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बालको मेडिकल सेंटर के विशेषज्ञ ने बताया कोरोना वायरस से बचाव के उपाए साथ ही सोशल मीडिया की अफवाहो से बचने की दी सलाह

बालको मेडिकल सेंटर के विशेषज्ञ ने बताया कोरोना वायरस से बचाव के उपाए साथ ही सोशल मीडिया की अफवाहो से बचने की दी सलाह

रायपुर,विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना वायरस (COVID-19) को विश्वव्यापी (पेन डेमिक) बीमारी घोषित कर दिया है, जिसका कारण इस बीमारी का तेज़ी से फैलना है। पर एक चीज़,जो कोरोना वायरस से भी तेज फैल रही है, वो है इससे जुड़ी अफवाहे और भ्रांतिया. आज ऐसी ही कुछ भ्रांतियों के बारे में डॉ अनिमेष चौधरी जी ने बताया कि
1. कोरोना मतलब मृत्यु- 2019 के कोरोना वायरस पीड़ितों की संख्या बहुत ज्यादा है, पर उनमे से अधिकतर को मात्र सामान्य लक्षण ही पाए गए थे, 50% से ज्यादा लोग अब पूरी तरह स्वस्थ हो गए है. इसके अलावा पहले से बीमार, बुजुर्ग या छोटे बच्चों को गंभीर बीमारी का खतरा ज्यादा है, पहले से स्वस्थ और युवाओं में कोरोना के कारण अधिकतर सामान्य फ्लू ही देखा जा रहा है.
2. खूब पानी पीना, विटामिन सी, प्याज या लहसुन कोरोना का उपचार है- विटामिन सी, लहसुन और पानी का सेवन आपके शरीर के लिए अच्छी चीज है, पर इनसे कोरोना वायरस के ठीक होने के कोई प्रमाण नही है.
3. अगर आपको 10 सेकंड तक सांस रोकने में दिक्कत है तो आपको कोरोना है- ये पूरी तरह गलत तथ्य है. कोरोना वायरस के लक्षणों में सामान्य सर्दी खांसी से लेकर सांस लेने में दिक्कते शामिल है, पर इनमे से कोई भी लक्षण सिर्फ कोरोना वायरस के लिए विशिष्ट नही है. किसी भी सांस की बीमारी में ऐसा हो सकता है और इसके विपरीत बहुत से कोरोना के मरीज़ों को सांस लेने में कोई दिक्कत नही भी हो सकती .
4. गौ मूत्र और गोबर में कोरोना का इलाज है- अभी तक इस बात के कोई प्रमाण नही मिले है. किसी भी व्यक्ति या पशु के मूत्र एक उत्सर्जित पदार्थ होता है, जिनमे शरीर से निकले हुए बहुत से मलित पदार्थ होते है, जो शरीर को नुकसान भी पहुचा सकते है
5. इससे बचने के लिए सभी को मास्क पहनना पड़ेगा- सभी को मास्क पहनने की कोई जरूरत नही है, केवल जो बीमार है या जो बीमारों की सेवा कर रहे है, उन्हें मास्क पहनने की जरूरत है.अपितु गलत तरीके से पहना गया मास्क या बार बार एक ही मास्क पहनना आपके इन्फेक्शन के रिस्क को बढ़ा सकता है
6.रुमाल या कपड़े को दो परत कर के मास्क बनाया जा सकता है- ऐसा मास्क आपको धूल मिट्टी से बचा सजता है, पर वायरस से नही बचाएगा. इसके लिए काम से कम तीन स्तरिय (थ्री प्लाई) मास्क पहनना चाहिए, जिसकी एक परत जल प्रतिरोधक होती है. घरेलू मास्क आपकी सुरक्षा नही करेंगे.
7. आफ्टर शेव लोशन में पानी मिलाने से घरेलू सेनिटाइजर बना सकते है- नही, विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों के अनुसार एक असरकारी हैंड सेनिटाइजर में अल्कोहल का प्रतिशत कम से कम 60% होना चाहिए. वर्तमान में बहुत से आफ्टर सेव लोशन बिना अल्कोहल के आते है, या उनमे अल्कोहल की मात्रा बहुत कम होती है, उसमे भी पानी मिला देने से वो असरकारी नही रहेंगे. घरेलू उपयोग के लिए सेनिटाइजर बनाना आसान तो है, पर इतना भी नही। विश्व स्वास्थ्य संगठन की वेबसाइट में इसके बहुत सी विधियां बताई गई है जिसे आप देख सकते है.
वैसे भी जहा तक संभव हो साबुन से हाथ धोना सबसे असरदार उपाय है.
8. कोरोना सेंट्रिलिजेड एयर कूलिंग सिस्टम से फैलता है- अभी तक इस बात के कोई प्रमाण नही है, बहुत कम ऐसे पैथोजन है, जो इस तरीके से फैल सकते है, कोरोना वायरस के बारे में अभी ऐसा कोई प्रमाण नही है.

उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस के प्रकोप से आप थोड़ी सी सावधानी से बच सकते है, पर ऐसी भ्रांतियों न केवल आपके बचाव को कमजोर कर देती है, बल्कि आपको और आपके आस पास वाले के बीमार पड़ने की संभावना भी बढ़ा देते है, क्योंकि आप इन अवैज्ञानिक सावधानियों को असरकारक समझ कर कही न कही लापरवाह हो जाते है. सावधानियां जरूरी है, और उससे भी ज्यादा जरूरी है उनका वैज्ञानिक और प्रामाणिक होना. कोरोब से डरे नही, पर सतर्क रहें.. स्वस्थ रहे, मस्त रहे .
 

रंग खेलने से पहले अपनाएं ये टिप्स, नहीं होगा त्वचा और बालों को नुकसान

रंग खेलने से पहले अपनाएं ये टिप्स, नहीं होगा त्वचा और बालों को नुकसान

होली खेलने में जितना मजा आता है, उतनी ही दिक्कत होती है होली के बाद रंग छुड़ाने में। जिन लोगों को रंग खेलना बहुत पसंद होता है, वे अक्सर ऐसे तरीके खोजने में लगे रहते हैं, जिससे स्किन पर रंग ज्यादा दिनों तक ना टिका रहे और त्वचा को होनेवाले उस नुकसान से बचाया जा सके, जो रंगों में मिले कैमिकल्स की वजह से होता है।

आइए, यहां जानते हैं उन आसान और मजेदार टिप्स के बारे में जो होली रंग त्वचा से चुटकियों में साफ कर सकते हैं...
सरसों और नारियल तेल
ऑफिस और स्कूल्स में छुट्टियां होने लगी हैं, जाहिर है सभी लोग होली का त्योहार मनाने के लिए तैयारी में जुट रहे हैं। तो रंग खरीदते वक्त आप सरसों तेल, नारियल तेल और वैसलीन का छोटा पैक भी खरीद लीजिए। होली वाले दिन रंग खेलने से पहले अपने पूरे शरीर पर सरसों तेल की मालिश कर लीजिए। तेल थोड़ा अधिक और रंगड़कर लगाएं। ताकि त्वचा सोख सके और तेल स्किन पर टिका भी रह सके।
बालों की देखभाल
सरसों तेल से बालों में भी अच्छी तरह मसाज करें। तेल बालों में और सिर की त्वचा पर बहुत अच्छी तरह लगा होना चाहिए। ताकि रंग आपके बालों को डैमेज ना कर सके। साथ ही रंग खेलने के बाद जब आप शैंपू करें तो आपके बालों का नैचरल ऑइल और मॉइश्चराइजिंग डिसबैलंस ना हो।
ऐसे लगाएं नारियल तेल
नारियल तेल आपको तब लगाना है, जब आप होली खेलने के बाद नहा लें। नहाने के पश्चात आप स्किन पर कोई और मॉइश्चराइजर लगाने की जगह नारियल का तेल लगाएं। यह तेल सिर और पूरे शरीर पर लगाएं। इससे आपकी स्किन को जरूरी पोषण मिलेगा। त्वचा पर बाकी बचा रह गया रंग अगली बार नहाते समय निकालने में आसानी होगी। साथ ही किसी तरह की एलर्जी और इंफेक्शन आपको परेशान नहीं कर पाएगा। क्योंकि नारियल तेल ऐंटीफंगल और ऐंटिबैक्टीरियल होता है।
नेल्स की देखभाल
रंग खेलने के दौरान हमारे हाथ और पैर दोनों के ही नाखूनों में रंग भर जाता है। जिन लोगों की स्किन सेंसेटिव होती है, उन्हें नेल्स के आस-पास की स्किन में जलन या खुजली की दिक्कत भी हो जाती है। इससे बचने के लिए अपने नाखूनों और क्यूटिकल्स यानी नाखूनों के तीनों तरफ की त्वचा पर अच्छी तरह से वैसलीन लगा लें। इससे आपकी क्यूटिकल्स में फंसे रंग को निकालने में आसानी होगी और रंग सीधे स्किन को डैमेज भी नहीं कर पाएगा।
लिप और आई केयर ऐसे करें
होठों, आखों और चेहरे की देखभाल के लिए आप होठों पर वैसलीन पैट्रोलियम जेली, लगा लें। चेहरे पर किसी भी तरह के तेल का उपयोग करने से बचें। चेहरे और गर्दन पर पहले मॉइश्चराइजर लगाएं और उसके बाद पैट्रोलियम जैली। इससे आपकी स्किन रंगों से होनेवाले खतरे से पूरी तरह प्रोटैक्ट रहेगी।
नहाते समय अपनाएं ये टिप्स
-रंग खेलने के बाद नहाते समय बालों पर दो बार शैंपू अप्लाई करें। इससे बालों में फंसा रंग भी अच्छी तरह साफ हो पाएगा और आपने जो अतिरिक्त सरसों का तेल लगाया है, वह भी क्लीन हो जाएगा।
-बालों में लगा सरसों का तेल अधिक शैंपू यूज करने से होनेवाले नुकसान और ड्राइनेस से बालों को प्रोटैक्ट करेगा। साथ ही रंग को अधिक समय तक बालों और सिर की स्किन पर टिकने नहीं देगा।
- शैंपू करने के बाद कंडीशनर का उपयोग जरूर करें। इससे बालों को पोषण मिलेगा और उन्हें कैमिकल रंगों के कारण होनेवाली किसी भी तरह की इजिंग, बर्निंग या रैशेज से खुद को प्रोटैक्ट करने में मदद मिलेगी।
-नहाते समय शरीर पर ऐंटिबैक्टीरियल सोप का उपयोग करें। अगर आप अपने डेली ब्यूटी सोप से नहा रहे हैं तो ध्यान रखें कि आपको यह सोप दो बार अपनी बॉडी पर लगाना है। ताकि स्किन पोर्स में फंसा रंग बाहर निकल सके।
- नहाते समय हाथ और पैर के नाखून साफ करने के लिए पैडिक्यॉर ब्रश का उपयोग करें। अगर आपके पास यह ब्रश नहीं है तो किसी पुराने लेकिन साफ टूथब्रश से अपने नाखूनों और आस-पास के क्यूटिकल एरिया में फंसे रंग को साफ करें।
- नारियल तेल वॉशरूम में साथ लेकर जाएं और शॉवर के तुरंत बाद स्किन पोंछकर पूरी बॉडी पर इसे लगा लें। ऐसा इसलिए क्योंक नहाने के बाद हमारी स्किन काफी सॉफ्ट होती है। ऐसे में उसे मॉइश्चराइज करने का अधिक लाभ मिलता है। त्वचा को अच्छी तरह पोषण मिल पाता है।

