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पूर्व नपं उपाध्यक्ष समेत 58 कांग्रेसियों ने थामा भाजपा का दामन, प्रदेश प्रभारी पुरंदेश्वरी ने किया स्वागत

पूर्व नपं उपाध्यक्ष समेत 58 कांग्रेसियों ने थामा भाजपा का दामन, प्रदेश प्रभारी पुरंदेश्वरी ने किया स्वागत

बीजापुर : चार राज्यों में जीत के चलते आत्मविश्वास से लबरेज बीजापुर भाजपा जिला ईकाई बुधवार को और भी मजबूत हो गई। भाजपा की राष्ट्रीय महामंत्री और छत्तीसगढ़ प्रभारी डी पुरंदेश्वरी के एक दिवसीय बीजापुर प्रवास के दौरान पूर्व नपं उपाध्यक्ष एवं महामंत्री समेत कांग्रेस के 58 कार्यकर्ताओं ने भाजपा का दामन थाम लिया। एकाएक हुए दलबदल से कांग्रेस भी सकते में आ गई है। देश के पांच राज्यों में संपन्न चुनाव में पिछड़ने के बाद मायूस कांग्रेस के लिए यह खबर भी हलक नहीं उतर रही थी।

भाजपा प्रवेश करने वालों में पूर्व नपं उपाध्यक्ष और जिला महामंत्री भैरमगढ़ लव कुमार रायडू,पूर्व पार्षद माधव बघेल, संजय सिंह ठाकुर, पूर्व एल्डरमेन विरेंद्र यादव, व्यापारी संघ अध्यक्ष रींकु ठाकुर, महेश कुमार,अनुमंत पशपुल, रविंद्र कुमार, रोहन कोरसा, राकेश कुरसम,आर्यन सकनी, अनुण पटेल, परमानंद पटेल, धर्मेंद्र यादव, अजमेरी कुरैशी, राजेश पाण्डेय, आरीफ खान, रमेश ठाकुर, संतोष सोनी, भुनेश्वर यादव, प्राणेश्वर यादव, सत्य प्रकाश बघेल, सुनील बेंजाम, अषोक यादव, परवेज खान, राजेश यादव, कपिल कोरसा, अर्जुन कड़ियम, शिशुपाल सिंह कुशवाह, बबलू कुंजाम, मनोज शर्मा, विकास शर्मा, मोहन लेकाम, ईतवारी लेकाम, रामदरस पटेल, विवेक पटेल, संतोष जयसवाल, मनीष यादव, रमेश ठाकुर, इस्माइल खान, कमलू वेक्को, महादेव कश्यप, श्रीनाथ नाग, जगमोहन यादव, भैंसू कोरसा, अमित कुड़ियम, गीता नक्का, मीना कड़ियम, अयूब खान, रमेश सिंह समेत 54 कांग्रेसी शामिल है।

प्रदेश प्रभारी पुरंदेश्वरी ने सभी को भगवा गमछा और फूल माला पहनाकर पार्टी में प्रवेश कराया। इधर भाजपा प्रदेश प्रभारी के प्रवास के दौरान इतनी बड़ी संख्या में कांग्रेसी कार्यकर्ताओं के भाजपा प्रवेश से कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है, इतना ही नहीं प्रदेश कांग्रेस में भी हड़कंप मचा है। दूसरी ओर भाजपा पदाधिकारियों में हर्ष व्याप्त है।
 

पंजाब में कांग्रेस का खराब प्रदर्शन , नवजोत सिंह सिद्धू ने अध्यक्ष पद से दिया इस्तीफा

पंजाब में कांग्रेस का खराब प्रदर्शन , नवजोत सिंह सिद्धू ने अध्यक्ष पद से दिया इस्तीफा

नई दिल्ली : पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने बुधवार को पार्टी कमेटी को त्यागपत्र सौंप दिया है। बीते साल जुलाई में पहली बार पार्टी के राज्य प्रमुख बनाए गए सिद्धू इससे पहले भी पद छोडऩे की पेशकश कर चुके हैं। खास बात है कि अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पांच राज्यों के अध्यक्षों से इस्तीफा सौंपने की मांग की थी। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन को लेकर पार्टी ने यह फैसला किया था।

बीते सप्ताह संपन्न हुए चुनाव में कांग्रेस पंजाब में केवल 18 सीटें ही हासिल कर सकी थी। सिद्धू ने संक्षिप्त रूप में लिखा, आदरणीय मैडम, यहां मैं पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे रहा हूं। इससे पहले उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के कांग्रेस प्रमुख भी अपना पद छोड़ चुके हैं। कांग्रेस को पांच में से एक भी राज्य में सफलता हासिल नहीं हो सकी। कहा जा रहा था कि पार्टी उत्तराखंड और गोवा में बेहतर प्रदर्शन कर सकती है, लेकिन नतीजों में पार्टी को निराशा हाथ लगी।

उत्तराखंड कांग्रेस के अध्यक्ष गणेश गोडियाल ने भी पार्टी को इस्तीफा सौंप दिया है। उन्होंने ट्वीट किया था, प्रदेश में हुये विधानसभा चुनावों में पार्टी की हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए आज मैंने अपना इस्तीफा सौंप दिया है। मैं परिणाम के दिन ही इस्तीफा देना चाहता था पर हाईकमान के आदेश की प्रतिक्षा पर रुका था।

एक अन्य ट्वीट में उन्होंने लिखा, आज दिल्ली पंहुच कर जैसे ही यह अवगत हुआ कि अन्य वह सभी राज्यों के जबावदेह पदाधिकारी, जहां चुनावों में आशातीत सफलता नहीं मिली, अपने पदों से इस्तीफा दे रहे हैं, मैंने भी अपना इस्तीफा सौंप दिया है। कांग्रेस के कार्यकर्ता के तौर पर संघर्ष करता रहूंगा।

यूपी कांग्रेस के प्रमुख अजय कुमार लल्लू ने भी मंगलवार को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। हमारी अध्यक्ष का जो भी फैसला होगा, उसे माना जाएगा। मैं हार की नैतिक जिम्मेदारी लेता हूं और पूरे चुनाव में हम मुद्दों के लिए लड़े। हमने मतदाताओं के भरोसे को जीतने की कोशिश की। लोकतंत्र में जनता सर्वोच्च है और भविष्य में हम उन्हें खुश करने की कोशिश करेंगे।

गोवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गिरीश चूड़ांकर ने भी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे दिया था। मणिपुर में एन लोकेन सिंह पार्टी अध्यक्ष की जिम्मेदारी निभा रहे हैं। कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट किया था, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रदेश कांग्रेस कमेटियों के पुनर्निमाण के लिए उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर के पीसीसी अध्यक्षों से इस्तीफा देने के लिए कहा है।

 

बड़ी खबर : पीएम मोदी ने अपने आवास में बुलाई बैठक, इन बड़े मुद्दों पर हो रही है चर्चा

बड़ी खबर : पीएम मोदी ने अपने आवास में बुलाई बैठक, इन बड़े मुद्दों पर हो रही है चर्चा

नई दिल्ली | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आवास पर बड़ी बैठक हो रही है. यह बैठक उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में सरकार गठन को लेकर हो रही | इस बैठक में पीएम मोदी के अलावा गृह मंत्री अमित शाह, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और संगठन महामंत्री बीएल संतोष शामिल हैं. 10 मार्च को आए चुनावी नतीजों में भारतीय जनता पार्टी को उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में जीत हासिल हुई. बीजेपी लगातार इन राज्यों में सरकार बनाने को लेकर बैठकें कर रही है.

दिल्ली में आज उत्तराखंड और मणिपुर में सरकार गठन को लेकर बड़ी बैठकें हुईं. पुष्कर सिंह धामी उत्तराखंड से दिल्ली पहुंचे. उत्तराखंड में सरकार को लेकर दिल्ली में मंथन हुआ. जे पी नड्डा, बीएल संतोष, पुष्कर धामी के साथ राज्य के कई नेताओं ने की बैठक हुई. बैठक से पहले पुष्कर सिंह धामी ने कहा, "हम पार्टी की बैठक में शामिल होने आए हैं. पार्टी आलाकमान उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के निर्णय के मुद्दे पर विचार करेगा और उनका फैसला आखिरी होगा."

दरअसल उत्तराखंड में 70 में से 47 सीटें हासिल करने वाली बीजेपी अभी तक सीएम का नाम तय नहीं कर सकी है. निवर्तमान सीएम पुष्कर सिंह धामी खटीमा सीट से खुद चुनाव हार गए हैं. हालांकि सीएम के तौर पर उनका नाम सबसे आगे चल रहा है. इनके अलावा चर्चा में निवर्तमान मंत्री धन सिंह रावत, निवर्तमान मंत्री सतपाल महाराज, पूर्व सीएम बीसी खंडूरी की बेटी ऋतु खंडूड़ी भूषण, निवर्तमान मंत्री गणेश जोशी का नाम भी है.

गोवा में अब तक पेश नहीं किया सरकार बनाने का दावा
गोवा में विधानसभा चुनाव परिणाम घोषित होने के पांच दिन बाद भी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अगली सरकार बनाने का दावा पेश नहीं किया है. राज्य के कार्यवाहक मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत पार्टी अध्यक्ष जे पी नड्डा से मिलने के लिए आज दिल्ली आए. बीजेपी सूत्रों के मुताबिक, विधायक दल के नेता के चयन के लिए बीजेपी की गोवा इकाई के विधायक दल की बैठक बुधवार को होने की संभावना है. विधायक दल का नेता राज्य का अगला मुख्यमंत्री बनेगा.

हार के बाद बड़े फेरबदल के लिए कांग्रेस तैयार! सोनिया गांधी ने पांचों राज्यों के प्रदेश अध्यक्षों से मांगा इस्तीफा

हार के बाद बड़े फेरबदल के लिए कांग्रेस तैयार! सोनिया गांधी ने पांचों राज्यों के प्रदेश अध्यक्षों से मांगा इस्तीफा

पांच राज्यों में बड़ी हार के बीच कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन और बड़े फेरबदल की चर्चाओं के बीच अहम खबर सामने आई है. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर के पीसीसी अध्यक्षों से कहा है कि वे पीसीसी के पुनर्गठन के लिए अपना इस्तीफा दे दें.
रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट जारी करते हुए इस संबंध में जानकारी शेयर की है. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने रविवार को कांग्रेस कार्य समिति (CWC) की बैठक में कहा था कि ‘हम पार्टी के हित में किसी भी त्याग के लिए तैयार हैं. इसके बाद सीडब्ल्यूसी में शामिल नेताओं ने उनके नेतृत्व में भरोसा जताते हुए उनसे आग्रह किया कि संगठनात्मक चुनाव संपन्न होने तक वह पद पर बनी रहें.
सीडब्ल्यूसी में शामिल नेताओं ने सोनिया गांधी से यह भी कहा था कि वह कांग्रेस को मजबूत बनाने के लिए जरूरी बदलाव करें और सुधारात्मक कदम उठाएं. सोनिया गांधी की अध्यक्षता में करीब साढ़े चार घंटे तक हुई सीडब्ल्यूसी की बैठक में यह फैसला भी किया गया था कि संसद का बजट सत्र संपन्न होने के तत्काल बाद एक ‘चिंतन शिविर’ का आयोजन किया जाएगा जिसमें आगे की रणनीति तय की जाएगी.
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने प्रदेश में ‘चिंतन शिविर’ का आयोजन करने का प्रस्ताव दिया था. ‘चिंतन शिविर’ से पहले सीडब्ल्यूसी की एक और बैठक होगी. बैठक के बाद सीडब्ल्यूसी के कई नेताओं ने बताया कि सोनिया गांधी ने सीडब्ल्यूसी की बैठक में कहा ‘हम कांग्रेस कार्यकर्ताओं की इच्छा के अनुरूप पार्टी के हित में किसी भी त्याग के लिए तैयार हैं.’ कई लोग इसे उनके इस कथन को सोनिया गांधी और राहुल गांधी तथा प्रियंका गांधी के पार्टी की जिम्मेदारियों से मुक्त होने की पेशकश के तौर पर देख रहे हैं.
उनके इस कथन के बाद सीडब्ल्यूसी के सदस्यों ने ‘सर्वसम्मति से’ उनके नेतृत्व में विश्वास जताया और कहा कि संगठनात्मक चुनाव होने तक वह पद पर बनी रहें. बैठक में राहुल गांधी ने पार्टी को मजबूत बनाने की जरूरत पर जोर दिया. सूत्रों ने बताया कि सीडब्ल्यूसी की बैठक में शामिल ‘जी 23’ के कुछ नेताओं ने कहा कि वे पार्टी को मजबूत करने के लिए सुधारात्मक कदम उठाने की मांग करते आ रहे हैं, लेकिन कुछ नेताओं ने उनका ‘अपमान’ किया है, जो अब बंद होना चाहिए. ‘जी 23’ के तीन नेता गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा और मुकुल वासनिक सीडब्ल्यूसी में शामिल हैं.
सीडब्ल्यूसी की बैठक के बाद जारी बयान में कहा गया कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव परिणाम भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लिए गंभीर चिंतन का विषय हैं. पार्टी का यह मानना है कि अपनी रणनीति में खामियों के चलते हम जहां चार राज्यों में भाजपा सरकारों के कुशासन को प्रभावी ढंग से उजागर नहीं कर पाए. सीडब्ल्यूसी के मुताबिक पंजाब राज्य में नेतृत्व बदलाव के बाद मिले सीमित समय में सत्ता विरोधी लहर पर काबू नहीं पाया जा सका.

