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क्या आप भी बड़े चाव से खाते हैं तंदूरी रोटी, तो हो जाइये सावधान, हो सकते हैं आपको ये नुकसान

क्या आप भी बड़े चाव से खाते हैं तंदूरी रोटी, तो हो जाइये सावधान, हो सकते हैं आपको ये नुकसान

कढाई पनीर हो या चिकन इन सबका मजा तो सिर्फ तंदूर की रोटी के साथ ही आता है. लेकिन सवाल है कि क्या ये आपकी सेहत के लिए भी उतनी अच्छी हैं जितनी स्वाद में होती. हम आपको बताएंगे कि क्या तदूर की रोटी आपकी सेहत के लिए अच्छी है या नहीं, चलिए जानते हैं –

कैसे बनती है तंदूर की रोटी, जाने
तंदूर की रोटी में 110 से 150 कैलोरीज होती है, जिसमें से कार्बोहायड्रेट और कैलोरीज का सबसे ज्यादा प्रतिशत होता है. वहीं बता दे तंदूर रोटियां मैदा से बनाई जाती हैं मैदे के लगातार सेवन से कई बीमारियां हो जाती हैं.

डायबिटीज का जोखिम
तंदूर की रोटी में मैदा होती है और मैदा आपके शरीर के शुगर के स्तर को बढ़ता है. दरअसल इसमें बहुत अधिक ग्लाइसेमिक इंडेक्स होता है इसलिए अगर आप मैदा का बार-बार सेवन करते है तो डायबिटीज हो सकती है.

ह्रदय रोग का जोखिम बढ़ जाता है
मैदा से बनी तंदूर की रोटी खाने से ह्रदय रोग का खतरा बढ़ जाता है. ऐसे में कोशिस करे कि तंदूर की रोटी का सेवन कम से कम किया जाएं. वहीं अगर आप तंदूर की रोटी खाने के इतने ही शौकीन हैं तो रोटी बनाने के लिए मैदे के बजाए आटे का इस्तेमाल करें. इसके अलावा इसे बनाने के लिए आप ओवन का भी इस्तेमाल करें. 

 डेल्टा वैरिएंट ने बढ़ाई चिंता: वैक्सीन की दोनों खुराक लेने वालों को भी संक्रमित कर रहा कोरोना का डेल्टा वेरिएंट

डेल्टा वैरिएंट ने बढ़ाई चिंता: वैक्सीन की दोनों खुराक लेने वालों को भी संक्रमित कर रहा कोरोना का डेल्टा वेरिएंट

नई दिल्ली। भारत में कोरोना की दूसरी लहर के बीच तीसरी लहर के आसार को लेकर लोग भयभीत हैं।कोरोना संक्रमण के नए वैरिएंट डेल्टा ने विशेषज्ञों और सरकार की चिंता बढ़ा दी है।  कोरोना का डेल्टा वैरिएंट इतना खतरनाक है कि वैक्सीन लेने वालों को भी अपनी चपेट में ले रहा है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की ओर से चेन्नई में की गई स्टडी में पाया गया है कि कोरोना वायरस का डेल्टा वैरिएंट वैक्सीन लेने वाले लोगों को भी संक्रमित करता है। 

चेन्नई में 17 अगस्त को आईसीएमआर की एक स्टडी में यह दावा किया गया है। स्टडी में बताया गया है कि डेल्टा वैरिएंट देश के लिए खतरा पैदा कर रहा है। वैरिएंट इतना खतरनाक है कि टीका लेने वाले लोगों को भी नहीं छोड़ रहा है।इसके अलावा जो लोग पहले संक्रमित नहीं हुए है यह वेरिएंट उन्हें भी संक्रमित करने की क्षमता रखता है। इस अध्ययन को ICMR-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी और चेन्नई द्वारा अनुमोदित किया गया था ।

डेल्टा वैरिएंट ने बढ़ाई चिंता
अध्ययन में इसका खुलासा हुआ कि डेल्टा वैरिएंट या बी.1.617.2 की व्यापकता टीकाकरण और बिना टीकाकरण वाले समूहों के बीच कोई अंतर नहीं समझ पा रहा है। दोनों तरह के लोगों पर इस वैरिएंट का काफी असर दिख रहा है।  कोरोना वायरस के डेल्ट वैरिएंट को लेकर पूरी दुनिया परेशान है। हाल में देश के कई राज्यों में डेल्टा  वैरिएंट मिलने से हड़कंप मच गया है। महाराष्ट्र, केरल समेत कुछ राज्यों में इसके मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। महाराष्ट्र में डेल्टा वैरियंट के कई मामले में सामने आ चुके हैं।
 
वायरल फीवर से राहत दिलाने में मदद कर सकती हैं ये चीजें

वायरल फीवर से राहत दिलाने में मदद कर सकती हैं ये चीजें

मौसम में बदलाव होते ही कई लोग वायरल फीवर यानि मौसमी बुखार की चपेट में आ जाते हैं। यह बुखार कई तरह के संक्रमण की वजह से होता है और हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता पर अटैक करता है जिसकी वजह से शरीर में इंफेक्शन बहुत तेजी से बढ़ता है। हालांकि कुछ चीजों का सेवन आपको इस समस्या से राहत दिलाने में मदद कर सकता है। आइए आज हम आपको कुछ ऐसी ही चीजों के बारे में बताते हैं।
धनिये की चाय का करें सेवन
वायरल फीवर से राहत दिलाने में धनिये की चाय का सेवन काफी हद तक कारगर हो सकता है। धनिये के बीज एंटीबायोटिक्स के साथ-साथ कई विटामिन्स से समृद्ध होते हैं जो वायरल संक्रमण से लडऩे की शक्ति देने और रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूती प्रदान करने में सहायक हो सकते हैं। राहत के लिए एक गिलास पानी में एक बड़ी चम्मच धनिये के बीज डालकर इसे उबाल लें। अब इसे छानकर इसमें स्वादानुसार शहद मिलाएं और फिर इसका सेवन करें।
तुलसी का काढ़ा पीएं
तुलसी के पत्ते भी प्रभावी ढंग से वायरल फीवर से राहत दिलाने में मदद कर सकते हैं। समस्या से राहत पाने के लिए आधी चम्मच लौंग के पाउडर को करीब 20 साफ तुलसी के पत्तों के साथ एक लीटर पानी में डालकर उबाल लें और फिर छानकर इसका सेवन करें। वायरल फीवर होने पर इस काढ़े का हर दो या तीन घंटे पर सेवन करें। यकीनन इससे आपको काफी आराम मिलेगा।
लहसुन का करें सेवन
लहसुन एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-बैक्टीरियल गुणों से समृद्ध होता है जो धीरे-धीरे वायरल फीवर को खत्म करने का काम करते हैं। इसके साथ ही ये रोग प्रतिरोधक क्षमता को बेहतर करने में भी मदद करते हैं। राहत के लिए एक कप पानी में लहसुन की बारीक कटे हुई दो-तीन कलियां डालें और कुछ मिनट तक पानी को उबलने दें। अब पानी को छान लें और हल्का ठंडा होने पर चाय की तरह पीएं।
हल्दी और सौंठ का पाउडर आएगा काम
हल्दी और सौंठ, दोनों में एंटी-ऑक्सीडेंट गुण मौजूद होते हैं जो वायरल फीवर को जल्द दूर करने में मदद कर सकते हैं। समस्या से राहत पाने के लिए पहले एक कप गर्म पानी में एक चुटकी काली मिर्च, आधी छोटी चम्मच हल्दी का पाउडर, एक छोटी चम्मच सौंठ और थोड़ी सी चीनी मिलाएं और फिर इसे हल्का सा ठंडा करके पीएं। यकीनन वायरल फीवर से ग्रस्त व्यक्ति को इसके सेवन से काफी आराम मिलेगा।
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों की Just36News पुष्टि नहीं करता है. इनको केवल सुझाव के रूप में लें. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट पर अमल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.

