छत्तीसगढ़ पर फिर पड़ा Corona का साया,एक ही दिन में इस जिले में मिले इतने कोरोना मरीज,जानिए किस जिले में कितने एक्टिव केस ?    |    CG CORONA UPDATE : छत्तीसगढ़ में कोरोना के मामलों में बढ़त जारी...जानें 24 घंटे में सामने आए कितने नए केस    |    छत्तीसगढ़ में आज कोरोना के 10 नए मरीज मिले, कहां कितने केस मिले, देखें सूची…    |    प्रदेश में थमी कोरोना की रफ्तार, आज इतने नए मामलों की पुष्टिं, प्रदेश में अब 91 एक्टिव केस    |    CG CORONA UPDATE : छत्तीसगढ़ में कोरोना के मामलों में बढ़त जारी...जानें 24 घंटे में सामने आए कितने नए केस    |    BREAKING : प्रदेश में आज 15 नए कोरोना मरीजों पुष्टि, देखें जिलेवार आकड़े    |    प्रदेश में कोरोना का कहर जारी...कल फिर मिले इतने से ज्यादा मरीज, एक्टिव मरीजों का आंकड़ा पहुंचा 100 के पार    |    छत्तीसगढ़ में मिले कोरोना के 14 नए मरीज...इस जिले में सबसे ज्यादा संक्रमित,कुल 111 एक्टिव केस    |    सावधान : छत्तीसगढ़ में फिर बढ़ रहा कोरोना...जानें 24 घंटे में सामने आए कितने नए केस    |    Corona update: प्रदेश में 2 कोरोना मरीजों की मौत...इलाज के दौरान तोड़ा दम    |
बरसात के मौसम में घर को रखें कीड़ेमुक्त, जानिए खास टिप्स

बरसात के मौसम में घर को रखें कीड़ेमुक्त, जानिए खास टिप्स

बारिश का मौसम जहां प्रकृति की खूबसूरती को दर्शाता, वहीं इस मौसम में घर में कीड़े-मकोड़ों की एंट्री भी होना शुरू होती है। कीड़े जैसे चींटी, कॉकरोच, मक्खी, छिपकली आदि। इस वजह से ये कई बीमारियों का कारण भी बनते हैं। घर में कीड़े होने का सबसे बड़ा कारण होता है घर की ठीक तरीके से सफाई न होना। ऐसे में कीड़े-मकोड़े कई बीमारियों को दावत भी देते हैं।


आखिर कैसे बरसात के मौसम में घर को कीड़ों से दूर रखा जा सकता है, आइए जानें कुछ खास टिप्स।

सबसे पहले घर की ठीक तरीके से सफाई करें। यदि आप रोज ऐसा करते हैं, तो कीड़ों का होना कई हद तक कम हो जाएगा।

घर में मक्खी और चींटियों से बचने के लिए रोज फर्श पर फिनाइल और फिटकरी का पावडर मिलाकर नियमित पोंछा लगाने से धीरे-धीरे ये घर से गायब होना शुरू हो जाएंगे।

आपने अधिकतर सुना होगा कि मोरपंख यदि घर में लगा है तो इससे कीड़े-मकोड़ों का आगमन कम हो जाता है। यह बात बिलकुल ठीक है। यदि आप इनसे मुक्ति पाना चाहते हैं तो घर में मोरपंख लगाएं। आप इसे घर के अंदर भी लगाएं और अपने एंट्री गेट पर भी लगाएं।
यदि आप घर में छिपकली से परेशान हैं तो अंडे के छिल्के को दीवार पर फंसाकर रख दें। इसे इस तरह लगाएं कि ये गिरे नहीं। इसे दीवार से चिपका दें। कुछ समय में ही छिपकली कम होने लगेगी।

किचन में मक्खी-मच्छर भगाने के लिए 1 चम्मच कॉफी पावडर को तवे पर जलाकर धूनी दें। डाइनिंग टेबल से मक्खियों को दूर करने के लिए मेज के बीचोबीच पुदीने की पत्तियों का ताजा गुच्छा रखें।

घर के बीच-बीच में कपूर का धुआं दें। इससे घर में खूशबू तो बने रहेगी ही, साथ ही मक्खी-मच्छर भी कम होंगे।
कीड़े-मकोड़ों को दूर भगाने के लिए कुछ उपयुक्त पौधे हैं, जैसे तुलसी, पुदीना व अजवाइन का पौधा अवश्य लगाएं। इससे घर में कीड़े-मकोड़े नहीं होंगे।

 

सेहत को इन 6 तरीकों से नुकसान पहुंचाता है हैंडसैनिटाइजर का अधिक उपयोग

सेहत को इन 6 तरीकों से नुकसान पहुंचाता है हैंडसैनिटाइजर का अधिक उपयोग

हालाकि भारतीय स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से कहा गया है कि हैंडसैनिटाइजर का एक सीमा से अधिक उपयोग करना सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है। इससे बचाव के लिए उन्होंने सुझाव दिया है कि जब आप लोग घर में हो उस समय हैंडसैनिटाइजर के उपयोग की जगह साबुन से हाथ धुलें। आइए, यहां जानते हैं कि आखिर किन तरीकों से हैंडसैनिटाजर हमारे हाथों को नुकसान पहुंचाता है...

हानिकारक होता है यह केमिकल

-हैंडसैनिटाइजर को बनाने में जिन केमिकल्स का उपयोग किया जाता है, उनमें आमतौर पर बेंजाल्कोनियम क्लोराइड होता है। यह रसायन हाथ की त्वचा पर स्थित कीटाणुओं को लगभग पूरी तरह खत्म कर देता है। किसी भी तरह के बैक्टीरिया और इंफेक्शन फैलानेवाले पैथोजेन्स त्वचा पर ऐक्टिव नहीं रह पाते हैं।

-लेकिन जब इस रसायन को हाथ पर बहुत अधिक उपयोग किया जाने लगता है तो यह कुछ लोगों में एलर्जी, खुजली या जलन की वजह बन सकता है। ऐसा आमतौर पर उन लोगों के साथ होता है, जिनकी त्वचा बहुत अधिक संवेदनशील होती है।

त्वचा को नुकसान हो सकता है

-हैंडसैनिटाइजर को तैयार करते समय इसमें ट्राइक्लोसोन का उपयोग भी किया जाता है। यह एक ऐसा रसायन है, जो त्वचा द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है। यानी हमारी त्वचा इस रसायन को सोख लेती है। इस कारण यह हमारे शरीर में प्रवेश कर जाता है। यदि एक सीमित मात्रा से अधिक कोई भी बाहरी रसायन शरीर में जाएगा तो उसके साइड इफेक्ट्स निश्चित तौर पर होते हैं।

-बहुत अधिक हैंडसैनिटाइजर का उपयोग करने से हाथों में रुखापन बढऩे लगता है। बार-बार साबुन से हाथ धोने पर भी इस तरह की समस्या होती है। इस स्थिति से बचने के लिए बेहतर होता है कि आप हाथ पोछने के तुरंत बाद अपने हाथों पर एक बूंद सरसों तेल लगाकर मालिश कर लें।

-सरसों तेल अधिक मात्रा में ना लें नहीं तो यह चिपचिपाहट पैदा करेगा। यह तेल ऐंटिवायरल, ऐंटिबैक्टीरियल और ऐंटिइंफ्लामेट्री गुणों से भरपूर होता है। इसलिए त्वचा पर अन्य किसी मॉइश्चराइजर से अधिक उपयोगी है। खासतौर पर आज के समय में कोरोना की स्थिति को देखते हुए।

 

मूड पर खराब असर

-सैनिटाइजर का बहुत अधिक उपयोग करने के कुछ ऐसे नुकसान होते हैं, जिन पर हमारा जल्दी से ध्यान नहीं जाता है। मसलन सैनिटाइजर्स को खुशबूदार बनाने के लिए इनमें जिन रसायनों का उपयोग किया जाता है, कई बार वे रसायन स्ट्रेस और एंग्जाइटी को ट्रिगर करनेवाले होते हैं। ऐसा आमतौर पर उन लोगों के साथ होता है जो बहुत अधिक संवेदनशील होते हैं।

पाचन पर बुरा असर

-हैंडसैनिटाजइजर्स को अच्छी सुंगध देने के लिए जिन रसायनों का उपयोग किया जाता है, उनमें फैथलेट्स भी शामिल है। यह एक ऐसा रसायन है, जिसके अधिक उपयोग का लिवर और किडनी पर नकारात्मक असर देखने को मिलता है। इस कारण उन लोगों को अधिक दिक्कत होती है, जिन्हें पहले से ही पेट या पाचन से जुड़ी बीमारियां हों।

बच्चों के लिए भी सुरक्षित नहीं

 

-हैंडसैनिटाइज का बहुत अधिक उपयोग बच्चों की सेहत के लिए भी ठीक नहीं है। ऊपर हमने जितनी भी बातें की हैं, इनमें से किसी भी तरह की समस्या होने पर आमतौर पर बच्चे माता-पिता को एक्सप्लेन नहीं कर पाते हैं कि उन्हें कैसा महसूस हो रहा है या क्या परेशानी हो रही है। वे सिर्फ चिड़चिड़े और बीमार हो जाते हैं। इसलिए बच्चों को भी साबुन से हाथ धुलवाना ही सही है।

  

 

हंसिए और बीमारियों को दूर भगाइए, वर्कआउट से कम नहीं हैं हंसने के फायदे

हंसिए और बीमारियों को दूर भगाइए, वर्कआउट से कम नहीं हैं हंसने के फायदे

जब व्यक्ति तनाव में होता है, तो शरीर कोर्टिसोल हार्मोन रिलीज करता है. कोर्टिसोल के साइड इफेक्ट्स को कम करने के लिए शरीर को एंडोर्फिन रिलीज करने के लिए तैयार करने की जरूरत होती है और खास बात यह है कि हंसकर आसानी से ऐसा किया जा सकता है. इसलिए हंसी सेहत के लिए बहुत जरूरी है.


