तिरुवनंतपुरम: केरल में जीका वायरस का एक और नया मामला सामने आया है। एक और व्यक्ति के जीका वायरस से संक्रमित पाये जाने के बाद राज्य में इस संक्रमण के अब तक 38 मामले सामने आये हैं। राज्य की स्वास्थ्य मंत्री वीणा जार्ज ने मंगलवार को इसकी जानकारी दी। स्वास्थ्य मंत्री वीणा जार्ज ने एक बयान में कहा कि जीका वायरस की जांच में तिरुवनंतपुरम के कुलाथुर में 49 वर्षीय एक महिला जीका से संक्रमित पाई गई। उनके अनुसार इस संबंध में तिरुवनंतपुरम मेडिकल कॉलेज की विषाणु प्रयोगशाला में परीक्षण किया गया था। मंत्री ने बताया कि सभी संक्रमितों का स्वास्थ्य फिलहाल संतोषजनक है तथा आठ मरीज उपचाराधीन हैं।
नई दिल्ली। दुनियाभर के लोगों के लिए कोरोनावायरस आज भी परेशानी का सबब बना हुआ है। लोग अभी इस वायरस के खौफ से पूरी तरह उभर भी नहीं पाएं हैं कि एक और वायरस ने उनकी चिंता बढ़ाकर रख दी है। माना जा रहा है कि यह वायरस कोरोनावायरस से भी ज्यादा खतरनाक है। सबसे ज्यादा डराने वाली बात है कि इस वायरस के केस नर्सरी और चाइल्ड केयर सेंटर्स जैसी उन जगहों पर ज्यादा पाए गए हैं जहां पर बच्चों की संख्या ज्यादा होती है। डॉक्टरों और वैज्ञानिकों की चिंता बढ़ाने वाले इस वायरस का नाम है नोरोवायरस, जिसे उल्टी बग के रूप में भी जाना जाता है। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) की तरफ से कहा गया है कि नोरोवायरस कोरोना वायरस की तुलना में कहीं ज्यादा खतरनाक है और इसकी वजह से संक्रमण तेजी से फैलता है। जो भी व्यक्ति इस वायरस से संक्रमित है उसमें उल्टी और डायरिया जैसे लक्षण दिखााई देते हैं।
केंद्र सरकार पूरे देश में कोविड-19 टीकाकरण की रफ्तार तेज करने और दायरा बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। कोविड-19 टीके की व्यापक उपलब्धता से जुड़ा नया चरण 21 जून, 2021 से शुरू हुआ है। टीकाकरण अभियान के जरिये ज्यादा टीकों की उपलब्धता के साथ, राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों को टीकाकरण उपलब्धता की अग्रिम जानकारी देकर तेज किया गया है ताकि टीकों को लेकर राज्य और केंद्रशासित प्रदेश बेहतर योजना बना सकें और टीकों की आपूर्ति श्रृंखला सुव्यवस्थित की जा सके।
राष्ट्रव्यापी टीकाकरण अभियान के तहत भारत सरकार राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को नि:शुल्क कोविड टीके उपलब्ध कराकर उनकी मदद कर रही है। सबको टीका उपलब्ध कराने से जुड़े कोविड-19 टीकाकरण अभियान के नए चरण के तहत केंद्र सरकार देश में टीका विनिर्माताओं द्वारा उत्पादित 75 प्रतिशत टीके खरीदेगी और उनकी राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों को (नि:शुल्क) आपूर्ति करेगी। भारत सरकार ने अब तक राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को कोविड टीके की 42.15 करोड़ से अधिक खुराक (42,15,43,730) सभी स्रोतों के माध्यम से प्रदान की है। इसके अलावा टीके की 71,40,000 खुराक प्रक्रियारत हैं।
आज सुबह आठ बजे उपलब्ध आंकड़े के अनुसार इनमें अपव्यय सहित कुल 40,03,50,489 खुराक की खपत हुई है। राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों और निजी अस्पतालों के पास अब भी टीके की 2.11 करोड़ से अधिक (2,11,93,241) खुराक उपलब्ध हैं जो बची हुई हैं, जिनका अभी इस्तेमाल किया जाना है।
देशव्यापी टीकाकरण अभियान के तहत अब तक वैक्सीन की 41.18 करोड़ डोज लगाई गई हैं।
अब तक पूरे देश में कुल 3,03,53,710 मरीज स्वस्थ हुये।
रिकवरी दर बढ़कर 97.37 प्रतिशत हुआ।
पिछले 24 घंटों के दौरान 45,254 मरीज ठीक हुए।
भारत में पिछले 24 घंटों में 30,093 नए मामले सामने आए हैं, 125 दिनों में सबसे कम हैं।
भारत में सक्रिय मामले वर्तमान में 4,06,130 हैं, जो 117 दिनों में सबसे कम हैं।
सक्रिय मामले कुल मामलों का 1.30 % हैं।
साप्ताहिक पॉजिटिविटी दर 5% से नीचे बनी हुई है, वर्तमान में 2.06 % है
दैनिक पॉजिटिविटी दर 1.68%, लगातार 29वें दिन भी 3% से कम
केन्द्र सरकार देश भर में कोविड-19 टीकाकरण की गति और उसका दायरा बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। कोविड-19 टीके की व्यापक उपलब्धता से जुड़ा नया चरण 21 जून, 2021 से शुरू हुआ है। टीकों की ज्यादा उपलब्धता, बेहतर ढंग से योजना बनाने में राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों को सक्षम बनाने के लिए उन्हें अग्रिम रूप से टीके की उपलब्धता के बारे में बताकर तथा टीका आपूर्ति को सुचारू करके टीकाकरण अभियान में तेजी लाई गई है। राष्ट्रव्यापी टीकाकरण अभियान के तहत, भारत सरकार राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों को नि:शुल्क टीका उपलब्ध कराकर उनकी सहायता करती रही है। कोविड-19 टीकाकरण अभियान के सार्वभौमिकरण के नये चरण में, केन्द्र सरकार देश में टीका विनिर्माताओं द्वारा बनाए गए टीकों की 75 प्रतिशत खरीद करेगी और राज्यों तथा केन्द्र शासित प्रदेशों को आपूर्ति (नि:शुल्क) करेगी। अभी तक राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों को सभी स्रोतों से 42.15 करोड़ से अधिक (42,15,43,730) टीके उपलब्ध कराए गए हैं। इनमें से अपव्यय सहित कुल 39,55,31,378 टीकों की (आज सुबह 8 बजे तक उपलब्ध डाटा के अनुसार) खपत हुई है। राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों तथा निजी अस्पतालों के पास अभी भी 2.60 करोड़ (2,60,12,352)से अधिक शेष तथा अप्रयुक्त टीके उपलब्ध हैं।
देशव्यापी टीकाकरण अभियान के तहत अब तक वैक्सीन की 40.64 करोड़ डोज लगाई गई हैं।
अब तक पूरे देश में कुल 3,03,08,456 मरीज स्वस्थ हुये।
रिकवरी दर बढ़कर 97.32 प्रतिशत हुआ।
पिछले 24 घंटों के दौरान 38,660 मरीज ठीक हुए।
भारत में पिछले 24 घंटों में 38,164नए मामले सामने आए हैं।
भारत में सक्रिय मामले वर्तमान में 4,21,665हैं।
सक्रिय मामले कुल मामलों का 1.35% हैं।
साप्ताहिक पॉजिटिविटी दर 5% से नीचे बनी हुई है, वर्तमान में 2.08% है
दैनिक पॉजिटिविटी दर 2.61%, लगातार 28वें दिन भी 3% से कम
हाल के एक साक्षात्कार में इंडियन सार्स-कोव-2 जेनोमिक्स कॉन्सॉर्टियम (आईएनएसएसीओजी) के सह-अध्यक्ष डॉ. एनके अरोड़ा ने वैरियंट की जांच और उसके व्यवहार के हवाले से मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी)के बारे में चर्चा की। यह जांच यह जानने के लिये की जाती है कि डेल्टा वैरियंट इतना संक्रामक क्यों है। उन्होंने यह भी बताया कि किस तरह जेनोमिक निगरानी के जरिये इसे फैलने से रोका गया। उन्होंने फिर जोर देकर कहा कि कोविड उपयुक्त व्यवहार बहुत अहमियत रखता है।
आईएनएसएसीओजी, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, बायोटेक्नोलॉजी विभाग, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) तथा वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की 28 प्रयोगशालाओं का संघ है, जो कोविड-19 महामारी के संदर्भ में जिनोम सीक्वेंसिंग करता है। आईएनएसएसीओजी को स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने 25 दिसंबर, 2020 को गठित किया था।
आईएनएसएसीओजी ने हाल में अपना दायरा बढ़ाया है। इस विस्तार के पीछे की क्या सोच है?
अति गंभीर रूप से बीमार करने वाले वैरियंट के उभरने पर कड़ी नजर रखने की जरूरत थी। उसके फैलाव को भी बराबर देखना था, ताकि बड़े इलाके में उसके फैलाव को पहले ही रोका जा सके। आईएनएसएसीओजी को दिसम्बर 2020 में गठित किया गया था, जो उस समय दस प्रयोगशालाओं का संघ था। हाल में 18 और प्रयोगशालायें उससे जुड़ गई हैं।
सार्स-कोव-2 की जिनोम आधारित पड़ताल करने के लिये प्रयोगशालाओं के मजबूत तंत्र की जरूरत महसूस की गई, ताकि उनके जरिये जिनोम सीक्वेंसिंग के सारे आंकड़ों का रोग और महामारी वाले आंकड़ों के साथ मिलान किया जाये तथा देखा जाये कि वैरियंट-विशेष कितना संक्रामक है, उससे बीमारी कितनी गंभीर होती है, वह शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को चकमा दे सकता है या नहीं या टीके लगवाने के बाद उससे दोबारा संक्रमण हो सकता है या नहीं; यानी, उससे वैक्सीन के प्रभाव पर कितना असर पड़ता है और निदान का जो मौजूदा तरीका है, वह उसके लिये पर्याप्त है या नहीं।
राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) फिर इन आंकड़ों का विश्लेषण करता है। पूरे देश को भौगोलिक क्षेत्रों में बांटा गया है और हर प्रयोगशाला को किसी न किसी विशेष क्षेत्र की जिम्मेदारी दी गई है। हमने 180-190 क्लस्टर बनायें हैं और हर क्लस्टर में चार-चार जिलों को रखा है। हम औचक रूप से नमूनों की जांच करते रहते हैं। साथ ही गंभीर रूप से बीमार, टीका लगवाने के बाद संक्रमित लोगों के नमूनों की भी जांच करते हैं। इसके अलावा लक्षण रहित लोगों के नमूनों को भी देखा जाता है। इन सब नमूनों को जमा करके उनकी सीक्वेंसिंग करने के लिये इलाके की प्रयोगशाला में भेज दिया जाता है। इस समय देश में हर महीने 50 हजार से अधिक नमूनों की सीक्वेंसिंग करने की क्षमता है। पहले हमारे पास लगभग 30 हजार नमूनों को हर महीने जांचने की ही क्षमता था।
वैरियंट की जांच और उसके व्यवहार की निगरानी करने की क्या प्रणाली देश के पास है?
