घुटनों में दर्द की समस्या आजकल केवल बड़े-बुजुर्गों तक ही सीमित नहीं रही, बल्कि किसी भी उम्र के व्यक्ति में ये समस्या देखने को मिल रही है। आइए, कुछ ऐसे घरेलू उपचार जानते हैं जिन्हें अपनाकर इस समस्या से निजात पाया जा सकता है -
1 रोज सुबह नियमित खाली पेट 1 चम्मच मेथी पाउडर में 1 ग्राम कलौंजी मिलाकर गुनगुने पानी के साथ पिएं। इस मिश्रण को चाहें तो दोपहर और रात के भोजन के बाद भी आधा-आधा चम्मच ले सकते है। इससे जॉइंट्स मजबूत होने में मदद मिलेगी।
2 किसी मुलायम कपड़े को गर्म पानी में भिगोएं और निचोड़ें, अब इस कपड़े से घुटनों की सिकाई करें। ऐसा करने से भी घुटनों के दर्द में आराम मिलता है।
3 खाने में गर्म तासीर वाली चीजें जैसे दालचीनी, जीरा, अदरक और हल्दी आदि का अधिक इस्तेमाल करें। इनके सेवन से घुटनों की सूजन और दर्द कम होने में मदद होती है।
4 मेथी दाना, सौंठ और हल्दी बराबर मात्रा में मिलाएं। इस मिश्रण को तवे पर अच्छे से भूनें फिर पीसकर पाउडर बना लें। अब इस पाउडर का नियमित सुबह-शाम भोजन के बाद गर्म पानी के साथ सेवन करें।
5 हो सके तो सुबह खाली पेट लहसुन की एक कली दही के साथ खाएं। इससे भी घुटनों के दर्द में आराम मिलेगा।
6 नीम और अरंडी के तेल को बराबर मात्रा में मिलाकर हल्का गर्म करें, फिर इस तेल से सुबह-शाम जोड़ों पर मालिश करें। इससे भी घुटनों के दर्द में आराम मिलेगा।
7 ऐसा माना जाता है कि गेहूं के दाने जितना चूना दही या दूध में मिलाकर दिन में एक बार खाएं। ऐसा नियमित 90 दिनों तक करने से शरीर में कैल्शियम की कमी दूर होती है।
सर्दियों में हरी सब्जियों की भरमार होती है। इनमें मेथी काफी अहम है। मेथी सिर्फ स्वाद में ही नहीं, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद होती है। मेथी को कई बीमारियों के इलाज के लिए अच्छा माना जाता है। मेथी के पत्ते हों या फिर बीज दोनों ही अलग-अलग फायदों की वजह से जाने जाते हैं। वैसे तो मेथी के दानों को आप किसी भी सीजन में खा सकते हैं लेकिन मेथी का साग सिर्फ सर्दियों के मौसम में आता है। लिहाजा इस दौरान मेथी का सेवन कितना फायदेमंद है, यहां जानें।
हार्ट को हेल्दी रखती है मेथी
मेथी हृदय को स्वस्थ बनाने में मदद करती है। इसमें पोटैशियम और सेलेनियम की अच्छी मात्रा होती है। इसलिए आप सर्दियों में जितना हो सके मेथी का सेवन करें। मेथी शरीर में बैड कलेस्ट्रॉल को कम करने में मददगार है। इसमें मौजूद लिपोप्रोटीन (एलडीएल) कलेस्ट्रॉल के स्तर कम करने में मदद करता है और आपको दिल संबंधी बीमारियों से दूर रखता है। इसके अलावा हरी मेथी में गैलेक्टोमनैन होता है, जो हेल्दी हार्ट हेल्थ के लिए अच्छा होता है। मेथी ब्लड सर्कुलेशन को भी बेहतर रखने में मदद करती है, जिससे आर्टरी ब्लॉकेज का खतरा भी कम होता है।
डायबीटीज में फायदेमंद
डायबीटीज के रोगियों के लिए मेथी के बीज हों या मेथी की सब्जी, दोनों ही फायदेमंद है। इसके लिए आप मेथी के बीज रात को पानी में भिगोकर रखें और सुबह उसी पानी की चाय बनाकर रोजाना 1 कप पिएं। इससे आपको ब्लड शुगर कंट्रोल करने में मदद मिलेगी और वजन भी नियंत्रित रहेगा। इसमें मौजूद अमिनो ऐसिड इंसुलिन का उत्पादन बढ़ाने में मदद करेगा।
जोड़ों व हड्डियों के दर्द में असरदार
हरी सब्जियां कई पोषक तत्वों से भरपूर होती हैं, जो हमारी कई बीमारियों से लडऩे और उन्हें काटने में मदद करती हैं। ठीक इसी तरह मेथी भी है। यह आपके जोड़ों के दर्द और हड्डियों के दर्द यानि गठिया या ऑस्टियोपोरोसिस के रोगियों के लिए फायदेमंद होती है। मेथी कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन और फॉस्फॉरस से भरपूर होती है।