हंसने से होती है आंतरिक कसरत
ज्यादा तनाव के समय शरीर में कोर्टिसोल का स्तर बढ़ता है. वहीं एंडोर्फिन प्राकृतिक दर्द निवारक है जो दर्द में सक्रिय होता है. इसकी जरूरत इसलिए होती है ताकि दर्द से बाहर निकल सके. इसके लिए सबसे पहला काम जो जरूरी है वो ये है कि खूब हंसें. हंसना एक वर्कआउट है. इससे आंतरिक कसरत होती है. खुलकर हंसने से डायाफ्राम, पेट, श्वसन प्रणाली और कंधों का अभ्यास होता है और हंसने के बाद मांसपेशियां और अधिक रिलैक्स्ड हो जाती हैं.


इम्यून सिस्टम में सुधार की वजह बनती है हंसी
हंसने से शरीर में अधिक मेलेटोनिन का उत्पादन होता है जो दिमाग द्वारा रिलीज हार्मोन है. इससे अच्छी नींद में मदद मिलती है. इससे नींद का पैटर्न भी सुधरता है. यही नहीं डिप्रेशन से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह रामबाण है. खुलकर हंसना इम्यून सिस्टम में सुधार की वजह भी बनता है. हंसी की वजह से इम्यून सिस्टम में संक्रमण विरोधी एंटीबॉडी के साथ ही खून में टी-कोशिकाओं की संख्या में भी बढ़ोतरी हो, सकती है. इसलिए किसी भी कीमत पर हंसी के साथ दिन शुरू करना जरूरी है.


हाई बीपी और डायबिटीज को कंट्रोल करती है हंसी
जो लोग नियमित रूप से खूब हंसते हैं उनका हाई बीपी नियंत्रण में रहता है. हंसने से रक्त वाहिकाओं का कार्य सुधरता है और रक्त प्रवाह बढ़ता है. इससे दिल का दौरा या दिल से जुड़ी बीमारियों से बचा जा सकता है. रोजाना खुलकर हंसने से डायबिटीज कंट्रोल करने में भी मदद मिलती है. शोधों में खुलासा हुआ है कि डायबिटीज के मरीजों से जुड़ी जटिलताओं को कम करने में हंसी का यह व्यायाम मदद करता है.

जवान दिखना चाहते हैं तो खुलकर हंसें
जवान दिखने की चाह रखने वालों के लिए भी यह बड़े काम का व्यायाम है. मुस्कुराने और हंसने से चेहरे की 15 मांसपेशियां एक साथ काम करती हैं. चेहरे की ओर रक्त का प्रवाह बढ़ जाता है जिससे व्यक्ति युवा दिखता है. शारीरिक और मानसिक ही नहीं यह भावानात्मक स्वास्थ्य को भी बढ़ावा देता है. हंसी की जरूरत इस बात से ही समझ आ जाती है कि जब एक बच्चा मुस्कुराता है तो उसका मन और शरीर कितना उत्साहित लगता है. यह वयस्कों और बुजुर्गों पर भी सटीक बैठता है. हंसने पर हवा फेफड़ों से बाहर निकल जाती है और इसके साथ गहरी आंतरिक सांस ले सकते हैं. शरीर की मांसपेशियों और अंगों के आसपास ऑक्सीजन का प्रवाह बढ़ जाता है, इससे अधिक ऊर्जा मिलती है. हंसी के साथ साथ शारीरिक व्यायाम किया जाए तो व्यक्ति स्वस्थ और फिट रहता है. हंसी एक ऐसी दवा है जो कि आसानी से उपलब्ध है और जब चाहे, जैसे चाहे इसका लाभ उठा सकते हैं.
 

सेहत को 6 बेहतरीन फायदे पहुंचाता है हॉट लेमन वॉटर, वजन घटाने में भी मिलती है मदद

सेहत को 6 बेहतरीन फायदे पहुंचाता है हॉट लेमन वॉटर, वजन घटाने में भी मिलती है मदद

सेहतमंद बने रहने के लिए हमें कई प्रकार के खाद्य पदार्थों का सेवन सावधानीपूर्वक करना पड़ता है। वहीं, कुछ खाद्य पदार्थ ऐसे भी होते हैं जिन्हें हम अलग-अलग रूपों में अपनी डायट का हिस्सा बना सकते हैं। यहां एक ऐसी ही खास ड्रिंक के बारे में बताया जा रहा है जो नींबू से तैयार होती है। आप सब को यह पता होगा कि नींबू को हम अलग-अलग रूप से खाने के लिए इस्तेमाल करते हैं। प्रचलित रूप में बात की जाए तो नींबू का सबसे ज्यादा सेवन ड्रिंक के रूप में किया जाता है। इन दिनों हॉट लेमन वॉटर का क्रेज भी लोगों को खूब पसंद आ रहा है। यह सेहत के लिए कई बेहतरीन फायदे पहुंचाता है जिसके बारे में आपको यहां पर खास जानकारी दी जा रही है।

वजन घटाने में
वजन को कंट्रोल करना बहुत जरूरी होता है, नहीं तो यह टाइप-2 डायबिटीज और कैंसर का खतरा बढ़ा देता है। इस समस्या से निजात पाने के लिए हॉट लेमन वॉटर को अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं। कई शोध में इस बात की पुष्टि हो चुकी है कि नींबू पानी का सेवन करने से वजन घटाने में काफी मदद मिलती है।

कब्ज की समस्या से छुटकारा
कब्ज की समस्या से कई लोग परेशान रहते हैं और खासकर बुजुर्गों को यह समस्या सबसे ज्यादा परेशान करती है। वहीं, हॉट लेमन वॉटर का सेवन करने से इसमें मौजूद सिट्रिक एसिड कब्ज की समस्या को ठीक करने में प्रभावी माना जाता है।

रनिंग करने वालों के लिए बहुत जरूरी
ऐसा माना जाता है कि एथलेटिक एक्टिविटी से जुड़े हुए लोगों को हॉट लेमन वॉटर का सेवन जरूर करना चाहिए। ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि एक वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार, शरीर की मांसपेशियों को बूस्ट करने और उन्हें एक्टिव बनाए रखने के लिए हॉट लेमन वॉटर सक्रिय रूप से मददगार साबित हो सकता है।

कोल्ड और फ्लू से छुटकारा
कोल्ड और फ्लू की समस्या मॉनसून के दिनों में सबसे ज्यादा परेशान करती है। कोरोना वायरस महामारी के इस दौर में कोल्ड और फ्लू से बचे रहने के लिए हमें हर संभव उपाय करने की जरूरत है। कोल्ड और फ्लू की समस्या से बचे रहने के लिए अगर हॉट लेमन वॉटर का सेवन किया जाता है, तो यह इस समस्या से राहत दिलाने में फायदेमंद साबित हो सकता है।

मेटाबॉलिज्म को बूस्ट करता है
मेटाबॉलिज्म को बूस्ट करने के लिए हम कई प्रकार के ड्रिंक का सेवन करते हैं, लेकिन हॉट लेमन वॉटर का सेवन किया जाए तो इससे मेटाबॉलिज्म को बूस्ट करने में बड़ी तेजी से मदद मिलेगी। इसे हिंदी में चयापचय के नाम से भी जाना जाता है। यह हमारे शरीर में मुख्य रूप से केमिकल रिएक्शन को मेंटेन बनाए रखने और फूड को एनर्जी में कन्वर्ट करने का काम करता है।

ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में
नींबू में मौजूद मैग्निशियम और पोटेशियम की मात्रा हाई ब्लड प्रेशर की समस्या को कम करने में अहम भूमिका निभाती है। इसलिए नींबू को प्राथमिक घरेलू उपचार के रूप में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है। एक वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार, नींबू का सेवन हाइपरटेंशन की समस्या से बचाए रखने के लिए कारगर इलाज माना जाता है।


कैसे तैयार करें यह ड्रिंक
सामग्री
*1 नींबू
*1/2 चम्मच शहद
 

दूध में तुलसी डालकर पीने से होते हैं कई सेहत लाभ, जरूर जानिए

दूध में तुलसी डालकर पीने से होते हैं कई सेहत लाभ, जरूर जानिए

दूध पोषण के लिहाज से अमृत के समान है और तुलसी को औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है जो आपकी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाकर कई रोगों से आपकी रक्षा करती है। इन दोनों का मिश्रण कर लिया जाएं, तो पोषण के साथ-साथ सेहत और उससे जुड़े कई फायदे पाए जा सकते हैं। अब जब भी आप दूध पिएं, उसमें तुलसी की पत्ति यां डालें और पाएं यह 5 फायदे -

1 दमा के मरीजों के लिए यह उपाय फायदेमंद है। खास तौर से मौसम में बदलाव होने पर होने वाली सांस संबंधी समस्याओं से बचने के लिए दूध और तुलसी का यह मिश्रण बेहद लाभकारी होता है।

2 सि‍र में दर्द या माइग्रेन की समस्या होने पर यह उपाय आपको रोहत देगा। जब भी माइग्रेन का दर्द हो आप इसे पी सकते हैं, रोजाना इसका सेवन करने से आपकी समस्या भी खत्म हो सकती है।

3 तनाव अगर आपके जीवन का भी अभिन्न अंग बन गया है, तो दूध में तुलसी के पत्तों को उबालकर पिएं, आपका तनाव दूर होगा और धीरे-धीरे तनाव की समस्या ही समाप्त हो जाएगी।

4 हृदय की समस्याओं में भी यह लाभदायक है। सुबह खाली पेट इस दूध को पीने से हृदय संबंधी रोगों में लाभ पाया जा सकता है। इसके अलावा यह किडनी में होने वाली पथरी के लिए भी अच्छा उपचार है।

5 तुलसी में कैंसर कोशिकाओं से लड़ने का गुण होता है, अत: इसका सेवन आपको कैंसर से बचा सकता है। इसके अलावा सर्दी के कारण होने वाली सेहत समस्याओं में भी यह कारगर उपाय साबित होगा।

 

गले में खराश, सांस की बदबू और छाले से हैं परेशान, गरारे से मिलेगा आराम

गले में खराश, सांस की बदबू और छाले से हैं परेशान, गरारे से मिलेगा आराम

बदलते मौसम के साथ गले में खराश और खांसी की समस्या होती है, जो थोड़े इलाज करने के बाद सही हो जाती है. लेकिन मुंह से बदबू आना ऐसी समस्या है, जिसके चलते आपको लोगों के बीच बेज्जत होना पड़ता है. गले में खराश, सूखी खांसी, बलगम, मुंह की बदबू से लेकर मसूड़ों में सूजन की परेशानी से निपटने का एक तरीका है और वह है गरारे यानी गार्गल. यह मुंह और दांतों के बीच फंसा खाना निकाल देता है, कैविटी पैदा करने वाले बैक्टीरिया को मार सकता है और तुरंत सांसों को ताजा कर करता है. गरारे करना मुंह की स्वच्छता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है.
गरारे करने से गले में मौजूद बैक्टीरिया द्वारा बनाया जाने वाला एसिड कम होता है. इन्फेक्शन में गरारे करने से संक्रमण की गंभीरता कम होती है और लक्षणों में आराम मिलता है. यूं तो गरारे के ढेरों फायदे हैं, लेकिन इसे अक्सर अनदेखा या गलत तरीके से किया जाता है. सही ढंग से गरारे न करने पर जो लाभ होना चाहिए वह नहीं होता है. इन स्टेप्स को फॉलो कर सही तरीके से इस तरह करें गरारे...