 

गुस्से को काबू में करने के लिए रोजाना करें इन योगासनों का अभ्यास, जल्द दिखेगा असर

गुस्से को काबू में करने के लिए रोजाना करें इन योगासनों का अभ्यास, जल्द दिखेगा असर

गुस्सा आना आम बात है क्योंकि यह एक भावनात्मक प्रवृत्ति है। हालांकि अगर आपको छोटी-छोटी बातों पर ही गुस्सा आने लगे तो इसे आम समझकर नजरअंदाज न करें क्योंकि इससे आपके व्यक्तित्व और सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है। अगर आपको यह समस्या है तो आप गुस्से को काबू में रखने के लिए योग का सहारा ले सकते हैं। आइए आज आपको कुछ ऐसे योगासनों के अभ्यास का तरीका बताते हैं जो गुस्से को नियंत्रित करने में सहायक हैं।
अर्ध धनुरासन
सबसे पहले योगा मैट पर पेट के बल लेट जाएं। अब अपने बाएं पैर को घुटने से मोड़ते हुए पीठ के पीछे ले जाएं और फिर इसकी एड़ी को बाएं हाथ से पकड़कर ऊपर उठाएं। इस दौरान अपने दाएं हाथ को जमीन पर रखें। अपनी क्षमतानुसार इस मुद्रा में बने रहें और धीरे-धीरे सांस लेते और छोड़ते रहें। फिर कुछ सेकेंड बाद धीरे-धीरे सामान्य हो जाएं। अब इसी प्रक्रिया को अपने दूसरे पैर से भी दोहराएं।
सर्वांगासन
सर्वांगासन का अभ्यास करने के लिए पहले योगा मैट पर पीठ के बल लेटकर दोनों हाथों को शरीर से सटाकर सीधा कर लें। अब सामान्य रूप से सांस लेते हुए पैरों, कूल्हों और कमर को धीरे-धीरे ऊपर की ओर उठाएं। इसके बाद हाथों से पीठ को सहारा देते हुए कोहनियों को जमीन से सटा लें। कुछ देर इसी मुद्रा में रहें और धीरे-धीरे वापस अपनी प्रारंभिक अवस्था में आ जाएं।
सुखासन
सुखासन के लिए पहले योगा मैट पर पैरों को सीधा करके बैठें। अब बाएं पैर को घुटने से मोड़कर दाएं पैर की जांघ के नीचे रखें। इसके बाद दाएं पैर को मोड़कर बाएं पैर की जांघ के नीचे रखें। अब दोनों हाथों को ध्यान मुद्रा में घुटनों पर रखें और अपनी दोनों आंखों को बंद करें। इस दौरान अपने शरीर को आरामदायक स्थिति में रखें। कुछ सेकेंड इसी स्थिति में रहने के बाद धीरे-धीरे आंखें खोलकर आसन को छोड़ दें।
बालासन
बालासन के अभ्यास के लिए पहले वज्रासन की मुद्रा में बैठें और फिर गहरी सांस लेते हुए हाथों को ऊपर उठाएं। अब सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे आगे की ओर झुकें और माथे को जमीन से सटाएं। इस अवस्था में दोनों हाथ सामने, माथा जमीन से टिका हुआ और छाती जांघों पर रहेगी। कुछ सेकंड इसी मुद्रा में रहकर सामान्य रूप से सांस लेते रहें और फिर सांस लेते हुए वापस वज्रासन की मुद्रा में आएं और सामान्य हो जाएं।
 

क्या आप भी पकोड़े तलने के बाद बचे तेल का करते हैं दोबारा इस्तेमाल, तो हो जाइये सावधान

क्या आप भी पकोड़े तलने के बाद बचे तेल का करते हैं दोबारा इस्तेमाल, तो हो जाइये सावधान

हम अक्सर विशेष अवसरों पर पूरी और पकोड़े खाना पसंद करते हैं. लेकिन सभी स्वादिष्ट और कुरकुरी तली हुई चीजों को फेंटने से खाद्य तेल की बर्बादी हो सकती है. इसलिए हम कभी-कभी खाना पकाने के लिए इसका दोबारा उपयोग करने के लिए भी ललचाते हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जब इसे बार-बार इस्तेमाल करते हैं तो क्या होता है.

स्टडीज के अनुसार खाना पकाने के तेल को दोबारा गर्म करने से टॉक्सिक पदार्थ निकलते हैं और शरीर में फ्री रेडिकल्स भी बढ़ जाते हैं जिससे सूजन और विभिन्न क्रोनिक डिजीज होती हैं. फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स ऑर्ट ऑफ इंडिया( FSSAI) की गाइडलाइंस के मुताबिक तेल को फिर से गर्म करने से बचना चाहिए और यदि आपको तेल का दोबारा उपयोग करना है, तो ट्रांस-फैट के फॉर्मेशन बचने के लिए अधिकतम तीन बार ऐसा कर सकते हैं.

टॉक्सिक पदार्थ रिलीज होते हैं और दुर्गंध आती है
हाई टेम्परेचर पर गर्म किया गया तेल टॉक्सिक फ्यूम्ज रिलीज करता है. हर बार जब तेल गरम किया जाता है, तो उसके वसा अणु थोड़ा टूट जाते हैं. इससे यह अपने स्मॉक पॉइंट तक पहुंच जाता है और हर बार उपयोग किए जाने पर अधिक तेजी से दुर्गंध छोड़ता है. जब ऐसा होता है, तो अनहेल्दी पदार्थ हवा और पकाए जा रहे भोजन दोनों में रिलीज होते हैं.

कोलेस्ट्रॉल का लेवल बढ़ाता है
हाई टेम्परेचर पर तेल में मौजूद कुछ फैट्स, ट्रांस फैट्स में बदल जाते हैं. ट्रांस फैट हानिकारक फैट होते हैं जो हृदय रोग के जोखिम को बढ़ाते हैं. जब तेल का दोबारा उपयोग किया जाता है तो ट्रांस फैट की मात्रा और भी अधिक हो जाती है.

ब्लड प्रेशर बढ़ने की आशंका
खाद्य पदार्थों में निहित नमी, वायुमंडलीय ऑक्सीजन, उच्च तापमान हाइड्रोलिसिस, ऑक्सीकरण और पोलीमराइजेशन जैसी रिएक्शन प्रोड्यूस करते हैं, ये रिएक्शन उपयोग किए गए फ्राइंग ऑइन की रासायनिक संरचना को बदलती हैं और संशोधित करती हैं. फ्री फैटी एसिड और रेडिकल रिलीज करती हैं जो मोनोग्लिसराइड्स, डाइग्लिसराइड्स और ट्राइग्लिसराइड्स प्रोड्यूस करते हैं.