 

होली में शरीर को रंगों से सुरक्षित रखने के ये आसन उपाए

होली में शरीर को रंगों से सुरक्षित रखने के ये आसन उपाए

1. तेल लगाकर खेलें होली : होली खेलने से पहले खासतौर पर अपने हाथ-पैर, चेहरे, बालों और शरीर पर अच्छे से नारियल या सरसों का तेल या कोई लोशन लगा लें। यदि आपने ऐसा किया है तो होली के रंग छुड़ाने में आसानी होगी।
2. रंग छुड़ाने से पहले गीले शरीर को सुखने दें फिर सबसे पहले कपड़ों और सिर से जितना सूखा रंग झाड़ सकते हैं, निकाल दें। उसके बाद सूखे, मुलायम कपड़े से रंग साफ कर लें। इसके बाद ही नहाएं।
3. मुलतानी मिट्टी, बेसन या आटे में नींबू का रस डालकर मिला लें और उसे संपूर्ण शरीर पर अच्छे से मल लें। सुखने के बाद उसे धीरे धीरे रगड़ कर निकालें। इससे अधिकतर रंग आसानी से निकल जाएगा।
4. मूली का रस निकालकर उसमें दूध व बेसन मिलाकर पेस्ट बनाएं और उसे संपूर्ण शरीर पर अच्छे से मल लें। सुखने के बाद उसे धीरे धीरे रगड़ कर निकालें। इससे अधिकतर रंग आसानी से निकल जाएगा।
5.स्पंज से नहाएं : नहाते वक्त कुछ लोग डिटर्जेंट का उपयोग करते हैं जो कि गलत है। आप किसी अच्छे साबून का प्रयोग करें। पहले संपूर्ण शरीर पर अच्छे से साबून लगा लें फिर उसे हल्के हल्के स्पंज के बड़े-बड़े टुकड़ों से रगड़े। यदि प्राकृतिक रंग होगा तो जल्दी से निकल जाएगा लेकिन यदि केमिकल रंग होगा तो देर लगेगी। केमिकल रंगों को जबरन निकालने का प्रयास ना करें। वह वक्त के साथ खुद ब खुद ही निकल जाएंगे। जबरन निकालने में त्वचा को नुकसान पहुंचेगा।
 

अगर आपको होली पर भांग का नशा चढ़ गया है जल्द राहत पाना है तो करे ये उपाए

अगर आपको होली पर भांग का नशा चढ़ गया है जल्द राहत पाना है तो करे ये उपाए

होली में जो लोग भांग पीते हैं और कुछ ज्यादा ही पी जाते हैं तो कैसे उसका नशा चुटकियों में उतारें
ऐसे उतारे भांग का नशा
1.यदि आपने ज्यादा भांग नहीं पी है तो भुने हुए चने खाने से उसका नशा उतर जाएगा। बस यह ध्यान रखें की कोई भी मीठे पदार्थ का सेवन ना करें।
2.यदि ज्यादा चढ़ गई है तो अरहर की कच्ची दाल को पीसकर उसको पानी में घोल लें और उसका सेवन करें।
3. भांग उतारने के लिए खटाई का सेवन करना सबसे बेहतर तरीका है। इसके लिए आप संतरे, नींबू, छाछ, दही या फिर इमली का पना बनाकर उसका सेवन कर सकते हैं।
4. इसके अलावा सरसों का तेल हल्का गुनगुना करके संबंधित व्यक्ति के कान में डाल दें। एक-दो बूंद सरसों का तेल दोनों कानों में डालें। बेशक इन तरीकों से भांग का नशा उतर जाएगा।
5. कई लोग घी के सेवन को भी भांग के इलाज के तौर पर प्रयोग करते हैं। इसके लिए शुद्ध देशी घी का अत्यधिक मात्रा में सेवन करना बेहद जरूरी है, ताकि भांग का नशा उतरने में आसानी हो।
 

होली की मस्ती न पड़े भारी, इसलिये ऐसे रखें बच्चों की सेफ्टी का ख्याल

होली की मस्ती न पड़े भारी, इसलिये ऐसे रखें बच्चों की सेफ्टी का ख्याल

होली का दिन उत्साह और मौज मस्ती से भरा होता है। इस दिन बड़ों से ज्यादा छोटे बच्चे उत्साहित दिखते हैं। रंग बिरंगी पिचकारियों के साथ जब वह उधम-चौकड़ी मचाते हैं तो मां-बाप का दिल थोड़ा सा बेचैन हो जाता है। मौज मस्ती के चक्कर में कहीं बच्चों के साथ पैरेंट्स की भी होली फीकी न पड़ जाए इसके लिये कुछ बातों का ख्याल जरूर रखें। आपकी जरा सी भी लापरवाही आपके बच्चों पर भारी पड़ सकती है। होली के दौरान माता पिता बच्चों को लेकर किस तरह की सावधानी बरतें जानें यहां...
अपने बच्चे पर नजर रखें
इस बात का हमेशा ख्याल रखें कि जब भी आपका बच्चा रंग या पानी से होली खेले तो घर का कोई न कोई बड़ा उसके आस पास रहे। खासकर तब जब वहां पर पानी से भरा कोई ड्रम या टब मौजूद हो। बच्चा अपनी पिचकारी में पानी भरने के लिये जब झुकेगा तब टब या ड्रम में गिर सकता है। इसलिए, हमेशा अपने बच्चे के करीब रहें। इससे उन दुर्घटनाओं को रोकने में मदद मिलेगी जो अन्यथा प्रबल हो सकती हैं।
इको-फ्रेंडली कलर्स का इस्तेमाल करें
बच्चे के लिये हमेशा प्राकृतिक रंगों का ही चयन करें। आप हल्दी, चंदन, मेंहदी आदि का उपयोग करके घर पर हर्बल रंग बना सकते हैं। कैमिकल रंगों का उपयोग करने से बचें जिनमें हानिकारक रसायन होते हैं। ये बच्चों में स्किन एलर्जी या रैश का कारण बन सकते हैं। ऐसे रंग धोने में भी काफी आसान होते हैं और त्वचा को कोई नुकसान नहीं पहुंचाते।
पिचकारियों का सेफली यूज करें
अपने बच्चे को इस तरह से पिचकारियों का इस्तेमाल करने की सलाह दें जिससे दूसरों को कोई नुकसान न हो। उसे अन्य बच्चों की आंखों-कानों तथा चेहरे पर पानी डालने से मना करें।
वाटर बैलून से बचें
माना कि गुब्बारे के साथ खेलने में मजा आता है लेकिन यह उस व्यक्ति को चोट पहुंचा सकता है जिस पर गुब्बारा फेंका जा रहा है। जिस प्रभाव के साथ यह उन पर पड़ता है, वह त्वचा, आंखों या कानों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है
रंगों को बच्चे के मुंह से रखें दूर
छोटे बच्चे अक्सर चीजों को अपने मुंह में डाल कर टेस्ट करना चाहते हैं। लेकिन बच्चों को अपने मुंह में रंग न डालना सिखाएं। इन रंगों में हानिकारक रसायन होते हैं, जिनका सेवन करने पर उल्टी या फिर मौत भी हो सकती है।
सही तरह के कपड़े पहनाएं
सुनिश्चित करें कि आपका बच्चा ऐसे कपड़े पहन कर होली खेलने जाए जिसमें उसके हाथ पैर पूरी तरह से कवर किये हों। यह बात लड़के और लड़कियों दोनों के लिये है। यह मुख्य रूप से त्वचा के साथ सीधे रंगों के संपर्क से बचने के लिए है।
बच्चों को घर के बाहर न भेजें
होली के मौके पर सड़कों पर काफी हुड़दंग मचा रहता है। अगर बच्चा अपने किसी फ्रेंड के घर पर जा कर होली खेलने की जिद कर रहा है तो आप भी उसके साथ जाएं। मगर उसे अकेले घर के बाहर छोडऩा बिल्कुल भी सही नहीं है। यदि आप घर पर होली खेलने का प्लान बना रहे हैं तो केवल उन्हीं को बुलाएं जिस पर आपको भरोसा हो। क्योंकि रंगों की आड़ में कुछ लोग गलत भी करते हैं।
 

कोरोनॉ वायरस का बचाव होमियोपैथी से संभव :डॉ उत्कर्ष त्रिवेदी

कोरोनॉ वायरस का बचाव होमियोपैथी से संभव :डॉ उत्कर्ष त्रिवेदी

कोरोना वायरस (सीओवी) का संबंध वायरस के ऐसे परिवार से है, जिसके संक्रमण से जुकाम से लेकर सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्या हो सकती है. इस वायरस को पहले कभी नहीं देखा गया है. इस वायरस का संक्रमण दिसंबर में चीन के वुहान में शुरू हुआ था. डब्लूएचओ के मुताबिक, बुखार, खांसी, सांस लेने में तकलीफ इसके लक्षण हैं. अब तक इस वायरस को फैलने से रोकना वाला कोई टीका नहीं है.

 क्या हैं इस बीमारी के लक्षण?

इसके संक्रमण के फलस्वरूप बुखार, जुकाम, सांस लेने में तकलीफ, नाक बहना और गले में खराश जैसी समस्या उत्पन्न होती हैं. यह वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है. इसलिए इसे लेकर बहुत सावधानी बरती जा रही है. यह वायरस दिसंबर में सबसे पहले चीन में पकड़ में आया था. इसके दूसरे देशों में पहुंच जाने की आशंका जताई जा रही है.

 क्या हैं इससे बचाव के उपाय?

कोरोना वायरस से बचने के लिए,

हाथों को साबुन से धोना चाहिए.

अल्‍कोहल आधारित हैंड रब का इस्‍तेमाल भी किया जा सकता है. खांसते और छीकते समय नाक और मुंह रूमाल या टिश्‍यू पेपर से ढककर रखें.