*गरारे करने के लिए एक अलग गिलास रखें. पानी भरने के लिए कई लोग हमेशा हथेलियों का इस्तेमाल करते हैं लेकिन गिलास का उपयोग करना अधिक सुविधाजनक है, खासकर यदि गरारे करने वाले मिश्रण या माउथवॉश से करना चाहते हैं.

*ठंडा पानी दांतों की संवेदनशीलता का कारण बन सकता है और गर्म पानी मुंह में जलन पैदा कर सकता है. गुनगुना पानी सबसे अच्छा काम करता है. इसमें नमक या अन्य सामग्री मिलाई जा सकती है.

*यदि गले में खराश या मसूड़े की सूजन है, तो गरारे करने वाले मिश्रण की प्रभावशीलता को बढ़ाने के लिए इसमें एक चम्मच शहद मिलाएं. यह प्रभावी रूप से मुंह के बैक्टीरिया के विकास को भी रोक सकता है.

*नमक एक आजमाया हुआ प्राकृतिक कीटाणुनाशक है. गर्म पानी में एक चम्मच नमक भी डाल सकते हैं और इसके साथ गरारे कर सकते हैं. नमक का पानी गले के ऊतक में मौजूद पानी को निकालता है और गले की समस्या से छुटकारा दिलाने में मदद करता है.

*बेकिंग सोडा खराब सांस और प्लाक बिल्ड-अप के लिए एक और आजमाया हुआ उपाय है. गरारे करने से पहले गुनगुने पानी में एक छोटी चुटकी बेकिंग सोडा डालें. अब मिश्रण तैयार है. इसे धीरे-धीरे तब तक लें जब तक कि मुंह में पर्याप्त तरल न हो जाएं.

*अब अपने मुंह के एक तरफ से दूसरे हिस्से तक पानी को सावधानी से घुमाएं. याद रखें कि इसे आगे और पीछे भी घुमाएं. अपने गाल की मांसपेशियों को अंदर और बाहर धकेलें और अपनी जीभ को अपने मुंह के हर कोने में घुमाएं ताकि हर जगह तरल जाए.

*गले में खराश की स्थिति में अपना सिर थोड़ा टेढ़ा करें, जब तक कि तरल मुंह, टॉन्सिल और यूवुला (मुंह के पीछे की ओर जीभ पर लटकते ऊतक का मांस का टुकड़ा) न छुए जाए. अपना मुंह खोलें और एक तेज आवाज करें. कंपन ले कर पीछे पानी के बुलबुले बना देगा, दर्द को शांत करेगा और इसे तरल की एक पतली परत के साथ कोटिंग करेगा.


*20-30 सेकंड के लिए अपने मुंह में पानी भरने के बाद सावधानी से पानी बाहर थूक दें. यदि आवश्यक हो तो प्रक्रिया को दोहराएं. ब्रश करने और फ्लॉस करने के बाद ताजा सांस और स्वस्थ दांतों के लिए रोजाना थोड़ा गरारा करें.


अस्वीकरण : इस लेख में दी गयी जानकारी कुछ खास स्वास्थ्य स्थितियों और उनके संभावित उपचार के संबंध में शैक्षणिक उद्देश्यों के लिए है। यह किसी योग्य और लाइसेंस प्राप्त चिकित्सक द्वारा दी जाने वाली स्वास्थ्य सेवा, जांच, निदान और इलाज का विकल्प नहीं है। यदि आप, आपका बच्चा या कोई करीबी ऐसी किसी स्वास्थ्य समस्या का सामना कर रहा है, जिसके बारे में यहां बताया गया है तो जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करें।

 

इमली के इन 5 फायदों के बारे में नहीं जानते होंगे आप, इम्यूनिटी से लेकर दिल तक जुड़ा है कनेक्शन

इमली के इन 5 फायदों के बारे में नहीं जानते होंगे आप, इम्यूनिटी से लेकर दिल तक जुड़ा है कनेक्शन

इमली को देखकर किसी के भी मुंह में पानी आ जाता है. मीठे और चटपटे स्वाद वाली इमली का इस्तेमाल दुनिया भर में चटनी, सॉस और यहां तक कि मिठाइयों के लिए भी किया जाता है. लेकिन क्या आपको पता है कि आपके भोजन को स्वाद देने के अलावा इमली से कई स्वास्थ्य लाभ भी मिलते हैं. इम्यूनिटी को बढ़ाने से लेकर डाइजेशन को अच्छा रखने और दिल को बीमारियों को दूर रखने तक इमली हेल्थ के लिए बहुत अच्छी होती है. विटामिन सी, ई और बी के अलावा इमली में कैल्शियम, आयरन, फॉस्फोरस, पोटेशियम, मैंगनीज और फाइबर भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है. साथ ही इसमें एंटी-ऑक्सीडेंट्स भी मौजूद होते हैं. आइए आपको बताते हैं कि इमली किस तरह से आपके हेल्थ को फायदा पहुंचा सकती है.


डायबिटीज में प्रभावी
इमली के बीज के अर्क की प्रकृति एंटी-इंफ्लेमेटरी होती है और इसे ब्लड शुगर लेवल को स्थिर करने और डायबिटीज से पीडि़त लोगों में अग्नाशय के टिश्यु की क्षति को रोकने के लिए जाना जाता है. इमली में पाया जाने वाला एंजाइम अल्फा-एमिलेज ब्लड शुगर के लेवल को कम करने में मदद करता है.

इम्यूनिटी बूस्टर
इमली में बहुत अधिक मात्रा में विटामिन सी मौजूद होता है जो कि शरीर की इम्यूनिटी को बढ़ाने में मदद करती है. इमली एक इम्यूनिटी बूस्टर की तरह काम करती है. यह शरीर से वायरल इंफेक्शन को कोसो दूर रखती है. इसे खाने से चेहरे पर ग्लो और बालों में चमक नजर आती है.

वजन कम करने में मददगार
इमली फाइबर से भरपूर होती है और इसमें फैट की मात्रा बिल्कुल नहीं होती है. इमली को खाने से वजन कम करने में मदद मिलती है क्योंकि इसमें फ्लेवोनोइड्स और पॉलीफेनोल्स होते हैं. इसके अलावा, इमली हाइड्रॉक्सीसिट्रिक एसिड से भरपूर होती है जो एमिलेज को रोककर भूख को कम करती है. यह एक एंजाइम है जो कार्बोहाइड्रेट को फैट में परिवर्तित करने के लिए जिम्मेदार होता है.

डाइजेशन में मददगार
इमली का उपयोग प्राचीन काल से एक अच्छे पाचक के रूप में किया जाता रहा है क्योंकि इसमें टार्टरिक एसिड, मैलिक एसिड और पोटेशियम पाया जाता है. पेट की मसल्स को आराम देने की क्षमता के कारण इसका उपयोग लूज मोशन के उपचार के रूप में भी किया जाता है. इसका इस्तेमाल कब्ज को दूर करने के लिए भी किया जाता है. इमली के सेवन से पेट की बीमारियां दूर रहती हैं.

हेल्दी हार्ट
इमली दिल के लिए बहुत अच्छा होता है. इसमें मौजूद फ्लेवोनोइड्स, एलडीएल या बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करने और एचडीएल या गुड कोलेस्ट्रॉल के लेवल को बढ़ाते हैं. इस प्रकार ब्लड में ट्राइग्लिसराइड्स (फैट का एक प्रकार) के निर्माण को रोकते हैं. इसमें पोटेशियम भरपूर मात्रा में होता है जो ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में मदद करता है.

 

रक्त में इंसुलिन बढ़ाने का काम करता है पपीता, इन लोगों को करना चाहिए नियमित सेवन

रक्त में इंसुलिन बढ़ाने का काम करता है पपीता, इन लोगों को करना चाहिए नियमित सेवन

हम सभी जानते हैं कि पपीता हम सभी के लिए बहुत लाभकारी होता है। लेकिन कम ही लोगों को इस बात की जानकारी है कि शुगर के रोगियों के लिए पपीता एक आयुर्वेदिक औषधि की तरह काम करता है। यदि नियमित रूप से और सीमित मात्रा में हर दिन डायबिटीज के पेशंट पपीता खाएं तो उन्हें कभी भी शुगर बढऩे की शिकायत नहीं होगी...


शुगर को नियंत्रित करने का आसान तरीका
मधुमेह या डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है, जो अब हर उम्र के लोगों को अपना शिकार बना रही है। एक समय था जब आमतौर पर 50 की उम्र के बाद ही यह बीमारी हुआ करती थी। लेकिन अब तो टीनेजर्स भी इसकी चपेट में आ रहे हैं। हम नहीं चाहते कि आपको कोई ऐसा सुझाव दें, जिसे जीवन में उतारना संभव ना हो इसलिए एक आसान तरीका आपके लिए लेकर आए हैं...