इन्हें टोटल पोलर कंपाउंड्स के अंडर वर्गीकृत किया गया है जो कुकिंग ऑयल के डिग्रेशन को मापने के लिए एक विश्वसनीय बेंचमार्क है. बार-बार तलने के बाद बनने वाले इन यौगिकों की टॉक्सिसिटी लिपिड डिपोजिशन, ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस, हाईपरटेंशन, एथेरोस्क्लेरोसिस आदि का कारण बन सकती है.

सावधान: शोध में हुआ खुलासा,आंसुओं से भी हो सकता है कोरोना!

सावधान: शोध में हुआ खुलासा,आंसुओं से भी हो सकता है कोरोना!

कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर अगल - अलग रिसर्च जारी है। कोविड के लक्षण भी एक समान नहीं है। कोरोना वायरस के शुरूआती लक्षण कॉमन कोल्डग की तरह थे। लेकिन कई बार लक्षण नजर नहीं आने पर कोविड रिपोर्ट फिर भी पॉजिटिव आई है। हाल ही में एक स्ट डी में दावा किया गया है कि कोरोना वायरस पॉजिटिव मरीजों के आंसुओं (Covid-19 by Tears)से भी हो सकता है। यह शोध अमृतसर के सरकारी मेडिकल कॉलेज द्वारा किया गया है। इस दौरान करीब 120 लोगों पर नजर रखी गई है। हालांकि विशेषज्ञ और वैज्ञानिकों के मुताबिक कोविड सांस के जरिए ही होता है।
120 मरीजों पर किए गए शोध में सामने आया कि 60 मरीजों के आंसुओं के जरिए वायरस शरीर के दूसरे हिस्सेग में भी पहुंचा है। लेकिन 60 मरीजों में ऐसा कुछ नहीं हुआ। इसमें 37 फीसदी मरीजों में कोविड -19 संक्रमण पाया गया था और 63 फीसदी मरीजों में कोविड के गंभीर लक्षण थे।

हालांकि कोरोना वायरस का प्रकोप कम नहीं हुआ है। वैज्ञानिक और शोधकर्ताओं द्वारा अगस्तक या सितंबर माह में तीसरी लहर की संभावना जताई जा रही है। वहीं देखा जाए तो जनता भी कोविड-19 के नियमों का उल्लंजघन करते नजर आ रही है। जनता बाजारों में बिना मास्कर और सोशल डिस्टेंीसिंग के घूम रहीहैं। यह हाल देखते हुए वैज्ञानिकों का दावा है कि तीसरी लहर जल्दीऔ भी आ सकती है। साथ ही उसे किसी भी प्रकार से टाला नहीं जा सकता।
 

पेट की चर्बी घटाने में कारगर हैं ये पांच तरह की चाय

पेट की चर्बी घटाने में कारगर हैं ये पांच तरह की चाय

वेट लॉस करना एक ऐसी चुनौती है जिसे पार करना इतना आसान नहीं है। डाइट, वर्कआउट और आपकी कई छोटी-छोटी आदतें वजन कम करने में काम आती है। जैसे बात करें अगर चाय की, तो चाय का भी वजन कम करने या बढ़ाने में अहम रोल है। आज हम आपको बता रहे हैं। ऐसी पांच चाय जिनके सेवन से बेली फैट तेजी से कम होता है।
पुएर चाय
यह चाय एक प्रकार की चाइनीज काली चाय है, जिसे फर्मेटेड किया गया है। भोजन के बाद अक्सर इसका आनंद लिया जाता है, और इसमें एक सुगंध होती है। पुएर चाय ब्लड शुगर और रक्त ट्राइग्लिसराइड्स को कम कर सकती है। इससे बेली फैट तेजी से कम होता है।

ग्रीन-टी

ग्रीन-टी वजन घटाने के लिए सबसे ज्यादा कारगर है और इसे कई स्वास्थ्य लाभों के साथ जोड़ा जाता है। यह वजन घटाने के साथ स्किन के लिए भी काफी इफेक्टिव चाय मानी जाती है। ग्रीन-टी में वजन और शरीर की चर्बी दोनों को कम करने के लिए की गजब की क्वालिटी होती है।

ब्लैक टी
काली चाय में दूसरी चाय से ज्यादा ऑक्सीकरण होता है, जैसे कि ग्रीन, सफेद या ऊलोंग चाय। ऑक्सीकरण एक रासायनिक प्रतिक्रिया है, जो तब होती है जब चाय की पत्तियां हवा के संपर्क में आती हैं, जिसके परिणामस्वरूप ब्राउनिंग होती है जो काली चाय की विशेषता गहरे रंग का कारण बनती है। काली चाय के कई अलग-अलग प्रकार और मिश्रण उपलब्ध हैं, जिनमें अर्ल ग्रे और अंग्रेजी ब्रेकफास्ट जैसी लोकप्रिय किस्में शामिल हैं।
ऊलोंग चाय
ऊलोंग चाय एक ट्रेडिशनल चाइनीज चाय है, जिसे आंशिक रूप से ऑक्सीकरण किया गया है, इसे ऑक्सीकरण और रंग के मामले में ग्रीन-टी और काली चाय के बीच कहीं रखा गया है। यह अक्सर फल, सुगंधित सुगंध और एक अद्वितीय स्वाद के लिए जानी जाती है कई अध्ययनों से पता चला है कि ऊलोंग चाय फैट बर्न में मेटाबॉलिज्म के लिए बहुत अच्छी है।

हर्बल चाय
हर्बल चाय में गर्म पानी में जड़ी बूटियों, मसालों और फलों के एक्सट्रेंक शामिल होते हैं। वे ट्रेडिशनल चाय से भिन्न होते हैं क्योंकि उनमें आमतौर पर कैफीन नहीं होता है और कैमेलिया साइनेंसिस की पत्तियों से नहीं बनता है। हर्बल चाय किस्मों में रूइबोस चाय, अदरक की चाय, गुलाब की चाय और हिबिस्कस चाय शामिल हैं। हालांकि, हर्बल चाय की सामग्री और संरचना में काफी भिन्नता हो सकती है, लेकिन कुछ अध्ययनों में पाया गया है कि हर्बल चाय वजन घटाने और वसा घटाने में मदद कर सकती है।

 

हार्ट के रोगियों के लिए फायदेमंद है ये फल, सब्जियां और अनाज, खाने में जरूर करें शामिल

हार्ट के रोगियों के लिए फायदेमंद है ये फल, सब्जियां और अनाज, खाने में जरूर करें शामिल

Heart Health: आजकल 35 से 40 की उम्र में ही लोगों को हाई-ब्लड प्रेशर, हार्ट की समस्याएं और स्ट्रोक जैसी बीमारियां होने लगी हैं. इन सभी बीमारियों की बड़ी वजह हमारी लाइफस्टाइल है. खाने-पीने को लेकर लापरवाही और उसके बाद स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं शुरू हो जाती है. कई बार इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ते हैं. अगर आप बहुत ज्यादा असंतुलित खाना खाते हैं तो इससे कोलेस्ट्रोल बढ़ने लगता है. जिसकी वजह से हार्ट अटैक जैसी गंभीर बीमारी होने लगी हैं. शरीर में बैड कोलेस्ट्रोल बढ़ने पर कई तरह के नुकसान पहुंचने लगते हैं. बैड कोलेस्ट्रोल शरीर में जमा हो जाता है, जिससे हार्ट की समस्याएं बढ़ जाती हैं. हालांकि आप खाने में कुछ बादलाव करके इन समस्याओं को दूर कर सकते हैं. हार्ट को हेल्दी रखने के लिए आप अपनी डाइट में इन फल,सब्जी और अनाज को शामिल कर सकते हैं.


