जगदलपुर | बस्तर संभाग मुख्यालय में बस्तर दशहरा की तैयारियां जोरों पर हैं। कोरोना संक्रमण काल के बावजूद बस्तर दशहरा की रियासत कालीन परंपराओं के निर्वहन के लिए विशालकाय दुमंजिला रथ निर्माण के लिए लकडिय़ों का आना प्रारंभ हो गया है। आने वाले कुछ दिनों में रथ निर्माण का कार्य प्रारंभ हो जाएगा।
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विशालकाय दुमंजिला रथ निर्माण की प्रक्रिया रियासत कालीन ऐतिहासिक बस्तर दशहरा का मुख्य आकर्षण निर्माण के साथ ही जुड़ा हुआ है। ऐतिहासिक बस्तर दशहरा के रथ निर्माण की प्रक्रिया को यदि समाप्त कर दिया जाए तो बस्तर दशहरा का आकर्षण लगभग समाप्त हो जावेगा। बस्तर दशहरा के आकर्षण को बनाये रखने के लिए यह आवश्यक है कि बस्तर दशहरा के रथ निर्माण की प्रक्रिया के परंपराओं बनाये रखा जावे।
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बस्तर दशहरा की तैयारी जोरों पर शुरू हो गई है 75 दिनों तक चलने वाले विश्व प्रसिद्ध इस दशहरा इस कोरोना संक्रमण काल में अधिमास के कारण 104 दिनों तक मनाया जावेगा। बस्तर दशहरा का संबंध राम-रावण संग्राम से नहीं है, यहां आदिवासियों की आराध्य देवी मां दंतेश्वरी और बस्तर की मूल देवी मावली माता से जुड़ा पर्व है। बस्तर दशहरा 612 वर्षों से अनवरत मनाये जाने वाली रियासत कालीन परंपरा के साथ इसी रूप में मनाते आ रहे हैं। बस्तर संभाग सहित पड़ोसी ओडि़सा राज्य के 600 से अधिक देवी-देवताओं को आमंत्रित किया जाता है। इसीलिए बस्तर दशहरा को देवी दशहरा भी कहा जाता है। रथ परिक्रमा प्रक्रिया जल्द ही शुरू हो जायेगी, इस वर्ष 08 पहियों वाला विशालकाय दुमंजिला रथ का निर्माण होगा, जिसे अंतिम दो दिनों के लिये चलाया जावेगा। बस्तर की आराध्य देवी मां दंतेश्वरी के छत्र को रथारूढ़ कर शहर में परिक्रमा लगाई जाती है। विशालकाय दुमंजिला रथ परिक्रमा कराने के लिए 400 से अधिक ग्रामीण की टीम रथ खींचने के लिए जुटती है।