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सिरदर्द होने पर इन चाय का करें सेवन, जल्द मिलेगा आराम

सिरदर्द होने पर इन चाय का करें सेवन, जल्द मिलेगा आराम

अमूमन लोग सिरदर्द से राहत पाने के लिए पेनकिलर का सेवन करने लगते हैं, लेकिन इसका उनके स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। अगर अब आप सोच यह रहे हैं कि पनेकिलर नहीं तो किस तरह से सिरदर्द दूर होगा तो आपको बता दें कि चाय इससे आराम दिलाने में मदद कर सकती हैं। आइए आज हम आपको कुछ ऐसी चाय की रेसिपी बताते हैं, जिनका सेवन सिरदर्द से राहत दिलाने में मदद कर सकता है।

कैमोमाइल टी
कैमोमाइल टी एक हर्बल चाय है, जो कि एंटी-इंफ्लेमेटरी के साथ दर्द निवारक गुणों से समृद्ध होती है, इसलिए इसका सेवन सिरदर्द से राहत दिलाने में मदद कर सकता है। इस चाय को बनाने के लिए सबसे पहले एक पैन में एक गिलास पानी और एक चौथाई कप सूखे कैमोमाइल के फूल डालकर उबालें और जब पानी आधा हो जाए तो गैस बंद करके चाय को छानकर कप में डालें। इसके बाद चाय में स्वादानुसार शहद मिलाकर इसका सेवन करें।

अदरक की चाय
अदरक की चाय हीलिंग प्रभाव और दर्द निवारक गुण से समृद्ध होती है, इसलिए इसका सेवन सिरदर्द को दूर करने में मदद कर सकता है। इस चाय को बनाने के लिए सबसे पहले एक पैन में दो से तीन कप पानी और थोड़ा सा कदूकस किया हुआ अदरक डालें। इसके बाद कुछ मिनट तक पानी को उबलाकर गैस बंद कर दें। अब इस चाय को छानकर एक कप में डालें, फिर इसमें स्वादानुसार शहद मिलाकर पिएं।

पुदीने की चाय
अगर आपके सिर में होने वाले दर्द का कारण चिंता है तो इससे राहत दिलाने में पुदीने की चाय मदद कर सकती हैं क्योंकि इसमें मौजूद गुण और इसकी सुगंध दिमाग को शांत करके सिर को आराम पहुंचाती है। पुदीने की चाय बनाने के लिए सबसे पहले एक पैन में डेढ़ कप पानी में थोड़ी पुदीने की पत्तियां डालकर उबालें, फिर इस चाय को छानकर कप में डालें। इसके बाद चाय में स्वादानुसार शहद मिलाकर इसका सेवन करें।

ओलोंग टी
ओलोंग टी एंटी-ऑक्सीडेंट गुण के साथ-साथ कई ऐसे पोषक तत्वों से समृद्ध होती है, जो सिरदर्द से राहत दिलाने में सहायक हैं। इस चाय को बनाने के लिए गैस ऑन करके उस पर एक पैन रखकर उसमें पानी को गर्म करें, फिर पानी को एक कप में डालकर उसमें ओलोंग टी बैग को डालें। दो-तीन मिनट बाद इस स्वास्थ्यवर्धक हर्बल टी का सेवन करें। आप चाहें तो इसमें स्वादानुसार शहद मिला सकते हैं।

सिरदर्द से राहत दिलाने में इन चाय का सेवन मदद कर सकता है, लेकिन भूल से भी इनका अधिक सेवन न करें क्योंकि इनकी अति स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने का कारण बन सकती है। इसलिए एक दिन में ज्यादा से ज्यादा दो कप चाय पिएं।

 

कान की गंदगी निकालने के लिए अपनाये ये घरेल नुस्खे

कान की गंदगी निकालने के लिए अपनाये ये घरेल नुस्खे

आज के समय में कान साफ़ करने से कई लोग डरते हैं क्योंकि कान के पर्दे को इससे बड़ा नुकसान हो सकता है। ऐसे में कई बार लोगों को कान साफ़ करने से कई बड़ी परेशानियां हो जाती है लेकिन आप कुछ घरेलू उपायों से कान की गंदगी साफ़ कर सकते हैं। आज हम आपको उन्ही उपायों के बारे में बताने जा रहे हैं जो आप कर सकते हैं और उससे आपका कान साफ़ हो सकता है।

बादाम का तेल- कान का मैल निकालने के लिए बादाम का तेल सबसे पुराने तरीकों में से एक है। जी हाँ और इस इस्तेमाल करने के लिए आप इस तेल को पहले गुनगुना कर लें उसके बाद दो या तीन बूंद बादाम का तेल कान में डालकर कुछ मिनट के लिए छोड़ दे। इस तेल से कान का मैल मुलायम हो कर आराम से बाहर निकल जाएगा।

सरसों, जैतून और नारियल का तेल- सरसों, जैतून और नारियल का तेल भी बादाम के तेल की तरह कान का मैल निकालने में बेहतरीन है। इस दौरान इस बात का ध्यान रखें कि बाजार से हमेशा अच्छी क्वालिटी का ही तेल लाएं और अब आप इनमें से किसी भी तेल में लहसुन की तीन से चार कलियां डालकर गर्म करें, तेल दो चम्मच ही ले। इस लहसुन तेल को थोड़ा सा गुनगुना हो जाने पर कुछ बूंद कान में डालकर रूई से कान बंद कर लें। इससे लाभ होगा।

बेबी ऑयल तेल- कान की गंदगी निकालने के लिए बेबी ऑयल तेल का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए आप अपने कानों में 3 से 4 बूंदें बेबी ऑयल को डाल कर रूई से बंद कर दें और फिर 5 मिनट बाद रूई को निकाल दें।

सेब का सिरका और हाइड्रोजन पराक्साइड - इसके लिए थोड़ा सा हाइड्रोजन पेरोक्साइड को लेकर पानी में घोलें और इस मिक्सचर को कान में डालें। वहीं उसके बाद इस घोल को कान से बाहर निकाल दें। वैसे इसके अलावा सिरका की मदद से भी कान की सफाई कर सकते हैं। इसके लिए आप थोड़े से सिरके को एक चम्मच पानी में मिला ले और अब इसको कान में डाल दें।

गुनगुना पानी- वैसे आप गुनगुने पानी की मदद से भी कान का मैल साफ कर सकते हैं। इसके लिए पानी को थोड़ा सा गुनगुना कर लें और फिर रूई की सहायता से कान के अंदर डालें। अंत में उलटे होकर मेल बाहर निकाले।

प्याज का रस- इसे इस्तेमाल करने के लिए रूई की मदद से कुछ बूंदे कान के अंदर डालें क्योंकि इससे कान की गंदगी आसानी से बाहर आ जाएगी। 

स्वास्थ्य को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है अंडे का अधिक सेवन, हो सकती हैं ये समस्याएं

स्वास्थ्य को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है अंडे का अधिक सेवन, हो सकती हैं ये समस्याएं

अंडे का सेवन स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है क्योंकि यह प्रोटीन का बेहतरीन स्त्रोत होने के साथ ही आयरन, कैल्शियम और ओमेगा 3 फैटी एसिड जैसे कई पोषक तत्वों से समृद्ध होता है। इसी वजह से लोग इसका सेवन करना पसंद करते हैं, लेकिन अगर आप अधिक अंडे खाते हैं तो इससे स्वास्थ्य को बहुत नुकसान पहुंचा सकता है। आइए जानते हैं कि अंडे का अधिक सेवन करने से किन-किन समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

हृदय हो सकता है प्रभावित
अंडे का अधिक सेवन हृदय के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है। दरअसल, अंडे के अधिक सेवन से शरीर में बेड कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढऩे लगती है, जो हृदय को नुकसान पहुंचा सकती है। इस वजह से आपको हृदय से जुड़ी कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है, इसलिए अगर आप पहले से ही किसी हृदय रोग से ग्रस्त हैं तो अंडे का सेवन डॉक्टरी सलाह के अनुसार ही करें।

हो सकती है ब्लोटिंग की समस्या
अगर आप अंडे का अधिक सेवन करते हैं तो इसके कारण आपको ब्लोटिंग की समस्या का भी सामना करना पड़ सकता है। बता दें कि खाने का पाचन ठीक ढंग से न होने के कारण पेट में गैस बनने लगती है और ऐसे में लोगों को पेट फूलने की समस्या से जूझना पड़ता है। पेट फूलने की समस्या को अंग्रेजी में ब्लोटिंग भी कहा जाता है, जिसकी वजह से पेट से जुड़ी कई समस्याएं होने लगती हैं।

मधुमेह होने का रहता है खतरा
अंडे का अधिक सेवन शरीर में रक्त शर्करा का स्तर बढ़ा सकता है और इससे व्यक्ति के इंसुलिन में भी बदलाव होने लगता है। यह बदलाव मधुमेह का खतरा उत्पन्न कर सकता है। बता दें कि मधुमेह एक गंभीर समस्या है, जो व्यक्ति को मौत के मुंह में भी धकेल सकती है। इसलिए जिन लोगों को पहले से ही मधुमेह है तो वे कम ही अंडों का सेवन करें। वहीं, स्वस्थ व्यक्ति भी सीमित मात्रा में अंडे खाएं।

