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क्या आप जानते हैं सर्दी में लौंग की चाय के ये 5 फायदे

क्या आप जानते हैं सर्दी में लौंग की चाय के ये 5 फायदे

आपकी सुबह की शुरुआत में मिठास घोलने वाली चाय, स्वाद के साथ सेहत के भी भरपूर होती है। अपने अनमोल फायदों के साथ चाय के कई प्रकार अब बाजार में उपलब्ध हैं, और कुछ विशेष स्वाद के साथ आप घर पर भी चाय बनाते हैं। लौंग की चाय भी इन्हीं में से एक है, जो खास तौर से सर्दियों में बेहद फायदेमंद होती है। जानिए लौंग की चाय के यह 5 फायदे -

1 सर्दी से बचाने के लिए लौंग की चाय बेहद लाभकारी है। लौंग की तासीर गर्म होती है, इसलि‍ए ठंड के दिन में दिन में 2 से 3 बार पीने पर आप सर्दी से बचे रह सकते हैं साथ ही खांसी और जुकाम से भी।
2 अगर आप बुखार से पीड़ि‍त हैं, तो लौंग की चाय पीना आपके लिए काफी फायदेमंद होगा। इसका प्रयोग करने से आपका बुखार अधि‍क समय तक नहीं टिक पाएगा और नेचुरल तरीके से ठीक हो जाएगा।
3 शरीर के अंगों और मांस पेशि‍यों में होने वाले दर्द से निजात पाना चाहते हैं, तो लौंग की चाय जरूर पिएं। इसके अलावा अगर आप चाहें तो लौंग की चाय से दर्द वाले स्थान की सिकाई कर सकते हैं। इससे आपको काफी फायदा होगा।
4 पाचन संबंधी समस्याओं में लौंग की चाय असरकारक है। पेट में एसिडि‍टी होने और पाचन तंत्र की धीमी गति होने पर लौंग की चाय पीना काफी फायदेमंद होता है। इससे पाचन तंत्र बेहतर तरीके से कार्य करता है।
5 दांतों में दर्द होने पर अक्सर लौंग के तेल का प्रयोग किया जाता है। लेकिन लौंग की चाय भी इसके लिए फायदेमंद हो सकती है। इसके अलावा कफ और गले के विकारों के लिए भी लौंग की चाय लाभदायक है। 

सर्दी में जरूर खाएं च्यवनप्राश, इसे खाने से होते है बहुत से फायदे

सर्दी में जरूर खाएं च्यवनप्राश, इसे खाने से होते है बहुत से फायदे

र्दी के दिनों में च्यवनप्राश का सेवन करना सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होता है, यह तो आाप जानते होंगे। लेकिन च्यवनप्राश खाने के यह 10 फायदे बेशक आप नहीं जानते होंगे। जरूर जानिए च्यवनप्राश के 10 बेमिसाल फायदे...

1 सर्दी के दिनों में च्यवनप्राश का सेवन करना, शरीर में गर्माहट पैदा कर ठंड के दुष्प्रभावों से बचाता है। इसके अलावा च्यवनप्राश खाने से आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता में भी वृद्धि होती है और बीमारियां दूर रहती हैं। 
2 सर्दी, खांसी, फ्लू और कफ हो जाने पर च्यवनप्राश खाना फायदेमंद होता है। सर्दी में प्रतिदिन सुबह और शाम के समय च्यवनप्राश खाने से सर्दी से पैदा होने वाली बीमारियां नहीं होती। 
3 पाचन से जुड़ी परेशानियों में च्यवनप्राश बहुत फायदेमंद है, इसे रोजाना खाने से पाचन की सभी परेशानियां खत्म हो जाती हैं और पाचन तंत्र मजबूत होता है। 
4  च्यवनप्राश में आंवला और अन्य जड़ी बूटियां होती है, जो आपके शरीर को विटामिन और मिनरल्स देता है और इससे आपकी क्रियाशीलता में वृद्धि होती है साथ ही सेक्स पावर में भी इजाफा होता है।
5 अगर आपके बाल सफेद हो रहे हैं, तो च्यवनप्राश खाना आपके लिए एक बेहतरीन उपाय है। रोजाना च्यवनप्राश खाना आपके सफेद होते बालों को भी काला करने की क्षमता रखता है। इससे नाखून भी मजबूत होते हैं। 
6 सर्दी में खांसी होना आम बात है, लेकिन अगर आप पुरानी खांसी से भी परेशान हैं, तो च्यवनप्राश जरूर खाएं। इससे आपको खांसी से बिल्कुल निजात मिल जाएगी। इसके अलावा च्यवनप्राश आपके हीमोग्लोबिन को भी बढ़ाता है। 
7 छोटे बच्चों में होने वाली कई समस्याएं सिर्फ च्यवनप्राश खाने से दूर हो सकती हैं। सर्दी के कारण भी बच्चे सेहत से जुड़ी परेशानियों से जूझते हैं। च्यव नप्राश का नियमित सेवन बच्चों को अंदरूनी शक्ति देता है।
8 महिलाओं के लिए भी च्यवनप्राश खाना बहुत लाभकारी है। अगर माहवारी नियमित नहीं हो रही हो, तो नियमित च्यवनप्राश का सेवन आपको मासिक धर्म से जुड़ी समस्याओं से दूर रखता है। 
9 बच्चे हों या बड़े, नियमित च्यवनप्राश का सेवन दिमाग की सक्रियता को बढ़ाता है और एकाग्रता में वृद्धि करता है। इससे मानसिक तनाव में कमी आती है और दिमाग स्वस्थ रहता है। 
10 यह शरीर के आंतरिक अंगों की सफाई तक हानिकारक तत्वों को बाहर निकालने में मदद करता है। इसके अलावा यह रक्तचाप के स्तर को नियंत्रित रखने में मददगार है।
 
हाई हील्स पहनने के हैं इतने साइड इफेक्ट्स, जाने शरीर पर क्या क्या असर होता है

हाई हील्स पहनने के हैं इतने साइड इफेक्ट्स, जाने शरीर पर क्या क्या असर होता है

किसी खास मौके पर हाई हील की सैंडिल पहनने में कोई बुराई नहीं है लेकिन इसका हर रोज नियमित रूप से इस्तेमाल आपकी सेहत को कई तरह से नुकसान पहुंचा सकता है। अगर आप लंबे समय तक हाई हील्स पहने रहती हैं कुछ समय बाद आपको कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। हर दिन के फुटवेअर के तौर पर हाई हील्स पहनने से पहले इसके घातक साइड इफेक्ट्स के बारे में जरूर जान लें...
स्पाइन और घुटनों पर असर
हाई हील की सैंडिल पहनने से स्पाइन के डिस्टर्ब होने का डर बना रहता है। साथ ही साथ हाई हील की सैंडिल पहनने से घुटनों पर बहुत दबाव पड़ता है जिसकी वजह से हाई हील पहनने वालों को अक्सर घुटने में दर्द की शिकायत बनी रहती है। इतना ही नहीं इससे वजन का संतुलन भी बिगड़ जाता है जिसकी वजह से सभी ज्वाइंट्स और हड्डियों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
बिगड़ सकता है आपका पॉश्चर
हाई हील्स पहनने से आपके पैरों पर दबाव बढ़ जाता है। वहीं शरीर का ऊपरी हिस्सा संतुलन बनाने की कोशिश करता है और कई बार इस बैलेंस बनाने के चक्कर में आप अजीबोगरीब तरीके से खड़े होने लगती हैं जिससे शरीर का पॉश्चर बिगड़ जाता है।
पीठ के निचले हिस्से में दर्द
हाई हील्स में पैरों को उतना आराम नहीं मिलता जितना नॉर्मल हील या फ्लैट फुटवेअर में। यह पैरों को पूरी तरह से सपॉर्ट नहीं देती जिसके कारण पीठ में दर्द, सूजन और अकडऩ पैदा होने लगती है। इससे बचने के लिए डॉक्टर हाई हील की बजाय आरामदायक स्लीपर या सैंडल पहनने की सलाह देते हैं।
रक्त वाहिकाएं ब्लॉक हो सकती हैं
हाई हील्स पहनने से पैरों की हड्डियों और उंगलियों में तनाव पैदा होता है जिससे ब्लड वेसल्स ब्लॉक हो जाती हैं और कुछ गंभीर परिस्थितियों में रक्त वाहिकाएं टूट भी जाती हैं जिससे पैरों में असहनीय दर्द होता है और पैरों में बहुत बेचैनी होती है। इसलिए पैरों की सेहत का ध्यान रखते हुए हाई हील पहनने से जितना संभव हो बचना चाहिए।
उंगलियों में होता है हाइपरटेंशन
हाई हील्स पहनने से उंगलियों में हाइपर टेंशन होता है, यह कहना है डॉक्टर्स का। दरअसल, जितनी ज्यादा ऊंची हील होती है, पैरों के आगे वाले हिस्से पर उतना ही अधिक भार पड़ता है। इससे पैरो में थकान और दर्द जैसी कई समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं। हाई हील पहनने से घुटनों पर लगभग 26 फीसदी तक दबाव बढ़ जाता है।
टखने में मोच आ सकती है
ऊंची हील वाली सैंडल पहनने पर टखने में मोच आने की संभावना सबसे ज्यादा होती है क्योंकि हील की शेप के कारण पैरों को उचित सरफेस नहीं मिल पाता है। हाई हील्स तभी पहनना चाहिए जब आपको सतह  पर ही टहलना या चलना हो। अगर आपको गड्ढों से भरे और उबड़ खाबड़ असमतल रास्ते पर चलना हो तो हाई हील पहनना भारी पड़ सकता है।
काफ मसल्स में दर्द
काफ मसल्स में दर्द या सूजन हाई हील पहनने का एक अलग साइड इफेक्ट है। हाई हील के कारण मांसपेशियों की नसें सूज जाती है जिससे पैरों में बहुत अधिक दर्द होता है। कई बार स्थिति इतनी गंभीर हो जाती है कि चलने फिरने में काफी तकलीफ होती है और डॉक्टर के पास जाना पड़ता है। जब तक आप हाई हील पहनी रहती हैं तब तक पैरों में कसाव और दबाव अधिक रहता है। इस कारण दर्द होना लाजिमी है।
लिंगामेंट कमजोर होने का खतरा
ऊंची एड़ी के सैंडल पहनने की आदत के कारण लिंगामेंट्स समय से पहले ही कमजोर हो जाते हैं जिससे आपको हड्डियों से जुड़ी समस्या हो सकती है। आमतौर पर महिलाओं की उम्र बढऩे पर उन्हें जोड़ों एवं हड्डियों में दर्द का सामना करना पड़ता है लेकिन हाई हील्स पहनने के कारण यह समस्या एक उम्र में पहुंचने से पहले ही उत्पन्न हो सकती है। इसलिए अपने पैरों को चोट से बचाने के लिए ग्लैमरस हाई हील सैंडल पहनने से बचना चाहिए।
सर्दियों में जमकर खाएं ये हरी सब्जी, शरीर पर करती है गजब का जादू

