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कोरोना के इस युग मे बच्चे करे ये 4 योगासन, रहेंगे चुस्त और सेहतमंद

कोरोना के इस युग मे बच्चे करे ये 4 योगासन, रहेंगे चुस्त और सेहतमंद

 पिछले साल से हम सब कोरोना संक्रमण के भयावह साए में जी रहे हैं, संक्रमण की लहर में आपके बच्‍चो को सेहतमंद बनाए रखने के लिए उनकी सेहत का पूरा ख्‍याल रखें| जहां पैरेंट्स अपने बच्‍चों की डाइट पर खास ध्यान देते हैं, वहीं उनकी सेहत को बेहतर बनाए रखने के लिए जरूरी है कि उनके दिन की शुरुआत योग से हो| आज कल वैसे भी ज्‍यादातर बच्‍चे अपने घरों में ही हैं, ऐसे में उनकी अच्‍छी सेहत के लिए फिजिकल एक्टिविटी और भी जरूरी है| योग करने से बच्‍चे सेहतमंद (Healthy) होने के साथ फुर्तीले भी बने रहेंगे| इसलिए अपने बच्‍चों के डेली रुटीन में योगा को शामिल करें, ताकि उनके शारीरिक और मानसिक विकास को बेहतर बनाए रखा जा सके. आइए जानें बच्‍चों के लिए कुछ खास योगासन-

प्रणाम आसन
बच्‍चों के लिए यह आसन बहुत आसान है, इस आसन को करने से तंत्रिका तंत्र को आराम मिलता है| इसलिए इसे अपने बच्‍चों के रूटीन में जरूर शामिल करें, प्रणाम आसन को करने के लिए सबसे पहले अपने दोनों हथेलियो को आपस मे मिलाकर उंगलियों के ऊपर उंगली रख के हाथो को आपस मे दबाएं. इसके बाद अपनी आंखें बंद करें. अब अपने हाथ प्रणाम की मुद्रा में करके हाथो को अपनी छाती से लगाएं. इसके बाद अपने दोनों हाथों की कोहनियों को ताने रखें और धीरे से अपने सिर की ओर ले जाएं. इसे नियमित तौर पर करें|

पर्वतासन
पर्वतासन करने के लिए सबसे पहले बैठ जाएं और अपने दोनों हाथों की उंगलियों को एक-दूसरे के साथ मिला लें यानी इंटरलॉक कर लें. अब अपनी हथेलियों को पलट लें और इन्‍हें अपने सिर की सीध में रखे रहें और हाथों को ऊपर की तरफ ले जाएं. अब गहरी सांस लें. इस स्थिति में दो मिनट तक रहें. फिर सांस छोड़ते हुए अपने हाथों को नीचे की ओर ले आएं|

वृक्षासन
इस आसन को करना बेहद आसान है. इसके लिए सीधे खड़े हो जाएं. अब अपने दोनों हाथों को जांघों के पास ले आएं और धीरे-धीरे अपने दाएं घुटने को मोड़ते हुए उसे अपनी बाईं जांघ पर रखें. अब धीरे से सांस खींचते हुए दोनों हाथों को ऊपर की ओर उठाएं. अपने दोनों हाथों को ऊपर ले जाकर नमस्कार की मुद्रा बनाएं और गहरी सांसें भीतर की ओर खींचते रहें. अब सांसें छोड़ते हुए शरीर को ढीला छोड़ दें और धीरे से हाथों को नीचे की ओर ले आएं. आप अपने अंदर स्‍फूर्ति पाएंगे|

दंडासन
दंडासन के लिए पेट के बल लेट जाएं. फिर दोनों पैरों को मिला लें, इसके बाद अपने दोनों हाथों के बीच थोड़ी दूरी रखें और अपनी छाती के बिल्कुल सीध में हाथ को कोहनियों से मोड़ कर रखें. इसके बाद धीरे-धीरे सांस अंदर की ओर खींचें और अपने पैरों के पंजों पर शरीर का भार डालते हुए दोनों हाथों के सहारे शरीर को तब तक ऊपर उठाएं जब तक दोनों हाथ बिल्कुल सीधे न हो जाएं, अब सांस छोड़ें और शरीर को नीचे जमीन से थोड़ा ऊपर उठा कर रखें| फिर सांस लेकर शरीर को ऊपर की ओर ले जाएं, इस तरह निरंतर अभ्‍यास से बेहतर महसूस करेंगे|

 कोविशील्ड के दो डोज के बीच के अंतर में फिर बदलाव, जानिए क्या है नई गाइडलाइन

कोविशील्ड के दो डोज के बीच के अंतर में फिर बदलाव, जानिए क्या है नई गाइडलाइन

नई दिल्ली: केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने एक बार फिर कोविशील्ड के पहले और दूसरे डोज के बीच का अंतर कम कर दिया है। दूसरे डोज का गैप दो बार बढ़ाया गया, लेकिन इस बार यह गैप घटाया गया है। ये सिर्फ उनके लिए है, जो विदेश यात्रा पर जा रहे है। नई गाइडलाइन के बाद अब कुछ श्रेणियों के लिए 84 दिन का इंतजार करने की जरूरत नहीं है। अब 28 दिन के बाद भी कोविशील्ड का दूसरा डोज लगाया जा सकता है। हालांकि, कोवैक्सीन के लिए दो डोज के बीच का अंतर अभी भी 28 दिन ही है। उसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है।

क्या कहती है नई गाइडलाइन?
स्वास्थ्य मंत्रालय की नई गाइडलाइन उनके लिए है, जिनको कोविशील्ड का पहला डोज लग चुका है और उन्हें विदेश यात्रा पर जाना है। यह विदेश यात्रा पढ़ाई, रोजगार और ओलंपिक टीम के लिए हो सकती है। ऐसे लोगों को कोविशील्ड के दूसरे डोज के लिए 84 दिन का इंतजार नहीं करना होगा। वह इससे पहले भी दूसरी डोज भी लगवाया जा सकता है। 

इससे पहले पंजाब के स्वास्थ्य मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू ने मंगलवार को कहा कि उन लोगों को कोविशील्ड की पहली खुराक के 28 दिन के अंतराल के बाद दूसरी खुराक दी जाएगी, जिनके लिए विशेष कारणों से विदेश जाना जरूरी है। सिद्धू ने कहा कि जिला प्रशासन द्वारा नामित योग्य प्राधिकारी 84 दिन के तय अंतराल से पूर्व दूसरी खुराक देने के लिए अनुमति देने से पहले जांच करेंगे।

उन्होंने कहा कि केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने 28 दिन पहले पहली खुराक ले चुके ऐसे लोगों को टीके मुहैया कराने की सिफारिश की है। सिद्धू ने एक बयान में कहा कि इस संबंध में आगे की कार्रवाई के लिए सभी उपायुक्तों को निर्देश जारी किए गए हैं, ताकि अधिकतर लाभार्थियों का टीकाकरण किया जा सके।
आइये जानते है, ब्लैक और वाइट फंगस के लक्षण और इलाज से जुड़ी ये बाते

आइये जानते है, ब्लैक और वाइट फंगस के लक्षण और इलाज से जुड़ी ये बाते

 हमारा देश पिछले एक साल से कोरोना से लड़ रहा रहा है इसी बीच फंगस नाम की बीमारी आम लोगो की मुश्किलें इतनी बढ़ा दी है की  हम सभी लोग इससे डरे हुए है,  इस फंगस के बारे में हमारे मन में कई सवाल उठते हैं, इनमें से कुछ के उत्तर हम नीचे दे रहे हैं|


ब्लैक फंगस और वाइट फंगस क्या है?

म्यूकोरमायकोसिस या ब्लैक फंगस का संक्रमण एक फंगस से होता है जो संक्रमित कोशिका समूहों में काले रंग का धब्बा बनाता है. कैंडिडा या वाइट फंगस संक्रमण एक ऐसे फंगस से होता है जो संक्रमित कोशिका समूहों में उजला धब्बा बनाता है|


यह संक्रमण कैसे फैलता है?

यह संक्रमण हवा में मौजूद फंगस के बीजाणुओं के सांस के द्वारा या अंतर्ग्रहण से शरीर के अंदर पहुंचने से होता है. कई बार यह शरीर के त्वचा पर हुए घाव या किसी मानसिक आघात के कारण भी शरीर में पहुंचता है|


यह कहां से आता है?

अन्य माइक्रोब्ज़ जैसे बैक्टीरीया या वायरस की तरह फंगस भी वातावरण में मौजूद होता है. यह आमतौर पर ज़मीन, हवा और मनुष्य के नाक और उसके बलगम में मौजूद होता है|


क्या यह हवा से फैलता है?

हां, चूंकी उसके बीजाणु हवा में मौजूद होते हैं इसलिए इसको फैलने से रोकना असंभव-सा है|


क्या फंगस लोगों से लोगों में फैलता है?

नहीं, फंगस से होनेवाला संक्रमण संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से नहीं होता|


क्या यह संक्रमण हम सभी को हो सकता है?

