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ओमिक्रॉन का पता लगाने वाली पहली स्वदेशी किट हुई तैयार , ICMR ने दी मंजूरी

ओमिक्रॉन का पता लगाने वाली पहली स्वदेशी किट हुई तैयार , ICMR ने दी मंजूरी

नई दिल्ली : कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन की जांच के लिए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद ने ओमीस्योर किट को मंजूरी दे दी है। ओमीस्योर किट को टाटा मेडिकल ने तैयार किया है। ओमीस्योर टेस्ट किट अन्य आरटी-पीसीआर टेस्ट किट के जैसे ही काम करेगी।

इस किट से जांच के लिए भी नाक या मुंह से स्वाब लिया जाएगा। फिर केवल 10 से 15 मिनट में जांच की फाइनल रिपोर्ट आ जाएगी जैसा कि अन्य आरटी-पीसीआर टेस्ट में होता है। ओमीस्योर से जांच का तरीका अन्य आरटी-पीसीआर टेस्ट से कुछ भी अलग नहीं होगा। आईसीएमआर की तरफ से टाटा मेडिकल एंड डायग्नोस्टिक्स लिमिटेड की ओमीस्योर को बीते 30 दिसंबर को ही मंजूरी मिल गई थी, लेकिन इसकी जानकारी आज मंगलवार को सामने आई है।

वहीं स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार देश में ओमिक्रॉन संक्रमितों की कुल संख्या बढ़कर 1,892 हो गई है। 568 मामलों के साथ महाराष्ट्र पहले स्थान पर बना हुआ है वहीं 382 मरीजों के साथ दिल्ली दूसरे स्थान पर है। 185 मामलों के साथ केरल तीसरे स्थान पर बना हुआ है। ओमिक्रॉन के 1,892 मरीजों में से 766 मरीज़ रिकवर हो गए हैं।
 

किडनी रोगियों के लिए लाभदायक हैं इन पेय पदार्थों का सेवन, स्वास्थ्य में होगा फायदा

किडनी रोगियों के लिए लाभदायक हैं इन पेय पदार्थों का सेवन, स्वास्थ्य में होगा फायदा

किडनी शरीर के मुख्य अंगों में से एक है, जो खून को साफ करके शरीर से जहरीले तत्वों को बाहर निकालने में मदद करती है। हालांकि, जब किसी कारणवश किडनी की कार्यक्षमता प्रभावित होने लगती है तो यह कई तरह की बीमारियों की चपेट में आ जाती है। अगर आप किसी किडनी की बीमारी से ग्रस्त हैं तो कुछ स्वास्थ्यवर्धक पेय पदार्थों को डाइट में शामिल करके आपको बीमारी के जोखिम कम करने में काफी मदद मिल सकती है। 

पानी
अगर आप किडनी से जुड़ी किसी बीमारी से ग्रस्त हैं तो आपको पानी के सेवन पर अतिरिक्त ध्यान देना चाहिए। दरअसल, पेशाब के जरिए शरीर के विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने के लिए किडनी को पानी की जरूरत होती है और जब रोगी कम पानी पीता है तो पेशाब की मात्रा कम हो जाती है और पेशाब कम बनने से किडनी की बीमारी बढऩे लगती है। इसलिए किडनी रोगी रोजाना 10-12 गिलास पानी पीने का लक्ष्य तय कर लें। 
ग्रीन टी
ग्रीन टी कई जरूरी पोषक तत्वों के साथ-साथ एंटी-ऑक्सीडेंट गुणों से समृद्ध होती है। एंटी-ऑक्सीडेंट शरीर से मुक्त कणों को दूर करने में मदद करते हैं। ये मुक्त कण किडनी की बीमारियों को बढ़ावा देने या फिर स्वस्थ किडनी को नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं, इसलिए अगर आप किसी तरह की किडनी की बीमारी से ग्रस्त हैं तो अपनी डाइट में ग्रीन टी को जरूर शामिल करें। हालांकि, ध्यान रखें कि ग्रीन टी बिना चीनी की होनी चाहिए। 
क्रैनबेरी का जूस
किडनी की बीमारियों के जोखिम कम करने या फिर स्वस्थ किडनी की कार्यक्षमता को सुधारने में क्रैनबेरी के जूस का सेवन भी सहायक हो सकता है। दरअसल, यह किडनी में मौजूद कीटाणु और विषाक्त पदार्थों को दूर करने के साथ ही बीमारियों के जोखिम कम करने में सहायक हो सकता है, इसलिए रोजाना क्रैनबेरी के जूस का सेवन करें। हालांकि, ध्यान रखें कि बिना चीनी का क्रैनबेरी जूस का सेवन ही किडनी और पूरे शरीर के लिए लाभदायक होता है। 
ब्लैक कॉफी
ब्लैक कॉफी का सेवन भी किडनी के रोगियों के लिए बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है। कई अध्ययनों के मुताबिक, कॉफी बीन्स में कई खास एंटी-ऑक्सीडेंट, पॉलीफेनोल और कैफीन जैसे तत्व मौजूद होते हैं जो किडनी की बीमारियों के जोखिम कम करने में मदद कर सकते हैं। हालांकि, ध्यान रखें कि चीनी और क्रीम आदि चीजों के बिना सीमित मात्रा में कॉफी पीना ही किडनी रोगियों के लिए लाभदायक है। 
 
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों की just36news पुष्टि नहीं करता है. इनको केवल सुझाव के रूप में लें. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट पर अमल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.
आज से शुरू हुआ 15-18 एज ग्रुप के लिए कोरोना वैक्सीन रजिस्ट्रेशन , 10वीं का आईडी कार्ड दिखाकर करवा सकते है वैक्सिनेशन

आज से शुरू हुआ 15-18 एज ग्रुप के लिए कोरोना वैक्सीन रजिस्ट्रेशन , 10वीं का आईडी कार्ड दिखाकर करवा सकते है वैक्सिनेशन

नई दिल्ली : नए साल पर केन्द्र सरकार ने 15 से 18 साल के किशोरों को वैक्सिनेशन का तोहफा दिया है। कोरोना के बढ़ते प्रकोप के बीच शनिवार यानी एक जनवरी 2022 से कोविन पोर्टल या ऐप पर 15 से 18 साल के किशोरों के लिए रजिस्ट्रेशन विंडो सुबह 10 बजे खुल गई है। सोमवार से इनका वैक्सिनेशन भी शुरू हो जाएगा।

हाल ही में पीएम मोदी ने 3 जनवरी से 15-18 साल के किशोरों के लिए वैक्सिनेशन शुरू करने की घोषणा की थी। खास बात यह है कि अगर किशोरों के पास आधार कार्ड नहीं है, तो भी वह सिर्फ अपने 10वीं के आईडी कार्ड के साथ वैक्सिनेशन के लिए अपना स्लॉट बुक कर सकते हैं।

देश की राजधानी दिल्ली में भी 15-18 एज ग्रुप के किशोरों के लिए कोरोना वैक्सिनेशन की तैयारियां जोरों पर हैं। जानकारी के मुताबिक, इस कैटिगरी में करीब 10 लाख किशोरों का वैक्सिनेशन होना है। एलएनजेपी अस्पताल और दिल्ली में अन्य चिकित्सा केन्द्र के अधिकारियों ने कहा कि बच्चों को कोविड टीका लगाने के लिए बुनियादी ढांचा तैयार है। बड़ी संख्या में स्कूलों और अन्य शैक्षणिक संस्थानों को भी कोविड वैक्सिनेशन सेंटर के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है और वहां भी व्यवस्था की जा रही है।
 