जिन व्‍यक्तियों में कोल्‍ड और फ्लू के लक्षण हों उनसे दूरी बनाकर रखें.

अंडे और मांस के सेवन से बचें.

जंगली जानवरों के संपर्क में आने से बचें.

 होमियोपैथिक उपचार

डॉ उत्कर्ष त्रिवेदी के अनुसार

होमियोपैथी उपचार पूर्ण रूप से लक्षण पर आधारित होती है किसी भी  बीमारियों के लक्षणों को मिलान कर चुनी हुई होमियोपैथी दवाइया देने से मरीज की उस बीमारी से लड़ने की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है, जिससे उसे तत्काल लाभ मिलता है नीचे दी हुई दवाइय का उपयोग लक्षण मिलान कर दिया जा सकता है

 होम्योपथिक दवाएं

होम्योपथी में रोग के नाम से कोई दवा नहीं होती है, रोगी के लक्षण के अनुसार चिकित्सकीय सलाह के बाद ये दवायें दे सकते हैं।

 

1)  आर्सेनिक एल्बम 30 /200यह दवा रोग के शुरुआत में उपयोगी है। मांस खाने के कारण होने वाले रोग, सांस लेने में तकलीफ, नाक से पतला पानी जैसा बहे, आंखों में जलन हो, तेज ज्वर के साथ बेचैनी, कमजोरी लगे, बुखार कभी ठीक हो जाता है। कभी फिर से हो जाता है। बहुत तेज प्यास लगती है। (यह दवा रात को नहीं खाएं)

 

2)  एकोनाएट (Aconite)30अचानक से और तीव्र गति से होने वाला बुखार, जिसमें बहुत ज्यादा शारीरिक व मानसिक बेचैनी होती है। बहुत ज्यादा छीकें आना, आँखें लाल सूजी हुई, गले में दर्द व जलन। (इस दवा को रात कोनहीं खाएं)

 

3)  नक्स -वोमिका रोगी को बहुत ठण्ड लगती है। कितनी भी गर्मी पहुंचाई जाए ठण्ड नहीं जाती है, शरीर में दर्द, सर्दी जुकाम, दिन में नाक से पानी बहता है और रात को नाक बंद हो जाती है, खांसी के साथ छाती में दबाव, सांस लेने में तकलीफ, खांसी के कारण सिरदर्द, आँखों से पानी गिरना।

4) जेल्सिमियम( Gelsemium) सारे शरीर में दर्द रहता है। रोगी नींद जैसी हालत में पड़ा रहता है, सिरदर्द, खांसी, जुकाम, आँखों में दर्द, सिर के पिछले भाग में दर्द, सिरदर्द के साथ गर्दन व कंधे में दर्द, छींकें, गले में निगलने में दर्द, बुखार में बहुत ज्यादा कांपता है, प्यास बिलकुल नहीं लगती है, चक्कर आते हैं।

5) ब्रायोनिया  प्यास बहुत ज्यादा लगती है, सारे शरीर के मसल्स में दर्द जो कि हिलने-डुलने से बढ़ता है और आराम करने से ठीक होता है। सिरदर्द के साथ पसलियों में दर्द, सूखी खांसी, उल्टी के साथ छाती में दर्द, चिड़चिड़ा होता है, गले में दर्द होता है, बलगम रक्त के रंग का होता है।

 

 

6)  बेपटीसिया धीमा बुखार, मसल्स में बहुत ज्यादा दर्द, सांस, पेशाब, पसीना आदि सभी स्त्राव से बहुत ज्यादा दुर्गन्ध आती है। महामारी के रूप में फैलने वाला इन्फ़्लुएन्ज़ा। लगता है कि शरीर टूट गया है, बड़बड़ाता है, बात करते-करते सो जाता है, मुहं में कड़वा स्वाद, गले में खराश, दम घुट जाने जैसा लगे, कमजोरी बहुत ज्यादा लगे।

 

7) सेबेडिला  सर्दी जुकाम, चक्कर बहुत ज्यादा छींकें, नींद नहीं आती है, आँखें लाल व जलन करती हैं, नाक से पतला बहता पानी, सर्दी के कारण सुनने में तकलीफ, गले में बहुत ज्यादा दर्द, गरम चीजें खाने-पीने से आराम, सूखी खाँसी।

 

8) एलियम -सीपा नाक से तीखा स्त्राव, माथे में दर्द, आँखें बहुत ज्यादा लाल व पानी गिरता है, पलकों में जलन, कान में दर्द, छींकें, नाक से बहुत ज्यादा पानी आता है, गले में दर्द, जोड़ों में दर्द होता है।

9 युपटोरियम-पर्फोलियम इन्फ़्लुएन्ज़ा के साथ सारे मसल्स व हड्डियों में दर्द, छींकें, गले व छाती में दर्द, बलगमयुक्त खाँसी, सुबह 7 से 9 बजे ठण्ड लगती है।

 

 प्रतिरोधकदवा preventive medicine

1) थूजा (THUJA)200

2) जेल्सिमियम( GELSEMIUM)

3) नक्स वोमिका

4) इन्फ़्लुएन्ज़िउम (INFLUENZIU

5) आर्सेनिक एल्बम

 

नोट होम्योपथी में रोग के कारण को दूर कर के रोगी को ठीक किया जाता है। प्रत्येक रोगी की दवा उसकी शारीरिक और मानसिक अवस्था के अनुसार अलग-अलग होती है। अतः बिना चिकित्सकीय परामर्श यहां दी हुई किसी भी दवा का उपयोग न करें।

 

अधिक जानकारी के लिए आप संपर्क कर सकते है :-

 

 

डॉ उत्कर्ष त्रिवेदी

 

होमियोपैथिक चिकित्सक

डॉ त्रिवेदिस होमियोपैथी

लिली चौक,पुरानी बस्ती रायपुर छत्तीसगढ़

8462030001

खाली पेट चुकंदर खाने से बढ़ेगा हीमोग्लोबिन, कभी नहीं होंगी ये गंभीर बीमारियां

खाली पेट चुकंदर खाने से बढ़ेगा हीमोग्लोबिन, कभी नहीं होंगी ये गंभीर बीमारियां

सलाद की बात हो और चुकंदर का जिक्र न हो, ऐसा तो हो ही नहीं सकता है। चुकंदर आपको लगभग सभी मौसम में मिल जाएगा। डॉक्टरों के द्वारा इसे डाइट में शामिल करने की सलाह भी दी जाती है। इसे खाने के कई सारे फायदे हैं, जो आपको कई बीमारियों से बचाए रखने में मदद करेंगे। 


चुकंदर खाने से हीमोग्लोबिन की मात्रा तो बढ़ती ही है, इसके अलावा भी इसके कई सारे स्वास्थ्य फायदे हैं। नीचे जाने चुकंदर खाना आपको कितनी बीमारियों से बचाए रखने का काम कर सकता है।

हीमोग्लोबिन बढ़ाने में करेगा मदद-
खून का लाल रंग, खून में मौजूद हीमोग्लोबिन के कारण ही होता है। यहां तक कि अगर आपके खून में हीमोग्लोबिन की पर्याप्त मात्रा नहीं है, तो आप किसी को ब्लड भी नहीं डोनेट कर सकते हैं। हालांकि चुकंदर खाने से हीमोग्लोबिन की मात्रा तेजी से बढ़ती है। इसलिए हीमोग्लोबिन की कमी से बचने के लिए आप भी खाने में चुकंदर को शामिल कर सकते हैं।

कैंसर से बचाता है चुकंदर-
चुकंदर खाने से कैंसर होने का खतरा भी कई गुना तक कम हो जाता है। दरअसल चुकंदर में कैंसर को जन्म देने वाली कोशिकाओं को नष्ट करने का गुण पाया जाता है। इसके साथ-साथ एक वैज्ञानिक अध्ययन में यह भी देखा गया कि चुकंदर खाने से प्रोस्टेट कैंसर और ब्रेस्ट कैंसर का खतरा भी खत्म हो जाता है। साथ ही यह शरीर में नई स्वस्थ कोशिकाओं को बनाने में भी मदद करता है।

त्वचा को रखेगा चमकदार-
चुकंदर का सेवन करने से त्वचा को चमकदार बनाने में भी मदद मिलती है। चुकंदर में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट त्वचा को निखारने और एंटीएजिंग एजेंट के रूप में कार्य करता है। इससे आपकी त्वचा खूबसूरत तो बनी ही रहती है साथ ही अगर आपकी त्वचा पर झुर्रियां भी मौजूद हैं तो आपको उससे भी राहत मिल जाएगी।

दांतों और हड्डियों के लिए चुकंदर के फायदे-
दांतों और हड्डियों के लिए भी चुकंदर का सेवन बहुत फायदेमंद हो सकता है। दरअसल चुकंदर में कैल्शियम की मात्रा पाई जाती है। यह पोषक तत्व न केवल दांतों के लिए बल्कि हड्डियों के लिए भी बहुत लाभदायक होता है। इसका सेवन करने से दांतों और हड्डियों को सीधे रूप से कैल्शियम की पूर्ति होती है और इन्हें स्वस्थ बनाने में मदद मिलती है। 

ब्लड प्रेशर कम करने में मदद करता है चुकंदर-
ब्लड प्रेशर को कम करने में भी चुकंदर बहुत लाभकारी है। चुकंदर में नाइट्रेट नामक पोषक तत्व पाया जाता है। यह पोषक तत्व हाई ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद करता है। इसलिए आपको भी अगर हाई ब्लड प्रेशर की समस्या है तो आप चुकंदर का सेवन कर सकते हैं। 

बालों के लिए भी है बहुत फायदेमंद-
बालों के स्वास्थ्य के लिए भी चुकंदर के बहुत फायदे हैं। चुकंदर में एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन-ए, विटामिन-सी, कैल्शियम, आयरन और पोटैशियम जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। ये पोषक तत्व बालों को झडऩे से बचाने के साथ-साथ स्कैल्प में होने वाली खुजली से भी राहत दिलाने का काम करते हैं। स्वस्थ और घने बालों के लिए डॉक्टरों के द्वारा भी इसे खाने की सलाह दी जाती है।
पोषक तत्वों से भरपूर है ये जूस, रोजाना गरम पानी के साथ पिएं तो ये बीमारियां होंगी दूर

पोषक तत्वों से भरपूर है ये जूस, रोजाना गरम पानी के साथ पिएं तो ये बीमारियां होंगी दूर