नहीं, चूंकी माइक्रोब्ज़ जैसे बैक्टीरीया, वायरस या फंगस हवा में मौजूद होते हैं, इसलिए इन्हें हम अपने शरीर में जाने से नहीं रोक सकते. पर हर व्यक्ति इससे संक्रमित नहीं होता. यह इस बात पर निर्भर करता है कि हम कितना ज़्यादा सुरक्षित हैं, मतलब हमरा इम्यून सिस्टम कितना ज़्यादा मज़बूत है कि वह फंगस को हमारे शरीर में फैलने से रोक सके. स्वस्थ शरीर माइक्रोब्ज़ के शरीर में पहुंचते ही उससे लड़ाई शुरू कर देता है और उसको शरीर में आगे नहीं बढ़ने देता. इस तरह अगर किसी व्यक्ति का इम्यून सिस्टम मज़बूत है तो उसे यह संक्रमण नहीं होगा|


किसको हो सकता है संक्रमण?

जिस व्यक्ति के शरीर का इम्यून सिस्टम कमजोर है उसको संक्रमण का खतरा है. ऐसे लोग जो 60 साल के ऊपर के हैं, या जिनको डायबिटीज़ की गंभीर शिकायत है जो कि नियंत्रण में नहीं आ रहा, गुर्दे की बीमारी है, लीवर की बीमारी है, COPD, दमा, टीबी है या जो लोग इम्यून सिस्टम को दबाने की थेरेपी जैसे स्टेरॉयड ले रहे हैं, जिनको कैंसर जैसी बीमारी है, या जिनको अंग प्रत्यारोपण हुआ है, जो काफी समय से एंटीबायोटिक ले रहे हैं, काफी समय से अस्पताल में हैं, शरीर में पोषण की कमी है, तम्बाकू का सेवन करते हैं, बीड़ी-सिगरेट पीते हैं या शराब पीते हैं, ऐसे लोग इससे संक्रमित हो सकते हैं|


क्या कोविड से ग्रस्त हर मरीज ब्लैक एंड वाइट फंगस से संक्रमित हो सकता है?

नहीं, ब्लैक एंड वाइट फंगस एक बहुत ही दुर्लभ संक्रमण है और कोविड से ग्रस्त सभी मरीज़ों को यह नहीं होता|


कोविड मरीज़ों में यह संक्रमण तेज़ी से क्यों फैल रहा है?

-कोविड के कारण लोगों के शरीर का इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है इसलिए बैक्टीरीया और फंगस को उनके शरीर में पहुंचने का मौका मिल जाता है. कोविड के इलाज में स्टेरॉयड जैसी दवाओं के प्रयोग के कारण शरीर में लिंफोसाइट्स की संख्या कम हो जाती है जो कि एक तरह की उजली रक्त कोशिका होती है जो बैक्टीरीया, वायरस और फंगस के खिलफ हमारे शरीर की रक्षा करती है. ये दवाएं मरीज़ के इम्यून सिस्टम को स्ट्रॉन्ग बनाती हैं जिसकी वजह से उनकी जान बच जाती है. लिंफोसाइट्स की संख्या में कमी आने से कोविड से ग्रस्त मरीज़ों में मौका देखकर फंगल संक्रमण बढ़ जाता है. जिस मरीज का इम्यून सिस्टम ठीक से काम नहीं कर रहा है उसको म्यूकोरमयकोसिस और कैंडिडा दोनों ही संक्रमण हो सकता है|


-एंटीबायोटिक दवाएं जिनका प्रयोग बैक्टीरीया के द्वितीयक संक्रमण को रोकने के लिए होता है, यह उस लाभदायक बैक्टीरीया के विकास को भी रोक देता है जो फंगस से हमारे शरीर को बचा सकता है|


-ज़िंक का ज़रूरत से अधिक प्रयोग भी इसका कारण हो सकता है क्योंकि यह फंगल संक्रमण को बढ़ाने का काम करता है|


-शरीर में औद्योगिक ऑक्सिजन का लंबे समय तक प्रयोग भी इसका कारण हो सकता है|


-भाप के प्रयोग से मुंह और नाक में फंगस के विकास के लिए अनुकूल वातावरण तैयार होता है|


क्या इन दवाओं को रोक देना चाहिए?

नहीं, ये दवाएं कोविड से जान बचाने के लिए जरूरी हैं|


इन दवाओं को लेते हुए फंगस के संक्रमण को कैसे रोक सकते हैं?

दवाएं सिर्फ आरएमपी डॉक्टर की सलाह और कड़ी निगरानी में ही लेनी चाहिए. आरएमपी डॉक्टर इस बात को जानता है कि मरीज को कौन सी दवा कब और कितनी मात्रा में देनी चाहिए और कितनी बार देनी चाहिए. अगर मरीज़ खुद इन दवाओं को लेता है या किसी की सलाह से और अगर इसका दुरुपयोग होता है तो वह मरीज़ संक्रमित हो सकता है और उसे दूसरी मुश्किलें भी हो सकती हैं|


क्या काढ़ा जैसी कोई प्राकृतिक वस्तुएं भी इसके लिए ज़िम्मेदार हैं?

कोई भी वस्तु अगर ज़रूरत से ज़्यादा मात्रा में ली जाती है तो उससे नुकसान होता है. काढ़ा में भी बैक्टीरीया को मारने और स्टेरॉयड गुणों वाली वस्तुएं मिली होती हैं. इसलिए अंग्रेज़ी दवाओं के साथ ये भी नुकसान पहुंचा सकते हैं. ऐसी कई प्राकृतिक वस्तुओं में जिंक और आयरन की बहुतायत होती है जो फंगस के विकास को बढ़ाते हैं|


क्या कोविड के बिना भी यह संक्रमण हो सकता है?

हां. यह संक्रमण किसी भी व्यक्ति को हो सकता है जिसके शरीर का इम्यून सिस्टम कमजोर है भले ही उसे कोविड हुआ हो या नहीं|


क्या ब्लैक फंगस संक्रमण जानलेवा है?

हां, म्यूकोरमाइकोसिस या ब्लैक फंगस एक विरल लेकिन जानलेवा बीमारी है|


ब्लैक फंगस की बीमारी के क्या लक्षण हैं?

इसने शरीर के किस क्षेत्र को प्रभावित किया है इस आधार पर इसके निशान और लक्षण अलग अलग होते हैं|


राइनो ओर्बिटल सेरिब्रल म्यूकोरमाइकोसिस (Rhino orbital cerebral Mucormycosis)

यह संक्रमण उस समय होता है जब व्यक्ति फंगस के जीवाणुओं को सांस के माध्यम से शरीर के अंदर कर लेता है. यह नाक, आंख के घेरे/आंख के गड्ढे, ओरल कैविटी और यहां तक कि दिमाग को भी संक्रमित कर देता है. संक्रमण के कारण सिर दर्द, नाक का जाम होना, नाक बहना (हरे रंग का कफ आना), साइनस में दर्द, नाक से खून निकलना, चहरे पर सूजन, चहरे पर कुछ भी महसूस नहीं होना और त्वचा का रंग बदलना शामिल है|


पल्मनेरी म्यूकोरमाइकोसिस (Pulmonary Mucormycosis)

यह तब होता है जब इस फंगस के जीवाणुओं को सांस के सहारे अंदर ले लिया गया है और वह श्वसन प्रणाली में पहुंच गया है. यह फेफड़े को संक्रमित करता है. इसके कारण बुखार आ सकता है, छाती में दर्द हो सकता है, कफ हो सकता है और कफ में खून निकल सकता है. यह फ़ंगस आंत, त्वचा और दूसरे अंगों को भी संक्रमित कर सकता है. पर इनमें सबसे ज़्यादा आम है राइनो सेरेब्रल म्यूकोरमाइकोसिस|


ब्लैक फंगस संक्रमण हो गया है, यह कैसे पता चलता है?

क्लीनिकल लक्षणों से इसके बारे में संदेह पैदा होता है और बाद में एमआरआई (MRI) जैसी जांच भी की जाती है. इस संक्रमण की पुख़्ता जानकारी के लिए मरीज़ की बायोप्सी करनी होती है. इसमें मरीज़ के शरीर से टिशू का एक हिस्सा काटा जाता है और इसको माइक्रोस्कोप में देखा जाता है ताकि ब्लैक फंगस का इसमें पता लगाया जा सके|


क्या इसका इलाज है?

हां, अगर इसका पता जल्दी चल जाए तो इसका इलाज है और अमफोटेरिसिन और पोसैकोनाजोल जैसी एंटी-फंगल दवा का प्रयोग किया जाता है. कुछ मरीज़ों में सर्जरी करने की भी नौबत आती है जिसके प्रभावित क्षेत्र को निकाल दिया जाता है|


क्या वाइट फंगस का संक्रमण जानलेवा है?

नहीं, कैंडीडीएसिस या वाइट फंगस जानलेवा नहीं है|


क्या वाइट फंगस के संक्रमण का इलाज है?

हाँ, कैंडीडीएसिस या वाइट फगस का इलाज है और इसके लिए उपलब्ध दवाएं महंगी भी नहीं होतीं|


इससे अपना बचाव कैसे करें?