पाचन बढ़ाने में सहायक
मेथी पाचन ठीक करने में भी सहायक मानी जाती है। यह कब्ज, अपच और पेट में दर्द की समस्या को दूर करती है। रोजाना मेथी के बीज की चाय या मेथी की सब्जी का सेवन करते हैं तो आपकी पाचन प्रक्रिया दुरुस्त रहेगी और पेट भी साफ रहेगा।
इम्यूनिटी होगी स्ट्रॉन्ग
आयुर्वेदाचार्य ए के मिश्र कहते हैं मेथी, हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली यानी इम्यूनिटी यानी रोगों से लडऩे की क्षमता को मजबूत करने में भी सहायक होती है। मेथी में कई विटमिन्स और मिनरल्स भी होते हैं और इसलिए भी मेथी हमारे लिए कई तरह से फायदेमंद है।
सर्दियों का मौसम शुरू हुआ नहीं कि बड़ी संख्या में लोग कॉमन कोल्ड यानी सर्दी-जुकाम की चपेट में आ जाते हैं। यह फ्लू का सीजन है लिहाजा हर दूसरा बंदा आपको छींकता और खांसता हुआ मिल जाएगा। नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ ऐलर्जी ऐंड इन्फेक्शियस डिजीज की मानें तो एक सामान्य कॉमन कोल्ड करीब 7 से 10 दिनों तक रहता है। लेकिन हर केस में ऐसा हो जरूरी नहीं है। ऐसे में अगर घरेलू नुस्खे, दवाइयां हर तरह के उपाय करने के बाद भी आपका सर्दी-जुकाम ठीक नहीं हो रहा तो हो सकता है कि आप अपने डेली रुटीन में कुछ गलतियां कर रहे हों।
सर्दी के मौसम में हमें सेहत के साथ-साथ त्वचा का भी खास ख्याल रखने की जरुरत होती है। इसके लिए ऐसी चीजों को चुनना हमेशा फायदेमंद होता है, जो नैचुरल हो। इन्हीं नैचुरल खजाने में से एक है केसर और दूसरा तुलसी। ये दोनों सेहत के साथ-साथ त्वचा के लिए भी फायदेमंद है।
जानिए लाभ -
1 केसर और तुलसी की प्रकृति गर्म है, इसलिए ठंड के दिनों में गर्म दूध के साथ इसका इस्तेमाल आपकी सेहत को बेहतर बनाता है और सर्दी-जुकाम जैसे रोगों को दूर करता है।
2 ये दोनों ही त्वचा को नैचुरली ग्लो करने में सहायक होते हैं। केसर रंग को गोरा करके त्वचा में चमक लाता है और तुलसी त्वचा को अंदर से साफ कर, दाग धब्बों को दूर करती है।
3 शरीर में होने वाले त्रिदोषों को संतुलित करने और रोग प्रतिरोधकता बढ़ाने के लिए भी केसर और तुलसी का इस्तेमाल बेहद फायदेमंद साबित होता है।
4 महिलाओं में होने वाले रोगों में तुलसी और केसर फायदेमंद होते हैं। लेकिन इनकी मात्रा सीमित हो इसका ख्याल जरूर रखना चाहिए।
5 ये दोनों ही बेहतरीन ब्लड प्यूरीफायर हैं जो शारीरिक, मानसिक एवं त्वचा संबंधी समस्याओं को जड़ से मिटा देते हैं।
दांतों और मसूड़ों का दर्द आपको काफी परेशान कर देता है। दांत या मसूड़े में किसी भी तरह की समस्या में दर्द से तो परेशान होते ही हैं, इसके अलावा खाना-पीना भी ठीक से नहीं हो पाता है जिससे परेशानी बढ़ जाती है। आइए, आपको बताते हैं इनसे छुटकारा पाने के कुछ घरेलू उपाय।
खाना खाना एक सिंपल काम लग सकता है लेकिन छोटी-छोटी गलतियां इससे होने वाले फायदों पर बड़ा असर डाल सकती हैं। यह जानना जरूरी है कि जब खाने की बात आती है तो इसका टाइम सबसे अहम फैक्टर है। वक्त का ध्यान रखकर आप वजन पर नियंत्रण रखने के साथ दूसरी हेल्थ प्रॉब्लम्स से बच सकते हैं।
एचआईवी पॉजीटिव यानी एड्स एक गंभीर एवं खतरनाक बीमारी है यह तो सभी जानते हैं, लेकिन आप कैसे पता करेंगे कि आप एचआईवी पॉजीटिव हैं या नहीं! इस बारे में जानकारी होना बेहद जरूरी है ताकि सही समय पर इससे बचा जा सके और खतरे को कम किया जा सके।
