BIG NEWS : 1 अगस्त से होगी स्कूलों में प्रवेश की प्रक्रिया, ऐसे ले सकेंगे एडमिशन
रायपुर। कोरोना काल में प्रदेशभर में सभी स्कूली बंद है। ऐसे स्थिति में स्कूलों में प्रवेश से लेकर उनकी पढ़ाई तक के विकल्पों व सुझावों पर शिक्षा विभाग ने आज ऑनलाईन बैठक कर चर्चा की।
शिक्षा विभाग द्वारा आज मुमकिन है ऑनलाइन बेबीनार का आयोजन किया गया। इस आयोजन में बड़ी संख्या में शिक्षक, शिक्षाविद्, अधिकारी-कर्मचारी शामिल होकर अपने नवाचार और अनुभव को साझा किए। राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) के सहयोग से आयोजित वेबीनार में नए शिक्षा सत्र में प्रवेश से लेकर पढ़ाई तक के कई विकल्पों, सुझाव पर चर्चा की गई।
इसमें यह तय किया गया कि शिक्षा में नवाचार को प्राथमिकता दी जाएगी। अब शिक्षक स्कूल नहीं, गांव-गांव, मोहल्ले में जाकर विभिन्न माध्यमों से शिक्षा देंगे। शिक्षक दिवस पर नवाचार में उत्कृष्ट कार्य करने वाले जिला शिक्षा अधिकारी, विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी, संकुल समन्वयक और शिक्षकों को सम्मानित किया जाएगा।
प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा डॉ. आलोक शुक्ला ने राज्य से संकुल स्तर तक के अधिकारी और शिक्षकों से कहा कि स्थानीय सुविधा के अनुसार बच्चों की पढ़ाई कराई जाए। स्कूल नहीं खुलने की स्थिति में बच्चों को नवाचार से शिक्षा दी जाए। कोरोना काल में शिक्षा का प्रवाह नहीं रूकेगा, निरंतर जारी रहेगा, लेकिन पढ़ाई का तरीका बदला जा सकता है। सूत्रों के अनुसार इस बेबीनार में चर्चा के दौरान पांच सुझावों को चुना गया। इसमें गांव-मोहल्ला में सामुदायिक सहायता से पढ़ाई, लाउडस्पीकर से बच्चों को पढ़ाना, ब्लूटूथ ऐसे ऑडियो फाइल जिससे शिक्षा विभाग के वेबसाइट से बिना इंटरनेट के एक मोबाइल से दूसरे मोबाइल पर भेजा जा सकता है। ऐसा एक नया मोबाइल एप्प बनाया जा रहा है जिसे इंस्टॉल करते तक ही नेट की जरूरत पड़ेगी। उसके बाद इंटरनेट के बगैर सुचारु रूप से एप्लीकेशन संचालित होगा। राज्य स्तर पर कॉल सेंटर स्थापित किया जाएगा। यहां के टोल फ्री नंबर पर कॉल कर किसी भी विषय के पाठ से संबंधित प्रश्न पूछने पर उत्तर दिया जाएगा। इन पांचों विकल्पों को प्रदेश स्तर पर लागू किया जाएगा। इसके लिए कोई जोर जबरदस्ती नहीं होगी। इच्छुक शिक्षक इसे अपनाकर बच्चों को पढ़ा सकते हैं।
संचालक लोक शिक्षण जितेन्द्र शुक्ला ने कहा कि स्कूलों में प्रवेश की प्रक्रिया एक अगस्त से 20 अगस्त तक की जानी है। कक्षा पहली से आठवीं तक के बच्चों को स्कूलों में प्रवेश दिलाने की जिम्मेदारी विकासखण्ड शिक्षा अधिकारियों की होगी। कक्षा पहली में प्रवेश के लिए गांव के आंगनबाड़ी केन्द्र में दर्ज बच्चों की सूची प्राप्त की जाए। इसके अतिरिक्त गांव में सर्वे कर नवप्रवेशित बच्चों की जानकारी एकत्र करने के भी निर्देश दिए गए। प्रायमरी के बाद कक्षा 6वीं में प्रवेश के लिए प्रायमरी स्कूल के प्रधान पाठक छात्रों की सूची एवं आवश्यक दस्तावेज मिडिल स्कूल में प्रवेश के लिए उपलब्ध कराएंगे।