बढ़ सकती है मुंहासों की समस्या
अगर आपकी त्वचा तैलीय प्रकार की और मुंहासे वाली है तो आप भूल से भी जरूरत से ज्यादा अंडे का सेवन न करें। दरअसल, अंडा प्रोटीन युक्त होता है और जब यह शरीर में टूटता है तो गर्मी पैदा करता है, जिससे आपकी मुंहासों की समस्या बढ़ सकती है। इसलिए बेहतर होगा कि आप अपनी डाइट में अंडे की मात्रा को डॉक्टर की सलाह अनुसार ही शामिल करें।

अगर आप वयस्क हैं तो आपके लिए रोजाना तीन अंडे खाना स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद साबित हो सकता है। वहीं, बच्चों को रोजाना एक अंडे का सेवन करना ही काफी है।

 

कैंसर-मुक्त भारत के लक्ष्य की अगुवाई कर रहा वेंदाता का बालको मेडिकल सेंटर

कैंसर-मुक्त भारत के लक्ष्य की अगुवाई कर रहा वेंदाता का बालको मेडिकल सेंटर

रायपुर | वेदांता का बालको मेडिकल सेंटर भारत के शीर्ष कैंसर अस्पतालों में से एक और मध्य भारत के सबसे पसंदीदा कैंसर केयर अस्पताल के रूप में उभरा है। बालको मेडिकल सेंटर(बीएमसी) रायपुर, छत्तीसगढ़ में 170-बेड वाला एक अति आधुनिक, मल्टी-मोडलिटी डायग्नोस्टिक और चिकित्सीय सुविधा वाला अस्पताल है। अस्पताल अपनी उन्नत मेडिकल केयर सुविधाओं, प्रसिद्ध ऑन्कोलॉजिस्ट और मरीजों के लिए किफायती कैंसर केयर को लेकर जाना जाता है।

बालको मेडिकल सेंटर ने रोकथाम, स्क्रीनिंग और उपचार के तीन महत्वपूर्ण स्तंभों पर काम करते हुए लाखों लोगों के जीवन में बदलाव किया है। यह आधुनिक रेडिएशन थेरेपी,ब्रेकीथेरेपी, न्यूक्लियर मेडिसिन, सर्जरी, कीमोथेरेपी, इम्यूनोथेरेपी, टार्गेटेड थेरेपी, रक्त संबंधी विकार, प्लास्टिक एवं पुन: र्निर्माण सर्जरी तथा दर्द एवं उपशामक केयर के लिए देश के सबसे पसंदीदा अस्पतालों में से एक है। अस्पताल में पीएसएमए और डीओटीए स्कैन, वर्चुअल प्लानिंग एवं सिर व गर्दन की कैंसर सर्जरी में 3डी मॉडलिंग, सीआरएस व एचआईपीईसी, एडवांस्ड माइक्रोवस्कुलर सर्जरी, ल्यूटेटियम थेरेपी और एलोजेनिक बोन मैरो ट्रांसप्लांट जैसी कैंसर डायग्नोस्टिक्स और ट्रीटमेंट की कई नवीनतम तकनीकें उपलब्ध हैं।

अस्पताल में लीनियर एक्सलरेटर्स हैं, जो आधुनिकतम एक्सलरेटर्स में से एक हैं। यहां कीमो थेरेपी के लिए सबसे बड़ी डे-केयर यूनिट, पांच आधुनिक ऑपरेशन थिएटर्स और छत्तीसगढ़ का एकमात्र स्पेक्ट सीटी मशीन से लैस एक पूर्ण विकसित न्यूक्लियर मेडिकल डिपार्टमेंट है, जो इसे सटीक डायग्नोस्टिक और सर्वोत्तम उपचार प्रदान करने में सक्षम बनाता है।

अपने उल्लेखनीय एवं प्रभावी काम के साथ यह अस्पताल कैंसर-मुक्त समाज बनाने, कैंसर के इलाज को लेकर देश में मांग-आपूर्ति के बड़े अंतर को कम करने, जागरूकता लाने, बुनियादी ढांचे की कमी व ऑन्कोलॉजिस्ट की कमी को दूर करने के लिए अपनी विशेषज्ञता और संसाधनों को समर्पित करते हुए काम कर रहा है। बालको मेडिकल सेंटर के लक्ष्य को साझा करते हुए बीएमसी की चेयरपर्सन श्रीमती ज्योति अग्रवाल ने कहा, “पिछले कुछ दशकों में भारत में कैंसर उपचार की क्षमताओं में वृद्धि हुई है, लेकिन अधिकांश सुविधाएं शहरी इलाकों के आसपास केंद्रित हैं। कैंसर के बढ़ते मामलों को स्वास्थ्य के लिए खतरा मानते हुए और टियर 2 व 3 शहरों में गुणवत्तापूर्ण कैंसर केंयर सेंटर्स की कमी को देखते हुए वेदांता ने समाज के सभी वर्गों को सस्ती एवं व्यापक कैंसर केयर प्रदान करने के लिए नया रायपुर में बालको मेडिकल सेंटर की स्थापना की। हम आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों पर इलाज के बोझ को कम करने के लिए इस दिशा में काम करने वाले परोपकारी संगठनों और प्रभावशाली लोगों के साथ साझेदारी का भी लाभ उठा रहे हैं।”

बालको मेडिकल सेंटर एनएबीएच से मान्यता प्राप्त है, जो इसकी सेवाओं की गुणवत्ता का प्रमाण है। कैंसर के इलाज के साथ-साथ बालको मेडिकल सेंटर के सभी रोगियों को मनोवैज्ञानिक, पोषण और फिजिकल थेरेपी के साथ-साथ विभिन्न पेशेंट सहायक समूह की सदस्यता से भावनात्मक संबल भी मिलता है।

छत्तीसगढ़ के डॉ. नीवराज सिंह, जिनकी मां, श्रीमती प्रीति सिंह का अस्पताल में इलाज चल रहा था, उन्होंने कहा, "मैं बालको मेडिकल सेंटर टीम द्वारा किए गए कार्य, उनके विजन, व्यवहार, काम के बारे में उनके ज्ञान और उनके प्रोफेशनलिज्म से बहुत संतुष्ट हूं। वे उचित प्रोटोकॉल का पालन करते हुए बहुत ही सहयोग के साथ व मेहनत से मेडिकल सर्विस देते हैं और मरीज की देखभाल करते हैं। उन्हें शुभकामनाएं।"

बालको मेडिकल सेंटर ने छत्तीसगढ़ के 27 जिलों में स्क्रीनिंग कैंप आयोजित करने के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, छत्तीसगढ़ सरकार के साथ सहयोग किया है। इसके तहत विशेषज्ञतीन सबसे आम कैंसर - ब्रेस्ट, सर्विक्स और ओरल की मुफ्त स्क्रीनिंग प्रदान करते है। निकट भविष्य में शिक्षाविदों और रिसर्च जोड़ने के लक्ष्य के साथ बालको मेडिकल सेंटर का उद्देश्य ऑन्कोलॉजी के क्षेत्र में दुनियाभर में प्रसिद्ध ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस’बनना है।

विश्व कैंसर दिवस के अवसर परअस्पताल खुद को कैंसर के खिलाफ लड़ाई में सबसे आगे रहने के लिए समर्पित करता है। इस अवसर पर 4-14 फरवरी 2022 तक बालको मेडिकल सेंटर में निःशुल्क कैंसर जांच शिविर भी चलाया जायेगा जिसके अंतर्गत स्तन निरिक्षण, मुँह के कैंसर की जांच, ऍफ़.एन.ए.सी., पैपस्मीयर, तथा कैंसर विशेषज्ञों द्वारा परामर्श दिया जायेगा। इसके अतिरिक्त, डिजिटल मैमोग्राफी पर ५०% की छूट भी दी जाएगी। पूर्व-पंजीकरण करने के लिए सभी को 828284444 पर कॉल करना होगा।

कैंसर मानव समाज के समक्ष मौजूद सबसे खतरनाक बीमारियों में से एक है। बालको मेडिकल सेंटर अत्यधिक देखभाल और करुणा के साथ मानव जाति की सेवा करता रहेगा।

आज है वर्ल्ड कैंसर डे: इस वर्ष का थीम है क्लोजि़ंग द केयर गैप

आज है वर्ल्ड कैंसर डे: इस वर्ष का थीम है क्लोजि़ंग द केयर गैप

पैदा कर देता है। ऐसे में जिन्हें कैंसर हो जाता है और जो लोग उनकी सेवा सुश्रुषा करते हैं, उनकी मन:स्थिति को तो बयां ही नहीं किया जा सकता। फिर कैंसर केयर से सम्बंधित विभिन्न चरणों, जैसे- डायग्नोसिस, सर्जरी, रेडियोथैरेपी, कीमोथैरेपी और पैलीएटिव केयर व्यवस्था में कुछ 'गैपÓ हों, तो कैंसर के मरीज़ों और रिश्तेदारों की निराशा का सिफऱ् अंदाज़ा ही लगाया जा सकता है। इस दृष्टि से इस वर्ष की थीम प्रासंगिक है, क्योंकि किसी भी स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए केयर के मापदंडों पर शत-प्रतिशत खरा उतरना एक नामुमकिन सा आदर्श मात्र है। किसी व्यवस्था में स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव होगा, तो कोई व्यवस्था बहुत खर्चीली होगी। कहीं लोगों की जीवनशैली और परिवेश में कैंसर के रिस्क फैक्टर बहुतायत में होंगे और कहीं आम जनता का "हैल्थ सीकिंग बिहेवियर" एक चुनौती होगा। साथ ही कैंसर प्रभावितों को टर्मिनल स्टेज में पैलीएटिव केयर दे पाना भी एक बड़ी ज़रुरत है। निष्कर्ष यही है कि कैंसर केयर के हर स्तर पर अपेक्षाओं और वास्तविकताओं में गैप होंगे ही। कहीं ज़्यादा, तो कहीं कम।