सर्दियों में जमकर खाएं ये हरी सब्जी, शरीर पर करती है गजब का जादू

लू मटर, मटर पनीर जैसी सब्जियों का स्वाद बढ़ानी वाली हरी मटर सर्दियों में सबसे ज्यादा खाई जाती है. लोग कच्चा मटर खाना भी बहुत पसंद करते हैं. हरी मटर न केवल पौष्टिक होती है बल्कि इसमें फाइबर और एंटी-ऑक्सीडेंट की मात्रा भी अच्छी होती है. इसके अलावा कई शोध में यह बताया गया है कि ये आपको हृदय रोगों और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से भी बचाता है. आइए आपको बताते हैं हरे मटर के कुछ ऐसे फायदों के बारे में जो आपके शरीर पर एक अलग ही जादू चला सकते हैं.

दिल के लिए फायदेमंद
मटर में फाइबर की मात्रा बहुत अधिक होती है जो आपके दिल को बीमारियों से दूर रखने में मदद करता है. सप्ताह में कम से कम दो बार हरी मटर का सेवन करने से हार्ट अटैक की समस्या बहुत हद कम हो जाती है.
वजन कम करना
हरी मटर में विटामिन के, मैंग्निज, कॉपर, विटामिन सी, फॉस्फोरस और फोलेट जैसे जरूरी पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो आपको सही वजन बनाएं रखने में मदद करते हैं. आपको बता दें कि आधा कप मटर में केवल 62 कैलोरी होती हैं, जो आपका पेट भरने के साथ-साथ वजन भी बैलेंस करती है.
पाचन तंत्र होता है दुरुस्त
विटामिन-सी हमारे पाचन तंत्र को दुरुस्त रखने में मदद करता है, जो कि हरी मटर में भी पाया जाता है. हरी मटर में पाया जाने वाला विटामिन सी आपकी दैनिक जरूरत का 13 फीसदी हिस्सा पूरा करता है. विटामिन सी से भरी मटर आपके पाचन तंत्र को दुरुस्त बनाने का काम करती है. हरी मटर न सिर्फ पाचन में बल्कि पेट के कैंसर के खतरे को भी कम करती है.
कोलेस्ट्रॉल
हरी मटर के सेवन से आपके शरीर में अच्छे व खराब कोलेस्ट्रॉल के बीच संतुलन बना रहता है, जिस कारण आपका दिल भी सुरक्षित रहता है.
हड्डियां होती हैं मजबूत
हड्डियों के लिए जितना जरूरी कैल्शियम है उतना ही जरूरी है प्रोटीन. प्रोटीन की कमी होने पर टूटी हड्डियों का जुडऩा मुश्किल हो जाता है. साथ ही प्रोटीन की कमी आपकी हड्डियों को कमजोर कर देती है. प्रोटीन से भरपूर हरी मटर आपकी हड्डियों को मजबूत बनाने का भी काम करती है.
स्किन की समस्याएं होती हैं छूमंतर
अगर आप स्किन संबंधी समस्याओं से परेशान हैं तो हरी मटर का दरदरा पेस्ट बनाएं और उसे चेहरे पर लगाएं. ऐसा करने से स्किन संबंधी समस्याओं से छुटकारा मिलता है. अगर आपका शरीर का कोई हिस्सा जल गया है तो मटर का पेस्ट बनाकर उस पर लगाएं. पेस्ट लगाने से प्रभावित हिस्से पर ठंडक पड़ जाती है और आपको राहत मिलती है.
 
आयुर्वेद के ये चार तरीके अपनाइये और मानसिक तनाव दूर भगाइए

आयुर्वेद के ये चार तरीके अपनाइये और मानसिक तनाव दूर भगाइए

कोई भी व्यक्ति मानसिक तनाव शिकार नहीं बनना चाहता है। इसके बाद भी कई लोग ऐसे हैं, जो दिनभर कुछ न कुछ सोचकर परेशान रहते हैं। जरूरत से ज्यादा किसी विषय के बारे में सोचना, आपका स्वास्थ्य खराब कर सकता है और आप अवसाद के शिकार भी हो सकते हैं। आमतौर पर चिंता शरीर के वात दोष खराब होने से होता है। ज्यादा काम, अनियतित आहार और ठंडे वातावरण के कारण ये दोष बिगडऩे लगता है। चिंता के कारण आपका किसी काम में मन भी नहीं लगता है और नींद आनी भी कम हो जाती है। आज हम आयुर्वेदिक तरीकों से जानते हैं कि मानसिक तनाव किस तरह से कम किया जा सकता है। 

गुनगुने पानी से स्नान
जब आप ज्यादा चिंता करने लगते हैं तो आपका मन काफी अशांत हो जाता है। ऐसे में गुनगुने पानी से नहाना आपके लिए बहुत राहत भरा हो सकता है। एक तिहाई कप पिसी हुई अदरक और बेकिंग सोडा गर्म पानी में मिला लें, 10 से 15 मिनट तक इन्हें पानी में भीगा रहने दें। इसके बाद आपको इस पानी में स्नान करना चाहिए, ये आपके लिए बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है। इससे आपका मन बहुत सारी बातें और चिंता करना कम कर देगा।
बादाम का दूध 
10 से 12 बादाम रात में भिगोकर रख दें, अगले दिन उसका छिलका उतार लें। गर्म दूध में पिसे हुए बादामों को अच्छी तरह मिला लें और आप इसमें अन्य मेवों को भी डाल सकते हैं। थोड़ी-सी अदरक और केसर मिलाकर उसे पीने से आपका दिमाग शांत होगा और आप चिंता करना भी कम कर देंगे। आप रोज इसे पी सकते हैं, इससे आपका वात दोष कम होने लगते हैं। 
सुगंध चिकित्सा 
कई बार आपके अच्छी खुशबू आपके मन पर अच्छा प्रभाव डालती है और आप हल्का महसूस करते हैं। कुछ सुगंधों का वात दोष पर अच्छा प्रभाव पड़ता है, वह इसे कम करने में मदद करती है। आप अपने नहाने के पानी में तुलसी, नारंगी, लौंग और लैवेंडर का तेल इस्तेमाल कर सकते हैं। इनकी कुछ बूंदें गर्म पानी में मिलाकर स्नान कर सकते हैं। आप चाहें तो अपने कमरे में हल्की सुगंध का प्रयोग भी कर सकते हैं, ये आपके लिए कारगर साबित होगा।
वैकल्पिक नाक श्वास 
वैकल्पिक नाक श्वास आपके दोषों को शांत करने में काफी कारगर है और ये किसी भी तरह की चिंता को कम करता है। ये योग मस्तिष्क को संतुलित रखता है और मन की ऊर्जा भी सही करता है। किसी शांत जगह इसका प्रयास करना आपके लिए लाभकारी होगा। ध्यान रहे कि आप सांस लेते समय बल का प्रयोग न करें, सांस लेते समय मुंह से सांस न लें और बीच-बीच में थोड़ा आराम करें।
 
