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Covid-19 : घर में मौजूद इन 10 औषधीय चीजों से सुधरेगा इम्यून सिस्टम

Covid-19 : घर में मौजूद इन 10 औषधीय चीजों से सुधरेगा इम्यून सिस्टम

कोरोनावायरस से बचने के लिए तमाम तरह के उपाय आजमाए जा रहे हैं। लेकिन यदि आप अंदर से ही मजबूत होंगे तो आप पर इस संक्रमण का कोई असर नहीं होगा। 'अंदर से मजबूत' से तात्पर्य है कि यदि आपका इम्यून सिस्टम यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है तो आप किसी भी तरह के संक्रमण को मात देने के लिए सक्षम हैं। इम्यून सिस्टम को मजबूत करने के लिए विशेषज्ञ भी सलाह दे रहे हैं।
अब आपके मन में यह सवाल जरूर आ रहा होगा कि आखिर किन चीजों से इम्यून सिस्टम को मजबूत किया जा सकता है? तो हम आपको बता रहे हैं कुछ ऐसी औषधीय चीजों के बारे में, जो आपके घर में ही मौजूद हैं और इनके प्रयोग से आप खुद की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा सकते हैं। आइए जानते हैं-

दालचीनी

मसालों में मौजूद दालचीनी का इस्तेमाल आपने खाने के स्वाद को बढ़ाने के लिए तो कई बार किया होगा। दालचीनी खाने के स्वाद को बढ़ाने के साथ ही कई स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने का काम भी करती है। दालचीनी का इस्तेमाल इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने के लिए भी किया जा सकता है। दालचीनी में कई एंटीऑक्सीडेंट्स और एंटीबैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं, जो आपकी सेहत के लिए बहुत लाभकारी हो सकते हैं। दालचीनी का इस्तेमाल काढ़ा, चाय या पानी बनाने में किया जा सकता है।
अदरक

अदरक का इस्तेमाल आप अपने रसोई में खूब करते होंगे। इसमें एंटीऑक्सीडेंट्स और एंटीइंफ्लेमेट्री गुण पाए जाते हैं, जो कई बीमारियों से छुटकारा दिलाने में कारगर माने जाते हैं, क्योंकि यह आपके इम्यून सिस्टम को मजबूत करने का काम करता है। यदि आपको सर्दी है या खांसी हो रही है तो अदरक का एक छोटा-सा टुकड़ा आपको इन समस्याओं से आराम दिलाने के लिए काफी है। इसका सेवन आप नियमित रूप से कर सकते हैं। आप चाहे तो अदरक वाली चाय व अदरक को पानी में उबालकर काढ़े के रूप में या सादा अदरक का टुकड़ा भी खा सकते हैं।
लौंग

लौंग इम्युनिटी बढ़ाने का एक अच्छा स्रोत है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट और एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं। यह सेहत से जुड़ीं कई समस्याओं को दूर करने में कारगर साबित होती है। आपने अधिकतर सुना होगा कि यदि खांसी हो रही है तो लौंग का सेवन करें, इससे खांसी-सर्दी ठीक हो जाएगी। जी हां, लौग सर्दी-खांसी से छुटकारा दिलाने के लिए कारगर है।

आंवला

आंवला विटामिन-सी का एक बेहतरीन स्रोत है। यह इम्यून सिस्टम को मजबूत करने का काम करता है। जहां ये सौंदर्य लाभ के लिए जाना जाता है, वहीं इसके स्वास्थ्य लाभ भी बेमिसाल हैं।
अश्वगंधा

आयुर्वेदिक औषधि अश्वगंधा कई रोगों से छुटकारा दिलाने के लिए जानी जाती है। यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करती ही है।

लहसुन

घर की रसोई में मौजूद लहसुन खाने के स्वाद को बढ़ाने के लिए प्रयोग में लाई जाती है लेकिन इसके स्वास्थ्य लाभ भी कई हैं। यदि नियमित सुबह इसका सेवन खाली पेट किया जाए तो यह आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को तो बढ़ाती ही है, साथ ही अन्य बीमारियों से भी दूर रखती है।
तुलसी

तुलसी के फायदे अनगिनत हैं। यह आपको कई स्वास्थ्य लाभ देती है। सुबह खाली पेट तुलसी के सेवन से कई लाभ होते हैं। तुलसी सर्दी-जुकाम, बुखार, सूखा रोग, निमोनिया व कब्ज जैसी समस्याओं के लिए भी फायदेमंद हो सकती है।

हल्दी वाला दूध

हल्दी वाले दूध के नियमित सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। सर्दी-खांसी जैसी समस्याओं से राहत दिलाने के लिए हल्दी वाला दूध बहुत कारगर सिद्ध होता है। यदि नियमित सोने से पहले इसका सेवन करके सोया जाए तो यह आपके इम्यून सिस्टम को मजबूत करने के लिए बहुत फायदेमंद है।
ग्रीन टी

ग्रीन टी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए काफी फायदेमंद मानी जाती है। यदि इसका नियमित सेवन किया जाए तो रोगों से लड़ने की क्षमता मजबूत होती है।

गिलोय

गिलोय इम्यून सिस्टम को मजबूत करने के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है। यह स्वास्थ्यवर्धक गुणों से भरपूर माना जाता है। इसके सेवन से शरीर में संक्रमण से लड़ने की क्षमता मजबूत होती है।

 

Corona Vaccination: क्या आप भी वैक्सीन लगवाना चाहते है तो पंजीयन के लिए फॉलो करे ये स्टेप

Corona Vaccination: क्या आप भी वैक्सीन लगवाना चाहते है तो पंजीयन के लिए फॉलो करे ये स्टेप

टीकाकरण के लिए http://cowin.gov.in के जरिये एडवांस अप्वॉइंटमेंट लिया जा सकता है और वैक्सीनेशन के लिए ऑन-साइट रजिस्ट्रेशन भी कराया जा सकता है. देश में अबतक वैक्सीन की छह करोड़ 51 लाख 17 हजार 896 डोज दी गई हैं.


टीकाकरण के लिए पंजीकरण या रजिस्ट्रेशन कैसे कराएं

1-लाभार्थी COWIN पोर्टल या आरोग्य सेतु ऐप पर रजिस्ट्रेशन या एप्वाइंटमेंट बुक करा सकते हैं

2- केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और नेशनल हेल्थ अथॉरिटी की वेबसाइट पर भी नागरिकों को रजिस्ट्रेशन और एप्वाइंटमेंट के लिए यूजर गाइड दी गई है.
3- Co-WIN पर रजिस्ट्रेशन कराने के लिए अपना मोबाइल नंबर दर्ज करें और Send OTP आइकन पर क्लिक करें. फिर, फोन पर प्राप्त ओटीपी दर्ज करें और वैरिफाई बटन पर क्लिक करें.
4- Aarogya Setu रजिस्ट्रेशन कराने के लिए, CoWIN टैब पर जाएं, टीकाकरण टैब पर टैप करें और Proceed पर क्लिक करें. रजिस्ट्रेशन फॉर्म में डिटेल भरें. रजिस्ट्रेशन हो जाने के बाद आपको एक कंफर्म मैसेज मिलेगा.
5- एक व्यक्ति जिसने रजिस्ट्रेशन कराया है वह एक मोबाइल नंबर पर चार लोगों को लिंक कर सकता है.
6- लाभार्थी दूसरी खुराक के लिए पोर्टल या मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से एप्वाइंटमेंट को रिशेड्यूल या रद्द कर सकते हैं. हर टीकाकरण का एक डिजिटल रिकॉर्ड रखा जा रहा है.
7- यदि आप रिशेड्यूल करना चाहते हैं, तो आप फिर से अपने मोबाइल नंबर से लॉग इन कर सकते हैं, ओटीपी दर्ज कर सकते हैं और 'एक्शन' कॉलम के नीचे एडिट आइकन पर क्लिक करके बदलाव कर सकते हैं.
8- वैक्सीनेशन प्रोसेस पूरा हो जाने के बाद, एक डिजिटल प्रमाण पत्र पोर्टल या ऐप पर भेजा जाएगा. इसे डाउनलोड किया जा सकता है.