 source:ABP News

कांग्रेस की लीडरशिप छोड़े गांधी परिवार, किसी और को मौका देकर देखिए : कपिल सिब्बल

कांग्रेस की लीडरशिप छोड़े गांधी परिवार, किसी और को मौका देकर देखिए : कपिल सिब्बल

नई दिल्ली : कांग्रेस के सीनियर कपिल सिब्बल ने गांधी परिवार को पार्टी के नेतृत्व से अलग होने को कहा है। उन्होंने कहा कि यह सही समय है जब गांधी परिवार से कांग्रेस की लीडरशिप से हट जाना चाहिए और नेतृत्व की भूमिका के लिए और किसी अन्य व्यक्ति को मौका देना चाहिए। सिब्बल का यह बयान पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की हार और कांग्रेस कार्यसमिति की ओर से सोनिया गांधी के नेतृत्व में अपना विश्वास दिखाने के बाद आया है।

कपिल सिब्बल ने विचार-मंथन सत्र आयोजित करने के पार्टी के फैसले की आलोचना की। उन्होंने कहा कि नेतृत्व कुकू लैंड में रह रहा है, अगर उसे आठ साल बाद भी पार्टी के पतन के कारणों के बारे में पता नहीं है। जी23 नेताओं ने 2020 में सोनिया गांधी को पार्टी में बड़े बदलावों की मांग की थी। सिब्बल कांग्रेस के पहले वरिष्ठ नेता हैं जिन्होंने मांग की कि गांधी परिवार एक नए नेता के लिए रास्ता बनाए। उन्होंने कहा कि गांधी परिवार को स्वेच्छा से दूर जाना चाहिए, क्योंकि उनकी ओर से नामित बॉडी उन्हें कभी नहीं बताएगी कि उन्हें सत्ता की बागडोर जारी नहीं रखनी चाहिए।

सीडब्लूसी के बाहर के नेताओं की राय भी सुनी जाए
सिब्बल ने कहा कि वह न तो विधानसभा चुनावों में पार्टी की हार से हैरान हैं और न ही सीडब्ल्यूसी के सोनिया गांधी के नेतृत्व में विश्वास दिखाने के फैसले से। उन्होंने कहा कि सीडब्ल्यूसी के बाहर बड़ी संख्या में नेताओं का दृष्टिकोण पूरी तरह से अलग है। उन्होंने कहा, सीडब्ल्यूसी के बाहर एक कांग्रेस है... कृपया उनके विचारों को सुनें। अगर आप चाहें तो... हमारे जैसे बहुत से नेता जो सीडब्ल्यूसी में नहीं हैं, लेकिन कांग्रेस में एक पूरी तरह से अलग दृष्टिकोण है। क्या आपको इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि हम सीडब्ल्यूसी में नहीं हैं

सिब्बल बोले- मुझे सब की कांग्रेस चाहिए
कांग्रेस नेता ने कहा, उनके अनुसार सीडब्ल्यूसी भारत में कांग्रेस पार्टी का प्रतिनिधित्व करती है। मुझे नहीं लगता कि यह सही है। देश भर में बहुत सारे कांग्रेसी हैं... केरल से, असम से, जम्मू-कश्मीर से, महाराष्ट्र से, उत्तर प्रदेश से, गुजरात से, जो इस तरह की राय नहीं रखते हैं। मैं दूसरों की ओर से बात नहीं कर सकता। यह मेरा निजी विचार है कि आज कम से कम मुझे सब की कांग्रेस चाहिए। कुछ अन्य घर की कांग्रेस चाहते हैं। मैं निश्चित रूप से घर की कांग्रेस नहीं चाहता। और मैं अपनी आखिरी सांस तक सब की कांग्रेस के लिए लड़ूंगा।

 

कई मायने में अलग होगा योगी का नया मंत्रिमंडल, दिखाई देगी मिशन-2024 की छाप

कई मायने में अलग होगा योगी का नया मंत्रिमंडल, दिखाई देगी मिशन-2024 की छाप

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का नया मंत्रिमंडल इस बार पहले से कई मायने में अलग होगा। इस मंत्रिमंडल पर मिशन-2024 की छाप स्पष्ट दिखाई देगी। टीम योगी का हिस्सा बनने वाले चेहरों के जरिए पार्टी मिशन-2024 के लिए क्षेत्रीय संतुलन के साथ ही सामाजिक समीकरणों को साधने का प्रयास करेगी। प्रशासनिक अनुभव वाले कुछ चेहरे भी इस बार मंत्रिमंडल में दिखाई दे सकते हैं। कोशिश होगी कि विधानसभा चुनावों में जहां पार्टी की स्थिति 2017 की तुलना में कमजोर हुई वहां प्रतिनिधित्व देकर उसे मजबूती दी जाएगी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पीएम नरेंद्र मोदी सहित पार्टी के तमाम शीर्ष नेताओं से मुलाकात और आभार प्रदर्शन के बाद सोमवार की शाम लखनऊ लौट आए। नई सरकार के स्वरूप को लेकर दिल्ली दरबार में मंत्रणा हो चुकी है। अब देखना यह है कि तय किए गए सांचे में कौन-कौन से चेहरे फिट होते हैं। यूं तो मंत्री बनने को लेकर विधायकों ने लखनऊ से दिल्ली तक दौड़ लगाई है। काम बन जाए इसलिए तमाम प्रयास और पूजा-पाठ का भी सहारा ले रहे हैं। सोमवार को भी भाजपा कार्यालय में दिनभर विधायकों का तांता लगा रहा।
हर इलाके का दिखेगा प्रतिनिधित्व
नई टीम में बृज क्षेत्र, मथुरा, आगरा, एटा, बदायूं, देविरया, हाथरस जिलों को प्रतिनिधित्व मिल सकता है। वहीं पश्चिम क्षेत्र में मेरठ को भी मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व मिल सकता है। इसी तरह सहारनपुर, शाहजहांपुर, बरेली का प्रतिनिधित्व भी दिखेगा। कानपुर और गोरखपुर क्षेत्र, बलिया, फतेहपुर, काशी क्षेत्र से कई चेहरों को जगह मिल सकती है। लखनऊ और इलाहाबाद मंडल से फिर कई चेहरे मंत्रिमंडल में दिखेंगे।
कुछ पुराने चेहरे नहीं होंगे रिपीट
दूसरी ओर पार्टी में जीते गए विधायकों को लेकर क्षेत्रवार और जातीय आधार पर आंकलन किया जा रहा है। पूर्वांचल के कई इलाकों के साथ ही पश्चिम पर इस बार खास फोकस रहेगा। पहली सरकार में बेहतर प्रदर्शन न करने वाले कई चेहरों को बदलने की चर्चा तो रही लेकिन पार्टी ने चुनाव से पहले कोई जोखिम नहीं लिया। हालांकि नवंबर में जातीय समीकरणों को ध्यान में रखते हुए कई चेहरों को मंत्रिमंडल में जगह जरूर दी गई। नई टीम में खराब परफारमेंस वाले चेहरे रिपीट नहीं होंगे।
 