प्रॉसेस्ड फूड लवर्स रहें अलर्ट, मोटापे के साथ मिल सकती हैं कई बीमारियां

प्रॉसेस्ड फूड लवर्स रहें अलर्ट, मोटापे के साथ मिल सकती हैं कई बीमारियां

अपनी पसंद का खाना देखते ही हमारे टेस्ट बड ऐक्टिव हो जाते हैं और हमारा मुंह पानी से भर जाता है। लेकिन क्या कभी हमने सोचा है कि टेस्टी खाना देखते ही ऐसा क्यों होता है और क्यों हम जाने-अनजाने ओवर इटिंग करने लगते हैं...
ओवर इटिंग की वजह
स्टडी में सामने आया कि हाई कैलोरीज फूड खाकर जो हमें प्लेजर मिलता है वही प्लेजर हमारे नैचरल फीडिंग शेड्यूल को डिस्टर्ब करने का कारण बन सकता है। इस कारण हम अपनी जरूरत से अधिक खाना कंज्यूम करने लगते हैं।
खाने से दिमाग को मिलता प्लेजर
हमारे ब्रेन का प्लेजर सेंटर जहां डोपामाइन हॉर्मोन बनता है और हमारी बायॉलजिकल क्लॉक, जो हमारी बॉडी की सायकॉलजिकल रिद्म को मैनेज करती है,इन दोनों के बीच और गहरा कनेक्शन हो सकता है। यह बात हाल ही जर्नल करंट बायॉलजी में पब्लिश हुई स्टडी में सामने आई है।
इनका रहता है वेट मेंटेन
यह शोध यूनिवर्सिटी ऑफ वर्जिनिया द्वारा किया गया। इस शोध के लीड ऑर्थर अली गुलेर के अनुसार, लैबोरेट्री टेस्ट में सामने आया कि नॉर्मल इटिंग, एक्सर्साइज और लो फैट डायट लेनेवाले लोगों का वेट मेंटेन रहता है और उन्हें बार-बार स्नैक्स आदि चीजों की जरूरत नहीं होती।
इनका बढ़ता है वेट
लेकिन जो लोग हाई कैलरीज डायट, हाई फैट और शुगर का यूज करते हैं, उन्हें दिन में बार-बार कुछ स्नेक्स लेने की इच्छा होती है और वे इस कारण ओवर इटिंग करते हैं और इनका वेट लगातार बढऩे लगता है।
ऐसा खाना भी है वजह
शोधकर्ताओं के अनुसार, पिछले 50 साल में ना सिर्फ अमेरिका बल्कि दुनियाभर के देशों में लोगों के खान-पान में ड्रामेटिकली बड़ा बदलाव आया है। अब लोग प्रॉसेस्ड और पैक्ड फूड का दिन-रात उपयोग करते हैं। ऐसा खाना लंबे समय तक खाने पर सेहत को इसकी कीमत चुकानी पड़ती है।
पैक्ड खाने से होनेवाली दिक्कत
रिसर्चर्स के अनुसार, प्रॉसेस्ड और पैक्ड फूड शुगर, कार्ब्स और कैलरीज से भरे हुए होते हैं। अगर इन्हें रोज खाया जाए तो ये मोटापे के साथ ही शरीर को कई बीमारियां उपहार में देते हैं।
मोटापे और नींद का कनेक्श
लीड ऑर्थर के अनुसार, शोध में यह भी सामने आया कि ब्रेन में निकलनेवाला डोपामाइन कैमिकल जो हमारे शरीर की बायॉलजिकल क्लॉक को मेंटेन रखता है, वह अगर डिस्टर्ब हो जाता है तो लोगों को खाली वक्त और खाने के बाद भी हाई एनर्जी फूड खाने की जरूरत महसूस होती है।
इसलिए होती है दिक्कत
जो लोग पूरी नींद नहीं लेते और जिनके सोने जागने का समय निर्धारित नहीं रहता है अक्सर उनमें ओवर इटिंग की आदत देखने को मिलती है। खास बात यह है कि अगर डोपामाइन सिग्नल से हाई कैलरीज फूड का प्लेजर मिलना बंद हो जाए तब भी लोग हाई कैलरी फूड खाकर स्लिम रह सकते हैं। लेकिन डोपामाइन का ना बनना शरीर के लिए अच्छा नहीं है। इसलिए बेहतर है कि अपनी डायट को ही कंट्रोल किया जाए।
गुणों की खान है ये खाने की चीज, इसकी एक चुटकी बनाये खाने को टेस्टी, एक से बढ़कर एक फायदे है इसके

गुणों की खान है ये खाने की चीज, इसकी एक चुटकी बनाये खाने को टेस्टी, एक से बढ़कर एक फायदे है इसके

मारे शरीर में मौजूद खतरनाक बैक्टीरिया को किल करने और हमारा बढ़े हुए फैट को बर्न करने में काला नमक बहुत ही फायदेमंद है। इतना ही नहीं यह खाने का जायका कई गुना बढ़ा देता है। आयुर्वेदार्य मानते हैं कि काले नमक को हर रोज सुबह के वक्त गर्म पानी में मिलाकर पीने से शरीर स्वस्थ रहता है...

पेट सही रखे
काला नमक भोजन को आसानी से पचाने में सहायक होता है। काले नमक में बना भोजन करने से पेट स्वस्थ रहता है और कब्ज की समस्या से भी बचाव होता है।
मोटापा घटाए
खाना खाने के बाद अगर आपको पेट में भारीपन महसूस हो रहा हो तो गर्म पानी में काला नमक मिलाकर इसे चाय की तरह घूंट-घूंट कर पिएं। इससे खाना आसानी से पचेगा और बॉडी का एक्स्ट्रा फैट भी बर्न करने में मदद मिलेगी।
हड्डियों के लिए फायदेमंद
काला नमक कई तरह के पोषक तत्वों और मिनरल्स सेभरपूर होता है। नियमित रूप से इसका सेवन हमारीहड्डियों को कमजोर नहीं पडऩे देता।
बॉडी डिटॉक्स
काला नमक बॉडी डिटॉक्स करने में भी फायदेमंद हैं। सर्दियों में गुनगुने पानी में काला नमक लेने और गर्मियों में जलजीरा, नींबू पानी में काला नमक लेने से शरीर के विषैले तत्व बाहर निकल जाते हैं।
काले नमक के सेवन से हमें अपनी बॉडी को हाइड्रेट रखने में मदद मिलती है। सर्दियों में फलों की सलाद पर काला नमक लगाकर खाने से शरीर को पूरा पोषण मिलता है और स्किन का ग्लो भी बढ़ता है।
तनाव कम करे
काले नमक की प्रॉपर्टीज हमारे ब्रेन को अशांत करनेवाले हार्मोन्स जैसे कार्टिसोल आदि को कम करती हैं। इससे हमारा तनाव का स्तर कम होता है और मन शांत रहता है।
डायबीटीज में फायदेमंद 
शुगर के मरीजों को सफेद नमक की जगह काले नमक का अधिक सेवन करना चाहिए। काला नमक शरीर में ब्लड शुगर की मात्रा नियंत्रित रखने का काम करता है और वे अधिक हेल्दी महसूस करेंगे। काले नमक में मौजूद पोटैशियम मांसपेशियों को हेल्दी बनाता है।
हेयर फॉल से लेकर होठों का कालापन दूर करता है ये फल, जानिए कौन सा है वो फल

हेयर फॉल से लेकर होठों का कालापन दूर करता है ये फल, जानिए कौन सा है वो फल

र्दियों में चुकंदर खाना न सिर्फ सेहत के लिहाज से सही है बल्कि यह स्किन को हेल्दी रखने और खूबसूरती बढ़ाने में भी मदद करता है। स्किन संबंधी हर तरह की परेशानी का हल चुकंदर में छिपा हुआ है। चुकंदर के स्किन के लिए क्या फायदे हैं और इसे कैसे इस्तेमाल करें, आइए जानते हैं:

चुकंदर में पोषक तत्व
चुकंदर में विटमिन सी, बी6, फोलेट, आयरन और फॉसफोरस जैसे कई पोषक तत्व व ऐंटी-इनफ्लेमेटरी प्रॉपर्टीज होती हैं, जो स्किन से हर तरह की गंदगी बाहर निकालकर उसे हेल्दी रखती हैं व ग्लोइंग बनाती हैं।
ऑइली स्किन के लिए चुकंदर का पैक
अगर आपकी स्किन ऑइली है तो फिर चुकंदर इसका सबसे बेहतर इलाज है। ऑइली स्किन पर यह जादू की तरह काम करता है और कील-मुंहासे भी दूर रखता है। ऑइली स्किन के लिए चुकंदर का पैक बनाने के लिए आधा कप चुकंदर पीसकर उसमें 1 चम्मच दही और 1 चम्मच उड़द की दाल पीसकर मिक्स कर लें और उस पैक को चेहरे पर लगाएं। कुछ ही दिन में ऑइली स्किन ठीक हो जाएगी और कील-मुंहासे भी दूर हो जाएंगे।
ग्लोइंग स्किन के लिए चुकंदर का पैक
स्किन पर ग्लो चाहिए तो फिर रोजाना चुकंदर का जूस पीना तो फायदेमंद है ही, इसे लगाया भी जा सकता है। रोजाना चुकंदर के जूस से चेहरे की मसाज करें और फिर हल्के गुनगुने पानी से धो दें। इसके बाद माइल्ड फेसवॉश से चेहरा धोएं ताकि चुकंदर का लाल रंग भी चेहरे से हट जाए। इस तरह मसाज से न सिर्फ डेड स्किन निकल जाएगी बल्कि चेहरा सॉफ्ट भी हो जाएगा।
लिप्स का कालापन दूर करने के लिए चुकंदर पैक
अगर लिप्स काले हैं और आप उन्हें पिंक बनाना चाहते हैं तो फिर रोजाना रात को सोने से पहले लिप्स पर चुकंदर का जूस लगा लें। कुछ ही दिन में असर नजर आने लगेगा।
हेयर फॉल रोकने के लिए चुकंदर
चुकंदर बालों को झडऩे से भी रोकता है। इसके लिए एक कप चुकंदर पीसकर उसमें एक नींबू का रस, 2 चम्मच दही, आधा चम्मच भिगोया हुआ मेथी दाना और 1 आंवला पीसकर मिक्स कर लें। इस पैक को हफ्ते में 3 दिन बालों में अच्छी तरह से लगाएं। 3-4 घंटे बाद बालों को शैंपू की मदद से अच्छी तरह से धो लें।
टैनिंग और डार्क सर्कल दूर करेगा यह पैक
चुकंदर स्किन की टैनिंग और डार्क सर्कल को रिमूव करने में भी मदद करता है। टैनिंग पैक बनाने के लिए आधा कप चुकदंर में 3 चम्मच दही और 1 नींबू का रस मिलाएं और प्रभावित हिस्से पर लगाएं। वहीं डार्क सर्कल के लिए पैक बनाने के लिए 1 चम्मच चुकंदर के जूस में कुछ बूंदे बादाम के तेल की मिक्स करें और आंखों के नीचे काले घेरों पर लगाएं। रोजाना लगाने से कुछ ही दिन में डार्क सर्कल कम हो जाएंगे।
ठंड में सर्दी-खांसी, वायरल से बचना है तो रोज खाएं ये गुणकारी फल

ठंड में सर्दी-खांसी, वायरल से बचना है तो रोज खाएं ये गुणकारी फल

आंवला जिसे इंडियन गूसबेरी भी कहा जाता है, हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद है। यदि आप रोजाना एक आंवला खाते हैं, तो यह आपको को कई तरह की बीमारियों से बचाता है। आंवला का सेवन सर्दियों के समय काफी अच्छा माना जाता है। सर्दियों में आंवला आप कई तरीके से खा सकते हैं, आप चाहें तो अचार, आंवला मुरब्बा, सुखा आंवला पाउडर, कच्चा आंवला या आंवला कैंडी के रूप में खा सकते हैं। आप आंवला ड्रिंक के रूप में भी सेवन कर सकते हैं।

बॉडी को डिटॉक्स करता है आंवला
आंवला ऐंटिऑक्सिडेंट्स से भरपूर होता है और बॉडी को डिटॉक्स करने में मदद करता है। इसके अलावा शरीर की इम्यूनिटी यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में भी मदद करता है। आंवला खाने का सबसे अच्छा समय सुबह होता है। यह शरीर से अतिरिक्त विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है।
विटमिन सी का प्राकृतिक स्रोत
आंवला विटमिन सी का काफी अच्छा स्रोत है। इसमें एक संतरे की तुलना में 8 गुना अधिक विटमिन सी होता है और 1 आंवले में संतरे से 17 गुना अधिक ऐंटिऑक्सिडेंट होता है। विटमिन सी के साथ-साथ यह कैल्शियम का भी एक समृद्ध स्रोत है। यह आपको कई मौसमी बीमारियों से दूर रखने के साथ-साथ सर्दी या खांसी में भी राहत दिलाता है।
वायरल से रखे दूर
आंवला में ऐंटीऑक्सिडेंट और विटमिन सी आपके मेटाबॉलिज्म को बढ़ावा देने और सर्दी और खांसी सहित वायरल और बैक्टीरियल बीमारियों को रोकने में मदद करता है। आंवले का कसैला स्वाद ही आपकी सेहत को अच्छा रखने में सहायक है इसलिए आप इसकी कैंडी या फिर आंवला, गुड़ और सेंधा नमक के मिश्रण से तैयार करके सेवन कर सकते हैं।
स्किन और बालों को रखे स्वस्थ
आंवला आपकी त्वचा और बाल दोनों के लिए अच्छा है। यह बालों के लिए टॉनिक का काम करता है क्योंकि यह रूसी से लेकर बालों के झडऩे की समस्या को रोकता है। इतना ही नहीं, आंवला बालों के रोम को मजबूत करता है और स्कैल्प के ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाता है, जिससे बालों की ग्रोथ में सुधार होता है। वहीं त्वचा की बात की जाए, तो आंवला सबसे अच्छा ऐंटी एजिंग फल है।
ऐसे यूज करें आंवला
यदि आप रोज सुबह आंवले का रस शहद के साथ पीते हैं, तो आप दमकती हुई और स्वस्थ त्वचा पा सकते हैं। 2 चम्मच शहद के साथ 2 चम्मच आंवला पाउडर मिलाकर इसका सेवन भी कर सकते हैं। आप इसे दिन में तीन से चार बार ले सकते हैं।
 
रात में अच्छी नींद के लिए अपनाइये ये ट्रिक्स और सुबह अपने आप को पाइए फ्रेश और ताज़ा

रात में अच्छी नींद के लिए अपनाइये ये ट्रिक्स और सुबह अपने आप को पाइए फ्रेश और ताज़ा

हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी ज्यादातर समस्याओं की वजह है, नींद का पूरा ना हो पाना। आपके लाइफस्टाइल के हिसाब से इसके कारण अलग-अलग हो सकते हैं लेकिन सुबह के वक्त उठने में दिक्कत की समस्या सभी को फेस करनी पड़ती है। यहां बताई गई कुछ ट्रिक्स अपनाएंगे तो इन दिक्कतों से राहत जरूर मिलेगी...
सबसे पहले इसे समझें
रात के वक्त जब आप सोचते हैं कि अब सो जाना चाहिए और वो वक्त जब आप सोने जाते हैं, इन दोनों ही स्थितियों के बीच जो अंतर होता है उसे लेटेंसी कहते हैं।
अलग-अलग होता है असर 
स्टैनफोर्ड में हुई एक ताजा रिसर्च के मुताबिक लेटेंसी का असर हर इंसान पर अलग-अलग होता है। यह उसकी बॉडी, लाइफस्टाइल और जिस वातावरण में वह रहता है, उससे प्रभावित होता है।
इतने से इतना वक्त 
अगर आपको बिस्तर पर जाने के 5 मिनट के अंदर नींद आ जाती है तो इसका मतलब है कि आप कम नींद लेते हैं और अगर आपको बिस्तर पर जाने से नींद आने के बीच का अंतर 20 या इससे अधिक होता है तो इसका अर्थ है कि आप अपने शरीर की जरूरत से अधिक सोते हैं। या आपको अपनी पुअर स्लीप हाइजीन को इंप्रूव करने की जरूरत है।
यह होती है हैज़ की स्थिति
शोध के मुताबिक, बिस्तर पर जाने के 7 मिनट के बाद आप ऐसी स्थिति में होते हैं, जहां ना आप पूरी तरह सो रहे होते हैं और ना ही पूरी तरह जगे हुए होते हैं। इस वक्त आप खुद को कुछ व्यग्र और कुछ शांत महसूस करते हैं।
आपका रूम टेंप्रेचर 
अगर बिस्तर पर जाने के बाद आपकी बॉडी को हाथ और पैर का टेंप्रेचर स्थिर करने में ज्यादा वक्त लगता है तो आपकी स्लीप लेटेंसी बढ़ जाएगी। यानी आपको सोने में ज्यादा वक्त लगेगा। इसलिए अपनी बॉडी को समझते हुए रूम का तापमान सही रखें। इसमें आप रूम हीटर का हॉट वॉटर बॉटल की मदद ले सकते हैं।
टाइम का निर्धारण
हर रोज एक निश्चित समय पर सोने जाने से आपके ब्रेन को बॉडी की इंटरनल क्लॉक सेट करने में मदद मिलेगी। इसलिए सोने का समय निर्धारित करें।
नींद में डालता है खलल 
तनाव नींद में बहुत खलल डालता है। इसलिए तनावमुक्त रहना जरूरी है। हम अगर स्थितियों को नियंत्रण में नहीं कर सकते तो अपनी बॉडी को तो कर सकते हैं। रोज एक्सर्साइज और मेडिटेशन करें। तुरंत लाभ दिखने लगेगा।
यहां उल्टा करना है
आमतौर पर हाई फाइबर डायट लेने की सलाह दी जाती है ताकि पाचनतंत्र बेहतर रहे। लेकिन न्यू यॉर्क की कोलंबिया यूनिवर्सिटी में हुए एक शोध के मुताबिक, रात के वक्त हाई फैट डायट लेने से जल्दी नींद आने में मदद मिलती है।
इसके लिए दिन का समय ही ठीक है
अगर आप रात के वक्त जिम जाते हैं तो इस बात का ध्यान रखें कि एक्सर्साइज करने के बाद आपकी बॉडी मसल्स अधिक ऐक्टिव हो जाती हैं, इससे नींद आने में खलल होती है। बेहतर है सुबह के वक्त या बेड डाइम से कम से कम 4 घंटे पहले एक्सर्साइज करें।
खुबसूरत दिखने के लिए लंबी व घनी पलकें चाहते है तो अपनाएं ये टिप्स

खुबसूरत दिखने के लिए लंबी व घनी पलकें चाहते है तो अपनाएं ये टिप्स

सुंदरता की जब भी बात होती है तो आंखों का जिक्र जरूर होता है, क्योंकि खूबसूरत आंखें आपकी सुंदरता में चार चांद लगा देती हैं। लेकिन इन आंखों की खूबसूरती में घनी पलकें इसे और ज्यादा सुंदर बना देती हैं। यदि आपकी भी चाहत है लंबी व घनी पलकों को पाना तो इन टिप्स को आप अपनी ब्यूटी केयर में शामिल कर लीजिए।
घनी पलकों के लिए अपनाएं ये टिप्स : रात में सोने से पहले अपनी आंखों को अच्छी तरह से साफ कर लें, क्योंकि आंखों के मेकअप के साथ सोना आपकी आंखों को नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए भले ही आप कितने भी थके क्यों न हों, आंखों को साफ किए बगैर बिलकुल भी न सोएं।
जैतून के तेल का करें इस्तेमाल : आप अपनी पलकों को घना करने के लिए जैतून के तेल का रात में सोने से पहले इस्तेमाल कर सकती हैं। इसके लिए आंखों को अच्छे से साफ करके इसे अपनी आंखों की पलकों पर लगाएं।
पेट्रोलियम जैली का करें इस्तेमाल : सुनने में आपको अजीब लग रहा होगा लेकिन ये टिप्स आपके बहुत काम आ सकती है। पेट्रोलियम जैली आपकी पलकों को घना करने में बहुत फायदेमंद है। इसका भी इस्तेमाल आपको रात में सोने से पहले ही करना है।
बादाम का तेल : बादाम के तेल और विटामिन-ई कैप्सूल के ऑइल को मिला लीजिए। अब इन्हें अपनी पलकों पर लगाएं। यकीनन आपको फायदा होगा लेकिन आपको इसे रेगुलर इस्तेमाल करना है।
नारियल का तेल : नारियल का तेल भी आपकी पलकों को घना व लंबा करने में फायदेमंद है। इसके लिए आप थोड़ा-सा नारियल का तेल लें। अब इससे आप हल्के हाथों से अपनी आंखों की मसाज करें और सो जाएं। इसी के साथ ही आप आंखों के मेकअप को रिमूव करने के लिए नारियल तेल का इस्तेमाल कर सकती हैं।
 
 वेट लॉस करने से ब्रेस्ट कैंसर का खतरा भी हो जाएगा कम, जानिये  कैसे

वेट लॉस करने से ब्रेस्ट कैंसर का खतरा भी हो जाएगा कम, जानिये कैसे

जब बात वजन घटाने यानी वेट लॉस की आती है तो ज्यादातर लोग अच्छा दिखने और अपनी खोई हुई खूबसूरती वापस पाने के लिए वेट लॉस करना चाहते हैं। लेकिन हकीकत ये है कि वजन घटाना आपकी सेहत के लिए भी कई तरह से फायदेमंद है। इतना ही वेट लॉस से आप कई तरह की बीमारियों से भी दूर रह सकते हैं और इन्हीं में से एक है ब्रेस्ट कैंसर। 

50 साल से अधिक उम्र की महिलाओं में खतरा कम
जर्नल ऑफ नैशनल कैंसर इंस्टिट्यूट जेएनसीआई में प्रकाशित एक नई स्टडी की मानें तो अगर 50 साल से अधिक उम्र की महिलाएं वजन घटाएं और अपने घटे हुए आइडेल वेट को मैनेज करके रखें तो ऐसी महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का खतरा कई गुना तक कम हो जाता है। स्टडी में शामिल टीम ने इस बात को भी नोटिस किया कि जिन महिलाओं ने वजन घटाया वे पोस्टमेनॉपॉजल हॉर्मोन्स का सेवन नहीं कर रहीं थीं। 

ब्रेस्ट कैंसर का खतरा होगा कम 
इससे पहले तक इस बारे में काफी रिसर्च हुई थी कि बॉडी मास इंडेक्स अधिक हो तो इससे पोस्टमेनॉपॉजल ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ जाता है लेकिन इस तरह की कोई रिसर्च नहीं हुई थी जिसमें यह बताया जाए कि अच्छा खासा वेट लॉस करने से ब्रेस्ट कैंसर का खतरा कम होता है या नहीं। यही वजह है कि अमेरिकन कैंसर सोसायटी और हार्वर्ड टी एच चैन स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के अनुसंधानकर्ताओं ने यह रिसर्च करने के बारे में सोचा। 

1.80 लाख महिलाओं पर की गई स्टडी 
इस स्टडी के लिए अनुसंधानकर्ताओं ने 50 साल या इससे अधिक उम्र की 1 लाख 80 हजार महिलाओं को एग्जामिन किया। इस स्टडी के नतीजे में यह बात सामने आयी कि अच्छा खासा वेट लॉस करने से इस उम्र की महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का खतरा कई गुना कम हो जाता है।
 कौन कहता है आलस बुरी बला है? जानें, आलसी होने के फायदे

कौन कहता है आलस बुरी बला है? जानें, आलसी होने के फायदे

अक्सर कहा जाता है कि आलस बुरा होता है, लेकिन यह 100 प्रतिशत सही नहीं, क्योंकि साइंस भी मानता है कि कुछ हद तक आलसी होना दिमाग और सेहत दोनों के लिए ही अच्छा है। चलिए जानते हैं कि आलसी होने के फायदों के बारे में:


बर्नआउट की स्थिति से दूरी
बर्नआउट वह स्थिति होती है जब व्यक्ति मानसिक और शारीरिक रूप से इतना थक जाता है कि उसके पास कुछ और करने की हिम्मत ही नहीं रह जाती। आलसी लोग इस स्थिति का सामना कम करते हैं क्योंकि कैसे भी खुद को रिलैक्स करने के तरीके ढूंढ ही लेते हैं।