भारत के पास बीमारियों पर नजर रखने के एक मजबूत प्रणाली मौजूद है, जो इंटीग्रेटेड डिजीज सर्वेलांस प्रोग्राम (आईडीएसपी) के तहत काम करती है। आईडीएसपी नमूनों को जमा करने और उन्हें जिलों/निगरानी स्थलों से क्षेत्रीय जिनोम सीक्वेंसिंग प्रयोगशालाओं (आरजीएसएल) तक पहुंचाने का समन्वय करता है। आरजीएसएल की जिम्मेदारी है कि वह जिनोम सीक्वेंसिंग करे,गंभीर रूप से बीमार करने वाले (वैरियंट ऑफ कंसर्न - वीओसी) या किसी विशेष वैरियंट (वैरियंट ऑफ इंटरेस्ट - वीओआई) की पड़ताल करे और म्यूटेशन पर नजर रखे। वीओसी/वीओआई की सूचना सीधे केंद्रीय निगरानी इकाई को दी जाती है, ताकि राज्य के निगरानी अधिकारियों के साथ रोग-महामारी के आपसी सम्बंध पर समन्वय बनाया जा सके, ताकि उन्हें मालूम हो सके कि यह रोग या महामारी कितनी भीषण है। उसके बाद नमूनों को बायो-बैंकों में भेज दिया जाता है।
आरजीएसएल जब जन स्वास्थ्य से जुड़े किसी जिनोम म्यूटेशन की पहचान कर लेती है, तो उसकी रिपोर्ट वैज्ञानिक और उपचार सलाहकार समूह (एससीएजी) को सौंप देती है। एससीएजी उसके बाद वीओआई और अन्य म्यूटेशन पर विशेषज्ञों की राय लेता है और अगर जरूरी हुआ तो आगे पड़ताल के लिये केंद्रीय निगरानी इकाई को उसकी सिफारिश करता है।
एनसीडीसी की इकाई आईडीएसपी रोग-महामारी के आपसी सम्बंध और अन्य सूचनाओं को स्वास्थ्य मंत्रालय, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद्, बायोटेक्नोलॉजी विभाग, वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद तथा राज्य के अधिकारियों के साथ साझा करती है।
आखिर में, नये म्यूटेशन/गंभीर रूप से बीमार करने वाले वैरियंट को प्रयोगशाला में जांचा जाता है और उसकी संक्रामकता, घातकता, वैक्सीन के प्रभाव और शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को चकमा देने की ताकत का मूल्यांकन किया जाता है।
पूरी दुनिया में डेल्टा वैरियंट से चिंता फैली हुई है। यह वैरियंट इतना घातक क्यों है?
कोविड-19 के बी.1.617.2 को डेल्टा वैरियंट कहा जाता है। पहली बार इसकी शिनाख्त भारत में अक्टूबर 2020 में की गई थी। हमारे देश में दूसरी लहर के लिये यही प्रमुख रूप से जिम्मेदार है। आज नये कोविड-19 के 80 प्रतिशत मामले इसी वैरियंट की देन हैं। यह महाराष्ट्र में उभरा और वहां से घूमता-घामता पश्चिमी राज्यों से होता हुआ उत्तर की ओर बढ़ा। फिर देश के मध्य भाग में और पूर्वोत्तर राज्यों में फैल गया।
यह म्यूटेशन स्पाइक प्रोटीन से बना है, जो उसे एसीई2 रिसेप्टर से चिपकने में मदद करता है। एसीआई2 रिसेप्टर कोशिकाओं की सतह पर मौजूद होता है, जिनसे यह मजबूत से चिपक जाता है। इसके कारण यह ज्यादा संक्रामक हो जाता है और शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को चकमा देने में सफल हो जाता है। यह अपने पूर्ववर्ती अल्फा वैरियंट से 40-60 प्रतिशत ज्यादा संक्रामक है और अब तक यूके, अमेरिका, सिंगापुर आदि 80 से ज्यादा देशों में फैल चुका है।
अन्य वैरियंट की तुलना में क्या यह ज्यादा गंभीर रूप से बीमार करता है?