पंजाब के होने वाले मुख्यमंत्री ने लोकसभा की सदस्यता से दिया इस्तीफा, होली के पहले लेंगे पंजाब के मुख्यमंत्री पद की शपथ

पंजाब के होने वाले मुख्यमंत्री ने लोकसभा की सदस्यता से दिया इस्तीफा, होली के पहले लेंगे पंजाब के मुख्यमंत्री पद की शपथ

पंजाब : देश के पांच राज्यों में हुये चुनाव के बाद 10 मार्च को नतीजे घोषित कर दिए गये है। वही पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार बन गई है। इसके साथ ही अब पंजाब के होने वाले मुख्यमंत्री भगवंत मान ने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने सोमवार को बजट सत्र के दूसरे चरण के पहले दिन लोकसभा के स्पीकर ओम बिरला से मुलाकात की और अपना इस्तीफा सौंपा। 

आपको बता दे कि पंजाब के खटकड़कलां गांव में होने जा रहे भगवंत मान के शपथ ग्रहण समारोह में कोई भी VVIP गेस्ट नहीं होगा। दिल्ली की ही तरह पंजाब में भी शपथ ग्रहण कार्यक्रम के लिए आम आदमी पार्टी ने किसी भी दूसरे राज्य के मुख्यमंत्री या किसी भी अन्य पार्टी के बड़े नेता को निमंत्रण नहीं दिया है। शपथ ग्रहण समारोह में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल समेत आम आदमी पार्टी के सभी बड़े नेता मौजूद रहेंगे। 

करारी हार के बाद फिर एक्टिव हुए G-23 नेता, थरूर बोले- कांग्रेस विश्वसनीय विपक्षी दल, फिर से जान फूंकने की जरूरत

करारी हार के बाद फिर एक्टिव हुए G-23 नेता, थरूर बोले- कांग्रेस विश्वसनीय विपक्षी दल, फिर से जान फूंकने की जरूरत

पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस नेतृत्व में एक बार फिर बदलाव की मांग उठने लगी है। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने पार्टी में नई जान फूंकने की बात कही है। थरूर ने कांग्रेस पार्टी को सबसे विश्वसनीय विपक्षी दल भी बताया है। थरूर इससे पहले भी पार्टी में बदलाव और सुधार की मांग कर चुके हैं।
शशि थरूर ने देश में विभिन्न दलों के विधायकों की संख्या वाला एक चार्ट साझा करते हुए ट्वीट किया, 'यही वजह है कि कांग्रेस सबसे विश्वसनीय राष्ट्रीय विपक्षी पार्टी बनी हुई है। इसीलिए सुधार और नयी जान फूंकनी जरूरी है।' थरूर की यह टिप्पणी उस वक्त आई जब कांग्रेस कार्य समिति की बैठक भी चल रही थी। इस बैठक में पार्टी की अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, महासचिव प्रियंका गांधी समेत कई सीनियर नेता शामिल हुए थे।
शशि थरूर कांग्रेस के G-23 नेताओं में शामिल हैं। इनके अलावा इसमें गुलाम नबी आजाद, कपिल सिब्बल, मनीष तिवारी समेत कुल 23 नेता शामिल हैं। अगस्त 2020 में 23 कांग्रेस नेताओं ने सोनिया गांधी को पत्र लिखकर सक्रिय नेतृत्व और संगठन में व्यापक बदलाव की मांग की थी। तब से ये नेता चर्चा में बने रहते हैं और जब-जब पार्टी को हार का सामना करना पड़ा है तब-तब ये नेता अपनी मांग को दोहराते रहते हैं।
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक से पहले सोनिया गांधी और राहुल गांधी के नेतृत्व का समर्थन करते हुए रविवार को कहा कि राहुल गांधी अकेले व्यक्ति हैं, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पूरे दमखम से मुकाबला कर कर रहे हैं।
पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को करारी हार झेलनी पड़ी है। पंजाब में सत्ता भी गंवानी पड़ी है। इसके अलावा यूपी, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में पार्टी का प्रदर्शन एक बार फिर निराशा जनक ही रहा है। चुनाव में करारी हार पर मंथन के लिए रविवार को कांग्रेस कार्य समिति की बैठक हुई।

 

बड़ी खबर : कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को लेकर सीएम गहलोत का आया बड़ा बयान, सीएम ने कहाँ इन्हें होना चाहिए कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष

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नई दिल्ली | पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस में हलचल मची हुई है. आज कांग्रेस वर्किंग कमेटी की मीटिंग भी हुई. इस बीच राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि राहुल गांधी को कांग्रेस का अध्यक्ष बन जाना चाहिए. सिर्फ राहुल गांधी में ही नरेंद्र करने का दमखम है. वह ऐसा कर भी रहे हैं. उन्होंने कहा कि पिछले तीन दशक से गाँधी परिवार से कोई पीएम या मंत्री नहीं बना. इससे समझा जा सकता है कि कांग्रेस की एकजुटता के लिए गांधी परिवार कितना ज़रूरी है.

