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आइये एक नज़र डालते हैं आज के कोविड-19 टीकाकरण की ताज़ा जानकारी पर

आइये एक नज़र डालते हैं आज के कोविड-19 टीकाकरण की ताज़ा जानकारी पर

केंद्र सरकार देशभर में कोविड-19 टीकाकरण का दायरा बढ़ाने और टीके लगाने की गति को तेज करने के लिये प्रतिबद्ध है। कोविड-19 के टीकों की सर्व-उपलब्धता का नया दौर 21 जून, 2021 से शुरू किया गया है। टीकाकरण अभियान को अधिक से अधिक वैक्सीन की उपलब्धता के जरिये बढ़ाया गया। इसके तहत राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को वैक्सीन की उपलब्धता के बारे में पूर्व सूचना प्रदान की गई, ताकि वे बेहतर योजना के साथ टीके लगाने का बंदोबस्त कर सकें और टीके की आपूर्ति श्रृंखला को दुरुस्त किया जा सके।

देशव्यापी टीकाकरण अभियान के हिस्से के रूप में केंद्र सरकार राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निःशुल्क कोविड वैक्सीन प्रदान करके उन्हें समर्थन दे रही है। टीकों की सर्व-उपलब्धता के नये चरण में, केंद्र सरकार वैक्सीन निर्माताओं से 75 प्रतिशत टीके खरीदकर उन्हें राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निःशुल्क प्रदान करेगी।

केंद्र सरकार द्वारा सभी प्रकार के स्रोतों से अब तक वैक्सीन की 39.59करोड़ से अधिक (39,59,21,220)खुराकें राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को प्रदान की गई हैं। इसके अलावा 30,250खुराकें भेजे जाने की तैयारी है।

आज आठ बजे सुबह तक उपलब्ध आंकड़ों के हिसाब से उपरोक्त खुराकों में से बेकार हो जाने वाली खुराकों को मिलाकर कुल 38,07,68,770खुराकों की खपत हो चुकी है।

अभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों तथा निजी अस्पतालों के पास कोविड-19 टीके की1.51 करोड़ से अधिक(1,51,52,450)अतिरिक्त और बिना इस्तेमाल की हुई खुराकें बची हैं, जिन्हें लगाया जाना है। 

14 जुलाई :  कोविड-19 पर ताज़ा जानकारी

14 जुलाई : कोविड-19 पर ताज़ा जानकारी

देशव्यापी टीकाकरण अभियान के तहत अब तक वैक्सीन की 36.76 करोड़ डोज लगाई गई हैं।

अब तक पूरे देश में कुल 3,01,04,720 मरीज स्वस्थ हुए।

रिकवरी दर में बढ़ोत्तरी वह 97.28 प्रतिशत पहुंची।

पिछले 24 घंटों के दौरान 41,000 मरीज स्वस्थ हुए।

पिछले 24 घंटों में भारत में 38,792 नये मामले दर्ज हुए।

भारत में इस समय सक्रिय मामले 4,29,946 हैं।

साप्ताहिक पॉजिटिविटी दर पांच प्रतिशत से नीचे कायम। वर्तमान में यह 2.25 प्रतिशत है।

 

 

दैनिक पॉजिटिविटी दर 2.10 प्रतिशत है, जो लगातार 23वें दिन तीन प्रतिशत से कम पर कायम है।

जांच क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि के साथ, अभी तक कुल 43.59 करोड़ से अधिक जांचें की जा चुकी हैं। 

अब तक दुनिया के 29 देशों में पहुंचा कोरोना का लैंबडा वेरिएंट, क्या यह ज्यादा खतरनाक है?

अब तक दुनिया के 29 देशों में पहुंचा कोरोना का लैंबडा वेरिएंट, क्या यह ज्यादा खतरनाक है?

Corona Lambda Variant: पेरू में अब तक प्रति व्यक्ति कोविड मौतों की संख्या सबसे अधिक है. प्रत्येक एक लाख की आबादी के पीछे 596 की मौत कोरोना से हुई है. अगला सबसे अधिक प्रभावित देश हंगरी है, जिसमें प्रति एक लाख लोगों पर 307 मौतें होती हैं.
ऐसे कई कारण हैं जिनकी वजह से पेरू में महामारी का प्रकोप इतना अधिक है. इनमें एक खराब वित्त पोषित, अविकसित स्वास्थ्य सेवा प्रणाली शामिल है, जिसमें बहुत कम आईसीयू बेड; धीमा टीकाकरण; सीमित परीक्षण क्षमता; एक बड़ी अनौपचारिक अर्थव्यवस्था (कुछ लोग काम नहीं कर सकते); और भीड़भाड़ वाले आवास हैं. देश को लैंबडा वेरिएंट को भी झेलना पड़ा. शुरुआत में राजधानी लीमा में अगस्त 2020 में इसके होने की पुष्टि की गई, अप्रैल 2021 तक पेरू में इसका प्रभाव 97 फीसदी था.
लैंबडा अब विश्वव्यापी हो गया है. हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यह 29 देशों में पाया गया है. रिपोर्ट में कहा गया है: ‘‘लैंबडा कई देशों में सामुदायिक प्रसारण का कारण है, समय के साथ इसकी व्यापकता और कोविड-19 मरीजों की संख्या बढ़ रही है.’’
14 जून 2021 को, डब्ल्यूएचओ ने लैंबडा को बीमारी का वैश्विक वेरिएंट घोषित किया. पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड ने 23 जून को इसे ‘‘अंतर्राष्ट्रीय विस्तार और कई उल्लेखनीय उत्परिवर्तन’’ के कारण ‘‘जांच के तहत वेरिएंट’’ करार दिया. ब्रिटेन में लैंबडा के आठ पुष्ट मामलों में से अधिकांश को विदेश यात्रा से जोड़ा गया है.

सबूत क्या दिखाते हैं?

