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कातिलाना लुक पाने के लिए लड़कियां क्यों करवा रही हैं राइनोप्लास्टी, जाने क्या है ये ?

कातिलाना लुक पाने के लिए लड़कियां क्यों करवा रही हैं राइनोप्लास्टी, जाने क्या है ये ?

ईरान में रहने वाले लोगों को रूढि़वादी समझा जाता है. हालांकि पिछले कुछ समय में अपने लुक को लेकर यहां के लोगों की सोच में काफी बदलाव आया है. ईरान में न सिर्फ महिलाएं बल्कि पुरुष भी अपने सौंदर्य को लेकर किसी तरह का समझौता नहीं करते.

रिपोर्ट के अनुसार यही कारण है कि राइनोप्लास्टी नाम की सर्जरी के सबसे ज्यादा मामले यहीं देखे जा रहे हैं.

पिछले कुछ समय से ज्यादातर ईरानियन लोग राइनोप्लास्टी सर्जरी करवा रहे हैं. इनमें महिलाओं की संख्या पुरुषों की तुलना में बहुत ज्यादा है. ईरान अब उन मुल्कों की लिस्ट में शामिल हो गया है जहां राइनोप्लास्टी कराने के सबसे ज्यादा मामले सामने आते हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि क्या होती है राइनोप्लास्टी सर्जरी. आपको बता दें कि इस सर्जरी के माध्यम से आप अपने लुक को कातिलाना बना सकते हैं. आइए जानते हैं इसके बारे में.

क्या होती है राइनोप्लास्टी ?

राइनोप्लास्टी सर्जरी का एक ऐसा पार्ट है जिसमें नाक को थोड़ा छोटा कर उसे पैना या नुकीला बनाया जाता है. इस सर्जरी के बाद इंसान का चेहरा ज्यादा आकर्षक लगने लगता है. राइनोप्लास्टी नाक की सुंदरता बढ़ाने व उसके आकार में परिवर्तन लाने के लिए एक अत्यंत सुरक्षित और अत्याधुनिक वैज्ञानिक तरीका है. यह कॉस्मेटिक सर्जरी है, जिसकी मदद से नाक के आकार को छोटा या बड़ा किया जा सकता है और फैले हुए नोजट्रिल्स, नुकीली टिप, नासल ब्रिज पर हम्प का शेप सही किया जा सकता है. हालांकि राइनोप्लास्टी सर्जरी करवाने से पहले कुछ बातों को जान लेना बहुत जरूरी है.

किसी दूसरे व्यक्ति के जैसी नाक नहीं हो सकती

परफेक्ट नोज जैसी कोई चीज नहीं होती है. अगर आप किसी दूसरे व्यक्ति या मॉडल जैसी नाक का सपना देखते हैं तो यह संभव नहीं कि आपकी नाक कभी वैसी शेपले सके. नाक में नोज रीशेपिंग से कुछ बदलाव जैसे बेढंगे तौर से फैली हुई, बड़ी या ज्यादा छोटी, दबी हुई और सपाट नाक, नाक का झुका हुआ सिरा या फूला हुआ गोल सिरा (बल्बस टिप) को ठीक किया जा सकता है. ऐसा करने से आपकी नाक पहले से अच्छी लगने लगेगी लेकिन किसी दूसरे व्यक्ति की नाक की कॉपी मुमकिन नहीं है.

नोज रीशेपिंग के बारे में नहीं जानेंगे लोग

राइनोप्लास्टी का लक्ष्य नाक को चेहरे के बाकी फीचर्स के साथ संतुलित करना व अनुपात में लाना है. आमतौर पर पूरी तरह से हीलिंग के बाद लोग चेहरे के बदलाव को बेहतर बताते हैं, लेकिन अधिकांश लोग नाक में बदलाव को नोटिस नहीं कर पाते हैं. राइनोप्लास्टी के बाद लोग आपके चेहरे के बाकी फीचर्स (जैसे आखें और होंठ) की सुंदरता को नोटिस करने लगते हैं, जिन पर पहले उनका ध्यान नहीं जाता था. राइनोप्लास्टी सर्जरी के बाद आप उसी दिन घर जा सकते हैं और रोजमर्रा का काम सामान्य रूप से कर सकते हैं. नाक पर कुछ दिनों तक एक बैंडेज रहता है, जिसे 8-10 दिनों के बाद निकाल दिया जाता है.

फाइनल रिजल्ट में 1 साल तक का समय

नोज रीशेपिंग के बाद नाक ओर उसके आसपास के हिस्सों में सूजन रहती है, जो धीरे-धीरे कम हो जाती है. सूजन कुछ सप्ताह में सामान्य हो जाती है पर अंदरूनी हिस्से (खासकर नोज टिप) की स्वेलिंग पूरी तरह से ठीक होने में आठ से बारह महीने तक का समय लग सकता है और सर्जरी के फाइनल रिजल्ट तभी दिखते हैं.

 
अच्छी सेहत चाहिए तो पानी के लिए प्लास्टिक बॉटल नहीं इन चीजों का करें इस्तेमाल

अच्छी सेहत चाहिए तो पानी के लिए प्लास्टिक बॉटल नहीं इन चीजों का करें इस्तेमाल

हम सब बचपन से प्लास्टिक का इस्तेमाल करते आ रहे हैं। पानी की बॉटल से लेकर हमारे लंच बॉक्स तक, सारी चीजें प्लास्टिक से ही बनी होती थीं। हालांकि अब चीजें तेजी से बदल रही हैं और दुनियाभर में प्लास्टिक पर बैन लग रहा है क्योंकि प्लास्टिक की वजह से हम जो खा रहे हैं, पी रहें, जिस हवा में सांस ले रहे हैं सब में टॉक्सिन्स यानी जहरीले तत्व फैल रहे हैं। अमेरीकी संस्था फूड ऐंड ड्रग ऐडमिनिस्ट्रेशन एफडीए की मानें तो जब प्लास्टिक गर्म होता है तो उसमें से 50 से 60 अलग-अलग तरह के केमिकल्स निकलते हैं। ये सारे केमिकल्सस हमारे शरीर के अंदर जाकर हमें कई तरह की बीमारियां देते हैं जैसे- ओवेरी से जुड़ी बीमारियां, ब्रेस्ट कैंसर, कोलोन कैंसर, प्रॉस्टेट कैंसर, पीसीओडी एक्सट्रा एक्स्ट्रा...

हानिकारक है प्लास्टिक फिर यूज क्यों करना

अब जरा सोचिए अगर प्लास्टिक हमारी सेहत के लिए इतना हानिकारक है तो इसका इस्तेमाल क्यों करना? ऐसे में अगर आप भी अब तक पानी के लिए प्लास्टिक बॉटल्स का इस्तेमाल कर रहे थे तो वक्त आ गया है कि आप अपनी इस आदत को आज ही बदल दें। हम आपको बता रहे हैं बॉटल्स के उन विकल्पों के बारे में जिन्हें आप प्लास्टिक की जगह यूज कर सकते हैं। 

मिट्टी की बॉटल्स

जी हां, पहले जहां सिर्फ मिट्टी की सुराही, मटका या मिट्टी का घड़ा मिलता था वहीं, अब बॉटल के शेप में भी मिट्टी के बर्तन बिक रहे हैं और यह पूरी तरह से इको फ्रेंडली ऑप्शन है। मिट्टी पूरी तरह से प्रकृति की देन है और मिट्टी के बर्तन में पानी ठंडा भी रहता है यानी पानी को फ्रिज में रखने का झंझट भी खत्म। प्राकृतिक रुप से ठंडा रहता है। मिट्टी के बर्तन में रखना पानी पीने के कई फायदे भी हैं। मिट्टी, पानी की अशुद्धियों को दूर कर शरीर में मौजूद टॉक्सिन्स को भी बाहर निकालने में मदद करती है। साथ ही साथ मिट्टी के बर्तन या बॉटल में रखा पानी पाचन क्रिया को बेहतर बनाता है, पेट की समस्याएं जैसे- गैस, ऐसिडिटी, कब्ज से छुटकारा दिलाता है और सर्दी-खांसी जुकाम से भी बचाता है। 

कॉपर बॉटल्स

आजकल कॉपर बॉटल यानी तांबे की बोतल खरीदने का ट्रेंड बढ़ गया है। ऐसा तांबे के बर्तन का पानी पीने से शरीर को होने वाले कई तरह के लाभ के कारण है। माना जाता है कि तांबे के बर्तन का पानी पिया जाए तो उससे पाचन सही रखने, बीपी कंट्रोल करने, त्वचा को जवां बनाए रखने, इंफेक्शन से लडऩे में मदद मिलने जैसे कई लाभ होते हैं। साथ ही साथ तांबे के बर्तन का पानी डायरिया, पीलिया, डिसेंट्री और अन्य प्रकार की बीमारियों को पैदा करने वाले बैक्टीरिया को खत्म कर देता है। रोजाना इसका उपयोग करने से पेट दर्द, गैस, ऐसिडिटी और कब्ज जैसी परेशानियों से निजात मिल सकती है। यह लीवर और किडनी को स्वस्थ रखता है। हालांकि सबसे महत्वपूर्ण यह है कि आप असली तांबे की ही बोतल या जार खरीदें। 