इस परिपेक्ष्य में राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति (2017), आयुष्मान भारत हैल्थ एंड वैलनेस सेंटर, प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना और प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के साथ कैंसर के क्षेत्र में किए जा रहे विशिष्ट प्रयासों का यहां उल्लेख करना प्रासंगिक है। आयुष्मान भारत हैल्थ एंड वैलनेस सेंटर, भारत सरकार द्वारा कोम्प्रीहेंसिव प्राइमरी हैल्थ केयर सुनिश्चित करने की एक सुविचारित रणनीति है। देश में सभी उप-स्वास्थ्य केन्द्रों एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों को हैल्थ एंड वैलनेस सेंटर के रूप में क्रियान्वित करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य हमारे माननीय प्रधानमन्त्री जी ने दिया है और आज देश में 89,000 से अधिक हैल्थ एंड वैलनेस सेंटर के माध्यम से प्रिवेंटिव, प्रोमोटिव एवं कॉम्प्रीहैंसिव प्राइमरी हैल्थकेयर दी जा रही है। आशा एवं ए.एन.एम. द्वारा घर-घर जाकर 30 वर्ष से अधिक आयु की आबादी का पांच प्रमुख बीमारियों हाइपरटेंशन, डायबिटीज़ और ओरल, ब्रैस्ट एवं सर्वाइकल कैंसर के प्रारम्भिक लक्षणों के आधार पर पहचान का काम किया जा रहा है और साथ ही कैंसर से बचाव के लिए जीवनशैली में परिवर्तन के लिए अपेक्षित जानकारी भी दी जा रही है। निष्कर्ष के रूप में ये कहा जा सकता है कि कैंसर केयर के प्रारम्भिक स्तर पर गैप को क्लोज़ किए जाने का भरपूर प्रयत्न किया जा रहा है और इस प्रयास के सकारात्मक परिणाम भी परिलक्षित हो रहे हैं।
हमारे देश में नेशनल प्रोग्राम फ़ॉर प्रिवेंशन एंड कण्ट्रोल ऑफ़ कैंसर, डायबिटीज़, कार्डियो-वस्कुलर डिज़ीज़ एंड स्ट्रोक के माध्यम से कैंसर के प्रमुख कारणों की रोकथाम एवं नियंत्रण का प्रयास भी किया जा रहा है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य कैंसर के प्रति जन जागरूकता स्थापित करने, जीवन शैली में सुधार करने के लिए जनमानस को प्रोत्साहित करने के साथ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र एवं जिला अस्पतालों में एन.सी.डी. क्लिनिक संचालित करना है। जिला अस्पतालों में सी.टी. स्कैन, एम.आर.आई., मैमोग्राफ़ी, हिस्टोपैथोलॉजी सेवाओं का विस्तार कर कैंसर के शुरुआत में ही पहचानने सम्बंधी गैप को भी ख़त्म किया जा रहा है।
'आयुष्मान भारत- प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजनाÓ के माध्यम से देश की बड़ी आबादी को कैशलेस स्वास्थ्य सुविधा चुनिन्दा सरकारी एवं प्राइवेट अस्पतालों के माध्यम से मुहैया कराई जा रही है। और फिर देश में नए मेडिकल कॉलेज स्थापित करने, जिला अस्पतालों को मेडिकल कॉलेज में उन्नयन करने की माननीय प्रधानमंत्री जी की सोच भी सैकेंडरी केयर को सुदृढ़ करने में कामयाब हो रही है। इसी प्रकार टर्शिअरी केयर का विस्तार करने के लिए चरणबद्ध रूप से देश में 22 एम्स स्थापित किए जा रहे हैं। साथ ही टर्शिअरी कैंसर केयर सेंटर्स स्कीम के तहत स्टेट कैंसर इंस्टिट्यूट और टर्शिअरी कैंसर केयर सेंटर्स स्थापित करने के लिए अनुदान दिया जाता है, जिसका उपयोग कैंसर के निदान एवं उपचार करने, कैंसर से सम्बंधित परीक्षण करने, रिसर्च गतिविधियां संचालित करने, पैलिएटिव केयर सुविधा उपलब्ध कराने और कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम में सहभागिता करने के लिए किया जा सकता है। झज्जर (हरियाणा) में 700 बिस्तर वाले 'नेशनल कैंसर इंस्टिट्यूटÓ और कोलकाता में 460 बिस्तर वाले 'चितरंजन नेशनल कैंसर इंस्टिट्यूटÓ भी प्रारंभ किए गए हैं। ये सभी प्रयास कैंसर केयर में सर्जरी, रेडियोथेरेपी, कीमोथैरेपी आदि क्षेत्रों में गैप क्लोज़ करने में सहायक सिद्ध हो रहे हैं।
मुझे लगता है कि हमारे देश में कैंसर की रोकथाम के लिए जो प्रयास किए जा रहे हैं, वो ऐतिहासिक हैं। इन प्रयासों में सुधार की गुंजाइश तो हमेशा रहेगी, लेकिन अब बहुत बड़ी जि़म्मेदारी हमारे देश के जनमानस, जिनमें से अधिकांश युवा हैं, की भी है, ताकि वो अपनी जीवनशैली को इस तरह से अपनाएं कि कैंसर की सम्भावना को न्यूनतम किया जा सके। संतुलित भोजन करें, योग और व्यायाम को अपनाएं, तम्बाकू एवं शराब का सेवन ना करें। और उनकी यह कोशिश न सिफऱ् उन्हें कैंसर की संभावना से बचाएगी, अपितु सीमित सेवाओं को गुणवत्ता पूर्वक, कैंसर रोगियों को समय पर उपलब्ध कराकर इस वर्ष की थीम 'क्लोज़ द केयर गैपÓ को भी चरितार्थ कर सकेगी। जय हिन्द!
- डॉ. मनोहर अगनानी
लेखक अतिरिक्त सचिव, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, भारत सरकार हैं

 

ZyCoV-D : जायडस कैडिला ने सरकार को कोविड रोधी टीके की आपूर्ति शुरू की

ZyCoV-D : जायडस कैडिला ने सरकार को कोविड रोधी टीके की आपूर्ति शुरू की

नई दिल्ली : दवा निर्माता कंपनी जायडस कैडिला ने केंद्र सरकार को अपने कोविड-19 रोधी टीके जायकोव-डी की आपूर्ति शुरू कर दी है।
जायडस कैडिला ने बुधवार को एक बयान में कहा कि कंपनी ने सरकार के आदेश के अनुसार आपूर्ति शुरू कर दी है। यह कोविड-19 के खिलाफ एक 'प्लास्मिड डीएनए वैक्सीन है।

इसके अलावा समूह अपने कोविड रोधी टीके को निजी बाजार में बेचने की भी योजना बना रहा है। जायकोव-डी की तीन खुराक लगाई जाती है।
कंपनी ने कहा, ''टीके की कीमत 265 रुपये प्रति खुराक होगी और खरीदार को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को छोड़कर 93 रुपये प्रति खुराक की पेशकश की जाएगी।

 