हार्ट के मरीज के लिए फल


1- सेब और खट्टे फल- इन फलों में भरपूर मात्रा में फाइबर होता है. इनमें एक खास घुलने वाला फाइबर पाया जाता है जिसे पेक्टिन कहते हैं. इन फलों को आप अपने डेली रूटीन में शामिल करें इससे कोलेस्ट्रोल कम हो जाएगा.


2- एवोकाडो-
इसे खाने से शरीर में बैड कोलेस्ट्रोल कम होता है और गुड कोलेस्ट्रोल बढ़ता है. एवोकाडो में मोनोसैचुरेटेड फैट और फाइबरो होता है जिससे कोलेस्ट्रोल कम हो जाता है.


3- बेरीज और अंगूर-
कोलेस्ट्रोल कम करने के लिए आपको सभी तरह की बेरीज जैसे स्ट्रोबेरी, ब्लूबेरी, रसबेरी और अंगूर खाने में शामिल करने चाहिए. इनमें पेक्टिन अच्छी मात्रा में होता है, जिससे कोलेस्ट्रोल कम होता है और सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है.


हार्ट के मरीज के लिए सब्जियां


1- हरी पत्तेदार सब्जियां- बैड कोलेस्ट्रॉल घटाने के लिए आपको नियमित रूप से हरी सब्जियां खाने में शामिल करनी चाहिए. हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे पालक और साग में में ल्यूटिन और कैरोटेनॉइड्स होते हैं, जो हार्ट की बीमारियों का खतरा कम करता है.


2- टमाटर- टमाटर खाने से कोलेस्ट्रोल कम होता है टमाचर का रस हाई ब्लड प्रेशर को कम करता है. इसलिए रोज खाने में टमाटर जरूर खाने चाहिए.


3- बैंगन- कोलेस्ट्रॉल के मरीजों के लिए बैंगन भी फायदेमंद सब्जी है. बैंगन पाचनतंत्र के लिए भी अच्छा है. बैंगन खाने से शरीर में कोलेस्ट्रॉल कम होता है.


हार्ट के मरीज के लिए अनाज


1- दालें- सभी दालें स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हैं. दाल में हाई प्रोटीन और फाइबर होता है. खाने में नियमित रुप से दाल खाने से बैड कोलेस्ट्रॉल जमा नहीं होता, इसके अलावा दाल विटामिन बी का भी अच्छा सोर्स हैं.


2- ओट्स-
ओट्स शरीर के लिए बहुत फायदेमंद है. ओट्स में बीटा-ग्लूकन नाम का फाइबर होता है जो जल्दी घुलता है. ओट्स खाने से कोलेस्ट्रॉल तेजी से कम होन लगता है.


3- जौ- साबुत अनाज में जौ भी आपको खाने में शामिल करने चाहिए. जौ में भी बीटा-ग्लूकन होता है जो बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करता है.


Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों की Just36News पुष्टि नहीं करता है. इनको केवल सुझाव के रूप में लें. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट पर अमल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.

 

13 अगस्त :  कोविड-19 टीकाकरण अपडेट

13 अगस्त : कोविड-19 टीकाकरण अपडेट

केंद्र सरकार देशभर में कोविड-19 टीकाकरण का दायरा बढ़ाने और टीके लगाने की गति को तेज करने के लिये प्रतिबद्ध है। कोविड-19 के टीकों की सर्व-उपलब्धता का नया दौर 21 जून, 2021 से शुरू किया गया है। टीकाकरण अभियान को अधिक से अधिक वैक्सीन की उपलब्धता के जरिये बढ़ाया गया। इसके तहत राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को वैक्सीन की उपलब्धता के बारे में पूर्व सूचना प्रदान की गई, ताकि वे बेहतर योजना के साथ टीके लगाने का बंदोबस्त कर सकें और टीके की आपूर्ति श्रृंखला को दुरुस्त किया जा सके।
देशव्यापी टीकाकरण अभियान के हिस्से के रूप में केंद्र सरकार राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नि:शुल्क कोविड वैक्सीन प्रदान करके उन्हें समर्थन दे रही है। टीकों की सर्व-उपलब्धता के नये चरण में, केंद्र सरकार वैक्सीन निर्माताओं से 75 प्रतिशत टीके खरीदकर उन्हें राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नि:शुल्क प्रदान करेगी। केंद्र सरकार द्वारा सभी प्रकार के स्रोतों से अब तक वैक्सीन की 55.01 करोड़ से अधिक (55,01,93,040) खुराकें राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को प्रदान की गई हैं। इसके अलावा 59,16,920 खुराकें भेजे जाने की तैयारी है। 
आज आठ बजे सुबह तक उपलब्ध आंकड़ों के हिसाब से उपरोक्त खुराकों में से बरबाद हो जाने वाली खुराकों को मिलाकर कुल 52,59,93,669 खुराकों की खपत हो चुकी है। राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों तथा निजी अस्पतालों के पास कोविड-19 टीके की अभी 2.82करोड़ से अधिक (2,82,57,130) अतिरिक्त और बिना इस्तेमाल की हुई खुराकें बची हैं, जिन्हें लगाया जाना है।

13 अगस्त :  कोविड-19 अपडेट

13 अगस्त : कोविड-19 अपडेट

राष्ट्रव्यापी टीकाकरण अभियान के तहत अभी तक 52.95 करोड़ से अधिक टीके लगाये जा चुके हैं

सक्रिय मामले कुल मामलों के 1.20 प्रतिशत हैं, मार्च 2020 के बाद से सबसे कम

भारत में वर्तमान में 3,85,227 सक्रिय मामले हैं

अब तक की सबसे अधिक रिकवरी दर, वर्तमान में 97.46 प्रतिशत है

देश भर में अभी तक कुल 3,13,02,345 मरीज स्वस्थ हुये

पिछले 24 घंटों के दौरान 42,295 रोगी रिकवर हुए

पिछले 24 घंटों के दौरान 40,120 नए मामले दर्ज किए गए

साप्ताहिक पॉजिटिविटी दर 5 प्रतिशत से कम बनी हुई है, वर्तमान में यह 2.13 प्रतिशत है

दैनिक पॉजिटिविटी दर 2.04 प्रतिशत है, यह पिछले 18 दिनों से 3 प्रतिशत से कम है

टेस्टिंग क्षमता में उल्लेखनीय रूप से बढोतरी हुई है-अभी तक कुल 48.94 करोड़ जांचें की जा चुकी हैं 