स्टील की बॉटल करें यूज

इन दिनों मार्केट में स्टेनलेस स्टील की बॉटल्स भी काफी देखने को मिल रही है। इन बॉटल्स को इस तरह से बनाया जाता है कि इसमें पानी या किसी भी लिक्विड को डालने में किसी तरह की स्मेल या मेटल का टेस्ट भी नहीं आता और ये पूरी तरह से सेफ भी होती हैं। साथ ही साथ स्टील की खासियत ये है कि इसमें अगर ठंडा पानी रखा जाए तो वह लंबे समय तक ठंडा रहेगा और अगर गर्म पानी रखा जाए तो वह काफी देर तक गर्म भी रहेगा। 

कांच की बॉटल

कांच भी प्लास्टिक की जगह यूज किया जाने वाला बेहतरीन विकल्प है लेकिन इसकी सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि इसे कैरी करते वक्त काफी सावधानी बरतने की जरूरत है। कांच की बॉटल को घर में तो आप आसानी से यूज कर सकते हैं लेकिन घर के बाहर डेली यूज में इनके टूटने का खतरा रहता है। कांच की बॉटल में पानी या कोई भी लिक्विड अपने ओरिजिनल टेस्ट में रहता है और उसमें किसी तरह के केमिकल की मिलावट नहीं हो पाती। 

सेरेमिक बॉटल्स या कप

कांच की ही तरह सेरेमिक बॉटल्स को कैरी करते वक्त भी सावधानी बरतने की जरूरत होती है क्योंकि इनके टूटने का खतरा अधिक रहता है। लिहाजा आप चाहें तो घर पर या ऑफिस में सेरेमिक बॉटल की जगह सेरेमिक कॉफी मग अपने साथ रखें और उसी में पानी पिएं। ये भी प्लास्टिक की जगह यूज करने का एक अच्छा इको फ्रेंडली ऑप्शन है।

 
यदि आपको है गले की खराश तो खाइए चॉकलेट जल्द मिलेगा राहत

यदि आपको है गले की खराश तो खाइए चॉकलेट जल्द मिलेगा राहत

अगर आपको चॉकलेट पसंद हैं तो अब आपके पास उसे खाने का एक बेहतरीन बहाना है। वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि चॉकलेट लगातार हो रही खांसी के लिए अच्छा इलाज है।
द डेली टेलीग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार, ब्रिटेन की दवा बनाने वाली कंपनी एसईईके ने ‘कोका’ में एक ऐसा प्राकृतिक तत्व खोजा है जो गले में होने वाले खराश के कारणों को दूर कर सकता है।

फिलवक्त खराशों को नियंत्रित करने वाली दवाओं (कफ सिरप) में कोडिन नामक नशे का प्रयोग होता है।

वैज्ञानिक ‘थियोब्रोमिन’ पर आधारित दवा बनाने में जुटे हुए हैं। इसके बारे में उनका कहना है कि इसमें लगातार खांसी उत्पन्न करने वाली वैगस तंत्रिकाओं में हो रही परेशानियों को दूर करने की क्षमता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि थियोब्रोमिन कोका से बने उत्पादों में काफी मात्रा में पाया जाता है।

प्रोफेसर एलेन मॉरिस का कहना है, 'फिलहाल बाजार में उपलब्ध नशा आधारित दवाओं जैसे कोडिन के नुकसान को देखते हुए हमें एक नशारहित दवा की सख्त जरूरत है, जिससे रोगियों में जल्दी सुधार हो सके।

उन्होंने कहा, 'वैसे तो सैद्धांतिक रूप से यह तय हो चुका है कि एक डार्क चॉकलेट में काफी मात्रा में थियोब्रोमिन मिलता है मगर शोध में अभी भी इसकी सही खुराक तय होना बाकी है।

 

दूध में तुलसी डालकर पीने से होंगे ये 5 लाभ, जरूर जानें

दूध में तुलसी डालकर पीने से होंगे ये 5 लाभ, जरूर जानें

दूध पोषण के लिहाज से अमृत के समान है और तुलसी को औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है जो आपकी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाकर कई रोगों से आपकी रक्षा करती है। इन दोनों का मिश्रण कर लिया जाएं, तो पोषण के साथ-साथ सेहत और उससे जुड़े कई फायदे पाए जा सकते हैं। अब जब भी आप दूध पिएं, उसमें तुलसी की पत्तिकयां डालें और पाएं यह 5 फायदे -

1 दमा के मरीजों के लिए यह उपाय फायदेमंद है। खास तौर से मौसम में बदलाव होने पर होने वाली सांस संबंधी समस्याओं से बचने के लिए दूध और तुलसी का यह मिश्रण बेहद लाभकारी होता है।

2 सि‍र में दर्द या माइग्रेन की समस्या होने पर यह उपाय आपको राहत देगा। जब भी माइग्रेन का दर्द हो आप इसे पी सकते हैं, रोजाना इसका सेवन करने से आपकी समस्या भी खत्म हो सकती है।

3 तनाव अगर आपके जीवन का भी अभिन्न अंग बन गया है, तो दूध में तुलसी के पत्तों को उबालकर पिएं, आपका तनाव दूर होगा और धीरे-धीरे तनाव की समस्या ही समाप्त हो जाएगी।

4 हृदय की समस्याओं में भी यह लाभदायक है। सुबह खाली पेट इस दूध को पीने से हृदय संबंधी रोगों में लाभ पाया जा सकता है। इसके अलावा यह किडनी में होने वाली पथरी के लिए भी अच्छा उपचार है।

5 तुलसी में कैंसर कोशिकाओं से लड़ने का गुण होता है, अत: इसका सेवन आपको कैंसर से बचा सकता है। इसके अलावा सर्दी के कारण होने वाली सेहत समस्याओं में भी यह कारगर उपाय साबित होगा।

 

जैन युवा मोर्चा और श्री धनवंतरी जवाइन्ट रिपेलशमेंट एंड कैंसर रिसर्च सेंटर के सयुक्त तत्वावधान में निःशुल्क कैन्सर परामर्श शिविर 4 फरवरी को रायपुर में

जैन युवा मोर्चा और श्री धनवंतरी जवाइन्ट रिपेलशमेंट एंड कैंसर रिसर्च सेंटर के सयुक्त तत्वावधान में निःशुल्क कैन्सर परामर्श शिविर 4 फरवरी को रायपुर में

रायपुर,वर्ल्ड रिकॉर्ड होल्डलर संस्था जैन युवा मोर्चा और श्री धनवंतरी जवाइन्ट रिपेलशमेंट एंड कैंसर रिसर्च सेंटर रायपुर (छ.ग) के सयुक्त तत्वावधान में अपने धार्मिक सेवा,सदभावना एवम सहयोग में एक कदम आगे बढ़ाते हुए हर वर्ष तरह इस वर्ष विश्व कैंसर दिवस (04फ़रवरी) के उपलक्ष्य में निःशुल्क कैंसर परामर्श शिविर का आयोजन किया जा रहा है ।
प्रदेश के विख्यात कैंसर विशेषज्ञ डॉ जसवंत जैन (MS, MCH, गोल्ड मेडलिस्ट) FAMS ,पूर्व विशेषज्ञ टाटा मेमोरियल कैंसर हॉस्पिटल मुंबई ,एम्स रायपुर), डॉ राहुल गोयल (MD कैन्सर पेन स्पेस्लिस्ट) उपस्थित होंगे ।
इम्पोर्टट मशीनो के द्वारा सभी तरह की जाँच व गरीब तबकों के मरीजों के लिए 50% राशी की छूट दी जाएगी । डॉ जैन साहब व संस्था के द्धारा चयनित कैन्सर पीड़ित का 50% छूट राशि मे सम्पूर्ण ईलाज किया जाएगा। शिविर में मुख्य रूप से विशेषज्ञय डॉक्टरो की पूरी टीम उपस्थित होगी।
दिनांक - 04/02/19 मंगलवार
समय -दोपहर :- 02.00 बजे से 4.00 बजे तक
स्थान -श्री धनवंतरी जवाइन्ट रिप्लेसमेंट एण्ड कैन्सर रिसर्च सेंटर , हनुमान मंदिर के पास तात्यापारा चौक जी. ई रोड़ रायपुर

उपरोक्त कार्यक्रम की जानकारी लोकेश चन्द्रकांत जैन (अध्यक्ष),राजेंद्र पारख (सचिव),मयूर बैद (कोषाध्यक्ष) जी ने दी .