वायरस का जिज्ञासा का एक प्रकार वह है जिसमें उत्परिवर्तन होते हैं जो कि ट्रांसमिसिबिलिटी (कितनी आसानी से वायरस फैलता है), बीमारी की गंभीरता, पिछले संक्रमण या टीकों से प्रतिरक्षा से बचने की क्षमता, या भ्रमित नैदानिक परीक्षण जैसी चीजों को प्रभावित करने के लिए जाने जाते हैं. कई वैज्ञानिक लैंबडा के उत्परिवर्तन के ‘‘असामान्य संयोजन’’ की बात करते हैं, जो इसे और अधिक पारगम्य (प्रवेश के योग्य) बना सकता है.
लैंबडा में स्पाइक प्रोटीन पर सात म्यूटेशन होते हैं, वायरस के बाहरी आवरण पर मशरूम के आकार की संरचना, जो इसे हमारी कोशिकाओं को जकड़ने और उन पर आक्रमण करने में मदद करते हैं. ये उत्परिवर्तन लैंबडा को हमारी कोशिकाओं को बांधना आसान बना सकते हैं और हमारे एंटीबॉडी के लिए वायरस को पकड़ना और उसे बेअसर करना कठिन बना देता है.
लेकिन यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि प्रतिरक्षा प्रणाली के टूलकिट में एंटीबॉडी को निष्क्रिय करना एकमात्र उपकरण नहीं है - वे अध्ययन करने में सबसे आसान हैं. टी कोशिकाएं भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, इसलिए कुछ हद तक उत्परिवर्तन - हालांकि असामान्य - लैंबडा को हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को पूरी तरह से चकमा देने के लिए पर्याप्त नहीं हो सकता है.
तो हमारे पास क्या सबूत हैं कि ये उत्परिवर्तन लैंबडा को मूल कोरोना वायरस से अधिक खतरनाक बनाते हैं? बहुत कम, यह पता चला है. लैंबडा वेरिएंट पर कोई प्रकाशित अध्ययन नहीं है और केवल कुछ मुट्ठी भर पूर्व-पत्र हैं जो अभी तक अन्य वैज्ञानिकों (सहकर्मी समीक्षा) की जांच के अधीन हैं और एक पत्रिका में प्रकाशित हैं.
न्यू यॉर्क यूनिवर्सिटी ग्रॉसमैन स्कूल ऑफ मेडिसिन के एक प्रीप्रिंट ने लैंबडा वेरिएंट के खिलाफ फाइजर और मॉडर्न टीके के प्रभाव को देखा और मूल वायरस की तुलना में वैक्सीन-से मिली एंटीबॉडी में दो से तीन गुना कमी पाई. विश्लेषण करें तो यह एंटीबॉडी को निष्क्रिय करने का एक बड़ा नुकसान नहीं है. शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला कि ये एमआरएनए टीके शायद लैंबडा वेरिएंट के खिलाफ सुरक्षात्मक रहेंगे.
चिली विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने लैंबडा वेरिएंट के खिलाफ सिनोवैक (जिसे ‘‘कोरोनावैक’’ भी कहा जाता है) टीका के प्रभाव की जांच की. उन्होंने मूल वेरिएंट की तुलना में एंटीबॉडी को निष्क्रिय करने में तीन गुना कमी पाई. तथ्य यह है कि इन दो अध्ययनों में पाया गया कि आंशिक स्तर पर पाई गई निष्क्रियता कम नहीं है बल्कि महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह टीकाकरण द्वारा प्राप्त प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया का केवल एक पहलू है.
लैंबडा के पीएचई के नवीनतम ‘‘जोखिम मूल्यांकन’’ (8 जुलाई) के अनुसार, ऐसे देश का कोई सबूत नहीं है जहां लैंबडा ने डेल्टा को पछाड़ दिया है. अध्ययन चल रहे हैं, लेकिन अभी के लिए, लैंबडा चिंता के एक प्रकार के बजाय जिज्ञासा का एक प्रकार बना हुआ है.

 

आइये एक नज़र डालते हैं आज के  कोविड-19 टीकाकरण की ताज़ा जानकारी पर

आइये एक नज़र डालते हैं आज के कोविड-19 टीकाकरण की ताज़ा जानकारी पर

केंद्र सरकार देशभर में कोविड-19 टीकाकरण का दायरा बढ़ाने और टीके लगाने की गति को तेज करने के लिये प्रतिबद्ध है। कोविड-19 के टीकों की सर्व-उपलब्धता का नया दौर 21 जून, 2021 से शुरू किया गया है। टीकाकरण अभियान को अधिक से अधिक वैक्सीन की उपलब्धता के जरिये बढ़ाया गया। इसके तहत राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को वैक्सीन की उपलब्धता के बारे में पूर्व सूचना प्रदान की गई, ताकि वे बेहतर योजना के साथ टीके लगाने का बंदोबस्त कर सकें और टीके की आपूर्ति श्रृंखला को दुरुस्त किया जा सके। देशव्यापी टीकाकरण अभियान के हिस्से के रूप में केंद्र सरकार राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निःशुल्क कोविड वैक्सीन प्रदान करके उन्हें समर्थन दे रही है। टीकों की सर्व-उपलब्धता के नये चरण में, केंद्र सरकार वैक्सीन निर्माताओं से 75 प्रतिशत टीके खरीदकर उन्हें राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निःशुल्क प्रदान करेगी। केंद्र सरकार द्वारा सभी प्रकार के स्रोतों से अब तक वैक्सीन की 39.46 करोड़ से अधिक (39,46,94,020) खुराकें राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को प्रदान की गई हैं। इसके अलावा 12,00,000 खुराकें भेजे जाने की तैयारी है। आज आठ बजे सुबह तक उपलब्ध आंकड़ों के हिसाब से उपरोक्त खुराकों में से बेकार हो जाने वाली खुराकों को मिलाकर कुल 37,55,38,390 खुराकों की खपत हो चुकी है। अभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों तथा निजी अस्पतालों के पास कोविड-19 टीके की 1.91 करोड़ से अधिक (1,91,55,630) अतिरिक्त और बिना इस्तेमाल की हुई खुराकें बची हैं, जिन्हें लगाया जाना है। 

13 जुलाई : कोविड-19 पर ताज़ा जानकारी

13 जुलाई : कोविड-19 पर ताज़ा जानकारी

देशव्यापी टीकाकरण अभियान के तहत अब तक वैक्सीन की 38.14 करोड़ डोज लगाई गई हैं।

पिछले 24 घंटों में भारत में 31,443 नये मामले दर्ज हुये,जो 118 दिनों में सबसे कम हैं।

अब तक पूरे देश में कुल 3,00,63,720 मरीज स्वस्थ हुये।

रिकवरी दर बढ़कर 97.28% हुई।

पिछले 24 घंटों के दौरान 49,007 मरीज ठीक हुए।

भारत में सक्रिय मामले वर्तमान में 4,31,315 है109 दिनों में सबसे कम।

सक्रिय मामले कुल मामलों का 1.40% हैं।

साप्ताहिक पॉजिटिविटी दर 5% से नीचे बनी हुई हैवर्तमान में 2.28% है

 

दैनिक पॉजिटिविटी दर 1.81%लगातार 22वें दिन भी 3% से कम

जांच क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई - कुल 43.40 करोड़ नमूनों की जांच की गई है। 

मोटापा घटाने के लिए 5 सबसे असरदार डाइटिंग टिप्स, हफ्तेभर में वजन कम होने लगेगा

मोटापा घटाने के लिए 5 सबसे असरदार डाइटिंग टिप्स, हफ्तेभर में वजन कम होने लगेगा

Weight Loss Diet Tips: वजन कम करना काफी मुश्किल काम है. हालांकि डाइट और एक्सरसाइज के जरिए आप वजन कम कर सकते हैं. कई लोग मोटापा घटाने के लिए ऐसे उपाय ढूंढते हैं जिससे जल्दी वजन कम हो जाए. मोटापा बढ़ने से न सिर्फ शरीर बेडौल होता है बल्कि कई बीमारियां भी परेशान करने लगती हैं. ऐसे में कुछ लोग वजन कम करने के लिए घरेलू उयाय (Remedies Lose Weight) भी ढूंढते हैं तो वहीं कुछ लोग डाइट (Weight Loss Diet) फॉलो करके वजन कम करते हैं. आज हम आपको वजन कम करने के लिए खाने से अलग ऐसी टिप्स बता रहे हैं जो आपको वजन कम करने में मदद करेंगी. आप कुछ बातों का ध्यान रखते हुए पेट की चर्बी (Belly Fat) को आसानी से कम कर सकते हैं. जानते हैं कैसे?