ओमिक्रॉन से देश में दूसरी मौत, 73 साल के बुजुर्ग ने दम तोड़ा

ओमिक्रॉन से देश में दूसरी मौत, 73 साल के बुजुर्ग ने दम तोड़ा

 उदयपुर : राजस्थान के उदयपुर में कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन से संक्रमित हुए 73 साल के बुजुर्ग ने शुक्रवार को दम तोड़ दिया। सम्भवत: यह देश में कोरोना के इस वैरिएंट से दूसरी मौत है। CMHO डॉ. दिनेश खराड़ी ने कहा कि मौत पोस्ट कोविड निमोनिया से हुई है। बुजुर्ग की कोई ट्रैवल हिस्ट्री नहीं थी। साथ ही 21 और 22 दिसंबर को जांच में ये निगेटिव हो गए थे। 25 दिसम्बर को उनकी रिपोर्ट में ओमिक्रॉन वैरिएंट मिलने की पुष्टि हुई थी। डॉ. दिनेश खराड़ी ने कहा कि उन्हें डायबिटीज और हायपरटेंशन और हाइपोथॉइरोडिज्म था। ऐसे में शरीर पर वायरस असर डालता है। साथ ही अगर डायबिटीज जैसी बीमारी हो तो रिस्क काफी बढ़ जाता है।

राजस्थान में ओमिक्रॉन के अब तक 69 मरीज मिल चुके हैं। ओमिक्रॉन संक्रमितों के मामले मंख राजस्थान देश में 5वें नंबर पर है। उदयपुर में ओमिक्रॉन के अब तक 4 मामले सामने आ चुके हैं। 27 दिसंबर को उदयपुर में ओमिक्रॉन का नया केस सामने आया था। इससे पहले 25 दिसम्बर को तीन मामले उदयपुर में सामने आए थे। इसमें पति, पत्नी और एक 68 वर्षीय महिला ओमिक्रॉन पॉजिटिव पाई गई थी। जबकि 73 वर्षीय बुजुर्ग ओमिक्रॉन पॉजिटिव आने वाले चौथे व्यक्ति थे। उदयपुर एमबी अस्पताल के सुप्रीटेंडेंट डॉ. आरएल सुमन ने बताया कि बुजुर्ग का इलाज हमारे ही अस्पताल में हो रहा था। 15 दिसंबर को उन्हें भर्ती किया गया था। पहले से उन्हें डायबिटीज, हायपरटेंशन और हाइपोथॉइरोडिज्म था। जिसके चलते वे हाई-रिस्क पर थे। इन्हें वही लक्षण थे जो आमतौर पर कोरोना संक्रमित रोगियों को होते हैं। मृतक बुजुर्ग एमबी अस्पताल में ही कंपाउंडर रहे चुके थे।

महाराष्ट्र में गुरुवार को 52 साल के व्यक्ति की मौत ओमिक्रॉन से हुई थी। वे दो सप्ताह पहले नाइजीरिया से लौटे थे। उनका कोविड टेस्ट भी करवाया गया था, लेकिन रिपोर्ट निगेटिव थी। 28 दिसंबर को उन्हें हार्ट अटैक आया। इसके बाद उन्हें नगर निगम के यशवंत राव चव्हाण अस्पताल में भर्ती कराया गया था। यहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। मौत के बाद संदेह के आधार पर उनका सैंपल जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए पुणे भेजा गया, तब ओमिक्रॉन की पुष्टि हुई।

फेफड़ों को स्वस्थ रखने में मदद कर सकती हैं ये एक्सरसाइज

फेफड़ों को स्वस्थ रखने में मदद कर सकती हैं ये एक्सरसाइज

प्रदूषित हवा और खराब जीवनशैली जैसे कई कारण हैं, जिनके कारण हमारे फेफड़ों का स्वास्थ्य प्रभावित होता है और शरीर कई तरह की फेफड़ों से संबंधित समस्याओं से घिर जाता है। इसलिए, शरीर के इस महत्वपूर्ण अंग के स्वास्थ्य पर अतिरिक्त ध्यान देना जरूरी है। आइए आज हम आपको कुछ ऐसी एक्सरसाइज के बारे में बताते हैं, जो फेफड़ों को स्वस्थ रखने के साथ ही इनकी कार्यक्षमता को बेहतर करने में मदद कर सकती हैं।

दौडऩा
फेफड़ों की कार्यक्षमता को बेहतर करने के लिए रोजाना कुछ मिनट दौडऩा सबसे अच्छी एक्सरसाइज है। दरअसल, दौड़ते समय फेफड़ों के फूलने की क्षमता पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। वहीं, दौड़ते समय व्यक्ति के शरीर की मांसपेशियां सक्रिय रहती हैं। इन लाभ के लिए हर रोज कम से कम दो किलोमीटर दौडऩे का लक्ष्य जरूर बनाएं। हालांकि, अगर आपको दौडऩे में किसी तरह की परेशानी होती है तो कुछ मिनट खुली हवादार और हरियाली जगह में जॉगिंग करें।

साइकिलिंग
साइकिलिंग एक एरोबिक एक्सरसाइज है, जो फेफड़ों को स्वस्थ रखने में काफी मदद कर सकती है। इसके अतिरिक्त, इससे हृदय रोगों का खतरा भी कम होता है। दरअसल, साइकिल चलाते समय दिल की धड़कनें बढ़ जाती हैं, जो शरीर में रक्तसंचार को ठीक करने और हृदय से जुड़ी अन्य बीमारियों के खतरे को कम करने में बहुत मददगार है। इसके लिए रोजाना कम से कम 30 मिनट तक साइकिलिंग जरूर करें।

लिप ब्रीथिंग एक्सरसाइज
इस एक्सरसाइज को आप टीवी देखते-देखते या फिर कोई भी काम करते समय कर सकते हैं। लिप ब्रीथिंग करने के लिए नाक से सामान्य तरीके से सांस लें। इसके बाद होंठों से सांस को इस तरह धीरे-धीरे छोड़ें जैसे कि केक पर लगी मोमबत्तियों को बुझाने के लिए फूंक मारी जाती है। इस क्रम को आप पांच से छह बार या फिर अपनी सुविधानुसार दोहरा सकते हैं। इस एक्सरसाइज से फेफड़े और हृदय के स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

बैलून एक्सरसाइज
बैलून एक्सरसाइज भी फेफड़ों को स्वस्थ रखने में काफी मदद कर सकती है। सुनने में भले ही आपको अजीब लगे, लेकिन इस एक्सरसाइज को करने के लिए आपको अपने मुंह से गुब्बारे फुलाने होंगे। दरअसल, गुब्बारा फुलाने के दौरान गहरी सांस लेते है, जिसकी वजह से फेफड़ों में अधिक मात्रा में ऑक्सीजन पहुंचती है और शरीर में ब्लड ऑक्सीजन की कमी नहीं होती हैं। इसके अतिरिक्त, इस एक्सरसाइज से पसलियों पर भी सकारात्मक असर पड़ता है।

 

गले की अकडऩ को दूर करने में मदद कर सकते हैं ये घरेलू नुस्खे

गले की अकडऩ को दूर करने में मदद कर सकते हैं ये घरेलू नुस्खे

कई बार असामान्य गतिविधियों या कुछ बीमारियों के कारण कई तरह की शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इन्हीं समस्याओं में से एक है गले का अकडऩा, जिसे अक्सर कई लोग सामान्य समझकर नजर अंदाज कर देते हैं और यही लापरवाही भविष्य में उन्हें भारी पड़ सकती है। आइए आज हम आपको कुछ ऐसे घरेलू नुस्खों के बारे में बताते हैं, जिन्हें अपनाकर आप गले की अकडऩ से छुटकारा पा सकते हैं।


ठंडी सिकाई करें
ठंडी सिकाई की मदद से गले में होने वाली अकडऩ से काफी राहत मिल सकती है। राहत के लिए कोल्ड पैड से प्रभावित हिस्से की सिकाई करें। अगर आपके पास कोल्ड पैड नहीं है तो एक तौलिये का थोड़ा सा हिस्सा ठंडे पानी में डुबो लें, फिर इसे निचोड़कर चार-पांच मिनट तक इसे प्रभावित जगह पर लगाकर रखें। ऐसा दिन में दो से तीन बार करने से आपको काफी आराम मिलेगा।