बच्चों के लिए फायदेमंद है जुम्बा, रोजाना 10 से 15 मिनट जरूर करवाएं

बच्चों के लिए फायदेमंद है जुम्बा, रोजाना 10 से 15 मिनट जरूर करवाएं

जुम्बा एक तरह की एक्सरसाइज है, जिसका अभ्यास गाने पर थिरकते हुए किया जाता है और इस मजेदार एक्सरसाइज से बच्चों को कई तरह स्वास्थ्य लाभ मिल सकते हैं। अगर आप बच्चों को रोजाना 10 से 15 मिनट के लिए जुम्बा करवाते हैं तो इससे न सिर्फ उनका शारीरिक और मानसिक विकास बेहतर तरीके से होगा बल्कि उनमें आत्मविश्वास भी बढ़ेगा। आइए आज हम आपको बताते हैं कि जुम्बा करने से बच्चों को क्या-क्या फायदे मिल सकते हैं।
बच्चों में बढ़ता है आत्मविश्वास
जुम्बा के लिए बच्चों को अच्छा डांसर होने की जरूरत नहीं है बल्कि यह तो मस्ती में की जाने वाली एक्सरसाइज है, जिससे बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ाने में मदद मिल सकती है। दरअसल, जुम्बा के दौरान हर बच्चे को अपना सर्वश्रेष्ठ देने के लिए समान रूप से उत्साहित किया जाता है यानी जुम्बा ट्रेनर बच्चों को ऐसा महसूस कराते हैं कि वे किसी पार्टी में हैं, जबकि वे वास्तव में अपनी फिटनेस की ओर कदम बढ़ा रहे हैं।
कैलोरी बर्न करने में है सहायक
कोरोना के बढ़ते मामलों के कारण कई राज्यों में स्कूल बंद हैं और ऑनलाइन क्लास के कारण बच्चों की शारीरिक गतिविधियों में कमी देखने को मिल रही है। ऐसे में उनके लिए जुम्बा करना लाभदायक साबित हो सकता है। अध्ययनों के मुताबिक, एक घंटा जुम्बा करने से बच्चों को 300-400 कैलोरी बर्न करने में मदद मिल सकती है, इसलिए बच्चों को रोजाना जुम्बा करने के लिए प्रेरित करें। इसके अतिरिक्त, जुम्बा करते रहने से बच्चों के शरीर में लचीलापन भी बढ़ेगा।
बच्चों को रचनात्मक और सामाजिक बनाने में मिलती है मदद
जुम्बा की मदद से बच्चों को रचनात्मक और सामाजिक बनाने में भी काफी मदद मिल सकती है। दरअसल, जुम्बा में कई तरह के स्टाइल और स्टेप्स होते हैं। उदाहरण के लिए फ्रीस्टाइल जुम्बा करने से बच्चों को कल्पनाशील बनाने में मदद मिलती है। वहीं, जुम्बा से बच्चे अधिक सामाजिक भी हो सकते हैं क्योंकि इसके हर एक सत्र में कई अन्य बच्चे शामिल होते हैं और वे आपस बातचीत कर सकते हैं और नए दोस्त बना सकते हैं।
मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी है बेहतर
जुम्बा करने से बच्चों के शरीर में रक्त का संचार बेहतर होता है, जिससे उनके शारीरिक के साथ-साथ मानसिक रूप पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। जुम्बा करने से बच्चों का मूड भी अच्छा रहता है क्योंकि इससे मूड को ठीक करने वाला होर्मोन एडर्निल शरीर के द्वारा अच्छे से रिलीज होते हैं, जिससे बच्चे हमेशा खुश, तनाव और चिंता से मुक्त रह पाते हैं। इसलिए नियमित तौर पर बच्चों को रोजाना कुछ मिनट जुम्बा जरूर करवाएं।

 

कोविड 19 : अब कोरोना से बचाएगा एयर वैद्य, धूप चिकित्सा पद्धति पर भारत में हुआ पहला अध्ययन

कोविड 19 : अब कोरोना से बचाएगा एयर वैद्य, धूप चिकित्सा पद्धति पर भारत में हुआ पहला अध्ययन

नई दिल्ली : कोरोना वायरस से बचाव में धूप अहम भूमिका निभाएगी। आयुर्वेद में वर्षों से चली आ रही धूप चिकित्सा पद्धति पर भारत में हुए दुनिया के पहले वैज्ञानिक अध्ययन के बाद वैज्ञानिकों ने यह दावा किया है। वैज्ञानिकों ने एयर वैद्य की खोज की है जो संक्रमण से बचाव के अलावा उसे प्रसारित होने भी नहीं देता।

एयर वैद्य एक धूप है जिसकी सुगंध के जरिये 19 तरह की जड़ी बूटियों का सेवन दिन में दो बार कर कोरोना संक्रमण से बचा जा सकता है। इतना ही नहीं एक पारदर्शी केबिन में बंद मक्खियों पर भी इसका परीक्षण हुआ है जिसमें किसी भी तरह के हानिकारक तत्व की पहचान नहीं हुई है।
यानी इंसानों के लिए एयर वैद्य को पूरी तरह से सुरक्षित पाया गया है।

इस अध्ययन को बनारस हिंदू विवि (बीएचयू) और एमिल फार्मास्युटिकल्स ने मिलकर किया है। नई दिल्ली स्थित भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद की क्लीनिकल रजिस्ट्री ऑफ इंडिया में भी पंजीयन के बाद यह अध्ययन दो समूह में किया गया।बीएचयू के वरिष्ठ डॉ. केआरसी रेड्डी ने बताया कि 19 जड़ी-बूटियों से खोजा गया एयर वैद्य एक हर्बल धूप (एवीएचडी) के रुप में है।

हाल ही में इस पर दूसरे चरण का क्लीनिकल ट्रायल पूरा हुआ है। दो अलग अलग समूह में हुए इस अध्ययन में पता चला है कि दिन में दो बार इसके इस्तेमाल करने पर कोरोना संक्रमण से बचाव किया जा सकता है।एमिल फार्मास्युटिकल के कार्यकारी निदेशक डॉ. संचित शर्मा ने बताया कि राल, नीम, वासा, अजवाइन, हल्दी, लेमन ग्रास और वच सहित 19 जड़ी बूटियों पर अध्ययन हुआ है।

इस दौरान एयर वैद्य में चार किस्म के औषधीय गुण वायरस रोधी होना, सूजनरोधी होना, सूक्ष्मजीव रोधी और प्रतिरक्षा तंत्र मजबूत करना शामिल हैं। डॉ. रेड्डी का कहना है कि यही चारों गुण कोरोना वायरस के खिलाफ बचाव में कार्य करते हैं।एक सवाल पर डॉ. रेड्डी ने बताया कि एक समूह में 100 और दूसरे समूह में 150 यानी 250 लोगों को इस अध्ययन में शामिल किया गया।

एक समूह को एयर वैद्य की धूप चिकित्सा सुबह-शाम दी गई। जबकि दूसरे समूह के लोगों को यह चिकित्सा नहीं दी गई।30 दिन तक यह प्रक्रिया अपनाने के बाद जब कोविड जांच हुई तो पता चला कि जिन्होंने एयर वैद्य का इस्तेमाल नहीं किया उनमें 37 फीसदी लोग संक्रमित मिले। जबकि जिन्होंने इसका इस्तेमाल किया उनमें महज चार फीसदी संक्रमित मिले। एयर वैद्य की वजह से इनमें से किसी भी रोगी में लक्षण विकसित नहीं हुआ।

 

खांसी हो रही है तो दवा लेने से पहले हो जाएं सावधान! बिना डॉक्टर की सलाह न लें कोई दवाई

खांसी हो रही है तो दवा लेने से पहले हो जाएं सावधान! बिना डॉक्टर की सलाह न लें कोई दवाई

सर्दियों में ठंड के कारण सर्दी लगना एक आम बात मानी जाती है, लेकिन, लापरवाही के चलते सर्दी कब खांसी में बदल जाती है, इसका लोग ध्यान नहीं दे पाते हैं. फिर जब खांसी से परेशान होकर वो कोई भी दवा का सेवन करते हैं, तो ये भूल जाते हैं कि इसके बारे में भी डॉक्टर्स की राय जरूर लेनी चाहिए. अब आप सोच रहे होंगे कि यह एक आम बात है. इसके लिए डॉक्टर को क्यों परेशान करना.
भारत में डॉक्टर्स से ज्यादा घरेलू उपचार पर विश्वास किया जाता है. घरेलू नुस्खे में शहद, हल्दी, अदरक, पुदीना और नमक के पानी का गरारा कर सकते हैं. कहीं न कहीं यह असरदार भी हैं. मगर जब ये नुस्खे भी काम न करें तो जबरदस्ती खुद को डॉक्टर्स के पास जाने से न रोकें. क्या पता जिसे आप नॉर्मल खांसी समझ कर दवा लें रहे हैं वो कोई बड़ी बीमारी का रूप न ले लें.
इस विषय पर डॉक्टर्स का कहना है कि कोविड-19 की इस महामारी के दौर में आपको सतर्क होकर अपना ख्याल रखना है. अगर आपको खांसी आ रही है तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं. उनसे दवा लेकर अपना इलाज करें न की खुद डॉक्टर बनें. खांसी दो तरीके की होती है. सूखी और कफ वाली खांसी.
इन्हें नॉर्मल खांसी एक बार मान सकते हैं. मगर, ज्यादा दिन तक रहने से यह काफी गंभीर खांसी का रूप ले लेता है. इसकी वजह से खांसी के दौरान मुंह से खून भी आने लगता है. यह सब तब होता है, जब आप लापरवाही करते हैं. इसलिए बिना डॉक्टर से संपर्क किए खांसी की दवा न लें और नियमित इलाज करवाएं. साथ ही प्रणायाम करें.
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों की just36news.com पुष्टि नहीं करता है. इनको केवल सुझाव के रूप में लें. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट पर अमल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.