-साफ मास्क पहनें. यह इससे सबसे ज़्यादा प्रभावी बचाव है क्योंकि इससे आप फंगस को अपने शरीर में नाक और मुंह के रास्ते जाने से रोक पाएंगे. अपने मास्क को बार-बार साफ करें और उन्हें बदलें|

-अपने घाव, चमड़े के कट जाने या छिल जाने की जगह को तत्काल पानी से साफ करें|

-कोविड का इलाज किसी RMP डॉक्टर से ही लें. खुद कोई दवा न लें. नीम हकीम के चक्कर में न पड़ें. लंबे समय तक भाप न लें और न ही लंबे समय तक काढ़ा पीए|

लगातार 27वें दिन बीमारी से उबरने वाले लोगों की संख्या दैनिक नये मामलों की संख्या से ज्यादा,  रिकवरी रेट बढ़कर इतने प्रतिशत

लगातार 27वें दिन बीमारी से उबरने वाले लोगों की संख्या दैनिक नये मामलों की संख्या से ज्यादा, रिकवरी रेट बढ़कर इतने प्रतिशत

भारत में दैनिक नये मामलों की संख्या में लगातार कमी दर्ज की जा रही है। पिछले 24 घंटे में देश में 92,596 दैनिक नये मामले दर्ज किए गए। लगातार दूसरे दिन देश में कोविड-19 के नये मामलों की संख्या एक लाख से कम दर्ज की गयी। यह केंद्र और राज्यों/केंद्रशासित क्षेत्रों के सहयोग से किए जा रहे प्रयासों का नतीजा है। भारत में कोविड-19 के सक्रिय मामलों की संख्या लगातार घट रही है। सक्रिय मामलों की संख्या गिरकर आज 12,31,415 हो गयी। लगातार नौवें दिन यह संख्या 20 लाख से कम है।
पिछले 24 घंटे में सक्रिय मामलों की संख्या में कुल 72,287 की कमी आयी है। यह अब देश के कुल कोविड पॉजिटिव मामलों का केवल 4.23 प्रतिशत है। साथ ही लगातार 27वें दिन भारत में बीमारी से उबरने वाले लोगों की दैनिक संख्या कोविड-19 के दैनिक नए मामलों से ज्यादा हैं। पिछले 24 घंटे में बीमारी से 1,62,664 लोग उबरे हैं।

पिछले 24 घंटे में दैनिक नये मामलों की तुलना में बीमारी से 70,068 ज्यादा लोग उबरे हैं। भारत में महामारी के शुरू होने के बाद से पहले ही कुल 2,75,04,126 लोगों में कोविड-19 ठीक हो चुका है और पिछले 24 घंटे में बीमारी से कुल 1,62,664 लोग उबरे हैं। बीमारी से उबरने की राष्ट्रीय दर भी बेहतर होकर 94.55 प्रतिशत हो गयी है और इसमें लगातार वृद्धि हो रही है। भारत में पिछले 24 घंटे में कुल 19,85,967 जांच हुई जिसके साथ अब तक हुए जांच की कुल संख्या 37करोड़ से ज्यादा (37,01,93,563) है।

जहां एक तरफ पूरे देश में कोविड की जांच बढ़ गयी है, वहीं दूसरी तरफ साप्ताहिक पॉजिटिविटी रेट भी लगातार घट रहा है। साप्ताहिक पॉजिटिविटी रेट इस समय 5.66 प्रतिशत है जबकि दैनिक पॉजिटिविटी रेट घटकर आज 4.66 प्रतिशत हो गया। यह लगातार 16 दिनों से 10 प्रतिशत से कम बना हुआ है। राष्ट्रव्यापी टीकाकरण अभियान के तहत आज देश में कोविड-19 के टीके की दी जा चुकी खुराक की कुल संख्या 23.90 करोड़ से ज्यादा गयी। पिछले 24 घंटे में टीके की 27,76,096 खुराक दी गयीं।

अस्थायी रिपोर्ट के अनुसार आज सुबह सात बजे तक 33,44,533 सत्रों में कोविड-19 के टीके की कुल 23,90,58,360 खुराक दी जा चुकी हैं।

कोविड-19 टीकाकरण से जुड़ी नवीनतम जानकारी

कोविड-19 टीकाकरण से जुड़ी नवीनतम जानकारी

राष्ट्रव्यापी टीकाकरण अभियान के तहत भारत सरकार राज्यों और केंद्रशासित क्षेत्रों को निशुल्क कोविड टीके उपलब्ध कराकर उनकी मदद कर रही है। भारत सरकार राज्यों/केंद्रशासित क्षेत्रों को टीकों की सीधी खरीद की सुविधा भी प्रदान कर रही है। जांच, बीमारी का पता लगाने, उपचार और कोविड उपयुक्त व्यवहार के साथ-साथ महामारी की रोकथाम और प्रबंधन के लिए टीकाकरण भारत सरकार की व्यापक रणनीति का एक अभिन्न स्तंभ है।

कोविड-19 टीकाकरण की तीसरे चरण की उदारीकृत और त्वरित रणनीति का कार्यान्वयन एक मई 2021 से शुरू हो गया है।

रणनीति के तहत, हर महीने केंद्रीय औषधि प्रयोगशाला (सीडीएल) द्वारा मंजूरी प्राप्त किसी भी निर्माता के टीकों की 50% खुराक भारत सरकार द्वारा खरीदी जाएगी। भारत सरकार ये खुराक राज्य सरकारों को पूरी तरह से निशुल्क उपलब्ध कराना जारी रखेगी जैसा कि पहले किया जा रहा था।

भारत सरकार ने अब तक राज्यों/केंद्रशासित क्षेत्रों को कोविड टीके की 25 करोड़ से अधिक खुराक (25,06,41,440) मुफ्त श्रेणी और राज्यों द्वारा सीधी खरीद की श्रेणी के माध्यम से प्रदान की है। इसमें से कुल खपत (अपव्यय सहित) 23,74,21,808 खुराक (आज सुबह आठ बजे उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार) है।

राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के पास अब भी टीके की 1.33 करोड़ से ज्यादा (1,33,68,727) खुराक उपलब्ध हैं जिन्हें दिया जाना बाकी है।

इसके अलावा टीके की तीन लाख से ज्यादा (3,81,750) से ज्यादा खुराक प्रक्रियारत हैं और अगले तीन दिनों में राज्यों/केंद्रशासित क्षेत्रों को प्रदान कर दी जाएंगी। 

9 जून : कोविड-19 से जुड़ी नवीनतम जानकारी

9 जून : कोविड-19 से जुड़ी नवीनतम जानकारी

भारत में कोविड-19 के सक्रिय मामले और घटकर 13 लाख से कम (12,31,415) हुए, ऐसा 57 दिनों के बाद हुआ

पिछले 24 घंटे में सक्रिय मामलों में 72,287 की कमी आयी

लगातार दूसरे दिन नये मामलों की संख्या एक लाख से कम

पिछले 24 घंटे में 92,596 नये मामले दर्ज किए गए

देश में अब तक कुल 2,75,04,126 लोग कोविड-19 से उबरे

पिछले 24 घंटे में 1,62,664 लोग कोविड-19 से उबरे

लगातार 27वें दिन बीमारी से उबरने वाले लोगों की संख्या दैनिक नये मामलों की संख्या से ज्यादा

रिकवरी रेट बढ़कर 94.55 प्रतिशत हुआ

साप्ताहिक पॉजिटिविटी रेट इस समय 5.66 प्रतिशत

दैनिक पॉजिटिविटी रेट 4.66 प्रतिशत, लगातार 16वें दिन 10 प्रतिशत से कम

जांच की क्षमता में काफी वृद्धि – अब तक कुल 37.01 करोड़ जांच की गयी

 

 

राष्ट्रव्यापी टीकाकरण अभियान के तहत अब तक लोगों को टीके की 23.9 करोड़ खुराक दी गयीं

 

 इम्यूनिटी, ब्लड प्रेशर , शुगर कंट्रोल करता है  कद्दू का बीज, जानिए इसके फायदे

इम्यूनिटी, ब्लड प्रेशर , शुगर कंट्रोल करता है कद्दू का बीज, जानिए इसके फायदे

 कद्दू के बीज के फायदे कद्दू का बीज (Pumpkin Seeds) जितना छोटा दिखता है , उतना ही इसका न्‍यूट्रिशनल वैल्‍यू (Nutritional Value) ज्‍यादा होता है| अगर आप इसे रोजाना ब्रेकफास्‍ट में एक चम्‍मच भी लेते हैं तो यह आपके शरीर की जिंक, मैग्‍नेशियम और हेल्‍दी फैट की आपूर्ति को पूरा कर सकता है| मिनरल्स, विटामिन, हाई फाइबर से भरपूर यह बीज ड्राई फ्रूट की कैटैगरी में आता है और आमतौर पर हम इसका प्रयोग मिठाइयों या व्‍यंजनों को बनाने में करते हैं लेकिन बता दें कि यह सेहत (Health) के लिए किसी मेडिसीन से कम नहीं, हेल्थलाइन 

की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इसमें भरपूर मात्रा में फॉस्‍फोरस, मैग्‍नेशियम, आयरन, जिंक, कॉपर, विटामिन के, प्रोटीन, फाइबर, फैटी एसिड, पोटैशियम, विटामिन बी2 और एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है जो हमें कई बीमारियों से बचाता है| चलिये जानते हैं इसके फायदे,

 