तेल मालिश से मिलेगा आराम

अगर आपको गले में अकडऩ महसूस हो तो इससे छुटकारा दिलाने में तेल मालिश काफी मदद कर सकती है। इसके पहले किसी भी मालिश वाले तेल की कुछ बूंदें हथेली पर लें, फिर अपनी उंगलियों की मदद से प्रभावित हिस्से पर इसे लगाएं। इसके बाद हल्के हाथ से उस जगह को दबाएं और गोलाकार में मालिश करें। इस तरह करीब 10-15 मिनट तक रोजाना मालिश करें। ऐसा करने से गले की अकडऩ कुछ ही दिनों में छूमंतर हो जाएगी।


सेब के सिरके का करें इस्तेमाल
सेब का सिरका एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों से समृद्ध माना जाता है, जिसकी वजह से यह गले की अकडऩ से राहत दिलाने में सहायक है। राहत के लिए आप एक छोटी बाल्टी में हल्का गर्म पानी और सेब के सिरके की कुछ बूंदें अच्छे से मिलाएं, फिर इस मिश्रण में एक तौलिये को डूबोकर निचोड़ दें। इसके बाद उस तौलिये को गले पर अच्छे से लपेटकर 15-20 मिनट के लिए छोड़ दें। इससे आपको काफी आराम मिलेगा।


योग और स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज भी है प्रभावी

अगर गले में अकडऩ की समस्या होने लगे तो घरेलू नुस्खे के तौर पर योग और स्ट्रेचिंग करना अच्छा विकल्प हो सकता है। जब भी आपको गले में अकडऩ महसूस हो तो कम से कम 15 मिनट तक वीरासन, गोमुखासन और वृक्षासन आदि योगासनों का अभ्यास करें। वहीं, योगाभ्यास से पहले और बाद में स्ट्रेचिंग करना न भूलें क्योंकि इसके अभ्यास से मांसपेशियों में लचीलापन आता है, जिससे गले को आराम मिलता है।
 

अब 15 से 18 वर्ष के किशोरों लगाए जाएंगे कोरोना रोधी टीके , जानिये कब होगा पंजीयन

अब 15 से 18 वर्ष के किशोरों लगाए जाएंगे कोरोना रोधी टीके , जानिये कब होगा पंजीयन

जांजगीर-चांपा: कोरोना के खिलाफ जंग मे जांजगीर-चांपा जिले में 15 से 18 वर्ष के किशोर-किशोरियों को 3 जनवरी से टीके लगाए जाएंगे। इसके लिए पात्र लाभार्थी 1 जनवरी से कोविन एप पर अपना पंजीयन करा सकते हैं। जांजगीर-चांपा जिले में इस वर्ग के करीब एक लाख चार हजार एक सौ पैंसठ हितग्राहियों को टीके लगाए जाएंगे। कलेक्टर जितेन्द्र कुमार शुक्ला ने जिले के 15-18 आयु वर्ग के हितग्राहियों को इस टीकाकरण अभियान का लाभ उठाने की अपील की है।

केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के निर्देशानुसार स्वास्थ्य कर्मियों, फ्रंटलाइन वर्कर्स और गंभीर बीमारियों से पीड़ित 60 वर्ष से अधिक के लोगों को 10 जनवरी से कोरोना वैक्सीन की तीसरी खुराक (प्रिकाशन डोज) दी जाएगी। इस वर्ग के ऐसे लोग जिन्हें दूसरी खुराक लिए नौ महीने या 39 सप्ताह पूरे हो चुके हैं, उन्हें तीसरी खुराक दी जाएगी। पात्र नागरिक कोविन एप में पंजीयन कर तीसरा टीका लगवा सकते हैं।

कलेक्टर जितेन्द्र कुमार शुक्ला ने बताया कि 15 से 18 वर्ष के जिले के 1 लाख 4 हजार 165 (अनुमानित) किशोरों के टीकाकरण की तैयारी पूर्ण कर ली गई है। इसके लिए सभी जिले के टीकाकरण अधिकारियों का उन्मुखीकरण किया गया है। इन लाभार्थियों के लिए केवल को-वैक्सीन टीके का ही विकल्प रहेगा।

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ एस आर बंजारे ने बताया कि जांजगीर-चांपा
जिले में- 18+,45, फ्रंट लाइन वर्कर्स और हेल्थकेयर वर्कर्स सहित कुल 16 लाख,11 हजार 104 हितग्राहियों का टीकाकरण किया जा चुका है। इनमें पहला डोज 10 लाख 55 हजार ( 88 प्रतिशत ) और दूसरा डोज का टीका करीब 5 लाख 56 हजार (53%) लोगों को लगाया जा चुका है।

कोविड टीकाकरण की राज्य नोडल अधिकारी डॉ. प्रियंका शुक् ने बताया कि राज्य के करीब तीन लाख 40 हजार स्वास्थ्य कर्मियों, तीन लाख 19 हजार फ्रंटलाइन वर्कर्स और गंभीर बीमारी जैसे हार्ट डिसीज़, डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, बोन मैरो ट्रांसप्लांटेशन, किडनी डिसीज़, हीमोडायलिसिस, कैंसर, सिकलसेल, एचआईवी एवं अन्य गंभीर बीमारियों से पीड़ित 5 लाख 16 हजार , 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को 10 जनवरी से कोरोना वैक्सीन की तीसरी खुराक दी जाएगी।
 

30 दिनों के अंदर वजन कम करने में मदद कर सकती हैं ये एक्सरसाइज

30 दिनों के अंदर वजन कम करने में मदद कर सकती हैं ये एक्सरसाइज

आजकल लोगों के लिए बढ़ता वजन सबसे बड़ी समस्या बना हुआ है क्योंकि यह शरीर को कई बीमारियों का घर बना सकता है। यही वजह है कि इसे नियंत्रित करने के लिए लोग तरह-तरह के डाइट प्लान अपनाते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आप खास डाइट प्लान के साथ कुछ एक्सरसाइज की मदद से 30 दिनों के अंदर बढ़ते वजन को नियंत्रित किया जा सकता है। आइए आज हम आपको ऐसी कुछ एक्सरसाइज के बारे में बताते हैं।

पुल-अप्स
इसके लिए सबसे पहले एक पुल-अप्स रोड के नीचे खड़े हो जाएं। अब अपने दोनों हाथों को ऊपर उठाएं और कंधों की चौड़ाई की दूरी पर रोड को पकड़ लें। इसके बाद अपने दोनों हाथों पर जोर डालते हुए कोहनियों को मोड़ें और पूरे शरीर को ऊपर उठाएं। फिर दोबारा से अपने शरीर को नीचे करें और शरीर को ढीला छोड़ते हुए लटकें। यह पुल-अप्स एक्सरसाइज की एक रेप्स है। ऐसे कम से कम 10 रेप्स करें।

स्क्वाट
सबसे पहले अपने दोनों हाथ सामने की ओर खोलकर सीधे खड़े हो जाएं। इस दौरान आपकी छाती एकदम तनी हुई होनी चाहिए। अब धीरे-धीरे अपने घुटनों को मोड़ते हुए ऐसे बैठें, जिस तरह से कुर्सी पर बैठा जाता है। इसके बाद सांस भरते हुए धीरे-धीरे नीचे झुकें और फिर ऊपर आते समय सांस छोड़ें। ऐसा आप 10 मिनट तक कर सकते हैं। शुरूआत में 10 स्क्वाट करें, फिर धीरे-धीरे 12-15 तक ले जाएं।

लंज
सबसे पहले जमीन पर सीधे खड़े होकर अपने दाएं पैर को आगे बढ़ाएं और उसको घुटनों से मोड़ते हुए 90 डिग्री का कोण बनाएं। अब बायां पैर पीछे के ओर सीधा करें और दोनों पैरों के बीच में कम से कम दो-तीन फीट की दूरी कायम करें। कुछ सेकेंड इसी स्थिति में रहने के बाद खुद को ऊपर की ओर उछालें। इससे आप प्रारंभिक स्थिति में आ जाएंगे। इसे रेप्स कहते हैं। इसी तरह दोनों पैर से 12-15 रेप्स करें।