 

कोरोना का नया वेरिएंट NeoCov इंसानों के लिए कितना घातक? WHO ने दिया यह जवाब

कोरोना का नया वेरिएंट NeoCov इंसानों के लिए कितना घातक? WHO ने दिया यह जवाब

कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन वेरिएंट से दुनिया अभी जंग लड़ रही है। इस बीच इस खतरनाक वायरस के एक अन्य वेरिएंट नियोकोव (NeoCov)ने वैज्ञानिकों को चिंता बढ़ाई है। लेकिन क्या यह नया वेरिएंट इंसानों के लिए घातक है? वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइडेशन (WHO) ने अब इसे लेकर अहम बात कही है। WHO की तरफ से कहा गया है कि रिपोर्ट के मुताबिक यह वेरिएंट साउथ अफ्रीका में चमगादड़ों में मिला है। लेकिन क्या यह वेरिएंट इंसानों के लिए घातक है, इसे लेकर अभी आगे अध्ययन किये जाने की जरूरत है। रूस की न्यूज एजेंसी 'Tass' के मुताबिक WHO ने कहा है कि वुहान वैज्ञानिकों की नई खोज के बारे में उन्हें जानकारी है। यह वेरिएंट इंसानों पर असर डालेगा या नहीं? इसके लिए अभी और अध्ययन किये जाने की आवश्यकता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा कि इंसानों में होने वाले संक्रमण का 75 फीसदी स्त्रोत जानवर और खासकर जंगली जानवर हैं। कोरोना वायरस जानवर में भी मिले हैं। इसमें चमगादड़ भी शामिल हैं, जिनकी पहचान प्राकृतिक रूप से कई तरह के वायरसों के वाहक के तौर पर है। चीन के शोधकर्ताओं ने नए वेरिएंट का जिक्र अपने रिसर्च पेपर में किया है। उनका दावा है कि यह वायरस हाई रिस्क वाला है और उसका ट्रांसमिशन दर भी काफी ज्यादा है। वुहान में वैज्ञानिकों के एक रिसर्च पेपर के मुताबिक नियोकोव मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम या MERS-कोरोनावायरस से संबंधित है। पेपर को बायोरेक्सिव वेबसाइट पर प्रकाशित किया गया है और अभी तक इसकी समीक्षा नहीं की गई है।
रिसर्च में नतीजों के आधार पर बताया गया है कि MERS-CoV Beta-CoV (मर्बेकोवायरस) के वंश C से संबंधित है, जो करीब 35 फीसद की उच्च मृत्यु दर को देखते हुए एक बड़ा खतरा बन गया है। वैज्ञानिकों ने बताया है कि स्टडी से पता चला है कि MERS से संबंधित वायरस में ACE2 के इस्तेमाल के पहले मामले को प्रदर्शित करता है। इसकी मृत्यु दर और ट्रांसमिशन दर दोनों उच्च है।
 

Corona Vaccination : देश में अब तक एक सौ 64 करोड़ 44 लाख से अधिक टीके लगाये गए

Corona Vaccination : देश में अब तक एक सौ 64 करोड़ 44 लाख से अधिक टीके लगाये गए

नई दिल्ली : पिछले 24 घंटों में 57 लाख से अधिक वैक्सीन की खुराक देने के साथ ही भारत का कोविड-19 टीकाकरण कवरेज अंतिम रिपोर्ट के अनुसार 164.44 करोड़ से अधिक हो गया। इस उपलब्धि को 1,79,63,318 टीकाकरण सत्रों के जरिये प्राप्त किया गया है।

पिछले 24 घंटों में 3,47,443 रोगियों के ठीक होने के साथ ही स्वस्थ होने वाले मरीजों (महामारी की शुरुआत के बाद से) की कुल संख्या बढ़कर 3,80,24,771 हो गई है। नतीजतन, भारत में स्वस्थ होने की दर 93.60 प्रतिशत है। पिछले 24 घंटे में 2,51,209 नए मरीज सामने आए हैं।
वर्तमान में 21,05,611 सक्रिय रोगी हैं। वर्तमान में ये सक्रिय मामले देश के कुल पुष्टि वाले मरीजों का 5.18 प्रतिशत हैं।

देश भर में जांच क्षमता का विस्तार लगातार जारी है। पिछले 24 घंटों में कुल 15,82,307 जांच की गई हैं। भारत ने अब तक कुल 72.37 करोड़ जांच की गई हैं। देश भर में जांच क्षमता को बढ़ाया गया है, साप्ताहिक पुष्टि वाले मामलों की दर 17.47 प्रतिशत है, दैनिक रूप से पुष्टि वाले मामलों की दर 15.88 प्रतिशत है।
 

बड़ी खबर: Covishield और Covaxin टीकों को बाजार में बेचने को मिली मंजूरी, DGCI ने रखी ये शर्त

बड़ी खबर: Covishield और Covaxin टीकों को बाजार में बेचने को मिली मंजूरी, DGCI ने रखी ये शर्त

भारत के ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DGCI) ने आज यहां कुछ शर्तों के साथ दो कोरोना वैक्सीन (Coroan Vaccine), कोवैक्सीन (Covaccine) और कोविशील्ड (Covishield) के बाजार मार्केट ऑथराइजेशन को मंजूरी दे दी है. सेंट्रल ड्रग स्टैंडर्ड कंट्रोल आर्गेनाइजेशन (CDSCO) की सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमिटी ने इसी साल 19 जनवरी को वयस्क आबादी में शर्तों के साथ वैक्सीन को रिस्ट्रिक्टेड इमरजेंसी यूज से अपग्रेड कर नए ड्रग अनुमति देने के लिए की सिफारिश की थी.
डीसीजीआई द्वारा देश में दो कोरोना टीकों, कोवैक्सीन और कोविशील्ड का मार्केट ऑथराइजेशन कुछ शर्तों के साथ दी है. पहला है- फर्म छह महीने के आधार पर या जब भी उपलब्ध हो, जो भी पहले हो, उचित विश्लेषण के साथ उत्पाद के विदेशों में चल रहे क्लिनिकल ट्रायल का डेटा प्रस्तुत करेगी.
दूसरा- वैक्सीन को प्रोग्रामेटिक सेटिंग के लिए आपूर्ति की जाएगी और देश के भीतर किए गए सभी टीकाकरणों को कोविन प्लेटफॉर्म पर रिकॉर्ड किया जाएगा और टीकाकरण के बाद एडवर्स इफेक्ट (AEFI) और एडवर्स इफेक्ट ऑफ स्पेशल इंटरेस्ट यानी (AESI) की निगरानी जारी रहेगी. फर्म एईएफआई (AEFI) और एईएसआई (AESI) सहित सुरक्षा डेटा को छह मासिक आधार पर या जब भी उपलब्ध हो, जो भी पहले एनडीसीटी नियम, 2019 के अनुसार उचित विश्लेषण के साथ प्रस्तुत करेगी.
"कंडीशनल मार्केट ऑथराइजेशन" मार्केट ऑथराइजेशन की एक नई श्रेणी है जो वर्तमान वैश्विक महामारी कोविड के दौरान सामने आई है. दवाओं या टीकों की उभरती जरूरतों को पूरा करने के लिए कुछ फार्मास्यूटिकल्स तक पहुंच बढ़ाने के लिए इस मार्ग के माध्यम से अनुमोदन मार्गों को कुछ शर्तों के साथ तेजी से ट्रैक किया जाता है.
वैश्विक कड़े रेगुलेटरी अथॉरिटी में से, सिर्फ यूनाइटेड स्टेट्स फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (USFDA) और यूके की मेडिसिन हेल्थकेयर प्रोडक्ट्स रेगुलेटरी एजेंसी (MHRA) ने फाइजर और एस्ट्राजेनेका को उनके कोरोना वैक्सीन को "कंडीशनल मार्केट ऑथराइजेशन" दिया है.
 

Stealth Omicron: भारत में पैर पसार रहा कोरोना का नया सब-वेरिएंट, जानिए कितना घातक है ये वायरस

Stealth Omicron: भारत में पैर पसार रहा कोरोना का नया सब-वेरिएंट, जानिए कितना घातक है ये वायरस