1.ब्लड प्रेशर करता है कंट्रोल

पंपकिन सीड में मौजूद मैंगनीज, कॉपर, ज़िंक और फॉस्फोरस आदि ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में मदद करते हैं. इसमें मौजूद कई मिनरल्स खून में नमक की मात्रा को सामान्य करते हैं जिससे ब्‍लड प्रेशर नियंत्रण में रहता है, इसके अलावा यह ब्‍लड स्‍ट्रीम्‍स में शुगर को अवशोषित करता है| जिससे ब्‍लड शुगर कंट्रोल होता है|

 

2.वजन को रखता है कंट्रोल

पंपकिन सीड में हाई फाइबर होता है जो आपके पेट को भरा भरा रखता है. जिस वजह से हमें खाने को दखकर क्रेविंग नहीं होती और हम कम खाते हैं,  कम खाने से वजन भी तेजी से कम हो सकता है|

3.बढ़ाता है मेटाबॉलिज्म

पंपकिन सीड शरीर में मेटाबोलिज्म को बढ़ाता है. इसे डायजेस्‍ट करने में समय लगता है और पेट देर तक भरा रहता है.  इसके सेवन से डायजेशन संबं‍धी समस्‍याएं भी दूर होती है|

 

4.बढ़ाता है इम्यूनिटी

इसमें भरपूर मात्रा में जिंक पाया जाता है जो हमारे इम्यून सिस्टम को इंप्रूव करता है. इसके सेवन से हमारा शरीर सर्दी, खांसी, जुकाम और तमाम तरह के वायरल इंफेक्‍शन से हमें बचा रहता है|

5.शुगर को रखता है कंट्रोल

पंपकिन सीड में इंसुलिन की मात्रा को संतुलित करने की भी क्षमता होती है.  इसके अलावा यह ब्‍लड स्‍ट्रीम्‍स में शुगर को अवशोषित करता है जिससे ब्‍लड शुगर कंट्रोल होता है. यह डाइजेशन प्रोसेस को धीरे कर देता है जिससे खून में शुगर की मात्रा कम हो जाती है.  यही नहीं, इससे पैंक्रियाज को सही मात्रा में इंसुलिन निर्माण के लिए भरपूर समय मिल जाता है. ब्लड ग्लूकोज लेवल भी इससे नॉर्मल हो जाता है|

6.एंटीऑक्‍सीडेंट भरपूर

इसमें भरपूर मात्रा में एंटीऑक्‍सीडेंट पाए जाते हैं जो फ्री रेडिकल से हमारी त्‍वचा को बचाते हैं. यह किसी भी तरह के इनफ्लामेशन को भी हील करता है और एजिंग प्रोसेस को धीमा करता है|

7.हार्ट को रखता है हेल्‍दी

इसके सेवन से बैड कोलेस्‍ट्रॉल कम होता है और हाई ब्‍लड प्रेशर को यह नियंत्रित करता है जिससे हार्ट हेल्‍दी रहता है और किसी भी तरह के डिजीज से दूर रहता है|

पब्लिक हेल्‍थ एक्‍सपर्ट ने दी कोरोना की तीसरी लहर से बचने के लिए जानकारी,

पब्लिक हेल्‍थ एक्‍सपर्ट ने दी कोरोना की तीसरी लहर से बचने के लिए जानकारी,

 नई दिल्‍ली. कोरोना की दूसरी लहर ( covid second wave) में मची तबाही के बाद अब तीसरी लहर (Covid Third Wave) का खतरा बढ़ने की आशंका जताई जा  रही है, वहीं इसको लेकर वैज्ञानिकों का कहना है कि यह लहर बच्‍चों को अपना शिकार बना सकती है| इतना ही नहीं इस लहर में दूसरी लहर के मुकाबले काफी बड़ी संख्‍या में कोरोना के मामले आने की चेतावनी भी दी जा रही है| तीसरी लहर को लेकर अब पब्लिक हेल्‍थ एक्‍सपर्ट लॉकडाउन (Lock Down) को कड़ा करने या इसमें छूट देने जैसी चीजें करने के बजाय कुछ तरीके अपनाने की राय दे रहे हैं| ताकि लंबे समय त‍क इन उपायों से पूरी व्‍यवस्‍था को ठीक रखा जा सके और वायरस (Corona Virus) से भी लड़ा जा सके| नेशनल काउंसिल ऑफ डिजीज कंट्रोल (NCDC) से रिटायर्ड और दिल्‍ली के जाने-माने पब्लिक हेल्‍थ एक्‍सपर्ट डॉ. सतपाल देशभर में पूरी तरह लॉकडाउन खोल देने या लॉकडाउन लगा देने के बजाय कुछ जरूरी उपाय अपनाने की सलाह दे रहे हैं. उनका कहना है कि हफ्ते-15 दिन की पूरी सख्‍ती और फिर उसके बाद दी जा रही छूट से चीजें खराब हो रही हैं|

वे कहते हैं कि देश में कोरोना की पहली लहर के बाद जब कोरोना के मामलों में कमी आई तो सभी पाबंदियां हटा ली गईं और सभी को पूरी छूट दे दी गई जिसका परिणाम दूसरी लहर के रूप में भयंकर आया. इसी तरह जब कोरोना की तीसरी, चौथी और कई लहरों की चेतावनी दी जा चुकी है तो बहुत सावधानी बरतने की जरूरत है. साथ ही सबसे ज्‍यादा जरूरी है सरकारों की ओर से स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी इंतजामों के अलावा नियम और तरीके तय करना.

डॉ. सतपाल कहते हैं कि दिल्‍ली में पहले लॉकडाउन और अब लॉकडाउन में दी गई छूट के बाद संभव है कि अगर कोरोना के मामले बहुत नीचे पहुंचे तो सभी चीजों को पूरी तरह खोल दिया जाएगा. अभी भी सार्वजनिक परिवहन और मेट्रो ट्रेन (Metro Train) की सेवा भी शुरू हो गई है, सरकारी और प्राइवेट दफ्तर खुल गए हैं. रिटेल की दूकानें खुल ही रही हैं. ऐसे में अगर ये कह रहे हैं कि बहुत चीजें बंद हैं और लॉकडाउन है तो उसका फायदा नहीं नजर आ रहा है.

 

 सतपाल कहते हैं कि राज्‍य सरकारों को लॉकडाउन कम से कम छह महीने और लगाना चाहिए या फिर तब तक लगाना चाहिए जब तक कि सभी को कोरोना का टीका नहीं लग जाता. हालांकि इस दौरान पूरी तरह पाबंदियां लगाने की सलाह नहीं दी जा रही बल्कि चीजों को सीमित और समयबद्ध करने की सलाह दी जा सकती है|

 

दफ्तरों के लिए लागू हों ये नियम

 

 डॉ. सतपाल कहते हैं कि दिल्‍ली सहित अन्‍य राज्‍य सरकारें अपने यहां प्राइवेट और सरकारी सभी दफ्तरों को खोल सकती हैं लेकिन इसके लिए समय को बांट दें. जैसे कि सुबह सात बजे से लेकर शाम के पांच बजे तक हर एक या दो घंटे पर ऑफिसों का 20-25 फीसदी स्‍टाफ बुलाया जाए. साथ ही काम के घंटों को भी घटा दिया जाए. इसका फायदा यह होगा कि एक साथ भीड़ नहीं होगी न तो दफ्तरों में न ही सार्वजनिक परिवहन के वाहनों में. वहीं जो प्राइम टाइम की भीड़भाड़ होती है उससे बच पाएंगे और काम भी ठीक तरह से चलेगा|

इसका एक फायदा ये भी होगा कि जो लोग घरों पर रहकर मानसिक रोगी बन रहे हैं वे अपने काम को कम समय में बेहतर करने की कोशिश करेंगे और व्‍यस्‍त रहेंगे और मानसिक कष्‍ट से बचेंगे|

 

बाजार और शराब की दुकानों के लिए तय हो समय

 

दिल्‍ली की केजरीवाल सरकार ने शराब की होम डिलिवरी की बात की है. हालांकि शराब की दुकानों के लिए भी समय तय कर दें. थोक बाजार के काम के लिए तो वैसे भी बहुत ज्‍यादा दुकानें खोलने की जरूरत नहीं होती ऐसे में रिटेल के लिए समय तयह करना होगा.  जैसे कि एक इलाके की कुछ दुकानें सुबह 12 बजे तक खुलेंगी तो उसी इलाके की दूसरी दुकानें दोपहर एक से शाम पांच तक खुलेंगी|

डॉ. सतपाल कहते हैं कि इसका फायदा ये होगा कि सभी हर दिन अपनी दुकानें खोल पाएंगे साथ ही ग्राहकों को भी दिक्‍कत नहीं होगी कि वे बाजार से दुकान बंद होने के चलते खाली लौट आए|

एक बड़ी समस्‍या साप्‍ताहिक बाजारों की भी है. ऐसे में जहां जहां साप्‍ताहिक बाजार लगते हैं उन्‍हें रोजाना की अनुमति संख्‍या बांटकर दी जाए. जैसे कि साप्ताहिक बाजार में 200 स्‍टॉल लगते हैं तो 20-30 स्‍टॉल को रोजाना लगाने की अनुमति दी जाए. ऐसे में सप्‍ताह में एक बार हर स्‍टॉल वाले का नंबर आ जाएगा. इससे उनकी रोजी रोटी भी चलेगी और लोगों को भी एक दिन खरीदारी के लिए भीड़ नहीं लगानी होगी|

 

होटल और सिनेमा हॉल के लिए ये किया जा सकता है उपाय  

 

पब्लिक हेल्‍थ एक्‍सपर्ट कहते हैं कि आजकल घरों में बंद रह रहकर लोग साइकेट्रिस्‍ट के पास जा रहे हैं. इनसे बचा जा सकता है. इसके लिए जरूरी है कि अगर होटल में ओपन स्‍पेस है तो वहां लोगों को खाना-खाने की अनुमति दी जाए. जहां ओपन स्‍पेस नहीं है वहां से होम डिलिवरी कराई जा सकती है. इससे ये सब बंद भी नहीं होंगे और लोगों को भी सुविधाएं मिलती रहेंगी. रोजगार भी बना रहेगा और कोरोना से बचाव भी.