 

अच्छी नींद के साथ तेज दिमाग देगा गुलाब का फूल, स्ट्रेस भी कर देगा गुल

अच्छी नींद के साथ तेज दिमाग देगा गुलाब का फूल, स्ट्रेस भी कर देगा गुल

प्यार का इजहार करने के लिए अक्सर एक दूसरे को गुलाब दिया जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं एक गुलाब के फूल की खुशबू आपकी नींद और दिमाग के लिए वरदान साबित हो सकती है. हालही में गुलाब पर हुई एक रिसर्च में यह बात सामने आई है कि गुलाब की खुशबू नींद की गुणवत्ता में सुधार ला सकती है.
एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले दिनों गुलाब की खूशबू के फायदों के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए एक अध्ययन किया गया है. यह अध्ययन स्टूडेंट्स पर किया गया.
दो हिस्सों में बांटे गए स्टूडेंट्स
गुलाब की खुशबू के फायदे पता लगाने के लिए अध्ययन में स्टूडेंट्स को दो हिस्सों में बांटा गया. जिनमें से स्टूडेंट्स के एक ग्रुप को गुलाब की खुशबू के साथ रखा गया, जबकि दूसरे ग्रुप को बिना गुलाब के रहने के लिए कहा गया. शोधकर्ताओं ने कहा, हमने देखा कि गुलाब की सुगंध का सहायक प्रभाव रोजमर्रा की जिंदगी में बहुत मजबूती से काम करता है और इसे लक्षित तरीके से इस्तेमाल किया जा सकता है.
शोधकर्ताओं ने कहा कि परीक्षा समूह के प्रतिभागियों को अंग्रेजी शब्दावली सीखने के दौरान घर पर अपने डेस्क पर गुलाब या सुगंधित अगरबत्ती लगाने के लिए कहा. इन्हीं छात्रों को रात में बिस्तर पर सोने से पहले साइड टेबल पर गुलाब या सुगंधित अगरबत्ती लगाने के भी कहा गया. वहीं, स्टूडेंट्स का दूसरा ग्रुप सामान्य तौर पर ही रोजमर्रा के काम करता रहा.
परिणामों की तुलना परीक्षण परिणामों से की गई, जिसमें स्टूडेंट्स से एक या उससे ज्यादा बार गुलाब या उगरबत्ती लगाने के लिए नहीं कहा गया है. जर्मनी स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ फ्रीबर्ग के शोध प्रमुख जुर्गन कोर्नमीयर ने कहा, जब सोने और सीखने के लिए पास में गुलाब या अगरबत्ती का प्रयोग किया गया, तब विद्यार्थियों ने 30 प्रतिशत के साथ पढ़ाई में सफलता दिखाई.
दिमाग भी होता है तेज
स्टूडेंट्स पर किए गए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि गुलाब की खुशबू से नींद अच्छी आती है और पढऩे, याद करने की क्षमता में भी सुधार आता है.
 

खांसी को पल में खत्म करेगा उबला हुआ संतरा, ऐसे करें इस्तेमाल

खांसी को पल में खत्म करेगा उबला हुआ संतरा, ऐसे करें इस्तेमाल

सर्दियों के मौसम सर्दी की खांसी एक ऐसी समस्या है, जो बड़े से लेकर बच्चों तक को परेशान करती है. सर्दी से गले की खराश, छाती में जलन और दर्द, गले में दर्द, कफ समेत कई ऐसी समस्या होती है जिससे सेहत को काफी नुकसान होता है. कई बार अधिक सर्दी होने से कारण चिड़चिड़ापन, बैचेनी जैसी समस्या भी हो सकती है.
सर्दियों में कभी-कभार खांसी होना एक आम समस्या है, लेकिन लगातार खांसी के बने रहने से स्वास्थ्य को कई प्रकार के नुकसान हो सकते हैं. खांसी के कई तरह की दवा, कफ सिरप और इंजेक्शन लिए जाते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस खांसी को आप सिर्फ और सिर्फ एक ही दिन में छूमंतर कर सकते हैं.
जी हां, एक संतरे के इस्तेमाल से खांसी को पल में दूर भगाया जा सकता है. संतरे में पर्याप्त मात्रा में विटामिन सी पाया जाता है. संतरे में पेक्टिन नामक एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है, जो शरीर में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करता है. तो आइए आज जानते हैं इस मौसम में कैसे संतरे से खांसी को कुछ ही पलों में भगाया जा सकता है.
खांसी में ऐसे करें संतरे का इस्तेमाल
- एक कटोरी में थोड़ा सा पानी और नमक लेकर इसे अच्छे से मिलाएं.- अब इस पानी में एक संतरे को लगभग आधे घंटे के लिए भिगोकर छोड़ दें.
- इसके बाद संतरे को पानी से निकाले और ऊपर के एक हिस्से को टोपी की तरह काट लें.
- इसके बाद संतरे के ऊपरी हिस्से (गूदे यानी पल्प वाले हिस्से में) में कई सारे छेद करें.
- अब इस छेद में थोड़ा सा नमक डालकर संतरे को काटे हुए हिस्से से ढककर स्टीम कीजिए.
- संतरे को 10 से 20 मिनट तक स्टीम कीजिए, इसके बाद इसे गर्मा-गर्म खाएं.
खांसी में कैसे है फायदेमंद?
संतरे को ज्यादा तापमान पर पकाने से विटामिन सी की मात्रा कम हो जाती है और संतरे में मौजूद एल्बिडो के मौजूद तत्व खांसी को ठीक करने में मदद करते हैं. इस तरह से संतरा पकाने से बायोफ्लैवोनॉइड छिलके से पल्प में घुल जाते हैं और खांसी पैदा करने वाले बैक्टीरिया को खत्म करते हैं.
 

इस सब्जी के अधिक सेवन से हो सकती है एसिडिटी की समस्या, जानिए 5 नुकसान

इस सब्जी के अधिक सेवन से हो सकती है एसिडिटी की समस्या, जानिए 5 नुकसान

माटर के महंगे होने का अगर आपको भी दुख है, तो इसके इन नुकसानों को जरूर जान लीजिए...इन्हें जानने के बाद आपको टमाटर के महंगे होने का जरा भी दुख नहीं होगा और आप तौबा कर लेंगे इन महंगे टमाटरों से। जानें 5 नुकसान –

1 टमाटर का सेवन आपको एसिडिटी दे सकता है। दरअसल इसमें काफी अधिक मात्रा में अम्ल होता है जिससे इसका सेवन करने पर आपके पेट में अम्लीयता बढ़ती है और यह एसिडिटी का कारण बनती है।
2 टमाटर के साथ-साथ आप इसके बीजों को शरीर में जाने से नहीं रोक सकते, लेकिन इन बीजों के आपके शरीर में जाने से आप पथरी के मरीज हो सकते हैं, क्योंकि ये आसानी से किडनी में पहुंचकर पथरी यानि स्टोन का निर्माण करते हैं।
3 टमाटर में मौजूद टरपीन्स नामक तत्व आपकी शारीरिक दुर्गन्ध का कारण बन सकता है। पाचन के दौरान इसका विघटन, शरीर की दुर्गन्ध पैदा करता है।
4 अगर आपको अक्सर पेट में गैस की समस्या होती है, तो टमाटर का सेवन कम करना ही आपके लिए फायदेमंद होगा, क्योंकि यह पेट में गैस पैदा कर सकता है।
5 आजकल ऑर्गेनिक टमाटरों के बजाए इंजेक्शन या केमिकल का इस्तेमाल कर पकाए गए टमाटर बाजारों में उपलब्ध होते हैं, जो आपके लिए बेचैनी, ब्लडप्रेशर और अन्य सेहत समस्याएं दे सकता है
 
कोरोना वायरस से डरे नहीं लडऩे के लिये रहें तैयार, जानिए कोरोना वायरस से लड़ने के उपाय

कोरोना वायरस से डरे नहीं लडऩे के लिये रहें तैयार, जानिए कोरोना वायरस से लड़ने के उपाय