असुरक्षित शारीरिक संबंध इस बीमारी को जन्म दे सकते हैं। इतना ही नहीं, पीड़ित व्यक्ति के शारीरिक द्रव के संपर्क में आने से भी आप इस गंभीर बीमारी की चपेट में आ सकते हैं।
आपको अंदाजा भी नहीं होगा कि आपके शरीर में दिखने वाले यह 6 लक्षण, एड्स के हो सकते हैं -
1. बुखार - क्या आपको लगातार बुखार आ रहा है? तो आप सावधान रहें क्योंकि लगातार आने वाला बुखार एड्स का एक लक्षण हो सकता है। इस बीमारी में इम्यून पावर कम हो जाता है, जिसके कारण आपका प्रतिरोधी तंत्र बार-बार बुखार को रोक नहीं पाता।
2. थकान - लगातार थकान का बना रहना भी एड्स का एक लक्षण हो सकता है। शरीर का इम्यून पावर कम होने के कारण उसे आराम की अधिक आवश्यकता होती है। ऐसे में लगातार थकान का बना रहना स्वभाविक बात है।
3. सिर दर्द - सिर में दर्द बना रहना और गला खराब रहना भी इस गंभीर बीमारी का एक लक्षण हो सकता है। इस स्थिति में कई बार सिर में तेज दर्द भी हो सकता है, जो दिनभर और रातभर जारी रह सकता है।
4. त्वचा पर निशान - इम्यून व रेसिटेंस पावर कम होने के कारण शरीर बीमारियों से आपको बचाने में सक्षम नहीं रह पाता। इसका असर त्वचा की बाहरी सतह पर भी होता है। त्वचा पर लाल रेशेस होना और उनका ठीक न हो पाना भी इसी का एक लक्षण है।
5. वजन घटना - एड्स के अन्य संभावित लक्षणों के साथ-साथ अगर आपका वजन लगातार घटता जा रहा है, तो यह आपके लिए चिंताजनक बात हो सकती है। हालांकि वजन कम होने के और भी कारण हो सकते हैं, लेकिन इसे भी अनदेखा नहीं किया जा सकता।
6. सोते वक्त पसीना आना - अगर आप चैन की नींद नहीं ले पा रहे हैं और किसी भी तापमान पर आपको अत्यधिक पसीना आता है तो इसे अनदेखा न करें। इस स्थिति में ज्यादा पसीना आने के साथ ही आप करवटें बदलते हुए रात काटते हैं और घुटन महसूस करते हैं तो यह बीमारी का कारण हो सकता है।
टॉन्सिल्स यानि गले के अंदर, प्रभावित भाग में बैक्टीरियल इंफेक्शन होना। मौसम में बदलाव होने पर अक्सर टॉन्सिल्स की समस्या सामने आती है। खासतौर पर ठंडे मौसम में यह समस्या और अधिक बढ़ जाती है। इससे बचने के लिए जानते हैं इसके लक्षण और उपाय –
टॉन्सिल्स के लक्षण - सामन्यत: टॉन्सिल्स होने पर गले में खराश बनी रहती है, साथ ही जलन भी महसूस होती है। इसके अलावा टॉन्सिल्स के बढऩे पर कभी- कभी आसपास के उतकों में संक्रमण के कारण मवाद भी हो जाता है, जिसके कारण अत्यधिक दर्द, बुखार, निगलने में तकलीफ, मुंह खोलने में दर्द होना जैसी तकलीफे भी हो सकती है। सही समय पर इलाज नहीं होने से यह एक जानलेवा बन सकता है।
बचने के उपाय - टॉन्सिल्स से बचने के लिए गरारे करना सबसे बेहतर इलाज है। इसके लिए हम आपको बता रहे हैं, कुछ ऐसे अचूक उपाय जो आपको टॉन्सिल्स की समस्या से निजात दिलाने सहायक होंगे -
अदरक -गर्म पानी में नींबू का रस और ताजा अदरक पीस कर मिला दें। अब इस पानी से हर आधे घंटे में गरारे करते रहें। यह गर्म होने के कारण आराम दिलाने में मदद करेगा। असके अलावा अदरक वाली चाय पीने से भी आराम होगा।
दूध - कच्चे पपीते को दूध में मिलाकर गरारा करने से भी टॉन्सिल्स में आराम मिलता है। इसके अलावा एक कप गर्म दूध में आधा चम्मच पिसी हुई हल्दी मिलाकर पीने से भी जल्द ही टॉन्सिल्स ठीक हो जाते हैं।
सेंधा नमक - गले की परेशानी में नमक बेहद फायदेमंद साबित होता है। गुनगुने या हल्के गरम पानी में एक चम्मच सेंधा नमक मिलाकर गरारा करने पर बैक्टीरिया खत्म हो जाते हैं।
सिरका - मुंह की तकलीफ में सिरका बेहद लाभप्रद होता है। सेब के सिरके को गर्म पानी में मिलाकर गरारा करने से, गले का संक्रमण ठीक होता है, और टॉन्सिल्स में राहत मिलती है।