सिनेमा हॉल को किसी भी तरह खोलना खतरे पैदा करेगा इसलिए इसका उपाय ढूंढा जा सकता है. इसके लिए तमाम डिजिटल प्‍लेटफॉर्म या टीवी चैनलों पर फिल्मों को दिखाया जा सकता है. साथ ही सिनेमा हॉल मालिकों को इसके लिए कुछ पैसा दिया जाए ऐसी व्‍यवस्‍था बनाई जा सकती है|

 

बच्‍चों के खेलने और बाहर जाने को लेकर किया जा सकता है ये काम

 

स्‍कूल बंद होने के बाद बच्‍चे घरों में रह रहे हैं और ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं, इससे न केवल उनकी आंखें और विकास पर असर पड़ रहा है बल्कि वे मानसिक रूप से परेशान भी हो रहे हैं. ऐसे में पार्कों को खोलने का समय बढ़ाया जा सकता है. जब तक तेज धूप नहीं आती तब तक बच्‍चे पेड़-पौधों की छांव और पार्कों में खेल सकते हैं. शाम को भी जल्‍दी पार्क खोले जाएं और देर तक खुले रहें. पार्कों में बुजुर्गों के लिए भी एक समय तय कर दिया जाए. हालांकि इस दौरान सोशल डिस्‍टेंसिंग और मास्‍क का ध्‍यान रखा जाए, बाकि चीजें नॉर्मल चल सकती हैं|

डॉ. सतपाल कहते हैं कि यह वह समय है कि सिर्फ कोरोना से आदमी नहीं मर रहा है. बल्कि स्‍वस्‍थ्‍य और फिट न रहने के चलते कोरोना जैसे वायरस का मुकाबला नहीं कर पा रहा है और नुकसान हो रहा है. इस समय लोगों को मानसिक, शारीरिक और आर्थिक रूप से भी स्‍वस्‍थ होना होगा, तभी चीजें ठीक हो पाएंगी|

कोविड-19 टीकाकरण पर ताज़ा जानकारी

कोविड-19 टीकाकरण पर ताज़ा जानकारी

देशव्यापी टीकाकरण अभियान के अंग के रूप में केंद्र सरकार राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को कोविड वैक्सीन निशुल्क प्रदान करके उनका सहयोग कर रही है। इसके अलावा केंद्र सरकार राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को वैक्सीन की सीधी खरीद की भी सुविधा दे रही है। टेस्ट, ट्रैक, ट्रीट और कोविड उचित व्यवहार सहित महामारी के प्रबंधन और उसे रोकने के लिये केंद्र सरकार ने जो समग्र रणनीति बनाई है, टीकाकरण उसका अभिन्न हिस्सा है।

कोविड-19 के उदार और तेज तीसरे चरण का क्रियान्वयन एक मई, 2021 को शुरू हुआ था।

इस रणनीति के तहत केंद्र सरकार हर माह केंद्रीय औषधि प्रयोगशाला द्वारा मान्यताप्राप्त वैक्सीनों का 50 प्रतिशत निर्माताओं से खरीदती है। इन वैक्सीनों को राज्यों को बिलकुल निशुल्क प्रदान किया जाता है, जैसा पहले भी किया जाता था।

केंद्र सरकार ने अब तक निशुल्क और राज्य सरकारों द्वारा सीधी खरीद की सुविधा के जरिये राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को 24 करोड़ (24,65,44,060) से अधिक वैक्सीन की खुराकें मुहैया कराई हैं।

 

 

आज सुबह आठ बजे तक उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार इन खुराकों में से खराब होने वाली खुराकों सहित 23,47,43,489 खुराकों की खपत हुई है।

राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के पास लगाये जाने के लिये अब भी 1.19 करोड़ (1,19, 46,925) से अधिक खुराकें मौजूद हैं। 

8 जून : कोविड-19 पर ताज़ा जानकारी

8 जून : कोविड-19 पर ताज़ा जानकारी

भारत में 63 दिनों बाद पिछले 24 घंटों में रोजाना एक लाख से कम नए मामले दर्ज हुये।

पिछले 24 घंटों में 86,498 नये मामले दर्ज किये गये, जो 66 दिनों में सबसे कम हैं।

भारत के सक्रिय केस-लोड में और गिरावट दर्ज की गई और वह 13,03,702 रहा।

पिछले 24 घंटों में सक्रिय मामलों में 97,907  की कमी।

अभी तक देश भर में कोविड संक्रमण से कुल 2,73,41,462 लोग स्वस्थ हो चुके हैं।

पिछले 24 घंटों के दौरान 1,82,282 मरीज स्वस्थ हुये।

पिछले लगातार 26वें दिन दैनिक नये मामलों की तुलना में दैनिक स्वस्थ होने वाले लोगों की संख्या अधिक रही।

रिकवरी दर में इजाफा, वह 94.29 प्रतिशत पहुंची।

साप्ताहिक पॉजिटिविटी दर वर्तमान में 5.94  प्रतिशत है।

दैनिक पॉजिटिविटी दर 4.62  प्रतिशत तक पहुंची और लगातार 1 दिनों से यह 10 प्रतिशत से कम पर कायम है।

जांच क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि के साथअभी तक कुल 36.8 करोड़ से अधिक जांचें की जा चुकी हैं।

भारत ने देशव्यापी टीकाकरण अभियान के तहत अब तक 23.61 करोड़ टीके लगाये हैं।

क्या कोरोना की तीसरी लहर से बच्चों को है बड़ा खतरा? जानें AIIMS के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने क्या कहा है

क्या कोरोना की तीसरी लहर से बच्चों को है बड़ा खतरा? जानें AIIMS के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने क्या कहा है

नई दिल्ली, कोरोना वायरस की तीसरी लहर क्या बच्चों पर ज्यादा असर करेगी? इसको लेकर इस वक्त हर कोई चर्चा कर रहा है. इस बीच दिल्ली के एम्स अस्पताल के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया ने साफ कर दिया है कि वैश्विक या भारतीय स्तर पर बच्चों को लेकर ऐसा कोई डेटा नहीं है कि तीसरी लहर का असर बच्चों पर ज्यादा होगा.


रणदीप गुलेरिया ने मंगलवार को स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से हुए प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि कोरोना वायरस की दूसरी लहर में भी जो बच्चे वायरस से संक्रमित हुए हैं वो या तो बेहद कम बीमार हुए या वो पहले से किसी बीमारी से जूझ रहे थे. उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि आने वाले दिनों में बच्चे कोरोना से गंभीर रूप से संक्रमित होंगे.


संक्रमण के नए मामलों में आ रही तेज़ी से गिरावट


केंद्र सरकार ने कहा कि देश में रोजाना कोरोना वायरस के नए मामलों में लगातार और तेजी से गिरावट आ रही है. हालांकि सरकार ने जोर दिया कि कोविड-19 संबंधी उपयुक्त व्यवहार का पालन किया जाना चाहिए ताकि भविष्य में किसी और लहर को आने से रोका जा सके. स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने स्वास्थ्य मंत्रालय की प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि सात मई को चरम स्तर पर पहुंचने के बाद से दैनिक नए मामलों में करीब 79 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है.


उन्होंने कोरोना की दूसरी लहर पर कहा कि दैनिक नए मामलों में लगातार और तेजी से गिरावट आई है. उन्होंने कहा कि भारत में प्रति दस लाख आबादी पर कोरोना वायरस के 20,822 मामले आए और 252 मौतें हुई हैं जो दुनिया में सबसे कम है. भविष्य में कोरोना की किसी और लहर को रोकने के लिए सरकार ने आबादी का टीकाकरण होने तक कोविड संबंधी उपयुक्त व्यवहार का पालन करने पर जोर दिया.


उन्होंने कहा कि 3 मई को देश में रिकवरी रेट 81.8 फीसदी था, अब रिकवरी रेट 94.3 फीसदी हो गया है. पिछले 24 घंटों में देश में 1,82,000 रिकवरी हुई हैं. हर राज्य में अब रिकवरी की संख्या प्रतिदिन दर्ज़ किए जा रहे मामलों की संख्या से ज्यादा है.