अशोक गहलोत ने कहा, ‘‘राजनीति में कई तरह की परिस्थिति बन जाती है, उससे घबराना नहीं चाहिए. हम लोगों ने लंबे समय से देखा है, उतार-चढ़ाव आते रहते हैं, यही भारतीय जनता पार्टी जो आज सत्ता में है, उसे कभी संसद में सिर्फ 2 सीट मिली थी. इसलिए चुनाव में हार-जीत होती रहती है, हम उनसे घबराते नहीं हैं.’’

उनके मुताबिक, ‘‘आज राहुल गांधी अकेले व्यक्ति हैं, जो दमखम के साथ नरेंद्र मोदी जी का मुकाबला कर रहे हैं और नरेंद्र मोदी जी को भी राहुल गांधी जी को टार्गेट करके ही अपना भाषण शुरू करना पड़ता है और उसका अंत करना पड़ता है. आप समझ सकते हो कि इसका क्या मतलब है.’’

BIG BREAKING : कांग्रेस CWC की बैठक हुई ख़त्म, पार्टी अध्यक्ष चुनाव की तारीख का हो सकता है ऐलान

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नई दिल्ली | पांच राज्यों में करारी हार के बाद रविवार को हुई कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक खत्म हो गई है. इस बैठक की अध्यक्षता अंतरिम कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने की. राहुल गांधी और प्रियंका गांधी भी मौजूद रहीं.

BIG BREAKING : कांग्रेस CWC की बैठक हुई शुरू, सीएम भूपेश बघेल समेत कई दिग्गज नेता है मौजूद

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नई दिल्ली | देश 5 राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हुई करारी हार के बाद रविवार को सीडब्लूसी की महत्वपूर्ण बैठक सोनियागांधी के आवास में बुलाई गई है। कोंग्रेस के मुख्यालय 24 अकबर रोड की इस बैठक में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, नेता राहुल गांधी, प्रियंका गांधी सहित कांग्रेस के दिग्गज नेता मौजूद हैं।

पार्टी की सर्वोच्च नीति निर्धारक इकाई की इस बैठक में सबकी नजरें सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी पर हैं. कांग्रेस की कार्यप्रणाली में आमूलचूल परिवर्तन की मांग के बीच हो रही इस बैठक में गांधी परिवार के अलावा पार्टी के असंतुष्ट माने जाने वाले नेताओं के संगठन जी-23 के कई सदस्य भी शामिल हैं. सोनिया, राहुल और प्रियंका के संभावित इस्तीफे की मीडिया में आई खबरों का कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला पहले ही खंडन कर चुके हैं. देखना ये है कि इस बैठक में क्या नतीजा निकलकर आता है.

सूत्रों का कहना है कि मौजूदा हालात को देखते हुए कांग्रेस के सांगठनिक चुनावों को आगे सरकाने का फैसला हो सकता है. अभी ये चुनाव अगस्त-सितंबर में होने हैं. सूत्रों के मुताबिक, इन्हें दो-तीन महीने पहले कराया जा सकता है. इसी में तय होगा कि कांग्रेस की बागडोर किसके हाथ में रहेगी. 2019 में लगातार दूसरी चुनावी हार के बाद राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष पद छोड़ चुके हैं. फिलहाल सोनिया गांधी अंतरिम अध्यक्ष हैं. लेकिन उनकी खराब सेहत की वजह से वह पूरा ध्यान नहीं दे पा रही हैं.

सूत्र बताते हैं कि राहुल गांधी भले ही अध्यक्ष पद छोड़ चुके हैं, लेकिन पार्टी के बड़े फैसलों में सोनिया, प्रियंका के साथ उनकी भी बात मानी जाती है. वह पार्टी की कमान किसी गैर गांधी के हाथों में सौंपने के इच्छुक हैं, लेकिन पार्टी के पुराने कई नेता इसके लिए तैयार नहीं हैं. सीडब्ल्यूसी की बैठक में इसे लेकर कोई निर्णय हो पाता है या नहीं, देखना होगा.

कार्यकर्ताओं ने लगाए राहुल-प्रियंका जिंदाबाद के नारे
सीडब्ल्यूसी की बैठक से पहले पार्टी के वरिष्ठ नेता और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राहुल गांधी के हाथों में पार्टी की कमान दिए जाने की वकालत की थी. समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी को एकजुट रखने के लिए गांधी परिवार की जरूरत है, ये बात सबको समझना जरूरी है. लगभग तीन दशकों से गांधी परिवार का कोई सदस्य प्रधानमंत्री या मंत्री नहीं बना है. राहुल गांधी को ही पार्टी की बागडोर संभालनी चाहिए. ऐसी ही मांग सीडब्ल्यूसी की बैठक के दौरान AICC मुख्यालय के बाहर जुटे पार्टी कार्यकर्ताओं ने की. उन्होंने राहुल गांधी और प्रियंका गांधी जिंदाबाद के नारे लगाए. उनकी मांग है कि राहुल गांधी को ही पार्टी की अगुआई करनी चाहिए.

पूर्व की रमन सरकार कर्ज लेकर घी पी रही थी और उस दौरान किसान आत्महत्या कर रहे थे

पूर्व की रमन सरकार कर्ज लेकर घी पी रही थी और उस दौरान किसान आत्महत्या कर रहे थे

रायपुर । पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के द्वारा कर्ज मामले में दिए गए बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सुरेन्द्र वर्मा ने कहा कि पूर्व रमन सरकार ने 41 हजार करोड़ रुपए का कर्ज लिए, सरकारी संपत्तियों को गिरवी रखे लेकिन न तो मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम जी की माता कौशल्या मंदिर एवं रामवनगमन पथ निर्माण कराये, न किसानों की सेवा किये, न गौ माता की सेवा किये। रमन सरकार ने वादानुसार किसानों को धान की कीमत 2100 रु प्रति क्विंटल और प्रति क्विंटल 300 बोनस नही दिया। आदिवासी वर्ग को 10 लीटर दूध देने वाली जर्सी गाय और परिवार के एक सदस्य को नौकरी नही दिया। शिक्षकों की नियमित भर्ती नही किया। उस दौरान किसान कर्ज के बोझ तले दबते जा रहे थे, युवा रोजगार के लिए तरस रहे थे, मजदूर पलायन कर रहे थे। धान खरीदी केंद्रों में पक्का चबूतरा नही बना पाए। कांग्रेस की सरकार ने कर्ज किसानों की धान खरीदी के लिये लिया। राजीव गांधी किसान न्याय योजना में किसानों की मदद के लिये लिया है। भाजपा के समान कमीशनखोरी करने के लिये कर्जा नहीं लिया। भाजपा ने 14000 करोड़ नया रायपुर में लगा दिया। वहां आज तक बसाहट नहीं हुई। स्काई वॉक बना दिया, कोई उपयोग नहीं। रमन सिंह कमीशनखोरी करने कर्ज लेते थे। भूपेश सरकार जनता को आर्थिक रूप से मजबूत करने कर्जा लिया है।