जीवनभर पीछा नहीं छोड़ती
-मधुमेह या डायबिटीज की समस्या अगर एक बार किसी को हो जाती है तो फिर जीवनभर उस व्यक्ति का पीछा नहीं छोड़ती। यानी यह एक लाइलाज बीमारी है। आप इसे सिर्फ कंट्रोल कर सकते हैं। इसके लिए आपको अपने खान-पान की आदतों और जीवनशैली में कुछ जरूरी बदलाव करने की जरूरत होती है।

अपनी डेली डायट में इसे शामिल करें
-डायबिटीज या शुगर के मरीजों को अपनी डेली डायट में पके हुए पपीते का सेवन करना चाहिए। आप इसकी सलाद बनाकर खा सकते हैं। नाश्ते और लंच के बीच के समय में या फिर लंच और डिनर के बीच के समय में इसे खाना सबसे अधिक उपयोगी होता है।

कच्चा पपीता भी है लाभकारी
- जितना लाभकारी पका हुआ पपीता होता है, उतना ही फायदेमंद कच्चा पपीता भी होता है। इस कच्चे पपीते को आप सब्जी और अचार के रूप में उपयोग कर सकते हैं। शुगर के मरीजों के लिए पपीता खाना बिल्कुल किसी औषधि के सेवन जैसा होता है।

पपीते में होते हैं ढेरों गुण
-पपीता बहुत गुणकारी फल है। इसमें विटमिन-ए और विटमिन-सी भरपूर मात्रा में पाया जाता है। विटमिन-ए शुगर का असर हमारी आंखों पर नहीं होने देता है और आंखों की रोशनी को सही बनाए रखने का काम करता है।
-वहीं, विटमिन-सी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बनाए रखने और बढ़ाने का काम करता है। दरअसल, शुगर के बढ़े हुए स्तर के कारण हमारे शरीर में इम्यून सेल्स की कमी होने लगती है। पपीते में पाया जानेवाला विटमिन-सी इम्यून सेल्स की संख्या बढ़ाने में सहायक होता है।

मैग्नीशियम और पोटैशियम
-पपीते में मैग्नीशियम और पोटैशियम बहुत ही संतुलित मात्रा में पाए जाते हैं। ये दोनों ही तत्व हमारे शरीर की हमारे शरीर को स्वस्थ रखने के लिए बेहद जरूरी होते हैं। मैग्नीशियम हमारे शरीर में ऊर्जा का प्रवाह बनाए रखने में सहायक होता है। साथ ही डेड स्किन सेल्स को हटाने, डैमेज बॉडी सेल्स को रिपेयर करने और ब्लड के फ्लो को बनाए रखने में भी इसका सहयोग होता है।
-पोटैशियम भी हमारे शरीर के लिए बेहद जरूरी मिनरल है। यह हमारे शरीर में फ्लूइड को संतुलित करने में सहायक है। हमारी मसल्स को ठीक तरह से काम करने में मदद करता है। साथ ही पोटैशियम हमारे शरीर में नर्व्स के सिग्नल्स भेजने में मदद करता है। यह हमें किडनी स्टोन, हार्ट अटैक जैसी जानलेवा बीमारियों से भी सुरक्षा देता है।

इंसुलिन की मात्रा बढ़ाता है
-विटमिन और मिनरल्स की संतुलित मात्रा के कारण पपीता प्राकृतिक रूप से हमारे शरीर में बढ़े हुए शुगर के स्तर को कम करता है। जब रक्त में ग्लूकोज की मात्रा सीमित हो जाती है तो इंसुलिन का स्तर भी ठीक हो जाता है। इससे डायबिटीज के रोगियों को शुगर बढऩे के कारण होनेवाली समस्याओं से मुक्ति मिल जाती है।

इस बात का रखें ध्यान
-पपीता गुणकारी होता है, इसका अर्थ यह बिल्कुल नहीं है कि आप एक बार में बहुत अधिक मात्रा में पपीता खा लें। आप हर दिन एक छोटे पपीते का सेवन कर सकते हैं।
-ध्यान रखें कि पपीते को चाकू से काटने या छीलने के बाद 6 घंटे के अंदर ही खा लेना चाहिए। इस कटे हुए पपीते को फ्रिज में स्टोर ना करें।

 

जानिए कैसे पहचानें कोरोना और आम सर्दी-जुकाम के लक्षण को ?

जानिए कैसे पहचानें कोरोना और आम सर्दी-जुकाम के लक्षण को ?

कोरोना का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है। ऐसे में लोगों के मन में कोरोना को लेकर एक डर का माहौल बना हुआ है, वहीं इस संक्रमण से बचने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। विशेषज्ञ इस वायरस से निपटने के लिए सुझाव भी दे रहे हैं। कोविड-19 का डर लोगों के मन में इतना बढ़ चुका है कि यदि साधारण सर्दी-खांसी भी यदि किसी व्यक्ति को होती है, तो उसका सबसे पहले ध्यान कोरोना पर ही जाता है जिस कारण व्यक्ति मानसिक रूप से खुद को कमजोर भी महसूस करने लगता है।


लेकिन फ्लू, सर्दी-जुकाम और कोरोना में अंतर को समझना जरूरी है।

आइए जानते हैं कैसे पहचानें कोरोना और आम सर्दी-जुकाम के लक्षण को?

अगर सूखी खांसी और छींक आती है तो ये एक तरह से वायु प्रदुषण के लक्षण हैं।

खांसी, बलगम और छींक आए तथा नाक बहने लगे तो ये सामान्य जुकाम के लक्षण हैं।

खांसी, बलगम, छींक और बहती नाक व इसके साथ शरीर में दर्द बना रहना, कमजोरी लगना व हल्का बुखार हो तो ये फ्लू के लक्षण हैं।
सूखी खांसी, छींक, शरीर में दर्द, कमजोरी व तेज बुखार इसके साथ सांस लेने में कठिनाई हो तो यह कोरोनावायरस हो सकता है।

वाकई समय बहुत कठिनाइयों वाला है, लेकिन इस वक्त सकारात्मक रहना भी जरूरी है। मुश्किल का समय है लेकिन सतर्कता और जागरूकता के साथ यदि आगे कदम बढ़ाया जाए तो कोरोना को हराया जा सकता है।

 

रायपुर में बढ़ रहा है साइकिलिंग का क्रेज, बढ़ा रहे है रोग प्रतिरोधक क्षमता

रायपुर में बढ़ रहा है साइकिलिंग का क्रेज, बढ़ा रहे है रोग प्रतिरोधक क्षमता

रायपुर, साइकिलिंग युवाओं के ही नही, बुज़ुर्गों के स्वास्थ्य को भी बेहतर रखती है । साइकिलिंग रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के साथ साथ सेहत और मानसिक तनाव को कम करने के लिए एक अच्छा उपाय भी हो सकता है।

जि़ला चिकित्सालय, पंडरी के मानसिक स्वास्थ्य इकाई में संचालित स्पर्श क्लीनिक के योग गुरु राधेश्याम साहू ने कहा कोरोना के संक्रमण से खुद को बचाने के लिए जरूरी है व्यक्ति के अपने अंदर रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत होना। रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए सुबह के समय खुले माहौल में हल्के-फुल्के व्यायम,के साथ साथ साइकिलिंग करना सबसे अच्छा व्यायाम है। रोजाना साइकिलिंग कर शरीर को चुस्त-दुरुस्त रखने का प्रयास करें।

रोजाना 30 से 40 मिनट की साइकिलिंग शरीर को फिट बनाकर तन और मन दोनों की परेशानियों से छुटकारा दिला सकती है । साइकिलिंग से कार्टिसोल का लेवल बढ़ता है । इसे हैप्पीनेस सोल कहा जाता है जो शरीर की चर्बी कम करने में मदद करता है । रोजाना 30से 40 मिनट साइकिलिंग करने से व्यक्ति 1 महीने में लगभग 2 किलो वजन कम कर सकता हैं ।

योग गुरु साहू ने कहा: आपको कोई भी बीमारी है तो डॉक्टर की सलाह के उपरांत ही साइकिलिंग करें । साथ ही साइकिलिंग करते समय मास्क का प्रयोग अवश्य करें । साइकिलिंग करते समय झुंड में साइकिल न चलाएं सुरक्षित दूरी पर भी चले ।'


पॉच वर्षों से नियमित साइकिलिंग कर रहे डॉक्टर आनंद वर्मा कहते है कोरोना महामारी से जंग लडऩे में साइकिलिंग एक कारगर हथियार की तरह काम कर सकता है। इससे किसी भी प्रकार का पर्यावरण प्रदूषण नहीं होता और यह फिटनेस की दृष्टि से भी उपयोगी है। पर्यावरण को कार्बन मुक्त करने में सहायता मिलती है।
पुलिस उप अधीक्षक पद से वर्ष 2006 सेवानिवृत्त हुए 75 वर्षीय खलीक हुसैन कहते हैं:क्वक्वजब मै सेवानिवृत्त हुआ 3 वर्ष तक तो जीवन सामान्य रहा । उसके बाद मेरा वेट लॉस (वजन कम) होना शुरू हो गया, घुटनों के दर्द की समस्या रहने लगी । मैंने जांच कराई तो पता चला मुझे मधुमेह की समस्या है । उसके बाद से प्रतिदिन 4 से 5 किलोमीटर साइकिलिंग करता हूं । मॉर्निंग वॉक भी करता हूं उसके बाद से जब भी मधुमेह का परीक्षण कराया वह सामान्य निकलती है । साइकिलिंग से शरीर भी स्वस्थ रहता है ।घुटनों के दर्द की समस्या भी जाती रही ।'Ó

घुटनों के दर्द को कम करने में फायदेमंद
साइकिलिंग घुटनों के दर्द को कम करने में भी फायदेमंद होती है । एंजायटी और डिप्रेशन से मुक्ति मिलती है, हार्ट संबंधी रोगों को दूर करता है । 45 वर्ष के बाद साइकिलिंग बहुत फायदेमंद है। विशेषज्ञ के अनुसार घुटनों के दर्द से बचाने के लिए साइकिलिंग अच्छा व्यायम है। इसके अलावा नियमित रुप से व्यायाम करने से भी हड्डी और जोड़ों के दर्द से बचाव किया जा सकता है।

साइकिलिंग से बढ़ती है रोग प्रतिरोधक क्षमता
साइकिलिंग करने से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता भी अन्य लोगों की तुलना में अधिक होती है। जब सुबह खुली हवा में साइकिलिंग करते हैं तो शरीर ठंड का सामना करता है । थोड़ी देर बाद शरीर गर्म होता है । साइकिलिंग करने से फिर अत्यधिक गर्म भी होता है ठंड और गर्म की यह प्रक्रिया शरीर के सेल्स को ताकत देती है । शरीर मौसमी बीमारियों के प्रति भी ज्यादा ताकतवर बनता हैं ।