लव अग्रवाल ने कहा कि जहां 7 मई को देश में प्रतिदिन के हिसाब से 4,14,000 मामले दर्ज किए गए थे, वे अब 1 लाख से भी कम हो गए हैं. पिछले 24 घंटों में 86,498 मामले देश में दर्ज़ किए गए. यह 3 अप्रैल के बाद अब तक एक दिन के सबसे कम मामले हैं. उन्होंने बताया कि 4 मई को देश में 531 ऐसे ज़िले थे, जहां प्रतिदिन 100 से अधिक मामले दर्ज़ किए जा रहे थे, ऐसे ज़िले अब 209 रह गए हैं.

 

ब्रे़किंग: भारत में मिला कोरोना का नया वैरिएंट, जाने यह कितना है खतरनाक

ब्रे़किंग: भारत में मिला कोरोना का नया वैरिएंट, जाने यह कितना है खतरनाक

नई दिल्ली। भारत में कोरोना संक्रमण के नियंत्रण में आ रहे हालात के बीच डराने वाली खबर आई है। पुणे की नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी ने कोरोनावायरस की जिनोम सीक्वेंसिंग में नए वैरिएंट का पता लगाया है। एक अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, यह वैरिएंट ब्रिटेन और ब्राजील से भारत आए लोगों में पाया गया है। इंस्टीट्यूट ने इसे बी1.1.28.2 नाम दिया है। यह भारत में पाए गए डेल्टा वैरिएंट की ही तरह गंभीर है। इससे संक्रमित लोगों में कोरोना के गंभीर लक्षण दिख सकते हैं। वैरिएंट की स्टडी के बाद पाया गया कि यह लोगों को गंभीर रूप से बीमार कर सकता है। इस वैरिएंट के खिलाफ वैक्सीन असरदार है या नहीं, इसके लिए स्क्रीनिंग की जरूरत बताई गई है। इसी इंस्टीट्यूट की एक और स्टडी में बताया गया कि स्वदेशी कोरोना वैक्सीन कोवैक्सिन इस वैरिएंट के खिलाफ भी असरदार है और वैक्सीन की दो डोज से जो एंटीबॉडीज बनती हैं। उससे इस वैरिएंट को न्यूट्रिलाइज किया जा सकता है। एक अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, यह वैरिएंट ब्रिटेन और ब्राजील से भारत आए लोगों में पाया गया है। इंस्टीट्यूट ने इसे बी1.1.28.2 नाम दिया है। यह भारत में पाए गए डेल्टा वैरिएंट की ही तरह गंभीर है। इससे संक्रमित लोगों में कोरोना के गंभीर लक्षण दिख सकते हैं। वैरिएंट की स्टडी के बाद पाया गया कि यह लोगों को गंभीर रूप से बीमार कर सकता है। इस वैरिएंट के खिलाफ वैक्सीन असरदार है या नहीं, इसके लिए स्क्रीनिंग की जरूरत बताई गई है। इसी इंस्टीट्यूट की एक और स्टडी में बताया गया कि स्वदेशी कोरोना वैक्सीन कोवैक्सिन इस वैरिएंट के खिलाफ भी असरदार है और वैक्सीन की दो डोज से जो एंटीबॉडीज बनती हैं। उससे इस वैरिएंट को न्यूट्रिलाइज किया जा सकता है।

 
भारत के सक्रिय मामले आज गिरकर हुये, इतने ... देखें आकड़े

भारत के सक्रिय मामले आज गिरकर हुये, इतने ... देखें आकड़े

पिछले 24 घंटों में भारत में कोविड के 1,000,636 नये मामले दर्ज किये गये। दो महीनों में यह आंकड़ा सबसे कम है। देश में लगातार 11वें दिन दो लाख रोजाना से कम नये मामले दर्ज किये गये हैं। यह ‘समग्र सरकारी तंत्र’ की भावना के तहत केंद्र और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के सतत प्रयास और सहयोग से मुमकिन हो सका है।
भारत में सक्रिय मामलों में लगातार गिरावट देखी जा रही है। देश का सक्रिय केस-लोड दूसरे दिन भी 15 लाख से नीचे कायम रहा है। आज उसकी दर 14,01,609 है। सात दिनों से लगातार केस-लोड 20 लाख से नीचे बना हुआ है।

पिछले 24 घंटों में कोविड मामलों में कुल गिरावट 76,190 दर्ज की गई। सक्रिय मामले अब देश के कुल पॉजीटिव मामलों का महज़ 4.85 प्रतिशत हैं।

कोविड-19 संक्रमण से उबरने वाले लोगों की तादाद बढ़ रही है। इसके साथ ही भारत में रोजाना रिकवरी लगातार 25वें दिन भी नये मामलों से अधिक रही। पिछले 24 घंटों के दौरान 1,74,399 लोग कोविड से उबरे हैं।

पिछले 24 घंटों में रोजाना नये मामलों के मुकाबले 73,764 की और रिकवरी दर्ज की गई है। महामारी की शुरूआत से संक्रिमत होने वाले कुल लोगों में से 2,71,59,180 लोग कोविड-19 से स्वस्थ हो चुके हैं। इस आधार पर रिकवरी दर 93.94 प्रतिशत बैठती है, जिसमें लगातार बढ़ोतरी का रुझान बना हुआ है।

देश में पिछले 24 घंटों में कुल 15,87,589 जांचें की गईं। आमूल रूप से देखा जाये, तो भारत में अब तक 36.6 करोड़ (36,63,34,111) से अधिक जांचे हो चुकी हैं।

एक तरफ देश में जांचों को बढ़ाया जा रहा है, तो दूसरी तरफ पॉजीटिविटी में लगातार गिरवाट नजर आ रही है। दैनिक पॉजीटिविटी दर आज 6.34 प्रतिशत रही। यह 14वें भी लगातार 10 प्रतिशत से कम पर कायम है।

टीकाकरण के मोर्चे पर देशव्यापी टीकाकरण अभियान के तहत 23.27 करोड़ खुराकें लगाई जा चुकी हैं।
आज सात बजे सुबह तक मिली अस्थायी रिपोर्ट के आधार पर 32,68,969 सत्रों के जरिये कुल 23,27,86,482 टीके लगाये गये।

कोविड-19 टीकाकरण से जुड़ी नवीनतम जानकारी

कोविड-19 टीकाकरण से जुड़ी नवीनतम जानकारी

राष्ट्रव्यापी टीकाकरण अभियान के तहत भारत सरकार राज्यों और केंद्रशासित क्षेत्रों को निशुल्क कोविड टीके उपलब्ध कराकर उनकी मदद कर रही है। भारत सरकार राज्यों/केंद्रशासित क्षेत्रों को टीकों की सीधी खरीद की सुविधा भी प्रदान कर रही है। जांचबीमारी का पता लगानेउपचार और कोविड उपयुक्त व्यवहार के साथ-साथ महामारी की रोकथाम और प्रबंधन के लिए टीकाकरण भारत सरकार की व्यापक रणनीति का एक अभिन्न स्तंभ है।

कोविड-19 टीकाकरण की तीसरे चरण की उदारीकृत और त्वरित रणनीति का कार्यान्वयन एक मई 2021 से शुरू हो गया है।

रणनीति के तहतहर महीने केंद्रीय औषधि प्रयोगशाला (सीडीएल) द्वारा मंजूरी प्राप्त किसी भी निर्माता के टीकों की 50 प्रतिशत खुराक भारत सरकार द्वारा खरीदी जाएगी। भारत सरकार ये खुराक राज्य सरकारों को पूरी तरह से निशुल्क उपलब्ध कराना जारी रखेगी जैसा कि पहले किया जा रहा था।

भारत सरकार ने अब तक राज्यों/केंद्रशासित क्षेत्रों को कोविड टीके की 24 करोड़ से अधिक खुराक (24,60,80,900) मुफ्त श्रेणी और राज्यों द्वारा सीधी खरीद की श्रेणी के माध्यम से प्रदान की है। इसमें से कुल खपत (अपव्यय सहित) 23,11,69,251 खुराक (आज सुबह आठ बजे उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार) है।

 

 

राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के पास अब भी टीके की 1.49 करोड़ से ज्यादा (1,49,11,649) खुराक उपलब्ध हैं जिन्हें दिया जाना बाकी है।

 

7 जून : कोविड-19 पर ताज़ा जानकारी

7 जून : कोविड-19 पर ताज़ा जानकारी

भारत में पिछले 24 घंटों में एक लाख दैनिक नए मामले दर्ज हुये, जो 61 दिनों में सबसे कम हैं।

भारत के सक्रिय मामलों में गिरावट दर्ज की गई और वह 14,01,609 रहा।

पिछले 24 घंटों में सक्रिय मामलों में 76,190 की कमी।

अभी तक देश भर में कोविड संक्रमण से कुल 2,71,59,180 रिकवरी हो चुकी है।

पिछले 24 घंटों के दौरान 1,74,399 मरीज स्वस्थ हुये।

पिछले लगातार 25वें दिन दैनिक नये मामलों की तुलना में दैनिक रिकवरी अधिक रही।

रिकवरी दर में इजाफा, वह 93.94 प्रतिशत पहुंची।

साप्ताहिक पॉजीटिविटी दर वर्तमान में 6.21 प्रतिशत है।

दैनिक पॉजीटिविटी दर में और गिरावट। वह अब 6.34 प्रतिशत तक पहुंची और लगातार 14 दिनों से यह 10 प्रतिशत से कम पर कायम है।

