इंदौर- 8 बजकर 56 मिनट।
मुरादाबाद- 07 बजकर 58 मिनट पर।
जयपुर- 08 बजकर 17 मिनट पर।
पटना- 07 बजकर 46 मिनट पर।
यमुना नगर (हरियाणा)- 08 बजकर 08 मिनट पर।
दिल्ली- 08 बजकर 08 मिनट
मुंबई- 08 बजकर 47 मिनट
बेंगलुरु- 08बजकर 39 मिनट
आगरा- 08 बजकर 07 मिनट
मेरठ- 08 बजकर 05 मिनट
लखनऊ- 07 बजकर 56 मिनट
गोरखपुर- 07 बजकर 47 मिनट
मथुरा- 08 बजकर 08 मिनट
बरेली- 07 बजकर 59 मिनट
सहारनपुर- 08 बजकर 03 मिनट
इटावा- 08 बजकर 05 मिनट
फर्रुखाबाद- 08 बजकर 01 मिनट
जौनपुर- 07 बजकर 52 मिनट
कोलकाता- 07 बजकर 36 मिनट
जयपुर- 08 बजकर 17 मिनट


 

8 साल बाद करवा चौथ पर विशेष संयोग-

आठ सालों के बाद करवा चौथ पर विशेष संयोग बन रहा है। रोहिणी नक्षत्र और मंगल योग एक साथ आ रहा है। चन्द्रमा के साथ प्रिय पत्नी रोहिणी के साथ रहना अद्भूत योग का निर्माण कर रहा है। साथ ही रविवार का दिन काफी शुभ संयोग माना जा रहा है।

 

करवा चौथ के दिन इन बातों का रखें ध्यान-

मान्यता के अनुसार करवाचौथ के दिन सुई-धागे का इस्तेमाल वर्जित है। इस दिन कैंची का इस्तेमाल भी अशुभ माना जाता है। इस दिन कैंची को कहीं छिपाकर रख दें ताकि आपकी नज़र भी इस पर ना पड़े। सुहाग की सामग्री जैसे चूड़ियां, बिंदी और सिंदूर आदि कूड़े में न फेंके। करवाचौथ के दिन इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए। अगर पूजा के लिए तैयार होते समय चूड़ियां टूट जाएं तो उन्हें कचरे में न फेंके। सुहाग की चीज़ों को बहते जल में प्रवाहित कर दें और अपने सुहाग की रक्षा के लिए प्रार्थना करें।

 

करवा चौथ पूजा- सामग्री-  

चंदन, शहद, अगरबत्ती, पुष्प,  कच्चा दूध, शक्कर,  शुद्ध घी, दही, मिठाई, गंगाजल, अक्षत (चावल), सिंदूर, मेहंदी, महावर, कंघा, बिंदी, चुनरी, चूड़ी,  बिछुआ, मिट्टी का टोंटीदार करवा व ढक्कन,  दीपक, रुई, कपूर, गेहूं, शक्कर का बूरा, हल्दी, जल का लोटा, गौरी बनाने के लिए पीली मिट्टी, लकड़ी का आसन, चलनी, आठ पूरियों की अठावरी, हलुआ और दक्षिणा (दान) के लिए पैसे आदि।

 


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