स्ट्रेस मैनेजमेंट
बर्नआउट के साथ ही आलस स्ट्रेस को मैनेज करने में भी मदद करता है। दरअसल, ऐसे लोग जो लेजी की कैटिगरी में आते हैं वे चीजों को ज्यादा रिलैक्स्ड तरीके से करते हैं, इससे उन्हें तनाव या ऐंग्जाइटी की परेशानी से नहीं जूझना पड़ता।

नींद न आने की परेशानी रहती है दूर
लेजी लोग दिमागी रूप से रिलैक्स्ड होते हैं जिससे उन्हें सोने में दिक्कत नहीं आती। यह उन्हें नींद न आने की परेशानी से दूर रखते हुए शरीर के इम्यून सिस्टम को हेल्दी बनाता है।

पाचन रखे दुरुस्त
नींद न होना और स्ट्रेस खाने की इच्छा मारने के साथ ही पाचन प्रक्रिया को बुरी तरह प्रभावित करता है। वहीं आलसी लोग प्रॉपर नींद और स्ट्रेस से दूरी होने के कारण इन समस्याओं से भी फ्री रहते हैं।

बेहतर कॉन्सनट्रेशन और क्रिएटिविटी
स्टडी के मुताबिक, ऐसे लोग जो लेजी होते हैं उनका फोकस उन लोगों के मुकाबले ज्यादा बेहतर होता है जो आराम किए बगैर काम में लगे रहते हैं। ऐसे लोग ज्यादा क्रिएटिव भी होते हैं। ऐसा माइंड के रिलैक्स्ड होने के कारण होता है, जिससे वह फोकस करने के साथ ही नए आइडियाज भी सोच पाते हैं।

इमोशनली स्टेबल
नींद पूरी होना, स्ट्रेस से दूरी होना, शरीर के रिलैक्स्ड होना इमोशन्स को भी स्टेबल रखने में मदद करते हैं। यह प्रूव हो चुका है कि ऐसे लोग जो स्ट्रेस में या नींद की कमी से जूझते हैं उन्हें इमोशन्स से संबंधित कई समस्याओं से जूझना पड़ता है।

हैपी रिलेशनशिप
इमोशनली स्टेबल होने के कारण आलसी लोग रिलेशनशिप में भी बेहतर होते हैं। ऐसा इसलिए भी होता है क्योंकि आलस के कारण वे अनचाहे में ही सही लेकिन अपने पार्टनर को खुद के लिए पर्याप्त समय निकालने का मौका देते हैं। साथ ही एक जगह बैठकर लंबी बातें करना भी आलसी लोगों के लिए बड़ी बात नहीं है, जो उन्हें पार्टनर की बातें ध्यान से सुनने और उनके साथ बेहतर तरीके से इमोशनली कनेक्ट होने में मदद करता है।
वर्क स्ट्रेस कम करने में मददगार है ऑफिस टेबल पर रखा स्मॉल प्लांट

वर्क स्ट्रेस कम करने में मददगार है ऑफिस टेबल पर रखा स्मॉल प्लांट

जापान की ह्योगो यूनिवर्सिटी में हुए एक शोध में सामने आया है कि वर्क प्लेस पर कर्मचारियों की टेबल पर रखा गया एक छोटा-सा प्लांट भी उनके स्ट्रेस लेवल को कम करने का काम करता है। यह शोध इंडोर प्लांट्स द्वारा कर्मचारियों की मेंटल हेल्थ को बूस्ट करने के उद्देश्य से किया गया। खासतौर पर इस शोध के केंद्र में उन एंप्लाइज को रखा गया, जो ज्यादातर वक्त बंद फ्लोर्स पर काम करते हैं, जिन्हें बाहर के वातावरण और हरियाली के बीच ज्यादा एक्सपोजर नहीं मिल पाता। 

हम सभी जानते हैं कि प्लांट्स के बीच रहने से इंसान का मूड बेहतर और सेहत अच्छी रहती है। लेकिन इस शोध के जरिए सामने आया कि आखिर प्लांट्स किसी इंसान के मानसिक और शरीरिक तनाव को कितने प्रतिशत तक कम कर सकते हैं। खासतौर पर इंडोर प्लांट्स। इसके लिए शोधकर्ताओं ने रियल ऑफिस को ही अपना शोध क्षेत्र बनाया।
यह स्टडी ओवन जर्नल हॉर्ट टेक्नॉलजी में पब्लिश की गई है। शोधकर्ताओं का कहना है कि आज भी कई लोग इस बात को स्वीकार नहीं करते हैं वर्कप्लेस पर रखे गए छोटे-छोटे प्लांट्स कर्मचारियों का तनाव कम करने का काम करते हैं। इसलिए हमने इस विषय पर सायंटिफिक प्रूव्स मुहैया कराने के उद्देश्य से इस स्टडी को किया। रिसर्च में हमने 63 ऐसे कर्मचारियों को शामिल किया जो घंटों एक ही डेस्क पर बैठकर काम करते थे।
शोधकर्ताओं ने इस स्टडी के दौरान स्टेट-ट्रऐट ऐंग्जाइटी इंवेंट्री के जरिए कर्मचारिओं के सायकॉलजिकल और सोशयॉलजिकल स्ट्रेस को मापा। इस दौरान उनके डेली वर्क रुटीन को फॉलो करते हुए प्लांट रखने से पहले और प्लांट रखने के बाद उनकी पल्स रेट को मापा गया। इसमें सामने आया कि प्लांट रखने के मात्र 3 मिनट बाद ही उनकी पल्स रेट काफी कम हो गई थीं।
ऐक्टिवली और पेसिवली 
इस स्टडी के दौरान थकान के वक्त किसी एंप्लॉयी द्वारा किसी प्लांट को निहारते रहने से उसके मूड पर किस तरह प्रभाव पढ़ता है यह भी जानने का प्रयास किया गया। शोध में पता चला कि वर्क स्टेशन के पास प्लांट होने से इस प्लांट की मौजूदगी का असर कर्मचारी पर ऐक्टिवली और पेसिवली दोनों तरह से होता है। यानी चाहे व्यक्ति प्लांट की तरफ देख ना रहा हो लेकिन उसकी प्रजेंस भी कर्मचारी का स्ट्रेस लेवल कम करने का काम करती है।
प्लांट रखने से पहले लिए गए डेटा को जब प्लांट रखने के बाद लिए गए डेटा के साथ कंपेयर किया गया तो शोध में सामने आया कि वर्कस्टेशन पर रखा गया छोटा-सा पौधा मानसिक और शारीरिक दोनों तरह के तनाव को कम करने में मदद करता है। कर्मचारियों का व्यवहार पहले की तुलना में कहीं अधिक शांत और सकारात्मक देखा गया।
 
सर्दियों में कम पानी पीकर भी ज्यादा सूसू क्यों आती है? जाने क्या है कारण

सर्दियों में कम पानी पीकर भी ज्यादा सूसू क्यों आती है? जाने क्या है कारण

र्दियों में पानी पीना और फिर हर थोड़ी-थोड़ी देर में टॉइलट जाना। आपको भी यह महसूस हुआ होगा ना कि सर्दियों में कम पानी पीकर भी सूसू ज्यादा आती है। क्या हो सकता है इसका कारण, हम आपको बताते हैं।
शरीर का साइकोलॉजिकल रिऐक्शन
सर्दी के मौसम में बाकी के मौसम की तुलना में सूसू ज्यादा आती है। ये सिर्फ आपकी सोच ही नहीं है बल्कि ये हकीकत भी है और इसके पीछे वैज्ञानिक कारण भी है। ये एक ऐसी घटना है जो ज्यादातर लोगों के साथ होती है और इसका संबंध इस बात से है कि प्रकृति यानी नेचर हमारे शरीर की रचना को किस तरह से प्रभावित करती है। ये एक तरह से एक साइकोलॉजिक रिऐक्शन है जहां सर्दी की वजह से आपको ज्यादा यूरिनेट करने का दिल करता है।
ब्लड वेसल्स पर प्रेशर बढ़ता है
सर्दी में ज्यादा यूरिनेट करने की वजह ये है कि हमारा शरीर 36-37 डिग्री सेल्सियस तापमान में रहने का आदी है। लेकिन सर्दियों में जब पारा बेहद नीचे चला जाता है तो हम कांपने लगते हैं जिससे शरीर की रक्त धमनियां यानी ब्लड वेसल्स सिकुडऩे लगती है और शरीर के अंगों में ब्लड फ्लो बढ़ जाता है और ब्लड प्रेशर भी बढऩे लगता है। ये ब्लड फ्लो किडनी में भी बढ़ जाता है।
किडनी को करना पड़ता है ज्यादा काम
इस दौरान किडनी को आमतौर पर जितना काम करना होता है उससे ज्यादा काम करना पड़ता है और इस वजह से यूरिनेट करने की मात्रा बढ़ जाती है और बार-बार सूसू आती है। इतना ही नहीं, बार-बार यूरिनेशन के जरिए आपका शरीर अंदरुनी गर्मी को भी बनाए रखने की कोशिश करता है।
हाइपोथर्मिया का संकेत हो सकता है
डॉक्टरों की मानें तो इसमें किसी तरह से घबराने की कोई बात नहीं। यह आपके शरीर का अनोखा तरीका है आपको सर्दी और ठंड से बचाने का। हालांकि सर्दी के मौसम में भी जरूरत से ज्यादा यूरिनेशन हाइपोथर्मिया का एक संकेत हो सकता है। ऐसे में अगर आपको यूरिनेशन के साथ-साथ बहुत ज्यादा कंपकंपी, सांस लेने में दिक्कत जैसे लक्षण शरीर में दिख रहे हों तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
 