फलों का जूस सेहत के लिए हर मायने में काफी फायदेमंद होता है। यह शरीर को एनर्जी देता है और हमें बीमारियों से बचाता है। नोनी भी एक ऐसा ही फल है जिसका जूस स्वास्थ्य के लिए अच्छा माना जाता है। नोनी मोरिंडा सिट्रफोलिया फेमिली का पौधा है जो दक्षिण पूर्व और दक्षिण एशिया सहित प्रशांत महाद्वीपों में पाया जाता है। नोनी फल के औषधीय गुणों के कारण ही प्राचीन समय से ही इसे इम्युनिटी बढ़ाने और डिटॉक्सिफिकेशन के लिए उपयोग किया जाता है। नोनी में पर्याप्त मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन सी, विटामिन बी3, विटामिन ए और आयरन पाया जाता है। यह कई बीमारियों को ठीक करने में प्रभावी होता है। आइये जानते हैं नोनी जूस का सेवन करने के कुछ मुख्य फायदों के बारे में।
हृदय को स्वस्थ रखने में
नोनी जूस में कुछ ऐसे तत्व पाये जाते हैं जो हृदय को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। रोजाना एक गिलास नोनी के जूस का सेवन करने से धमनियों में रक्त का प्रवाह बढ़ता है और ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है।
इम्युनिटी बढ़ाने में
नोनी जूस में एंटी बैक्टीरियल, एंटी फंगल, एंटी इंफ्लेमेटरी और एंटी हिस्टामिन गुण पाया जाता है जो इम्युनिटी बढ़ाने में सहायक होता है। इसे नियमित पीने से शरीर के अंदर कई बीमारियों से लडऩे की ताकत आती है।
तनाव भगाने में
रोजाना एक गिलास नोनी जूस का सेवन करने से स्ट्रेस हार्मोन कॉर्टिसोल का स्तर कम होता है और तनाव से राहत मिलती है। यही नहीं यह ब्रेन हेल्थ के लिये भी फायदेमंद माना जाता है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट और एंटीएंफ्लेमेटरी जैसे कई औषधीय गुण होते हैं। ये सभी चीजें मस्तिष्क क्षति पर सुरक्षात्मक कार्य करते हैं।
कैंसर से बचाने में
नोनी जूस इम्यून सिस्टम को स्वस्थ रखता है और ट्यूमर से बचाता है। इसके एंटी कैंसर और एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं जो स्तन कैंसर के लक्षणों को कम करने में भी मदद करता है। यही नहीं यह जूस धूम्रपान से होने वाले कैंसर के खतरे से भी लड़ता है। यह शरीर में कैंसर वाले ट्यूमर को बढऩे से रोकता है।
गाउट से बचाने में
जोड़ों में यूरिक एसिड के क्रिस्टल जमा हो जाने के कारण गाउट की समस्या हो जाती है और जोड़ों में गंभीर दर्द होता है। नोनी जूस ब्लड में यूरिक एसिड को घटाता है और गाउट का जोखिम कम करता है।
बुखार के इलाज में
एंटी वायरल गुणों से भरपूर होने के कारण नोनी के जूस का सेवन करने से सर्दी, खांसी, बुखार और शरीर का दर्द दूर हो जाता है।
एंटी एजिंग के रुप में
नोनी के रस में विटामिन सी और सेलेनियम पाया जाता है जो मुक्त कणों से लड़ता है और इसके हानिकारक प्रभाव से त्वचा की रक्षा करता है। साथ ही स्किन के लचीलेपन को बनाए रखता है। साथ ही इसमें एंटी एक्ने गुण भी होते हैं जो मुंहासों से छुटकारा दिलाता है। यदि आपको त्वचा में चमक भरनी है तो नोनी का जूस सुबह जरूर पिएं।
इस प्रकार जो लोग रोजाना नोनी जूस का सेवन करते हैं वे न सिर्फ बीमारियों से दूर रहते हैं बल्कि उनका बैड कोलेस्ट्रॉल यानी एलडीएल घटता है और गुड कोलेस्ट्रॉल एचडीएल बढ़ता है।
स्किन को हेल्दी रखने में
नोनी जूस में प्रचुर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है जिसे रोजाना चेहरे पर लगाने से यह त्वचा को अच्छी तरह मॉश्चराइज करता है और जवान बनाये रखने में मदद करता है।
 

अगर आपने नहाने के पानी में इसको मिलाया तो  मिट जाएगी शरीर की पूरी थकान,रहेगी दिन भर ताजगी

अगर आपने नहाने के पानी में इसको मिलाया तो मिट जाएगी शरीर की पूरी थकान,रहेगी दिन भर ताजगी

हफ्तेभर की दौड़-भाग के बीच हमारा शरीर कब थक के चूर हो जाता है हमे पता भी नहीं चलता। शरीर की थकान मिटाने के लिये हम ज्यादा से ज्यादा गरम पानी से नहा लेते हैं। मगर क्या आप जानती हैं कि वहीं अगर गरम पानी में रसोईं में रखी कुछ चीजों को मिक्स कर दिया जाए तो शरीर में फिर से पहले जैसी ऊर्जा आ जाती है। आइये जानते हैं नहाने के पानी में किन किन चीजों को मिक्स कर के नहाने पर फायदा होता है....
ग्रीन टी
हम सभी जानते हैं कि ग्रीन टी पेट की चर्बी को कम करने के लिये जानी जाती है। लेकिन अगर इसको नहाने के पानी में मिला दिया जाए तो यह आपके शरीर को अच्छी तरह से डिटॉक्स करेगी। इसका प्रयोग कने के लिये लगभग 6 टी बैग को गर्म पानी से भरे टब में डालें और लगभग 15-20 मिनट तक ऐसे ही रहने दें। ग्रीन टी एंटी एजिंग का काम करती है और शरीर को अच्छी तरह से साफ भी करती है।
अदरक
अगर आपकी बॉडी में थकान है तो लगभग आधा कप कद्दूकस की हुई अदरक को गर्म पानी में मिलाएं। इससे आपको ठंड और फ्लू के लक्षणों को दूर करने में मदद मिलेगी। यहां तक कि अगर आप बीमार महसूस नहीं भी कर रही हैं, तो भी अपने नहाने के पानी में अदरक मिक्स करें। इससे आपकी मांसपेशियों को आराम मिलेगा, शरीर से विषाक्त पदार्थ निकलेंगे और आपको अच्छा महसूस होगा।
एप्सम साल्ट
इसके अनगिनत स्वास्थ्य लाभों के अलावा, इसे अगर नहाने के पानी में लगभग 2 कप मिलाया जाए तो दर्द से राहत मिलती है, शरीर की सूजन कम होती है और आपके दिमाग और शरीर को आराम मिलता है। एप्सम नमक के स्वास्थ्य लाभ को अच्छी तरह पाना है तो इसे सप्ताह में तीन बार नहाने के पानी में मिला कर नहाएं।
ऑलिव ऑइल
कई तरह के तेल आपकी त्वचा को खूबसूरत और मुलायम बनाते हैं, जिसमें से जैतून का तेल आम है। बस आपको अपने गर्म स्नान के पानी में जैतून के तेल के 5 बड़े चम्मच डालने हैं। जैतून के तेल से स्नान करने पर बैक्टीरियल संक्रमणों से बचाव होगा और साथ ही इम्यूनिटी मजबूत रहेगी। यह त्वचा में कोलेजन बनाए रखने में भी मददगार है। यह स्नान झुर्रियों को कम करने में मदद करेगा।
नींबू
नींबू के इस्तेमाल से आप चमकदार और गोरी त्वचा पा सकती हैं। आपको करना सिर्फ इतना है कि नहाने के पानी में लगभग 5-6 नींबू निचोड़ दें। चूंकि नींबू ताजा होते हैं, इसलिये यह पोर्स को सिकोडऩे और आपकी त्वचा को पुनर्जीवित करने में मदद करते हैं।
 

आपको बीमार बना सकता है ऑफिस में 8 से अधिक घंटे काम करना, जानें समाधान

आपको बीमार बना सकता है ऑफिस में 8 से अधिक घंटे काम करना, जानें समाधान

प्राइवेट सेक्टर में जॉब करने वाला हर इंसान इस दर्द को समझता है कि आखिर काम का दबाव होता क्या है! टाइम लाइन में बंधकर काम करना, डेडलाइन के भीतर परफॉर्म करना और बेहतर से बेहतर रिजल्ट देने की कोशिश का तनाव होना... चलिए आपके जख्मों को और अधिक नहीं कुरेदते हैं... यहां बात करते हैं इस मुद्दे पर कि कैसे आपको ऑफिस में हर दिन 9 घंटे काम करना बीमार बना सकता है? साथ ही यह भी कि आखिर इस समस्या का समाधान क्या है... 

बुरा मत मानिए लेकिन सच तो सच है!

हमारा मकसद आपको डराना या हर्ट करना बिल्कुल नहीं है। हम बस बीमारी के रूप में आनेवाले उन खतरों को लेकर आपको आगाह करना चाहते हैं, जो हर दिन 9 घंटे काम करने के चलते आपको अपनी गिरफ्त में ले सकते हैं। इनका नाम है, हाइपरटेंशन, हार्ट अटैक, ऐंग्जाइटी, स्ट्रोक, डिप्रेशन, मसल्स पेन, बैक पेन, स्लिप डिस्क, सर्वाइकल पेन आदि

बढ़ती है लोनलीनेस की समस्या

उद्गम मेंटल हेल्थ केयर के सीनियर सायकाइट्रिस्ट का कहना है कि जो लोग 8 घंटे से अधिक लंबी शिफ्ट में लगातार काम करते हैं, उन लोगों में कुछ समय बाद अकेलेपन की भावना घर करने लगती है। इसका मुख्य कारण होता है कम्यूनिकेशन का अभाव और फैमिली तथा फ्रेंड्स के साथ वक्त ना बिता पाना। इस कारण ये लोग अपनी सोसायटी से कट जाते हैं। अक्सर ऐसे केसेज हमारे पास आते हैं कि एक छत के नीचे रहते हुए भी लोग थकान के कारण एक-दूसरे को वक्त नहीं दे पाते हैं, जिससे एक-दूसरे से दूरी बनने लगती है और फिर यहीं से अकेलापन घर करने लगता है।

काम का हद से ज्यादा तनाव 

आइडियली एक इंसान को दिन में कितने घंटे काम करना चाहिए? इस मुद्दे पर एक ऑर्गेनाइजेशन द्वारा कराई गई रिसर्च में सामने आया कि भारतीय युवा काम के लिए निर्धारित 8 घंटों से कहीं अधिक समय ऑफिस में रुकते हैं और लंबी शिफ्ट्स में काम करते हैं। यही वजह है कि युवाओं में तनाव का प्रतिशत तेजी से बढ़ रहा है। अगर जापान जैसे विकसित देश की बात करें तो वहां के युवा सामान्य तौर पर सप्ताह में केवल 46 घंटे ऑफिस में बिताते हैं। जबकि भारत के युवाओं का यह समय 52 घंटे है।