रायपुर । कोरोना वायरसों से होने वाला फ्लू कोई नयी बीमारी नहीं है। यह एक सामान्य प्रकार के फ्लू के लक्षणों के समान लक्षण वाला फ्लू है आयुर्वेद में इसे प्रतिष्याय कहते हैं। कोरोना वायरस कई वायरस प्रकारों का समूह है, इनमें से अधिकांष वायरस घातक नहीं होते यह स्तनधारियों और पक्षियों में भी रोग के कारक होते हैं। मनुश्य में यह श्वसन तंत्र में संक्रमण करता है, यह वायरस चीन के वुहान शहर से फैलना शुरू हुआ है। ऐसे असंख्य वायरस वातावरण में मौजूद है, जिनके बारे में वैज्ञानिकों को कुछ भी मालूम नहीं है। फलस्वरूप ऐसे विशाणुओं एवं जीवाणुओं के संक्रमण से बचाव तथा इनसे ग्रसित रोगियों की चिकित्सा के लिये नये-नये वैक्सीन एवं औशधियों का ईजाद करना लगभग असंभव ही है। प्रकृति में असंख्य वायरस एवं बैक्टीरिया मानव उत्पत्ति के पूर्व से ही विद्यमान है, तथा इन्हें कभी नश्ट किया ही नहीं जा सकता। प्रकृति ने इन वायरस के बीच ही मनुश्यों को स्वस्थ बने रहने के लिये उच्च रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रदान किया है, जिसे स्वयं मनुश्य ने ही अपनी दूशित आहार विधि तथा अनियमित जीवन षैली से षनै: षनै: कम करते आ रहे है।

आयुर्वेद चिकित्सा विज्ञान फ्लू (प्रतिष्याय) का कारण वात एवं ष्लेश्मा (कफ) को मानता है।
लक्षण - जुकाम, बुखार, खांसी, गले में खराश, सिर में तेज दर्द, थकावट, ष्वास लेने में तकलीफ, निमोनिया, बा्रान्काईटिस आदि लक्षण लगभग सभी फ्लू (प्रतिष्याय) के रोगियों में मिलता है। कोरोना वायरस के संक्रमण मे भी यही लक्षण मिलतें है। वातावरण का तापमान कम होने पर विषाणुओं एवं जीवाणुओं की संख्या में वृद्धि होती है, अत: प्राय: तापमान कम होने वाले ऋतुओं (शीत एवं वर्षा ऋतु) में ये कम प्रतिरोधक क्षमता वाले मनुष्यों को प्रभावित करते है। कोरोना वायरस के संक्रमण से घबराएं नहीं बल्कि अपने रोग प्रतिरोधक क्षमता को इससे बचाव के योग्य बनायें इसके लिये निम्न उपाय करें:-
बचाव के उपाय:-
1. उबालकर ठंडा किया हुआ पानी अधिक से अधिक पीयें।
2. खुले एवं साफ हवा में रहें।
3. पर्याप्त नींद ले।
4. शुद्ध शाकाहारी भोजन करें।
5. नियमित प्राणायाम करें।
6. सूर्य की रोशनी ले एवं घरों में भी पर्याप्त सूर्य प्रकाश आने दें।
7. फ्लू के रोगियों से दूर रहें।
8. अनजान कुत्तों, बिल्लियों से दूर रहें।
9. भीड़ से यथासंभव बचें।
10. हाथों को बारबार साबुन से धोंये तथा मुंह, नाक आदि को छूने से पहले हाथ अवश्य धोंये।
कोरोना का उपाय - हर्बल चाय
लौंग, इलायची, सोंठ, हल्दी, दालचीनी, गिलोय, तुलसी, कालीमिर्च, पिप्पली एवं पुष्करमूल को बराबर मात्रा में लेकर कूट कर चूर्ण बनालें। इस चूर्ण की 2 ग्राम की मात्रा एक कप चाय में डालकर अच्छी तरह उबालकर सुबह शाम पीयें।
रोग निवारण के लिये:-
उपरोक्त बचाव के सभी उपायों के साथ निम्न औशधियों का चिकित्सकीय सलाह से सेवन करें:-
1. चिरायता, गुडूची, अनंतमूल, सोंठ, हल्दी, कालमेघ, वासा, तुलसी का क्वाथ पीयें।
2. नीलगीरी तेल का भाप लें। अणुतैल का नस्य (सफेद चंदन, तेजपत्र, दालचीनी, मुलेठी, ईलायची, विडंग तेल, खस, षतावरी)।
3. सितोपलादि चूर्ण, त्रिकटू चूर्ण, लक्ष्मीविलास रस, रससिन्दूर, गोदन्ती, श्रृंग भस्म आदि का आवष्यकतानुसार सेवन करें।
4. भीमसेनी कर्पूर (चायनीज कैंफर) को रूमाल में लपेटकर बार-बार सूंघे।
अगर आप भी अपने बालो में ऐसे करते हैं कंघा तो जरूर होगा हेयर फॉल, हो जाये सावधान

अगर आप भी अपने बालो में ऐसे करते हैं कंघा तो जरूर होगा हेयर फॉल, हो जाये सावधान

स्मूद बाल किसे पसंद नहीं होते। अगर आप ट्रैवल करते हैं या तेज हवा में रहते हैं तो उलझे बालों का स्ट्रगल अच्छी तरह समझ सकते हैं। इन बालों को सुलझाना सबसे बड़ा टास्क है। अगर आप बाल गलत तरीके से सुलझाते हैं इनसे आपके बाल टूट सकते हैं और कमजोर हो सकते हैं। अगर आपको कंघा करने के बाद फर्श पर बाल फैले दिखते हैं तो शायद आप ये गलतियां कर रहे हैं। 
गलत कंघे का इस्तेमाल
छोटे दांतों वाले कंघे बाल सुलझाने के लिए नहीं होते। बल्कि इनसे कमजोर बाल टूट सकते हैं। बाल सुलझाने के लिए हमेशा चौड़े दांत का कंघा इस्तेमाल या पैडल ब्रश का इस्तेमाल करें। 
आप जड़ों से बाल सुलझा रहे हैं 
अगर आपके बाल उलझे हैं तो जड़ों से बाल सुलझाना शुरू न करें। हमेशा एंड से बाल सुलझाएं। इस तरह से जब आप जड़ों तक पहुंचेंगे तो आपके बालों की गांठें सुलझ जाएंगी इससे कंघा करने में आसानी होगी। इससे बाल खिंचेंगे नहीं और जड़ों पर प्रेशर नहीं पड़ेगा।
बालों की सेक्शनिंग न करना 
अगर आपके बाल लंबे और घने हैं तो बेहतर होगा कि इन्हें छोटे सेक्शंस में डिवाइड करें। इससे न सिर्फ सारा प्रॉसेस आसान हो जाएगा बल्कि बाल सुलझ भी जाएंगे। हालांकि ऐसा करने में हड़बड़ी न दिखाएं। अगर जरूरत लगे तो बाल गीले कर लें फिर ऐसा करें। 
बाल सुलझाने के लिए सीरम का इस्तेमाल न करना 
अगर उलझे बाल आपकी प्रॉब्लम बन गए हैं तो सीरम का इस्तेमाल जरूर करें। इससे बाल मुलायम होते हैं और गांठें आासनी से खुल जाती हैं। साथ में यह भी ध्यान रखें कि अगर एक बार आपके बाल सुलझ गए हैं तो बालों में तेल लगाना शुरू करें। सुलझने के बाद बालों की नमी कम हो जाती है, जरूरी है कि इन्हें हाइड्रेट रखा जाए।
वेट मशीन पर अपना वजन करते वक्त इन जरूरी बातों का रखें ध्यान

वेट मशीन पर अपना वजन करते वक्त इन जरूरी बातों का रखें ध्यान

वेट लॉस करना आसान नहीं है। इसके लिए आपको कड़ी मेहनत और डेडिकेशन की जरूरत होती है। जब बात डायट की आती है तो खुद पर कंट्रोल रखना होता है, एक्सर्साइज करनी होती है। और ये सारी मेहनत करने के बाद जब आप वेट मशीन पर अपना वजन करें और आपको उसमें अंतर नजर आए तो कितनी खुशी होती है ना। लेकिन हम आपको बता रहे हैं कि आखिर अपना वजन नापते वक्त आपको किन बातों का ध्यान रखना चाहिए...