साइकिलिंग का कैलोरी कनेक्शन
साइकिलिंग का सबसे बड़ा फायदा शरीर में कैलोरी बर्न करना और वजन कम करना माना जाता है । व्यक्ति हर रोज एक घंटा साइकिल चलाएगा 650 कैलोरी घटा सकता है यानी आप हर दिन एक घंटा साइकिल चलाकर 71 ग्राम वजन घटा सकते हैं रोजाना साइकिलिंग से रक्त संचार अच्छा होता है जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है दरअसल साइकिल चलाने से रक्त संचार तेज होता है और जैसे त्वचा और उसका यानी सेल्स को ज्यादा मात्रा में ऑक्सीजन और पोषक मिलते है ।
 

एमएमआई नारायणा सुपरस्पेशलिटी अस्पताल  में TEVAR (थोरेसिक एन्डोवास्कुलर ओर्टिक रिपेयर) द्वारा छत्तीसगढ़ की 82 वर्ष बुजुर्ग महिला का सफल इलाज

एमएमआई नारायणा सुपरस्पेशलिटी अस्पताल में TEVAR (थोरेसिक एन्डोवास्कुलर ओर्टिक रिपेयर) द्वारा छत्तीसगढ़ की 82 वर्ष बुजुर्ग महिला का सफल इलाज

रायपुर, TEVAR,बृहद्धमनी (सबसे बड़ी धमनी) के ऊपरी भाग में धमनीविस्फार का इलाज करने की एक चिकित्सा प्रक्रिया है| धमनीविस्फार, बृहद्धमनी की सतह का एक नाज़ुक और उभरा हुआ हिस्सा हैजिसके फटने से व्यक्ति की मृत्यु तक होसकती है| एनएच एमएमआई नारायणा सुपरस्पेशलिटी अस्पताल, देश के चुनिंदा अस्पतालों में शुमार है, जहाँ ह्रदय से सम्बंधित जटिल प्रक्रियाएं भी सफलता पूर्वक किया जा रहा है I
एनएच एमएमआई नारायणा सुपरस्पेशलिटी अस्पतालके कार्डियोलॉजी विभाग एवं उनके टीम द्वारा 82 वर्षीय बुजुर्ग महिला, जो कि उच्च रक्तचाप से ग्रसित थी उसका टेवर जैसी दुर्लभ एवं जोखिम भरी प्रक्रिया से सफलतापूर्वक निष्पादन किया गया| जब महिला को खासी में खून आने की तकलीफ के साथ एनएच एमएमआई नारायणा सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल में लाया गया तब डॉ. सुमन्त शेखरपाढ़ी (वरिष्ट सलाहकार- ह्रदयरोग) ने उन्हें आगे की जांच करवाने की सलाह दी | जांच के उपरान्त पता चला उनकी वक्ष महाधमनी फ़ैल गई थी और फेफड़े(ब्रोंकस) में जाकर फट रही थी (इस स्थिति में अवरोही वक्ष महाधमनी का अग्र भाग बाई ब्रोंकस की अवर साखा में प्रवेश करता है).


एनएच एमएमआई नारायणा सुपरस्पेशलिटी अस्पतालकी कुशल कार्डियोलॉजी टीम ने उनकी उम्र और उच्च रक्तचाप की तकलीफ को ध्यान में रखते हुए पहले उन्हें स्थिर करने के लिए रक्त – आधान किया | उनके स्थिर होने के पश्चात डॉ. सुमंत शेखर पाढ़ी के द्वाराडॉ किंजल बक्शी, डॉ. नितिन कुमार राजपूत (ह्रदयशल्यचिकित्सक) और डॉ. अरुन अन्दपन (ह्रदयनिश्चेतनाविशेषज्ञ )के सहयोग से वक्ष महाधमनी और फिस्टुला (महाधमनी और बाएं फेफड़े के ब्रोंकस के बीच का असामान्य संबंध) को बंद करने की प्रक्रिया शुरू की | इस प्रक्रिया के बाद मरीज को दोबारा स्थिर किया गया | रक्तस्राव की समस्या अब ख़त्म होचुकी थी और 4 दिनों तक निगरानी में रखने के बाद उन्हें छुट्टी दी गई | अब वह अपनी सामान्य दिनचर्या में वापसलौट चुकी हैं|


डॉ. सुमन्त शेखरपाढ़ी और पूरी कार्डियोलॉजी टीम की ओर आभार व्यक्त करते हुए मरीज ने कहा उच्च रक्तचाप की तकलीफ और मेरी उम्र दोनों ही जोखिम को बढ़ा रहे थे| मेरा पूरा परिवार डरा हुआ था और मुझे भी समझ नहीआरहा था के आगे क्या होने वाला है,लेकिन डॉ. सुमन्त शेखरपाढ़ी और पूरी कार्डियोलॉजी टीम का मैं जितना शुक्रिया अदा करूँ उतना कम है क्यूंकि उन्होंने मेरी ज़िन्दगी को बेहतर बना दिया है |

डॉ. सुमंत शेखर पाढ़ी ने कहा मरीज़ की उम्र को देखते हुए यह प्रक्रिया बहुत जोखिम भरा था क्यूंकि अधिक कैल्शियम के कारण रक्तवाहिका कठोर थी|उच्च रक्तचाप इस प्रक्रिया का एक सामान्य कारण है जिसकी वजह से यह मामला और भी जोखिम भरा होगया था लेकिन हम अंततः सफल हुए |”


श्री नवीन शर्मा (फैसिलिटी डायरेक्टर, एनएच एमएमआई नारायणा सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल) ने भी कार्डियोलॉजी टीम को बधाई दी “यह राज्य में इस तरह की प्रक्रिया से गुजरने वाली सबसे बुजुर्ग व्यक्ति थीं, यह हम सभी के लिए गर्व का क्षण है क्योंकि हम अपने उद्देश्य को इतनी अच्छी तरह से पूरा करने में सक्षम हैं । टेवर और टावी जैसी दुर्लभ और जोख़िम भरी प्रक्रिया जो की बड़े शहरों में ही होती थी, वो अब सफलता पूर्वक एनएच एमएमआई नारायणा सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल, रायपुर में की जाती हैं | इस तरह की प्रक्रिया में प्रत्येक चरण में सावधानीपूर्वक योजना बनाने और प्रत्येक चरण के निर्दोष निष्पादन की आवश्यकता होती है | इस तरह की टीम वर्क का अभ्यास करने और इस कठिन मामले को सफल बनाने के लिए मैं पूरी कार्डियोलॉजी टीम और विशेष रूप से डॉ. सुमंत शेखर पाढ़ी को बधाई देता हूं।''

एनएचएमएमआईनारायणा सुपरस्पेशलिटी अस्पताल के बारे में


नारायणा हेल्थ ने अगस्त 2011 में रायपुर और छत्तीसगढ़ के लोगों कोसस्ती, उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवा प्रदान करनेके लिए एमएमआईअस्पताल केप्रबंधन को संभाला और अतिरिक्त देखभाल और सुविधाएं जोड़ी। एमएमआई नारायणासुपरस्पेशिलिटी अस्पताल, रायपुर तब अस्तित्व में आया, जब पुराने अस्पताल की सुविधाओं को अत्याधुनिक ऑपरेशन थिएटरों के साथ-साथक्लिनिकल प्रतिभाओं को शामिल कर बदल दिया गया। रायपुर के सबसे शांत स्थानों में सेएक के बीचयहअस्पताल मरीजों को अतिश्रिघ स्वस्थ्य लाभप्राप्त करने के लिए एक आदर्श स्थान है।


एनएचएमएमआईनारायणा सुपरस्पेशलिटी अस्पताल, रायपुर के डॉक्टरों को उनकी स्वास्थ्य देखभाल की जरूरतों के लिएमहानगरों की यात्रा किये बिना सस्ती कीमत पर मरीजों को उच्चतम सेवा प्रदान करनेहेतु सर्वोत्तम बुनियादी ढाँचा और प्रौद्योगिकी प्रदान करने के दृष्टिकोण के साथअधिग्रहण किया गया था। यह सुनिश्चित करने के लिए कि यह अस्पताल मध्य भारत के शीर्षअस्पतालों के समतुल्य है, - नारायणा हेल्थ ग्रुप द्वारा निरंतर किएजाने वाले सर्वोत्तम अभ्यास - प्रबंधन अभ्यास, मानकसंचालन प्रक्रिया, कर्मचारियों की गुणवत्ता और सेवा केसाथ-साथ इस अस्पताल में बुनियादी ढांचे को लागू किया।

 


 