युवा बन रहे हैं चिड़चिड़े 

युवाओं के व्यवहार में तेजी से बढ़ती नकारात्मकता का बड़ा कारण यह है कि वे मेंटली तो बहुत अधिक थक रहे हैं और फिजिकली ऐक्टिव रहने का उनके पास ना तो वक्त है और ना ही ऑफिस के बाद उनमें इतनी एनर्जी बचती है। ऐसे में वे धीरे-धीरे अपने-आपमें सिमटने लगते हैं। जब मन की बातें और दिमाग की परेशानी वे किसी से शेयर नहीं कर पाते तो उनके अंदर इरिटेशन बढऩे लगता है और वे बात-बात पर चिड़चिड़ाने लगते हैं। जो उनके तनाव को और अधिक बढ़ाने का काम करता है।

क्षमताओं से अधिक काम 

खासतौर पर प्राइवेट सेक्टर में काम करनेवाले युवाओं पर करियर में ग्रोथ और खुद को प्रूव करने का बहुत अधिक दबाव रहता है। इसलिए वे चाहकर भी अपने इंट्रस्ट और हॉबीज के लिए वक्त नहीं निकाल पाते हैं। हर समय खुद को जज किया जाना और कदम-कदम पर को खुद द बेस्ट प्रूव करना उन्हें निर्धारित समय से अधिक काम करने को मजबूर कर रहा है।

ऐसे करें खुद को रिलैक्स 

हेल्थ एक्सपर्ट्स कहते हैं कि अपने सपनों को पूरा करने की चाहत में जुटे रहना बुरा नहीं है। बस ध्यान रखें कि आपकी सेहत पर आपके काम का बुरा असर ना पड़े। आप उन आसान ट्रिक्स के बारे में जानिए जो आपकी थकान को कुछ ही मिनट में गायब कर दें। जैसे प्राणायाम करें, शवासन करें, गर्म दूध पिएं, पसंद का म्यूजिक सुनें आदि। इसके बाद परिवार के साथ 10 मिनट ही सही, जरूर बैठें। इससे आपक खुद को मजबूत महसूस करेंगे। यह मानसिक मजबूती आपको करियर में और बेहतर परफॉर्म करने की एनर्जी देगी।

 
इस फेसपैक को लगाने से  स्किन रहेगी पूरे हफ्ते फ्रेश

इस फेसपैक को लगाने से स्किन रहेगी पूरे हफ्ते फ्रेश

देखिए, हम बहुत अच्छी तरह से इस बात को समझते हैं कि पूरे सप्ताह आप कितने व्यस्त रहते हैं। इस दौरान आपके पास नींद पूरी करने का भी वक्त नहीं होता है तो ब्यूटी केयर की बात करना ही बेकार है। इसलिए हम आपके लिए लाए हैं मूंग दाल का वो इफेक्टिव फेस पैक जिसे आप संडे के संडे अपने चेहरे और गर्दन पर लगाकर खुद को सप्ताहभर ग्लोइंग और स्किन को फ्रेश रख सकते हैं...

मूंगदाल फेस पैक के लिए जरूरी चीजें

मूंग दाल का पैक बनाने के लिए आपको जिन चीजों की जरूरत पड़ेगी आप उन्हें एक बार खरीदकर ही महीनों के लिए स्टोर कर सकते हैं। क्योंकि इनमें कोई भी आइटम जल्दी एक्सपायर होनेवाला नहीं होता है।

-मूंग दाल

-गुलाबजल

-शहद

-बादाम का तेल

फेस पैक बनाने की विधि

रात को 3 चम्मच मूंग की दाल पानी में भिगोकर रख दीजिए। शानदार और पर्फेक्ट ग्लो चाहते हैं तो दाल को पानी की जगह गुलाबजल में भिगो दीजिए। इसे रातभर के लिए छलनी से ढककर छोड़ दीजिए। 

ऐसे लगाएं फेस पैक

-सुबह उठकर इस दाल को पीसकर पेस्ट बना लें। अब इस पेस्ट में आधा चम्मच शहद मिला लें। तैयार फेस पैक को 25 से 30 मिनट के लिए चेहरे और गर्दन पर लगा लें।

-जब पैक सूखने लगे तो चेहरे को पानी या गुलाबजल की मदद से हल्का गीला करें। गीले सॉफ्ट हो चुके फेसपैक से चेहरे पर स्क्रबिंग करें। आप 2 से 3 मिनट चेहरे और गले पर स्क्रबिंग कर सकते हैं।

ऐसा हो आपका क्लिनिंग मेथड

- अब ताजे पानी से चेहरा धुल लें। कॉटन के कपड़े से चेहरा और गर्दन पोंछ लें। पोछने के तुरंत बाद हथेली पर 3 से 4 बूंद बादाम का तेल लें और चेहरे तथा गर्दन की मसाज करें।

- इस ब्यूटी रेजीम को फॉलो करने के तुरंत बाद आपको कहीं निकलना हो तो चेहरे पर अपनी ब्यूटी क्रीम बादाम तेल के बाद अप्लाई कर सकते हैं। जरूरी ना हो तो बादाम तेल के बाद कुछ लगाने की जरूरत नहीं है।

ऐसे लाभ पहुंचाता है मूंग दाल फेस पैक

मूंग दाल के फेस पैक को चेहरे पर लगाने के बाद यह हमारी त्वचा के पोर्स को क्लीन करने, डैमेज सेल्स को रिपेयर करने का काम करती है तो शहद स्किन को मॉइश्चराइज कर रहा होता है। वहीं, गुलाबजल स्किन में मेलानिन का असर कम कर स्किन को निखारने का काम करता है।

डैमेज सेल्स को रिपेयर करे

मूंग दाल में अन्य दालों की तरह प्रोटीन होता है लेकिन कई दूसरी दालों की तुलना में इसमें प्रोटीन के साथ ही विटमिन-ए भी अच्छी मात्रा में होता है। जो हमारी डैमेज स्किन सेल्स को रिपेयर करने में मदद करता है।

डेड स्किन हटाए

मूंग दाल का फेसपैक लगाने के बाद जब हम पैक को दोबारा हल्का सा गीला करके इसे स्क्रब की तरह स्किन पर यूज करते हैं तो इससे हमारे चेहरे और गर्दन की सभी डेड सेल्स और डस्ट पूरी तरह हट जाती हैं। इससे त्वचा स्मूद और कांतिमय बनती है।

डार्क सर्कल की वजह से आंखों की खूबसूरती हो गई कम, इन घरेलू नुस्खों से मिलेगा फायदा

डार्क सर्कल की वजह से आंखों की खूबसूरती हो गई कम, इन घरेलू नुस्खों से मिलेगा फायदा

अक्सर देर रात तक जगने, ज्यादा देर तक सिस्टम के सामने बैठकर काम करने से अक्सर महिलाओं को डार्क सर्कल हो जाते हैं. आंखों के चारों तरफ डार्क सर्कल होने से चेहरे की खूबसूरती न सिर्फ कम हो जाती है बल्कि सबका ध्यान इस पर जाने लगता है. कई बार डार्क सर्कल ज्यादा होने से चेहरा बीमारों जैसा लगने लगता है. आंखों के चारों तरफ डार्क सर्कल होने से कई बार कॉन्फिडेंस लो होने लगता है. यदि आपके चेहरे पर भी डार्क सर्कल हो गए हैं तो कुछ घरेलू नुस्खों को आजमा सकते हो.
संतरे के छिलके
- आंखों के नीचे काले घेरे खत्म करने का सबसे आसान तरीका है संतरे के छिलकों का इस्तेमाल.
- संतरे के छिलके से डार्क सर्कल खत्म करने के लिए सबसे पहले संतरे के छिलकों को धूप में सूखा दीजिए.
-सूखे हुए संतरे के छिलकों पर गुलाब जल डालकर आखों पर लगाकर रखिए.
- आप चाहे तो संतरे के छिलकों को सूखाकर पीस लीजिए और उसमें गुलाबजल मिलाकर आंखों के चारों तरफ लगाइए.
- सप्ताह में 2 बार संतरे और गुलाब जल का इस्तेमाल करने से डार्क सर्कल से छुटकारा पाया जा सकता है.खीरा
- डार्क सर्कल के कारण आंखों की खूबसूरती कम हो जाती है. ऐसे में आप खीरे का इस्तेमाल कर सकती हैं.
- खीरे का रस निकालकर उसमें गुलाब जल को मिक्स कीजिए.
- खीरे और गुलाब जल के मिक्स को कॉटन से आंखों के चारों तरफ लगाइए. खीरा और गुलाब जल दोनों ही आंखों के लिए अच्छा होता है.
- सप्ताह में 2 से 3 बार खीरे और गुलाब जल का इस्तेमाल करने से आंखों को ठंडक मिलती है. साथ ही डार्क सर्कल भी खत्म हो जाते हैं.
ग्रीन टी बैग्स
- डार्क सर्कल खत्म करने के लिए ग्रीन टी बैग्स का इस्तेमाल किया जा सकता है.
- अक्सर ग्रीन टी बैग्स को यूज करके लोग फेंक देते हैं. आप इसे डार्क सर्कल को खत्म करने के लिए प्रयोग कर सकते हैं.
- यूज किए हुए टी बैग को पानी में भिगोकर फ्रीज में 2 से 3 घंटे के लिए रख दीजिए.
- जब टी बैग ठंडा हो जाए तो इसे आंखों को बंद करके उस पर रख दीजिए. ग्रीन टी बैग को ऐसे इस्तेमाल करने से आंखों को ठंडक मिलती है और डार्क सर्कल भी खत्म होते हैं.
- ग्री टी बैग से डार्क सर्कल खत्म करने के लिए सप्ताह में दो से तीन बार इसका इस्तेमाल करें.
 

रोजाना 2 कप से ज्यादा दूध पीती हैं तो हो जाइए सावधान, ब्रेस्ट कैंसर का खतरा !

रोजाना 2 कप से ज्यादा दूध पीती हैं तो हो जाइए सावधान, ब्रेस्ट कैंसर का खतरा !

