रक्षाबंधन का उत्साह लॉकडाउन में हुआ कैद, शहर में नहीं दिखा पर्व का उत्साह
रायपुर | भाई-बहन के पवित्र प्रेम प्रतीक का पर्व रक्षाबंधन इस वर्ष सूना-सूना लग रहा है। कहीं भी आने-जाने की मनाही होने के कारण लोग अपने-अपने घरों में कैद हैं। हालांकि जिला प्रशासन ने कल देर शाम एक आदेश जारी कर राखी दुकान व मिठाई दुकान सुबह 6 बजे से 10 बजे तक खुलने की अनुमति दी थी, लेकिन यह अनुमति काफी विलंब से जारी की गई, लिहाजा अधिकांश लोगों को इसकी जानकारी आज सुबह ही लग पाई।
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कोरोना संक्रमण के चलते इस वर्ष सभी त्योहारों का रंग फीका हो गया है। रक्षाबंधन जैसा बड़ा पर्व होने के बाद भी शहर में कोई रौनक उत्साह नजर नहीं आ रहा है। इसकी मुख्य वजह वर्तमान में चल रहा लॉकडाउन है। लॉकडाउन के चलते लोग अपने-अपने घरों में कैद होकर रह गए हैं। भाई-बहन एक-दूसरे के घर नहीं जा पा रहे हैं, चौक-चौराहों में तैनात पुलिस कर्मचारी बेवजह घरों से निकलने वालों पर सख्ती बरत रहे हैं। इसके अलावा शहर के बाजार पूरी तरह से बंद है, लिहाजा इस वर्ष त्योहार का मजा पूरी तरह से किरकिरा हो गया है। सबसे ज्यादा परेशानी ऐसे भाई-बहनों को हैं जो आसपास के शहरों में रहते हैं, लेकिन लॉकडाउन के चलते वे अपने घरों से बाहर ही नहीं निकल पा रहे हैं।
इधर बाजारों में छाई वीरानी का असर त्योहार के उत्साह पर भी पड़ रहा है। लॉकडाउन के चलते इस वर्ष राखियों का बाजार नहीं लग पाया, लिहाजा आज रक्षाबंधन के पर्व में भी कई भाईयों की कलाईयां सूनी रह गई हैं। हालांकि जिला प्रशासन ने कल देर शाम एक आदेश जारी कर रक्षाबंधन पर्व के मद्देनजर राखियों व मिठाई दुकानों को सुबह 6 बजे से 10 बजे तक खोलने की अनुमति दी थी। लेकिन अधिकांश व्यापारियों को इसकी जानकारी नहीं मिल पाई लिहाजा आज शहर के अधिकांश मिष्ठान दुकानों के शटर बंद ही रहे। वहीं राखियों की दुकानें भी बंद ही रहीं। इससे लोगों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ गया और इस वर्ष रक्षाबंधन का पर्व यूं ही बीत गया।