अपने फेस पैक में डालें बस ये 3 चीजें, मानसून में स्किन नहीं होगी ऑयली

अपने फेस पैक में डालें बस ये 3 चीजें, मानसून में स्किन नहीं होगी ऑयली

मानसून का हमारी त्वचा और बालों दोनों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। नमी हमारी त्वचा को ऑयली बना देती है, जिसकी वजह से चेहरा सारा दिन ऑयली दिखाई देता है। तेल से स्किन पोर्स बंद हो सकते हैं, जिससे मुंहासे होने की संभावना बढ़ जाती है। अगर आप अपनी स्किन की केयर फेस पैक लगाकर करती हैं, तो आपकी स्किन कम ऑयली होगी।
चेहरे के लिए फेस पैक बनाने के लिए बेसन एक आम सी घरेलू साम्रगी है स्किन के लिए बेहद गुणकारी मानी जाती है। इससे तैयार फेस पैक को नियमित चेहरे पर लगाने से आपको 15 मिनट में ही असर दिखाई देगा। आइए जानते हैं स्किन को इस मौसम में कम ऑयली कैसे बनाया जा सकता है...
सामग्री:
*1 चम्मच एलोवेरा जेल
*2 चम्मच बेसन
*एप्पल साइडर विनेगर / नींबू के रस - ½ टी-स्पून चम्मच
बनाने का तरीका-
1.एक कटोरे में सभी सामग्री लें और उनका एक महीन पेस्ट बना ले।
2.अब इस पेस्ट को अपने साफ चेहरे और गर्दन पर लगाएं।
3.इसे लगभग 15 मिनट के लिए छोड़ दें, फिर इसे ठंडे पानी से धो लें।
4.आखिर में चेहरे पर मॉइस्चराइजर लगाएं, जिससे स्किन ड्राय न हो।
चेहरे पर बेसन लगाने का फायदा
बेसन का उपयोग घरेलू उपचार के रूप में किया जा रहा है। यह मुंहासे को दूर कर के चेहरे का रंग निखारता है। इसे चेहरे पर लगाने से स्किन पर जमा अतिरिक्त तेल हट जाता है। बेसन त्वचा पर स्क्रब की तरह काम करता है। इससे चेहरे की मृत कोशिकाएं भी हटती हैं। यह उम्र से पहले चेहरे पर झुर्रियां आने से रोकता है।
एलोवेरा
एलोवेरा जेल स्किन पर ठंडक का एहसास दिलाता है। यह स्किन पोर्स को साफ करता है। ऐसे में ऑयली स्किन वालों के लिए यह बेहद उपयोगी है। इसके अलावा एलोवेरा एक एंटी-एजिंग एलिमेंट के तौर पर काम करता है। ऐलोवेरा में बीटा कैरोटीन, विटामिन-सी और ई जैसे ऐंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं जो स्किन जवां रखते हैं।
नींबू का रस और एप्पल साइडर विनेगर:
इन दोनों चीजों में ही प्रकृति में अम्लीय गुण पाए जाते हैं, जो आश्चर्यजनक रूप से स्किन पर काम करते हैं। नींबू और एसीवी दोनों को त्वचा के पीएच स्तर को संतुलित करने के लिए जाना जाता है, जो मुंहासे और तैलीय त्वचा के पीछे मुख्य कारण हो सकता है। नींबू विटामिन-सी से भरपूर होता है, जबकि एसीवी रक्त परिसंचरण को बढ़ावा देने के लिए जाना जाता है।

 

पेट- जांघ और कमर की चर्बी को करना है कम तो दालचीनी का ऐसे करें इस्तेमाल

पेट- जांघ और कमर की चर्बी को करना है कम तो दालचीनी का ऐसे करें इस्तेमाल

आज के समय में ज्यादातर लोग अपने मोटापे के चलते काफी परेशान हैं। जिसके लिए लोग डाइटिंग से लेकर एक्सरसाइज करते हुए नजर आते हैं। लेकिन इसमें से कौन सा तरीका बेहतर है यह कह पाना काफी मुश्किल है। वहीं वेट कम करने के लिए घरेलू उपाय को ज्यादा बेहतर माना जाता है। इसी बीच आज हम आपको वेट कम करने का बहुत ही असरदार उपाय बताने जा रहे हैं। किचन में मौजूद दालचीनी के इस्तेमाल से आप अपना वेट कम कर सकते हैं। तो आइए जानते हैं कि दालचीनी का कैसे करना है इस्तेमाल।

आपको बता दें कि दालचीनी एक ऐसा मसाला है जिसका इस्तेमाल कई पकवानों में किया जाता है। इसका स्वाद थोड़ा कड़वा होता है। यह खाने के स्वाद तो बढ़ाता ही है। साथ ही इसके कई फायदे होते हैं। यह वेट कम करने में काफी मदद करता है। इसके लिए आपको दालचीनी का ऐसे करना है इस्तेमाल। दालचीनी और शहद इसके लिए आप नींबू, शहद और दालचीनी चाय का सेवन करें। यह आपको कई बीमारियों से भी बचाता है। दालचीनी स्टिक को पानी में उबालें और इसमें नींबू का रस और शहद मिलाएं। यह आपका फेट काटने में काफी मदद करता है। दालचीनी और स्प्राउट्स पेट की चर्बी कम करने के लिए डेली दालचीनी का सेवन करना फायदेमंद होता है। यह भूख कम करता है। इसके साथ ही ब्लड शुगर लेवल को रेगुलेट करता है और मेटाबोलिज्म को बढ़ाता है। वेट कम करने के लिए स्प्राउट्स में दालचीनी मिलाकर सेवन करें। दालचीनी और पानी दालचीनी के पाउडर को पानी में डालकर उबालकर पिएं। यह वजन कम करने में काफी मदद करता है।

दालचीनी और कॉफी आप चाहें तो कॉफी में भी आप एक चुटकी दालचीनी पाउडर मिला कर पी सकते हैं। इससे आपका वेट काफी कम होगा। ध्यान रखें कि अगर आप कॉफी में दालचीनी मिला रहे हैं तो उसमें चीनी न मिलाएं।


 

क्या आप भी अंडरआर्म्स के पसीने और बदबू से परेशान है तो अपनाएं ये 5 उपाय

क्या आप भी अंडरआर्म्स के पसीने और बदबू से परेशान है तो अपनाएं ये 5 उपाय

गर्मियों के मौसम में अंडरआर्म्स से पसीने की बदबू आना एक आम समस्या है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप दिन में कितनी दफा नहा लें, मगर पसीने को निकलने से नहीं रोका जा सकता। इस बदबू से न केवल अगल-बगल वाले ही परेशान होते हैं, बल्कि आपके कपड़ों पर भी पसीने के धब्बे पड़ जाते हैं। यह ऐसी समस्या है जिससे न चाहते हुए भी लोग आपसे दूर भागने लगते हैं।


यदि आप इस गर्मी के मौसम में अपने पसीने से परेशान हैं और इसका कोई समाधान चाहते हैं, तो यहां कुछ बेहद आसान से उपाय बताए जा रहे हैं। इन्हें अपनाकर आप देखेंगे कि आपके अंडरआर्म्स से कम पसीना आएगा...

करें लूफा का प्रयोग
अंडरआर्म्स को एक्सफोलिएट करने से आपको अनचाही बदबू से मुक्ति मिल सकती है। यह मृत त्वचा कोशिकाओं को हटाता है और आपकी त्वचा को ताजा और त्वचा के पोर्स को बंद करता है। क्लीन पोर्स होने की वजह से आपको कम पसीना आएगा। लूफा आपके अंडरआर्म्स को एक्सफोलिएट करने का सबसे आसान तरीका है।

डियोड्रंट नहीं एंटीपर्सपिरेंट का उपयोग करें
पसीने की दुर्गंध को कंट्रोल करने के लिए हमें इनकी जरूरत पड़ती ही पड़ती है। लेकिन डियो जहां गंध को दबाता है, वहीं एंटीपर्सपिरेंट पसीने को दबाने का काम करता है। यह आपके अंडरआर्म्स में पसीने की ग्रंथियों को ब्लॉक कर देता है, जिससे पसीने से बचाव होता है।

सूती कपड़े पहनें
गर्मियों के दौरान आपकी त्वचा को सांस लेने देने वाले कपड़े सबसे महत्वपूर्ण होते हैं। सिंथेटिक कपड़े आपकी त्वचा को सांस लेने या पसीने को सोखने नहीं देते हैं। यह न केवल आपको असहज महसूस करवाते हैं, बल्कि इनको पहनने से आपके अंडरआर्म्स में अधिक पसीना भी आने लगता है। हल्के पेस्टल शेड्स और ढीले ढाले सूती कपड़े पहनें जो आपके अंडरआर्म्स को पसीने से बचाएंगे।

टाइम-टू-टाइम करें शेव
अपने अंडरआर्म्स को शेव करें, इसे वैक्स करें या हेयर रिमूवल क्रीम का इस्तेमाल करें, लेकिन अपने अंडरआर्म्स को साफ रखें जिससे आपको कम पसीना आएगा। यह पसीने को दूर करने का सबसे प्रभावी तकनीक में से एक है।

शॉवर और ड्रेसिंग के बीच एक रखें गैप
स्नान करते समय जल्दबाजी न करें। और ड्रैसिंग के वक्त थोड़ा समय लगाएं। यदि आप ऐसे स्थान पर रहते हैं, जहां का मौसम गर्म और उमस भरा है, तो यह और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। आपके शरीर को ठंडा होने के लिए पर्याप्त समय न देना अंडरआर्म में पसीने का कारण हो सकता है। इसलिए शॉवर के बाद थोड़ी देर प्रतीक्षा करें। कपड़े पहनने से पहले अपने शरीर को पूरी तरह से ठंडा होने दें।

ढेर सारा पानी पिएं
गर्मी के मौसम में पानी पीना बहुत महत्वपूर्ण है। यह आपके शरीर को ठंडा करता है और इस प्रकार आपके शरीर को पसीने से बचाता है। अपने साथ हमेशा एक बोतल रखें और हर दिन कम से कम 3-4 लीटर पानी पिएं।

 

कोरोना काल में खुद को रखें मानसिक रूप से स्वस्थ

कोरोना काल में खुद को रखें मानसिक रूप से स्वस्थ

इस वक्त जो देश की स्थिति है, उससे हर एक व्यक्ति के मन में डर बना हुआ है।
दिन-रात सिर्फ कोरोना से संबंधित खबरों को देख-पढ़ रहे हैं। ऐसे में मन में बेचैनी और चिढ़चिढ़ापन व मानसिक तनाव जैसी समस्याएं सामने आ रही हैं। कोरोना वायरस के खौफ से लोगों के मन में नकारात्मकता देखी जा रही है। इस वक्त पूरे समय घर पर रहने से न ही शारीरिक कसरत हो रही जिससे कि फिट रहा जा सके और न ही मानसिक सूकून मिल रहा।

इससे शारीरिक और मानसिक रूप से व्यक्ति खुद को फिट महसूस नहीं कर पा रहा है। लेकिन कुछ बदलाव कर कर हम इन सब परेशानियों से बाहर आ सकते हैं।
आइए जानते हैं कुछ खास टिप्स जिससे कि आप खुद को मानसिक तौर पर स्वस्थ महसूस कर सकते हैं।

मेडिटेशन

मेडिटेशन हमें मानसिक रूप से स्वस्थ रखने में हमारी मदद करता है, वहीं नकारात्मक विचार भी मन में नहीं आते जिससे हम मानसिक रूप से खुद को स्वस्थ तो रख ही सकते हैं, साथ ही सूकून भी मिलता है और ऐसे वक्त में हमें मेडिटेशन की बहुत जरूरत है ताकि हम खुद को इन विचारों से दूर रख सकें। इन्हें खुद पर हावी न होने दें। मेडिटेशन से कई फायदे होते हैं, जैसे भावनात्मक स्थिरता में सुधार, रचनात्मकता में वृद्धि, प्रसन्नता में संवृद्धि, मानसिक शांति एवं स्पष्टता, परेशानियों का छोटा होना आदि।