 

भारत के स्वास्थ्य सेवा उद्योग के 2022 में इतने बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद

भारत के स्वास्थ्य सेवा उद्योग के 2022 में इतने बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद

नई दिल्ली,  भारत के स्वास्थ्य सेवा उद्योग के 2022 में 372 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। देश का स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र पिछले पांच वर्षों में तेजी से बढ़ा है, जिसकी वार्षिक वृद्धि दर लगभग 22% है। नीति आयोग ने स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के विभिन्न क्षेत्रों में निवेश के अवसरों की सीमा को रेखांकित करते हुए एक रिपोर्ट जारी की है। इसमें अस्पताल, चिकित्सा उपकरण, स्वास्थ्य बीमा, टेलीमेडिसिन, गृह स्वास्थ्य इत्यादि शामिल हैं। हेल्थकेयर राजस्व और रोजगार दोनों के मामले में भारतीय अर्थव्यवस्था के सबसे बड़े क्षेत्रों में से एक बन गया है। राष्ट्रीय कौशल विकास निगम के अनुमान के अनुसार, स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र 2017-22 के बीच भारत में 27 लाख अतिरिक्त नौकरियां पैदा कर सकता है। इस रिपोर्ट को नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल, सीईओ अमिताभ कांत और अतिरिक्त सचिव डॉ. राकेश सरवाल ने जारी किया।

नीति आयोग
यह भारत में एक पॉलिसी थिंक टैंक है जिसे 2015 में योजना आयोग के स्थान पर स्थापित किया गया था। सस निकाय की स्थापना सहकारी संघवाद के साथ सतत विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने के उद्देश्य से की गई थी। प्रधानमंत्री नीति आयोग के अध्यक्ष होते हैं।

नीति आयोग के सदस्य
प्रधानमंत्री नीति आयोग के अध्यक्ष होते हैं।
इसमें एक गवर्निंग काउंसिल भी शामिल है जिसमें सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों के साथ विधानसभाओं और केंद्र शासित प्रदेशों के लेफ्टिनेंट गवर्नर शामिल हैं।हालांकि, इसमें दिल्ली और पुदुचेरी शामिल नहीं है।
इसमें क्षेत्रीय परिषदें भी हैं जो राज्यों के मुख्यमंत्रियों और केंद्र शासित प्रदेशों के उपराज्यपालों से बनी हैं। 

नींद न आने की समस्या झेल रहे व्यक्तियों में कोरोना का खतरा ज्यादा

नींद न आने की समस्या झेल रहे व्यक्तियों में कोरोना का खतरा ज्यादा

नींद न आने की समस्या झेल रहे व्यक्तियों में कोरोना का खतरा ज्यादा हालिया अध्ययन में सामने आया है कि अनिद्रा के शिकार लोगों में कोविड-19 से संक्रमित होने का खतरा अधिक होता है। लेकिन अगर इन लोगों में हर अतिरिक्त घंटे की नींद के साथ संक्रमण का जोखिम करीब 12 फीसदी तक कम हो सकता है। शोधकर्ताओं की टीम कहना है, कि अनिद्रा की बीमारी हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करती है, जिससे कि कोविड-19 जैसी बीमारियों के प्रति संवेदनशीलता बढ़ जाती है।
हालिया अध्ययन में सामने आया है कि अनिद्रा के शिकार लोगों में कोविड-19 से संक्रमित होने का खतरा अधिक होता है। लेकिन अगर इन लोगों में हर अतिरिक्त घंटे की नींद के साथ संक्रमण का जोखिम करीब 12 फीसदी तक कम हो सकता है। शोधकर्ताओं की टीम कहना है, कि अनिद्रा की बीमारी हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करती है, जिससे कि कोविड-19 जैसी बीमारियों के प्रति संवेदनशीलता बढ़ जाती है।
शोधकर्ताओं ने 2,884 स्वास्थ्य कर्मचारियों के एक सर्वेक्षण के परिणामों का विश्लेषण करने के बाद ये निष्कर्ष जारी किए हैं। शोधकर्ताओं ने कहा कि जिन लोगों को अनिद्रा की समस्या होती है, उन्हें कोरोना संक्रमण की अधिक संभावना रहती है। इसमें शोधकर्ताओं ने लोगों को कोरोना काल में गुणत्तापूर्ण नींद लेने के लिए सलाह दी है। इसके साथ ही शारीरिक गतिविधियों को जरूरी बताया।
 

गर्मियों में बेहद गुणकारी हैं खीरे का पानी, ऐसे करें इस्तेमाल...

गर्मियों में बेहद गुणकारी हैं खीरे का पानी, ऐसे करें इस्तेमाल...

खीरा सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है उसी तरह खीरे का पानी हमारे लिए अच्छा होता है। अगर आप इसका सेवन करेंगे तो कई रोगों से बच सकते हैं। लेकिन खीरे का पानी इससे भी ज्यादा लाभकारी होता हैं। अक्सर गर्मियों में हर वक्त गला सूखता है और बार-बार पानी पीने का मन होता है लेकिन कई बार सादा पानी पीने का मन नहीं होता। ऐसे में आप खीरे का पानी पीजिए जो स्वाद के साथ-साथ सेहत के लिए भी बहुत लाभकारी होता है।
डिहाइड्रेशन:
खीरे की तासीर ठंडी होती है जिससे ये ड्रिंक गर्मियों में शरीर को डिहाइड्रेशन से बचाएगी। इसके अलावा खीरे का पानी पीने से शरीर को और भी कई तरह के लाभ मिलते हैं। चलिए जानते हैं इसके लाभ के बारे में..
-खीरे का पानी में विटामिन सी और बीटा कैरोटिन एंटी-ऑक्सीडैंट गुण पाए जाते हैं जो शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर निकालते हैं। हर रोज खीरे के पानी का सेवन करने से पेट साफ रहता है।
मांसपेशियां मजबूत:
आपको बता दें कि खीरे के पानी का सेवन करने से मांसपेशियां मजबूत होती हैं। खीरे के पानी में मौजूद सिलिका शरीर के संयोजी ऊतकों को स्वस्थ रखता है। एक्सरसाइज करने के बाद इसका सेवन करने से शरीर को काफी लाभ होता है।
मुंह से दुर्गंध दूर:
कई बार आपने महसूस किया होगा कि ब्रश करने के बावजूद भी कई बार मुंह से दुर्गंध आती है । ऐसा सिर्फ पेट में गर्मी होने की वजह से होता है। ऐसे में खीरे का पानी पीने से पेट की गर्मी कम होती है और इससे मुंह के तलवे पर जमा होने वाले जीवाणु भी नष्ट होते हैं जिससे सांसों से बदबू नहीं आती।
वजन कम:
अगर आप वजन कम करने की कोशिश कर रहे हैं, तो आपको मीठा सोडा, स्पोर्ट्स ड्रिंक और जूस के साथ खीरे के पानी का सेवन भी करना चाहिए। इससे आपको और भी अधिक कैलोरी कम करने में मदद मिल सकती है।
चेहरे के दाग-धब्बे:
खीरे के पानी का सेवन करने से चेहरे के दाग-धब्बे और मुंहासों की परेशानी दूर होती है। इसमें मौजूद सिलिका चेहरे की रंगत निखारने में भी सहायता करता है।
ऐसे बनाएं खीरे का पानी:
सर्व प्रथम खीरे को अच्छी तरह धो लीजिए और इसे आधा छील लीजिए। अब खीरे की स्लाइस कीजिए और इन्हें आधा जग पानी में डाल दीजिए। कुछ देर इस जग को फ्रिज में ठंडा होने के लिए रख दीजिए और फिर इसे पीना चाहिए। इस पानी को दो दिन से अधिक यूज नहीं करना।
 