वजन कम करने के लिए डाइटिंग टिप्स
1- वजन कम करने के लिए आपको डाइटिंग की जरूरत नहीं है बल्कि आपको डाइट को बैलेंस करने की जरूरत है. मोटापा कम करने के लिए आपको डाइट में कम प्रोटीन वाले आहार को ही शामिल करना चाहिए. तली हुई चीजों की जगह ग्रिल्ड चीजें खाएं. ज्यादा फैटी खाने से वजन बढ़ता है.
2- मोटापा कम करने के लिए आपको अपनी लाइफस्टाइल से अल्कोहल, मिठाई और कोल्ड ड्रिंक्स को हटा देना चाहिए. इसके अलावा आईसक्रीम भी वजन बढ़ाती है. इसलिए पतला होने के लिए आपको इन चीजों को अपनी डाइट से हटा देना चाहिए.
3- मोटापा कम करने की चाहत रखने वालों को अपने डेली रुटीन में कुछ बदलाव करने चाहिए. खासतौर से डाइट को लेकर ध्यान रखने की जरूरत है. आपको अपनी डाइट से ज्यादा शुगर, फैट और कैलोरी हटा देनी चाहिए. इससे तेजी से वजन में फर्क नजर आएगा.
4- वजन को कंट्रोल रखने के लिए आपको डाइट में ड्राईफ्रूट्स जैसे बादाम और अखरोट जरूर शामिल करने चाहिए. बादाम में प्रोटीन होता है जिससे मांसपेशियां रिपेयर होती हैं और फाइबर होने की वजह से भूख नहीं लगती है. बादाम को वजन कम करने के लिए सुपरफूड माना जाता है. बादाम में हाई फाइबर और कार्बोहाइड्रेट पाया जाता है जिससे पेट भरा हुआ लगता है.
5- वजन कम करने के लिए आपको डाइट में हरी पत्तेदार सब्जियां और फल जरूर शामिल करने चाहिए. फल और सब्जियों में फाइबर बहुत ज्यादा और कर्बोहाइड्रेट्स, कैलोरीज बहुत कम होती हैं. आप ज्यादा सब्जियां अपनी डाइट में शामिल करके कम कैलोरी कंज्यूम करते हैं. जिससे आपका मोटापा तेजी से कम होने लगता है.

 

खुशखबरी : जल्द लगेगा 12 से 18 साल के बच्चों को कोरोना का टीका

खुशखबरी : जल्द लगेगा 12 से 18 साल के बच्चों को कोरोना का टीका

नई दिल्ली। तीसरी लहर को देखते हुए सरकार स्तनपान कराने वाली माताओं और गर्भवती महिलाओं के बाद अब बच्चों को टीका लगाने की योजना बना रही है। इसके तहत पहले 12 से 18 साल के बच्चों को टीका दिया जाएगा। बच्चों का दूसरे चरण का टीकाकरण सितंबर महीने के बाद होगा। इस योजना को शुरू करने के लिए फिलहाल सरकार जाइडस कैडिला की डीएनए वैक्सीन पर विशेषज्ञ कार्य समिति (एसईसी) की सिफारिशों का इंतजार कर रही है। 


वैक्सीन को आपात इस्तेमाल की अनुमति मिलने के बाद बच्चों को भी यह दी जा सकती है। इस पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि टीकाकरण में बच्चों को भी शामिल करने की योजना बन चुकी है। 


चूंकि जाइडस कैडिला की वैक्सीन परीक्षण में 12 साल तक के बच्चे शामिल थे। इसलिए वैक्सीन को आपात इस्तेमाल की अनुमति मिलने के बाद वयस्कों के साथ 12 साल तक वालों को वैक्सीन मिलेगी। यह पहला चरण होगा जोकि इसी माह शुरू होने के बाद सितंबर माह तक चलेगा।


सितंबर में बच्चों पर कोवाक्सिन का परीक्षण

पूरा सितंबर माह में कोवाक्सिन का परीक्षण भी पूरा हो जाएगा जोकि इन दिनों 2 से 18 साल तक की आयु वालों पर चल रहा है। इसके परिणाम सामने आने के बाद सितंबर-अक्तूबर माह में 12 साल से कम आयु वालों को भी टीकाकरण में शामिल कर लिया जाएगा। 


उन्होंने यहां तक बताया कि आपात इस्तेमाल की अनुमति मिलने के बाद ही राज्यों को दिशा निर्देश जारी किए जाएंगे। स्वास्थ्य मंत्रालय की टीकाकरण शाखा ने इस संदर्भ में तैयारी पूरी कर ली है।


 30 करोड़ से अधिक है आबादी 
स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार देश में 18 वर्ष या उससे अधिक आयु वालों की कुल आबादी 94 करोड़ से अधिक है। जबकि 18 वर्ष से कम आयु वालों की आबादी करीब 30 से 32 करोड़ के आसपास है। उन्होंने उम्मीद जताई है कि दो वैक्सीन के साथ बच्चों का टीकाकरण शुरू करने से फायदा होगा, क्योंकि भारत के पास बाल टीकाकरण का अनुभव काफी है। इसका असर कोरोना टीकाकरण पर सकारात्मक रहेगा।


कंपनी ने शुरू कर दिया उत्पादन 
आपात इस्तेमाल की अनुमति से पहले जाइडस कैडिला ने वैक्सीन का उत्पादन शुरू कर दिया है। सरकार को कंपनी ने जानकारी दी है कि उनके पास अगले तीन माह में तीन से चार करोड़ खुराक उपलब्ध कराने की क्षमता है जिसे पूरा करने के लिए वैक्सीन का उत्पादन शुरू कर दिया है। इसकी पुष्टि करते हुए कंपनी के एक प्रतिनिधि ने बताया कि अगस्त माह तक एक करोड़ खुराक सरकार को उपलब्ध कराने पर काम चल रहा है। 

आपके स्वभाव में आ गया है चिड़चिड़ापन, हो सकती है आयरन की कमी, जानिए लक्षण और बचाव

आपके स्वभाव में आ गया है चिड़चिड़ापन, हो सकती है आयरन की कमी, जानिए लक्षण और बचाव

Iron Deficiency: इम्यूनिटी को मजबूत रखने के लिए शरीर में विटामिन्स और मिनरल्स की कमी नहीं होनी चाहिए. शरीर को हेल्दी रखने के लिए आयरन भी बहुत जरूरी मिनरल है. अगर शरीर में आयरन की कमी हो जाती है तो लाल रक्त कोशिकाएं यानी आरबीसी कम होने लगती हैं. आयरन में हीमोग्लोबिन पाया जाता है जिससे रेड ब्लड सेल्स बनती हैं, लेकिन शरीर में आयरन की कमी हो जाती है तो इससे शरीर को कई नुकसान भी हो सकते हैं. आयरन की कमी से शरीर में कमजोरी रहती है और इम्यूनिटी भी कमजोर हो सकती है. आयरन की कमी से शरीर में कई तरह की बीमारियां भी हो सकती हैं. आइये जानें शरीर में आयरन के लक्षण और बचाव क्या हैं?