BREAKING NEWS: इस राज्य में डेल्टा प्लस वेरिएंट से दूसरी मौत

BREAKING NEWS: इस राज्य में डेल्टा प्लस वेरिएंट से दूसरी मौत

मुंबई: महाराष्ट्र में डेल्टा प्लस वैरिएंट से मौत का दूसरा मामला सामने आया है। मुंबई के घाटकोपर में 63 वर्षीय महिला की मौत जुलाई में हुई थी। रिपोर्ट आने के बाद महिला में डेल्टा प्लस वैरिएंट की पुष्टि हुई है। इससे पहले महाराष्ट्र के रत्नागिरी में 13 जून को 80 वर्षीय महिला की मौत भी डेल्टा प्लस वैरिएंट की वजह से हुई थी।

खास बात यह है कि महिला वैक्सीन के दोनों डोज ले चुकी थी। इसके बाद भी उसे फेफड़ों व सांस लेने में समस्या हुई, जिसके बाद उसे घर में ही ऑक्सीजन लगाया गया। 21 जुलाई को उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई और 24 जुलाई को वह अस्पताल में भर्ती हुई, जहां तीन दिन बाद उसकी मौत हो गई। 11 अगस्त को राज्य स्वास्थ्य विभाग की ओर से महिला में डेल्टा प्लस वैरिएंट की जानकारी बृहन्मुंबई महानगर पालिका को दी गई।

महिला के संपर्क में सात लोगों में डेल्टा प्लस
स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक कुछ कोरोना संक्रमित मरीजों का जीनोम स्वीकेंस टेस्ट किया गया था। सामने आया है कि सात लोग डेल्टा प्लस वैरिएंट से संक्रमित हैं। इन सभी में यह वैरिएंट एक दूसरे के संपर्क से आया है। महानगर पालिका के अधिकारियों का कहना है कि वह महिला उन सात लोगों में से एक थी। अब, महिला के संपर्क में आने वाले दो लोगों में भी डेल्टा प्लस वैरिएंट की पुष्टि हुई है। बीएमसी के पब्लिक हेल्थ डिपार्टमेंट के कार्यकारी स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मंगला गोमरे ने बताया कि 63 वर्षीय जिस महिला की मौत डेल्टा प्लस वैरिएंट से हुई थी। उसके संपर्क में आने वाले सभी लोगों की जांच की जा रही है, जिसमें छह लोगों में कोरोना के लक्षण देखे गए हैं। सभी के सैंपल जीनोम स्वीकेंस के लिए भेजे गए हैं, जिसमें से दो में डेल्टा वैरिएंट की पुष्टि हुई है। वहीं अन्य चार लोगों की रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि मुंबई में डेल्टा प्लस वैरिएंट से मौत का यह पहला मामला सामने आया है।

लगातार बिगड़ती गई तबीयत
एन वार्ड के स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. महेंद्र खंडडे ने बताया कि पीड़ित महिला को गोदरेज मेमोरियल अस्पताल में भर्ती कराया गया था। लेकिन, यहां उसकी तबीयत बिगड़ती गई, जिसके बाद परिवार के लोग उसे ब्रीच कैंडी अस्पताल ले गए। यहां महिला की मौत हो गई।
डेल्टा प्लस वैरिएंट काफी संक्रामक है। इस कारण बुधवार को पूरे राज्य में 20 नए डेल्टा प्लस वैरिएंट मामलों की पुष्टि हुई है। इसमें सात मुंबई, पुणे व थाने में छह-छह मामले हैं। राज्य में डेल्टा प्लस वैरिएंट मामलों की संख्या 65 पहुंच गई है। इसमें से 33 मरीजों की उम्र 19 से 45 साल के बीच है। वहीं 17 मरीज 46 से 60 की उम्र के हैं।

कई देशों में आक्रामक दिख रहा डेल्टा
नई दिल्ली स्थित आईजीआईबी के डॉ. विनोद स्कारिया ने बताया कि डेल्टा के बाद अब जितने भी स्वरूप सामने आ रहे हैं उन सभी को डेल्टा प्लस की श्रेणी में ही रखा जा रहा है। अमेरिका सहित कई देशों में यह काफी आक्रामक दिख रहा है, लेकिन भारत में अभी तक ऐसा नहीं है। इन नए स्वरूपों की पहचान भारत में जरूर हुई है लेकिन उन मरीजों से अधिक लोगों के संक्रमित होने की जानकारी नहीं है लेकिन दूसरे देशों का उदाहरण लें तो यह स्थिति कभी भी भारत में आ सकती है। इसलिए सभी को लगातार सावधानी बरतनी होगी।

अमेरिका व ब्रिटेन में मिले हैं डेल्टा प्लस के नए स्वरूप
डॉ. विनोद ने बताया कि ज्यादातर डेल्टा प्लस के नए स्वरूप अमेरिका व ब्रिटेन में मिले हैं। भारत में अभी तक डेल्टा के अलावा डेल्टा प्लस, एवाई 2.0, एवाई 3.0 व एवाई 5 तक मिल चुका है। ब्रिटेन में भी एवाई 5 मिल चुका है। ऐसे में डेल्टा के नए स्वरूपों की वैश्विक स्तर पर काफी समानता भी देखने को मिल रही है।

कोरोना वायरस से ठीक हुए लोगों को हो सकती है इसकी परेशानी, रिपोर्ट में ये बात आई सामने

कोरोना वायरस से ठीक हुए लोगों को हो सकती है इसकी परेशानी, रिपोर्ट में ये बात आई सामने

कोरोना वायरस संक्रमण को मात देकर ठीक हुए लोगों को सोचने और ध्यान देने में परेशानी होने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।ईक्लीनिकलमेडिसिन पत्रिका में प्रकाशित अनुसंधान रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 के गंभीर लक्षणों से प्रभावित रहे लोग ऑनलाइन परीक्षा श्रृंखला में कम अंक हासिल कर पाए तथा इससे उनके प्रदर्शन और समस्या समाधान की क्षमता सर्वाधिक प्रभावित हुई। इसमें कहा गया कि जिन लोगों को अस्पताल में वेंटिलेटर पर रखा गया, उनमें संज्ञानात्मक क्षमता सबसे अधिक कमजोर दिखी।
ब्रिटेन के इंपीरियल कॉलेज लंदन से संबद्ध एवं अनुसंधान रिपोर्ट के अग्रणी लेखक एडम हैंपशाइर ने कहा, ''हमारे अध्ययन में कोविड-19 के विभिन्न पहलुओं को देखा गया जो मस्तिष्क तथा मस्तिष्क की कार्यप्रणाली को प्रभावित कर सकते हैं।
उन्होंने कहा, ''विभिन्न पहलुओं को देखते हुए अनुसंधान से संकेत मिलता है कि मस्तिष्क पर कोविड-19 के कुछ महत्वपूर्ण प्रभाव होते हैं जिसमें आगे पड़ताल की आवश्यकता है।

 

त्योहारी सीजन : मिठाई में चांदी के असली वर्क के नाम पर एल्युमिनियम के वर्क भी बिक रहे हैं,  इनसे भविष्य में कैंसर, फेफड़े और दिमाग से जुड़े रोगों की सम्भावना, जाने कैसे पहचाने असली और नकली में फर्क