भारतीय SARS-CoV-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (INSACOG) की स्थापना की, क्या है इसकी उपयोगिता

भारतीय SARS-CoV-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (INSACOG) की स्थापना की, क्या है इसकी उपयोगिता

सरकार ने भारत भर में SARS-CoV-2 की जीनोमिक निगरानी के लिए “भारतीय SARS-CoV-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (INSACOG)” की स्थापना की है। इसकी घोषणा केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर में की। मंत्री ने यह भी कहा कि, इस कंसोर्टियम में दस क्षेत्रीय जीनोम अनुक्रमण प्रयोगशालाएं (RGSL) अर्थात् ILS भुवनेश्वर, NIBMG कल्याणी, NCCS पुणे, ICMR-NIV पुणे, CDFD हैदराबाद, CSIR-CCMB हैदराबाद, NIMHANS बेंगलुरु, InStem / NCBS बेंगलुरु, CSIR-IGIB दिल्ली, और NCDC दिल्ली शामिल हैं।

Regional Genome Sequencing Laboratories (RGSL)
देश भर में RGSL वर्तमान में अपने आंतरिक कोष और संसाधनों का उपयोग कंसोर्टियम की गतिविधियों को करने के लिए कर रहे हैं। फंड को मंजूरी देने का प्रस्ताव जैव प्रौद्योगिकी विभाग के साथ वित्तीय मूल्यांकन प्रक्रिया के अधीन है।

INSACOG क्या है?
INSACOG को यूके वेरिएंट के उद्भव की पृष्ठभूमि में लॉन्च किया गया था। INSACOG का उद्देश्य वायरस निगरानी, ​​लक्षण वर्णन और जीनोम अनुक्रमण में तेजी लाना है।
यह BT-NIBMG, DBT-ILS, ICMR-NIV, DBT-NCCS, CSIR-CCMB, DBT-CDFD, DBT-InSTEM, NIMHANS, CSIR-IGIB और NCDC नामक दस प्रयोगशालाओं का एक संघ है।इन प्रयोगशालाओं को अब INSACOG लैब्स कहा जाता है।
INSACOG में अंतर-मंत्रालयीय संचालन समिति होगी। यहसमिति कंसोर्टियम को मार्गदर्शन और निगरानी प्रदान करेगी।
भविष्य में, INSACOG वैक्सीन, डायग्नोस्टिक्स और संभावित चिकित्सा विकसित करने में मदद करेगा।
जैव प्रौद्योगिकी विभाग, सीएसआईआर और आईसीएमआर द्वारा INSACOG के लिए एक रोड मैप तैयार किया गया है।
 

अगर आप भी पास रखकर सोते हैं स्मार्टफोन तो हो जाएं सावधान

अगर आप भी पास रखकर सोते हैं स्मार्टफोन तो हो जाएं सावधान

स्मार्टफोन से एक पल की भी दूरी बर्दाश्त नहीं होती? सोते समय स्मार्टफोन को सिरहाने रखने की आदत है? अगर हां तो संभल जाइए। ब्रिटेन की एक्जिटर सहित कई यूनिवर्सिटी के अध्ययन में मोबाइल से निकलने वाली विकिरणों को कैंसर से लेकर नपुंसकता तक के खतरे से जोड़ा गया है।
कैंसर का डर
अंतरराष्ट्रीय कैंसर रिसर्च एजेंसी ने मोबाइल फोन से निकलने वाली इलेक्ट्रोमैग्नेटिक विकिरणों को संभावित कार्सिनोजन (कैंसरकारी तत्वों) की श्रेणी में रखा है। उसने चेताया है कि स्मार्टफोन का अत्यधिक इस्तेमाल मस्तिष्क और कान में ट्यूमर पनपने की वजह बन सकता है, जिसके आगे चलकर कैंसर का भी रूप अख्तियार करने की आशंका रहती है।
संतान सुख पर संकट
2014 में प्रकाशित ब्रिटेन के एक्जिटर विश्वविद्यालय के अध्ययन में मोबाइल फोन से निकलने वाली इलेक्ट्रोमैग्नेटिक विकिरणों का नपुंसकता से सीधे संबंध पाया गया था। शोधकर्ताओं ने आगार किया था कि पैंट की जेब में स्मार्टफोन रखने से पुरुषों में न सिर्फ शुक्राणुओं का उत्पादन घटता है, बल्कि अंडाणुओं को निषेचित करने की उसकी गति भी धीमी पड़ जाती है।
नींद में खलल डालती है नीली रोशनी
2017 में इजरायल की हाइफा यूनिवर्सिटी की ओर से किए गए एक अध्ययन में सोने से आधे घंटे पहले से ही स्क्रीन का इस्तेमाल बंद कर देने की सलाह दी गई थी। शोधकर्ताओं का कहना था कि स्मार्टफोन, कंप्यूटर और टीवी की स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी 'स्लीप हार्मोनÓ मेलाटोनिन का उत्पादन बाधित करती है। इससे व्यक्ति को न सिर्फ सोने में दिक्कत पेश आती है, बल्कि सुबह उठने पर थकान, कमजोरी और भारीपन की शिकायत भी सताती है।
 

सेल्फी खींचने का शौक आपको डाल सकता है बड़े खतरे में!

सेल्फी खींचने का शौक आपको डाल सकता है बड़े खतरे में!

अगर आपके घर में भी किसी को ज़रूरत से ज्यादा सेल्फी लेने का शौक है तो आपको सावधान हो जाना चाहिए, क्योंकि हो सकता है। अब आपको सावधान होने की जरूरत है, क्योंकि आपका सेल्फी खींचने का शौक आपको बड़े खतरे में डाल सकता है.....
डॉक्टर्स के मुताबिक, सेल्फी का असर स्किन पर इतना ज्यादा पड़ता है कि जिस साइड से आप अक्सर सेल्फी खींचती है, उस साइड की स्किन दूसरी साइड की स्किन से ज्यादा ड्राई हो जाती है। हाल ही में आए एक सर्वे के मुताबिक, मोबाइल फोन से पडऩे वाली लाइट और रेडिएशन स्किन को धूप की किरणों से 3 गुना ज्यादा नुकसान पहुंचाती है।
सेल्फी लेने की यह आदत अगर लत में बदल जाए, तो आप सेल्फाइटिस बीमारी की चपेट में आ सकती हैं। इस बीमारी से पीडि़त महिला के दिमाग में हमेशा यह भूत सवार रहता है कि किस जगह सेल्फी लें और कितनी जल्दी उसे सोशल मीडिया पर डालें। धीरे-धीरे यह बीमारी इतनी बढ़ जाती है कि यह लत बन जाती है।
डॉक्टर्स के मुताबिक, लगातार अपनी फोटो लेते रहने की लत 'सेल्फी एल्बो’ की वजह बन सकती है। यह एक नई तरह की बीमारी है, जिसमें कुहनी का दर्द सताने लगता है।
स्किन स्पेशलिस्ट के मुताबिक, चेहरे पर लगातार स्मार्टफोन की लाइट और इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन से स्किन बूढ़ी होने लगती है जिससे जल्दी रिंकल्स पडऩे लगते हैं। मोबाइल फोन की तरंगें सीधे डीएनए को नुकसान पहुंचाती है, जिससे स्किन की नैचरल रिपेयर क्षमता दिन प्रतिदिन कम होती जाती है। जिससे आपकी स्किन पर कोई पिंपल्स या दाग धब्बे हो जाएं, तो उन्हें ठीक होने में महीनों लग जाते हैं।
दरअसल, फोन से निकलने वाली ये तरंगे अलग तरह की होती हैं, जिसमें सनस्क्रीन भी कोई काम नहीं करता। सनस्क्रीन आपकी त्वचा की बाहरी लेयर को धूप से बचाता है, जबकि मोबाइल की तरंगे स्किन के अंदर की लेयर तक को प्रभावित करती है, जिससे सनस्क्रीन भी इस नुकसान से आपको नहीं उभार पाता।
 