पुश अप्स
सबसे पहले जमीन पर पेट के बल लेट जाएं, फिर गर्दन को सीधा रखें और हथेलियों को कंधों के नीचे रखें। वहीं, पंजे जमीन से सटे हुए हों। अब हाथों पर जोर डालते हुए शरीर को धीरे-धीरे ऊपर-नीचे करें, लेकिन इस दौरान ध्यान रखें कि शरीर को नीचे लाते समय छाती जमीन से छूनी चाहिए। इसके बाद अपने हाथों को सीधा करें और 10 सेकंड इसी अवस्था में रहें, फिर वापस धीरे-धीरे नीचे आकर सामान्य हो जाएं।

महत्वपूर्ण टिप्स
इन बातों पर भी दें ध्यान
30 दिनों के अंदर सिर्फ एक्सरसाइज ही वजन नियंत्रित करने में मदद नहीं कर सकती बल्कि आपको अपनी डाइट संबंधी आदतों को भी बदलना जरूरी है। बेहतर होगा कि आप अपनी में डाइट में कैलोरी और कार्बोहाइड्रेट की बजाय अधिक प्रोटीन शामिल करें। इसके अलावा, अपने वर्कआउट सेशन से पहले और बाद में वार्म-अप और कूल-डाउन स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज को करना न भूलें। वहीं, समय-समय पर ब्रिस्क वॉक को भी अपने रूटीन में शामिल करें।
 

कोहनी के दर्द से छुटकारा दिला सकते हैं ये योगासन, ऐसे करें अभ्यास

कोहनी के दर्द से छुटकारा दिला सकते हैं ये योगासन, ऐसे करें अभ्यास

आमतौर पर कोहनी में दर्द का कारण चोट को माना जाता है, लेकिन कुछ गतिविधियां और बीमारियां भी इस दर्द की वजह हो सकती हैं। कई लोग इस दर्द से राहत पाने के लिए पेनकिलर दवा का सेवन कर लेते हैं, लेकिन यह स्वास्थ्य के लिए सही नहीं है। आइए आज हम आपको कुछ ऐसे योगासनों के अभ्यास का तरीका बताते हैं, जो प्राकृतिक रूप से कोहनी के दर्द को दूर करने में मदद कर सकते हैं। 

कुंभकासन

कुंभकासन के लिए पहले योगा मैट पर टेबलटॉप स्थिति में आ जाएं, फिर अपने एक पैर को पीछे की ओर करके पंजे को जमीन से सटा दें। इसी तरह दूसरे पैर को भी फैलाएं। अब अपने पैरों के पंजों और हाथों की हथेलियों पर पूरे शरीर का भार डालते हुए शरीर को ऊपर उठाने की कोशिश करें। इस दौरान कमर और गर्दन को बिल्कुल सीधा रखें और कुछ देर इसी अवस्था में बने रहने के बाद धीरे-धीरे सामान्य हो जाएं। 

अधोमुख श्वानासन

अधोमुख श्वानासन के लिए पहले योगा मैट पर वज्रासन की मुद्रा में बैठें। अब सामने की तरफ झुकते हुए अपने हाथों को जमीन पर रखें और गहरी सांस लेते हुए कमर को ऊपर उठाएं। इस दौरान घुटनों को सीधा करके सामान्य रूप से सांस लेते रहें। इस योगासन में शरीर का पूरा भार हाथों और पैरों पर होना चाहिए और शरीर का आकार ङ्क जैसा नजर आना चाहिए। कुछ मिनट इसी अवस्था में रहने के बाद धीरे-धीरे सामान्य हो जाएं। 

कपोतासन

कपोतासन के लिए पहले योगा मैट पर घुटने के बल खड़े हो जाएं, फिर अपने हाथों को सामने की ओर से ऊपर उठाकर शरीर को वक्र का आकार देते हुए पीछे की ओर ले जाएं और अपनी हथेलियों को जमीन पर रखें। अब इसी मुद्रा में रहते हुए अपने सिर को एडियों के बीच रखें। इसके बाद अपने दोनों हाथों से पैरों की एडियों को पकड़ें। अपनी क्षमतानुसार इस मुद्रा में बने रहने के बाद धीरे-धीरे सामान्य हो जाएं। 

बिटिलासन

बिटिलासन के लिए पहले योगा मैट पर वज्रासन की मद्रा में बैठें, फिर आगे की ओर झुकते हुए दोनों हाथों को अपने आगे सीधे जमीन पर टिका लें। अब अपने कूल्हे को ऊपर की तरफ और पेट को जमीन की ओर दबाएं। इसके बाद सिर को उठाते हुए कुछ सेकंड सीधे या फिर आसमान की तरफ देखें। कुछ देर इस मुद्रा में बने रहने के बाद धीरे-धीरे वज्रासन की अवस्था में वापस आ जाएं और आसन छोड़ दें। 

 
अगर आप भी माइक्रोवेव में गर्म करते हैं ये चीजें, तो आज से ही बदल दें अपनी आदत, वरना होगा स्वास्थ्य को नुकसान

अगर आप भी माइक्रोवेव में गर्म करते हैं ये चीजें, तो आज से ही बदल दें अपनी आदत, वरना होगा स्वास्थ्य को नुकसान

आजकल माइक्रोवेव आपको घर घर की रसोई में मिल जाएगा. कोई भी चीज इसमें झटपट बन जाती है. फटाफट इसमें खाने को गर्म किया जा सकता है. इसलिए लोगों को माइक्रोवेव काफी सुविधाजनक लगता है. सिर्फ घर पर ही नहीं, बल्कि वर्कप्लेस की कैन्टीन में भी खाने को गर्म करने के लिए माइक्रोवेव का इस्तेमाल किया जाता है.

लेकिन किसी भी चीज के जितने फायदे होते हैं, उतने ही नुकसान भी होते हैं. माइक्रोवेव में भी हर चीज को गर्म नहीं किया जा सकता क्योंकि कुछ चीजों को इसमें गर्म करने से इसके पोषक तत्व खत्म हो जाते हैं. वहीं कुछ चीजें इसमें गर्म होने के बाद शरीर के लिए नुकसानदायक हो जाती हैं. यहां जानिए उन चीजों के बारे में जिन्हें माइक्रोवेव में गर्म नहीं करना चाहिए.

मशरूम

अगर आप माइक्रोवेव में मशरूम को गर्म करें तो इससे इसके पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं. ऐसे में आपको मशरूम का कोई फायदा नहीं मिल पाएगा. इसलिए मशरूम को बनाने के बाद तुरंत खा लेना चाहिए. माइक्रोवेव में गर्म किया गया मशरूम आपका डाइजेशन भी खराब कर सकता है.

चावल

कई बार लोग चावल को माइक्रोवेव में गर्म करते हैं. लेकिन ऐसा करने से फूड पॉइजनिंग की समस्या हो सकती है. दरअसल चावल को माइक्रोवेव में गर्म करने से बैसिलस सीरियस नामक बैक्टीरिया नष्ट होने से ऐसे बीज पैदा हो जाते हैं जो सेहत के लिए हानिकारक माने जाते हैं. ऐसे में इन चावलों को खाने से उल्टी दस्त और पाचन संबंधी परेशानी हो सकती है.

चिकन

चिकन को माइक्रोवेव में गर्म करने से उसकी प्रोटीन की संरचना में बदलाव हो जाता है. ऐसे में माइक्रोवेव में गर्म चिकन खाने से आपका हाजमा बिगड़ सकता है. इसलिए अगर आप अब तक ऐसा करते आए हैं, तो आज ही इस आदत को बदल दें.