त्योहारी सीजन : मिठाई में चांदी के असली वर्क के नाम पर एल्युमिनियम के वर्क भी बिक रहे हैं, इनसे भविष्य में कैंसर, फेफड़े और दिमाग से जुड़े रोगों की सम्भावना, जाने कैसे पहचाने असली और नकली में फर्क

 22 अगस्त को रक्षाबंधन का त्योहार आने वाला है. ऐसे में अभी से ही मिठाई की दुकानें सज गई हैं. मिठाई की दुकानों पर अलग-अलग तरह की रंग-बिरंगी मिठाईयां चांदी के वर्क में लिपटी हुई नजर आने लगी हैं. वहीं त्योहारों पर मिठाइयों की बढ़ती मांग को देखते हुए दुकानदार मिठाइयों में मिलावट भी करने लगते हैं. इतना ही नहीं, चांदी के असली वर्क के नाम पर बाजार में एल्युमिनियम के वर्क भी बिक रहे हैं. जो सेहत के लिए इतने ज्यादा खतरनाक है कि भविष्य में कैंसर, फेफड़े और दिमाग से जुड़े कई रोगों का कारण बन सकते हैं. ऐसे में हम आपको बताएंगे कि आप कैसे मिठाईयों पर लगे नकली चांदी के वर्क को पहचान सकते हैं.


इस तरह करें असली चांदी के वर्क की पहचान-
चांदी के वर्क की पहचान करने के लिए अपनी उंगलियों से मिठाई के ऊपर लगे चांदी के वर्क को पोंछने का प्रयास करें. यदि यह आपकी उंगलियों पर चिपक जाता है, तो इसका मतलब है कि चांदी के वर्क में एल्यूमीनियम मिलाया गया है. अगर ऐसा नहीं होता है, तो इसका मतलब है चांदी का वर्क असली और मिठाई खाने से कोई नुकसान नहीं होगा.


मिठाई पर लगे चांदी के वर्क को जलाकर देखें-
चांदी के वर्क की पहचान करने दूसरा तरीका यह भी है कि चांदी के वर्क को टेस्ट करने के लिए सबसे पहले मिठाई पर लगे चांदी के वर्क को उतार लें. इसके बाद इसे जलाकर देखें. यदि यह चांदी से बना है तो यह चांदी की एक गेंद के आकार में बदल जाएगा. लेकिन अगर इसमे मिलावट होगी तो यह काला हो सकता है. चांदी के वर्क में आमतौर पर एल्यूमीनियम की मिलावट की जाती है. इसे जलाने पर एल्यूमीनियम काली राख में बदल जाती है.


इन आसान तरीकों से आप भी पता लगा सकते है जो चांदी के वर्क से लिपटी हुई मिठाई आप खा रहे हैं उस पर लगा चांदी का वर्क असली है भी या फिर नकली. 

कोविड-19 टीकाकरण अपडेट

कोविड-19 टीकाकरण अपडेट

केंद्र सरकार देशभर में कोविड-19 टीकाकरण का दायरा बढ़ाने और टीके लगाने की गति को तेज करने के लिये प्रतिबद्ध है। कोविड-19 के टीकों की सर्व-उपलब्धता का नया दौर 21 जून, 2021 से शुरू किया गया है। टीकाकरण अभियान को अधिक से अधिक वैक्सीन की उपलब्धता के जरिये बढ़ाया गया। इसके तहत राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को वैक्सीन की उपलब्धता के बारे में पूर्व सूचना प्रदान की गई, ताकि वे बेहतर योजना के साथ टीके लगाने का बंदोबस्त कर सकें और टीके की आपूर्ति श्रृंखला को दुरुस्त किया जा सके। देशव्यापी टीकाकरण अभियान के हिस्से के रूप में केंद्र सरकार राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नि:शुल्क कोविड वैक्सीन प्रदान करके उन्हें समर्थन दे रही है। टीकों की सर्व-उपलब्धता के नये चरण में, केंद्र सरकार वैक्सीन निर्माताओं से 75 प्रतिशत टीके खरीदकर उन्हें राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नि:शुल्क प्रदान करेगी। केंद्र सरकार द्वारा सभी प्रकार के स्रोतों से अब तक वैक्सीन की 54.04 करोड़ से अधिक (54,04,78,610) खुराकें राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को प्रदान की गई हैं। इसके अलावा 1,09,83,510 खुराकें भेजे जाने की तैयारी है।
आज आठ बजे सुबह तक उपलब्ध आंकड़ों के हिसाब से उपरोक्त खुराकों में से बरबाद हो जाने वाली खुराकों को मिलाकर कुल 52,00,96,418 खुराकों की खपत हो चुकी है।

अभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों तथा निजी अस्पतालों के पास कोविड-19 टीके की 2.55 करोड़ से अधिक (2,55,54,533) अतिरिक्त और बिना इस्तेमाल की हुई खुराकें बची हैं, जिन्हें लगाया जाना है।

12 अगस्त : आइए एक नज़र डालते हैं आज के कोविड-19 अपडेट पर

12 अगस्त : आइए एक नज़र डालते हैं आज के कोविड-19 अपडेट पर

राष्ट्रव्यापी टीकाकरण अभियान के तहत अभी तक 52.36 करोड़ से अधिक टीके लगाये जा चुके हैं

सक्रिय मामले कुल मामलों के 1.21 प्रतिशत हैं, मार्च 2020 के बाद से सबसे कम

भारत में वर्तमान में 3,87,987 सक्रिय मामले हैं

अब तक की सबसे अधिक रिकवरी दर, वर्तमान में 97.45 प्रतिशत है

देश भर में अभी तक कुल 3,12,60,050 मरीज स्वस्थ हुये

पिछले 24 घंटों के दौरान 39,069 रोगी रिकवर हुए

पिछले चौबीस घंटों के दौरान 41,195 नए मामले दर्ज किए गए

साप्ताहिक पॉजिटिविटी दर 5 प्रतिशत से कम बनी हुई है, वर्तमान में यह 2.23 प्रतिशत है

दैनिक पॉजिटिविटी दर 1.94 प्रतिशत है, यह पिछले 17 दिनों से 3 प्रतिशत से कम है

टेस्टिंग क्षमता में उल्लेखनीय रूप से बढोतरी हुई है-अभी तक कुल 48.73 करोड़ जांचें की जा चुकी हैं

त्वचा पर दिख सकते हैं ब्लड शुगर बढ़ने के संकेत, इस तरह पहचानें

त्वचा पर दिख सकते हैं ब्लड शुगर बढ़ने के संकेत, इस तरह पहचानें

Symptoms of Diabetes: डायबिटीज एक ऐसी समस्या बन गयी है जिससे बच पाना आजकल की लाइफस्टाइल में काफी मुश्किल होता जा रहा है. कई लोग बहुत कम उम्र में ही डायबिटीज का शिकार हो रहे हैं. डायबिटीज आपकी सेहत पर कई तरह से असर डालती है. इससे शरीर के कई दूसरे अंगों पर बुरा असर पड़ता है. डायबिटीज से हार्ट संबंधी परेशानी होने लगती हैं. आंखों के कमजोर होने की एक बड़ी वजह डायबिटीज है. डायबिटीज होने पर किडनी पर भी असर पड़ता है. डायबिटीज से दूसरे अंगों के साथ ही त्वचा पर भी असर पड़ता है. इसलिए समय रहते आपको डायबिटीज की पहचान कर लेनी चाहिए. शरीर में ब्लड शुगर बढ़ने पर त्वचा पर कई तरह के बदलाव देखने को मिलते हैं. इन्हें आपको जानना जरूरी है, तो आइए जानते हैं.