3 जरूरी बातों का रखें ध्यान

वेट मशीन पर अपना वजन लेना आसान नहीं है। अलग-अलग तरह के स्केल्स और मशीन बाजार में उपलब्ध है लिहाजा आपके लिए कौन सी मशीन सही है, दिन का कौन सा समय वजन देखने के लिए सबसे सही माना जाता है...इस तरह की कई बातें हैं जिनका आपको ध्यान रखना चाहिए। लिहाजा मशीन पर अपना वेट देखते वक्त इन 3 बातों का ध्यान जरूर रखें।

अपने वेट का रेकॉर्ड मेनटेन करें

वेट स्केल पर अगर वजन में जरा सी भी कमी नजर आए तो वो किसी अचीवमेंट से कम नहीं लगता लेकिन इन बदलावों पर लगातार नजर रखना जरूरी है और इसके लिए आप चाहें तो एक जर्नल मेनटेन कर सकते हैं या फिर ऐप का इस्तेमाल करें या फिर हर बार जब आप वेट मशीन पर चढ़ें और अपना वजन देखें तो उसे कहीं नोट कर लें। ऐसा करने से आपके वेट लॉस प्रोसेस में एकरूपता बनी रहेगी और आप सही दिसा में आगे बढ़ रहे हैं या नहीं ये भी पता चल जाएगा।

वेट चेक करने के लिए सुबह का वक्त है सही

दिन खत्म होते वक्त अपना वजन चेक करने की बजाए सुबह उठते के साथ सबसे पहले अपना वजन चेक करें। ऐसा इसलिए क्योंकि सुबह उठते के साथ आपका शरीर फ्रेश रहता है, रात भर की नींद के बाद शरीर आराम में रहता है, खाने को पचाने के लिए शरीर को पूरा समय मिलता है। ऐसे में अगर आप सुबह उठते के साथ सबसे पहले अपना वेट चेक करें तो आपको ऐक्युरेट और एकदम सही रीडिंग मिलने के चांस बढ़ जाते हैं।

कितनी बार वेट चेक करना चाहिए?

अगर आप वेट लॉस की प्रक्रिया से गुजर रहे हैं तो आपके लिए बेहद जरूरी है कि आप नियमित रूप से अपना वेट चेक करें। लेकिन आखिर हफ्ते या महीने में कितनी बार वेट चेक करना चाहिए, ये कैसे पता चलेगा। तो इसका जवाब ये है कि हफ्ते में 1 बार अपना वजन चेक करें। अलग-अलग फैक्टर्स की वजह से हर दिन आपका वजन ऊपर-नीचे हो सकता है। लिहाजा हफ्ते में एक बार वेट चेक करना काफी है।

स्किन और आंखों की समस्या का रामबाण इलाज है इस फल का जूस, जानिए खास फायदे

स्किन और आंखों की समस्या का रामबाण इलाज है इस फल का जूस, जानिए खास फायदे

र्दियों का मौसम यानि की सब्जियों का मौसम. सर्दियों में सब्जियों के हमारे पास कई सारे ऑप्शन होते हैं, लेकिन जब बात आती है अच्छी सेहत कि तो दिमाग में हमेशा खाने की ही चीजें चलती हैं. अब जरा सोचिए कि क्या सिर्फ खाने से ही सेहत अच्छी बनेगी ? जी नहीं खाने के साथ हमें अपनी लिक्विड डायट का भी पूरा ध्यान रखना होगा है तभी तो दिल, दिमाग, आंखें और सेहत सब कुछ एकदम फिट रहेगा.

इसलिए आज हम आपको बताने वाले हैं गाजर के जूस के हेल्थ बेनिफिट्स के बारे में. गाजर एक ऐसी सब्जी है, जो सर्दियों के मौसम में बाजारों में खूब मिलती है. गाजर आंखों के लिए बहुत अच्छा माना जाता है. साथ ही इसमें कैलोरी बहुत कम होती है, इसलिए जो लोग डायटिंग, वजन कम करने के बारे में सोच रहे हैं वो भी इसका सेवन बिना झिझक के कर सकते हैं. गाजर का जूस न सिर्फ सेहत के लिए बहुत अच्छा माना जाता है, बल्कि ये कई बीमारियों का रामबाण इलाज भी है. तो चलिए जानते हैं गाजर के जूस के फायदे.
आंखों और स्किन की समस्या को करेगा दूर
गाजर में प्रचूर मात्रा में विटामिन ए पाया जाता है. रोजाना 1 गिलास गाजर का जूस पीने से स्किन और आंखों की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है. हेल्थसाइट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, रोजाना 1 गिलास गाजर का जूस पीने से मेटाबॉलिज्म में सुधार आता है. साथ ही यह फाइन लाइन्स, स्किन एजिंग, झुर्रियों को भी कम करने में मददगार साबित होता है.
पित्त स्राव को बढ़ाने में मददगार
कुछ अध्ययनों में यह बात सामने आई है कि गाजर का जूस पीने से पित्त स्राव बढ़ता है. पित्त फैट को खत्म करने के लिए जिम्मेदार माना जाता है.
स्ट्रेस को करता है कम
गाजर का जूस में बीटा कैरोटीन में भरपूर मात्रा होता है, एक अध्ययन ने यह साबित किया है, बीटा-कैरोटीन ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करने में मददगार साबित होते हैं. साथ ही यह ग्लूटाथियोन मेटाबॉलिज्म में सुधार करता है.
 
ये घरेलू उबटन बनाएगा स्किन को पिंपल्स फ्री, मुंहासे भी होंगे गायब!

ये घरेलू उबटन बनाएगा स्किन को पिंपल्स फ्री, मुंहासे भी होंगे गायब!

स्किन को खूबसूरत बनाने के लिए मार्केट में कई तरह के प्रोडक्ट्स मौजूद हैं. ये प्रोडक्ट्स स्किन को ग्लोइंग बनाने, खूबसूरत दिखाने और दाग-धब्बे हटाने के कई सारे दावे करते हैं, लेकिन इन प्रोडक्ट्स को खरीदने में जेब पर अच्छा खासा वजन पड़ता है. कई बार तो स्किन के लिए पॉकेट से समझौता किया जा सकता है. पर हर बार ऐसा हो जरूरी नहीं है.

क्या आप जानते हैं की इन प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करने के बजाय आप किचन में इस्तेमाल होने वाली दो चीजों को मिलाकर उबटन बना सकते हैं और स्किन को सुंदर, जवां, फूलों सा खूबसूरत बना सकते हैं. इस घरेलु उबटन के लिए आपको हल्दी और चावल की आवश्यकता होगी.

कैसे बनाएं चावल- हल्दी का उबटन

हल्दी का पाउडर - 2 चम्मच

चावल का आटा - 2 चम्मच

टमाटर का जूस - 1 चम्मच

कच्चा दूध - 2 चम्मच

इन सभी चीजों को मिलाकर एक पेस्ट बनाइए. इस पेस्ट को बनाते वक्त ध्यान रहे कि किसी तरह का बुलबुला न पाए. साथ ही सभी चीजें अच्छे से मिक्स हो जाएं.

गुनगुने पानी से धोएं चेहरा

जब पेस्ट तैयार हो जाए तो इस उबटन को चेहरे पर लगाइए. 30 मिनट के बाग इस उबटन को हल्के गुनगुने पानी से धो लीजिए. सप्ताह में दो या तीन बार इस उबटन का इस्तेमाल करने से पिंपल्स और मुंहासों की समस्या से छुटकारा मिल सकता है.

कैसे फायदेमंद है ये उबटन

चावल और हल्दी का ये उबटन त्वचा के लिए वरदान साबित हो सकता है. ये उबटन चेहरे पर लगाने से फोड़े फुंसी की समस्या हो सकती है. आयुर्वेद के अनुसार, चेहरे पर रेगुलर बेसिस पर हल्दी लगाने से झुर्रियों से छुटकारा मिलता है. हल्दी लगाने चेहरे पर ग्लो आता है.

 

डिलीवरी के बाद बढ़े वजन को कम करेंगे ये 5 योगासन, कई और परेशानियां होंगी कम

डिलीवरी के बाद बढ़े वजन को कम करेंगे ये 5 योगासन, कई और परेशानियां होंगी कम

हिलाओं के जीवन में मां बनने के बाद काफी कुछ बदलाव आता है. यह बदलाव शारीरिक और मानसिक दोनों रूप में होते हैं. प्रेग्नेंसी की परेशानियों से बाहर निकलने के बाद नवजात की तरह मां की देखभाल की भी जरूरत होती है. डिलीवरी के बाद महिलाओं में मॉर्निंग सिकनेस, कमर के आसपास दर्द होना और गर्भावस्था के दौरान वजन का बढऩा जैसी समस्याएं नजर आने लगती हैं. इन समस्याओं से निपटने के लिए पोषण युक्त आहार के साथ-साथ कुछ योगासन की भी जरूरत होती है. आइए आपको बताते हैं इन योगासनों के बारे में जिकी मदद से डिलीवरी के बाद महिलाएं अपना वजन कम कर सकती हैं.