शहद - गर्म या गुनगुने पानी में नींबू के साथ शहद मिलाकर प्रयोग करने पर गले का दर्द काफी हद तक ठीक हो जाता है साथ ही टॉन्सिल्स भी जल्दी ठीक हो जाते हैं।
बेकिंग सोडा - बेकिंग सोडा या पोटेशियम कार्बोनेट को पानी में मिलाकर गरारा करने से टॉन्सिल्स में लाभ मिलता है।
लहसुन - उबलते हुए पानी में कुछ लहसुन की कलियां डालकर, अच्छी तरह से उबाकर छान लें। जब यह पानी थोड़ा ठंडा हो जाए, तब गरारे कर लें। इससे गले का दर्द भी ठीक हो जाएगा, और बदबू की समस्या भी ठीक हो जाएगी।
आरंग नगर स्थित मुक्तिधाम में डॉक्टरों द्वारा पीएम करने के बाद दस्ताने एवं अन्य अपशिष्ट पदार्थ बाहर फेंक दिया जाता है जो निंदनीय है।
मुक्तिधाम की साफ-सफाई नगर के गणमान्य नागरिकों द्वारा प्रयास सेवा समिति के माध्यम से किया जाता है मुक्तिधाम की साफ सफाई हेतु नगर पालिका द्वारा या अस्पताल द्वारा किसी प्रकार की व्यवस्था नहीं की गई है । अनेकों बार प्रयास सेवा समिति के सदस्यों द्वारा निवेदन किया गया है की डॉक्टरों द्वारा इस प्रकार जो लापरवाही की जाती है उस पर रोक लगाई जावे अफसोस नागरिकों द्वारा किए गए निवेदन का किसी प्रकार असर नहीं हुआ आज भी डॉक्टरों द्वारा दास्ताने एवं अन्य अपशिष्ट बाहर फेंक दिया जाता है
प्रयास सेवा समिति द्वारा जिम्मेदार लोगो को इस हेतु निवेदन भी किया गया है परन्तु जिम्मेदार लोगो के कान में जू भी नहीं रेंगती है
रायपुर,एनिमिया मुक्त भारत के तहत रायपुर संभाग के अंतर्गत स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग और महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला डाटा मैनेजर व डाटा एंट्री ऑपरेटरों का एक दिवसीय उन्न्मुखीकरण प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। राजधानी के कालीबाड़ी स्थित टीबी अस्पताल के हॉल में आज संभाग के सभी पांचों जिलों रायपुर, बलौदाबाजार, गरियाबंद, महासमुंद, धमतरी के डाटा एंट्री ऑपरेटरों को प्रतिवेदन की रिपोर्टिंग और पोषण अभियान पोर्टल में ऑनलाइन डाटा एंट्री करने को लेकर उन्मुखीकरण कार्यक्रम तहत जानकारी दी गई। इस मौके पर सीएमएचओ डॉ श्रीमती मीरा बघेल ने बताया, एनीमिया के कारण होने वाले मातृ मृत्यु दर एवं शिशु मृत्यु दर में बढोत्तरी हो रही है। इस लिए एनीमिया से निजात दिलाने के लिए प्रदेश में एनीमिया मुक्त भारत अभियान चलाया जा रहा है। उन्होंने सभी सरकारी व सरकारी अनुदान प्राप्त स्कूलों के शिक्षक, 5 से 19 वर्ष के किशोर-किशोरियों व महिलाओं को आयरन की गोलियों के उपयोग, वितरण और उसके महत्व के बारे में भी जागरुक किया जा रहा । इस अभियान में गर्भवती महिला जो 4 से 9 माह की और शिशुवती माताएं जिनके शिशु की उम्र एक माह से छह माह तक के सभी को आयरन की खुराक दी जायेंगी।
स्वास्थ्य विभाग के डॉ ए.डी. माहपात्रा ने कहा, एनीमिया हर आयु वर्ग को प्रभावित करता है। इसकी वजह से गर्भवती महिलाओं में मृत्यु दर और कम वजन के नवजात होने की संभावना ज्याता होती है। किशोर-किशोरियों में एनीमिया की वजह से किसी काम में मन का न लगना व सुस्ती आदि की दिक्कतें बढ़ जाती हैं। प्रशिक्षण के दौरान अतुल कुलश्रेष्ठ ने बताया, पोषण अभियान के तहत पोर्टल में सही डाटा एंट्री होने से कार्यक्रम में सकारात्मक लक्ष्य हासिल हो सकेगा। इस अभियान के तहत सामुहिक रुप से प्रयास होना जरुरी है। एनीमिया की दर में कमी लाने हेतु केन्द्र सरकार ने देशव्यापी पोषण अभियान की शुरूआत की है। इसके तहत आईसीडीएस, चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, पंचायती राज, शिक्षा विभाग सहित कई विभाग मिलकर मिलकर काम कर रहे हैं। एनीमिया-मुक्त भारत अभियान में डिजिटल हिमोग्लोबिना मीटर द्वारा रक्त जांच कर उपचार किया जायेगा। प्रशिक्षण में शिक्षा विभाग से स्कूलों में मध्यान भोजन के रिपोर्ट को एंट्री करने वाले ऑपरेटर, स्वास्थ्य विभाग के जिला डाटा प्रबंधक व आईसीडीएस के पर्यवेक्षकों को साप्ताहिक रिपोर्टिंग प्रणाली की जानकारी दी गई। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अपने रजिस्टर में एंट्री करने के बाद कलस्टर, पर्यवेक्षक और सीडीपीओ के बाद बीएमओ को रिर्पोट सौंपेंगे। बीएमओ से डीपीओ के माध्यम होते हुए रिपोर्ट सीएमएचओ को पहुंचेगी। इसी तरह स्कूलों से संकुल में रिपोर्ट को बीईओ दफ़तर में एकत्रित किया जाएगा। बीईओ अपनी रिपोर्ट बीएमओ को सीएमएचओ और डीईओ को भेजेंगे। सीएमएचओ जिले से अपनी रिपोर्ट को स्टेट नोडल अधिकारी को भेजेंगे।
न्यूट्रेशन इंटरनेशल संस्था की ओर से प्रशिक्षण में डॉ. मिनाक्षी ने एनीमिया मुक्त अभियान के तहत विटामिन-ए एवं फोलिक एसिड के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा महिलाएं एवं किशोरियां खून की कमी से ज्यादा ग्रसित रहती हैं। विशेषकर ग्रामीण इलाकों में महिलाएं जानकारी के अभाव में तथा पोषक तत्वों की मकीम की वजह से एनीमिया की शिकार हो रहीं हैं। इसके लिए सामुदायिक स्तर पर जन-जनजागरुकता में गति लाने की जरुरत है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व मितानीन द्वारा अपने फिल्ड भ्रमण के दौरान आयरन युक्त भोजन और गोली लेने की जानकारी प्रदान करना चाहिए। हरी पत्तेदार सब्जियों , मुनगा के फल व पत्ते , पालक, मेथी , सोयाबीन सभी में आयरन पाया जाता है। आयरन की कमी को भोजन और गोली के खुराक से शरीर में हिमोग्लोबीन की कमी को दूर किया जा सकता है। गर्भवती व शिशुवती को प्रति दिन एक लाल गोली और 10 से 19 आयु वर्ग के किशोर व किशोरियों को एक हप्ते में एक नीली गोली दिया जाना है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, मितानीन और एएनएम की भूमिका महत्तवपूर्ण है। इसके अलावा डटा रिपोर्टिंग के लिए स्कूल के नोडल शिक्षक, पर्यवेक्षक व स्वास्थ्य विभाग के डाटा ऑपरेटरों द्वारा सही जानकारी ही एनिमिया मुक्त अभियान को सफल बना सकती है।
आंकडों के अनुसार प्रदेश में लक्ष्य –
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 वर्ष 2015-16 के अनुसार राज्य में 6 माह से 59 माह के 37.60 प्रतिशत बच्चे कुपोषण व 15 से 49 वर्ष की 41.50 प्रतिशत बेटियां और माताएं एनीमिया से पीड़ित हैं।
स्वास्थ्य विभाग की ओर से एनिमिया मुक्त भारत के लिए छत्तीसगढ़ के सभी 27 जिलों में 6 माह से 59 माह के बच्चों की संख्या 27 लाख है। वहीं 10 से 19 आयु वर्ग के किशोरियों की संख्या 11 लाख व किशोरों की संख्या 10 लाख है। प्रदेश में गर्भवती महिलाओं की संख्या 8 लाख व शिशुवती महिलाएं 7 लाख हैं।
आजकल की भागदौड़भरी जिंदगी में खुद की सेहत का ख्याल रख पाना असंभव-सा लगने लगता है और इसी का असर दिखता है हमारे स्वास्थ पर, क्योंकि बिगड़ती जीवनशैली व खानपान में बदलाव आदि इन्हीं वजहों से छोटी उम्र में ही कई बीमारियां हमें घेर लेती हैं।
आज के दौर में जो बीमारी सबसे तेजी से बढ़ रही है, वह है डायबिटीज। इसका शिकार सिर्फ बुजुर्ग ही नहीं, बल्कि युवा भी हो रहे हैं। और अगर एक बार डायबिटीज हमें हो जाए तो यह बीमारी हमें जिंदगीभर हमें परेशान करती है।