डायबिटीज के संकेत


शरीर में ब्लड शुगर की मात्रा बढ़ने पर बार-बार पेशाब आने लगता है. डायबिटीज में बार-बार टॉयलेट जाने से शरीर में डिहाइड्रेशन की समस्या होने लगती है. इससे आपकी त्वचा में रुखापन आ जाता है. इसके अलावा डायबिटीज डायग्नोज होने से पहले स्किन में कुछ संकेत भी दिखने लगते हैं. जिससे आप समझ सकते हैं कि खून में ब्लड शुगर का स्तर बढ़ रहा है. इसे प्री-डायबिटीज के लक्षण कहते हैं. ऐसे में समय रहते लक्षणों की पहचान करके आपको इलाज शुरू करवा देना चाहिए, नहीं तो परेशानी बढ़ सकती है.


गहरे काले धब्बे (Dark Patch On Skin)- डायबिटीज के ज्यादातर मरीजों को त्वचा पर गहरे काले धब्बे होने लगते हैं. आपके गले या अंडरआर्म में काले पैच बन सकते हैं. इन्हें छूने पर आपको मखमल जैसा महसूस होगा. ये प्री-डायबिटीज के संकेत हैं. मेडिकल भाषा में इसे एकैनथोसिस निग्रीकैन्स कहते हैं. इससे आप समझ सकते हैं कि खून में इंसुलिन बढ़ गया है.


त्वचा पर लाल, पीले या ब्राउन धब्बे- डायबिटीज होने पर स्किन पर खुजली या दर्द होना भी संकेत है. कई लोगों को त्वचा पर पिंपल्स जैसे होने लगते हैं. आपकी स्किन पर पीले, लाल या ब्राउन धब्बे जैसे बन जाते हैं तो सभी प्री-डायबिटीज के लक्षण हैं. इसे नेक्रोबायोसिस लिपोडिका कहते हैं. अगर ऐसे संकेत आपको नज़र आएं तो तुरंत अपना शुगर लेवल चेक करा लें.


घाव देरी से ठीक होना- शरीर में ब्लड शुगर की मात्रा बढ़ने पर घाव काफी लंबे समय तक ठीक नहीं होते हैं. जिससे नसों को नुकसान पहुंच सकता है और ब्लड सर्कुलेशन में भी दिक्कत हो सकती है. नर्व डैमेज होने से त्वचा पर हुए घाव को ठीक करना मुश्किल हो जाता है. इस तरह की समस्या को डायबिटिक अल्सर कहते हैं. अगर आपको भी ऐसी परेशानी हो रही है तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए.


Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों की Just36News पुष्टि नहीं करता है. इनको केवल सुझाव के रूप में लें. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट पर अमल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.
 

घोड़े की एंटीबॉडी से महाराष्ट्र की कंपनी बना रही कोरोना की दवा...

घोड़े की एंटीबॉडी से महाराष्ट्र की कंपनी बना रही कोरोना की दवा...

मुंबई । महाराष्ट्र के कोल्हापुर की बायोसाइंसेज कंपनी घोड़ों की एंटीबॉडी से बनाई गई कोरोनावायरस की एक नई दवा का परीक्षण कर रही है। अगर यह दवा सभी परीक्षणों में सफल होती है, तो यह कोरोना के हल्के और मध्यम लक्षणों वाले मरीजों के इलाज अहम भूमिका निभाएगी। यह इस तरह की भारत की पहली स्वदेशी दवा होगी, जिसका इस्तेमाल संक्रमण के इलाज के लिए किया जाएगा।
कंपनी के अधिकारियों ने बताया कि शुरुआती परीक्षणों में दवा की वजह से 72 से 90 घंटों के अंदर ही संक्रमितों की आरटी-पीसीआर रिपोर्ट निगेटिव हो जा रही है। दवा का फिलहाल ह्यूमन ट्रायल का पहला चरण चल रहा है, जिसके इस महीने के अंत तक पूरा होने की संभावना है।
कोविड एंटीबॉडीज के कॉकटेल से इलाज का दावा
आईसेरा बॉयोलॉजिकल (iSera Biological) सिर्फ चार साल पुरानी कंपनी है और अभी तक एंटीसीरम प्रोडक्ट यानी सांप काटने, कुत्ते के काटने और डिप्थीरिया के इलाज में कारगर दवाएं बनाती है। हालांकि, कंपनी को इस काम में सीरम इंडिया ऑफ इंडिया की ओर भी मदद मिलती रही है। इस बीच कंपनी ने कोविड एंटीबॉडीज का एक कारगर कॉकटेल तैयार किया है। कंपनी का दावा है कि इसके इस्तेमाल से कोविड के हल्के और मध्यम लक्षण वाले मरीजों में संक्रमण के फैलाव को रोका जा सकता है और शरीर में मौजूद वायरस को खत्म भी किया जा सकता है।
ह्यूमन ट्रायल के नतीजों का इंतजार
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के पूर्व महानिदेशक प्रोफेसर एनके गांगुली ने कहा कि अभी तक तो यह दवा काफी हद तक उम्मीद जगाती है, लेकिन हमें ह्यूमन ट्रायल के नतीजों का इंतजार करना चाहिए। अगर दवा सभी मानकों पर सही साबित हुई, तो यह भारत जैसे देश में कोरोना के खिलाफ जारी जंग में काफी फायदेमंद साबित हो सकती है। मुझे लगता है कि बाजार में उपलब्ध इंटरनेशनल उत्पादों के मुकाबले यह दवा सस्ती भी होगी।
कंपनी ने क्या कहा?
आईसेरा बॉयोलॉजिक्स के डायरेक्टर (न्यू प्रोडक्ट) नंदकुमार कदम ने कहा, ‘दवा के कॉकटेल में बहुत विशिष्ट कोविड-19 न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी शामिल हैं, जिन्हें सभी बाहरी रसायनों को हटाकर शुद्ध किया गया है। वायरस से निकाले गए खास एंटीजन को घोड़ों में इंजेक्ट करके एंटीबॉडी को विकसित की गई। कंपनी को सही एंटीजन का चुनाव करने में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने मदद की। साथ ही उन केमिकल के चुनाव में भी सहयोग किया, जिनकी वजह से संक्रमित मेजबान में एंटीबॉडी पैदा होते हैं।
उन्होंने कहा कि एंटीबॉडी विकसित करने के लिए घोड़ों को चुना गया था, क्योंकि बड़ा जानवर होने के चलते वे बड़ी मात्रा में एंटीबॉडी पैदा करते हैं। यह प्रक्रिया वैक्सीन लगाने की तरह ही है। घोड़ों को कुछ खास तरीके के एंटीजन दिए गए थे, ताकि वे एंटीबॉडी पैदा करें। यह एंटीबॉडी वैसे ही हैं जैसा कि कोरोना संक्रमित होने के बाद मानव शरीर एंटीबॉडी पैदा करता है। घोड़ों से एंटीबॉडी को लेकर उन्हें शुद्ध करने के लिए उच्च गुणवत्ता की प्रक्रिया अपनाई गई, ताकि अंत में मिलने वाला एंटीबॉडी कम से कम 95 फीसदी शुद्ध हो।
कदम ने कहा कि आईसेरा के प्रोडक्ट पॉलीक्लोनल एंटीबॉडी का मिश्रण हैं और मोनोक्लोनल उत्पादों के मुकाबले यह वायरस को खत्म करने में ज्यादा कारगर हैं। सबसे महत्वपूर्ण ये कि कोरोना के नए और पुराने म्यूटेशन के खिलाफ भी इनके कारगर होने की संभावना है।
उन्होंने कहा कि एक इंजेक्शन की कीमत कुछ हजार रुपए होगी। अहम बात यह है कि दवा को संक्रमण के शुरुआती चरण में ही दिया जाए, जब वायरस का मरीज के पूरे शरीर पर नियंत्रण ना हो। कंपनी की योजना सितंबर और अक्टूबर में दवा के फेज 2 और फेज 3 का ट्रायल करने की है। अगर सबकुछ सही रहा तो इस साल के अंत तक कंपनी अपनी दवा को बाजार में उतार सकती है।
 