तेल

किसी भी तरह के तेल को माइक्रोवेव में गर्म नहीं करना चाहिए. इससे तेल का गुड फैट बैड फैट में बदल जाता है और वो तेल आपकी सेहत के लिए हानिकारक हो जाता है. इसलिए ऐसी गलती कभी नहीं कीजिएगा.

अंडा

अगर आप माइक्रोवेव में अंडे उबालते हैं तो अब से ऐसा मत कीजिएगा क्योंकि माइक्रोवेव में अंडे को गर्म करने पर उसके अंदर का तापमान बढ़ता है. इससे अंडा फट जाता है. इसके अलावा अंडे से बनी किसी चीज को भी माइक्रोवेव में गर्म करने से बचना चाहिए. इससे उसके पोषक तत्व समाप्त हो जाते हैं.

 
क्या आपके भी साँसों में बदबू आती है, तो जाने इसके कारण और इसे दूर करने के उपाय

क्या आपके भी साँसों में बदबू आती है, तो जाने इसके कारण और इसे दूर करने के उपाय

आप अपने दोस्त को कुछ करने के लिए फुसफुसाते हैं और आप अपने दोस्त के चेहरे पर नजऱ से बता सकते हैं कि कुछ गड़बड़ है। क्या यह आपकी सांस हो सकती है? हो सकता है कि आपको दोपहर के भोजन पर अपने हैमबर्गर पर अतिरिक्त प्याज नहीं रखना चाहिए। बदबूदार सांस वाले लोगो को क्या करना चाहिए?

यह गंध कैसी है?

खराब सांस का चिकित्सकीय स्थिति के लिए सामान्य नाम है जिसे हैलिटोसिस कहते हैं: हाल-उह-टो-सीस)। कई अलग-अलग चीजें मुंह से दुर्गंध पैदा कर सकती हैं जैसे अपने दांतों को ब्रश न करने से लेकर कुछ अलग चिकित्सकीय स्थिति।

कभी-कभी, किसी व्यक्ति की बुरी सांस आपको बहुत परेशान करती है – और उसे पता नहीं चलता कि कोई समस्या है। खराब सांस के बारे में किसी को बताने के तरीके (अच्छे) हैं। आप बिना कुछ कहे पुदीना या चीनी रहित गोली पेश कर सकते थे।

यदि आपको संदेह है कि आपकी खुद की सांस बेईमानी है, तो किसी ऐसे व्यक्ति से पूछें जो आपको मज़ाक उड़ाए बिना एक ईमानदार जवाब देगा। बस अपने भाई या बहन से मत पूछिए – वे आपको बता सकते हैं कि आपकी सांसें तब भी बदबू मारती हैं, जब ऐसा नहीं होता।

हालाँकि हर किसी को कभी-कभी बुरी सांस मिलती है, अगर आपकी सांस बहुत खराब है, तो आपको अपने दंत चिकित्सक या डॉक्टर से मिलने की आवश्यकता हो सकती है।

सांसों की बदबू क्या है?

खाद्य पदार्थ और पेय, जैसे कि लहसुन, प्याज, पनीर, संतरे का रस और सोडा को खराब दंत स्वच्छता देते है ।

ही जीन जिसका अर्थ है नियमित रूप से ब्रश और फ्लॉसिंग नहीं करना।

बदबूदार सांस को रोकना

तो एक बच्चे को क्या करना चाहिए? धूम्रपान न करें या तंबाकू उत्पादों का उपयोग न करें। और दिन में कम से कम दो बार अपने दांतों को ब्रश करके और दिन में एक बार फ्लॉसिंग करके अपने मुंह का ख्याल रखें। अपनी जीभ को भी ब्रश करें, क्योंकि बैक्टीरिया वहां बढ़ सकता है। दिन में एक बार फ्लॉसिंग करने से आपके दांतों के बीच मौजूद कणों से छुटकारा मिलता है। इसके अलावा, नियमित जांच और सफाई के लिए साल में दो बार अपने डेंटिस्ट के पास जाएं।

डेंटिस्ट पर जाने से न केवल आपके दांतों को पूरी तरह से सफाई मिलेगी बल्कि दंत चिकित्सक आपके मुंह के चारों ओर किसी भी संभावित समस्याओं का पता भी लगा सकते है। उदाहरण के लिए, मसूड़ों की बीमारी, जिसे पीरियडोंटल बीमारी के रूप में भी जाना जाता है, खराब सांस और आपके दांतों को नुकसान पहुंचा सकती है।

आमतौर पर, खराब सांस के लिए एक कम जटिल कारण है-जैसे कि आपके पास दोपहर के भोजन के लिए क्या था। तो अपने ब्रशिंग और फ्लॉसिंग को सही ढंग से करते रहे और गंध मुक्त रहे।

 
बैंगन यह सब भी कर सकता है, कभी सोचा नहीं होगा आपने

बैंगन यह सब भी कर सकता है, कभी सोचा नहीं होगा आपने

अच्छी बात ये है कि अगर आप चाहें तो इस अपने घर में रखे गमले में भी उगा सकते हैं वो भी बहुत आसानी से बैंगन के फायदे हमेशा ही अनदेखे रहे हैं लेकिन जब आप इसके फायदे जानेंगे तो वाकई आश्चर्य में पड़ जाएंगे।
याददाश्त तेज करना
अगर आपको अपनी याददाश्त तेज करना है तो खाने में बैंगन को जरूर शामिल करें बैंगन में फाइटो न्यूट्रिएंट्स होते है जो सेल मेम्बरेन को नुकसान होने से बचाता है जो एक संदेशवाहक की तरह काम करता है।
वजन कम करने में
अगर आपका वजन ज्यादा है और आप उसे कम करने का प्रयास कर रहे हैं तो अपने भोजन में बैंगन को शामिल करना आपके लिए काफी फायदेमंद हो सकता है दरअसल बैंगन में कैलोरी की मात्रा बहुत कम होती है और फाइबर भरपूर होता है जो वजन कम करने में मदद करता है।
बैंगन में बहुत
हर महिला अपनी उम्र से कम दिखना चाहती है बैंगन; की मदद से आप अपनी उम्र से कम दिख सकती है बैंगन में बहुत सारे एंथोकायनिन होते हैं और ये एंटीऑक्सिडेंट एंटीएजिंग एजेंट के रूप में कार्य करते हैं।
दांत दर्द में बैंगन
बैंगन के इस्तेमाल दांत दर्द में दर्द निरोधक की तरह काम करता है इसके रस से दांतों के दर्द में आराम मिलता है साथ ही इसकी जड़ का इस्तेमाल अस्थमा की रोकथाम में भी किया जाता है।
बालों का झडऩा
बालों को झडऩे से रोकने के लिए हम कई महंगे प्रोडक्ट का इस्तेमाल करते है लेकिन क्या आपको पता है कि बैंगन आपके बालों को झडऩे से बचा सकता है बैंगन में पाये जाने वाले एंजाइम आपके स्कैल्प को मजबूत बनाते है जिससे बालों का झडऩा काफी हद तक कम हो जाता है।

 

Omicron के बढ़ते संक्रमण के बीच इस तरह रखें अपने सेहत का ख्याल....

Omicron के बढ़ते संक्रमण के बीच इस तरह रखें अपने सेहत का ख्याल....

ओमिक्रोन महामारी के बढ़ते मामलों के कारण लोगों में दहशत का माहौल है. ऐसे में आपको अपने गले और फेफड़ों का सबसे ज्यादा ख्याल रखना चाहिए. सर्दियों में होने वाले इनफेक्शन से बचाव करने के लिए आपको खान-पान के अलावा कुछ घरेलू नुस्खे भी अपनाने चाहिए. ठंड में जुकाम, गले में खराश, बुखार और कई तरह के इनफेक्शन की समस्या बढ़ जाती है. ये सभी बीमारी गले, लंग्स और सांस नली से जुड़ी हैं. कोरोना वायरस से होने वाला इंफेक्शन भी सबसे ज्यादा गले, लंग्स और सांसनली को प्रभावित करता है. ऐसे में आप कुछ अचूक नुस्खों से अपने फेफड़ों, नाक और गले का ख्याल रख सकते हैं.