स्तन कैंसर के निदान के लिए वैज्ञानिकों ने डीप लर्निंग (डीएल) नेटवर्क पर आधारित एक वर्गीकरण पद्धति विकसित की  जानिए क्या तकनीक

स्तन कैंसर के निदान के लिए वैज्ञानिकों ने डीप लर्निंग (डीएल) नेटवर्क पर आधारित एक वर्गीकरण पद्धति विकसित की जानिए क्या तकनीक

स्तन कैंसर के निदान के लिए हार्मोन की स्थिति का अध्ययन करने के लिए वैज्ञानिकों ने डीप लर्निंग (डीएल) नेटवर्क पर आधारित एक वर्गीकरण पद्धति विकसित की है। यह पद्धति शरीर में स्तन कैंसर के बढ़ने का प्रारंभिक अवस्था में पता लगाने के लिए एस्ट्रोजन रिसेप्टर की स्थिति का निर्धारण करने के लिए अब तक उपयोग में लाए जा रहे तरीकों का एक बेहतरीन विकल्प है जो पूरी तरह से स्वचालित प्रणाली पर आधारित है। स्तन कैंसर सबसे खतरनाक कैंसर है। भारत की ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में कैंसर से पीड़ित महिलाओं में से 14 प्रतिशत महिलाएं स्तन कैंसर से ग्रसित होती हैं। देश में स्तन कैंसर से पीड़ित महिलाओं के बचने की दर हालांकि 60 प्रतिशत बताई गई है लेकिन इनमें से 80 फीसदी से ज्यादा महिलाएं 60 से कम उम्र वाली हैं। यदि स्तन कैंसर का पता प्रारंभिक अवस्था में लग जाए तो इससे बचाव के उपाय समय रहते किए जा सकते हैं। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के तहत एक स्वायत्त संस्थान “विज्ञान एंव प्रौद्योगिकी उच्च अध्ययन संस्थान” (आईएएसएसटी) के वैज्ञानिकों की एक टीम ने स्तन कैंसर का प्रारंभिक अवस्था में पता लगाने के लिए इम्यूनोहिस्टोकेमिस्ट्री (आईएचसी) नमूने की मदद से एस्ट्रोजन या प्रोजेस्टेरोन की स्थिति के अध्ययन के वास्ते एक नई किस्म की डीप लर्निंग (डीएल) पद्धति विकसित की है। इस नई पद्धति की खोज डाक्टर लिपी बी महंत और उनकी टीम ने कैंसर के बारे में गहन अध्ययन करने वाले एक प्रमुख संस्थान बी बोरुआ कैंसर संस्थान के चिकित्सकों के सहयोग से की है। एक व्यावहारिक व्यावसायिक सॉफ्टवेयर के रूप में इसके इस्तेमाल की बड़ी संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए इस अध्ययन को एक जानी मानी पत्रिका "एप्लाइड सॉफ्ट कम्प्यूटिंग" में प्रकाशित किया जा रहा है। स्तन कैंसर का पता लगाने के लिए सबसे प्रचलित विधि बायोप्सी है। रोगी के शरीर से लिए गए बायोप्सी नमूने का माइक्रोस्कोप के जरिए सूक्ष्म परीक्षण कर कैंसर का पता लगाया जाता है। कैंसर का पता लगाने के लिए किए जाने वाले परीक्षण में आईएचसी मार्कर महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसका उपयोग एक रोगसूचक मार्कर के रूप में किया जाता है। इसमें कैंसर के मुख्य केन्द्र या न्यूकलिक की पहचान के लिए विशेष प्रकार के रंग का इस्तेमाल किया जाता है। इस रंग की तीव्रता अलग अलग होती है और इसी के आधार पर रोग की गंभीरता को 0 से 3 तक की श्रेणी में परिभाषित किया जाता है। रंगो की तीव्रता के आधार पर गणना करने की यह प्रणाली आलरेड और एच स्कोर कहलाती है। नैदानिक परीक्षणों के दौरान इनके आधार पर ही एस्ट्रोजेन रिसेप्टर और प्रोजेस्टेरोन रिसेप्टर की प्रतिक्रिया का अध्ययन किया जाता है। इस प्रतिक्रिया के आधार पर ही शरीर में कैंसर के फैलाव की संभावनाओं तथा भविष्य में इसके दोबारा होने के खतरे को भांपा जाता है। इसने वैज्ञानिकों की टीम को उन्नत कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकियों की मदद से इसके प्रबंधन के लिए और प्रभावी समाधान खोजने के लिए प्रेरित किया। टीम ने एक एल्गोरिथम विकसित किया जो यह बताने में मदद करता है कि शरीर में मौजूद कैंसर कोशिकाओं की सतह पर हार्मोन रिसेप्टर्स हैं या नहीं। इस अध्ययन ने स्तन ऊतकों की तस्वीरों में से कैंसर के नाभिक क्षेत्र को पहचान कर उसे आसानी से अलग करने की एक नई विधि खोज निकाली। यह प्रक्रिया कैंसर का पता लगाने में मशीन लर्निंग (एमएल)मॉडल के तीनों निष्कर्षों को एकीकृत करती है।

 

परीक्षाओं के दौरान याद्दाश्त के लिए बच्चों को पिलाने चाहिए ये 5 हेल्दी ड्रिंक्स!

परीक्षाओं के दौरान याद्दाश्त के लिए बच्चों को पिलाने चाहिए ये 5 हेल्दी ड्रिंक्स!

बच्चों को समुचित पोषण न मिले तो यह उनमें ऊर्जा की कमी, कमजोर याद्दाश्त और आलस जैसी समस्याओं के हमले करवा सकता है। ऐसे में जरूरी है कि बच्चों के खान-पान और उनमें पोषण की मात्रा पर विशेष ध्यान दिया जाए। आज हम आपको पांच ऐसे हेल्दी ड्रिंक्स के बारे में बताने वाले हैं जो आपके बच्चों के दिमाग और सेहत को दुरुस्त रखने में मदद करते हैं। ये उनकी परीक्षाओं के बेहतर परिणाम सुनिश्चित करने में मददगार हो सकते हैं....
1. बादाम का दूध :- बादाम दूध याद्दाश्त बढ़ाने का सबसे कारगर नुस्खा माना जाता है। बादाम में पाया जाने वाला प्रोटीन संज्ञानात्मक क्षमता को बढ़ाने में मददगार होता है। उबले दूध में कुछ बादाम पीसकर डाल लें और हर रोज इसे बच्चे को पीने के लिए दें।
2. ब्लूबेरी और स्ट्रॉबेरी :- ब्लूबेरी और स्ट्रॉबेरी में पाए जाने वाले एंटी-ऑक्सीडेंट्स दिमाग की कोशिकाओं को क्षततिग्रस्त होने से बचाते हैं। इसलिए कुछ ब्लूबेरी और स्ट्रॉबेरी को पीसकर एक कप दही और दूध के साथ मिलाकर मिक्सर में पीस लें। अब इसे अपने बच्चे को पीने के लिए दें।
3. डार्क चॉकलेट शेक :- अगर आप अपने बच्चे की एकाग्रता और उसके समस्याओं के सुलझाने का कौशल बढ़ाना चाहते हैं तो उसे हर रोज डार्क चॉकलेट शेक पीने के लिए दें। शेक में इस्तेमाल होने वाला दूध दिमाग के लिए आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर होता है। ऐसे में परीक्षाओं के दौरान यह बच्चों के लिए लाभदेह पेय हो सकता है।
4. चुकंदर का जूस :- चुकंदर का जूस पोषक तत्वों का भंडार होता है। इसे आप बच्चों की परीक्षाओं के दौरान सेवन करने के लिए दे सकते हैं। इसमें विटामिन ए, के, सी, बीटा कैरोटिन, एंटी-ऑक्सीडेंट्स, फोलेट और पॉलीफेनॉल्स काफी मात्रा में पाए जाते हैं जो आपके बच्चों के दिमाग पर बेहतरीन असर डालते हैं।
5. गुड़ की चाय :- गुड़ एंटी-ऑक्सीडेंट्स से भरपूर खाद्य है। परीक्षाओं के दौरान बच्चों को गुड़ की चाय बनाकर पिलाया जा सकता है। यह उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मददगार होता है।
 