 हेल्दी रहना है तो अपने घर में हमेशा रखे ये फूड्स

हेल्दी रहना है तो अपने घर में हमेशा रखे ये फूड्स

हेल्दी रहने के लिए जरूरी है कि घर में कुछ खास फूड रखें जाएं जो आपको सेहतमंद बनाएंगे. चलिए जानते हैं किन सुपरफूड्स का घर में होना है जरूरी.
कच्ची सब्जियां - खीरा, तोरी, गाजर, टमाटर और घिया जैसी सब्जियों का घर में होना बहुत जरूरी है. इसी के साथ ऐसी सब्जियां रखें जिनमें पोटेशियम, फाइबर, फोलिक एसिड, विटामिन ए, और विटामिन सी जैसे कई पोषक तत्व मौजूद हों. ये वसा घटाती हैं, कम कैलोरी की होती हैं और इनसे कॉलेस्ट्रॉल लेवल कम होता है.
फ्रूट सलाद - सेब, अंगूर, जामुन और किवी जैसे मौसमी फल आपके स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है. ये रक्तचाप को कम करने में मदद कर सकती है, हृदय रोग और स्ट्रोक के जोखिम को कम कर सकती है, कुछ प्रकार के कैंसर को रोक सकती है, आंखों और पाचन समस्याओं को कम कर सकती है और रक्त शर्करा पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकती है इसके अलावा ये भूख को बढऩे से रोकने में मदद करती है.
हरी सब्जियां -  पालक, चेरी, बीन्स और नट्स न केवल ऊर्जा के स्रोत होते हैं बल्कि उन पोषक तत्वों से भी भरपूर होते हैं जो आपके शरीर के लिए आवश्यक होते हैं. हरी सब्जियों में विटामिन ए, विटामिन सी, बीटा-कैरोटीन, कैल्शियम, फोलेट, फाइबर और फाइटोन्यूट्रिएंट्स होते हैं, जो एक स्वस्थ आहार के लिए एक अच्छा विकल्प हैं. इनमें कोलेस्ट्रॉल नहीं होता है और ये कैलोरी और सोडियम में स्वाभाविक रूप से कम होते हैं.
कम वसा वाले डेयरी उत्पाद - कम वसा वाले डेयरी प्रोडक्ट जैसे कि स्किम या वसा रहित दूध और दही और पनीर की कम वसा वाली किस्में प्रोटीन के उत्कृष्ट स्रोत हैं. इनमें कई तरह के खनिज, राइबोफ्लेविन, नियासिन और विटामिन बी 6 और बी 12 होते हैं. ये वजन कम करने में और साथ ही कोलेस्ट्रॉल में सुधार करने में मदद कर सकते हैं.
ग्रीन टी बैग्स के इस्तेमाल से आंखों की थकान हो सकती है दूर,चेहरा भी बनेगा चमकदार पढ़े पूरी खबर

ग्रीन टी बैग्स के इस्तेमाल से आंखों की थकान हो सकती है दूर,चेहरा भी बनेगा चमकदार पढ़े पूरी खबर

ग्रीन टी का सेवन हमारे मेटाबॉलिज़म के लिए जितना अच्छा है, उतना ही अच्छा हमारी त्वचा की रंगत के लिए भी है। अगर आपको लगता है कि आपकी स्किन डल है या पिंपल और ऐक्ने जैसी समस्या से आप परेशान हैं तो ग्रीन टी का उपयोग स्किन पर लगाने के लिए करें। कुछ ही दिनों में आपकी ऐक्ने या स्किन से जुड़ी दूसरी समस्याएं गायब हो जाएंगी...
दूर करे उम्र का असर
ग्रीन टी में ऐंटिऐजिंग ऑक्सीडेंट्स होते हैं। ये स्किन पर बढ़ती उम्र के असर को हावी नहीं होने देते। ग्रीन-टी टोनर, जो मार्केट में आता है या घर पर सिंपल पाने में ग्रीन-टी वॉइल करके ठंडा होने पर इस पानी को कॉटन की मदद से टोनर की तरह यूज करें। यह पलूशन के प्रभाव को आपकी त्वचा पर टिकने नहीं देगा।
नैचरल ग्लो बनाए रखे
ग्रीन टी स्किन का नैचरल ग्लो बनाए रखने में मददगार है। इसके लिए आप ग्रीन टी बैग्स का यूज भी कर सकती हैं। ग्रीन टी बैग्स को फेंकने की बजाय इन्हें टिश्यू पेपर के बीच हल्का सा प्रेस करें ताकि एक्सट्रा पानी निकल जाए। अब इन्हें अपनी दोनों आंखों के ऊपर रखकर 10 से 15 मिनट के लिए लेट जाएं। आपकी आंखों की थकान दूर हो जाएगी।
डस्ट दूर करने में यूज
आप ग्रीन टी बैग का यूज स्किन पर जमा पलूशन के महीन कणों को साफ करने में भी कर सकती हैं। इसके लिए आप गीले टी बैग को वेट टिश्यू की तरह इस्तेमाल करें। चेहरे के साथ ही नेक की स्किन को भी इससे साफ करें। यह एक अच्छा मेकअप रीमूवर भी हो सकता है।
गुलाबजल के साथ
आप ग्रीन टी को गुलाबजल के साथ मिलाकर स्किन क्लिंजर या टोनर की तरह यूज कर सकती हैं। गुलाबजल में मौजूद तत्व त्वचा क रंगत निखारने का काम करते हैं तो ग्रीन टी एजिंग साइन रोकने का काम करती है। पिंपल और एक्ने जैसी समस्याएं भी इसके मिक्चर के इस्तेमाल से दूर रहती हैं।
 