कोरोना वायरस महामारी के अलग-अलग वेरिएंट्स दुनिया के लिए परेशानी का कारण बने हुए हैं. वायरस का हर वेरिएंट पिछले की तुलना में अलग होता है. शरीर में उसके प्रभाव के साथ-साथ लक्षण भी अलग तरह का असर दिखा रहे है. कोरोना वायरस के वेरिएंट्स के बाद अब उसके सब-वेरिएंट्स भी सामने आने लगे हैं. ओमिक्रोन के प्रकोप से जूझ रहे विश्व को अब इसके सब-वेरिएंट स्टेल्थ ओमिक्रोन (Stealth Omicron - BA.2) का सामना करना पड़ा रहा है. स्टेल्थ ओमिक्रोन के मामले अब तक भारत, डेनमार्क, ब्रिटेन, स्वीडन और सिंगापुर समेत कई देशों में सामने आ रहे हैं.
नए सब-वेरिएंट ने बढ़ाई वैज्ञानिकों की चिंता
पिछले साल के अंत में यूरोप में अपना कहर बरपा चुके डेल्टा वेरिएंट की तुलना में नया सब-वेरिएंट स्टेल्थ ओमिक्रोन को डेल्टा से अधिक संक्रामक माना जा रहा है. हालांकि डेल्टा वेरिएंट की तरह ये अत्यधिक घातक नहीं है लेकिन तेजी से बढ़ रहे इसके केसेज ने दुनिया भर के वैज्ञानिकों और डॉक्टरों की चिंता बढ़ा दी है. रिपोर्ट्स के अनुसार ये वेरिएंट कई बार RT-PCR टेस्ट की पकड़ में भी सामने नहीं आ रहा है.
इससे पहले के सारे वेरिएंट्स RT-PCR टेस्ट में सामने आ जाते थे, इसी वजह से इस सब-वेरिएंट को स्टेल्थ ओमिक्रोन का नाम दिया गया है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, "अब तक ओमिक्रोन का BA.1 लीनिएज प्रमुख रहा है लेकिन भारत, दक्षिण अफ्रीका, यूके और डेनमार्क के हालिया डेटा बताते हैं कि BA.2 के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं."
स्टेल्थ ओमिक्रॉन के लक्षण क्या है?
हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार, ओमिक्रोन के लक्षण डेल्टा वेरिएंट से अलग हैं. ओमिक्रोन के ज्यादातर मामलों में नाक बहने और गले में चुभन की शिकायत है. डेटा के अनुसार इसके मरीजों को स्वाद या सुगंध में कमी का एहसास नहीं देखने को मिल रहा है जैसा कि कोरोना के पिछले कई वेरिएंट्स में पाया गया था. पुख्ता तौर पर स्टेल्थ ओमिक्रोन के अब तक कोई अलग लक्षण देखने को नहीं मिले हैं. लोगों के गले में खराश होने के बावजूद भी RT-PCR टेस्ट की रिपोर्ट निगेटिव आ रही हैं. डॉक्टरों का कहना है कि फिलहाल बहती नाक, सिर दर्द, थकान, छींक आना और गले में खराश जैसे लक्षण स्टेल्थ ओमिक्रोन के मरीजों में देखने को मिल रहे हैं.
क्या स्टेल्थ ओमिक्रोन खतरनाक है?
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि BA.1 की तुलना में BA.2 ज्यादा भयानक है या नहीं, इस पर अभी और रिसर्च की जरूरत है. हेल्थ एक्सपर्ट्स के हालिया अपडेट के अनुसार BA.2 से भी मरीजों की परिस्थिति गंभीर होने की संभावना है. अस्पताल में भर्ती होने का खतरा भी हो सकता है. WHO का कहना है कि BA.2 में 28 से ज्यादा अनोखे म्यूटेशन हो सकते हैं. जहां BA.1 में ऐसा म्यूटेशन है, जिसे RT-PCR टेस्ट में पकड़ना आसान होता है, जबकि शोधकर्ताओं के अनुसार स्टेल्थ ओमिक्रोन के साथ ऐसा नहीं है. साथ ही भारत में मिले मामलों के अनुसार BA.2 स्ट्रेन मरीज के फेफड़ों को सबसे ज्यादा नुकसान कर रहा है. इससे वेरिएंट से संक्रमित हुए नए मरीजों के फेफड़ों में भी 5% से 40% तक इंफेक्शन देखने को मिला है. फिलहाल लैब RT-PCR को ही सभी वेरिएंट के लिए स्टैंडर्ड टेस्ट माना जा रहा है.
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों की just36news.com पुष्टि नहीं करता है. इनको केवल सुझाव के रूप में लें. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट पर अमल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.

 

नॉर्मल Flu और Omicron में इस तरह करें पहचान, जानिए बचाव के तरीके

नॉर्मल Flu और Omicron में इस तरह करें पहचान, जानिए बचाव के तरीके

कोरोनावायरस (Coronavirus) अभी खत्म ही नहीं हुआ था कि उसका नया वेरिएंट ओमिक्रोन (Omicron Variant ) ने भी भारत में दस्तक दे दी है.इसका रूप इतनी जल्दी बदल रहा है कि इसकी पहचान करने में लोगों को काफी परेशानी हो रही है. यह वेरिएंट केवल भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी काफी खतरनाक साबित हो रही है. इसके लक्षण भी काफी मुश्किल हो रहे हैं. ऐसे में हम यहां ओमिक्रोन के कुछ लक्षणों के बारे में बताएंगे जिससे आप पता लगा सकते हैं कि ये फ्लू के लक्षण है या ओमिक्रोन (Omicron Variant ) के लक्षण.
कोरोना ओमिक्रोन (Omicron Variant ) के लक्षण-
आम तौर पर ओमिक्रोन (Omicron Variant ) और नॉर्मल फ्लू में कोई अंतर दिखाई नहीं देता है. लेकिन अगर आपको यह पता करना है कि यह एक नॉर्मल फ्लू है या ओमिक्रोन, तो ऐसे में आप इसका आसानी से पता लगा सकते हैं. आइये जानते हैं कि ओमिक्रोन के लक्षणों का कैसे पता लगा सकते हैं.
• नॉर्मल फ्लू के लक्षण जल्दी दिखने लगते हैं. वहीं ओमिक्रोन के लक्षण दिखने में कुछ दिन लग जाते हैं. लक्षण दिखते ही कोविड टेस्ट करवाएं. इसके अलावा जब तक आपकी रिपोर्ट ना आये तब तक अपने आपको लोगों से दूर रखें और मास्क लगाकर रखें.
• नॉर्मल फ्लू तेजी से नहीं फैलता है. वहीं ओमिक्रोन बहुत ज्यादा संक्रामक और तेजी से फैलता है.
• फ्लू की चपेट में आने के बाद आपको इसके लक्षण 2 से 4 दिनों में देखने को मिल जाते हैं लेकिन ओमिक्रोन के लक्षण दिखने में 2 से 12 दिन लग जाते हैं.
• फ्लू की चपेट में आने से सर दर्द तेजी से नहीं होता है. वहीं ओमिक्रोन का शिकार होने पर आपको जेत से सर दर्द की शिकायत होती है.इसलिए अगर आपको भी सिर दर्द की शिकायत हो तो फौरन डॉक्टर को दिखाएं.
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों की just36news.com पुष्टि नहीं करता है. इनको केवल सुझाव के रूप में लें. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट पर अमल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.
 

आपके बच्चों में भी दिख रहे हैं ये लक्षण, तो हो जाइये सावधान, तुरंत कराएं उनका कोविड टेस्‍ट

आपके बच्चों में भी दिख रहे हैं ये लक्षण, तो हो जाइये सावधान, तुरंत कराएं उनका कोविड टेस्‍ट

बच्‍चों में भी कारोना संक्रमण के मामले सामने आ रहे हैं. संक्रमित बच्‍चों में कुछ लक्षण ऐसे देखे गए हैं, जो न्‍यूरोलॉजिकल हैं. एक अध्‍ययन में भी इस बात की पुष्‍ट‍ि की गई है. पिट्सबर्ग यूनिवर्स‍िटी के अध्‍ययन की रिपोर्ट में यह कहा गया है कि अस्पताल में भर्ती होने वाले कोरोना संक्रमित 44 प्रतिशत बच्‍चों में न्यूरोलॉजिकल लक्षण विकसित हुए हैं और इन बच्चों को अन्य मरीजों की तुलना में अधिक देखभाल की भी जरुरत पड रही है. इस अध्ययन के परिणाम जर्नल पीडियाट्रिक न्यूरोलॉजी में प्रकाशित हुए. इसे एक्यूट एन्सेफैलोपैथी के रूप में जाना जाता है. इस अध्‍ययन में यह स्‍पष्‍ट कहा गया है कि कोरोना संक्रमित बच्‍चों की मानसिक सेहत पर भी कोरोना का असर होता है. ऐसे बच्‍चों में मानसिक लक्षण दिखने लगते हैं. बता दें कि 15 और इससे ज्‍यादा उम्र के बच्‍चों का वैक्‍सीनेशन शुरू हो गया है. लेकिन इससे कम उम्र के बच्‍चों के लिये अब भी स्‍थ‍ित‍ि बहुत भयानक बनी हुई है. इसलिये उनके लिये ज्‍यादा सावधान रहने की आवश्‍यकता है. आपका बच्‍चा अगर नीचे दिये गए लक्षणों की शिकायत करता है तो उसे नजरअंदाज ना करें. उसे गंभीरता से लें और समय पर जांच कराएं.

बुखार के साथ सिर में दर्द:
अगर बच्‍चा बुखार में है और स‍िर दर्द की शिकायत कर रहा है तो जल्‍द से जल्‍द कोविड टेस्‍ट कराने की आवश्‍यकता है. ऐसा देखा गया है कि कोरोना संक्रमित मरीज सिर के पिछले हिस्‍से में दर्द की शिकायत करते हैं.

बहती नाक, सूखी खांसी और गले में दर्द:
बच्‍चा अगर जुकाम, सूखी खांसी और गले में दर्द की शिकायत कर रहा है तब भी उसे नजरअंदाज ना करें. यह कोविड संक्रमण का शुरुआती लक्षण हो सकता है. डॉक्‍टर से ऑनलाइन संपर्क करें और शिघ्र टेस्‍ट कराएं.

फीवर और बॉडी पेन:
कोविड-19 के जो लक्षण बच्‍चों में देखे गए हैं, उसमें यह भी एक है. बच्‍चे को अगर बुखार है और शरीर में दर्द भी है, तो जरा संभल जाएं. यह कोरोना संक्रमण हो सकता है. इसलिये इसे सामान्‍य बुखार समझकर ऐसे ही कोई दवा नहीं खिलाएं. डॉक्‍टर से संपर्क करें और उनके सुझाव पर ही दवाएं लें.

