भोजपुरी एक्ट्रेस त्रिशाकर मधु (Trisha kar Madhu) इन दिनों अपने वायरल MMS के चलते सुर्खियों में बनी हुई हैं. वो सोशल मीडिया यूजर्स से लगातार अनुरोध कर रही हैं कि उनका वीडियो डिलीट (Trisha kar Madhu MMS Viral) कर दिया जाए और इसे लोग शेयर ना करें. उन्हें बदनाम ना करें. लेकिन, इसके बावजूद भी सोशल मीडिया यूजर्स उनके वीडियोज (Trisha kar Madhu viral video) शेयर कर रहे हैं और अब तो लोग इसे यूट्यूब पर डाउनलोड करने का लिंक भी साझा कर रहे हैं. इसी मुद्दे पर साइबर एक्सपर्ट मुनाली गुहा ने News 18 Hindi से बातचीत की और बताया कि ऐसे वीडियो बनाना और शेयर करना दोनों ही क्राइम का हिस्सा है.
जानें क्या बोलीं साइबर एक्सपर्ट?
इस पूरे मामले पर News 18 Hindi से बातचीत करते हुए मुनाली गुहा ने बताया, ‘जिसने इस मुद्दे को लेकर शिकायत की है उनके पास इस वीडियो को डिलीट करवाने का पूरा अधिकार है. इसमें दो प्रकार से कार्रवाई हो सकती है. पहली कि पीड़िता को अपने लोकल थाने में खुद जाकर शिकायत करनी होती है और दूसरा तरीका है कि पीड़िता सरकारी वेबसाइट www.cybercrime.gov.in पर खुद शिकायत को रजिस्टर्ड कर सकती है.’
ये है वीडियो ब्लॉक करवाने की पूरी प्रक्रिया
मुनाली कार्रवाई की पूरी प्रक्रिया के बारे में बताती हैं कि ‘अब ऐसे मामलों में धाराएं शिकायतकर्ता की रजिस्टर्ड शिकायत पर निर्भर करती है कि इसमें किस प्रकार के शब्दों को इस्तेमाल किया गया है. इससे साफ हो पाएगा कि वो धाराएं बेलेबल (Bailable) और या फिर नॉन बेलेबल (non bailable) होंगी. वीडियो को ब्लॉक कराने का भी सरकारी वेबसाइट पर अच्छी प्रक्रिया होती है. जैसे कि किसी ने अपने शिकायत पास के थाने में जाकर कराई तो वहां से शिकायत साइबर सेल भेजी जाएगी. फिर वहां से नोडल अधिकारी पदाधिकारी को वो रिपोर्ट भेजेंगे. ये पदाधिकारी डायरेक्ट सेक्रेटरी (आईटी मंत्रालय) से कनेक्ट होते हैं. फिर जो मेन सेक्रेटरी होते हैं वो इसे ब्लॉक करने के लिए ऑर्डर पास करते हैं और उस पर्सन को एक समयावधि में इसे ब्लॉक करना होता है. अब इसमें गौर करने वाली बात ये है कि शिकायतकर्ता की शिकायत उनके थाने से प्रोसीड की गई है कि नहीं.’
कार्रवाई के लिए FIR जरूरी: साइबर एक्सपर्ट
साइबर एक्सपर्ट आगे बताती हैं कि ‘इसमें दो बड़ी बातें और भी है कि अगर कोई प्रॉपर FIR होती है तो उसके लिए छानबीन बाध्य होता है. अब यहां पर समझने वाली बात ये है कि जिस महिला ने शिकायत दर्ज करने है उन्होंने केवल शिकायत दर्ज कराई, जिसे हम NCR कहते हैं या प्रॉपर एफआईआर करवाई है. FIR में पीड़िता को एक प्रिंट कॉपी दी जाती है. इसमें इन्वेस्टिगेटिंग ऑफिसर का नाम और साइन प्रॉपर तरीके से होता है. इसमें जितनी भी धाराएं होती हैं वो सब मेंशन किया गया होता है. इस पूरी कार्रवाई के लिए एफआईआर जरूरी है. ताकि इसे आगे सॉल्व किया जा सके. दोनों पार्टियों के पास कंफर्म करना जरूरी है कि शिकायतकर्ता के पास एफआईआर की कॉपी है कि नहीं और जांचकर्ता अधिकारी से ये जानना जरूरी है कि उन्होंने इस केस में कहां तक काम कर लिया है. ये दोनों ही जरूरी है.’