फ्लैट टमी हासिल करने के लिए इन सब्जियों को अपनी डाइट में करें शामिल

फ्लैट टमी हासिल करने के लिए इन सब्जियों को अपनी डाइट में करें शामिल

Weight loss: शरीर का अतिरिक्त फैट आपके स्वास्थ्य के लिए कभी अच्छा नहीं रहा है. आपके पेट के आसपास का फैट बहुत नुकसानदेह हो सकता है और कई स्वास्थ्य की पेचीदगी की वजह बन सकता है. पेट का फैट दिल की बीमारियों और अन्य पुरानी बीमारियों का खतरा बढ़ा सकता है. ये आपके ब्लड प्रेशर को भी प्रभावित करता है. आपके पेट के इर्दगिर्द जमा फैट हाई ब्लड शुगर लेवल का भी जिम्मेदार होता है. इससे पाचन क्रिया खराब है और हार्मोन का असंतुलन भी होता है.


समग्र स्वस्थ रहने के लिए आपको गंभीरतापूर्वक देर होने से पहले पेट की चर्बी कम करने पर ध्यान देना चाहिए. अगर आपके पास पेट का अतिरिक्त फैट है, तब कुछ बातों को दिमाग में रखना चाहिए. सबसे पहले खाने को सही बनाना सुनिश्चित करना चाहिए. अल्कोहल पीने और धूम्रपान से बचें. आपको पर्याप्त नींद और आराम लेना चाहिए, लेकिन सुनिश्चित करें आप उसे ज्यादा न करें. ध्यान रखना चाहिए कि तनाव भी एक बड़ा फैक्टर वजन बढ़ने का हो सकता है, इसलिए आपको तनाव का लेवल काबू में रखना चाहिए.


ये जरूरी है कि आप व्यायाम नियमत करें या कम से कम किसी तरह की शारीरिक गतिविधि को अपनाएं जिससे फैट आपके शरीर में जमा होने से रुक सके. स्वस्थ जिंदगी और अच्छी जीवनशैली अतिरिक्त वजन से छुटकारा दिलाने में मदद कर सकते हैं. आपको जानना चाहिए कि खास फूड्स आप अपनी रोजाना की डाइट की शामिल कर सकते हैं जिससे आपको पेट का फैट तेजी से पिघलाने में मदद मिलेगी.


पेट के फैट को आसानी और तेजी से घुलाने में मददगार सब्जी


पालक- पालक ज्यादा पौष्टिक हरी सब्जी है. रिसर्च से साबित हुआ है कि उसमें फैट घुलानेवाले गुण होते हैं. ये बहुत ज्यादा आपके पेट के फैट को जलाने के लिए मुफीद है. आप पालक को उबालकर या पकाकर खा सकते हैं. दोनों तरीके आपके अतिरिक्त फैट को कम करने और स्वस्थ रहने में मदद करेंगे.


ब्रोकली- ब्रोकली उच्च गुणवत्ता वाला फाइबर है. ये विटामिन और मिनलर में भरपूर होता है. ब्रोकली में फाइटोकेमिकल्स भी होता है जो शरीर के फैट से लड़ता है. ब्रोकली में मौजूद फोलेट आपके शरीर के अंगों के इर्दगिर्द ब्लोटिंग को कम करने में मदद करता है.


गाजर- गाजर कैलोरी में कम होने के लिए लोकप्रिय है. अगर आप वजन कम करना चाहते हैं, तब आपको जरूर इस सब्जी को अपनी रोजाना की डाइट में शामिल करना चाहिए. ये फाइबर में भरपूर होता है जिसका मतलब हुआ कि ये वजन घटाने के लिए है.


खीरा- खीरा आपके शरीर के लिए डिटॉक्स का काम करता है. ये आपको हाइड्रेटेड रखता है और अतिरिक्त भोजन के लिए आपकी इच्छा पर अंकुश लगाता है. इसमें फैट को जलानेवाले रस पाया जाता है और देर रात की भूख का खात्मा भी करता है. उसमें कैलोरी की मात्रा कम होती है. उसे तेजी से वजन घटाने के लिए रोजाना इस्तेमाल किया जाना चाहिए.

नोट: ये खबर रिसर्च के दावे पर है. just36News इसकी पुष्टि नहीं करता. आप किसी भी सुझाव पर अमल या इलाज शुरू करने से पहले अपने एक्सपर्ट की सलाह जरूर ले लें. 

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा निधि को मंजूरी दी, जाने क्या होगा लाभ ...

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा निधि को मंजूरी दी, जाने क्या होगा लाभ ...

नईदिल्ली। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 10 मार्च, 2021 को प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा निधि (PMSSN) को एक एकल गैर-चूक योग्य आरक्षित निधि (single non-lapsable reserve fund) के रूप में मंजूरी दी है। यह नॉन-लैप्सबल रिजर्व फंड है। इस फंड में स्वास्थ्य और शिक्षा उपकर में स्वास्थ्य की हिस्सेदारी से प्राप्त आय शामिल होगी। इस फण्ड में इस राजस्व का उपयोग राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, आयुष्मान भारत-स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र, आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना सहित स्वास्थ्य मंत्रालय की फ्लैगशिप योजनाओं और आपातकालीन और आपदा सहायता प्रतिक्रियाओं के लिए किया जाएगा। इस फंड को स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा प्रशासित किया जाएगा। इस फंड में आपातकालीन, आपदा तैयारियों और स्वास्थ्य आपात स्थितियों के दौरान प्रतिक्रियाएं भी शामिल हैं। यह फण्ड महत्वपूर्ण है क्योंकि यह फंड सार्वभौमिक और सस्ती स्वास्थ्य देखभाल की पहुंच को सुनिश्चित करेगा। स्वास्थ्य एक महत्वपूर्ण संपत्ति है क्योंकि यह विकास के बेहतर परिणाम प्राप्त करने में मदद करता है। बेहतर स्वास्थ्य बेहतर उत्पादकता की ओर ले जाता है। इसलिए, इस कोष की आवश्यकता थी ताकि सभी के लिए सार्वभौमिक स्वास्थ्य सुनिश्चित हो सके। 

क्या आप सांस की बदबू से हैं परेशान? खाने में इन चीजों को करें शामिल और पाएं छुटकारा

क्या आप सांस की बदबू से हैं परेशान? खाने में इन चीजों को करें शामिल और पाएं छुटकारा

सांस की बदबू कोई बड़ी समस्या नहीं है, मगर ये आपके व्यक्तित्व को जरूर प्रभावित करती है. उसके चलते लोगों को शर्मिंदगी उठानी पड़ती है. कुल्ली करने से अस्थायी तौर पर समस्या से छुटकारा पाना संभव है, मगर ये काम हर जगह नहीं किया जा सकता. अगर आप भी सांस में बदबू की समस्या से ग्रसित हैं, तो आपके लिए चंद नुस्खे मुफीद साबित होंगे.