दिमागी संतुलन लगे बिगडा हुआ:
ऊपर के लक्षण दिखने के साथ ऐसा लगे कि आपके बच्‍चे का दिमागी संतुलन पहले से अलग लग रहा है तो भी इस बात को नजरअंदाज ना करें. कोरोना का वायरस बच्‍चों के दिमाग पर असर डालता है. इसलिये स्‍थ‍िति‍ ज्‍यादा खराब होने से पहले डॉक्‍टर से संपर्क करें.

ओमिक्रॉन के नए वैरिएंट ने दी दस्तक, Expert से जानें कितना खतरनाक है और क्या सावधानी बरतें

ओमिक्रॉन के नए वैरिएंट ने दी दस्तक, Expert से जानें कितना खतरनाक है और क्या सावधानी बरतें

कोरोना वायरस से पूरी दुनिया में तबाही का मंजर अभी खत्म नहीं हुआ है। वहीं अब ओमिक्रॉन के सब वैरिएंट बीए.2 BA.2 का पता चला है।जिसे खतरनाक बताया जा रहा है। ब्रिटिश स्वास्थ्य अधिकारियों ने ओमिक्रॉन के इस सब वेरिएंट से जुड़ें सैकड़ों मामलों की पहचान की है। यूके स्वास्थ्य एजेंसी ने बढ़ते मामलों को देखते हुए जांच के बाद इसे बीए.2 वैरिएंट नाम दिया है। ब्रिटेन में इस वैरिएंट के 400 से अधिक केस सामने आए है। विशेषज्ञों के मुताबिक इस नए सब-वैरिएंट पर विश्लेषण की जरूरत है।

आइए जानते हैं सब नए वैरिएंट के बारे में -
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक ओमिक्रॉन को वैरिएंट ऑफ कंसर्न घोषित किया है। WHO के मुताबिक इसका सब वैरिएंट बीए.2 औरओमिक्रॉन में बहुत अधिक अंतर नहीं है।
UKSHA के विशेषज्ञों के मुताबिक महामारी के कारण नए वैरिएंट और भी उभर सकते हैं। उन्हों ने यह भी कहा कि फिलहाल कोई भी पर्याप्तसबूत नहीं है कि यह सब वैरिएंट पुराने से अधिक खतरनाक है या नहीं?
इधर, फ्रांसीसी महामारी विज्ञानी एंटोनी फ्लेहॉल्टि ने डेनमार्क में बताया कि ओमिक्रॉन के सब वैरिएंट ने सबकी चिंता बढ़ा दी है। लंंदन के वायरोलॉजिस्ट टॉम पीकॉक ने बताया कि, 'भारत और डेनमार्क में मिले इस नए सब वैरिएंट और मौजूदा ओमिक्रॉन के बहुत अंतर नहीं
है। हालांकि अभी पर्याप्त सबूत नहीं होने पर पूर्ण रूप से ये नहीं कहा जा सकता कि यह कितना खतरनाक है। हालांकि सिर्फ अनुमान लगाया जा सकता है। इंडियन सार्स-कोव-2 जीनोमिक कंसोर्टियम (INSACOG) ने आधिकारिक तौर पर रविवार को बुलेटिन में कहा है कि भारत में ओमिक्रॉन वेरिएंट सामुदायिक संक्रमण के स्तर पर है और जिस भी क्षेत्र में कोविड के मामले बढ़ रहे हैं वहां पर यह तेजी से फैल रहा है।
आइए जानते हैं एक्ससपर्ट की राय -
डॉ. विनोद भंडारी, SAIIMS कॉलेज के चेयरपर्सन, इंदौर ने बताया कि ओमिक्रॉन के नए सब वैरिएंट में अब लंग्स. पर पर प्रभाव पड़ने लगा है। इंदौर में मिले संक्रमित मरीजों में 15 से 50 फीसदी तक 5 लोगों के लंग्सच पर असर पड़ा है। वहीं एक 17 साल के बच्चे में 40 से 50 फीसदी तक लंग्स पर नए वैरिएंट का असर दिखा है। पहले ओमिक्रॉन लंग्स को प्रभावित नहीं करता था लेकिन अब उस पर भी असर होने लगा है। इससे ठीक होने में 8-10 दिन का वक्त लग सकता है। लोग प्रोटोकॉल फॉलो नहीं कर रहे हैं इसलिए भी केस बढ़ रहे हैं। साथ ही हेल्थ वर्कर उन्हेंन जल्दक से जल्दो बूस्ट र डोज लगवाना चाहिए। वहीं इंदौर में 1 से 17 साल तक के बच्चों में भी ओमिक्रॉन के सब वैरिएंट पाए गए। ऐसे में वैक्सीन नहीं लगने वालों को लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। को-मोरबिडिटी वाले मरीज अपनी सेहत का ख्याकल रखें। सभी जरूरी दवाओं को वक्त पर लें। अपनी डाइट में हाई प्रोटीन शामिल करें।
डॉ सलील भार्गव, एमजीएम मेडिकल कॉलेज में प्रोफेसर, इंदौर ने बताया कि, 'ओमिक्रॉन के सब वैरिएंट के लक्षण फिलहाल वह URTI(Upper Respiratory Tract Infection) यानी ऊपरी श्वसन तंत्र संक्रमण है को प्रभावित कर रहा है, साथ ही निमोनिया से पीड़ित लोग भी प्रभावित हो रहे हैं। फिलहाल इस वैरिएंट के बारे में अभी बहुत कुछ पता नहीं चला है आने वाले वक्त के साथ ही पता चलेगा।

 

गाजर की पत्तियों से सेहत को होते हैं चौकाने वाले फायदे

गाजर की पत्तियों से सेहत को होते हैं चौकाने वाले फायदे

गाजर खाने से कई चौकाने वाले फायदे होते हैं लेकिन उसकी पत्ती खाने से भी बड़े फायदे होते हैं। जी हाँ, गाजर की पत्तियों का जूस, सब्जी और चटनी के रूप में प्रयोग करना सेहत के लिए काफी बेहतरीन होता है और इससे सेहत को कई फायदे होते हैं। आज हम आपको उन्ही फायदों के बारे में बताने जा रहे हैं।
गाजर की पत्तियों के फायदे -
रेड ब्लड सेल्स का लेवल बढ़ाती हैं-
जी दरअसल गाजर की पत्तियों में पाया जाने वाला क्लोरोफिल शरीर में लाल रक्त कणिकाओं यानी रेड ब्लड सेल्स के बनने की प्रक्रिया तेज करता है। इस वजह से जिन लोगों में खून की कमी होती है और वह इस समस्या से परेशान है तो उन्हें हर दिन गाजर की पत्तियों का जूस या चटनी सेवन करना फायदेमंद है।
हृदय-रोग-
गाजर की पत्तियों को खाने से शरीर की नसों में जमा कोलेस्ट्रॉल कम होता है। जी हाँ और गाजर की पत्तियों का सेवन हृदय रोग में भी काफी फायदेमंद है। जी दरअसल यह रक्तशुद्धि यानी आपके खून को भी साफ करता है और इससे हृदय के साथ ही किडनी आदि अंगों पर भार भी कम होता है।
रोग-प्रतिरोधक क्षमता के लिये बेहतर-
रोग-प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यूनिटी मजबूत करने के लिए गाजर की पत्तियां बहुत काम की हैं। जी दरअसल इनमें भरपूर मात्रा में पाये जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट्स हमारी रोग-प्रतिरोधक क्षमता को दुरुस्त बनाये रखने का काम करते हैं।
वजन नियंत्रित रखने में कारगर-
गाजर की पत्तियों का सेवन हमारे मेटाबोलिज्म को दुरुस्त बनाये रखता है, क्योंकि इसमें डाइटरी फाइबर अच्छी मात्रा में पाया जाता है। जी हाँ और यह पाचन-तंत्र को भी ठीक रखता है। इसी के साथ ही गाजर की पत्तियों में पाया जाने वाला फाइबर शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम कर दिल की सेहत लिए अच्छा होता है।
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों की just36news.com पुष्टि नहीं करता है. इनको केवल सुझाव के रूप में लें. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट पर अमल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.