प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सुरेन्द्र वर्मा ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह कर्ज मामले में झूठ और अफवाह फैला रहे है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सरकार को कर्ज इसलिए लेना पड़ रहा क्योकि केंद्र में बैठी मोदी सरकार छत्तीसगढ़ के साथ भेदभाव, सौतेला व्यवहार कर रही। राज्य के हिस्से की राशि को रोक रही है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सरकार जितना कर्ज लिया है, उससे तीन गुनी राशि किसानों, मजदूरों, गौपालको के खाते में जमा कराई है। भाजपा कर्ज को लेकर पहले आत्मचिंतन करें। मोदी सरकार सात साल में किसी का भला नहीं कर पाई।

भूपेश बतायें, यूपी में मुआवजा बांटने क्या प्रियंका से जांच कराई थी- भाजपा

भूपेश बतायें, यूपी में मुआवजा बांटने क्या प्रियंका से जांच कराई थी- भाजपा

रायपुर। छत्तीसगढ़ प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने नया रायपुर में न्याय की मांग कर रहे किसान सियाराम पटेल की मौत के एक रोज बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा मुआवजा की मांग पर अपर मुख्य सचिव को जांच के निर्देश दिए जाने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि भूपेश बघेल सरकार के अन्याय के शिकार किसान की मृत्यु पर बिना किसी हील हुज्जत के फौरन एक करोड़ का मुआवजा दिया जाये।

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की संवेदना यूपी में मुआवजा बांटने के लिए जाग गई लेकिन अपनी ही सरकार के अत्याचार के कारण जान गंवाने वाले छत्तीसगढ़ के किसान के परिवार के लिए उनके मन में कोई संवेदना नहीं है। यूपी चुनाव में किसानों को लुभाने के लिए मुआवजावीर बनने वाले भूपेश बघेल को छत्तीसगढिया किसान की मौत पर मुआवजा देने के लिए जांच सूझ रही है। यूपी के किसान पर मेहरबान और छत्तीसगढ़ का किसान हलाकान! भूपेश बघेल का असली चरित्र सामने आ गया है। यूपी में छत्तीसगढ़ के किसानों के हक का पैसा बांटने छंटपटा रहे थे तब क्या वहां प्रियंका गांधी वाड्रा ने जांच करके रिपोर्ट के तौर पर भूपेश बघेल को आदेश जारी कर दिया था कि पचास पचास लाख से कम में काम नहीं चलेगा?

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने कहा कि खुद को किसान बताने वाले अपने राज्य के किसान की प्रदर्शन के दौरान मृत्यु पर राजनीतिक संवेदना प्रकट कर रहे हैं लेकिन मुआवजे के लिए अपने अफसर को जांच के लिए कह रहे हैं! भूपेश बघेल बतायें कि किस बात की जांच कराना चाहते हैं? अपने हक की लड़ाई लड़ रहे किसान की मौत को सीधे सीधे स्वीकार कर किसानों से माफी मांगते हुए तत्काल एक करोड़ रुपए की मुआवजा राशि देने की बजाय मुख्यमंत्री क्यों इतने गंभीर मामले की लीपापोती में लगे हैं।

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने कहा कि किसानों को गुमराह कर सरकार बनाने वाली कांग्रेस ने तीन साल में कृषि और किसानों साथ केवल राजनीतिक पैंतरेबाजी ही की है। किसान की मौत पर मुआवजे की मांग को जांच के नाम पर टरकाने की यह नीति छत्तीसगढ़ के हर एक किसान का अपमान है। मुख्यमंत्री तत्काल प्रभाव से मृतक किसान के परिवार को एक करोड़ रुपये मुआवजा देने के साथ ही न्याय के लिए संघर्ष कर रहे किसानों की सभी मांगें फौरन पूरी करें।

पांच राज्यों में मिली हार पर कांग्रेस करेगी मंथन, कल शाम 4 बजे CWC की बैठक

पांच राज्यों में मिली हार पर कांग्रेस करेगी मंथन, कल शाम 4 बजे CWC की बैठक

उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर के विधानसभा चुनाव में हुई कांग्रेस की करारी हार पर मंथन करने के लिए सोनिया गांधी ने रविवार शाम 4 बजे कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक बुलाई है. कांग्रेस मुख्यालय में होने वाली इस बैठक में कार्यसमिति के सदस्यों के साथ ही राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी शामिल होंगे.

कांग्रेस पार्लियामेंट्री पार्टी की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कल यानी रविवार को पार्टी की पार्लियामेंट्री स्ट्रैटजी ग्रुप की भी बैठक बुलाई है. यह बैठक कल सुबह साढ़े 10 बजे 10 जनपथ पर होगी.

राज्यसभा के पूर्व नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद के आवास पर शुक्रवार देर शाम हुई बैठक के बाद ये फैसला लिया गया है. इस बैठक में कपिल सिब्बल, अखिलेश प्रसाद सिंह, मनीष तिवारी और कुछ अन्य नेता शामिल थे.

सूत्रों के अनुसार बैठक में कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए उनके नेतृत्व पर सवाल उठाया गया कि वह पार्टी अध्यक्ष छोड़ चुके हैं, खुद कोई हार की जिम्मेदारी लेना नहीं चाहते, फिर कैसे वो पंजाब में मुख्यमंत्री का चेहरा देने के लिए फिर चन्नी को सीएम चेहरा घोषित कर रहे थे. यूपी में प्रियंका गांधी के प्रदर्शन को लेकर भी सवाल किए गए थे. बैठक में कहा गया प्रियंका की मेहनत यूपी में क्यों कारगर नहीं हुई, मेहनत के बावजूद सफलता नहीं मिलना पार्टी की केंद्रीय नीतियों पर सवाल और खामियों को दर्शाता है.

 


इससे पहले कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) को बुलाये जाने को लेकर गुरुवार को ही कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने भी जानकारी दी थी. उन्होंने बताया था कि पार्टी ने परिणामों का आत्मनिरीक्षण करने के लिए जल्द ही सीडब्ल्यूसी की मीटिंग बुलाने का फैसला किया है.