ठंड के दिनों में खाएं ये चीजें, हमेशा बने रहेंगे सेहतमंद

ठंड के दिनों में खाएं ये चीजें, हमेशा बने रहेंगे सेहतमंद

सर्दी के दिनों में खास तौर से कुछ विशेष चीजों का सेवन करना कई तरह से फायदेमंद साबित होता है। जानिए ऐसी ही 15 चीजें जिनका प्रयोग सर्दियों में रखेगा आपकी सेहत, सुंदरता और मस्तिष्क का विशेष ख्याल...
1 खसखस - यह दिमाग को तेज करने में सहायक होता है। ठंड के दौरान इसे खाने से प्रोटीन, कैल्शियम मिलता है। इसके चाहें तो रातभर पानी में रखकर सुबह खा लें या फिर इसका दूध या हलवा बनाएं।
2 काजू - इसमें कैलोरी ज्यादा रहती है। ठंड में शरीर का तापमान नियंत्रित रखने के लिए ज्यादा कैलोरी की आवश्यकता होती है। काजू से कैलोरी मिलती है जिससे शरीर स्वस्थ रहता है।
3 बादाम - भीगी हुई खसखस खाली पेट खाने से दिमाग में तरावट और दिनभर ऊर्जा बनी रहती है। आप चाहें तो खसखस वाला दूध या फिर खसखस और बादाम का हलवा खा सकते हैं।
4 अखरोट - कोलेस्ट्राल को कम करने में सहायक होता है। इसमें फायबर, विटामिन ए और प्रोटीन रहता है। जो कि शरीर को स्वस्थ रखने में सहायता प्रदान करता है।
5 अंजीर - इसमें आयरन होता है, जो खून बढ़ाने में सहायक होता है।
6 च्यवनप्राश - च्यवनप्राश प्रतिदिन खाने से शरीर का पाचनतंत्र सुदृढ़ होता है, स्फूर्ति बनी रहती है।
7 गजक - यह गुड़ और तिल से बनाई जाती है। गुड़ में आयरन, फास्फोरस अधिक मात्रा में पाया जाता है। तिल में कैल्शियम व वसा होता है। इसके कारण ठंड के समय शरीर को अधिक कैलोरी मिल जाती है और शरीर का तापमान भी नियंत्रित रहता है।
8 पिंड खजूर - इसमें आयरन के साथ मिनरल्स और विटामिन भी रहते हैं। इसे ठंड में 20 से 25 ग्राम प्रतिदिन लेना चाहिए।
9 दूध - रात को सोते समय केसर, अदरक, खजूर, अंजीर, हल्दी दूध में डालकर लेना चाहिए। सर्दी के मौसम में होने वाली सर्दी-खांसी से बचाव हो जाता है।
10 गोंद लड्डू - इस मौसम में ज्यादा अच्छे रहते हैं क्योंकि आसानी से पच जाते हैं। एक लड्डू में 300 से 350 कैलोरी होती है।
11 साबुत अनाज - चूं‍कि यह मौसम सेहत बनाने के लिए बढ़िया होता है अत: इस मौसम में साबुत अनाज लेना हमेशा फायदे का सौदा है। चाहे अंकुरित करके या फिर सभी प्रकार के अनाज का आटा बनाकर प्रयोग करें।
12 घी - ठंड में जोड़ों की समस्या, घुटनों व जोड़ों के दर्द, आर्थराइटिस आदि से बचाव के लिए शरीर में आवश्यक चिकनाई होना बेहद जरूरी है। घर शारीरिक और मानसिक सेहत के लिए फायदेमंद है।
13 शहद - शहद एक प्राकृतिक एंटीबायोटिक है जिसमें मौजूद औषधीय गुण आपको सर्दी की सेहत समस्याओं से बचाएंगे और प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मददगार साबित होंगे।
14मिक्स दाल के लड्डू - दाल में प्रोटीन होता है। यह बाल झड़ने को रोकता है और शरीर को स्फूर्ति प्रदान करता है।
15हरी सब्जियां - सर्दी में हरी सब्जियों की आवक खूब होती है अत: इनका भरपूर सेवन करें। हरी सब्जियां पर्याप्त पोषण के साथ-साथ शरीर को आंतरिक शक्ति प्रदान करती हैं।

 

क्या आपको भी ठण्ड के कारण शरीर में कपकपी होती है,जाने क्यों होता है ऐसा

क्या आपको भी ठण्ड के कारण शरीर में कपकपी होती है,जाने क्यों होता है ऐसा

सर्दी के मौसम में तो ठंडक का अहसास होगा ही। लेकिन अगर यह ठंड आपकी बॉडी पर हावी होने लगे या आपको हर समय इतनी ठंड महसूस हो कि डेली के काम भी ना कर सकें तो यह स्थिति सामान्य नहीं है। खासतौर पर जब आपको अपने रुटीन में ऐसा कुछ ना नजर आए, जो ठंड महसूस होने की वजह हो। जैसे, आपने काफी देर तक पानी में काम नहीं किया है या आपको फीवर भी नहीं है लेकिन ठंड से आपकी हालत खराब हो रही है। यहां जानें क्यों अधिक ठंड लगने पर आपको अपनी सेहत पर बहुत अधिक ध्यान देने की जरूरत है...

नींद पूरी ना हो पाना
किसी भी कारण से अगर आप पूरी 7 से 8 घंटे की नींद नहीं ले पाते हैं तो इस स्थिति में अधिक ठंड लगने का अहसास होता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि अगर बॉडी को प्रॉपर रेस्ट नहीं मिल पाता है तो वह अपना टेंप्रेचर मेंटेन नहीं रख पाती। नींद पूरी ना होने की स्थिति में मेटाबॉलिज़म स्लो काम करने लगता है, इससे शरीर में ऊर्जा का उत्पादन कम होता है और अधिक ठंड लगती है।

ब्लड सर्कुलेशन कम होना
शरीर में ब्ल्ड सर्कुलेशन ठीक से ना हो पाना भी हर समय ठंड महसूस होने की वजह होता है। यह स्थिति आमतौर पर डायटबीटीज और हार्ट पेशंट्स में देखने को मिलती है। इसके अलावा मसल्स का स्टिफ होना, जोड़ो में दर्द होना या पेट में क्रैंप्स के साथ दर्द होना भी ठंड लगने की निशानी होती है। इनका कारण भी शरीर में ब्लड सर्कुलेशन ठीक से ना हो पाना होता है। इस स्थिति की मुख्य वजह ब्लड की थिकनेस और सही डायट का अभाव होता है।

शरीर में खून की कमी होना
बहुत अधिक डायटिंग करने या फास्ट फूड पर निर्भर रहने के कारण शरीर को पूरा पोषण नहीं मिल पाता है। इस कारण ज्यादातर बच्चे और टीनेजर्स प्रॉपर न्यूट्रिशन की कमी के चलते एनिमिया के शिकार हो जाते हैं। यह स्थिति आमतौर पर गर्ल्स में अधिक देखने को मिलती है। शरीर में खून की कमी होने पर भी ठंड अधिक महसूस होती है।

अंडर वेट होना
जिन लोगों का वजन उनकी हाइट और उम्र के हिसाब से नहीं होता है, उन लोगों को भी ठंड अधिक महसूस होती है। इसकी वजह यह है कि बहुत अधिक पतले लोगों में या जो लोग वेट लॉस मिशन पर ऐक्टिव होते हैं उनकी बॉडी में स्टोर्ड फैट अमाउंट कम होता है, जिसे बॉडी एनर्जी और हीट जनरेट करने के लिए इस्तेमाल करती है। यह फैट ना मिलने पर बॉडी अपनी जरूरत के हिसाब से हीट नहीं जनरेट कर पाती और आपको अधिक ठंड महसूस होती है।

हाइपोथाइरॉइडिज़म 
शरीर में हॉर्मोन की गड़बड़ी के लिए जिम्मेदार होती है हाइपोथाइरॉइडिज़म की स्थिति। यह एक हॉर्मोनल डिसऑर्डर है। इस स्थिति में बॉडी में हॉर्मोन्स का उत्पादन उतनी मात्रा में नहीं हो पाता है, जितनी बॉडी को जरूरत होती है। इसके चलते मेटाबॉलिज़म बॉडी टेम्प्रेचर मेंटेन नहीं कर पाता है और आपको ज्यादा ठंड लगती है।
 

 

कमाल का है यह तेल, एलर्जी और ड्राईनेस रखता है दूर

कमाल का है यह तेल, एलर्जी और ड्राईनेस रखता है दूर

सरसों के तेल में बना खाना जितना फायदेमंद होता है, उतना ही फायदेमंद होता है इस तेल को स्किन पर लगाना। लेकिन कुछ लोग इसकी झाल या कहिए कि इससे आनेवाली तीखी महक के कारण इसके उपयोग से बचते हैं। लेकिन ये तीखी महक इस तेल को अधिक प्रभावी बनाती है। यहां जाने त्वचा पर सरसों के तेल की मसाज और इसे लगाने के फायदे... 

त्वचा को मॉइश्चराइज करे

सरसों का तेल बॉडी पर लगाने से यह स्किन मॉइश्चर को ब्लॉक करने का काम करता है। इससे त्वचा में रुखेपन की समस्या नहीं होती है। साथ ही सर्दियों में वुलन कपड़ों की वजह से होनेवाली ड्राईनेस को रोकता है। 
 
एलर्जी से बचाए 
सरसों का तेल ऐंटिऑक्सीडेंट्स की तरह काम करता है। बॉडी पर अगर डेली बेसिस पर सरसों तेल से मालिश की जाए तो यह फंगल इंफेक्शन, जलन और खुजली जैसी एलर्जी को पनपने नहीं देता है।
 
रंगत निखारने में मददगार 
बेसन और हल्दी के साथ सरसों तेल मिलाकर उबटन तैयार करके लगाया जाए तो यह त्वचा की सुंदरता को बढ़ाने का काम करता है। यही वजह है कि भारतीय समाज में शादी के वक्त होनेवाली दुल्हन और दूल्हे को सरसों तेल का उबटन लगाया जाता है। 
 
फटी एडिय़ों से निजात दिलाए 
सर्दियों में एडिय़ां फटने की समस्या बेहद आम है। लेकिन अगर आप हर रोज सरसों तेल से पैरों की मसाज करते हैं तो यह एडिय़ों को फटने से बचाता है। खास बात यह है कि यह थकान दूर कर मसल्स को रिलैक्स भी करता है, जिससे स्किन पर ग्लो बढ़ता है।