जिन महिलाओं को दूध पीना बहुत पसंद है उनके लिए ये खबर शॉक की तरह हो सकती है। जी हां, दूध जिसे सबसे हेल्दी फूड माना जाता है, दूध जो बचपन से ही मम्मी-पापा बच्चों को बोल-बोल कर खूब सारा पिलाते हैं, दूध जो कैल्शियम का बेहतरीन सोर्स है और हड्डियों को मजबूत बनाता है, वही दूध अब कैंसर की वजह भी बन रहा है। नियमित रूप से रोजाना दूध पीने से महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का खतरा 80 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। ऐसा हम नहीं कह रहे कि बल्कि एक नई रिसर्च में यह बात सामने आयी है।

अमेरिका की कैलिफॉर्निया स्थित लोमा लिंडा यूनिवर्सिटी में यह रिसर्च हुई जिसमें अनुसंधानकर्ताओं ने कुछ डराने वाले खुलासे किए। इसके मुताबिक हर दिन सिर्फ 1 कप यानी करीब 250 एमएल दूध पीने से ब्रेस्ट कैंसर का खतरा 50 प्रतिशत तक होता है जबकी वैसी महिलाएं जो 2 से 3 कप दूध रोजाना पीती हैं उन्हें ब्रेस्ट कैंसर होने का खतरा 70 से 80 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। स्टडी के ऑथर गैरी ई फ्रेजर कहते हैं, हमारे पास इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि हर दिन डेयरी मिल्क पीने से या फिर डेयरी मिल्क में कोई ऐसा तत्व मौजूद है जिस वजह से महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।

खानपान की आदत पर 8 साल तक रखी गई नजर 

इस रिसर्च के नतीजों को इंटरनैशल जर्नल ऑफ इपिडेमोलॉजी में प्रकाशित किया गया। इस रिसर्च में 100-200 नहीं बल्कि नॉर्थ अमेरिका की 53 हजार महिलाओं को शामिल किया गया और उनकी डायट से जुड़ी रोजाना की आदतों पर करीब 8 साल तक नजर रखी गई। ये सभी महिलाएं रिसर्च का हिस्सा बनने से पहले पूरी तरह से कैंसर फ्री थीं। रिसर्च के दौरान इन महिलाओं की डायट और खान पान की आदतों से जुड़े कई सवाल पूछे गए। इसके अलावा भी कई सवाल पूछे गए जैसे- ब्रेस्ट कैंसर की फैमिली हिस्ट्री है या नहीं, फिजिकल ऐक्टिविटी कितनी होती है, ऐल्कॉहॉल का सेवन कितना करती हैं, हॉर्मोन्स से जुड़ी कोई समस्या है या नहीं, किसी और तरह की दवा तो नहीं खा रहीं और प्रजनन और गाइनैकॉलजी से जुड़े इशूज हैं या नहीं।

गाय के दूध में मौजूद हॉर्मोन हो सकता है जिम्मेदार 

हालांकि इस रिसर्च में सिर्फ निरीक्षण किया गया था और स्टडी में दूध पीने से कैंसर क्यों होता है इस बात का कारण साबित नहीं हो पाया लेकिन वैज्ञानिकों की मानें तो गाय के दूध में मौजूद एक तरह के हॉर्मोन को इसके लिए जिम्मेदार माना जा सकता है। इस स्टडी के खत्म-खत्म होते होते रिसर्च में शामिल महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के करीब 1100 नए मामले सामने आ चुके थे। कैंसर के रिस्क का संबंध फुल फैट मिल्क, लो फैट मिल्क या नो फैट मिल्क से नहीं था। तीनों ही तरह के दूध का सेवन करने से ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढऩे की बात सामने आयी।

8 में से 1 महिला ब्रेस्ट कैंसर का शिकार 

ब्रेस्ट कैंसर आज महिलाओं में होने वाला दूसरा सबसे आम कैंसर बन गया है। आंकड़ों के मुताबिक, भारत में हर 8 में से 1 महिला ब्रेस्ट कैंसर की शिकार हो जाती हैं। इसलिए इस कैंसर के परीक्षण के लिए सही समय पर जांच करवानी चाहिए। जांच के अलावा ब्रेस्ट कैंसर के लक्षणों के बारे में भी जानकारी होना भी जरूरी है। नैशनल ब्रेस्ट कैंसर फाउंडेशन के अनुसार, ब्रेस्ट कैंसर के कुछ कारण ऐसे होते हैं जिनसे अगर दूरी बना ली जाए तो ब्रेस्ट कैंसर से बचा जा सकता है, जैसे शराब का सेवन, धूम्रपान, खानपान की आदतें आदि। 

ब्रेस्ट कैंसर के इन लक्षणों की न करें अनदेखी 

- अगर स्किन के टेक्सचर और रंग में बदलाव दिखे। 

- निप्पल की स्किन उतरने लगे या पपड़ी जम जाए। 

- ब्रेस्ट सिकुड़ जाए या उसमें गड्ढा बन जाए। 

- एक या दोनों ब्रेस्ट की शेप या साइज बदल जाए। 

- ब्रेस्ट मिल्क के अलावा किसी और तरह का डिस्चार्ज होने लगे। 

- ब्रेस्ट में सूजन आ जाए या फिर लगातार खुजली हो।

खतरनाक हो सकता है क्रॉस लेग करके बैठना, सेहत पर पड़ता है इतना बुरा असर

खतरनाक हो सकता है क्रॉस लेग करके बैठना, सेहत पर पड़ता है इतना बुरा असर

बात जब बॉडी लैंग्वेज और स्टाइलिंग की आती है तो क्रॉस लेग करके बैठना कॉन्फिडेंट होने का सिंबल माना जाता है। बैठने के इस तरीके में हम सभी बहुत सहज महसूस करते हैं। लेकिन यह सहजता हमारे शरीर को बहुत अधिक नुकसान पहुंचा सकती है। क्योंकि हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि लंबे समय तक एक के ऊपर एक पैर रखकर बैठने से ब्लड प्रेशर और वेरिकॉज वेन्स जैसी समस्याएं हो सकती हैं।  

क्रॉस लेग पॉजिशन का बीपी पर असर

कई हेल्थ स्टडीज में यह बात सामने आ चुकी है के एक के ऊपर एक पैर रखकर बैठने से हमारी नर्व्स पर दबाव पड़ता है, इस कारण हमारा ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। इसलिए बीपी के मरीजों को इस पॉजिशन में बैठने से बचना चाहिए। साथ ही जिन लोगों को बीपी की दिक्कत नहीं है, उन्हें भी लंबे समय तक इस पॉजिशन में नहीं बैठना चाहिए।

ब्लड सर्कुलेशन पर असर

क्रॉस लेग करके बैठने से केवल ब्लड प्रेशर पर असर नहीं पड़ता बल्कि ब्लड सर्कुलेशन भी डिस्टर्ब होता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि आप जब एक पैर के ऊपर दूसरा पैर रखकर बैठते हैं तो दोनों पैरों में बल्ड सर्कुलेशन एक समान नहीं हो पाता है। इस कारण पैरों में सुन्नता या झंझनाहट की समस्या होने लगती है।

पेल्विक इंबैलंस

क्रॉस लेग पॉजिशन में हमारी पेल्विक मसल्स इंबैलंस हो सकती हैं। क्योंक हर दिन कई-कई घंटे इस स्थिति में बैठने पर हमारी थाइज में खिंचाव, सूजन, सुन्नता या दुखन की समस्या हो सकती है।

जॉइंट्स में दिक्कत

एक ही जगह पर और खासतौर पर ऑफिस में कुर्सी पर 8 से 9 घंटे रोज क्रॉस लेग करके बैठने से पैरों के जॉइंट पेन की समस्या हो सकती है। कई बार हम समझ नहीं पाते हैं कि वॉक, एक्सर्साइज और यग करने के बाद भी हमारे जॉइंट्स में दर्द क्यों हो रहा है। तो इस दर्द की वजह कुछ और नहीं बल्कि हमारा क्रॉस लेग पॉश्चर होता है।

लोअर बैक में दर्द

क्या आपको भी उठते-बैठते वक्त कमर के निचले हिस्से में दर्द होता है? या जकडऩ का अहसास होता है? अगर इस सवाल के जवाब आप हां में दे रहे हैं तो आपको अपने बैठने के तरीके में सुधार करने की जरूरत है। आज से ही क्रॉस लेग पॉजिशन में बैठना बंद कर दें।

लकवा से बचने के लिए

क्रॉस लेग करके ना बैठने की एक दूसरी वजह यह भी बताई जाता है कि इस मुद्रा में लंबे समय तक बैठने पर पॉल्सी या पेरोनियल नर्व पैरालिसिस की समस्या हो सकती है। अगर कोई व्यक्ति हर रोज कई घंटे इस स्थिति में बैठता है तो उसकी नर्व्स डैमेज हो सकती हैं। 

बैठते वक्त रखें इन बातों का ध्यान

ऑफिस में सिटिंग जॉब है तो जाहिर तौर पर आपको बैठना ही पड़ेगा। लेकिन अगर आप सेहत से जुड़ी हर तरह की समस्या से बचना चाहते हैं तो बीच-बीच में सीट से ब्रेक लेते रहें। कम से कम हर 45 मिनट बाद 5 मिनट का ब्रेक जरूर लें। 

जब बैठना हो कई घंटें

एक ही सीट या जगह पर कई घंटे रोज बैठने के दौरान आप थोड़े-थोड़े समय बाद अपनी सिटिंग पॉजिशन चेंज करते रहें। बीच-बीच में सीट से खड़े होकर फिर बैठ जाएं। ऐसा करने से ना केवल बॉडी में मूवमेंट बना रहता है बल्कि थकान भी हावी नहीं होती।

इसलिए नहीं होती थकान

आपको लग रहा होगा कि सीट से बीच-बीच में उठने पर आखिर थकान कैस कम हो सकती है? तो इस सवाल का जवाब एक्सपर्ट्स इस तरह देते हैं कि जब हम काफी देर बैठने के बाद खड़े होते हैं तो हमारा ब्लड सर्कुलेशन तेज हो जाता है। इससे बॉडी में ऑक्सीजन लेवल भी बढ़ता है और हम ताजगी का अनुभव करते हैं।

ब्लड प्रेशर रहता है नियंत्रण में

अगर हम लगातार एक जगह पर क्रॉस लेग पॉजिशन में बैठे रहते हैं और हमें पहले से ही हाई बीपी की दिक्कत हो तो घंटों तक इस तरह बैठे रहना हमारी हालत को और अधिक बिगाड़ सकता है। इससे बचने के लिए जरूरी है कि आप वर्किंग ऑवर्स के दौरान बीच-बीच में अपनी सीट से उठते रहें।

ऑफिस की थकान 15 मिनट में हो जाएगी गायब, रोज करें शवासन

ऑफिस की थकान 15 मिनट में हो जाएगी गायब, रोज करें शवासन

दिनभर की थकान दूर करने के लिए हम ऐसा क्या करें कि तुरंत मानसिक और शारीरिक थकान से मुक्ति पा सकें? इस सवाल के जवाब में हेल्थ और फिटनेस एक्सपर्ट गौतम कहते हैं - शवासन कीजिए। सबसे आसान और बेहद असरदार है शवासन योग। 