पश्चिमोत्तासन आपके कमर की चर्बी को कम करने में मदद करेगा. इस आसन के नियमित अभ्यास से शरीर की अतिरिक्त चर्बी भी गलती है और शरीर में रक्तप्रवाह का सुधार होता है. पश्चिमोत्तासन वजन कम करने में भी मदद करता है.
हलासन
हलासन एक बेहतरीन योगाभ्यास है. इस आसन का अभ्यास करना थोड़ा मुश्किल तो है लेकिन बहुत ही लाभकारी है. हलासन का अभ्यास कमर, हिप्स और पेल्विक एरिया के लिए बहुत ही अच्छा होता है. यह योगासन शरीर को लचीला बनाने के साथ-साथ वजन भी कम करता है. इसके अभ्यास से त्वचा में भी निखार आता है.
भुजंगासन
भुजंगासन का अभ्यास पेट को मजबूत बनाता है. इस आसन को करने के लिए पहले पेट के बल लेट जाएं और अपनी हथेलियों को अपने कंधे की सीध में लेकर जाएं. इस दौरान अपने दोनों पैरों के बीच की दूरी को कम करें. साथ ही पैर को सीधा तथा तना हुआ रखें. अब सांस भरते हुए शरीर के अगले हिस्से को नाभि तक उठाएं.
अनुलोम-विलोम
डिलीवरी के बाद अनुलोम-विलोम प्राणायाम आपके मन-मस्तिष्क के स्वास्थ्य में सुधार करता है. यह आपकी मनोदशा में सकारात्मक परिवर्तन लाता है. साथ ही यह श्वसन तंत्र को सुदृढ़ करता है.
वीरभद्रासन
यह मुद्रा आपकी पीठ को खींचती है और आपकी जांघों, नितंब और पेट को टोन करती है. यह आपके मध्य भाग से वसा को जलाने में मदद करेगा. इसे करने के लिए सीधे तनकर खड़े हो जाएं. अब अपने दाएं पैर को 2 से 4 फीट तक आगे ले जाएं. दाएं घुटने को हल्का-सा मोड़ दें और इस बात का ध्यान रखें कि बायां पैर सीधा हो तथा उसका तलवा जमीन के साथ लगा हो. गहरी सांस लेते हुए दोनों हाथों को ऊपर करें. कंधों को आरामदायक स्थिति में रहने दें और दोनों कानों को अपने कंधे के पास न आने दें. फिर सांस धीरे-धीरे छोड़ते हुए पूर्वावस्था में आ जाएं. इस प्रकिया को बाएं पैर से भी दोहराएं.
अगर आपके कान में दर्द हो रहा हो , तो तुरंत राहत देंगे ये घरेलू नुस्खे

अगर आपके कान में दर्द हो रहा हो , तो तुरंत राहत देंगे ये घरेलू नुस्खे

मारी लाइफ में हेल्थ से जुड़ी कुछ समस्याएं ऐसी होती हैं, जो कभी भी और कहीं भी बिना किसी शुरुआती लक्षण के अचानक हमें घेर लेती हैं। ऐसी ही एक समस्या है, कान का दर्द। यह दर्द अगर बढ़ जाए तो असहनीय पीड़ा में बदल जाता है। अगर आप कभी भी ऐसी किसी स्थिति में फंसे तो कुछ आसान घरेलू टिप्स अपनाकर तकलीफ को कम कर सकते हैं... 
सबसे पहले जानें यह बातआमतौर पर हम सभी घर में कुछ पेन किलर्स रखते हैं। हम आपसे कहना चाहेंगे कि ये पेनकिलर्स बिना किसी डॉक्टर की सलाह के मेडिकल स्टोर से ऐसे ही ना खरीदें। ऐसा करना हार्मफुल हो सकता है। इसलिए कान दर्द में भी अगर कोई पेन किलर ले रहे हैं तो डॉक्टर से फोन पर ही सही सलाह जरूर कर लें।
मसाज से भी फायदा 
अगर घर में कोई ईयर ड्रॉप है तो सबसे ज्यादा अच्छी बात है। अगर नहीं है तो आप कान के आस-पास और सिर की मसाज कर सकते हैं। मसाज करने का रूल यह है कि जिस नर्व में दर्द हो रहा हो, उस नर्व की मालिश ना करके आस-पास की अन्य नर्व्स की मसाज करनी है। अगर कान के पीछेवाले हिस्से में दर्द हो रहा हो तो मसाज करते हुए हाथ नीचे की तरफ लाएं। अगर कान के आगे वाले हिस्से में दर्द हो रहा हो तो मसाज करते हुए सामने की तरफ हाथ लाएं।
कान की सिकाई करें 
कान में दर्द होने की स्थिति में आपको ईयरबड इस्तेमाल बिल्कुल नहीं करना चाहिए। अगर आपके कान में तेज दर्द है तो हॉट पैड से कान की सिकाई करें। ऐसे पैड आपको मेडिकल पर या ऑनलाइन भी मिल जाएंगे। अगर हॉट पैड भी उपलब्ध ना हों तो एक कॉटन का बड़ा हैंकी लें और गैस पर तवा गर्म कर लें। अब हैंकी की कई तह बनाकर उसे गर्म तवे पर कुछ सेकेंड्स हीट होने दें और फिर कान के आस-पास और गले की सिकाई करें। यह सिकाई 20 मिनट से ज्यादा ना करें। इससे आपको तुरंत राहत महसूस होगी।
कोल्ड पैड का यूज भी है फायदेमंद 
ऐसा नहीं है कि केवल हॉट पैड की सिकाई ही कान के दर्द में राहत देती है। बल्कि कोल्ड पैड की सिकाई भी आपको इस परेशानी में आराम दे सकती है। घर के फ्रीज से आइस क्यूब्स लें और इन्हें एक पॉली में रखकर कॉटन के कपड़े या टॉवेल में लपेट लें। अब कान के पास और कान के नीचे के एरिया पर इससे 20 मिनट तक सिकाई करें। आपको लाभ होगा।
परीक्षा के सीजन में सिर्फ पढ़ाई ही  नहीं बच्चों के खानपान का भी रखें पूरा ध्यान

परीक्षा के सीजन में सिर्फ पढ़ाई ही नहीं बच्चों के खानपान का भी रखें पूरा ध्यान

ए साल के पहले 3 महीने यानी जनवरी से लेकर मार्च तक का समय एग्जाम सीजन माना जाता है। हर क्लास के फाइनल एग्जाम्स के साथ-साथ 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं भी इसी समय होती हैं। और ये बात तो पैरंट होने के नाते हर माता-पिता मानेंगे कि बच्चों का एग्जाम सिर्फ बच्चों का नहीं होता बल्कि साथ-साथ में माता-पिता का भी एग्जाम होता है। बच्चों की मैराथन पढ़ाई चल रही होती है, उन पर परफॉर्म करने का प्रेशर होता है, मेंटल स्ट्रेस लेवल काफी अधिक होता है। इन सबके साथ-साथ पैरंट्स की बच्चों से अपनी एक्सपेक्टेशन्स भी अलग से होती है। 

एग्जाम टाइम पैरंट्स करें बच्चे की मदद 

ज्यादातर पैरंट्स इस दौरान बच्चों की पढ़ाई में भी उनकी पूरी मदद करते हैं। उन्हें एक्स्ट्रा क्लास के लिए मदद की जरूरत हो या फिर कोचिंग या अलग टीचर की या फिर सेल्फ रीविजन में पैरंट्स की मदद की...बतौर माता-पिता हम हर तरह से बच्चों की मदद करने की कोशिश करते हैं। लेकिन पढ़ाई के साथ-साथ एक और बेहद इम्पॉर्टेंट चीज है जिसका आपको ध्यान रखना है और वो है बच्चे की डायट। जी हां अगर आपका बच्चा एग्जाम की वजह से इतने सारे मेंटल स्ट्रेस से गुजर रहा है तो उसकी डायट भी उतनी ही अच्छी होनी चाहिए ताकि वो इन सारी चीजों के साथ ष्शश्चद्ग ह्वश्च कर सके। 

बच्चे की डायट का रखें पूरा ध्यान 

एग्जाम सीजन में बच्चों की हंगर क्रेविंग्स यानी भूख को शांत करने के लिए आपको उन्हें किस तरह की हेल्दी चीजें खिलानी चाहिए इस बारे में हमने बात की डायटिशन्स से और उनके बताए टिप्स हम आपको यहां बता रहे हैं....