लेकिन यदि हम खुद पर पहले से ही ध्यान दें और समझदारी के साथ अपनी दिनचर्या में कुछ बदलाव कर लें तो हम इन सभी समस्याओं से दूर रह सकते हैं। और वैसे भी कहा जाता है कि किसी बीमारी का इलाज करने से बेहतर है कि हम उसे आने से ही रोक दें। तो आइए जानते हैं कि कैसे रखें हम खुद का ख्याल जिससे कि हम डायबिटीज का न हो पाएं शिकार।
डायबिटीज से बचने के उपाय:-
हम सभी नीम के गुणों से वाकिफ हैं। नीम के पत्ते शुगर लेवल को कम करने में काफी मददगार साबित होते हैं। रोज सुबह खाली पेट नीम की कुछ पत्तियों को खाने या पीसकर पानी के साथ लेने से शुगर लेवल कंट्रोल में रहता है।
ग्रीन टी को रोज पीना बहुत फायदेमंद होता है। इसे अपने रूटीन में शामिल करें जिससे कि आपको इसकी आदत हो जाए। ग्रीन टी में एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है, जो शुगर लेवल को कंट्रोल में रखता है। ग्रीन टी में लो कैलोरी होती है, जो आपका वजन भी कंट्रोल रखने में भी मददगार है।
करेले का नाम सुनकर आपने जरूर अपने चेहरे के भाव बदल लिए होंगे लेकिन करेला बहुत गुणकारी होता है। खासकर जो व्यक्ति वजन कम करना चाहते हैं या डायबिटीज को कंट्रोल में रखना चाहते हैं, उन्हें इसका सेवन जरूर करना चाहिए। रोज सुबह खाली पेट करेले का सेवन आपको शुगर लेवल कंट्रोल करने में मदद करेगा।
जामुन का इस्तेमाल शुगर को कंट्रोल करने के लिए किया जाता है। यह डायबिटीज से भी लड़ने में मददगार साबित होता है। सिर्फ जामुन ही नहीं, जामुन के पत्ते भी शुगर का इलाज करने में मदद करते हैं।
तुलसी के पौधे का महत्व जितना पूजा-पाठ में होता है, उतने ही हमारे स्वास्थ्य में तुलसी की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। जैसे तुलसी का पौधा घर में लगाने से घर में नकारात्मक ऊर्जा नहीं रहती, उसी तरह तुलसी के पत्ते का सेवन भी हमारे शरीर से रोगों को दूर भगाने में मदद करता है।
तुलसी की पत्तिशयों में एंटी-ऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं। इसके अलावा इसमें कई ऐसे तत्व पाए जाते हैं, जो शुगर लेवल को कंट्रोल करने में सहायक होते हैं। इसलिए रोज सुबह तुलसी की 2 से 3 पत्तियों का सेवन जरूर करना चाहिए। चाहे तो आप तुलसी के पत्ती का रस भी पी सकते हैं।
अगर आप चाय पीने के आदी हैं, तो इस आदत को भी बदलने की जरूरत है। यदि आप एक सेहतमंद जिंदगी चाहते हैं तो आपको कुछ छोटे-छोटे बदलाव करने की जरूरत है। कोशिश करें कि कम से कम चाय पीएं। अगर आप चाय पीना ही चाहती हैं, तो दूध की चाय पीने से अच्छा है कि ग्रीन टी को शामिल करें।
डायबिटीज से बचने के लिए व्यायाम को करें अपनी दिनचर्या में शामिल
दिनभर के बिजी शेड्यूल में हम खुद पर ध्यान ही नहीं दे पाते और इस बात का एहसास तब होता है, जब हमें शारारिक समस्या होने लगे। कहते हैं, व्यायाम खुद को स्वस्थ रखने का बेहतर विकल्प है इसलिए अपनी दिनचर्या में इसे जरूर शामिल करें।
योग जहां मन, आत्मा व मस्तिष्क को शांत रखता है वहीं यह आपको एक हेल्दी लाइफ देने में भी बहुत मददगार है। इसलिए योग को जरूर अपनी दिनचर्या में शामिल करें। अगर आप योग की शुरुआत कर रहे हैं तो योग प्रशिक्षण से ही शुरुआत करें
सर्दियों के मौसम में त्वचा रूखी और बेजान नजर आने लगती है। इस समय हमें अपनी त्वचा पर खासतौर पर ध्यान देना चाहिए। हम आपके लिए लेकर आए हैं हर दिन के हिसाब से फेस पैक जिसका इस्तेमाल आप नियमित रूप से कर सकती हैं। तो आइए, जानते हैं सातों दिनों के हिसाब से किस दिन कौन-सा फेस पैक आपकी त्वचा में लाएगा निखार?