आइये जानते हैं.

1) गर्म पानी पीएं- अगर आप सुबह गर्म पानी पीने की आदत बना लेते हैं तो इससे आप लंबे समय तक स्वस्थ रह सकते हैं. गर्म पानी पीने से गले में होने वाले बैक्टीरिया और फंगस खत्म हो जाती है. गर्म पानी पीने से मोटाबॉलिज्म बढ़ता है और वजन भी कम होता है. बदलते मौसम में सुबह गर्मपानी पीने की आदत बना लें.


2) भाप जरूर लें- गले में खराश या किसी और तरह की परेशानी होने पर भाप जरूर लें. भाप से फेफड़ों में जमा बलगम बाहर आ जाता है और सर्दी खांसी में भी आराम पड़ता है. भाप लेते वक्त आप पानी में अजवाइन भी डाल सकते हैं. भाप लेने से गला और सांसनली भी साफ हो जाती है.


3) गहरी और लंबी सांस लें- स्वस्थ शरीर का संबंध काफी हद तक सांसों से भी है. आप जितनी गहरी सांस लेंगे, शरीर में उतना ही ऑक्सीजन जाएगा. शरीर को सही ऑक्सीजन मिलने से फेफड़ों और बाकी अंग भी ठीक से काम करते हैं. इसलिए लंबी-लंबी गहरी सांस लेने की आदत बना लेनी चाहिए।


4) योग और व्यायाम करें- स्वस्थ रहने के लिए आपको नियमित रूप से व्यायाम करना चाहिए. सांसों के अभ्यास के लिए आप योग का सहारा भी ले सकते हैं. इससे आपके फेफड़े मजबूत होते हैं. योग से शरीर स्वस्थ रहता है. आपको रोज 15-20 मिनट खुली हवा में प्राणायाम करना चाहिए. आप घर के काम करके भी स्वस्थ रह सकते हैं. स्वस्थ रहने के लिए वर्कआउट और एक्टिव रहना जरूरी है.


5) अदरक लहसुन का सेवन करें- सर्दियों में जुकाम-खांसी को दूर भगाने के लिए खाने में अदरक लहसुन का सेवन जरूर करें. अदरक लहसुन से शरीर गर्म रहता है और इम्यूनिटी मजबूत होती है. खांसी को दूर करने के लिए आप शहद और अदरक के रस को इस्तेमाल कर सकते हैं. लहसुन खाने से ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और कोलेस्ट्रॉल की समस्या कम होती है.
 

अगर बहुत ज्यादा पेट में गैस बनती है तो उसके पीछे हो सकते हैं ये कारण

अगर बहुत ज्यादा पेट में गैस बनती है तो उसके पीछे हो सकते हैं ये कारण

गैस बनने की समस्या तब होती है, जब गले और पेट को जोडऩे वाली एक प्रकार की नली कमजोर हो जाती है और इससे पेट में मौजूद एसिड ऊपर की ओर आ जाता है। यह एक सामान्य शारीरिक समस्या है और इससे डॉक्टरी इलाज की मदद से राहत पाई जा सकती है। हालांकि, अगर आपको बहुत ज्यादा पेट में गैस बनने की समस्या रहती है तो उसके पीछे कुछ कारण हो सकते हैं। आइए उन्हीं के बारे में जानते हैं।
कार्बोनेटेड पेय पदार्थों का अधिक सेवन
सोडा या फिर बियर जैसे किसी भी तरह कार्बोनेटेड पेय पदार्थ का अधिक सेवन करने से आपको बार-बार पेट में गैस बनने की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। दरअसल, कार्बोनेटेड ड्रिंक्स में मौजूद एसिड पेट में गैस बनाने का कारण बनता है। इसलिए बेहतर होगा कि आप इनका सेवन करने से बचें और इनकी बजाय स्वास्थ्यवर्धक पेय पदार्थों का सेवन करें क्योंकि इससे आपको कई स्वास्थ्य लाभ मिल सकते हैं।
हैवी और मसालेदार खाना खाने
अगर आप हैवी या फिर अधिक मसालेदार खाना खा लेते हैं तो इसके कारण भी आपको गैस की समस्या से जूझना पड़ सकता है। यही नहीं, रोजाना हैवी और अधिक मसालेदार खाना खाने से गैस्ट्रिक अल्सर और पेप्टिक अल्सर की बीमारी भी हो सकती है। ये दोनों बीमारियां पेट के अंदर घाव बनने से होती हैं। इसलिए अपने खाने में मिर्च-मसाले का सीमित मात्रा में ही इस्तेमाल करें और हैवी खाना न खाएं।
पित्ताशय में पथरी होने की वजह से
पित्ताशय में जरूरत से ज्यादा कोलेस्ट्रॉल जमा होने लगता है तो वह पथरी का रूप ले लेता है, जिसके कारण असहनीय दर्द और सूजन के साथ खाली पेट गैस बनने की समस्या से भी जूझना पड़ सकता है। दरअसल, यह बीमारी लंबे समय तक अनहेल्दी फैट्स के सेवन और खराब लाइफस्टाइल के कारण होती है। पित्ताशय में पथरी के लक्षणों के रूप में लोगों को बदहजमी, जी मचलाना और खट्टी डकार आने की समस्या भी हो सकती है।
बीमारियों के कारण
अमूमन लोग समझते हैं कि पेट में अधिक गैस बनने का कारण सिर्फ गलत खान-पान ही होता है, लेकिन कुछ बीमारियों की वजह से भी आपको बार-बार गैस की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। अगर आपको डाइवर्टिक्युलाइटिस, अल्सरेटिव कोलाइटिस, क्रोहन्स डिजीज, इरिटेबल बाउल सिंड्रोम, डायबिटीज, थायराइड डिसफंक्शन या फिर इंटेस्टाइन ब्लॉकेज जैसी बीमारियों में से कोई बीमारी है तो आपके पेट में अधिक गैस बनने की समस्या हो सकती है।

 

कोरोना अपडेट: नए वैरिएंट ओमिक्रॉन के खतरे के बीच मिली बड़ी राहत, मिले इतने मरीज, देखे आकड़े

कोरोना अपडेट: नए वैरिएंट ओमिक्रॉन के खतरे के बीच मिली बड़ी राहत, मिले इतने मरीज, देखे आकड़े

नई दिल्ली: देश में कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन के खतरे के बीच बड़ी राहत की खबर आई है। दरअसल, 558 दिनों में संक्रमण के सबसे कम मामले सामने आए हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा मंगलवार को जारी आंकड़े के अनुसार बीते 24 घंटे में कोरोना संक्रमण के 6,822 मामले सामने आए हैं जो कि 558 दिनों में सबसे कम है। इस दौरान 220 लोगों की मौत भी हो गई। इसके अलावा 10,004 लोग स्वस्थ भी हुए और रिकवरी दर 98.36 फीसदी पहुंच गई है।


स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार देश में अब कुल 95,014 सक्रिय मरीज बचे हैं जो कि 554 दिनों बाद सबसे कम है। वहीं देश में अब तक कोरोना के कुल 3,46,48,383 मामले आ चुके हैं जबकि कुल 3,40,79,612 लोग स्वस्थ हो चुके हैं। वहीं कुल मृतकों की संख्या की बात करें तो यह 4,73,757 हो गई है। देश में कुल वैक्सीनेशन का आंकड़ा 128 करोड़ (1,28,76,10,590) के पार हो गया है।