पानी
आप पहले ही जानते हैं कि पानी पीना फायदेमंद है. पानी आपको हाइड्रेटेड रखता है, दिमाग के स्वास्थ्य को बढ़ाने से लेकर स्किन की लोच को सुधारने तक. लेकिन ये सांस के लिए प्राकृतिक फ्रेशनर का भी काम करता है. मुंह की नमी बरकरार रहने से जुबान पर भोजन के अंश और मृत कोशिकाएं भी इकट्ठा नहीं होंगी. ये मुंह में बैक्टीरिया की वृद्धि को भी रोकेगा.


दही
दही में मौजूद बैक्टीरिया पाचन तंत्र की मदद करता है, विशेषकर दूध से बने प्रोडक्ट्स को पचाने में. उससे पाचन तंत्र स्वस्थ रहता है और सांस की बदबू के मुद्दे कम होने की संभावना रहती है. दही में प्रोबायोटिक्स पाया जाता है और ये अच्छे बैक्टीरिया होते हैं, जो आपके मुंह में खराब बैक्टीरिया की संख्या को अच्छे बैक्टीरिया में बदलने का काम करते हैं. अच्छे बैक्टीरिया की स्वस्थ संख्या स्वाभाविक रूप से आपकी सांस को ताजा करेगी.


दूध
दही के साथ दूध भी सांस की बदबू से लड़ने में मदद कर सकता है. हमें दूध में मौजूद फैट और पानी का सांस को ताजगी देने की क्षमता के लिए आभारी होना चाहिए, खासकर मुंह में जब प्यास या लहसुन की बदबू जिम्मेदार हो. सांस की बदबू दूर करने के अलावा, दूध के आश्चर्यजनक लाभी भी हैं.


ग्रीन टी
रिसर्च से साबित हुआ है कि ग्रीन में मौजूद पॉलीफिनोल प्राकृतिक रूप से सांस को ताजा करने में मदद करता है. इस सच्चाई के अलावा ये दांत में सड़न को रोकने, खास प्रकार के मुंह के कैंसर से लड़ने और वजन में कमी के प्रयास को बढ़ाने में भी भूमिका अदा कर सकता है. ग्रीन टी में एंटीऑक्सीडेंट्स सांस की बदबू के जिम्मेदार बैक्टीरिया से लड़ाई में भी मदद करते हैं.


सेब
अगर आप लहसुन खाना पसंद करते हैं, तो अपनी सांस को सुखद बनाए रखने के लिए एक सेब खाएं. ये लहसुन से सांस में पैदा होनेवाली बदबू का मुकाबला करता है. रिसर्च में बताया गया है कि जिन लोगों ने सेब खाया, उनकी सांस की बदबू 30 मिनट के अंदर स्पष्ट तौर से कम हो गई.


नोट: ये खबर रिसर्च के दावे पर है. just36News इसकी पुष्टि नहीं करता. आप किसी भी सुझाव पर अमल या इलाज शुरू करने से पहले अपने एक्सपर्ट की सलाह जरूर ले लें.
 

यकीनन यह जानने के बाद आप रोजाना खायेंगे पॉपकॉर्न

यकीनन यह जानने के बाद आप रोजाना खायेंगे पॉपकॉर्न

पॉपकॉर्न कई तरह के होते हैं। थिएटर में मूवी देखते वक्त या घर में इन्स्टैंट स्नैक्स के रूप में खूब इस्तेमाल किए जाने वाले पॉपकॉर्न्स हमारी सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं। तो चलिए जानते हैं कि वे फायदे क्या-क्या हैं....
कोलेस्ट्रॉल करे कम :-
पॉपकॉर्न में पाया जाने वाला फाइबर कोलेस्ट्रॉल को कम करता है और धमनियों को भी चौड़ा करता है। इस वजह से शरीर में रक्त प्रवाह दुरुस्त होता है और दिल पर दबाव भी कम होता है। जिससे हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा कम होता है।
कैंसर से सुरक्षा :-
पॉपकॉर्न में पॉलीफेनोलिक कंपाउंड भरपूर मात्रा में पाया जाता है जो कि एक पॉवरफुल एंटी-ऑक्सीडेंट है। यह कैंसर पैदा करने वाले फ्री रेडिकल्स से मुक्ति दिलाने का काम करता है।
मोटापा कम करे :-
पॉपकॉर्न से बहुत कम मात्रा में कैलोरी प्राप्त होती है। एक कप पॉपकॉर्न खाने से मात्र तीस कैलोरी ही मिलती है। यह आलू के चिप्स से मिलने वाली कैलोरी से 5 गुना कम होती है। इसमें मौजूद तेल भी शरीर के लिए बेहद जरूरी होता है। ऐसे में भूख लगने पर पॉपकॉर्न खाना ज्यादा सही है।
हड्डियां रखे मजबूत :-
पॉपकॉर्न में मैंगनीज काफी मात्रा में पाया जाता है। यह हड्डियों को मजबूत बनाने में कारगर है। ऐसे में पॉपकॉर्न का सेवन आगे चलकर आपको ऑस्टियोपोरोसिस, आर्थराइटिस और ओस्टिओआर्थराइटिस आदि से बचाने में मदद कर सकता है।
डॉयबिटीज के लिए सही फूड :-
पॉपकॉर्न में मौजूद फाइबर शरीर में ब्लड शुगर पर अच्छा प्रभाव डालता है। यह ब्लड शुगर और इंसुलिन को नियमित करने का काम करता है। ऐसे में डायबिटीज के रोगियों के लिए पॉपकॉर्न का सेवन बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है।

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कच्चा पपीता खाने से मिलते हैं सेहत को ये 7 फायदे

कच्चा पपीता खाने से मिलते हैं सेहत को ये 7 फायदे

अधिकांश लोग खाने के लिए कच्चा पपीता नहीं खरीदते हैं और पका पपीता ही घर लाकर खाते हैं। लेकिन जब आपको कच्चा पपीता खाने के फायदों के बारे में पता चलेगा तो आप इसे भी खरीदकर घर लाने लगेंगे और खाना शुरू कर देंगे।
आइए, जानते हैं कच्चा पपीता खाने के 7 फायदे -
1 पके पपीते की तरह ही कच्चा पपीता भी पेट के रोगों में बेहद फायदेमंद है। ये गैस, पेटदर्द और पाचन की समस्याओं में फायदेमंद है। और बेहतर पाचन तंत्र के लिए भी उपयोगी है।

2 कच्चा पपीता गठिया और जोड़ों की समस्याओं में लाभदायक होता है। इसे ग्रीन टी के साथ उबालकर बनाई गई चाय का सेवन गठिया को ठीक करने में मदद करता है।

3 कच्चा पपीता आपका वजन कम करने में बेहद मददगार साबित हो सकता है। जी हां, इसका नियमित सेवन तेजी से फैट बर्न करने में सहायक है जिससे आपका वजन जल्दी कम होता है।
4 डायबिटीज के लिए भी कच्चे पपीते के फायदे कुछ कम नहीं हैं। यह खून में शुगर की मात्रा को कंट्रोल करने में मदद करता है और आपकर डायबिटीज कंट्रोल में रहती है।

5 इसका एक बेहतरीन फायदा ये भी है कि यह यूरिन इंफेक्शन से बचाव और उसे ठीक करने में बेहद फायदेमंद है। इसका नियमित इस्तेमाल आपको कभी ये समस्या नहीं होने देगा।
6 पीलिया हो या फिर लिवर संबंधी अन्य कोई समस्या, कच्चे पपीते का सेवन आपको गजब का फायदा पहुंचाता है।

7 और तो और विटामिन ई, सी और ए के साथ ही एंटी-ऑक्सीडेंट, फीटोन्यूट्रिएंट्स और इसमें मौजूद अन्य पोषक तत्व, कैंसर से बचाव के साथ ही आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता में भी इजाफा करते हैं।
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बाल झड़ने की समस्या से हैं परेशान तो अपनाएं ये घरेलू नुस्खे