शरीर में आयरन की कमी के लक्षण
1 आयरन की कमी होने पर रेड ब्लड सेल्स कम बनते हैं.
2 शुरुआत में आयरन की कमी से थकान, सिरदर्द, चक्कर आना हो सकता है.
3 आयरन की कमी से सांस लेने में तकलीफ और बेचैनी होने लगती है.
4 आयरन की कमी से बाल झड़ने की समस्या भी होने लगती है.
5 आयरन की कमी से चिड़चिड़ापन और स्किन का कलर भी फीका पड़ सकता है.
6 आयरन की कमी से त्वचा में रूखापन और नाखून सफेद होने लगते हैं.


आयरन की कमी कैसे दूर करें- अगर आपके शरीर में आयरन की कमी है तो आप अपने खान-पान में आयरन युक्त चीजें शामिल करें. आप इसके लिए काले तिल, खजूर, व्हीट ग्रास, मोरिंगा, किशमिश, चुकंदर, गाजर, सहजन और अंडे खा सकते हैं. इनमें काफी मात्रा में आयरन पाया जाता है. इसके अलावा नॉन वेज खाने वाले लोग मटन, मछली से आयरन की कमी पूरी कर सकते हैं. हरी सब्जियां और फलों में भी आयरन होता है. आपका शरीर आयरन को अच्छी तरह एब्जॉर्ब कर सके इसके लिए साथ में विटामिन-सी युक्त खाना भी खाएं.


आयरन की कमी होने पर क्या परेशानी हो सकती है?
ज्यादातर लोगों को पीरियड्स या प्रेग्नेंसी में शरीर में आयरन की कमी हो जाती है. इससे आपको कई दूसरी परेशानी भी हो सकती हैं. आयरन की कमी से एनीमिया और हीमोग्लोबिन कम होने का खतरा रहता है. जिसकी वजह से सभी टिश्यूज और मसल्स तक सही मात्रा में ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाता है.  

11 जुलाई :  कोविड-19 पर ताज़ा जानकारी

11 जुलाई : कोविड-19 पर ताज़ा जानकारी

देशव्यापी टीकाकरण अभियान के तहत अब तक वैक्सीन की 37.60करोड़ डोज लगाई गई हैं।

पिछले 24 घंटों में भारत में 41,506नये मामले दर्ज हुये।

भारत में सक्रिय मामले इस समय 4,54,118हैं।

कुल मामलों में सक्रिय मामले 1.47प्रतिशत हैं।

अब तक पूरे देश में कुल 2,99,75,064मरीज स्वस्थ हुये।

पिछले 24 घंटों के दौरान 41,526मरीज स्वस्थ हुये।

रिकवरी दर में बढ़ोत्‍तरीवह 97.20प्रतिशत पहुंची।

साप्ताहिक पॉजिटिविटी दर पांच प्रतिशत से नीचे कायम। वर्तमान में यह  2.34 प्रतिशत है।

दैनिक पॉजिटिविटी दर 2.32प्रतिशत हैजो लगातार 19 वें दिन तीन प्रतिशत से कम पर कायम है।

जांच क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि के साथअभी तक कुल 43.08करोड़ से अधिक जांचें की जा चुकी हैं।

 

अगर आप वजन घटाने की सोच रहे हैं तो चाय आपके लिए सबसे ज्यादा हानिकारक और ये 5 सुपर ड्रिंक्स, फायदेमंद

अगर आप वजन घटाने की सोच रहे हैं तो चाय आपके लिए सबसे ज्यादा हानिकारक और ये 5 सुपर ड्रिंक्स, फायदेमंद

Weight Loss Drinks: अगर आप वजन घटाने की सोच रहे हैं तो चाय आपके लिए सबसे ज्यादा हानिकारक है. वजन कम करने के लिए आपको डाइट और वर्कआउट पर खास ध्यान देने की जरूरत है. इसके अलावा आप दिन भर जो ड्रिंक्स ले रहे हैं आपको उन पर भी ध्यान देना जरूरी है. दरअसल आप दिनभर में जो ड्रिंक्स पीते हैं उससे वजन बढ़ने और कम होने में काफी असर पड़ता है. दिनभर पीए जाने वाले ड्रिक्स में आपको कुछ हेल्दी पेय पीने की आदत बनानी चाहिए. इससे आपका वजन तेजी से कम हो सकता है. साथ ही आपका मेटाबॉलिज्म बढ़ाने में भी मदद करेंगे. वजन कम करने के लिए आपको इन 5 पेय पदार्थों को अपनी दिनचर्या में जरूर शामिल करना चाहिए.


ब्लैक कॉफी- कॉफी में कैफीन होता है जो ऊर्जा की मात्रा को कम करता है. और मेटाबॉलिज्म बढ़ाता है. कॉफी पीने से वजन कम होता है. जब कभी काम करते हुए आपको आलस आने लगे तो आप एक कप ब्लैक कॉफी पी सकते हैं इससे आपको तुरंत एनर्जी मिलेगी और आलस दूर भाग जाएगा. कॉफी पीने से मूड भी अच्छा हो जाता है. लेकिन ध्यान रखें वजन कम करने के लिए सिर्फ ब्लैक कॉफी ही फायदा करती है.


ग्रीन टी- वजन कम करने के लिए एक और सबसे अच्छा ड्रिंक है ग्रीन टी. इसमें एपिगैलोकैटेचिन गैलेट नामक एक एंटीऑक्सिडेंट होता है, जो फैट बर्न करने में मदद करता है. रोज ग्रीन टी पीने से इम्यूनिटी भी बढ़ती है. ग्रीन टी पीने से शरीर पर फैट जमा नहीं होता. इसके अलावा ग्रीन टी में थोड़ा कैफीन भी होता है जो आपको एनर्जी देता है.