प्रशासन की ओर से कैसे डिलीट किया जा सकता है वीडियो?
‘वीडियो को ब्लॉक करवाना ज्यादा आसान होता है. क्योंकि जो भी पीड़ित होता है, उसकी शिकायत के अनुसार उस वेबसाइट की डिटेल मंगवाई जाती है इंटर मीडियरी से. इसके बाद उसे ब्लॉक करवाने के लिए आदेश जारी किए जाते हैं. फिलहाल, अब एक्ट्रेस त्रिशाकर मधु के केस में ये जानना जरूरी है कि उन्होंने एफआईआर करवाया है या नहीं. क्योंकि अगर उन्होंने शिकायत दर्ज (FIR) करवाई है तो उनके जांचकर्ता अधिकारी से इसकी जानकारी लेना बनता है कि उन्होंने कहां तक इसकी कार्रवाई की है. क्योंकि उस अधिकारी की रिपोर्ट के अनुसार ही आगे इस पर एक्शन लेना तय किया जा सकता है कि किस तरह की इस पर कार्यवाही की जा सकती है.’
वीडियो फोन और लैपटॉप में रखना भी है क्राइम
मुनाली वीडियो को लेकर कहती हैं कि ‘इसमें एक और बात ध्यान देने वाली है कि ऐसे किसी का भी वीडियो अपने फोन और लैपटॉप में रखना भी क्राइम है और अगर किसी भी व्यक्ति के बारे में ऐसी कुछ चीजें फैलाई जाती हैं तो इसमें कई सारे आईटी एक्ट लगते हैं. वीच ऑफ प्राइवेसी, डिफरमेशन, वूमन मोडेस्टी जरूर लगेगा क्योंकि महिला से जुड़ा मामला है. महिला से जुड़ा मामला होने के नाते आईपीसी की धाराएं (IPC) भी निश्चित लगेंगी. इसमें न्याय पाने के लिए सबसे पहले जरूरी है FIR करना.’
यूट्यूब चैनल्स के खिलाफ भी हो सकती है कार्रवाई
वहीं, जो लोग एक्ट्रेस का वीडियो शेयर कर रहे हैं और वीडियो डाउनलोड करवा रहे हैं. उनके लिए उन्होंने कहा, ‘इस तरह के मामले में वीडियो बनाना और वायरल करना दोनों ही अपराध है. जो लोग वीडियोज यूट्यूब पर शेयर कर रहे हैं. इसमें यूट्यूब की पॉलिसी भी काम कर सकती है क्योंकि वो इस तरह के कंटेंट को प्रमोट नहीं करते हैं और जो लोग ऐसे वीडियोज शेयर करते हैं इस पर खुद यूट्यूब भी एक्शन लेता है. पीड़िता यूट्यूब चैनल्स के खिलाफ रिपोर्ट कर सकती है, जो लोग उसके वीडियो दिखा रहे हैं या वायरल कर रहे हों. उन्हें बस अपनी शिकायत में यूट्यूब चैनल्स का नाम मेंशन करना होगा और उनके खिलाफ भी कार्रवाई होगी.’
कितनी हो सकती है सजा और जुर्माना?
वीडियो शेयर करने वाले और डाउनलोड करवाने वालों के लिए सजा के बारे में जब सवाल किया गया तो मुनाली ने कहा, ‘गंभीर धाराओं के साथ लगभग 5 साल या उससे अधिक की सजा और लगभग 10 लाख तक का जुर्माना हो सकता है और जितनी अधिक धाराएं उतना ये समय और जुर्माना बढ़ सकता है. धाराएं अपराध के प्रकार और गंभीरता पर निर्भर करती हैं.’ ऐसे में जिन लोगों ने त्रिशाकर मधु का वीडियो अपने लैपटॉप और फोन में रखा है साथ है, जो लोग वीडियो को शेयर कर वायरल और डाउनलोड लिंक शेयर कर रहे हैं, उन्हें सावधान हो जाने की जरूरत है. कानूनी पचड़ों में फंसने से पहले ही उन्हें वीडियोज को डिलीट कर देना चाहिए और खुद को फंसने से बचा लेना चाहिए.