ऐसे अध्ययन हैं, जो बताते हैं कि इस वैरियंट में ऐसे कुछ म्यूटेशन हैं, जो संक्रमित कोशिका को अन्य कोशिकाओं से मिलाकर रुग्ण कोशिकाओं की तादाद बढ़ाते जाते हैं। इसके अलावा जब ये मानव कोशिका में घुसपैठ करते हैं, तो बहुत तेजी से अपनी संख्या बढ़ाने लगते हैं। इसका सबसे घातक प्रभाव फेफड़ों पर पड़ता है। बहरहाल, यह कहना मुश्किल है कि डेल्टा वैरियंट से पैदा होने वाली बीमारी ज्यादा घातक होती है। भारत में दूसरी लहर के दौरान होने वाली मौतें और किस आयुवर्ग में ज्यादा मौतें हुईं, ये सब पहली लहर से मिलता-जुलता ही है।
क्या डेल्टा वैरियंट के मुकाबले डेल्टा प्लस वैरियंट ज्यादा घातक है?
डेल्टा प्लस वैरियंट – एवाई.1 और एवाई.2 – अब तक 11 राज्यों में 55-60 मामलों में देखा गया है। इन राज्यों में महाराष्ट्र, तमिलनाडु और मध्यप्रदेश शामिल हैं। एवाई.1 नेपाल, पुर्तगाल, स्विट्जरलैंड, पोलैंड, जापान जैसे देशों में भी मिला है। इसके बरक्स एवाई.2 कम मिलता है। वैरियंट की संक्रामकता, घातकता और वैक्सीन को चकमा देने की क्षमता आदि का अध्ययन चल रहा है।
क्या डेल्टा वैरियंट के खिलाफ वैक्सीन कारगर है?
जी हां। इस मुद्दे पर आईसीएमआर के अध्ययन के अनुसार मौजूदा वैक्सीनें डेल्टा वैरियंट के खिलाफ कारगर हैं।
देश के कुछ भागों में अब भी मामलों में तेजी देखी जा रही है। ऐसा क्यों?
देश के तमाम भागों में मामलों में गिरावट दर्ज की जा रही है, लेकिन कुछ हिस्सों में आज भी पॉजीटिविटी दर ऊंची है, खासतौर से देश के पूर्वोत्तर क्षेत्रों और दक्षिणी राज्यों के कई जिलों में। इनमें से ज्यादातर मामले डेल्टा वैरियंट के कारण हो सकते हैं।
क्या महामारी की भावी लहरों को रोका जा सकता है?
वायरस ने आबादी के उस हिस्से को संक्रिमत करना शुरू किया है, जो हिस्सा सबसे जोखिम वाला है। संक्रमित के संपर्क में आने वालों को भी वह पकड़ता है। आबादी के एक बड़े हिस्से को संक्रमित करने के बाद वह कम होने लगता है और जब संक्रमण के बाद पैदा होने वाली रोग-प्रतिरोधक क्षमता कम होने लगती है, तो वह फिर वार करता है। अगर नये और ज्यादा संक्रमण वाले वैरियंट पैदा हुये, तो मामले बढ़ सकते हैं। दूसरे शब्दों में कहें, तो अगली लहर उस वायरस वैरियंट की वजह से आयेगी, जिसके सामने आबादी का अच्छा-खासा हिस्सा ज्यादा कमजोर साबित होगा।
दूसरी लहर अभी चल रही है। ज्यादा से ज्यादा लोगों को टीके लगें, लोग कड़ाई से कोविड उपयुक्त व्यवहार करें और जब तक हमारी आबादी के एक बड़े हिस्से को टीके न लग जायें, हम सावधान रहें, तो भावी लहर को नियंत्रित किया जा सकता है और उसे टाला जा सकता है।
लोगों को कोविड-19 के खिलाफ टीके और कोविड उपयुक्त व्यवहार पर ज्यादा से ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है।
भारत में कोविड-19 टीकाकरण का आंकड़ा 40 करोड़ के अहम स्तर को पार कर गया है। आज सुबह 7 बजे तक की अस्थायी रिपोर्ट के मुताबिक, 50,46,387 सत्रों के माध्यम से टीकों की कुल 40,49,31,715 खुराक लगा दी गई हैं। पिछले 24 घंटों के दौरान टीकों की 51,01,567 खुराक लगाई गई हैं। कोविड-19 टीके की व्यापक उपलब्धता से जुड़ा नया चरण 21 जून, 2021 से शुरू हुआ है। केन्द्र सरकार देश भर में कोविड-19 टीकाकरण की गति और उसका दायरा बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है।
महामारी की शुरुआत से अभी तक संक्रमित लोगों में से 3,02,69,796 लोग पहले ही कोविड-19 से स्वस्थ हो चुके हैं और पिछले 24 घंटों के दौरान 42,004लोग ठीक हुए हैं। इस प्रकार स्वस्थ होने की दर 97.31 प्रतिशत के स्तर पर है, जिससे लगातार बढ़ोतरी के रुझान का पता चलता है। पिछले 24 घंटों के दौरान भारत में दैनिक नए मामले 41,157 दर्ज किए गए।
लगातार 21 दिनों से दैनिक नए मामले 50,000 के स्तर से नीचे बने हुए हैं। यह केन्द्र और राज्यों/ केन्द्र शासित प्रदेशों द्वारा किए गए निरंतर और सहयोगपूर्ण प्रयासों का परिणाम है।भारत के सक्रिय मामले 4,22,660 के स्तर पर बने हुए हैं और अब देश के कुल पॉजिटिव मामलों में सक्रिय मामलों की हिस्सेदारी 1.36 प्रतिशत है। देश भर में परीक्षण क्षमता में खासी बढ़ोतरी के साथ, पिछले 24 घंटों के दौरान देश में कुल 19,36,709जांच कराई गयी। भारत में अभी तक कुल 44.39 करोड़ (44,39,58,663) जांचें की जा चुकी हैं।