न्यूट्रिशन एक्सपर्ट निखिल वत्स के मुताबिक, ‘वजन कम करने में ये सुपर ड्रिंक्स काफी हेल्प करते हैं. ग्रीन टी में एंटीऑक्सीडेंट्स और CLA नाम का कंपाउंड काफी ज्यादा होता है. जिससे वजन कम करने में मदद मिलती है. वहीं ब्लैक कॉफी ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करती है और बिना चीनी के कॉफी पीने से वजन कंट्रोल करने में भी मदद मिलती है. नारियल पानी वेट लॉस के लिए बहुत अच्छा ऑप्शन है. इसमें इलेक्ट्रोलाइट्स काफी होती है जिससे आपको तुरंत एनर्जी मिलती है. इससे वजन कम करने में मदद मिलती है. एप्पल साइडर विनेगर के कई फायदे हैं इसे पीने से सेल्स में निगेटिव एनर्जी मेंटेन रहती है. एसीवी पीने से इंसुलिन कम होता है, जिससे वजन कम होने लगता है.’

 

एप्पल साइडर विनेगर- एप्पल साइडर विनेगर से मेटाबॉलिज्म में सुधार आता है और फैट बर्न की प्रक्रिया तेज होती है. इसमें एसिटिक एसिड नाम का फैट बर्न करने वाला यौगिक होता है जिससे इंसुलिन के स्तर कम होता है.


नींबू पानी- नींबू पानी वजन घटाने के लिए सबसे आसान और कारगर उपाय है. रोज नींबू पानी पीने से मेटाबॉलिज्म बढ़ता है और वजन तेजी से कम होता है. नींबू पानी में कैलोरी कम और विटामिन सी भरपूर मात्रा में होती है. इससे आपकी इम्यूनिटी बढ़ती है.


नारियल पानी- नियमित रूप से नारियल पानी पीने से आप वजन भी कम कर सकते हैं. ठंडा ठंडा नारियल पानी पीने में स्वादिष्ट और पौष्टिकता से भरपूर होता है. नारियल पानी में कैलोरी न के बराबर होती है. नारियल पानी में जैव-सक्रिय एंजाइम होते हैं जो डाइजेशन के साथ मोटाबॉलिज्म को भी बढ़ाता है.  

आइये एक नज़र डालते हैं आज के कोविड-19 टीकाकरण से जुड़ी नवीनतम जानकारी पर

आइये एक नज़र डालते हैं आज के कोविड-19 टीकाकरण से जुड़ी नवीनतम जानकारी पर

केंद्र सरकार पूरे देश में कोविड-19 टीकाकरण की रफ्तार तेज करने और दायरा बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। कोविड-19 टीके की व्यापक उपलब्धता से जुड़ा नया चरण 21 जून, 2021 से शुरू हुआ है। टीकाकरण अभियान के जरिये ज्यादा टीकों की उपलब्धता के साथ, राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को टीकाकरण उपलब्धता की अग्रिम जानकारी देकर तेज किया गया है ताकि टीकों को लेकर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश बेहतर योजना बना सकें और टीकों की आपूर्ति श्रृंखला सुव्यवस्थित की जा सके।

राष्ट्रव्यापी टीकाकरण अभियान के तहत भारत सरकार राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निशुल्क कोविड टीके उपलब्ध कराकर उनकी मदद कर रही है। सबको टीका उपलब्ध कराने से जुड़े कोविड-19 टीकाकरण अभियान के नए चरण के तहत केंद्र सरकार देश में टीका विनिर्माताओं द्वारा उत्पादित 75 प्रतिशत टीके खरीदेगी और उनकी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को (निशुल्क) आपूर्ति करेगी।

भारत सरकार ने अब तक राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को कोविड टीके की 38.60 करोड़ से अधिक खुराक (38,60,51,110) सभी स्रोतों के माध्यम से प्रदान की है। इसके अलावा टीके की 11,25,140 खुराक प्रक्रियारत हैं।

आज सुबह आठ बजे उपलब्ध आंकड़े के अनुसार इनमें अपव्यय सहित कुल 37,16,47,625 खुराक की खपत हुई है।

राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों और निजी अस्पतालों के पास अब भी टीके की ऐसी 1.44 करोड़ से अधिक (1,44,03,485)खुराक उपलब्ध हैं जो बची हुई हैं, जिनका इस्तेमाल नहीं किया गया है। 

भारत में कोविड-19 टीकाकरण कवरेज इतने करोड़ से अधिक हुआ

भारत में कोविड-19 टीकाकरण कवरेज इतने करोड़ से अधिक हुआ

भारत का समग्र टीकाकरण कवरेज 37.60 करोड़ से अधिक हुआ। आज शाम 7 बजे तक की अंतरिम रिपोर्ट के अनुसार, 48,33,797 सत्रों के माध्यम से कुल 37,60,32,586 टीके की खुराक दी जा चुकी हैं। पिछले 24 घंटों के दौरान टीके की37,23,367 खुराकें दी गई।कोविड-19 टीकाकरण के सार्वभौमिकरण का नया चरण 21 जून 2021 से शुरू हुआ। केंद्र सरकार पूरे देश में कोविड-19 टीकाकरण की गति को तेज करने और इसके दायरे को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। पिछले 24 घंटों में 41,506 दैनिक नए मामले दर्ज किए गए। लगातार चौदह दिनों से 50,000 से कम दैनिक नए मामले दर्ज किए जा रहे हैं। यह केन्द्र और राज्यों व केन्द्र शासित प्रदेशों के निरंतर और सामूहिक प्रयासों का परिणाम है। भारत में आज सक्रिय मामलों की संख्या 4,54,118हैं और सक्रिय मामले अब देश के कुल पॉजिटिव मामलों का सिर्फ 1.47 प्रतिशत हैं। इस महामारी की शुरुआतके बाद से संक्रमित लोगों में से 2,99,75,064 लोग पहले ही कोविड-19 से ठीक हो चुके हैं और पिछले 24 घंटों के दौरान 41,526 मरीज स्वस्थ हो चुके हैं। इससे मरीजों के ठीक होने की दर 97.20 प्रतिशत हो गई है जिसमें निरंतर बढ़ोतरी का रुझान दिख रहा है। देशभर में जांच की क्षमता को बढ़ाने के साथ, देश में पिछले 24 घंटों के दौरान कुल 18,43,500 जांचें की गई। कुल मिलाकर, भारत मेंअब तक 43 करोड़ से अधिक(43,08,85,470) जांचें की गई हैं। जहां एक ओर देशभर में जांच क्षमता को बढ़ायागया है, वहीं साप्ताहिक केस पॉजिटिविटी दर में निरंतर कमी देखी जा रही है। साप्ताहिक पॉजिटिविटी दर वर्तमान में 2.32 प्रतिशत है जबकि आज दैनिक पॉजिटिविटी दर 2.25 प्रतिशत है। लगातार 20 दिनों से दैनिक पॉजिटिविटी दर 3 प्रतिशत से कम बनी हुई है और लगातार 34 दिनों से 5 प्रतिशत से कम बनी हुई है।