सोशल मीडिया से दूरी बनाएं

अगर आप इन खबरों से व्याप्त नकारात्मकता से बचना चाहते हैं तो सबसे पहले सोशल मीडिया से दूर हो जाएं, क्योंकि दिन-रात सिर्फ यही खबरें पढ़ व सुनकर आप परेशान हो सकते हैं इसलिए दूरी ही भली।

अकेले न रहें, परिवार के साथ समय बिताएं

इस समय खुद को मोबाइल के साथ ही व्यस्त न रखें बल्कि अपने परिवार के साथ वक्त बिताएं। अगर आप अकेले बैठते हैं तो कई तरह के विचार मन में आते हैं अत: इनसे बचें और परिवार के साथ समय बिताएं।

म्यूजिक सुनें

कहते हैं संगीत स्ट्रेस बूस्टर का काम करता है इसलिए म्यूजिक जरूर सुनें। यदि रात में नींद नहीं आती है और बुरे ख्याल परेशान कर रहे हैं तो इस समय भी अपने पसंदीदा संगीत को सुना जा सकता है।

 

7 जुलाई Chocolate Day : स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है चॉकलेट, जानें सेहत के 7 फायदे

7 जुलाई Chocolate Day : स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है चॉकलेट, जानें सेहत के 7 फायदे

चॉकलेट न केवल बच्चों और युवतियों की पसंद है, बल्कि अब जन्मदिन या किसी समारोह में दिए जाने वाले उपहारों में भी शामिल है। इतने आकर्षक और अलग- अलग फ्लेवर्स में उपलब्ध हैं, कि आप कई बार चाह कर भी खुद को रोक नहीं पाते होंगे। लेकिन क्या आप जानते हैं, कि चॉकलेट में स्वाद के अलावा और भी फायदे हैं।

हम बता रहे हैं चॉकलेट के ऐसे ही कुछ फायदे, जिन्हें जानकर आप भी खुद को चॉकलेट खाने से रोक नहीं पाएंगे- बाजार में उपलब्ध कई तरह की चॉकलेट्स में से, सबसे बेहतर है डार्क चॉकलेट। इसमें शुगर की मात्रा बेहद कम या नहीं के बराबर होती है और यह चॉकलेट आपके स्वास्थ्य के लिए सबसे ज्यादा लाभदायक है।

1 तनाव हो या डिप्रेशन- जी हां, यदि आप किसी प्रकार के तनाव में हैं, तो चॉकलेट आपका वह साथी है, जो बिन कुछ कहे और सुने ही आपका तनाव कम कर सकता है। आप जब भी तनाव या डिप्रेशन में हों, चॉकलेट खाना न भूलें। इससे आप रिलेक्स महसूस करेंगे।

2 त्वचा को रखे जवां- चॉकलेट एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होती है, जो आपकी त्वचा पर दिखने वाले बढ़ती उम्र के लक्षणों और झुर्रियों को कम करती है। इससे आपकी त्वचा जवां नजर आती है। इसके गुणों के कारण आजकल चॉकलेट बाथ, फेशि‍यल, पैक और वैक्स का इस्तेमाल भी होने लगा है।

3 जब कम हो ब्लड प्रेशर- जिन लोगों को लो-ब्लडप्रेशर की समस्या है, उनके लिए चॉकलेट बेहद लाभदायक है। ब्लडप्रेशर कम होने की स्थि‍ति में चॉकलेट तुरंत राहत देती है। इसीलिए हमेशा अपने पास चॉकलेट जरूर रखें।

4 कोलेस्ट्रॉल- शरीर में मौजूद एलडीएल कोलेस्ट्रॉल यानी बुरे कोलेस्ट्रॉल को कम करने में चॉकलेट बहुत फायदेमंद है। यह एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को कम कर मोटापे व इसकी वजह से होने वाली अन्य बीमारियों को भी नियंत्रित करने में सहायक है।

5 दिमाग रहे स्वस्थ- एक शोध के मुताबिक रोजाना दो कप हॉट चॉकलेट ड्रिंक पीने से दिमाग स्वस्थ रहता है और याददाश्त कमजोर नहीं होती। चॉकलेट से दिमाग में रक्त संचार बेहतर होता है।

6 हृदय-रोग- एक रिसर्च के अनुसार चॉकलेट या चॉकलेट ड्रिंक का सेवन ह्दय-रोग की संभावना को एक तिहाई कर देता है और ह्दय को स्वस्थ रखने में मदद करता है।

7 एथिरोस्क्लेरोसिस- एथिरोस्क्लेरोसिस एक प्रकार कर बीमारी है, जिसमें धमनियां अवरूद्ध हो जाती हैं। ऐसी स्थिति में चॉकलेट बेहद लाभदायक है।
 

वर्क फ्रॉम होम के दौरान आंखों से आ रहा है पानी, तो इस घरेलू उपचार की लें मदद

वर्क फ्रॉम होम के दौरान आंखों से आ रहा है पानी, तो इस घरेलू उपचार की लें मदद

कोरोना वायरस की महामारी के चलते कई सारे लोग अपने दफ्तर का काम घर से ही कर रहे हैं। इस दौरान लगातार कंप्यूटर स्क्रीन पर काम करते रहने के कारण उन्हें कई प्रकार की समस्याओं का भी सामना करना पड़ रहा है। एक ऐसी ही समस्या आंखों से पानी आने की है जिससे कई सारे लोग परेशान हैं। यह समस्या उन लोगों को ज्यादा हो रही है जो चश्मे का प्रयोग नहीं करते हैं।
अभी अगर इसी समस्या से जूझ रहे हैं तो निश्चिंत हो जाएं, क्योंकि यहां पर एक ऐसे ही खास घरेलू उपाय के बारे में बताया जा रहा है जिसका आप घर पर इस्तेमाल कर सकते हैं। यह आंखों से पानी बहने की समस्या को ठीक करने में काफी मददगार साबित हो सकता है।
क्या है यह घरेलू उपचार
आंखों से पानी गिरने की समस्या को दूर करने के लिए हम जिस घरेलू उपचार के बारे में आपको बताने जा रहे हैं दरअसल वह बेकिंग सोडा से तैयार होगा। बेकिंग सोडा आपको किसी भी ग्रॉसरी शॉप पर बड़ी आसानी से मिल जाएगा। इस बात का विशेष ध्यान दें कि बेकिंग सोडा को आंखों में लगाना नहीं है बल्कि इसे उपचार के रूप में बंद आंखों के ऊपर से प्रयोग करना है।
एक वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार, बेकिंग सोडा में विशेष गुण मौजूद होते हैं जिन्हें आंखों से जुड़ी कई प्रकार की समस्याओं को दूर करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। यही वजह है कि अगर आंखों से पानी गिरने की समस्या आपको परेशान कर रही है तो बेकिंग सोडा के इस्तेमाल से आपको राहत मिल सकती है। आइए अब इसे इस्तेमाल करने की विधि के बारे में जानते हैं।
यह भी पढ़ें :
सामग्री
*2 कप पानी
*1/2 चम्मच बेकिंग सोडा
बनाने की विधि
*सबसे पहले एक पैन लें।
*अब इसमें पानी को उबलने के लिए रख दें।
*जब पानी उबलने लगे तो उसमें बेकिंग सोडा को मिला दें।
*अब इसे ठंडा होने दें और एक कपड़े में इस पानी को भिगोकर आंखों की सिकाई करें।
*इस प्रक्रिया को हफ्ते में चार से पांच बार प्राप्त को सोने से पहले जरूर करें।
*आपको कुछ दिनों में इसका फायदा दिखने लगेगा।


इसके अलावा इस बात का जरूर ध्यान रखें कि आंखें हमारे शरीर का बहुत कोमल हिस्सा होती हैं। गर्म पानी को बिल्कुल आंखों पर ना लगाएं और जब तक यह मिश्रण ठंडा ना हो जाए, इसे आंखों से दूर ही रखें। एक बात का विशेष ध्यान रखें कि लंबे समय तक अगर यह समस्या बनी रहे तो बिना देर किए किसी नेत्र विशेषज्ञ से सलाह लें। यहां बताया गया घरेलू उपचार आपकी समस्या को कम करने में मदद कर सकता है, लेकिन अगर कुछ समय के बाद आपको आराम नहीं दिखता तो आप फौरन डॉक्टर की सलाह लें।
 

जानिए क्यों होते हैं पिंपल्स और इन्हें दूर करने के उपाय

जानिए क्यों होते हैं पिंपल्स और इन्हें दूर करने के उपाय

पिंपल्स, कील-मुंहासों की समस्या से कई लोग परेशान हैं, जाने-अनजाने युवा कुछ ऐसी गलतियां कर देते है जिस कारण से पिंपल्स उनका पीछा छोड़ने का नाम ही नहीं लेते। आइए, जानते हैं कुछ ऐसी आदतों के बारे में जो पिंपल्स को बढ़ावा देती है -

पिंपल्स होने के कारण :

1 पिंपल्स होने की बड़ी वजहों में से एक है जंक फूड और तले-भुने भोजन का अधिक सेवन। ऐसे भोजन से त्वचा ऑयली हो जाती है और कील-मुंहासों और पिंपल्स को पैदा करती है।

2 यदि त्वचा प्रदूषण और धूल मिट्टी के ज्यादा संपर्क में रहती है, तो इस वजह से चेहरे पर गंदगी जम जाती है और फिर कील-मुंहासे हो जाते हैं। इसलिए कोशिश करें कि बाहर जाते समय चेहरे को अच्छी तरह से ढंककर चलें और रोजाना चेहरे की साफ सफाई करें।
3 ज्यादा कॉफी या चाय पीने से शरीर में सीबम बनने लगता है जो बाद में चेहरे पर मुंहासे आने का कारण बन सकता हैं।

4 अभिक धूम्रपान और शराब का सेवन भी पिंपल के लिए जिम्मेदार हो सकता है।

5 कई बार पिंपल्स आने की वजह जेनेटिक भी हो सकती है, वहीं कुछ लोगों की त्वचा बहुत ऑयली होती है जिस वजह से उन्हें जल्दी-जल्दी पिंपल्स हो जाते है।