जांच क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि के साथ, अभी तक कुल 36.6 करोड़ से अधिक जांचें की जा चुकी हैं।

 

भारत ने देशव्यापी टीकाकरण अभियान के तहत अब तक 23.27 करोड़ टीके लगाये हैं।

 

नहीं बिक रही चीनी वैक्सीन, खाड़ी देशों में सेल्समैन बन आवाज लगा रहे हैं प्रधानमंत्री

नहीं बिक रही चीनी वैक्सीन, खाड़ी देशों में सेल्समैन बन आवाज लगा रहे हैं प्रधानमंत्री

चीनी वैक्सीन को खरीदार नहीं मिल रहे हैं तो पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान अपने 'सदाबहार दोस्त' के लिए सेल्समैन की भूमिका में आ गए हैं। खुद उनके ही मंत्री ने इसकी पोल खोल दी है। पाकिस्तान के बड़बोले गृहमंत्री शेख राशिद ने रविवार को कहा कि सऊदी अरब और खाड़ी के दूसरे देशों में चीनी वैक्सीन की अस्वीकार्यता के मामले को प्रधानमंत्री इमरान खान खुद देख रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इमरान इन देशों से गुजारिश कर रहे हैं कि चीनी वैक्सीन खरीदें
इस्लामाबाद में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में शेख राशिद ने कहा, ''उन्होंने (पीएम इमरान) कैबिनेट को बताया है कि वह खाड़ी के देशों के साथ संपर्क में हैं। सिनोफार्मा एक बेहतरीन वैक्सीन है और मैं इस मामले में चीनी सहयोग को सैल्यूट करता हूं।'' चाइनीज कंपनी की ओर से तैयार सिनोफार्मा कोविड-19 वैक्सीन को पिछले महीने ही विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने आपातकालीन इस्तेमाल के लिए मंजूर किया है।
WHO से मंजूरी मिल जाने के बावजूद चीनी वैक्सीन के असर और प्रभाव को लेकर चिंताएं बरकरार है। वॉशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, खुद चीन के सेंट्रल फॉर डिजिज कंट्रोल (CDC) ने अप्रैल में स्वीकार किया था कि यह वैक्सीन बहुत अधिक प्रभावी नहीं है और इसमें सुधार की आवश्यकता है। CDC के डायरेक्टर जॉर्ज गाओ ने कहा था कि समस्या के समाधान के लिए चीन को वैक्सीन बदलना होगा, क्योंकि मौजूदा टीके बहुत प्रभावी नहीं हैं।
गाओ का बयान सार्वजनिक होने के बाद यह चाइनीज सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। हालांकि, बाद में बीजिंग ने इस पर पर्दा डालने की कोशिश में कहा कि CDC चीफ के बयान को संदर्भ से अलग पेश किया जा रहा है। चीन के नेशनल हेल्थ कमीशन ने गुरुवार को कहा कि बीजिंग अब तक 80 देशों को चिकित्सा सहायता भेज चुका है और दुनिया में 43 देशों को 30 करोड़ डोज टीकों की आपूर्ति की है।
 

कोविड के कुछ टेस्ट क्यों देतें हैं गलत रिपोर्ट, जाने क्या है इसका कारण

कोविड के कुछ टेस्ट क्यों देतें हैं गलत रिपोर्ट, जाने क्या है इसका कारण

नई दिल्लीमेलबर्न में कोरोना वायरस संक्रमण के मौजूदा प्रकोप से पूर्व में जोड़े गए कोविड-19 के दो मामलों को अब गलत तरीके से पॉजिटिव (संक्रमित) बताए गए मामलों के रूप में वर्गीकृत कर दिया गया है। ये मामले विक्टोरिया के आधिकारिक आंकड़ों में शामिल नहीं हैं जबकि इन मामलों से जोड़े गए कई जोखिम स्थलों को भी हटा दिया गया है। 

बनी रहती है फॉल्स पॉजिटिव रिपोर्ट का आशंका

कोविड-19 के लिए जिम्मेदार सार्स-सीओवी-2 वायरस की पहचान करने के लिए मुख्य और “स्वर्ण मानक जांच रिवर्स ट्रांसक्रिप्टेज पॉलीमरेज चेन रिएक्शन (आरटी-पीसीआर) जांच है। आरटी-पीसीआर जांच अत्यधिक विशिष्ट है। इसका अर्थ यह है कि अगर कोई सचमुच संक्रमित नहीं है तो इस बात की अत्यधिक संभावना है कि जांच परिणाम नेगेटिव ही आएंगे। यह जांच बहुत संवेदनशील भी है। इसलिए अगर कोई सचमुच वायरस से संक्रमित है तो इस बात की भी संभावना अधिक है कि जांच परिणाम पॉजिटिव आएगा। लेकिन भले ही जांच अत्यधिक विशिष्ट है, लेकिन इस बात की थोड़ी सी आशंका रहती है कि किसी व्यक्ति को अगर संक्रमण न हो तो भी जांच परिणाम में वह पॉजिटिव यानी संक्रमित दिखे। इसको “फॉल्स पॉजिटिव कहा जाता है”।

कैसे काम करती है आरटी-पीसीआर जांच?

इसे समझने के लिए सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि आरटी-पीसीआर जांच काम कैसे करती है। कोविड काल में ज्यादातर लोगों ने पीसीआर जांच के बारे में सुना है लेकिन यह काम कैसे करती है यह अब भी कुछ हद तक रहस्य जैसा है। आसान और कम शब्दों में समझने की कोशिश की जाए तो नाक या गले से रूई के फाहों से लिए गए नमूनों (स्वाब सैंपल) में से आरएनए (राइबोन्यूक्लिक एसिड, एक प्रकार की आनुवांशिक सामग्री) को निकालने के लिए रसायनों का प्रयोग किया जाता है। इसमें किसी व्यक्ति के आम आरएनए और अगर सार्स-सीओवी-2 वायरस मौजूद है तो उसका आरएनए शामिल होता है। इस आरएनए को फिर डीएनए (डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड) में बदला जाता है- इसी को “रिवर्स ट्रांसक्रिप्टेज (आरटी) कहा जाता है। वायरस का पता लगाने के लिए डीएनए के छोटे खंडों को परिवर्धित किया जाता है। विशेष प्रकार के प्रतिदीप्त (फ्लोरोसेंट) डाई की मदद से, किसी जांच की नेगेटिव या पॉजिटिव के तौर पर पहचान की जाती है जो 35 या उससे अधिक परिवर्धन चक्र के बाद प्रकाश की चमक पर आधारित होता है। 

क्यों आती है फॉल्स पॉजिटिव रिपोर्ट

 

गलत पॉजिटिव परिणाम क्यों आते हैं, इसके पीछे मुख्य कारण प्रयोगशाला में हुई गलती और लक्ष्य से हटकर हुई प्रतिक्रिया है यानी परीक्षण किसी ऐसी चीज के साथ क्रॉस रिएक्ट कर गया जो सार्स-सीओवी-2 नहीं है। प्रयोगशाला में हुई गलतियों में लिपिकीय त्रुटियां, गलत नमूने की जांच करना, किसी दूसरे के पॉजिटिव नमूने से अन्य नमूने का दूषित हो जाना या प्रयोग किए गए प्रतिक्रियाशील द्रव्यों के साथ समस्या होना (जैसे रसायन, एंजाइम और डाई)। जिसे कोविड-19 हुआ हो और वह ठीक हो गया हो वह भी कभी-कभी जांच में संक्रमित दिखता है।

गलत पॉजिटिव दर

ऐसे गलत परिणाम कितने आम हैं, इन्हें समझने के लिए हमें गलत पॉजिटिव दर को देखना होगा यानी जिन लोगों की जांच हुई और जो संक्रमित न होने के बावजूद पॉजिटिव पाए गए उनका अनुपात। हाल के एक प्रीप्रिंट (ऐसा पत्र जिसकी समीक्षा नहीं हुई या अन्य अनुसंधानकर्ताओं ने जिसका स्वतंत्र रूप से प्रमाणीकरण न किया हो) के लेखकों ने आरटी-पीसीआर जांच के लिए गलत पॉजिटिव दरों पर साक्ष्यों की समीक्षा की। उन्होंने कई अध्ययनों के जांच परिणामों को मिलाया और यह दर 0-16.7 प्रतिशत पाई। इन अध्ययनों में से 50 प्रतिशत अध्ययनों में यह दर 0.8-4.0 प्रतिशत तक पाई गई थी।

गलत नेगेटिव दर 

आरटी-पीसीआर जांच में गलत नेगेटिव दरों पर की गई एक व्यवस्थित समीक्षा में गलत नेगेटिव दर 1.8-5.8 प्रतिशत पाई गई। हालांकि, समीक्षा में माना गया कि ज्यादातर अध्ययनों की गुणवत्ता खराब थी। इस लेख के लेखक के अनुसार कोई जांच एकदम सटीक नहीं है। उदाहरण के लिए अगर आरटी-पीसीआर जांच में गलत पॉजिटिव पाए जाने की दर चार प्रतिशत मानी जाए तो प्रत्येक 1,00,00 लोग जो जांच में नेगेटिव पाए गए हैं और जिन्हें सच में संक्रमण नहीं है, उनमें से 4,000 गलत तरीके से पॉजिटिव आ सकते हैं। समस्या यह है कि इनमें से ज्यादातर के बारे में हमें कभी पता नहीं चलेगा। संक्रमित मिलने वाले व्यक्ति को पृथक-वास में रहने को कहा जाएगा और उससे संपर्क में आया हर व्यक्ति यह मान लेगा कि उसमें बिना लक्षण वाली बीमारी है।