गौरतलब है कांग्रेस के जी-21 नेता का वही समूह है जिसने अगस्त 2020 में पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर कांग्रेस में सक्रिय अध्यक्ष और संगठन में परिवर्तन की मांग की थी.

आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को 2 सीटें मिली हैं. उत्तराखंड में पार्टी को 19 सीटें मिली हैं, जबकि पंजाब में 18, गोवा में 11 और मणिपुर में पांच सीटें मिली हैं. 

पीएम मोदी से मिलेंगे सीएम योगी, इस तारीख को करेंगे शपथ ग्रहण...

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लखनऊ : उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की शानदार जीत के बाद यूपी के कार्यकारी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ रविवार को दिल्ली जाएंगे। सूत्रों के अनुसार, योगी आदित्यनाथ वहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात करेंगे। इस बीच जानकारी मिली है कि नई सरकार का शपथ ग्रहण समारोह होली के बाद तक टल सकता है। इसके होली के बाद आयोजित होने की संभावना है।

इससे पहले 10 मार्च हुई मतगणना में भाजपा गठबंधन ने 273 सीटें जीतकर शानदार जीत दर्ज की थी। इसके बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को इस्तीफा दे दिया था। मत परिणाम जारी होने के बाद योगी आदित्यनाथ की पीएम मोदी से यह पहली मुलाकात होगी।
 

चुनावों में कांग्रेस की करारी हार के बाद फिर एक्टिव हुआ G-23 ग्रुप, गुपचुप हुई बैठक

चुनावों में कांग्रेस की करारी हार के बाद फिर एक्टिव हुआ G-23 ग्रुप, गुपचुप हुई बैठक

पांच राज्यों में कांग्रेस ने एक बार फिर करारी हार का सामना किया है। पंजाब में जहां कांग्रेस की सरकार थी, वहां से भी जनता ने पार्टी को नकार दिया है। खबर है कि कांग्रेस की करारी हार के बाद पार्टी का असंतुष्ट खेमा यानि जी-23 ग्रुप फिर एक्टिव हो गया है। शुक्रवार शाम वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद के घर पर ग्रुप के नेताओं ने मुलाकात की है। इसमें पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल और मनीष तिवारी भी शामिल हुए। बैठक में उन्होंने ऑल इंडिया कांग्रेस की आपात बैठक बुलाने और जल्द से जल्द कांग्रेस का अध्यक्ष बनाने की मांग की है।
10 मार्च का दिन कांग्रेस के लिए बुरा स्वप्न साबित हुआ। देश के सबसे बड़े राज्य में कांग्रेस ने पूरी ताकत झोंक दी थी वहां कांग्रेस के खाते में महज दो सीट आई। इतना ही नहीं पार्टी का वोट शेयर भी दो प्रतिशत से कम रहा। कांग्रेस पार्टी ने पंजाब में अपनी सत्ता भी गंवा दी। कांग्रेस को यहां 18 सीट मिली। 2017 में कांग्रेस ने यहां 77 सीट जीतकर सत्ता बनाई थी। लेकिन इस बार आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के सपनों पर झाड़ू फेर दिया। यही नहीं पार्टी ने उन राज्यों में भी कमजोर प्रदर्शन किया जहां उसे वापसी की उम्मीद थी, इसमें उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर शामिल है।
देश के राज्यों में सिलसिलेवार पतन के बाद एक बार फिर कांग्रेस का असंतुष्ट खेमा सक्रिय हो गया है। उन्होंने गुलाम नबी आजाद के घर बैठक की है। बैठक में उन्होंने ऑल इंडिया कांग्रेस की आपात बैठक बुलाने और जल्द से जल्द कांग्रेस का अध्यक्ष बनाने की मांग की है। इसमें मनीष तिवारी और कपिल सिब्बल भी शामिल थे।
काबिलेगौर है कि इससे पहले इन्होंने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखा था और मांग की थी कि पार्टी को एक स्थायी अध्यक्ष चुन लेना चाहिए।
 

pujab : इस तारीख को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे भगवंत मान

pujab : इस तारीख को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे भगवंत मान

पंजाब : देश के पांच राज्यों में चुनाव परिणाम की घोषणा होने के बाद  अब आम आदमी पार्टी पंजाब में प्रचंड जीत के बाद 16 मार्च को भगवंत मान मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे.

इससे पहले 13 मार्च को अरविंद केजरीवाल और भगवंत मान अमृतसर में रोड शो करेंगे. 

PM Narendra Modi Roadshow : भाजपा की 4 राज्यों पर जीत, नतीजों के अगले ही दिन किया 9 किलोमीटर लंबा रोड शो

PM Narendra Modi Roadshow : भाजपा की 4 राज्यों पर जीत, नतीजों के अगले ही दिन किया 9 किलोमीटर लंबा रोड शो

अहमदाबाद : देश के पांच राज्यों में हुये चुनाव के बाद कल यानि 10 मार्च को चुनाव परिणाम की घोषणा कर दी गई है। जारी किये गये चुनाव रिजल्ट के अनुसार भारतीय जनता पार्टी देश के 4 राज्यों समेत उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत हासिल की है। इस जीत के बाद भाजपा अब मिशन गुजरात पर जुटती दिख रही है। गुरुवार को 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव के नतीजे आए और उसकी अगली ही सुबह पीएम नरेंद्र मोदी गुजरात पहुंच गए।

यही नहीं यहां वह एयरपोर्ट से लेकर गांधीनगर में स्थित प्रदेश भाजपा कार्यालय 'मंगलम' तक 9 किलोमीटर लंबा रोड शो भी किया है। गुजरात में बीते साल ही पूरी सरकार ही बदल दी गई थी और भूपेंद्र सिंह पटेल को मुख्यमंत्री बनाया गया। इसके अलावा नितिन पटेल समेत तमाम पुराने नेताओं को कैबिनेट से बाहर कर दिया गया। 

ऐसे में माना जा रहा है कि पीएम नरेंद्र मोदी ही गुजरात में अहम चेहरा होंगे। आज रोड शो के बाद पीएम नरेंद्र मोदी गुजरात में भाषण भी दे सकते हैं, जिसे चुनाव के आगाज के तौर पर देखा जा सकता है। भले ही चुनाव में भी 9 महीने का वक्त बचा है, लेकिन भाजपा की तैयारियों को देखते हुए समझा जा सकता है कि वह इसे कितनी गंभीरता से ले रही है।