जहां एक तरफ देश में परीक्षण क्षमता में बढ़ोतरी हुई है, वहीं मामलों की साप्ताहिक पॉजिटिविटी में गिरावट देखने को मिली है। वर्तमान में साप्ताहिक पॉजिटिविटी दर 2.08 प्रतिशत के स्तर पर है, जबकि आज दैनिक पॉजिटिविटी दर 2.13 प्रतिशत रही। लगातार 27 दिनों से दैनिक पॉजिटिविटी दर 3 प्रतिशत से कम बनी हुई हैऔर यह पिछले लगातार 41 दिनों से 5 प्रतिशत से कम है।
केन्द्र सरकार देश भर में कोविड-19 टीकाकरण की गति में तेजी लाने तथा इसके दायरे को विस्तारित करने के लिए प्रतिबद्ध है। सभी लोगों को कोविड-19 टीकाकरण उपलब्ध कराने का नया चरण 21 जून, 2021 से आरंभ हुआ। अधिक टीकों की उपलब्धता, बेहतर ढंग से योजना बनाने में राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों को सक्षम बनाने के लिए उन्हें अग्रिम रूप से टीका उपलब्ध कराने तथा टीका आपूर्ति को विवेकपूर्ण बनाने के जरिये टीकाकरण अभियान में तेजी लाई गई है।
राष्ट्रव्यापी टीकाकरण अभियान के हिस्से के रूप में, भारत सरकार राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों को नि:शुल्क टीका उपलब्ध कराने के माध्यम से उनकी सहायता करती रही है। कोविड-19 टीकाकरण अभियान के सार्वभौमिकरण के नये चरण में, केन्द्र सरकार देश में टीका विनिर्माताओं द्वारा उत्पादित टीकों के 75 प्रतिशत की खरीद करेगी और राज्यों तथा केन्द्र शासित प्रदेशों को आपूर्ति (नि:शुल्क) करेगी। अभी तक राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों को सभी स्रोतों से 41.99करोड़ से अधिक (41,99,68,590) टीके उपलब्ध कराए गए हैं और 15,75,140 टीके उपलब्ध कराए जाने की प्रक्रिया प्रगति में है।
इनमें से अपव्यय सहित कुल 39,42,97,344 टीकों की (आज सुबह 8 बजे तक उपलब्ध डाटा के अनुसार) खपत हुई है।
राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों तथा निजी अस्पतालों के पास अभी भी 2.56करोड़ (2,56,71,246) से अधिक शेष तथा अप्रयुक्त टीके उपलब्ध हैं।
देशव्यापी टीकाकरण अभियान के तहत अब तक वैक्सीन की 40.49 करोड़ डोज लगाई गई हैं।
अब तक पूरे देश में कुल 3,02,69,796 मरीज स्वस्थ हुये।
रिकवरी दर बढ़कर 97.31 प्रतिशत हुआ।
पिछले 24 घंटों के दौरान 42,004 मरीज ठीक हुए।
भारत में पिछले 24 घंटों में 41,157 नए मामले सामने आए हैं।
भारत में सक्रिय मामले वर्तमान में 4,22,660हैं।
सक्रिय मामले कुल मामलों का 1.36 % हैं।
साप्ताहिक पॉजिटिविटी दर 5% से नीचे बनी हुई है, वर्तमान में 2.08 % है
दैनिक पॉजिटिविटी दर 2.13%, लगातार 27वें दिन भी 3% से कम
जांच क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई - कुल 44.39 करोड़ नमूनों की जांच की गई है।
कोरोना के बाद आ गई नई मुसीबत, इस देश में मिला मंकीपॉक्स का पहला मामला, जाने क्या है यह दुर्लभ बीमारी
अभी दुनिया कोरोना वायरस से जूझ ही रही है कि नई नई मुसीबतें सामने आती जा रही हैं। दरअसल, रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) ने कहा है कि अमेरिका के टेक्सास में एक व्यक्ति दुर्लभ मंकीपॉक्स वायरस से संक्रमित पाया गया है। सीडीसी ने एक प्रेस रिलीज में कहा, "रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) और टेक्सास राज्य स्वास्थ्य सेवा विभाग ने 15 जुलाई को एक अमेरिकी निवासी में मानव मंकीपॉक्स के मामले की पुष्टि की है। इस व्यक्ति ने हाल ही में नाइजीरिया से अमेरिका की यात्रा की थी।संक्रमित मरीज को डलास के अस्पताल में भर्ती करा दिया गया है।