बच्चे को दें हेल्दी मील्स 

बच्चे का मन पढ़ाई में लगे इसके लिए आपके ब्रेन को एनर्जी की जरूरत होती है और वो एनर्जी आपको सिर्फ हेल्दी और बैलेंस्ड डायट से ही मिल सकती है। आपके बच्चे के खाने में ऐसी चीजें होनी चाहिए जिससे उसका मेंटल अलर्टनेस बढ़े। साथ साथ में छोटी-छोटी भूख के लिए चिप्स या बिस्किट जैसी अनहेल्दी चीजों की बजाए उन्हें हेल्दी स्नैक्स का ऑप्शन दें जैसे- अखरोट, बादाम या फिर एनर्जी बार आदि। 

दूध और डेयरी प्रॉडक्ट्स 

बच्चे की डायट में दूध और दूध से बने डेयरी प्रॉडक्ट्स को शामिल करें। इसके अलावा स्प्राउट्स, टोफू, अंडा, चिकन, फिश, हेल्दी नट्स के अलावा दलिया, कीन्वा और होल वीट प्रॉडक्ट्स भी बच्चे को खिलाएं जिससे उन्हें अलर्ट रहने और पढ़ाई में फोकस करने में मदद मिले। 

ब्रेन को बूस्ट करने वाली चीजें खिलाएं 

अखरोट, फिश, फ्लैक्स सीड्स यानी अलसी, केला, काबुली चना, पालक और ब्रॉकली- ये कुछ ऐसे फूड आइटम्स हैं जिन्हें खाने से याददाश्त बढ़ती है, कॉन्सनट्रेट करने में मदद मिलती है और आपका ब्रेन भी बेहतर तरीके से फंक्शन करने लगता है। साथ ही साथ फास्ट फूड और जंक फूड का सेवन बिलकुल न करें क्योंकि इन चीजों को पचने में काफी ज्यादा समय लगता है।

लिक्विड डायट पर भी रखें फोकस 

पानी बेहद जरूरी है क्योंकि ये हमारे शरीर को हाइड्रेटेड रखने में मदद करता है। इसलिए सुनिश्चित करें कि आपका बच्चा हर दिन कम से 8-10 गिलास पानी पिए। पानी के साथ-साथ लिक्विड डायट भी बच्चे को दें जिसमें आप उन्हें मिल्कशेक, फ्रेश सूप, नींबू पानी, लस्सी, नारियल पानी जैसी चीजें भी दे सकती हैं। अगर आपका बच्चा बोर्ड एग्जाम की तैयारियां कर रहा है तो आप उन्हें 1 कप कॉफी या डार्क हॉट चॉकलेट भी बनाकर दे सकती हैं क्योंकि डायट में कैफीन ऐड करने से ऐक्टिव और अलर्ट रहने में मदद मिलती है। 

स्मार्ट होना चाहिए बच्चे का स्नैक्स 

सिर्फ ब्रेकफस्ट, लंच और डिनर ही नहीं बल्कि बच्चे का स्नैक्स भी हेल्दी होना चाहिए। इसलिए आप चाहें तो बच्चे को स्नैक्स के तौर पर फ्रेश फ्रूट्स, प्रोटीन बार, भुनी हुई मूंगफली, मखाना, रोस्ट किया हुआ चना या मूंगदाल भी खाने के लिए दे सकती हैं। अगर आपका बच्चा देर रात तक पढ़ाई करता है तो ये सारी चीजें उसके पास जरूर रखें ताकि भूख लगने पर वह मैगी या चिप्स जैसी जंक वाली चीजें खाने की बजाए इन हेल्दी स्नैक्स का सेवन करे।

लंबे समय तक थकान की सुध नहीं ली तो हो सकते हैं बर्नआउट के शिकार

लंबे समय तक थकान की सुध नहीं ली तो हो सकते हैं बर्नआउट के शिकार

जो लोग हर समय खुद को थका हुआ, निराशा और उलझन से भरा हुआ महसूस करते हैं, उन्हें समझना चाहिए कि वे बर्नआउट का शिकार हो चुके हैं। यह एक तरह का सिंड्रोम है और इसका संबंध हार्ट रिद्म से भी होता है। यह बात हाल ही एक स्टडी में सामने आई है। ऐसे लोग हर समय एनर्जी की कमी महसूस करते हैं...

बर्नआउट की वजह

वाइटल एग्जॉशन, जिसे आमतौर पर बर्नआउट सिंड्रोम के रूप में जाना जाता है। यह लंबे समय तक स्ट्रेस में रहने के कारण होता है। जो लोग वर्क प्लेस और घर में किसी ना किसी कारण लंबे समय तक तनाव का सामना करते हैं, उन्हें इस तरह की दिक्कत हो जाती है।

डिप्रेशन से अलग होता है

बर्नआउट और डिप्रेशन में अंतर होता है। जो लोग डिप्रेशन में होते हैं, उनका मूड हर समय लो रहता है। इनमें आत्मविश्वास की कमी होती है और ये किसी तरह के गिल्ट से भरे होते हैं। जबकि बर्नआउट के शिकार लोगों में चिड़चिड़ापन और थकान अधिक देखने को मिलती है।

ऐसे बनती है स्थिति

रिसर्च में यह बात भी सामने आई कि बर्नआउट की यह स्थिति ज्यादातर उन लोगों में देखने को मिलती है, जो एग्जॉशन का लंबे समय तक शिकार रहते हैं। यह कहना है यूएस की साउथर्न कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी द्वारा की गई इस रिसर्च के ऑर्थर परवीन के गर्ग का।

दिल की धड़कनों पर असर

स्टडी में साफ हुआ है कि बहुत अधिक थकान, शरीर में सूजन और सायकॉलजिकल तनाव का बढऩा एक दूसरे से लिंक है। जब यह स्थिति लंबे समय तक बनी रहती है तो हार्ट टिश्यूज को डैमेज करने के का काम करती है। इसी कारण अरिद्मिया की स्थिति बनने लगती है और दिल की धड़कने कभी कम और कभी ज्यादा होती रहती हैं।

दिल की बीमारी का खतरा

एट्रियल फिब्रिलेशन यानी एएफ को अरिद्मिया के नाम से भी जाना जाता है। इस स्थिति में हार्ट बीट्स रेग्युलर तरीके से काम नहीं पाती हैं और ब्लड क्लॉट्स, हार्ट फेल्यॉर और दिल संबंधी दूसरी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। हालांकि इस खतरे की दर को अभी मापा नहीं जा सका है।

एग्जॉशन से बढ़ती दिल की बीमारी

यह बात पूर्व में हुई कई स्टडीज में साफ हो चुकी है कि जरूरत से अधिक थकान और एग्जॉशन के कारण कार्डियॉवस्कुलर डिजीज का खतरा बढ़ जाता है। इसमें हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा भी शामिल है। गर्ग का कहना है कि अगर एग्जॉशन से बचने और तनाव को डील करने का तरीका जान लिया जाए तो दिल से जुड़ी कई बीमारियों से बचा जा सकता है।

यहां हुई पब्लिश 

बर्नआउट और हार्ट डिजीज के बीच संबंध की कड़ी पर आधारित इस रिसर्च को हाल ही यूरोपिनयन जर्नल ऑफ प्रिवेंटिव कार्डियॉलजी में पब्लिश किया गया है। यह स्टडी 25 साल तक चली और इसमें 11 हजार लोगों को शामिल किया गया। इन लोगों में बहुत अधिक थकान, गुस्सा, ऐंटीडिप्रेशन डोज लेनेवाले और ऐसे लोगों को शामिल किया गया जिनके पास सोशल सपॉर्ट की कमी थी।

क्या आप सांसों की बदबू से हो परेशान, तो जानिए मुक्ति पाने के सॉलिड टिप्स, बना रहेगा आपका इंप्रेशन

क्या आप सांसों की बदबू से हो परेशान, तो जानिए मुक्ति पाने के सॉलिड टिप्स, बना रहेगा आपका इंप्रेशन