पीएम नरेंद्र मोदी ने खुद ट्वीट कर सुबह गुजरात जाने की जानकारी दी थी। पीएम मोदी ने ट्वीट किया था, 'गुजरात निकल रहा हूं। आज और कल कई आयोजनों में शामिल रहूंगा। आज शाम को 4 बजे पंचायत महासम्मेलन को संबोधित करूंगा। यहां पंचायती राज संस्थानों से जुड़े कई प्रतिनिधि मौजूद रहेंगे।

गुजरात भाजपा के मुताबिक इस रोड शो में करीब 5 लाख लोग शामिल हो सकते हैं। यही नहीं पंचायती राज सम्मेलन में भी 1 लाख लोगों के शामिल होने का अनुमान जताया जा रहा है। गौरतलब है कि पीएम नरेंद्र मोदी ने गुरुवार शाम को यूपी समेत 4 राज्यों में जीत को लेकर कहा था कि यह हमारी नीयत और कामों पर जनता के भरोसे का परिणाम है।

यही नहीं उन्होंने परिवारवाद पर हमला बोलते हुए कहा था कि मेरे से लिख कर ले लो आने वाले दिनों में परिवारवादी राजनीति का अंत हो जाएगा। माना जा रहा है कि अब पीएम मोदी, अमित शाह समेत तमाम दिग्गज नेता गुजरात में प्रचार में जुटेंगे, जहां 2017 में भाजपा को 99 सीटें ही मिल पाई थीं और कांग्रेस से उसका कड़ा मुकाबला हुआ था। 

BJP की जीत पर राकेश टिकैत ने तोड़ी चुप्पी जानें क्या कहा

BJP की जीत पर राकेश टिकैत ने तोड़ी चुप्पी जानें क्या कहा

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में अपनी शानदार जीत से भारतीय जनता पार्टी (BJP) की गदगद है, वहीं कार्यकर्ताओं का उत्साह भी चरम पर पहुंच गया है। इन परिणामों को जनादेश मानकर राजनीतिक दल अपनी राय व्यक्त करने में जुट गए हैं। भाजपा इसे सुशासन और जनता के विश्वास की जीत बताया है। वहीं, भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने अपनी प्रतिक्रिया दी है।

 


राकेश टिकैत ने ट्वीट कर कहा, ''लोकतंत्र के महापर्व में जनता का फैसला सर्वोपरि होता है। किसान आंदोलन ने अपना असर दिखा दिया। हम आशा करते हैं कि जो भी सरकारें बनी हैं, वे सभी अपने-अपने राज्यों में किसानों-मजदूरों के उत्थान के लिए कार्य करेंगी। सभी को जीत की बधाई।''
बता दें कि, उत्तर प्रदेश विधानसभा की 403 सीटों के लिए मतगणना चल रही है। अब तक के रुझानों में भाजपा सुबह से ही पूर्ण बहुमत के साथ काफी मजबूत बढ़त बनाए हुए है, जबकि समाजवादी पार्टी दूसरे नंबर पर चल रही है। वहीं, कांग्रेस भी बसपा से आगे निकल गई है। उत्तर प्रदेश में इस बार कुल 7 चरण में मतदान हुआ है।


'चुनाव परिणाम इस बार अलग होंगे'
गौरतलब है कि किसान नेता राकेश टिकैत ने पहले चरण के मतदान के बाद कहा था कि मुजफ्फरनगर में 2013 की स्थिति अब बदल गई है और यहां शांति स्थापित हो चुकी है, इसलिए इस बार चुनाव परिणाम कुछ अलग होंगे। भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने 2013 में मुजफ्फरनगर जिले में भड़के साम्प्रदायिक दंगों का उल्लेख करते हुए कहा कि 2013 का परिणाम ट्रायल था। ट्रायल का स्टेडियम अब यहां ढह चुका है। जिन स्टेडियम में ये मैच खेले गये थे, वे अब ढह चुके हैं।
मुजफ्फरनगर जिले में अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने के बाद उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि पिछली स्थिति बदल चुकी है और शांति ने इसकी जगह ले ली है और इस बार परिणाम पहले जैसा नहीं होगा। जब उनसे पूछा गया था कि आखिर वह किस 'नए मैच' की बात कर रहे हैं, तो उन्होंने कहा था कि नया मैच पहले ही खेला जा चुका है और इसका परिणाम जल्द ही सामने आएगा। टिकैत ने कहा था कि चुनाव शांतिपूर्ण तरीके से पूरा हो रहा है और यह अपने आप में बड़ी उपलब्धि है तथा परिणाम सभी के लिए देखने लायक होगा। इससे पहले टिकैत ने साम्प्रदायिकता के आधार पर मतदान न करने के लिए मतदाताओं को आगाह किया था।
गौरतलब है कि 2012 से 2017 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी को 2017 के विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश विधानसभा की 403 सीटों में सिर्फ 47 सीटों पर जीत मिली थी, जबकि भारतीय जनता पार्टी ने अकेले 312 और उसके सहयोगियों ने 13 सीटें जीती थीं। वहीं, BSP को 19, कांग्रेस को 07 सीट और अन्य को 5 सीटें मिली थीं। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में भी भाजपा को भारी जीत मिली थी।
 

चुनाव के नतीजे आते ही बिगड़ी मुनव्वर राणा की तबियत…

चुनाव के नतीजे आते ही बिगड़ी मुनव्वर राणा की तबियत…

लखनऊ : यूपी विधानसभा चुनाव में भाजपा इतिहास बनाते हुए लगातार दूसरी बार सरकार बनाने जा रही है। वहीं खबर आ रही है कि मशहूर शायर मुनव्वर राणा की तबियत अचानक ख़राब हो गई है। ये वही मुनव्वर राणा हैं, जिन्होंने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत होने पर उत्तर प्रदेश छोड़कर चले जाने का ऐलान किया था। यूपी चुनाव के नतीजों से पहले ही मुनव्वर राना बीमार पड़ गए थे।

जानकारी के अनुसार उनकी तीन दिन से तबीयत खराब है और वह घर पर ही रहकर अपना इलाज करवा रहे हैं। चूंकि यूपी में अब भाजपा पूर्ण बहुमत पर है, ऐसे में सवाल उठता है कि क्या मुनव्वर राना अपने वादे पर कायम रहेंगे? बीते दिनों उन्होंने सार्वजनिक तौर पर बयान दिया था कि अगर राज्य में दोबारा भाजपा की सरकार बनी तो वह उत्तर प्रदेश छोड़ देंगे।