अब सप्ताह के इस दिन सिर्फ दूसरी डोज वालों का होगा टीकाकरण...

अब सप्ताह के इस दिन सिर्फ दूसरी डोज वालों का होगा टीकाकरण...

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में अब शनिवार को सिर्फ दूसरी डोज लगाई जाएगी। इसमें सुबह नौ बजे से 11 बजे तक स्लॉट बुक करने वालों को प्राथमिकता दी जाएगी। इसके बाद जिन्होंने बुकिंग नहीं की है, उनका भी टीकाकरण किया जाएगा।
प्रदेश में अगस्त माह में दूसरी डोज लेने वालों की संख्या अधिक है। ऐसे में बूथ पर भीड़ नियंत्रण के लिए नई रणनीति तैयार की गई है। सोमवार से शुक्रवार को पहली डोज के साथ ही दूसरी डोज भी लगाई जाएगी, लेकिन शनिवार को पहली डोज का टीकाकरण नहीं होगा। इस दिन सिर्फ दूसरी डोज वालों का ही टीकाकरण किया जाएगा।
महीने भर पहले तय किया गया था कि शनिवार को कोविड टीकाकरण बंद रहेगा। इस दिन सिर्फ महिलाओं और बच्चों को नियमित टीके लगाए जाएंगे, लेकिन अब इसमें बदलाव करते हुए शनिवार को दूसरी डोज लगाने का फैसला लिया गया है। इसी तरह बुधवार और शनिवार को महिलाओं व बच्चों का टीकाकरण चलता रहेगा।
प्रदेश में अब तक पांच करोड़ 50 लाख से अधिक कोविड वैक्सीन की डोज दी जा चुकी हैं, जिसमें चार करोड़ 64 लाख से अधिक लोगों ने पहली डोज ली है। मंगलवार को 514551 लोगों का टीकाकरण किया गया।
20 नए मरीज मिले, 43 संक्रमण मुक्त
प्रदेश में मंगलवार को 20 नए कोरोना मरीज मिले हैं, जबकि 43 ठीक हुए। इसी तरह प्रयागराज में एक मरीज की मौत हुई है। प्रदेश में अब 545 एक्टिव केस बचे हैं। प्रदेश ने कोरोना मरीजों की संख्या में लगातार कमी आ रही है।
बीते 24 घंटे में प्रदेश में 2006178 सैंपल की जांच की गई, जिसमें 20 संक्रमित मिले। अब तक कुल छह करोड़ 78 लाख 97 हजार आठ सौ 56 सैंपल की जांच की जा चुकी है।
प्रदेश में कोरोना की रिकवरी दर 98.6 फीसदी और पॉजिटिविटी दर 0.01 फीसदी रही। नए मरीजों में प्रयागराज में चार, महराजगंज में चार, लखनऊ में एक, वाराणसी में दो, गौतमबुद्ध नगर में दो मरीज मिले हैं। अन्य जिलों में एक-एक मरीज मिले हैं। 63 जिले में एक भी मरीज नहीं मिले हैं।
 

11 अगस्त : कोविड-19 अपडेट

11 अगस्त : कोविड-19 अपडेट

राष्ट्रव्यापी टीकाकरण अभियान के तहत अभी तक 51.90 करोड़ से अधिक टीके लगाये जा चुके हैं

भारत में वर्तमान में 3,86,351 सक्रिय मामले हैं, जो 140 दिनों में सबसे कम हैं

सक्रिय मामले कुल मामलों के 1.21 प्रतिशत हैं, मार्च 2020 के बाद से सबसे कम

अब तक की सबसे अधिक रिकवरी दर, वर्तमान में 97.45 प्रतिशत है

देश भर में अभी तक कुल 3,12,20,981 मरीज स्वस्थ हुये

पिछले 24 घंटों के दौरान 40,013 रोगी रिकवर हुए

साप्ताहिक पॉजिटिविटी दर 5 प्रतिशत से कम बनी हुई है, वर्तमान में यह 2.34 प्रतिशत है

दैनिक पॉजिटिविटी दर 2.16 प्रतिशत है, यह पिछले 16 दिनों से 3 प्रतिशत से कम है

टेस्टिंग क्षमता में उल्लेखनीय रूप से बढोतरी हुई है-अभी तक कुल 48.50 करोड़ जांचें की जा चुकी हैं 

अब हो सकेगा कोरोना टीके की मिश्रित खुराक का भी इस्तेमाल, डीसीजीआई ने दी अनुमति

अब हो सकेगा कोरोना टीके की मिश्रित खुराक का भी इस्तेमाल, डीसीजीआई ने दी अनुमति

नई दिल्ली: कोरोना वायरस से बचाव के लिए अब टीके की मिश्रित खुराक का भी इस्तेमाल होगा। सूत्रों अनुसार, विशेषज्ञ समिति (एसईसी) की सिफारिशों के आधार पर औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) ने इसकी अनुमति दे दी है। इसकी आधिकारिक घोषणा जल्द हो सकती है।

हाल ही में हुई समिति की बैठक में वैल्लोर स्थित क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज ने कोवाक्सिन और कोविशील्ड टीके की मिश्रित खुराक की अनुमति मांगी थी। समिति ने इसे मंजूर कर लिया था। अधिकारियों का कहना है कि इसे लेकर टीकाकरण पर गठित राष्ट्रीय तकनीकी सलाह समिति का फैसला बाकी है। टीकाकरण समिति की सिफारिशों के आधार पर मिश्रित खुराक को टीकाकरण में शामिल किया जाएगा।

कोवाक्सिन टीके की उपलब्धता बढ़ाने के लिए 15 अगस्त के बाद गुजरात के अंकलेश्वर स्थित कारखाने में इसका उत्पादन शुरू होने जा रहा है। इस दौरान स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया भी मौजूद रह सकते हैं। कर्नाटक, महाराष्ट्र व यूपी में भी चार जगहों पर कोवाक्सिन उत्पादन को मंजूरी दी जा चुकी है। हालांकि, अभी वहां उत्पादन शुरू नहीं हुआ है।