वहीं अमेरिका का सेंटर्स फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन और बाकी एजेंसियां व्यक्ति के संपर्क में आए लोगों को खोजने में जुटी हुईं हैं, ताकि इस बीमारी के प्रकोप को रोका जा सके। गौरतलब है कि मंकीपॉक्स नाम की यह दुर्लभ बीमारी 18 साल बाद अमेरिका में लौटी है। अब से करीब 2 दशक पहले अमेरिका में इस दुर्लभ बीमारी का प्रकोप हुआ था। यूएसए टुडे में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक मंकीपॉक्स बीमारी को लेकर स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा है कि इससे आम जनता को खतरा कम है, क्योंकि कोविड-19 को रोकने के उपायों के कारण फ्लाइट में उसके द्वारा अन्य लोगों को संक्रमित करने की आशंका कम है। बता दें कि मंकीपॉक्स वायरस स्मॉलपॉक्स वायरस की फैमिली का है लेकिन यह एक दुर्लभ बीमारी है। इसमें मरीज को चेहरे और पूरे शरीर पर रैशेज और बड़े दाने आ जाते हैं। अधिकांश मामलों में यह संक्रमण 2 से 4 सप्ताह तक रहता है। हालांकि इसे हल्के संक्रमण का कारण माना जाता है लेकिन यह गंभीर वायरल बीमारी का रूप ले सकती है। यह जानवरों द्वारा काटने या उनके संपर्क में आने से होती है। विशेषज्ञों का मानना है कि मंकीपॉक्स का एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में संक्रमण बड़ी श्वसन बूंदों के जरिए होता है।
केन्द्र सरकार देश भर में कोविड-19 टीकाकरण की गति में तेजी लाने तथा इसके दायरे को विस्तारित करने के लिए प्रतिबद्ध है। सभी लोगों को कोविड-19 टीकाकरण उपलब्ध कराने का नया चरण 21 जून, 2021 से आरंभ हुआ। अधिक टीकों की उपलब्धता, बेहतर ढंग से योजना बनाने में राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों को सक्षम बनाने के लिए उन्हें अग्रिम रूप से टीका उपलब्ध कराने तथा टीका आपूर्ति को विवेकपूर्ण बनाने के जरिये टीकाकरण अभियान में तेजी लाई गई है।
राष्ट्रव्यापी टीकाकरण अभियान के हिस्से के रूप में, भारत सरकार राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों को नि:शुल्क टीका उपलब्ध कराने के माध्यम से उनकी सहायता करती रही है। कोविड-19 टीकाकरण अभियान के सार्वभौमिकरण के नये चरण में, केन्द्र सरकार देश में टीका विनिर्माताओं द्वारा उत्पादित टीकों के 75 प्रतिशत की खरीद करेगी और राज्यों तथा केन्द्र शासित प्रदेशों को आपूर्ति (नि:शुल्क) करेगी।अभी तक राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों को सभी स्रोतों से 41.69करोड़ से अधिक (41,69,24,550) टीके उपलब्ध कराए गए हैं और 18,16,140 टीके उपलब्ध कराए जाने की प्रक्रिया प्रगति में है।
इनमें से अपव्यय सहित कुल 38,94,87,442 टीकों की (आज सुबह 8 बजे तक उपलब्ध डाटा के अनुसार) खपत हुई है।
राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों तथा निजी अस्पतालों के पास अभी भी 2.74करोड़ (2,74,37,108) से अधिक शेष तथा अप्रयुक्त टीके उपलब्ध है।
देशव्यापी टीकाकरण अभियान के तहत अब तक वैक्सीन की 39.96 करोड़ डोज लगाई गई हैं।
अब तक पूरे देश में कुल 3,02,27,792 मरीज स्वस्थ हुये।
रिकवरी दर बढ़कर 97.31 प्रतिशत हुआ।
पिछले 24 घंटों के दौरान 43,916 मरीज ठीक हुए।
भारत में पिछले 24 घंटों में 38,079 नए मामले सामने आए हैं।
भारत में सक्रिय मामले वर्तमान में 4,24,025 हैं।
सक्रिय मामले कुल मामलों का 1.36 % हैं।
साप्ताहिक पॉजिटिविटी दर 5% से नीचे बनी हुई है, वर्तमान में 2.10 % है
दैनिक पॉजिटिविटी दर 1.91 %, लगातार 26वें दिन भी 3% से कम
जांच क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई - कुल 44.20 करोड़ नमूनों की जांच की गई है।
केन्द्र सरकार देश भर में कोविड-19 टीकाकरण की गति में तेजी लाने तथा इसके दायरे को विस्तारित करने के लिए प्रतिबद्ध है। सभी लोगों को कोविड-19 टीकाकरण उपलब्ध कराने का नया चरण 21 जून, 2021 से आरंभ हुआ। अधिक टीकों की उपलब्धता, बेहतर ढंग से योजना बनाने में राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों को सक्षम बनाने के लिए उन्हें अग्रिम रूप से टीका उपलब्ध कराने तथा टीका आपूर्ति को विवेकपूर्ण बनाने के जरिये टीकाकरण अभियान में तेजी लाई गई है।
राष्ट्रव्यापी टीकाकरण अभियान के हिस्से के रूप में, भारत सरकार राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों को निशुल्क टीका उपलब्ध कराने के माध्यम से उनकी सहायता करती रही है। कोविड-19 टीकाकरण अभियान के सार्वभौमिकरण के नये चरण में, केन्द्र सरकार देश में टीका विनिर्माताओं द्वारा उत्पादित टीकों के 75 प्रतिशत की खरीद करेगी और राज्यों तथा केन्द्र शासित प्रदेशों को आपूर्ति (निशुल्क) करेगी। अभी तक राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों को सभी स्रोतों से 41.10 करोड़ से अधिक (41,10,38,530) टीके उपलब्ध कराए गए हैं और 52,90,640 टीके उपलब्ध कराए जाने की प्रक्रिया प्रगति में है।