साइकिल चलाने से दूर होगी सभी कठिन बीमारियां

साइकिल चलाने से दूर होगी सभी कठिन बीमारियां

नियमित साइकिल चलाने के स्वास्थ्य लाभों के बारे में सभी को एक विचार है। साइकिल चलाना सभी कठिन रोग। हर दिन साइकिल चलाने से आपके पैसे बचेंगे; ऐसे ही शरीर स्वस्थ रहेगा।
एक्सपर्ट्स के मुताबिक साइकिलिंग एक बेहतरीन वर्कआउट है, जो आपको एक्टिव रखता है। यह एक स्वस्थ जीवन जीने और शारीरिक और मानसिक रूप से फिट रहने में मदद करता है।
शरीर के अतिरिक्त वजन को कम करने के लिए साइकिल चलाने का कोई विकल्प नहीं है। साथ ही इसके कुछ खास फायदे भी होते हैं। इस तरह की साइकिलिंग आपके मेटाबॉलिज्म को बढ़ाती है और मांसपेशियों का निर्माण करती है।
जब आप आराम करेंगे तब भी शरीर कैलोरी बर्न करने में व्यस्त रहेगा। साथ ही साइकिल चलाते समय अपने शरीर को स्वस्थ रखना सीखें।
>> साइकिल चलाने से पैरों की ताकत भी बढ़ती है। इससे आपके पैर की मांसपेशियां मजबूत होती हैं। साइकिल चलाने के प्रदर्शन को और बढ़ाने के लिए प्रति सप्ताह कई बार भारोत्तोलन जैसे कि स्क्वाट, लेग प्रेस और फेफड़े का अभ्यास करें।
>> साइकिल चलाने से कमर और पेट की चर्बी कम होती है। वजन बढऩे पर बहुत से लोग भूरे हो जाते हैं। यदि वे नियमित रूप से साइकिल चलाती हैं तो वे भौहें जल्दी कम कर पाएंगी।
>> तनाव दूर करने के लिए साइकिल चलाना भी उपयोगी है। इससे तनाव, हताशा या चिंता आसानी से दूर हो जाती है। क्योंकि साइकिलिंग एक बेहतरीन वर्कआउट का काम करती है। और किसी भी प्रकार के व्यायाम से हैप्पी हार्मोन का स्राव होता है।
>> विशेषज्ञों के अनुसार, जो लोग अवसाद से पीडि़त हैं; साइकिल चलाना उनके लिए फायदेमंद हो सकता है। साइकिल को जीवन का नियमित हिस्सा बनाने से आप और अधिक आत्मविश्वासी बनेंगे।
>> साइकिल चलाना कैंसर से पीडि़त लोगों को ठीक करने का सबसे अच्छा तरीका हो सकता है। साइकिल चलाने से ब्रेस्ट कैंसर समेत कई तरह के कैंसर का खतरा कम होता है। 2019 के एक अध्ययन के अनुसार, साइकिल चलाने से स्तन कैंसर के रोगियों के इलाज के दुष्प्रभाव कम होते हैं।
>> यदि आप सुबह उठकर थोड़ी देर साइकिल चलाकर उठते हैं; तब शरीर में रक्त संचार बढ़ेगा। नतीजतन, आप पूरे दिन काम पर ध्यान केंद्रित करने में सक्षम होंगे, साथ ही साथ बहुत सारी ऊर्जा भी प्राप्त करेंगे। अध्ययनों से पता चला है कि सुबह साइकिल चलाने से चर्बी कम होती है, सहनशक्ति बढ़ती है और ऊर्जा और चयापचय में सुधार होता है।
>> 2019 में एक अध्ययन में पाया गया कि जो लोग नाश्ते से पहले 6 सप्ताह तक साइकिल चलाते हैं; उनकी इंसुलिन प्रतिक्रिया में सुधार हुआ।
>> नियमित साइकिलिंग से हृदय संबंधी समस्याओं जैसे स्ट्रोक, दिल का दौरा और उच्च रक्तचाप को रोका जा सकता है। साइकिल चलाने से टाइप-2 डायबिटीज का खतरा भी कम होता है।
>> साइकिल चलाने से संतुलन, मुद्रा और ध्यान बढ़ता है। जब आप अपने शरीर को स्थिर करें और बाइक को सीधा रखें; तब आपका समग्र संतुलन, समन्वय और मुद्रा में सुधार होता है। नतीजतन, अचानक गिरने और फ्रैक्चर की घटनाएं कम होती हैं।
>> यदि आप बाइक की सवारी नहीं कर सकते हैं; फिर घर पर व्यायाम करने के लिए साइकिल खरीदें। नियमित साइकिल चलाने से आपको फायदा होगा।

 

एक नज़र कोविड -19 टीकाकरण अपडेट (अभी तक)

एक नज़र कोविड -19 टीकाकरण अपडेट (अभी तक)

केंद्र सरकार पूरे देश में कोविड-19 टीकाकरण की गति को तेज करने और इसके दायरे का विस्तार करने के लिए प्रतिबद्ध है। देश के सभी नागरिकों के कोविड-19 टीकाकरण अभियान का नया चरण 21 जून 2021 से शुरू हुआ है । इस टीकाकरण अभियान को और अधिक टीकों की उपलब्धता, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए वैक्सीन उपलब्धता का पहले से ही अनुमान लगा लेने के माध्यम से बेहतर योजना बनाने और वैक्सीन आपूर्ति की श्रुंखला को सुव्यवस्थित करने के माध्यम से तेज किया गया है ।

राष्ट्रव्यापी टीकाकरण अभियान के एक हिस्से के रूप में, भारत सरकार राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को मुफ्त में कोविड टीके उपलब्ध कराकर उनकी सहायता कर रही है। कोविड-19 टीकाकरण अभियान के सार्वभौमिकरण के इस नए चरण में, केंद्र सरकार देश में वैक्सीन निर्माताओं द्वारा उत्पादित किए जा रहे टीकों का 75% स्वयं खरीद कर राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को इसकी निशुल्क आपूर्ति करेगी।

राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को अब तक सभी स्रोतों के माध्यम से 38.54 करोड़ (38 करोड़ 54लाख 01 हजार 150) से अधिक वैक्सीन (खुराकें) प्रदान की जा चुकी हैं।

इसमें से आज सुबह 8 बजे तक उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार अपव्यय सहित कुल खपत 36 करोड़ 80 लाख 68 हजार 124 खुराक है ।

एक करोड़ 73 लाख से अधिक (1,73,33,026) बची हुई ()शेष और अप्रयुक्त कोविड वैक्सीन खुराक अभी भी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों और निजी अस्पतालों के पास उपलब्ध हैं जिन्हें लाभार्थियों को दिया जाना है। 