मानसिक तनाव से मुक्ति दिलाए

आज लगभग सभी लोग प्रेशर वाली लाइफ जी रहे हैं और मान चुके हैं कि असली जिंदगी यही है। लोग दिन-रात अपने सपनों के पीछे भाग रहे हैं और सपनों को जीने की चाह में जिंदगी जीना भूल रहे हैं। यहीं से हमारे जीवन में मानसिक तनाव हावी होने लगता है।

अटक गया है हमारा ब्रेन

हमारा ब्रेन हर समय ज्यादा से ज्यादा पाने में अटका रहता है। हम हर समय गैजेट्स में उलझे रहते हैं। घर की जरूरतों से लेकर ऑफिस का काम तक सब कुछ टेक्नॉलजी पर निर्भर हो गया है। किसी भी चीज का उपयोग यदि अति में करते हैं तो उसके नकारात्मक प्रभाव भी हमें देखने को मिलते हैं। यही वजह है कि आज गैजेट्स और टेक्नॉलजी हमें मानसिक रूप से बीमार बना रहे हैं।

फोकस की कमी दूर करे

सिटिंग और कंप्यूटर बेस्ड जब होने के कारण हमें मेंटल रेस्ट नहीं मिल पाता है। यही वजह है कि हम विचलित रहते हैं, किसी भी एक काम पर फोकस नहीं रह पाते, ऐंग्जाइटी बढ़ रही है। इन सभी तरह की दिक्कतों से निजात दिलाने में शवासन बहुत अधिक मददगार है।

लाइफ में बैलंस बढ़ाता है

मानसिक रूप से थके और बेचैन रहने के कारण हम अपनी लाइफ को बैलंस नहीं कर पाते हैं। लेकिन जिंदगी को बैलंस करना जरूरी है ताकि स्ट्रेस से बचे रहें। इसमें शवासन हमारी बॉडी के लिए बहुत अधिक लाभकारी रहता है। क्योंकि शवासन की मुद्रा में हमारा पूरा फोकस अपनी श्वास पर होता है, जिस कारण हमें मानसिक शांति मिलती है।

प्राकृतिक योग है शवासन

मेंटल फिजिकल और इमोशनल लेवल पर बैलंस के लिए योग बहुत अधिक आसान और इफेक्टिव तरीका है। खासतौर पर शवासन। शवासन की उत्पत्ति ही इसलिए हुई ताकि हमें रेस्ट मिल सके। प्राकृतिक रूप से हम सोते हुए भी इस अवस्था में ही होते हैं। यह मुद्रा हमारे शरीर की हर नर्व और सेल को प्रभावित करती है।

शरीर को रिलैक्स करे

शरीर को रिलैक्स करने के लिए शवासन इसलिए जरूरी है क्योंकि यह एक ऑटो सजेशन प्रॉसेस है, जब हम अपने आपको निर्देश देते हैं कि हमें शांत होना है। ऑटो सजेशन एक पॉवरफुल प्रॉसेस है जो बिल्कुल मेडिटेशन की तरह काम करती है। शवासन हमारी शारीरिक थकान उतारता है। गर्दन दर्द, सिरदर्द, ऐंग्जाइटी, कमर दर्द में राहत देता है।

शवासन करने का तरीका

शवासन करने के लिए आप किसी शांत जगह पर पीठ के बल सीधे लेट जाएं। इस दौरान आपके पैरों और हाथों को शरीर से उतनी दूरी पर रखें, जितनी दूरी पर आप सहज महसूस करें। आपकी हथेलियां आसमान की तरफ खुली हुई और आंखें बंद होनी चाहिए। 

श्वांस पर रहे ध्यान केंद्रित

शवासन के दौरान हमें सबसे अधिक लाभ तभी मिलता है, जब हम श्वांस को सहज बनाए रखते हैं। शवासन के दौरान धीरे-धीरे गहरी सांस लें और धीरे-धीरे छोड़ें। आपका ध्यान पूरी तरह अपनी श्वांस पर होना चाहिए। इस दौरान अपने शरीर को एकदम ढीला छोड़कर रखें।

हर रोज कितनी देर करें

हर रोज 10 से 15 मिनट किसी भी वक्त हम शवासन कर सकते हैं। यह कहिए कि जब भी आपको थकान महसूस हो आप इस योग मुद्रा को 10 से 15 मिनट के लिए कर लीजिए आपकी मानसिक और शारीरिक थकान तुरंत उतर जाएगी।

कैसे करता है काम?

शवासन हमारे शरीर की सभी मसल्स को शांत करता है। इस दौरान हम सहज अवस्था में होते हैं, जिससे पूरे शरीर में ब्लड सर्कुलेशन ठीक रहता है। गहरी सांस लेने से बॉडी में ऑक्सीजन की मात्रा अधिक पहुंचती है, जिससे ब्लड में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ती है और ब्रेन सहित पूरी बॉडी तनाव मुक्त होती है।

फिजिकल लेवल पर इसके फायदे

जब भी बहुत अधिक थकान महसूस होती है तो हम चाय पीने या स्मोक करने चले जाते हैं। यह हमें नुकसान पहुंचाता है। अगर उस वक्त हम शवासन करें तो हमें बहुत अधिक फायदा मिलेगा। अगर आपके ऑफिस में ऐसी कोई जगह नही है जहां आप इस आसन को कर सकें तो खुली और शांत जगह में बैठकर गहरी सांसें लें।

 
हर घर में पाए जाने वाले नींबू के है अनेक फायदे,पढ़े क्या है खास ...

हर घर में पाए जाने वाले नींबू के है अनेक फायदे,पढ़े क्या है खास ...

नींबू केवल खाने-पीने की चीजों में ही इस्तेमाल नहीं होता। इसके कुछ ऐसे नुस्खे भी है जिन्हें आजमाकर आप कई तरह की सेहत और सौन्दर्य समस्याओं से निजात पा सकते हैं।

आइए, जानते हैं नींबू के 10 कमाल के घरेलू नुस्खे -
1 शुद्ध शहद में नींबू की शिकंजी पीने से मोटापा दूर होता है।

2 नींबू के सेवन से सूखा रोग दूर होता है।

3 नींबू का रस एवं शहद एक-एक तोला लेने से दमा में आराम मिलता है।

4 नींबू का छिलका पीसकर उसका लेप माथे पर लगाने से माइग्रेन ठीक होता है।

5 नींबू में पिसी काली मिर्च छिड़क कर जरा सा गर्म करके चूसने से मलेरिया ज्वर में आराम मिलता है।
6 नींबू के रस में नमक मिलाकर नहाने से त्वचा का रंग निखरता है और सौंदर्य बढ़ता है।

7 नौसादर को नींबू के रस में पीसकर लगाने से दाद ठीक होता है।

8 नींबू के बीज को पीसकर माथे पर लगाने से गंजापन दूर होता है।
9 बहरापन हो तो नींबू के रस में दालचीनी का तेल मिलाकर डालें।

10 आधा कप गाजर के रस में नींबू निचोड़कर पिएं, रक्त की कमी दूर होगी।


 

माइग्रेन के दर्द से हैं परेशान, तो दूध में ये मिलाकर पीने से मिलेगा आराम

माइग्रेन के दर्द से हैं परेशान, तो दूध में ये मिलाकर पीने से मिलेगा आराम

स्वास्थ्य से जुड़ी कोई भी छोटी परेशानी आपके जिंदगी को बहुत प्रभावित कर सकती है। ऐसी ही एक परेशानी का नाम है माइग्रेनज्ज्.माइग्रेन, सिरदर्द का एक बुरी स्थिति है, जिसमें इंसान सिरदर्द को बर्दास्त नहीं कर पाता है। यह 10-40 वर्ष के लोगों को हो सकता है। आमतौर पर यह दिमाग में एबनॉर्मल एक्टिविटी के कारण होता है। इसके अतिरिक्त यह हार्मोन में बदलाव, फूड, एल्कोहॉल ड्रिंक, स्ट्रेस के कारण भी होता है।

दूध में मिलाएं तुलसी

माइग्रेन की स्थिति में आप दूध में तुलसी की 7-8 पत्ती को उबाल लें और इसको पीने के लिए इस्तेमाल करें। आपको माइग्रेन अटैक से काफी हद तक राहत मिलेगी। ऐसा इसलिए क्योंकि तुलसी की पत्ती में एंटीडिप्रेसेंट और एंटी एंजायटी गुण पाए जाते हैं। जबकि माइग्रेन होने के कारण में डिप्रेसन और एंजायटी भी शामिल हैं। इसलिए इनके लक्षण के दिखते ही आप दूध में तुलसी की पत्ती को उबालकर पी लें। 

दूध और पेठा का करें सेवन

माइग्रेन की शुरुआती लक्षण के दिखने पर दूध और पेठा को मिक्सर में डालकर पांच मिनट घुमाएं। उसके बाद इसे पीने के लिए इस्तेमाल करें। दूध में एंटीएंटीडिप्रेसेंट गुण होने के कारण यह आपके माइग्रेन अटैक को काफी हद तक कम कर देगा। जबकि पेठे (आगरा का मशहूर) में सिरदर्द को ठीक करने का गुण पाया जाता है, जिससे माइग्रेन के जोखिम को कम करने में काफी मदद मिलेगी।

सिर पर लगाएं ये लेप

माइग्रेन के दर्द को कम करने के लिए आप सिर/माथे पर लेप भी लगा सकते हैं। इसके लिए आप चंदन, दालचीनी और मुलेठी को पीस लें और इसका एक बड़ी चम्मच में लेप बना लें। इसके बाद आप इसे माथे पर या सिर में लगाएं। आपको काफी हद तक आराम मिलेगा। मुलेठी, चंदन और दालचीनी में औषधीय गुण पाए जाते हैं। इसी कारण से यह आपके दर्द को काफी हद तक कम कर देता है। 

एंटीडिप्रेसेंट की दवा का करें सेवन

माइग्रेन के खतरे से बचे रहने के लिए डॉक्टर के सुझाव पर एंटीडिप्रेसेंट दवाओं का सेवन करें। यह आपको माइग्रेन के खतरे से बचाए रखने में मदद करेंगे। एक बात का विशेष ध्यान दें कि बिना डॉक्टर की सलाह के किसी भी दवा का सेवन न करें। नहीं तो इसके दुष्परिणाम भी हो सकते हैं।