6 कई बार दवाईयों के ज्यादा सेवन व हार्मोन में बदलाव के कारण भी पिंपल्स हो जाते हैं।
7 चेहरे को बार-बार साबुन से धोने के कारण भी पिंपल्स की शिकायत हो जाती है। क्योंकि ऐसा करते रहने से चेहरा की स्किन ड्राय हो जाता है और पिंपल्स निकल आते हैं।

पिंपल्स दूर करने के उपाय

* यदि बार-बार चेहरा धोना हो तो सिर्फ पानी से धोएं। हर बार साबुन व फेस वॉस से धोने की जरूरत नहीं होती।

* जंक फूड और तली-भुनी चीजों को कम ही खाएं।

* टेंशन और स्ट्रेस से दूर रहें, अधिक समय तक धूप में रहने से भी त्वचा को बचाए।

* योगा करें और खूब पानी पीएं।

 

अगर आपके कानो में हो रही हो खुजली तो अपनाये ये घरेलू तरीके, नहीं जाना पड़ेगा डॉक्टर के पास

अगर आपके कानो में हो रही हो खुजली तो अपनाये ये घरेलू तरीके, नहीं जाना पड़ेगा डॉक्टर के पास

कान में खुजली होना, नहाते समय पानी चले जाना या पपड़ी जमने की समस्या होना...ये सब ऐसी दिक्कतें हैं, जो हम सभी के साथ होती हैं। सामान्य दिनों में तो हम कान में दिक्कत होने पर तुरंत ईएनटी स्पेशलिस्ट के पास चले जाते थे। लेकिन लॉकडाउन और कोरोना काल में हॉस्पिटल के बारे में सोचकर भी डर लगता है! ऐसे में कान में इस तरह की समस्या होने पर घरेलू नुस्खों के जरिए कैसे ठीक किया जा सकता है, यहां जानें...

कान की देखभाल करने के घरेलू तरीके

कान में सबसे अधिक दिक्कत नमी यानी मॉइश्चर के कारण होती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि नहाते वक्त या हर समय जुकाम रहने के कारण हमारे कान की अंदरूनी नसों में मॉइश्चर जमा रहता है। इस कारण वहां फंगस और बैक्टीरिया पनप जाते हैं। जो तेज खुजली करते हैं।

मैल नहीं मोम है वह


-हमें लगता है कि हमारे कान से मैल निकल रहा है। जबकि असर में वह मैल नहीं मोम होता है। वह मोम, जिसे हमारे कानों का मैकेनिज़म अपनी सेफ्टी के लिए खुद ही तैयार करता है।
-अब आपको लग रहा होगा कि यह मोम कान की सेफ्टी कैसे करेगा...जरा सोचकर देखिए, चीटी से लेकर मच्छर तक कितने ही छोटे-मोटे कीट-पतंगे होते हैं, जो हमारे कान में जाकर अंदर नुकसान पहुंचा सकते हैं।
-ये कीट कान में ना घुस पाएं और अगर घुस भी जाएं तो मोम में चिपककर मर जाएं और अंदर हमारे कान के पर्दे तक ना पहुंचें...इसलिए हमारे कान में यह मोम तैयार होता है। जब यह मोम अधिक हो जाता है या काफी पुराना हो जाता है, तब कान के मैनेनिज़म द्वारा खुद ही इस मोम को बाहर की तरफ धकेल दिया जाता है।
-ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हमारा शरीर अपनी अंदरूनी सफाई खुद ही करता है। पुराने मोम में गंदगी, नमी, बैक्टीरिया पनपकर कान को नुकसान ना पहुंचा दें, इसलिए प्राकृतिक रूप से हमारा शरीर इस मोम को बाहर फेंकता है और नया मोम बनाता है।

कान को खुजली वाले बैक्टीरिया से बचाने का तरीका

-अगर आपको कान में खुजली की समस्या हो रही है तो बेहतर रहेगा कि आप 1 चम्मच सरसों तेल में एक कली लहसुन और एक चुटकी अजवाइन गर्म कर लें। जब यह मिश्रण ठंडा हो जाए तो इसे छानकर इयर ड्रॉप की तरह कान में डालें और 20 से 25 मिनट तक करवट लेकर लेटे रहें। ताकि तेल अंदर जा सके।
-इस दौरान बेड पर लेटे हुए आप धीमे-धीमें अपना मुंह इस तरह चलाते रहें, जैसे कुछ चबाकर खा रहे हों। ऐसा करने से तेल आपके कान के अंदरूनी हिस्सों तक पहुंचेगा और मसल्स की मसाज भी होगी। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि यदि आपको जुकाम है और इस दौरान कान में खुजली हो रही है तो आपको सरसों के तेल का उपयोग नहीं करना है।
-जुकाम-नजले की स्थिति में कान में सरसों का तेल डालने से कान की सुनने की क्षमता कमजोर हो सकती है। इसलिए इस स्थिति में आपको डॉक्टर से ही परामर्श करना चाहिए। आप किसी आयुर्वेदाचार्य से फोन पर कंसल्ट करके भी अपनी स्थिति के अनुसार कुछ घरेलू नुस्खे जान सकते हैं ताकि आपको तुरंत राहत मिल सके।
-यदि आपके पास कोई भी विकल्प उपलब्ध नहीं है और कान में तेज खुजली हो रही है तो इस स्थिति में आप कोई गर्म पेय पदार्थ लें। यह हल्दी का दूध, हॉट कॉफी या ब्लैक टी जैसा कुछ भी हो सकता है जो तासीर में गर्म हो। इसे फूंक मारकर और घूंट-घूंट करके चाय की तरह पिएं। ऐसा करने से आपके कान की मसल्स की अंदर से सिकाई होगी और आपको तुरंत राहत मिलेगी।
-नहाने से पहले दोनों कानों में रुई यानी कॉटन लगा लें। इससे नहाते समय पानी की बूंदें भी कान में नहीं जा पाएंगी और आपको कान में खुजली होने की संभावना कम हो जाएगी।

 

सुबह-शाम इसलिए चलना चाहिए पैदल, टल जाता है इन 5 गंभीर बीमारियों का खतरा

सुबह-शाम इसलिए चलना चाहिए पैदल, टल जाता है इन 5 गंभीर बीमारियों का खतरा

स्वस्थ बने रहने के लिए हमें कई प्रकार की आदतों का विशेष ध्यान देना पड़ता है। जरा-सी लापरवाही हमें कई प्रकार की बीमारियों की चपेट में ला देती है। कहा जाता है कि रोज सुबह उठने के बाद हमें पैदल जरूर चलना चाहिए, यह आदत हमें कई प्रकार की बीमारियों से बचाए रखने में मदद करती है। हाल ही में हुए एक वैज्ञानिक शोध में इस बात की पुष्टि भी की गई कि पैदल चलना कैसे सेहत पर प्रभाव डालता है।
इसके बारे में आपको नीचे विस्तारपूर्वक बताया जाएगा। साथ ही आपको इस बारे में भी जानकारी दी जाएगी कि पैदल चलना सेहत को किस प्रकार मेंटेन बनाए रखता है।

दिल को स्वस्थ बनाए रखने में
दिल को स्वस्थ बनाए रखने के लिए आपको कार्डियोप्रोटेक्टिव फूड का सेवन करना चाहिए। इसके अलावा पैदल चलने का भी सकारात्मक फायदा दिल को मिलता है। पैदल चलने के कारण ब्लड सर्कुलेशन में होने वाले अच्छे प्रभाव का नतीजा ही हृदय रोगों से बचाए रखने के लिए मददगार साबित होता है। इसलिए नियमित रूप से पैदल चलने की आदत अपने जीवन में जरूर शामिल करें।

हड्डियों को मजबूत बनाने में
हड्डियों को मजबूती प्रदान करने के लिए कैल्शियम नामक पोषक तत्व की बहुत जरूरत होती है। हालांकि पैदल चलना भी हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए काफी मददगार साबित होता है। इसके वैज्ञानिक कारण को समझने की कोशिश करें तो यह काफी आसान होगा। पैदल चलना हड्डियों को इसलिए मजबूती प्रदान कर सकता है, क्योंकि पैदल चलने के कारण शरीर की लगभग सभी हड्डियों की एक्सरसाइज हो जाती है और हड्डियों में मौजूद एक विशेष प्रकार का द्रव इन्हें मजबूती प्रदान करने में सक्रिय भूमिका निभाता है।

मूड
लॉकडाउन के दौरान आप डिप्रेशन और स्ट्रेस का भी शिकार हो सकते हैं। इसलिए बंद कमरे से बाहर निकल कर आपको 15 से 20 मिनट रोज पैदल चलना चाहिए। खुले वातावरण में टहलने के कारण आप फ्रेश फील करेंगे और आपका मूड भी काफी अच्छा होगा। नेगेटिविटी को दूर करने के लिए पैदल चलना प्रभावी रूप से मददगार साबित होता है।

वजन कम करने 
बढ़ा हुआ वजन टाइप टू डायबिटीज और कैंसर का कारण माना जाता है। इसलिए जरूरी है कि अपने वजन को नियंत्रित करने के लिए आप खान-पान पर विशेष ध्यान दें। इसके अलावा नियमित रूप से 20 से 25 मिनट तक पैदल चलने की आदत डालें। यह ना केवल आपकी पेट को कम करेगा, बल्कि वजन को नियंत्रित बनाए रखने में भी काफी मददगार साबित होगा।

दिमाग
दिमाग को दुरुस्त बनाए रखने के लिए पैदल चलना बहुत जरूरी है और यह सकारात्मक रूप से हमें प्रभावित करता है। पैदल चलने के कारण ब्लड सर्कुलेशन बहुत अच्छी तरह से होता है और यह दिमाग को भी पर्याप्त मात्रा में ब्लड की आपूर्ति करने में सक्षम हो जाता है। इसके कारण ब्रेन स्ट्रोक का खतरा भी कई गुना तक कम हो सकता है। इसलिए रोज सुबह और शाम को नियमित रूप से पैदल चलने की आदत को अपनी दिनचर्या में जरूर अपनाएं।