10 जुलाई :  कोविड-19 पर ताज़ा जानकारी

10 जुलाई : कोविड-19 पर ताज़ा जानकारी

देशव्यापी टीकाकरण अभियान के तहत अब तक वैक्सीन की 37.21 करोड़ डोज लगाई गई हैं।

पिछले 24 घंटों में भारत में 42,766 नये मामले दर्ज हुये।

भारत में सक्रिय मामले इस समय 4,55,033 हैं।

कुल मामलों में सक्रिय मामले 1.48 प्रतिशत हैं।

अब तक पूरे देश में कुल 2,99,33,538  मरीज स्वस्थ हुये।

पिछले 24 घंटों के दौरान 45,254 मरीज स्वस्थ हुये।

रिकवरी दर में बढ़ोत्‍तरी, वह 97.20 प्रतिशत पहुंची।

साप्ताहिक पॉजिटिविटी दर पांच प्रतिशत से नीचे कायम। वर्तमान में यह  2.34 प्रतिशत है।

दैनिक पॉजिटिविटी दर 2.19 प्रतिशत है, जो लगातार 19 वें दिन तीन प्रतिशत से कम पर कायम है।

 

जांच क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि के साथ, अभी तक कुल 42.90 करोड़ से अधिक जांचें की जा चुकी हैं।

 

दिमाग पर भी कोरोना का असर, ब्रेन फाग और दौरे का खतरा, 80% लोगों में दिखे लक्षण

दिमाग पर भी कोरोना का असर, ब्रेन फाग और दौरे का खतरा, 80% लोगों में दिखे लक्षण

कोरोना संक्रमण के कई खतरे मालूम हैं लेकिन वैज्ञानिक अध्ययनों में इसके कई नए खतरे सामने आ रहे हैं। प्रतिष्ठित पत्रिका नेचर में प्रकाशित एक शोध रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना मस्तिष्क को भी प्रभावित कर रहा है। यह पाया गया है कि इससे ब्रेन फाग (स्मृति लोप से जुड़ी बीमारी) तथा मस्तिष्क की कोशिशओं को रक्त संचार में बाधा से हल्के दौरों का खतरा हो सकता है।
रिपोर्ट में येल यूनिवर्सिटी के तंत्रिका विज्ञानी सेरिन स्पुडिच के हवाले से कहा गया है कि कोरोना के गंभीर संक्रमण से ठीक हुए 80 फीसदी लोगों में मस्तिष्क रोगों के लक्षण दिखे। इनमें प्रमुख रूप से स्मृति लोप और हल्के दौरों के लक्षण पाए गए हैं। जबकि कई मामलों में यह देखा गया है कि संक्रमण से मस्तिष्क की कोशिकाओं को रक्त का संचार सही रूप से नहीं हो रहा है। यह भी अंतत मृत्यु या दौरों का कारण बन सकता है। रोगियों के मस्तिष्क की जांच रिपोर्ट में सेरेब्रल कारटेक्स से एक ग्रे सामग्री में कमी पाई गई।
यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के अध्ययन के अनुसार, कोरोना वायरस मस्तिष्क की एस्ट्रोसाइटस कोशिकाओं को भी क्षति पहुंचा रहा है। यह कोशिकाएं कई कार्य करती हैं तथा मोटे तौर पर इनका कार्य मस्तिष्क के कामकाज को सुचारू रखना होता है। रिपोर्ट में ब्राजील के एक अध्ययन का जिक्र किया गया है, जिसमें कोरोना से मरने वाले 26 लोगों के मस्तिष्क की जांच की गई। इनमें से 5 के मस्तिष्क में संक्रमण पाया गया। यह देखा गया है कि इन लोगों की 66 फीसदी एस्ट्रोसाइट्स कोशिकाएं संक्रमित हो चुकी थीं।
क्या होता है ब्रेन फाग
रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना संक्रमण से ठीक होने वाले ज्यादातर लोगों में ब्रेन फाग की समस्या देखी गई है। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें याद करने की क्षमता घटती है। दूसरे रोगी में थकान के साथ-साथ मानसिक अवसाद के लक्षण भी हो सकते हैं।
हल्के दौरों का कारण
इसी प्रकार यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ लंदन के शोधकर्ताओं का दावा है कि कोरोना संक्रमण के कारण मस्तिष्क कोशिकाओं को रक्त की आपूर्ति नहीं होने के कारण पेरीसाइट्स कोशिकाएं क्षतिग्रस्त हो रही हैं। ये नष्ट भी हो जाती हैं। यह हल्के दौरों का कारण भी बन सकता है।
शुरुआती अध्ययन के दावे खारिज
शुरू के अध्ययनों में दावा किया गया था कि कोरोना वायरस ब्रेन में प्रवेश कर सकता है। लेकिन नए शोध बताते हैं कि मस्तिष्क के बचाव तंत्र के चलते यह संभव नहीं है। लेकिन संक्रमण से परोक्ष रूप से मस्तिष्क की क्रिया प्रभावित हो रही है।

 

 कोरोना ब्रेकिंग: जीनोम सीक्वेंसिंग में मिले 2 कप्पा वेरिएंट, 107 में डेल्टा

कोरोना ब्रेकिंग: जीनोम सीक्वेंसिंग में मिले 2 कप्पा वेरिएंट, 107 में डेल्टा

लखनऊ। यूपी में कोरोना संक्रमित लोगों के 109 नमूनों की जीनोम सीक्वेंसिंग में से 2 में कप्पा वैरिएंट मिला है। जबकि 107 में डेल्टा वैरिएंट मिले हैं। इन नमूनों की जीनोम सीक्वेंसिंग केजीएमयू के माइक्रोबॉयलॉजी विभाग में की गई थी। हालांकि विभागाध्यक्ष प्रो. अमिता जैन का कहना है कि कप्पा वैरिएंट से घबराने की बात नहीं है। 

दोनों ही वैरिएंट प्रदेश के लिए नए नहीं हैं। संक्रमण से बचाव के सामान्य नियमों का पालन करके इससे बचा जा सकता है। यूपी में कप्पा वैरिएंट का पहला मरीज गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में भर्ती एक मरीज के नमूने की जीनोम सीक्वेसिंग में मिला था। 
संतकबीर नगर के उत्तरपाती गांव के निवासी 65 साल के इस मरीज की जून माह में मौत हो चुकी है। अब केजीएमयू में हुई जीनोम सीक्वेंसिंग में दो नए मामले मिले हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि डेल्टा वैरिएंट के म्यूटेशन से ही कप्पा वैरिएंट बना है। कप्पा वैरिएंट बी.1.617 वंश के म्यूटेशन से पैदा हुआ है। 

यह देश में पहले भी पाया जा चुका है। बी.1.617 के कई म्यूटेशन हो चुके हैं। जिनमें से ई484क्यू और ई484के के कारण इसे कप्पा वैरिएंट कहा गया है। इसी तरह बी.1.617.2 को डेल्टा वैरिएंट के नाम से जाना जा रहा है, जो कि भारत में कोरोना की दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार माना गया है।