एस्पिरिन का न करें ज्यादा सेवन

यह दवा माइग्रेन में कई लोगों के द्वारा इस्तेमाल की जाती है। हालांकि इसका फायदा तो मिलता है लेकिन इसके नुकसान भी हैं। दरअसल एक वैज्ञानिक रिसर्च के बाद यह देखा गया कि माइग्रेन से पीडि़त जिन लोगों के द्वारा इस दवा का सेवन ज्यादा किया गया, उनका लीवर बहुत कमजोर था। इसलिए इस दवा के अधिक सेवन से बचे रहें। 

अच्छे से पूरी करें अपनी नींद

माइग्रेन के अटैक से बचे रहने के लिए जरुरी है कि आप अपनी नींद को अच्छे से पूरी करें। डॉक्टर के द्वारा तो यह सुझाव दिया ही जाता है लेकिन इसका वैज्ञानिक कारण भी है। डॉक्टरों के द्वारा इस विषय पर रिसर्च के बाद बताया गया कि नींद पूरी करने से दिमाग की सारे नसें शिथिल पड़ जाती हैं और उनमें ट्रिगर का कोई भी खतरा नहीं रहता है। यही वजह है कि माइग्रेन से परेशान लोगों को हमेशा भरपूर नींद लेनी चाहिए और लेट नाईट पार्टियों से भी बचना चाहिए।

बालों की चोटी बनाने से मिलते हैं बड़े फायदे, जानकर हो जाएंगे हैरान

बालों की चोटी बनाने से मिलते हैं बड़े फायदे, जानकर हो जाएंगे हैरान

बचपन में मां अक्सर बेटियों को जबरन पकड़कर उनके खुले बालों की चोटी बना देती थीं. हालांकि उस समय से ये बच्चों को बुरा लगता था लेकिन क्या आपको पता है कि चोटी बनाने से बालों के साथ साथ शरीर को भी कई तरह के फायदे होते हैं. कई लोग अपने बालों में तेल नहीं लगाते और न ही उन्हें ढंग से सुलझा कर कंघी करते हैं.

वहीं लड़कियां भी आज के समय में लंबे वक्त तक खुले बालों में घूमती नजर आती हैं. ऐसा करने से उनके बाल टूटते है और बेजान हो जाते हैं. आपको बता दें कि पहले के समय में ज्यादातर महिलाएं अपने बालों को बांधक रखती थीं जिससे बाल लंबे समय तक बचे रहते थे. इसके अलावा भी बालों को बांधकर उनकी चोटी बनाने के कई और फायदे हैं. आइए जानते हैं उनके बारे में.

बालों का टूटना होगा कम

बालों को बांधना एक अच्छा और सुरक्षात्मक तरीका है जो आपके बालों को टूटने से बचा सकता है. यह बालों को मजबूत भी बनाता है. चोटी बनाने के लिए बालों में तेल लगाएं और फिर अच्छे से हल्के हाथों से चोटी गुथ लें. रात में चोटी बनाकर सोना आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है. ऐसा इसलिए क्योंकि इससे आपके बाल सुलझे रहेंगे और टूटेंगे नहीं.

सोते वक्त नसों को मिलेगा आराम

बिस्तर पर जाने से पहले अपने बालों की ब्रेडिंग कर लें. दरअसल बंधे बालों और तकिया कवर के बीच कम घर्षण पैदा होता है. इससे तकिया और माथे के बीच एक आराम का पॉज बनता है, जिससे सिर की नसों को आराम मिलता है. इस तरह आपकी नसों में खिंचाव नहीं होगा और न ही आपको सोते वक्त सिरदर्द जैसी कोई तकलीफ होगी.

बालों को पोषण देता है

चोटी नमी को बालों में बंद करने में मदद करती है और उन्हें पोषित रखती है. आप बालों को ज्यादा पोषण देने के लिए बादाम और नारियल तेल लगाकर हल्के हाथों से मालिश करें और फिर चोटी बांध लें. इस तरह ये पोषण बालों में लॉक हो जाएगा और बालों की जड़ों में जाकर उन्हें आराम देगा. साथ ही आपके बालों की ग्रोथ भी अच्छी होगी.

बालों के रूखेपन को रोकना

जिन लोगों के बाल बीच-बीच से टूटे हुए या दोमुंहे हो जाते हैं उनके लिए चोटी बनाना एक अच्छा उपाय है. चोटी बनाकर आप अपने बालों को स्ट्रेट और सुलझे रख सकते हैं. वहीं जब आप घर से बाहर निकलें तो चोटी आपके बालों को तेज धूप और धूल-मिट्टी से बचाने में मदद कर सकती है.

 
क्या आप भी त्वचा के मस्सों से हैं परेशान, अपनाएं ये आसान नुस्खे

क्या आप भी त्वचा के मस्सों से हैं परेशान, अपनाएं ये आसान नुस्खे

क्या आपकी त्वचा पर भी बड़े या छोटे मस्से उभर आएं हैं? अगर आप मस्सों को जड़ से हटा देना चाहते हैं, तो कोई प्राकृतिक उपाय करना ही सबसे बेहतर होगा ताकि आपकी त्वचा पर किसी प्रकार का बुरा प्रभाव न पड़े। जानिए ऐसे ही कुछ प्राकृतिक घरेलू उपाय -


1 सेब का सिरका मस्सों को जड़ से खत्म करने के लिए बेहद प्रभावकारी उपाय है। इसे प्रतिदिन कम से कम 3 बार मस्सों पर रुई की सहायता से लगाएं और ऊपर से रुई चिपका दें। कुछ ही दिनों में मस्से का रंग गहरा हो जाएगा और उसकी त्वचा सूखकर निकल जाएगी। अगर इसे लगाने के बाद आपको कोई परेशानी महसूस हो, तो आप ऐलोवेरा जैल लगा सकते हैं।

2 लहसुन की कलियों को छीककर काट लें और इसे मस्सों पर रगड़ें या फिर इसका पेस्ट बनाकर मस्सों पर लगाएं। ऐसा करने से भी कुछ ही दिनों में मस्से समाप्त हो जाएंगे। नींबू के रस में रुई भि‍गोर मस्से पर लगाना भी लाभप्रद हो सकता है।

3 आलू का रस लगाना या फिर आलू को काटकर मस्सों पर रगड़ना भी एक बढ़ि‍या विकल्प है, अनचाहे मस्सों से निजात पाने का। आप चाहें तो आलू का रस रात भर मस्सों पर लगाकर भी रख सकते हैं।

4 बेकिंग सोडा का इस्तेमाल त्वचा की कई समस्याओं को समाप्त करने के लिए किया जाता है। मस्से समाप्त करने के लिए बेकिंग सोडा को अरंडी के तेल में मिलाकर पेस्ट तैयार करें और इसे मस्सों पर लगाएं। कुछ ही दिनों में फर्क नजर आएगा।

5 अनानास का रस, फूलगोभी का रस, शहद या फिर प्याज के रस का प्रयोग भी मस्सों को समाप्त करने के लिए किया जा सकता है। इसमें मस्सों को खत्म करने वाले विशेष एंजाइम्स होते हैं।


 

लगातार कुर्सी पर बैठने से हो गया कमर में दर्द, राहत दिलाएंगे ये घरेलू नुस्खे

लगातार कुर्सी पर बैठने से हो गया कमर में दर्द, राहत दिलाएंगे ये घरेलू नुस्खे

जकल की स्ट्रेस भरी लाइफस्टाइल में 10 से 12 घंटे का समय लोगों का ऑफिस में ही निकल जाता है. देर तक एक ही पोजिशन में कुर्सी पर बैठने, लंबे समय तक एक्सरसाइज न करने या गलत पोजिशन में बैठने से कमर में तेज दर्द हो सकता है. कभी कभार कमर में दर्द ठीक लगता है, लेकिन कई बार ये दर्द परेशान कर देता है. बैक पेन की वजह से रोजाना का काम तक बिगड़ जाता है. हम ठीक से चल नहीं पाते, बैठ नहीं पाते, दर्द की वजह से चिड़चिड़ापन, गुस्सा एक आम बात है.

कई बार इस दर्द को दूर करने के लिए लोग बाम या फिर पेन किलर्स का इस्तेमाल करने लगते हैं. अब दर्द हल्का फुल्का हो तो दवा लेना सही है, लेकिन हर बार दवा से ही दर्द को दूर भगाना भी गलत है. क्योंकि एक मात्रा से ज्यादा दवा लेने से स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है. ऐसे में आप कुछ घरेलु नुस्खों को आजमा सकते हैं. इन नुस्खों को अपनाने से आपको कमर के दर्द से तुरंत राहत मिल सकती है.

तेल से करें मसाज

अगर, आपकी पीठ या कमर के हिस्से में लंबे समय से दर्द है तो किसी दोस्त या फैमिली मेंबर से बॉडी मसाज करवाइए. घर पर मसाज करवाने के लिए आप गुनगुने तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं. इस तरह के मसाज से आपको पीठ, कमर के दर्द से मिनटों में राहत मिल सकती है.

सिकाई

अगर, आपकी पीठ में ज्यादा दर्द है और मसाज के लिए वक्त नहीं है तो आप सिकाई का ऑप्शन ट्राई कर सकते हैं. रोजाना नहाने से पहले आप हल्के गुनगुने पानी से पीठ की सिकाई कीजिए. गर्म पानी से सिकाई करने से रक्त कोशिकाएं खुल जाती है. साथ ही शरीर की सूजन भी कम जाती है, जिससे दर्द नहीं होता है.

लहसुन करेगा कमाल

लहसुन का सेवन करने के बहुत फायदे होते हैं ये बात तो सभी जानते हैं. लहसुन जितना खाने का स्वाद बढ़ाता है उससे कहीं ज्यादा पीठ, कमर दर्द को दूर भगाने का काम करता है. कमर दर्द होने पर लहसुन की 10 से 12 कलियों का एक बारीक पेस्ट बना लीजिए. अब इस पेस्ट को कमर पर लगाइए. इसके बाद गर्म पानी में एक तौलियों को डूबाकर निचोड़ लीजिए. इसके बाद इस तौलियों को लहसुन पेस्ट लगे कमर के हिस्से के ऊपर रख दें. आधे घंटे बाद पेस्ट को साफ कर लें. इस पेस्ट को लगाने के बाद कमर का दर्द चुटकियों में गायब हो सकता है.

एक्सरसाइज करें

कमर दर्द का सबसे स्टीक इलाज है एक्सरसाइज करना. रोजाना महज 10 से 15 मिनट की एक्सरसाइज करने से पीठ की हड्डियां मजबूत बनेंगी. साथ ही कुर्सी पर आपके बैठने की पोजिशन को भी सही करेंगी.

नोट: जिन लोगों को कमर में ज्यादा दर्द की समस्या रहती है वो डॉक्टर से संपर्क करें. घरेलु इलाज के साथ-साथ कमर के तेज दर्द में डॉक्टर से सलाह लेना आवश्यक है.