कोई व्यक्ति चेहरे और फिजिक से कितना भी आकर्षक क्यों ना हो अगर बात करने या हंसने के दौरान उसके मुंह से स्मेल आए तो सारा बना बनाया इंप्रेशन खराब हो जाता है। आपको इस तरही की समस्या का कभी सामना ना करना पड़, इसके लिए जानें कि किस तरह आपको अपनी ओरल हेल्थ का ध्यान रखना है। ताकि इंप्रेशन बना रहे... 
ये होती हैं वजहमुंह से आनेवाली दुर्गंध की वजह आमतौर पर टाइप ऑफ फूड, तंबाकू प्रोडक्ट्स, दांतों और मुंह की सही देखभाल ना करना, सेहत संबंधी समस्याएं, मुंह का सूखापन, दांतों की तकलीफ या ओरल इंफेक्शन भी हो सकता है। 
ओरल हेल्थ के लिए जरूरी 
मुंह में मौजूद लार या सलाइवा हमारे मुंह को हाइड्रेट रखने में मदद करता है। इस सलाइवा में मौजूद ऐंटीबैक्टीरियल प्रॉपर्टीज दांतों को कई तरह की बीमारियों से बचाने का काम करती हैं। अगर किसी भी कारण से मुंह सूखा रहने लगे या सलाइवा की कमी हो जाए तो ना केवल मुंह से बदबू आने की दिक्कत होने लगती है बल्कि दांतों में भी कई तरह की बीमारियां घर कर जाती हैं।
ऐसे रखें सांसों को ताजा 
अगर आप चाहते हैं कि मुंह की बदबू के कारण आपको शर्मिंदा ना होना पड़े तो दिन में समय-समय पर पानी पीते रहें। सुनिश्चित करें कि अपनी उम्र और जरूरत के हिसाब से आप पानी की सही क्वांटिटी ले रहे हैं। खाना खाने से करीब 15-20 मिनट पहले और खाना खाने के 15-20 मिनट बाद एक-एक ग्लास पानी जरूर पिएं। इससे डायजेशन भी बेहतर रहेगा और ओरल हेल्थ मेंटेन रखने में भी मदद मिलेगी। 
शुगर फ्री कैंडी खाएं 
मुंह की दुर्गंध को दूर रखने के लिए आप शुगर फ्री कैंडी और बबलगम खा सकते हैं। च्युइंगम खाने से मुंह और दांतों की एक्सर्साइज भी होती है। जिससे गालों को शेप में रखने में मदद मिलती है।
शुगर-सॉल्ट और अल्कोहल पर कंट्रोल 
चाय और कॉफी के शौकीन हैं तो जान लीजिए कि हद से ज्यादा किसी भी चीज का सेवन करना बुरा होता है। कैफीन भी आपके मुंह से आनेवाली स्मेल के लिए जिम्मेदार हो सकता है। अल्कोहल और सॉल्टी फूड का सेवन कम करें। इसकी जगह फ्रूट्स और सैलेड खाएं।
दिन में दो बार ब्रश करें 
स्मेल फ्री ब्रेथ और ओरल हाईजीन के लिए जरूरी है कि आप सुबह उठने के बाद और रात को सोने से पहले जरूर ब्रश करें। आप चाहें तो सुबह नाश्ते के बाद भी ब्रश कर सकते हैं। इससे कई घंटों तक मुंह साफ बना रहेगा और सांसों से नाश्ते की स्मेल नहीं आएगी। 
ये चीजें जरूर खाएं 
सर्दी के मौसम में चाय और कॉफी अधिक पी जाती है। इसलिए आप ओरल हाईजीन को बनाए रखने के लिए ऑरेंज, कैरट, अजवाइन आदि खाएं। इससे आपका पेट साफ रहेगा और मुंह से दुर्गंध भी नहीं आएगी।
डॉक्टर की विजिट 
अपनी सांसों की ताजगी बनाए रखने के लिए एक नियमित समय पर अपने डॉक्टर से दांतों का चेकअप जरूर कराएं। यह बात जान लें कि आपके खान-पान के साथ ही मुंह से जुड़ी दिक्कतें सांसों की बदबू लिए खासतौर पर जिम्मेदार होती हैं।
हल्दी वाले दूध पिने के है 11 बेहतरीन फायदे , जानिए

हल्दी वाले दूध पिने के है 11 बेहतरीन फायदे , जानिए

आम तौर पर सर्दी होने या शा‍रीरिक पीड़ा होने पर घरेलू इलाज के रूप में हल्दी वाले दूध का इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं, कि हल्दी वाले दूध के एक नहीं अनेक फायदे हैं? नहीं जानते तो हम बता रहे हैं-

हल्दी अपने एंटीसेप्टिक और एंटीबायोटिक गुणों के लिए जानी जाती है, और दूध, कैल्शि‍यम का स्त्रोत होने के साथ ही शरीर और दिमाग के लिए अमृत के समान हैं। लेकिन जब दोनों के गुणों को मिला दिया जाए, तो यह मेल आपके लिए और भी बेहतर साबित होता है, जानते हैं कैसे -

1 जब चोट लग जाए - यदि किसी कारण से शरीर के बाहरी या अंदरूनी हिस्से में चोट लग जाए, तो हल्दी वाला दूध उसे जल्द से जल्द ठीक करने में बेहद लाभदायक है। क्योंकि यह अपने एंटी बैक्टीरियल और एंटीसेप्टिक गुणों के कारण बैक्टीरिया को पनपने नहीं देता।

2 शारीरिक दर्द - शरीर के दर्द में हल्दी वाला दूध आराम देता है। हाथ पैर व शरीर के अन्य भागों में दर्द की शिकायत होने पर रात को सोने से पहले हल्दी वाले दूध का सेवन करें।

3 त्वचा हो साफ और खूबसूरत - दूध पीने से त्वचा में प्राकृतिक चमक पैदा होती है, और दूध के साथ हल्दी का सेवन, एंटीसेप्टिक व एंटी बैक्टीरियल होने के कारण त्वचा की समस्याओं जैसे - इंफेक्शन, खुजली, मुंहासे आदि के बैक्टीरिया को धीरे-धीरे खत्म कर देता है। इससे आपकी त्वचा साफ और स्वस्थ और चमकदार दिखाई देती है।
4 सर्दी होने पर - सर्दी, जुकाम या कफ होने पर हल्दी वाले दूध का सेवन अत्यधिक लाभकारी साबित होता है। इससे सर्दी, जुकाम तो ठीक होता ही है, साथ ही गर्म दूध के सेवन से फेफड़ों में जमा हुआ कफ भी निकल जाता है। सर्दी के मौसम में इसका सेवन आपको स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है।

5 हड्डियां बने मजबूत - दूध में कैल्शितयम होने के कारण यह हड्डियों को मजबूत बनाता है और हल्दी के गुणों के कारण रोगप्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है। इससे हड्डी संबंधि‍त अन्य समस्याओं से छुटकारा मिलता है और ऑस्टियोपोरोसिस में कमी आती है।
6 जब नींद न आए - यदि आपको किसी भी कारण से नींद नहीं आ रही है, तो आपके लिए सबसे अच्छा घरेलू नुस्खा है, हल्दी वाला दूध। बस रात को भोजन के बाद सोने के आधे घंटे पहले हल्दी वाला दूध पीएं, और देखि‍ए कमाल।
7 पाचन तंत्र हो गड़बड़ - हल्दी वाले दूध का सेवन, आपकी आंतो को स्वस्थ रखकर पाचन संबंधी समस्याओं को दूर करता है। पेट के अल्सर, डायरिया, अपच, कोलाइटिस एवं बवासीर जैसी समस्याओं में भी हल्दी वाला दूध फायदेमंद है।

8 जोड़ों के लिए असरकारी - हल्दी वाले दूध का प्रतिदिन सेवन, गठिया- बाय, जकड़न को दूर करता है, साथ ही जोड़ों मांसपेशियों को लचीला बनाता है।
9 ब्लड शुगर कम करे - खून में शर्करा की मात्रा अधिक हो जाने पर हल्दी वाले दूध का सेवन ब्लड शुगर को कम करने में मदद करता है।लेकिन अत्यधि‍क सेवन शुगर को अत्यधि‍क कम कर सकता है, इस बात का ध्यान रखें।

10 सांस की तकलीफ - हल्दी वाले दूध में मौजूद एंटी माइक्रो बैक्टीरियल गुण, दमा, ब्रोंकाइटिस, साइनस, फेफड़ों में जकड़न व कफ से राहत देने में सहायता करते हैं। गर्म दूध के सेवन से शरीर में गर्मी का संचार होता है जिससे सांस की तकलीफ में आराम मिलता है।

11 वायरल संक्रमण में आए बदलाव एवं अन्य कारणों से होने वाले वायरल संक्रमण में हल्दी वाला दूध सबसे बेहतर उपाय है, जो आपको संक्रमण से बचाता है।

 

क्या आप पहनते है पायल, यदि नहीं पहनते है तो जानिए पायल पहनने से होते हैं सेहत के अनोखे फायदे

क्या आप पहनते है पायल, यदि नहीं पहनते है तो जानिए पायल पहनने से होते हैं सेहत के अनोखे फायदे

पैरों में पहनी जाने वाली पायल, पायजेब की रूनझुन और छमछम आवाज किसे नहीं अच्छी लगती। यह पारंपरिक आभूषण सिर्फ नवविवाहितों के लिए नहीं है बल्कि अब यह फैशन का नया ट्रेंड भी बन रही है। आपको यह जानकर अचरज होगा कि इन्हें पहनने से सेहत की भी कई समस्याओं का निवारण होता है।
पायल पैरों से निकलने वाली शारीरिक विद्युत ऊर्जा को शरीर में संरक्षित रखती है।
पायल महिलाओं के पेट और निचले अंगों में वसा (फैट) बढऩे की गति को रोकती है।
वास्तु के अनुसार पायल की छनक निगेटिव ऊर्जा को दूर करती है।
चांदी की पायल पैरों से घर्षण करके पैरों की हड्डियां मजबूत बनाती हैं।
पैर में पायल पहनने से महिला की इच्छा-शक्ति मजबूत होती है। यही वजह है कि औरतें अपने स्वास्थ्य की चिंता किए बिना पूरी लगन से परिवार के भरण-पोषण में जुटी रहती हैं।