खांसी, बुखार, गले में खराश जैसे ही हैं लक्षण
विशेषज्ञों के अनुसार कप्पा वैरिएंट दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार डेल्टा वैरिएंट से अधिक संक्रामक है। लेकिन डेल्टा प्लस से कम खतरनाक है। इसके लक्षण भी खांसी, बुखार, गले में खराश जैसे प्राथमिक लक्षण हैं। इसके बाद अन्य लक्षण कोरोना वायरस के पूर्व के वैरिएंट की तरह ही हैं। 

अभी इस वैरिएंट पर शोध हो रहे हैं। कोरोना वायरस के अन्य स्ट्रेन की तरह ही कप्पा वैरिएंट से बचने के लिए मास्क लगाने, भीड़-भाड़ में जाने से बचने, समय-समय पर हाथ धोने की सलाह दी गई है। यदि कोई खांसी-जुखाम बुखार के लक्षण दिखते हैं तो जांच के नमूना देने के साथ स्वयं को क्वारंटीन कर लेना चाहिए।
 
भारत में टीकाकरण कवरेज इतने करोड़ के स्तर को पार कर, पढ़े खबर

भारत में टीकाकरण कवरेज इतने करोड़ के स्तर को पार कर, पढ़े खबर

आज प्रातः सात बजे तक प्राप्त अस्थायी रिपोर्ट के अनुसार भारत का संचयी टीकाकरण कवरेज 36.89 करोड़ (36,89,91,222) के स्तर को पार कर गया। 18 से 44 आयुवर्ग के लोगों को अब तक टीके की 11.18 करोड़ (11,18,32,803) से अधिक खुराक दी गई हैं। पिछले 24 घंटों के दौरान वैक्सीन की 40 लाख (40,23,173) से अधिक खुराक दी गई है। टीकाकरण अभियान के 174वें दिन (09 जुलाई, 2021) टीके की दी गई कुल 40,23,173 खुराक में 27,01,200 लाभार्थियों को टीके की पहली खुराक तथा 13,21,973 लाभार्थियों को दी गई टीके की दूसरी खुराक शामिल हैं। कल 18-44 आयुवर्ग के 20,31,634 लोगों को टीके की पहली खुराक और 1,79,901 को टीके की दूसरी खुराक दी गई। कुल मिलाकर 37 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के 18-44 आयु वर्ग के 10,84,53,590 लोगों को टीके की पहली खुराक तथा 33,79,213 लोगों को टीके की दूसरी खुराक दी गई हैं। आठ राज्यों यानि उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु, बिहार, गुजरात, कर्नाटक और महाराष्ट्र में 18-44 आयुवर्ग के 50 लाख से अधिक लोगों को कोविड-19 टीके की पहली खुराक दी गई हैं। नीचे दी गई तालिका में 18-44 आयुवर्ग के लोगों को दी गई कुल टीके की खुराकों को दर्शाया गया है- देश के सबसे कमजोर जनसंख्या समूहों को कोविड-19 से बचाने के लिए टीकाकरण प्रक्रिया की उच्चतम स्तर पर लगातार समीक्षा और निगरानी की जाती है।

 

9 जुलाई : कोविड-19 पर ताज़ा जानकारी

9 जुलाई : कोविड-19 पर ताज़ा जानकारी

देशव्यापी टीकाकरण अभियान के तहत अब तक वैक्सीन की 36.89 करोड़ डोज लगाई गई हैं।

पिछले 24 घंटों में भारत में 43,393 नये मामले दर्ज हुये।

भारत में सक्रिय मामले इस समय 4,58,727 हैं।

कुल मामलों में सक्रिय मामले 1.49 प्रतिशत हैं।

अब तक पूरे देश में कुल 2,98,88,284 मरीज स्वस्थ हुये।

पिछले 24 घंटों के दौरान 44,459 मरीज स्वस्थ हुये।

रिकवरी दर में बढ़ोत्‍तरी, वह 97.19 प्रतिशत पहुंची।

साप्ताहिक पॉजिटिविटी दर पांच प्रतिशत से नीचे कायम। वर्तमान में यह 2.36 प्रतिशत है।

 

दैनिक पॉजिटिविटी दर 2.42 प्रतिशत है, जो लगातार 18वें दिन तीन प्रतिशत से कम पर कायम है।

जांच क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि के साथ, अभी तक कुल 42.70 करोड़ से अधिक जांचें की जा चुकी हैं। 

BREAKING NEWS: उत्तरप्रदेश मे कोविड-19 के नए वैरिएंट कप्पा वैरिएंट के 2 नए मामले मिले

BREAKING NEWS: उत्तरप्रदेश मे कोविड-19 के नए वैरिएंट कप्पा वैरिएंट के 2 नए मामले मिले

नई दिल्ली. उत्तर प्रदेश से कोविड-19 के नए वैरिएंट का केस सामने आया है, इस वैरिएंट का नाम कप्पा वैरिएंट (Kappa Variant) है, उत्तरप्रदेश मे कप्पा वैरिएंट का पहली बार पता चला है, संत कबीरनगर में एक मरीज कप्पा वैरिएंट से पॉजिटिव पाया गया. 66 साल के इस मरीज की मौत हो चुकी है, यह मरीज जून में गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में भर्ती था|

लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) अस्पताल में जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए आए 109 सैंपल्स में से 107 में डेल्टा प्लस वैरिएंट की पुष्टि हुई है जबकि दो मामलों में कप्पा वैरिएंट की पुष्टि हुई है|


जब राज्य में संक्रमण की दूसरी लहर कम होती दिख रही है, तब ऐसे वैरिएंट मिलने से राज्य सरकार की चिंता बढ़ गई है क्योंकि डेल्टा, अल्फा और कप्पा जैसे वेरिएंट अधिक संक्रामक होते हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को इसके बारे में सूचित कर दिया गया है क्योंकि राज्य हाल ही में लॉकडाउन प्रतिबंधों से बाहर आया है|


जीनोम सिक्वेंसिंग प्रयोगशाला की एक प्रक्रिया है जो वायरस के म्यूटेंट को चिह्नित करने और रोग के प्रकोप को ट्रैक करने में सहायक होती है. वर्तमान में राज्य में डेली पॉजिटिविटी रेट 0.04 प्रतिशत है|

कप्पा वैरिएंट के बारे में पूछे जाने पर, अतिरिक्त मुख्य सचिव (स्वास्थ्य) अमित मोहन प्रसाद ने कहा कि पहले भी इस प्रकार के मामले राज्य में पाए गए थे. समाचार एजेंसी PTI ने प्रसाद के हवाले से कहा, "चिंता की कोई बात नहीं है. यह कोरोनावायरस का एक प्रकार है और इसका इलाज संभव है."