इनमें से अपव्यय सहित कुल 38,58,75,958 टीकों की (आज सुबह 8 बजे तक उपलब्ध डाटा के अनुसार) खपत हुई है।
राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों तथा निजी अस्पतालों के पास अभी भी 2.51 करोड़ (2,51,62,572) से अधिक शेष तथा अप्रयुक्त टीके उपलब्ध है।
देशव्यापी टीकाकरण अभियान के तहत अब तक वैक्सीन की 39.53 करोड़ डोज लगाई गई हैं।
अब तक पूरे देश में कुल 3,01,83,876 मरीज स्वस्थ हुये।
रिकवरी दर बढ़कर 97.28 प्रतिशत हुआ।
पिछले 24 घंटों के दौरान 40,026 मरीज ठीक हुए।
भारत में पिछले 24 घंटों में 38,949 नए मामले सामने आए हैं।
भारत में सक्रिय मामले वर्तमान में 4,30,422 हैं।
सक्रिय मामले कुल मामलों का 1.39 % हैं।
साप्ताहिक पॉजिटिविटी दर 5% से नीचे बनी हुई है, वर्तमान में 2.14 % है
दैनिक पॉजिटिविटी दर 1.99 %, लगातार 25वें दिन भी 3% से कम
जांच क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई - कुल 44.00 करोड़ नमूनों की जांच की गई है।
केंद्र सरकार पूरे देश में कोविड-19 टीकाकरण की रफ्तार तेज करने और दायरा बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। कोविड-19 टीके की व्यापक उपलब्धता से जुड़ा नया चरण 21 जून, 2021 से शुरू हुआ है। टीकाकरण अभियान के जरिये ज्यादा टीकों की उपलब्धता के साथ, राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों को टीकाकरण उपलब्धता की अग्रिम जानकारी देकर तेज किया गया है ताकि टीकों को लेकर राज्य और केंद्रशासित प्रदेश बेहतर योजना बना सकें और टीकों की आपूर्ति श्रृंखला सुव्यवस्थित की जा सके। राष्ट्रव्यापी टीकाकरण अभियान के तहत भारत सरकार राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को निशुल्क कोविड टीके उपलब्ध कराकर उनकी मदद कर रही है। सबको टीका उपलब्ध कराने से जुड़े कोविड-19 टीकाकरण अभियान के नए चरण के तहत केंद्र सरकार देश में टीका विनिर्माताओं द्वारा उत्पादित 75 प्रतिशत टीके खरीदेगी और उनकी राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों को (निशुल्क) आपूर्ति करेगी। भारत सरकार ने अब तक राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को कोविड टीके की 40.31 करोड़ से अधिक खुराक (40,31,74,380) सभी स्रोतों के माध्यम से प्रदान की है। इसके अलावा टीके की 83,85,790 खुराक प्रक्रियारत हैं। आज सुबह आठ बजे उपलब्ध आंकड़े के अनुसार इनमें बर्बाद सहित कुल 38,39,02,614 खुराक की खपत हुई है। राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों और निजी अस्पतालों के पास अब भी टीके की 1.92 करोड़ से अधिक (1,92,71,766)खुराक उपलब्ध हैं जो बची हुई हैं, जिनका इस्तेमाल नहीं किया गया है।
देशव्यापी टीकाकरण अभियान के तहत अब तक वैक्सीन की 39.13 करोड़ डोज लगाई गई हैं।
अब तक पूरे देश में कुल 3,01,43,850 मरीज स्वस्थ हुये।
रिकवरी दर बढ़कर 97.28 प्रतिशत हुई।
पिछले 24 घंटों के दौरान 39,130 मरीज ठीक हुए।
भारत में पिछले 24 घंटों में 41,806 नए मामले सामने आए हैं।
भारत में सक्रिय मामले वर्तमान में 4,32,041 हैं।
सक्रिय मामले कुल मामलों का 1.39 प्रतिशत है।
साप्ताहिक पॉजिटिविटी दर 5% से नीचे बनी हुई है, वर्तमान में 2.21 प्रतिशत है
दैनिक पॉजिटिविटी दर 2.15 प्रतिशत, लगातार 24वें दिन भी 3 प्रतिशत से कम
जांच क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई - कुल 43.80 करोड़ नमूनों की जांच की गई है।
Tongue Health: आंख, नाखून और जीभ का रंग आपकी हेल्थ के बारे में बहुत कुछ बताते हैं. अगर जीभ के रंग में थोड़ा-सा भी बदलाव आता है तो इससे आप अपनी सेहत का अंदाजा लगा सकते हैं. जीभ का रंग बदलने के पीछे कई वजह हो सकती हैं. जीभ के रंग से आप कई तरह की बीमारियों का अंदाज लगा सकते हैं. कई बार दवाओं या किसी खाने की वजह से भी जीभ का रंग कुछ देर के लिए बदल जाता है, लेकिन अगर आपकी जीभ का रंग ज्यादा समय के लिए बदल जाए तो समझिए कोई परेशानी है. आज हम आपको कुछ ऐसे फैक्ट्स बता रहे हैं जिससे जीभ के रंग और होने वाली परेशानी के बारे में आप पता लगा सकते हैं.