कोई व्यक्ति जो गलत जांच के कारण संक्रमित बताया जाता है उसे मजबूरन पृथक-वास में रहना पड़ता है। किसी को अगर यह बताया जाए कि आपको घातक बीमारी है तो यह बहुत तनाव देने वाला होता है खासकर बुजुर्गों के लिए क्योंकि उनका स्वास्थ्य पहले से जोखिमों से भरा होता है। इसी तरह गलत नेगेटिव परिणाम भी स्पष्ट रूप से बहुत चिंताजनक हैं क्योंकि संक्रमित लोगों का समुदाय में यूं ही घूमना-फिरना खतरनाक हो सकता है।  कुल मिलाकर कहा जाए कि फॉल्स नेगेटिव या फॉल्स पॉजिटिव दोनों ही परिणाम समस्या खड़ी करने वाले हैं।

 

Source: Hindustan News

कोविड-19 टीकाकरण अपडेट

कोविड-19 टीकाकरण अपडेट

राष्ट्रव्यापी टीकाकरण अभियान के हिस्से के रूप में, भारत सरकार राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को निशुल्क कोविड टीके उपलब्ध कराने के जरिये उनकी सहायता करती रही है। इसके अतिरिक्त, भारत सरकार राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा टीकों की प्रत्यक्ष खरीद को भी सुगम बनाती रही है। टीकाकरण टेस्ट, ट्रैक, ट्रीट एवं कोविड समुचित बर्ताव के साथ साथ महामारी के नियंत्रण तथा प्रबंधन के लिए भारत सरकार की व्यापक रणनीति का एक अंतरंग हिस्सा है।

कोविड-19 टीकाकरण की उदार और त्वरित चरण-3 रणनीति का कार्यान्वयन 1 मई 2021 से आरंभ हुआ है।

इस रणनीति के तहत, प्रत्येक महीने किसी भी विनिर्माता की सेंट्रल ड्रग लैबोरेट्ररी (सीडीएल) स्वीकृत टीकों के 50 प्रतिशत की खरीद भारत सरकार द्वारा की जाएगी। यह राज्य सरकारों को पूरी तरह निशुल्क रूप से इन टीकों को उपलब्ध कराना जारी रखेगी जैसाकि यह पहले से ही करती रही है।

भारत सरकार ने अभी तक निशुल्क श्रेणी और प्रत्यक्ष राज्य खरीद श्रेणी के जरिये राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को 24 करोड़ से अधिक (24,60,80,900) टीके उपलब्ध कराये हैं।

इनमें से, अपव्यय सहित कुल उपभोग 22,96,95,199 टीकों (आज सुबह 8 बजे तक उपलब्ध डाटा के अनुसार) का हुआ है।

 

 

राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के पास अभी भी लगाये जाने के लिए 1.63 करोड़ से अधिक (1,63,85,701) कोविड टीके उपलब्ध हैं।

 

6 जून : कोविड-19 अपडेट

6 जून : कोविड-19 अपडेट

भारत ने पिछले 24 घंटों में 1.14 लाख दैनिक नए मामले दर्ज कराये जो 60 दिनों में सबसे कम है

निरंतर गिरावट के रुझान के साथ, भारत के दैनिक नए मामले लगातार 10 दिनों से 2 लाख से कम हैं

भारत के सक्रिय मामले 15 लाख से नीचे हैं, आज यह 14,77,799 हैं

पिछले 24 घंटों में सक्रिय मामलों में 77,449 की कमी

अभी तक देश भर में कोविड संक्रमण से 2.69 करोड़ से अधिक व्यक्ति रिकवर हो चुके हैं

पिछले 24 घंटों के दौरान 1,89,232 रोगी स्वस्थ हुए

पिछले लगातार 24 दिनों से दैनिक नए मामलों की तुलना में दैनिक रिकवरी अधिक रही

राष्ट्रीय रिकवरी दर में निरंतर स्थिर वृद्धि बरकरार, आज यह 93.67 प्रतिशत तक पहुंची

साप्ताहिक पोजिटिविटी दर वर्तमान में 6.54 प्रतिशत है

दैनिक पोजिटिविटी दर और गिर कर 5.62 प्रतिशत तक आई, लगातार 13 दिनों से यह 10 प्रतिशत से कम है

जांच क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि के साथ, अभी तक कुल 36.4 करोड़ से अधिक जांचें की जा चुकी हैं

 

भारत ने 23 करोड़ से अधिक की टीकाकरण कवरेज  उपलब्धि हासिल की, अभी तक 23.13 करोड़ टीके लगाये जा चुके हैं

 

अगर तेजी से घट रहा है आपका वजन, तो हो जाएं सावधान...

अगर तेजी से घट रहा है आपका वजन, तो हो जाएं सावधान...

नई दिल्ली। अल्फा, बीटा, गामा और डेल्टा के बाद भारत में एक और नए कोरोना वैरिएंट का खुलासा हुआ है जो सात दिन में ही मरीज का वजन कम कर सकता है। वायरस का यह वैरिएंट ब्राजील में सबसे पहले मिला था लेकिन वहां से एक ही वैरिएंट के भारत में आने की पुष्टि की गई थी। अब वैज्ञानिकों ने स्पष्ट किया है कि ब्राजील से एक नहीं बल्कि दो वैरिएंट भारत में आए हैं और ये दूसरा वैरिएंट बी .1.1.28.2 काफी तेज है।
सीरियाई हैमस्टर (एक प्रजाति का चूहा) में परीक्षण से पता चला है कि संक्रमित होने के सात दिन में ही इस वैरिएंट की पहचान हो सकती है। यह वैरिएंट तेजी से शरीर का वजन कम कर सकता है और डेल्टा की तरह ये भी ज्यादा गंभीर और एंटीबॉडी क्षमता कम कर सकता है।
पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वॉयरोलॉजी (एनआईवी) की डॉ. प्रज्ञा यादव ने बताया कि बी.1.1.28.2 वैरिएंट बाहर से आए दो लोगों में मिला था। जिसकी जीनोम सीक्वेसिंग करने के बाद परीक्षण भी किया ताकि उसके असर के बारे में हमें पता चल सके। अभी तक भारत में इसके बहुत अधिक मामले नहीं है। जबकि डेल्टा वैरिएंट सबसे ज्यादा मिल रहा है। हालांकि सतर्कता बेहद जरूरी है क्योंकि एंटीबॉडी का स्तर भी कम करता है जिसके चलते दोबारा से संक्रमित होने की आशंका बढ़ जाती है।
उन्होंने बताया कि इसी साल जनवरी में कोरोना वायरस के पी1 वंश का पता चला जिसे 20जे/501वाईवी3 नाम से भी जाना जाता है। इसमें 17 तरह के स्पाइक प्रोटीन पर बदलाव देखे गए थे जिनमें एन501वाई, ई484के और के417एन शामिल हैं। इसी दौरान पी2 वंश भी भारत में आया था जिसके बारे में अब पता चला है। इस वायरस के स्पाइक प्रोटीन में ई484के नामक अमीनो एसिड बदलाव मिला है लेकिन इसमें एन501वाई और के417एन नामक परिवर्तन नहीं हैं। चूंकि सरकार ने विदेश यात्रा से लौटे सभी यात्रियों के सैंपल की जीनोम सिक्वेसिंग को अनिवार्य किया है। इसीलिए हमें नए वैरिएंट के बारे में पता भी चल गया।
 नौ में से तीन सीरियाई हैमस्टर की मौत
विदेश यात्रा से लौटे 69 और 26 वर्षीय दो लोगों के सैंपल की सिक्वेसिंग की गई थी। रिकवरी होने के तक ये दोनों रोगियों में लक्षण नहीं था लेकिन इनके सैंपल की सीक्वेसिंग के बाद जब बी.1.1.28.2 वैरिएंट का पता चला तो उसका नौ सीरियाई हैमस्टर पर सात दिन के लिए परीक्षण किया। इनमें से तीन की मौत शरीर के अंदुरुनी भाग में संक्रमण बढ़ने से हुई। इस दौरान फेफड़े की विकृति के बारे में भी पता चला और साथ ही एंटीबॉडी का स्तर कम होने के बारे में भी जानकारी मिली है।
 इंसान-सीरियाई हैमस्टर पर अलग परिणाम
इस अध्ययन में यह देखने को मिला है कि जिन दो लोगों में यह वैरिएंट मिला, वे बिना लक्षण वाले थे लेकिन जब इस वैरिएंट से सीरियाई हैमस्टर को संक्रमित किया तो गंभीरता के बारे में पता चला। वैज्ञानिकों के अनुसार कोरोना वायरस के ज्यादातर परीक्षण सीरियाई हैमस्टर पर हो रहे हैं। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि अगर बी.1.1.28.2 से जुड़े मामले बढ़ते हैं तो इसका असर इंसानों पर काफी गंभीर हो सकता है।