सोमवार : हफ्ते के पहले दिन रात के समय आप गुलाब जल, बेसन व मलाई का उबटन लगा सकती हैं। इन सभी को समान मात्रा में मिला लें। तैयार लेप को रात में सोने से पहलें चेहरे पर लगाकर 15 मिनट के बाद चेहरा गुनगुने पानी से साफ कर लें।
मंगलवार : इस दिन आप शहद, मलाई और नींबू के रस की कुछ बूंदें मिलाकर रख लें। अब अपने चेहरे को अच्छी तरह साफ कर लें। इसके बाद तैयार लेप को अपने पूरे चेहरे पर लगाकर 10 मिनट के बाद गुनगुने पानी से चेहरा साफ कर लें। यह लेप आपके चेहरे को सॉफ्ट रखने में मदद करेगा। लेकिन ध्यान रखें कि इस लेप का इस्तेमाल रात में सोने से पहले ही करना बेहतर होता है।
बुधवार : इस दिन आप एलोवेरा के जेल में एक विटामिन-ई की कैप्सूल लेकर इन दोनों को अच्छी तरह से मिला लें। रात में सोने से पहले इसे अपने पूरे चेहरे और गर्दन पर लगा लें। आप चाहे तो इसे लगाकर सो भी सकती हैं।
गुरुवार : आप भीगे हुए बादाम को अच्छी तरह से पीस लें। अब इसमें दूध या मलाई मिलाकर अपने पूरे चेहरे पर लगाएं। 15 मिनट रखने के बाद साफ पानी से चेहरा साफ कर लें। (बादाम को रातभर भिगोकर रखें)
शुक्रवार : इस दिन 1 चम्मच मसूर की दाल का पॉवडर, आधा चम्मच हल्दी और मलाई इन्हें समान मात्रा में मिला लें और अपने पूरे चेहरे पर लगाकर रख दें। अब सूखने के बाद हल्के गुनगुने पानी से चेहरे को साफ कर लें।
शनिवार : इस दिन शक्कर और नींबू को मिलाकर पहले अपने चेहरे पर स्क्रब कर लें। अब आप चेहरा साफ कर लें। अपने चेहरे को अच्छे से सुखाने के बाद अब मलाई और नींबू की कुछ बूंदें मिलाकर फेस पैक तैयार कर चेहरे पर लगाएं। 10 मिनट रखने के बाद चेहरा साफ कर लें। इसके बाद एक रूई लेकर एक बार अपने पूरे चेहरे को एक बार साफ कर लें।
रविवार : टमाटर का रस और बेसन तथा मलाई इन दोनों को समान मात्रा में मिलाकर फेस पैक तैयार करें। सूखने के बाद चेहरा धो लें।
तुलसी के पत्तों का इस्तेमाल केवल पूजन सामग्री के तौर पर ही नहीं किया जाता। आयुर्वेद के अनुसार तुलसी के पत्तों में आश्चर्यजनक गुण होते है, जो सेहत की दृष्टि से बेहद फायदेमंद होते है। आइए, जानते हैं उन्हीं के बारे में –
1. तुलसी के पत्तों में एंटी ऑक्सीडेंट होते है, जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता यानी कि इम्यून सिस्टम को मजबूत करते हैं।
2. यदि आपको सर्दी व फिर हल्का बुखार हो गया हो तो आप मिश्री, काली मिर्च और तुलसी के पत्ते को पानी में अच्छी तरह से पकाकर काढ़ा बना ले और फिर इसे पी ले। आप चाहें तो इस घोल को सुखाकर इसकी गोलियां बनाकर भी खा सकते हैं। इससे आपको सर्दी व हल्के बुखार में फायदा होगा।
3. जिन लोगों को सांस की दुर्गंध की समस्या होती है उन्हें रोजाना सुबह उठकर तुलसी के कुछ पत्तों को मुंह में रखना चाहिए, ऐसा करने से सांस की दुर्गंध धीरे-धीरे कम होने लगेगी।
4. यदि आपको कहीं चोट लग जाए तो आप तुलसी के पत्तों को फिटकरी के साथ मिलाकर, अपने घाव पर लगा सकते हैं, ऐसा करने से चोट व घाव जल्दी ठीक होने में मदद मिलेगी।
5. यदि आपको दस्त हो गए हैं तो तुलसी के पत्तों को जीरे के साथ मिलाएं और पीस लें। अब इस मिश्रण को दिनभर में 3-4 बार चाटते रहें। ऐसा करने से आपको दस्त बंद होने में फायदा मिलेगा।