नॉर्मल जीभ का रंग कैसा होना चाहिए?
सामान्य तौर पर जीभ का रंग हल्का गुलाबी होता है. इसपर लाइट वाइट कोटिंग होना भी बिल्कुल नॉर्मल कंडीशन है. नॉर्मल जीभ का टेक्सचर थोड़ा धुंधला होता है. अगर आपकी जीभ भी ऐसी है तो आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है.
जीभ का रंग सफेद- अगर जीभ का रंग सफेद हो गया है तो इसका मतलब है कि आपका ओरल हाइजिन काफी खराब है और शरीर में डिहाइड्रेटेड की समस्या है. अगर जीभ पर कोटिंग कॉटेज चीज की लेयर जैसी दिखती है तो स्मोकिंग की वजह से आपको लिकोप्लेकिया भी हो सकता है. कई बार फ्लू की वजह से भी जीभ का रंग सफेद हो जाता है.
जीभ का रंग पीला- कुछ लोगों की जीभ का रंग पीला होने लगता है. इससे आप समझ सकते हैं कि शरीर में पौष्टिक तत्वों की कमी होने लगी है. इसके अलावा डाइजेस्टिव सिस्टम में गड़बड़ी होने, लिवर या पेट की दिक्कत होने पर भी जीभ का रंग पीला होने लगता है. इसी स्थिति में जीभ पर पीली कोटिंग जमने लगती है.
जीभ का ब्राउन रंग- जो लोग ज्यादा कैफीन का सेवन करते हैं उनकी जीभ ब्राउन कलर की हो सकती है. कई स्मोकिंग करने वालों की जीभ का कलर भी ब्राउन हो जाता है. स्मोकिंग करने वाले लोगों की जीभ पर ब्राउन कलर की एक परमानेन्ट लेयर जम जाती है.
जीभ का काला रंग- अगर आपकी जीभ का रंग काला होने लगा है तो आपको सावधान होने की जरूरत है. चेन स्मोकर्स की जीभ का रंग भी काला होने लगता है. इसके अलावा कैंसर, अल्सर या फंगल इनफेक्शन होने पर भी जीभ का रंग काला होने लगता है. कई बार ओरल हाइजीन की वजह से भी जीभ पर ऐसे बैक्टिरिया बनने लगते हैं, जिससे जीभ का रंग काला होने लगता है.
जीभ का रंग लाल- अगर आपकी जीभ का रंग अजीब तरीके से लाल होने लगा है तो शरीर में फॉलिक एसिड या विटमिन B-12 की कमी हो सकती है. जीभ पर रेड स्पॉट दिखें तो इसे जियोग्राफिक टंग कहते हैं.
जीभ का रंग नीला- जीभ का रंग नीली या पर्पल होने का मतलब है कि आपको हार्ट से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं. जब हार्ट ब्लड को सही तरीके से पंप नहीं कर पाता या ब्लड में ऑक्सिजन कम होने लगता है तो जीभ का रंग नीला या पर्पल हो जाता है.
कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर ने भारत में जमकर तबाही मचाई. इस लहर के दौरान कई लोगों ने ऑक्सीजन की कमी के चलते दम तोड़ दिया. हर तरफ ऑक्सीजन को लेकर हाहाकार देखने को मिला. कोरोना वायरस अभी हमारे बीच से गया नहीं है. लोगों को अब भी मास्क और सैनिटाइजर अपने साथ लेकर चलने की सलाह दी जा रही है. वहीं अब सैनिटाइजर के साथ ऑक्सीजन को भी जेब में लेकर चल सकेंगे. जी, हां ऐसी तकनीक इजाद की गई है जिससे आप ऑक्सीजन की बोतल अपने साथ ले जा सकेंगे. आइए जानते हैं इसके बारे में.
इतनी है कीमत
दरअसल IIT कानपुर के पूर्व छात्र और ई-स्पिन नैनोटेक प्राइवेट लिमिटेड के डॉ. संदीप पाटिल ने ऑक्सीराइज नाम की बोतल बनाई है, जिसमें 10 लीटर ऑक्सीजन की गैस को स्टोर किया जा सकता है. इसकी खासियत ये है कि किसी की तबियत बिगड़ने पर उसे इस बोतल के जरिए ऑक्सीजन के कुछ शॉट्स देकर अस्पताल तक ले जाया जा सकता है. इस बेहद काम की ऑक्सीजन बोतल की कीमत महज 499 रुपये तय की गई है. आप इसे ऑनलाइन खरीद सकते हैं.
मुंह में स्प्रे करके दे सकेंगे ऑक्सीजन
डॉ. संदीप पाटिल का कहना है कि महामारी के इस दौर में ऑक्सीजन की इस गंभीर समस्या के चलते इसे इजाद किया गया है. ये पोर्टेबल है और इमरजेंसी में इसे काफी आसानी से इसे इस्तेमाल किया जा सकता है. पाटिल के मुताबिक इस बोतल में एक खास डिवाइस भी लगाई गई है जिसके जरिए मरीज के मुंह में स्प्रे करके ऑक्सीजन दी जा सकती है. इसकी बिक्री कंपनी की वेबसाइट swasa.in से की जा रही है. अभी एक दिन में 1000 बोतलों का प्रोडक्शन किया जा रहा है.