बाल झड़ने की समस्या से हैं परेशान तो अपनाएं ये घरेलू नुस्खे

बाल झड़ने की समस्या एक आम समस्या बनती जा रही है. लोग बाल झड़ने पर काफी चिंतित महसूस करते हैं. कभी कभी समय से पहले बाल झड़ने की वजह से काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. बाल झड़ने कई कई कारण होते हैं. बालों के गिरने या कमजोर होने का मुख्य कारक 1800 कैलोरी से नीचे की डायट है.
एक स्टडी के अनुसार बताया गया है कि हमारे सिर पर एक लाख से भी ज्यादा रोम छिद्र होते हैं. जिनसे बालों का गिरना और उगना जारी रहता है. वहीं देखरेख और पोषण की कमी के कारण बालों के गिरने की गति तेज हो जाती है और नए बालों का आना रुक जाता है. गंजेपन या फिर बालों के झरने के पीछे मुख्य कारण शरीर में विटामिन, प्रोटीन की कमी के साथ ही साथ बहुत अधिक तनाव, धूम्रपान, हार्मोनल असंतुलन, आनुवांशिक कारक भी हो सकते हैं. इससे बचने के लिए बाजार में कई प्रकार की दवाइयां उपलब्ध हैं जिनसे गिरते बालों को रोका जा सकता है. वहीं कई घरेलू उपचार भी हैं जिनकी मदद से हम बालों को गिरने से रोकने के साथ ही साथ उन्हें स्वस्थ भी बना सकते हैं.
नियमित रूप से करें तेल की मालिश
सिर पर की गई तेल की मालिश से भी बालों को उचित पोषण दिया जा सकता है. हफ्ते में तीन से चार दिन तक की गई तेल की मालिश बालों की जड़ों को लंबी उम्र देती है. हमें सर की मालिश करने के लिए तेल के प्रकार को काफी सावधानी से चुनना चाहिए. सर की मालिश करने के लिए हमें सरसों और बादाम तेल को प्राथमिकता देनी चाहिए.

खानपान का रखें खास ख्याल
खाने में प्रोटीन की मात्रा को अधिक रखें. बालों के निर्माण में प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है इसीलिए सही खानपान की मदद से प्रोटीन वाली चीजों को खाने में ज्यादा से ज्यादा शामिल करना चाहिए. ओमेगा 3 फैटी एसिड वाली चीजों को खाने में जरूर लें. इसको खाने से बालों की चमक और नमी दोनों बढ़ती है. ओमेगा 3 फैटी एसिड वाली चीजों जैसे सोयाबीन, कैनोला ऑयल, फ्लैक्स सीड्स और चिया सीड्स जैसी चीजों का सेवन फायदेमंद होगा.

बालों में लगाएं प्याज का रस
गंजेपन या बालों को झरने से बचाने के लिए प्याज का रस सबसे असरदार कारक है. प्याज के रस में सल्फर का मात्रा काफी अधिक होती है जिसके कारण बालों के रोम छिद्रों के लिए ब्लड सर्कुलेशन तेज करता है. इसके कारण बालों का झड़ना कम हो जाता है. इसके साथ ही प्याज के रस में जीवाणुरोधी गुण होते हैं जो सर को किसी भी तरह के इंफेक्शन से बचाते हैं.

एप्पल पल्प और नारियल पानी भी फायदेमंद
बाल झड़ने की प्रॉब्लम के लिए आप एप्पल पल्प और नारियल पानी का ये नुस्का् भी अपना सकते हैं. जो किसी नेचुरल हेयर बूस्टक सीरम की तरह काम करता है और बालों की ग्रोथ में भी कारगर है. साथ ही साथ अगर आप बालों के झड़ने से परेशान हैं, तो कद्दू के बीजों का तेल भी ट्राई कर सकते हैं. - लगभग 100 या 150 ग्राम कद्दू के बीजों का पाउडर बनाएं और उसे रोज अपने बालों पर लगाएं.


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कई बीमारियों को जड़ से खत्म करने की औषधि है अश्वगंधा, जानिए आयुर्वेद के अनुसार इसके गुण

कई बीमारियों को जड़ से खत्म करने की औषधि है अश्वगंधा, जानिए आयुर्वेद के अनुसार इसके गुण

अश्वगंधा को आयुर्वेद में अहम स्थान दिया गया है, इसे एक ऐसा चमत्कारी पौधा माना गया है जो कई तरह की बीमारियों को दूर करने में सक्षम है।

आइए, जानते हैं आयुर्वेद के अनुसार अश्वगंधा के गुण –
1 अश्वगंधा एक चमत्कारी हर्ब है। इसे आयुर्वेद में अहम स्थान प्राप्त है। इसकी जड़ों और पत्तियों से दवा बनाई जाती है।

2 तनाव, चिंता, थकावट, नींद की कमी जैसी कई सेहत समस्यों का इलाज अश्वगंधा से किया जा सकता है। यह स्ट्रेस हार्मोन यानी कि कॉर्टिसोल के स्तर को कम करने में सहायक होता है।
3 अगर कोई डिप्रेशन से पीड़ित हो, तो उसका इलाज भी अश्वगंधा से संभव है।

4 इसमे कई एंटी इंफ्लामेट्री और एंटी बैक्टीरियल गुण होते है जिस वजह से ये इंफेक्शन से बचाने में मदद करता है, साथ ही हृदय को स्वस्थ रखने में भी मददगार होता है।
5 अश्वगंधा कैंसर के मरीजों के लिए भी फायदेमंद है। एक रिसर्च के अनुसार ये कीमोथेरेपी से होने वाले बुरे प्रभाव को कम करने में सहायक होता है।

6 माना जाता है कि इसकी जड़ों को पीसकर घाव पर लगाने से घाव जल्दी भर जाता है। साथ ही ये रोग प्रतिरोधक क्षमता भी मजबूत करता है।

7 माना जाता है कि त्वचा के रोगों को दूर करने, झुर्रियों को कम करने और चर्म रोग को ठीक करने में भी ये सहायक होता है।


नोट : अगर आपकी अन्य दवाएं चल रही हो या आप गर्भवती हो तो इसका सेवन नहीं करना चाहिए। डॉक्टर की सलाह के बाद ही इसका सेवन करें।

 

अगर आप भी ज्यादा इस्तेमाल करते है ईयरफोन या हेडफोन तो जानिये उसके नुकसान

अगर आप भी ज्यादा इस्तेमाल करते है ईयरफोन या हेडफोन तो जानिये उसके नुकसान

हम में से अधिकतर लोग गाने सुनने के लिए हेडफोन्स या ईयरफोन्स इस्तेमाल करना पसंद करते हैं। हालांकि ईयरफोन्स और हेडफोन्स के नुकसान को लेकर भी कई रिसर्च सामने आ चुकी है, लेकिन क्या आप जानते हैं ईयरफोन का इस्तेमाल करना ज्यादा खतरनाक होता है या हेडफोन्स का इस्तेमाल करना।
हालांकि हेडफोंस और ईयरफोंस दोनो आपकी सेहत को कुछ नुकसान पहुंचाते हैं। ईयरफोंस छोटे होते हैं और कानों में आसानी से फिट हो जाते हैं, लेकिन इससे बाहर की आवाज रुकती नहीं है। एक रिसर्च में सामने आया है कि आप बाहर की आवाज को दबाने के लिए इसकी आवाज तेज करते हैं जो कि आपके लिए खतरनाक है। अगर आवाज के अनुसार देखें तो हेडफोंस आपकी सेहत के अनुसार ठीक होते हैं, क्योंकि यह बाहर के साउंड को आसानी से रोक लेते हैं।
वहीं ईयरफोन उस वक्त ज्यादा नुकसान करते हैं जब आप ज्यादा समय तक ईयरफोन का इस्तेमाल करते हैं। एक साथ 60 मिनट से अधिक गाना सुनना आपके लिए नुकसानदायक हो सकता है, लेकिन अगर आवाज धीरे है तो आप थोड़े ज्यादा समय तक गाने सुन सकते हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि 85 डीबी से अधिक आवाज आपके कानों के लिए खतरनाक होती है।
जहां एक ओर ईयरफोन की तेज आवाज को लेकर सवाल उठाए जाते हैं, वैसे ही हेडफोन्स में ईयर इंफेक्शन की बात कही जाती है। कई लोगों को मानना है कि हेडफोन्स पूरे कान में गर्मी पैदा कर देते हैं, जिससे बैक्टीरिया की वजह से ईयर इंफेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है, लेकिए एक रिसर्च में सामने आया है कि हेडफोंस से इंफेक्शन होने का खतरा नहीं होता है।
 

राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा मिशन इंद्रधनुष (आईएमआई) 3.0 की शुरूआत

राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा मिशन इंद्रधनुष (आईएमआई) 3.0 की शुरूआत

विभिन्न राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा तीव्र मिशन इंद्रधनुष (आईएमआई) 3.0 की शुरूआत कर दिया गया है,जिसका उद्देश्य उन बच्चों और गर्भवती महिलाओं तक पहुंचने का है जो नियमित टीकाकरण कार्यक्रम से वंचित या छूट गए हैं। इसका उद्देश्य मिशन मोड में हस्तक्षेप के माध्यम से बच्चों और गर्भवती महिलाओं के पूर्ण टीकाकरण में तेजी लाना है। पहला चरण 22 फरवरी 2021 से 15 दिनों के लिए शुरू किया गया है। केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने 19 फरवरी2021 को इस अभियान की शुरुआत की और राज्यों और जिलों के अधिकारियों से प्रत्येक बच्चे तक पहुंचने और पूर्ण टीकाकरण लक्ष्य प्राप्त करने का आग्रह किया। इस अभियान में राज्य स्तर पर शीर्ष नेतृत्व द्वारा टीकाकरण कार्यक्रम के स्वामित्व की छूट भी दी गई है। उत्तर प्रदेश में इस अभियान का उद्घाटन मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ ने 21 फरवरी 2021 को किया था। राजस्थान में 22 फरवरी 2021 को इस अभियान का शुरुआत स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने की। मध्य प्रदेश में स्वास्थ्य मंत्री डॉ. प्रभु राम चौधरी ने 22 फरवरी 2021 को भोपाल में आयोजित एक समारोह में इस कार्यक्रम की शुरुआत की। 

जोरहाट  जिले में टीकाकरण

15 दिनों (नियमित टीकाकरण और छुट्टियों को छोड़कर) तक चलने वाले इस अभियान में टीकाकरण के दो दौर निर्धारित किए गए हैं। यह देश के 29 राज्यों/केंद्र्रशासित प्रदेशों में पूर्व चिन्हित 250 जिलों/शहरी क्षेत्रों में चलाया जा रहा है। कोविड-19 के दौरान टीके की खुराक से वंचित रह गए बाहरी प्रदेशों के लाभार्थियों और जिन क्षेत्रों तक पहुंचने में परेशानी हुई,उन तक पहुंचने का लक्ष्य रखा गया है। आईएमआई 3.0 के लिए जारी दिशानिर्देशों के अनुसार जिलों को कम जोखिम वाले 313,मध्यम जोखिम वाले 152 और सबसे ज्यादा जोखिम वाले 250 जिलों में वर्गीकृत किया गया है।

टीकाकरण गतिविधियों के दौरान कोविड से बचाव संबंधी नियमों (सीएबी) की पालन पर जोर दिया गया है। इसके लिए राज्यों से सत्र स्थलों पर भीड़ से बचने के लिए प्रभावी दृष्टिकोण अपनाने और अगर भीड़ से बचने के तरीके प्रभावी नहीं हैं,ऐसे में उन सत्रों का अलग विवरण तैयार करने की योजना बनाने को भी कहा गया है। टीकाकरण सत्र की योजना इस तरह से भी बनाई गई है कि एक समय में 10 से अधिक लाभार्थी सत्र स्थल पर मौजूद न हों।

आईएमआई 3.0 के पहले चरण के दौरान अभियान में उन बच्चों और गर्भवती महिलाओं को केंद्र में रखा जा रहा है,जो कोविड महामारी के कारण टीके की खुराक लेने से चूक गए।  22 फरवरी को शाम 5 बजे तक के आंकड़ों अनुसार लगभग 29,000 बच्चों और 5,000 गर्भवती महिलाओं को टीका लग चुका था (आंकड़े अनंतिम)।

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा प्रायोजित आईएमआई 3.0 अभियान को प्रमुख विभागों के सहयोग के साथ इसमें भाग लेने वाले लोगों,नागरिक समाज संगठनों,युवा समूहों और विभिन्न समुदायों के सदस्यों के मजबूत नेटवर्क के माध्यम से मिशन मोड में लागू किया जाएगा। इसे कोविड-19 महामारी के कारण टीकाकरण में आई कमी को पूरा करने के अवसर के रूप में लिया जाएगा। 

अगर आपको भी है एसिडिटी की समस्या, इन फूड्स का करें इस्तेमाल जल्द मिलेगी राहत

अगर आपको भी है एसिडिटी की समस्या, इन फूड्स का करें इस्तेमाल जल्द मिलेगी राहत

आपके पेट में जलन, गैस, ब्लोटिंग और एसिडिटी जैसी समस्याएं होना आम बता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कुछ ऐसी चीजें हैं जो आसानी से आपकी एसिडिटी की समस्या को दूर कर सकती है. चलिए जानते हैं कुछ ऐसे ही सुपरफूड्स के बारे में जो एसिडिटी को कर देंगे छूमंतर.


केला- एसिड से बचने के लिए बनाना बेस्ट एंटी डोट है. पोटैशियम से भरपूर केला बॉडी का पीएच लेवल लो करता है. हाई फाइबर से भरपूर केले को खाने से ना सिर्फ आप एसिडिटी से बच सकते हैं बल्कि से आपको फिट रखने में भी मदद करता है.


खरबूजा- तरबूजा, खरबूजा सभी पानी, फाइबर और एंटी ऑक्सीडेंट से भरपूर होते हैं. जो कि एसिडिटी से बचाते हैं और पेट की चिपचिपाहट को मेंटेन करते हैं. ये बॉडी को हाइड्रेट करने से लेकर पीएच लेवल भी बैलेंस करते हैं.


सेब और पपीता- फाइबर से भरपूर सेब और पपीते खाने से भी एसिडिटी से बच सकते हैं.


नारियल पानी- ये रिफ्रेशिंग नैचुरल ड्रिंक टॉक्सिंस को बॉडी से फ्लश करने में मदद करता है. फाइबर कंटेट से भरपूर कोकोनट वाटर बाउल मोमेंट को ठीक रखता है.


ठंडा दूध- ठंडा दूध पीने से भी एसिडिटी की समस्या को दूर किया जा सकता है. दूध पेट में मौजूद एसिड को एब्जॉर्व कर लेता है. इसके साथ गैस्ट्रिक सिस्टम में होने वाली जलन को भी कम करता है. जब भी हार्ट बर्न हो या पेट में जलन लगे तो बिना चीनी का ठंडा दूध पीएं.


ठंडा दही और बटर मिल्क- ठंडा दही और बटर मिल्क पीने का भी फायदा होता है. ये डायजेस्टिव सिस्टम को हेल्दी रखता है. इसके साथ ही इसके सेवन से एसिडिटी की समस्या भी दूर हो जाती है.

नोट: ये खबर रिसर्च के दावे पर है. just36News इसकी पुष्टि नहीं करता. आप किसी भी सुझाव पर अमल या इलाज शुरू करने से पहले अपने एक्सपर्ट की सलाह जरूर ले लें.