मुंबई में और दो लोगों में मिला ओमिक्रॉन वैरिएंट, देश में कुल संख्या पहुंची 23

मुंबई में और दो लोगों में मिला ओमिक्रॉन वैरिएंट, देश में कुल संख्या पहुंची 23

सोमवार शाम मुंबई में और दो लोगों में ओमिक्रॉन वैरिएंट की पुष्टि हुई है। इस संख्या के साथ ही महाराष्ट्र की ओमिक्रॉन वैरिएंट से संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़कर 10 हो गई है। इसके अलावा देश में इस तरह के नए संक्रमण मरीजों की संख्या 23 हो गई है।
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, दक्षिण अफ्रीका से लौटा 37 वर्षीय व्यक्ति और उसका 36 वर्षीय अमेरिकी रिटर्न मित्र ओमिक्रॉन वैरिएंट से संक्रमित पाया गया है। यह लगातार दूसरा दिन है जब महाराष्ट्र में ओमिक्रॉन के मामले सामने आए हैं। मुंबई में नवीनतम मामलों के साथ भारत में अब तक ओमिक्रॉन संक्रमितों की संख्या बढ़कर 23 हो गई हैं।
इससे पहले महाराष्ट्र ने ओमिक्रॉन संस्करण के सात और मामले दर्ज किए थे। रविवार को जिन संक्रमितों का पता चला, उनमें से सभी पुणे जिले के थे, छह पिंपरी चिंचवड़ नगर निगम (पीसीएमसी) में और एक पुणे शहर और जिले के ग्रामीण इलाकों में था। इन सात मरीजों में से तीन हाल ही में लागोस गए थे और एक ही परिवार के हैं। दूसरे व्यक्ति ने हाल ही में फिनलैंड की यात्रा की थी।
उधर, राजस्थान महाराष्ट्र के बाद रविवार को ओमिक्रॉन संक्रमण की रिपोर्ट करने वाला दूसरा राज्य था। राजस्थान राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने कहा कि उसने जयपुर में कोरोनावायरस के वायरल संस्करण वाले नौ लोगों का पता लगाया है। जयपुर में ओमिक्रॉन संस्करण से संक्रमित नौ लोगों में से चार दक्षिण अफ्रीका से लौटे हैं, जहां पहली बार इस प्रकार का पता चला था। पिछले हफ्ते दिल्ली में ओमिक्रॉन वैरिएंट के एक मामले का पता चला था। कर्नाटक में पहले दो मामलों का पता चला, जिसके बाद महाराष्ट्र और गुजरात में मामले सामने आए।
 

इस च्युइंग गम को खाने से कम हो सकता है कोरोना वायरस का खतरा, विकसित करने में जुटे वैज्ञानिक

इस च्युइंग गम को खाने से कम हो सकता है कोरोना वायरस का खतरा, विकसित करने में जुटे वैज्ञानिक

वैज्ञानिक पौधों के जरिए तैयार किये गए प्रोटीन से लैस एक ऐसा च्यूइंग गम विकसित कर रहे हैं, जो सार्स-कोवी-2 वायरस के लिए एक ‘जाल’ का काम करता है और यह कोराना वायरस संक्रमण को घटा देता है. अनुसंधानकर्ताओं ने इस बात का जिक्र किया कि जिन लोगों का टीकाकरण पूरा हो चुका है, वे अब भी कोरोना वायरस से संक्रमित हो सकते हैं. अमेरिका स्थित पेन्सिलवेनिया विश्वविद्यालय के हेनरी डेनियल ने बताया, ‘‘सार्स-कोवी-2 लार ग्रंथी में प्रतिकृति बनाता है और हम उस वक्त इस बारे में जानते हैं जब कोई संक्रमित व्यक्ति छींकता, खांसता या बोलता है और वह दूसरों में पहुंच जाता है.
मोलेक्यूलर थेरेपी जर्नल में प्रकाशित अध्ययन का नेतृत्व करने वाले डेनियल ने कहा, ‘‘यह गम लार में वायरस को न्यूट्रल कर देता है, जो रोग के संक्रमण के स्रोत को संभावित रूप से बंद करने का एक सामान्य तरीका है.’’ महामारी से पहले डेनियल उच्च रक्तचाप के लिए एक प्रोटीन हार्मोन का अध्ययन कर रहे थे. उन्होंने प्रयोगशाला में एसीई2 प्रोटीन और कई अन्य प्रोटीन विकसित किये, जिनमें उपचार में उपयोग लाये जाने की क्षमता है. इसके लिए उन्होंने पौधा आधारित उत्पादन प्रणाली का उपयोग किया. अनुसंधानकर्ताओं ने बताया कि एसीई2 का इंजेक्शन गंभीर संक्रमण वाले मरीजों में वायरस की संख्या को घटा सकता है.
च्यूइंग गम का परीक्षण करने के लिए अनुसंधानकर्ताओं की टीम ने पौधों में एसीई2 तैयार किया, उसे अन्य यौगिक के साथ संलग्न किया ताकि वह प्रोटीन के जुड़ने में सहायक हो सके. इसके बाद पौधे की सामग्री को गम टैबलेट में तब्दील किया गया.
(इनपुट भाषा)
 

कोरोना अपडेट: नए वैरिएंट के दशहत के चलते देश में बढ़ रहे कोरोना के मामले, देखे आकड़े

कोरोना अपडेट: नए वैरिएंट के दशहत के चलते देश में बढ़ रहे कोरोना के मामले, देखे आकड़े

नई दिल्ली: भारत में कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। देश में अभी तक 21 मामले आ चुके हैं। इसको लेकर लोगों में दहशत का माहौल है। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि डरने से ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है। वहीं दूसरी ओर कोरोना के दैनिक मामले बीते कुछ समय से 10 हजार से कम मामले आ रहे हैं। हालांकि, देश के कई राज्यों में कोरोना के मामले धीरे-धीरे बढ़ रहे हैं। दिल्ली, बंगाल, महाराष्ट्र, गोवा समेत अन्य प्रदेशों में कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है।


पिछले 24 घंटे में कोरोना के 8,306 नए मामले सामने आए हैं। यानी रविवार के मुकाबले सोमवार को जारी आंकड़ों में पांच सौ मरीजों की कमी आई है। इस दौरान 8834 लोग स्वस्थ्य होकर घर भी लौट गए हैं। राहत की बात है कि कोरोना के सक्रिय मामले लगातार कम हो रहे हैं। 552 दिन बाद कोरोना के कोरोना के एक्टिव केस कम हुए हैं। कोरोना के सक्रिय मामले 98,416 है। रविवार को देश में 8,895 नए मामले सामने आए थे जबकि 6,918 स्थवस्थ्य हुए थे।


वहीं, 3 करोड़ 46 लाख 41 हजार 561 कुल मामले सामने आ चुके हैं। इसके साथ ही स्वस्थ्य होने वाले लोगों की संख्या भी तेजी से आगे बढ़ रही है। देश में महामारी से मरने वालों की कुल संख्या 4,73,555 हो गई है।


देश की राजधानी दिल्ली में कोरोना के मामलों में अचानक बढ़ोतरी देखी गई है। रविवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, 63 नए मामले सामने आए हैं। साथ ही बीते पांच दिनों में संक्रमण दर बढ़कर 0.11 फीसदी बढ़ गई है। हालांकि, राहत की बात यह है कि एक भी मरीज ने दम नहीं तोड़ा।

