रेप के आरोपी पूर्व डीएमई डॉ. आदिले का खुला एक और बड़ा राज, जाने क्या है पूरी खबर
रायपुर | रेप के आरोपी पूर्व चिकित्सा शिक्षा संचालक के खिलाफ कई और गंभीर शिकायतें सामने आई हैं। बताया गया कि डॉ. एसएल आदिले ने हटने से पहले बैकडेट में एक कर्मचारी का प्रमोशन कर दिया और कुछ नियुक्तियां भी कर दी। स्वास्थ्य कर्मचारी संघ ने नियम विरूद्ध प्रमोशन और नियुक्तियों पर नाराजगी जताई है। संघ ने चेतावनी दी है कि यदि इसकी जांच नहीं की गई, तो प्रदेशभर के कर्मचारी आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।
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डॉ. आदिले पर अनुसूचित जाति वर्ग की एक महिला कर्मचारी ने रेप का आरोप लगाया है। इस पर डॉ. आदिले के खिलाफ पुलिस ने रेप का जुर्म दर्ज कर लिया है। डॉ. आदिले को चिकित्सा शिक्षा संचालक पद से हटाने की बात भी कही गई थी, लेकिन विधिवत आदेश जारी नहीं हो पाए हैं। डॉ. आदिले छुट्टी का आवेदन देकर गए हैं। उन्होंने अग्रिम जमानत के लिए आवेदन भी लगाया है।
यह बात सामने आई है कि डॉ. आदिले ने अपने खिलाफ प्रकरण दर्ज होने से पहले अपने एक नजदीकी रिश्तेदार को वार्ड ब्याय से सहायक ग्रेड-3 के पद पर पदोन्नति दे दी। उन्होंने डीकेएस अस्पताल अधीक्षक की हैसियत से सिंगल प्रमोशन ऑर्डर जारी किया। यही नहीं, बिलासपुर नर्सिंग कॉलेज में बिना विज्ञापन के एक संविदा नियुक्ति कर दी। इसके अलावा राजनांदगांव में महिला स्वास्थ कार्यकर्ता का नर्सिंग कॉलेज में तबादला कर दिया।
उन्होंने कई ऑर्डर किए हैं। इसको लेकर विभाग में अलग-अलग स्तरों पर शिकायत हुई है। प्रदेश स्वास्थ्य कर्मचारी संघ ने तो डॉ. आदिले के कार्यकाल में हुई नियुक्तियों और प्रमोशन की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। संघ के अध्यक्ष ओपी शर्मा ने डॉ. आदिले ने पद से हटने से पहले आनन-फानन में कई नियुक्ति और प्रमोशन कर दिए हैं। उन्होंने कहा कि किसी तरह की कार्रवाई न होने पर कर्मचारी संघ आंदोलन के लिए बाध्य होगा। खास बात यह भी है कि डॉ. आदिले केखिलाफ एक अन्य प्रकरण में चालान पेश करने की ईओडब्ल्यू-एसीबी को अनुमति मिल गई है, लेकिन अभी तक चालान पेश नहीं किया गया है।
उल्लेखनीय है कि डॉ. आदिले लंबे समय से विवादों में रहे हैं। उन्हें 2008 से 2010 तक डीएमई बनाया गया था। इसके बाद गलत तरीके से एमबीबीएस सीट आवंटन और लोकसेवा आयोग में गलत जानकारी के चलते उन्हें निलंबित भी किया गया था। दो वर्ष बाद बहाल होने के बाद जगदलपुर और रायगढ़ मेडिकल कॉलेज में वे डीन रहे। मार्च 2019 में वे फिर से प्रभारी डीएमई बनाए गए। मार्च 2020 में रिटायर होने के बाद छह महीने के लिए उन्हें संविदा नियुक्ति दी गई, जो 30 सितंबर को खत्म होने वाली थी। इसके पहले ही उन्हें इस प्रकरण के चलते हटा दिया गया।