आजकल ज्यादातर लोगों में कमर दर्द की समस्या बढ़ती जा रही है जिसकी चपेट में बड़ी उम्र के लोग ही नहीं, बल्कि युवा के लोग भी आ रहे है। कमर दर्द के होने का मुख्य कारण बदलती जीवनशैली के साथ ऑफिस में घंटों गलत पॉश्चर बैठे रहना है। यह समस्या अब न केवल उम्र से जुड़ी है बल्कि इससे लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी भी तकलीफदेह साबित हो रही है।
मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लीनिक योजना से ग्रामीण अंचल के जनता को बेहतर स्वास्थ्य लाभ मिल रहा है। हाट बाजार में इस प्रकार की सुविधा के मिलने से इसके प्रति ग्रामीणों में विशेष रूचि दिखाई दे रही है।
बलौदाबाजार-भाटापारा जिले के आदिवासी बाहुल कसडोल और बिलाईगढ़ विकासखंड के 12 गांव की हाट-बाजारों में संचालित है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की 150वीं जयंती के अवसर पर विगत 2 अक्टूबर को जिले में इसका शुभारंभ हुआ है। इस योजना से लगभग तीन हजार से अधिक ग्रामीण को सुविधा का लाभ मिला है। प्रति सप्ताह आयोजित होने वाले हाट बाजार में डॉक्टरों की टीम जरूरी दवाईयां लेकर वहां पहुंचती है। साग-सब्जी अथवा अन्य मनिहारी दुकानों के बीच में वे भी अपना स्टॉल लगा लेते हैं और आत्मीयता पूर्वक स्थानीय लोगों की बोली-भाषा में बात-चीत करते हुए उनका इलाज कर दिल जीत रहे हैं। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की पहल पर संचालित यह योजना राज्य के दूरस्थ अंचलों में लगने वाले हाट-बाजारों में आने वाले लोगों को स्वास्थ्य सुविधा का भी मिल पाना संवेदनशील सरकार की अभिनव पहल है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. खेमराज सोनवानी ने बताया कि योजना को जिले में अच्छा प्रतिसाद मिला है। सरकार द्वारा निर्धारित मापदण्डों के अनुरूप कसडोल विकासखण्ड में 8 हाट-बाजार एवं बिलाईगढ़ विकासखण्ड में 4 हाट-बाजार में प्रति सप्ताह टीम पहुंचती है। कसडोल के थरगांव, रवान, अर्जुनी,छाता, असनीद, बार, बफरा, नवागांव और बिलाईगढ़ के बगमल्ला, चारपाली, गेड़ापाली एवं ढनढनी मंे लगने वाली साप्ताहिक हाट-बाजार में यह योजना संचालित हो रही है। हाट-बाजार में आने वाले आस-पास के ग्रामीणों को भी इस योजना का फायदा मिल रहा है। उनका कहना है कि छोटे-मोटे बीमारियों के इलाज के लिए ग्रामीणों को दूरस्थ स्थित स्वास्थ्य केन्द्र तक आने की जरूरत ना हो और इसके लिए अतिरिक्त समय गंवाना ना पड़े, इसे ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार यह योजना लांच की है। हाट-बाजार में डॉक्टर, नर्स, फार्मासिस्ट सहित पूरी टीम साथ रहती है। उनके द्वारा छोटी-मोटी स्वास्थ्य समस्याएं जैसे- मौसमी बुखार, दर्द, मलेरिया, पेचिस, दस्त, उल्टी एनीमिया, कमजोरी, रक्तचॉप, मधुमेह, त्वचा रोग आदि बीमारियांे की जांच एवं इलाज किया जाता है। स्वस्थ्य रहने के उपाय भी बताये जाते हैं।
उल्लेखनीय है कि हाट बाजारों में आने वाले और वहां अपने जीविकापार्जन करने वाले अधिकांश ग्रामीण जनता अपने इलाज के लिए विभिन्न कारणों से अस्पताल नहीं जा पाते उनके लिए यह लाभदायक सिद्ध हो रहा है।
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इस कार्यक्रम में युवाओं को संबोधित करेंगे इवेंट में स्पीच; ड्रामा और मंत्रा रॉकशो कार्यक्रम के मुख्य आकर्षण रहेंगे
कार्यक्रम दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम मैं आयोजित किया जा रहा है
राजेन्द्र पारख