 

विटामिन- डी की कमी को दूर करने में सक्षम हैं ये पेय पदार्थ, डाइट में करें शामिल

विटामिन- डी की कमी को दूर करने में सक्षम हैं ये पेय पदार्थ, डाइट में करें शामिल

शरीर को स्वस्थ रखने में पोषक तत्वों की संतुलित मात्रा अहम भूमिका निभाती है। इन्हीं पोषक तत्वों में से एक है विटामिन- डी, जिसकी कमी से शरीर कई बीमारियों से घिर सकता है। आमतौर पर विटामिन- डी की कमी को दूर करने के लिए धूप में रहने या फिर सप्लीमेंट्ल लेने को कहा जाता है, लेकिन आप चाहें तो कुछ पेय पदार्थों से भी इसकी कमी दूर कर सकते हैं। आइए कुछ ऐसे पेय पदार्थों के बारे में जानते हैं।
संतरे का जूस
संतरे के जूस में विटामिन- सी के साथ-साथ विटामिन- डी शामिल होता है, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने में मदद कर सकता है। वहीं, इसके सेवन हृदय से जुड़े जोखिम कम होते हैं। इसलिए नियमित रूप से एक गिलास संतरे के जूस का सेवन जरूर करें। हालांकि, ध्यान रखें कि संतरे का जूस आर्टिफिशियल फ्लेवर या फिर आर्टिफिशियल कलर युक्त नहीं होना चाहिए। बेहतर होगा कि आप मार्केट की बजाय घर में बना संतरे का जूस पिएं।
सोया मिल्क
सोयाबीन से बनने वाला यह दूध भी विटामिन- डी से समृद्ध होता है। इसका सेवन करने से कई शारीरिक और मानसिक समस्याओं के इलाज में मदद मिल सकती है। सोया मिल्क का सेवन आप नियमित तौर पर एक गिलास तक कर सकते हैं। खासकर वजन घटाने का प्रयास कर रहे लोगों को इसका सेवन जरूर करना चाहिए, लेकिन इसका सेवन करने से पहले एक बारी अपने डॉक्टर से सलाह परामर्श जरूर कर लें।
गाय का दूध
गाय का दूध कई पोषक तत्वों का बेहतरीन स्त्रोत है और इसमें विटामिन- डी भी शामिल होता है। इस दूध का नियमित तौर पर सेवन करने से आप अपने वजन को कम करने से लेकर मधुमेह समेत कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित रखने तक कई स्वास्थ्य लाभ पा सकते हैं, लेकिन इसका सेवन सीमित मात्रा में ही करें। ध्यान रखें कि रोजाना एक से दो कप ही गाय के दूध का सेवन करना ही स्वास्थ्य को फायदा पहुंचा सकता है।
पुदीना छाछ
पुदीना छाछ का सेवन भी विटामिन- डी की कमी को दूर करने में मदद कर सकता हैं। इसे बनाने के लिए सबसे पहले एक मिक्सर जार में दही (आवश्यकतानुसार), थोड़ी पुदीने की पत्तियां, एक चुटकी भुना जीरा, एक चुटकी काला नमक और सफेद नमक (स्वादानुसार) डालकर मिक्सर को चलाएं। अब तैयार पुदीना छाछ को एक गिलास में डालकर पीएं। इसके सेवन से आप अपने शरीर में विटामिन- डी के स्तर को बेहतर बना सकते हैं।
क्या आप जानते हैं?
अगर आप इन पेय पदार्थों का अधिक सेवन करते हैं तो ये विटामिन-डी की कमी को पूरा करने की बजाय कई तरह की समस्याओं का कारण बन सकते हैं। इसलिए बेहतर होगा कि आप सीमित मात्रा में ही इनका सेवन करें।
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों की just36news.com पुष्टि नहीं करता है. इनको केवल सुझाव के रूप में लें. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट पर अमल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.
 

Covid-19 से ठीक होने के बाद तुरंत बदले ये चीजें, नहीं तो फिर से हो सकते हैं संक्रमित

Covid-19 से ठीक होने के बाद तुरंत बदले ये चीजें, नहीं तो फिर से हो सकते हैं संक्रमित

देशभर में एक बार फिर कोरोनावायरस (Coronavirus) के बढ़ते आंकड़े लोगों की चिंता बढ़ा रहे हैं. वहीं ये आकड़े हर दिन बढ़ते ही जा रहे हैं. वहीं इस दौरान आपको क्या करना चाहिए और क्या नहीं इसका भी ध्यान रखना चाहिए. ऐसे में हम यहां आपको बताएंगे कि कोविड-19 से ठीक होने के बाद आपको क्या करना चाहिए.जिससे ये वायरस आपको दोबारा या आपके परिवार के किसी सदस्य को अपनी चपेट में ना ले ले. चलिए जानते हैं.
कोविड-19 संक्रमण के बाद तुरंत बदल लें टूथब्रश-
कोविड-19 (Covid-19) के बाद अपना टूथब्रश नहीं बदलना हानिकारक हो सकता है. ये आपके साथ दूसरों को भी जोखिम में डाल सकता है. बता दें कि कोरोनावायरस (Coronavirus) का वायरस प्लास्टिक की सतहों पर लंबे समय तक जीवित रह सकता है. इसलिए सुरक्षित रहने के लिए आपको पुराने टूथब्रश को फेक देना चाहिए. ऐसा करना न केवल आपको फिर से संक्रमित होने से बचाएगा. बल्कि परिवार के अन्य सदस्यों की भी रक्षा करेगा.
टूथब्रश के अलावा ये चीजें भी बदलें-
टूथब्रश के अलावा संक्रमण को रोकने के लिए अपने टंग क्लीनर को फेंक दें. साथ ही हो सके तो अपनी पुरानी तौलिया, रूमाल आदि के इस्तेमाल भी न करें.
इतने समय में बदलें अपना ओरल सामान-
हर तीन में हमें अपना टूथब्रश बदल लेना चाहिए. लेकिन कोविड के बाद इसमें बिल्कुल भी देरी न करें और इसे तुरंत बदलकर दूसरा ब्रश यूज करें. याद रखें कि कोरोना संक्रमण से बचाव के में ओरल हाइजीन बहुत जरूरी है.
कोविड (Covid-19) के दौरान और बाद कैसे रखें ओरल हाइजीन-
• दांतों को ब्रश करने से पहले हाथों को अच्छे से धोएं.
• दिन में दो बार ब्रश करें और अपनी जीभ को साफ करें
• नियमित रूप से माउथवॉश का प्रयोग करें.

Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों की just36news.com पुष्टि नहीं करता है. इनको केवल सुझाव के रूप में लें. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट पर अमल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.
 

चाय और कॉफी में चीनी की जगह इन चीजों का कर सकते हैं इस्तेमाल

चाय और कॉफी में चीनी की जगह इन चीजों का कर सकते हैं इस्तेमाल

कई लोग अपने दिन की शुरूआत चाय या फिर कॉफी के सेवन से करना पसंद करते हैं, लेकिन इनमें मिलाई जाने वाली चीनी स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है। इसी वजह से अगर आप चाय और कॉफी में मिठास के लिए चीनी की जगह कुछ अन्य विकल्प खोज रहे हैं तो यह लेख आपके लिए ही है। आइए आज हम आपको बताते हैं कि चाय और कॉफी में चीनी की बजाय किन चीजों को मिलाया जा सकता है।
मेपल सिरप
मेपल सिरप कई तरह के मिनरल्स और विटामिन्स के साथ-साथ एंटी-ऑक्सीडेंट गुण से समृद्ध होता है। यहीं नहीं, इसमें कैलोरी की मात्रा भी बहुत कम होती है, इसलिए इसे चीनी का एक स्वास्थ्यवर्धक विकल्प माना जाता है। आप चाहें तो अपनी चाय या कॉफी में चीनी की जगह मेपल सिरप को मिलाकर उनका स्वाद बढ़ा सकते हैं। इसके अतिरिक्त, आप मेपल सिरप को कई तरह के मीठे व्यंजनों का हिस्सा बना सकते हैं।
गुड़
गुड़ भी चीनी का एक स्वास्थ्यवर्धक विकल्प है क्योंकि इसका सेवन भी स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद है। गुड़ में आयरन, कैल्शियम, प्रोटीन, फास्फोरस और कार्बोहाइड्रेट जैसे कई पोषक तत्व के साथ-साथ एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण और एंटी-एलर्जिक गुण आदि शामिल होते हैं, इसलिए इसे स्वास्थ्य के लिए बेहतर माना जाता है। आप चाहें तो अपनी चाय या कॉफी के लिए गुड़ का इस्तेमाल कर सकते हैं। बस ध्यान रखें कि गुड़ को चाय और कॉफी को बनाने के बाद डालना है।
कोकोनट शुगर
आजकल बाजार में कई तरह की चीनी मौजूद है, जिनमें कोकोनट शुगर यानी नारियल से बनी हुई चीनी भी शामिल है। यह चीनी कई तरह के पोषक तत्वों से समृद्ध होती है, इसलिए इन दिनों यह काफी प्रचलन में है और फिटनेस फ्रीक लोगों के लिए अच्छी मानी जा रही है। इसलिए अगर आप चाहें तो अपनी चाय और कॉफी में कोकोनट शुगर को मिलाकर उनकी मिठास बढ़ा सकते हैं।
शहद
शहद एक बेहतरीन आयुर्वेदिक औषधि है क्योंकि इसमें कई प्रकार के खनिज व पोषक तत्व सम्मिलित होते हैं। इसके अतिरिक्त, इसमें एंटी-इंफेक्शन, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-ऑक्सीडेंट गुण भी मौजूद होते हैं, इसलिए इसे चाय या फिर कॉफी में चीनी की जगह मिलाना काफी अच्छा विचार हो सकता है। इससे न सिर्फ इन चीजों में मिठास आएगी बल्कि यह कई तरह से स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है। आप चाहें तो स्मूदी और शेक आदि में भी शहद को मिला सकते हैं।