जानवरों के शरीर में जाकर बदला कोरोना? वैज्ञानिकों ने बताया कैसे बना ओमिक्रॉन

जानवरों के शरीर में जाकर बदला कोरोना? वैज्ञानिकों ने बताया कैसे बना ओमिक्रॉन

कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन ने दुनियाभर में कहर बरपाना शुरू कर दिया है। भारत में भी इसकी दस्तक शुरू हो गई है। इस बीच अमेरिका की एक संस्था की रिसर्च सामने आई है। जिसमें ये खुलासा हुआ है कि जब कोरोना संक्रमित इंसान जानवरों के संपर्क में आते हैं और संक्रमित जानवर किसी स्वस्थ इंसान के संपर्क में आ जाए तो नए तरह के वैरिएंट का जन्म हो सकता है। इसे रिवर्स जूनोसिस कहते हैं। यानि सार्स-कोव-2 जैसा प्रकार उत्पन्न हो सकता है। बता दें कि ओमिक्रॉन सार्स-कोव-2 प्रकार का वैरिएंट है।
अमेरिका के कॉलेज ऑफ वेटरनरी मेडिसिन एंड बायोमेडिकल साइंसेज में रिसर्च टीम ने बिल्लियों, कुत्तों, फेरेट्स और हैम्स्टर्स में संक्रमण के बाद कोरोना वायरस में होने वाले उत्परिवर्तन प्रकारों का विश्लेषण किया। यह रिसर्च हाल ही में नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज की आधिकारिक पत्रिका पीएनएएस में प्रकाशित हुई थी। इसमें विभिन्न प्रकार के जानवरों जैसे जंगली, चिड़ियाघर और घरेलू जानवरों में रिसर्च की गई। रिसर्च के मुताबिक, यदि कोई जानवर कोरोना संक्रमित इंसान के संपर्क में आता है तो नए प्रकार के कोरोना वायरस वैरिएंट का जन्म हो सकता है। इस रिसर्च से इस बात को बल मिला है कि कहीं ओमिक्रॉन वैरिएंट का जन्म भी इसी प्रक्रिया का हिस्सा तो नहीं ?
अमेरिका में माइक्रोबायोलॉजी, इम्यूनोलॉजी और पैथोलॉजी विभाग में डॉक्टरेट की छात्रा लारा बशोर के मुताबिक, " आम तौर पर कई प्रकार के वायरस जानवरों की अन्य प्रजातियों को संक्रमित नहीं कर सकते हैं, वे बहुत विशिष्ट हो गए हैं। लेकिन कोरोना फैमिली का सार्स-कोव-2 इससे अलग है।"
वहीं, पेन्सिलवेनिया विश्वविद्यालय में वन्यजीव रोग पारिस्थितिकी के सहायक प्रोफेसर एरिक गग्ने कहती हैं, "मनुष्यों के आस-पास रहने वाले जानवरों के लिए ये वायरस अधिक जोखिम वाला है, इसलिए इसने कोविड-19 फैमिली के विभिन्न वैरिएंट को उत्पन्न करने का अवसर दिया है।"
दरअसल, दक्षिण अफ्रीका में मिले कोरोना के खतरनाक वेरिएंट ओमिक्रॉन पर कुछ दिन पहले वैज्ञानिकों ने चौंकाने वाले खुलासे किए थे। वैज्ञानिकों ने दावा किया था कि ओमिक्रॉन रोडेंट्स यानी चूहों जैसे जीव के जरिए इंसानों तक पहुंचा है। इस प्रक्रिया को रिवर्स जूनोस‍िस कहते हैं।
जूनोसिस और रिवर्स जूनोसिस में अंतर
इसे ऐसे समझ सकते हैं कि जब जानवरों से इंसान तक कोई बीमारी पहुंचती तो इस प्रक्रिया हो जूनोसिस कहते हैं। वहीं, जब जानवरों से बीमारी अपना रूप बदलकर इंसानों में वापस आती है तो इसे रिवर्स जूनोसिस कहते हैं। यही दावा वैज्ञान‍िकों ने अपनी रिपोर्ट में किया है। वैज्ञान‍िक कहते हैं कि जितना ज्यासदा म्यू टेशन इस वैरिएंट में पाया गया है उतना कोरोना के दूसरे वैरिएंट में नहीं देखा गया, क्योंकि ओमिक्रॉन में 32 म्यूटेशन हैं। हालांकि अभी भी पुख्तारतौर पर यह नहीं कहा जा सकता कि ओमिक्रॉन जानवरों से फैला या इंसानों में धीरे-धीरे विकसित हुआ।
 

तो क्या भारत में आएगी कोरोना की तीसरी लहर, क्या फिर से लग जाएगा लॉकडाउन?

तो क्या भारत में आएगी कोरोना की तीसरी लहर, क्या फिर से लग जाएगा लॉकडाउन?

दुनिया में कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन की वजह से हड़कंप मचा हुआ है और भारत में भी अब इसने अपना पैर पसारना शुरू कर दिया है. बता दें कि 24 नवंबर को ओमिक्रॉन के पहले केस की पुष्टि के बाद से अबतक यानी सिर्फ दस दिनों में ही ये कोरोना का नया वैरिएंट दुनिया के 38 देशों में फैल चुका है और पूरी दुनिया में ओमिक्रॉन वैरिएंट के अबतक करीब 400 केस सामने आ चुके हैं. ओमिक्रॉन का पहला केस दक्षिण अफ्रीका में मिला था. जहां अबतक 183 लोग इस वेरिएंट से संक्रमित हो चुके हैं. इसके बाद सबसे ज्यादा 19 केस बोत्सवाना में आए हैं.ब्रिटेन में 32 और नीदरलैंड्स में 19 केस की पुष्टि हो चुकी है.
भारत में भी कड़ी जांच और सख्ती के बाद भीपांचमरीज अबतक मिल चुके हैं. कर्नाटक में पहले दो केस मिलने के बाद आज एक केस गुजरात के जामसे और दूसरा मुंबई में सामने आया है. जामनगर में ओमिक्रॉन से संक्रमित व्यक्ति हाल ही में जिम्बाब्वे से भारत आया था. जबकि मुंबई में मिला मरीज केपटाउन से मुंबई लौटा था.और आज एक मरीज दिल्ली में मिला है जोकि तंजानिया से लौटा है.
भारत में ओमिक्रॉन लाएगा कोरोना की तीसरी लहर…
दुनिया में जिस तरह से ओमिक्रॉन फैल रहा है, उसे देखकर लोगों के मन में यही सवाल उठ रहा है कि क्या भारत में कोरोना की तीसरी लहर ओमिक्रॉन लेकर आएगा. बता दें कि अभी भी ओमिक्रॉन पर रिसर्च पूरी नहीं हुई है. लेकिन वैज्ञानिक मानते हैं कि ओमिक्रॉन से भारत में तीसरी लहर आ सकती है और सभी को सावधान रहने की जररूत है. अगर राहत की बात कोई दिखाई पड़ रही है तो वो सिर्फ ये है कि भारत में टीकाकरण की गति तेज बनी हुई है. ऐसे में कहा जा रहा है कि अगर मामले बढ़ते भी हैं, तो शायद भारत में कोरोना के नए वैरिएंट की स्थिति दूसरी लहर जितनी खतरनाक नहीं होगी.
डेल्टा से कितना खतरनाक है ये ओमिक्रॉन ?
भारत में डेल्टा से ज्यादा संक्रमितों को मिली सीरोपॉजिविटी की वजह से नए वेरिएंट ओमिक्रॉन का खतरा यहां कुछ कम हो सकता है. लेकिन अभी भी वैज्ञानिक कुछ भी सही नहीं बता पा रहे हैं कि यह डेल्टा से कितना खतरनाक होगा. अब इस राहत के बीच चिंता का विषय ओमिक्रॉन का अपना स्वरूप बदलना है. कहा गया है कि ओमिक्रॉन में तीस से ज्यादा बार म्यूटेशन हुआ है. डेल्टा के मुकाबले भी इसे पांच गुना ज्यादा संक्रामक माना जा रहा है. ऐसे में हमारी थोड़ी भी लापरवाही फिर बड़ा संकट खड़ा कर सकती है.
क्या फिर से लगेगा लॉकडाउन
अभी के लिए भारत में एक ट्रैवल एडवाइजरी पहले ही जारी कर दी गई है. एयरपोर्ट पर भी स्क्रीनिंग और टेस्टिंग बढ़ा दी गई है. दूसरे राज्यों ने भी एट रिस्क देशों से आने वाले यात्रियों को क्वारंटीन में रखने का फैसला किया है.ऐसे में सख्ती दिखाई जा रही है, अब ये वायरस को रोकने में कितना असरदार साबित होता है, ये आने वाले दिनों में स्पष्ट हो जाएगा. अगर लापरवाही बरती गई और केसेज बढे तो भारत में लॉकडाउन के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा.