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फटे होंठों को मुलायम बनाएंगे ये 7 तरह के ऑयल, ये है लगाने का तरीका

फटे होंठों को मुलायम बनाएंगे ये 7 तरह के ऑयल, ये है लगाने का तरीका

ज की लाइफस्टाइल में फटे होंठो की समस्या एक आम बात हो गई है. इस पर मौसम का कोई असर नहीं होता है. पहले कहते थे कि सर्दियों में ही होंठ फटते हैं लेकिन अब किसी भी मौसम में होंठ फट जाते हैं. कहते हैं कि होंठो को खूबसूरत बनाने, उनके रूखेपन को दूर करने और फटे हुए होंठों को ठीक करने के लिए नाभि में तेल लगाना फायदेमंद होता है.

नाभि का कनेक्शन सीधे अंबिलिकल कॉर्ड यानि गर्भनाल से होता है इसलिए इसमें तेल लगाने से न सिर्फ होंठों की खूबसूरती बढ़ती है बल्कि त्वचा की खूबसूरती में भी चार चांद लग जाते हैं. सिर्फ इतना ही नहीं नाभि में तेल लगाने से स्किन संबंधी अनेक परेशानियां दूर हो जाती है.

त्वचा पर इंफेक्शन भी नहीं होता. लेकिन अब बात आती है कि नाभि में कौन सा तेल लगाया जाए. आइए आपको बताते हैं कि नाभि में कौन-कौन से तेल लगाकर आप अपने होंठों और सिक्न दोनों को खूबसूरत बना सकते हैं.

बादाम का तेल

बादाम के तेल में विटामिन ई भरपूर मात्रा में होता है. थोड़ा सा गर्म करके कुछ बूंद बादाम का तेल अगर आप नाभि में लगाते हैं तो इससे फटे होंठ खूबसूरत और मुलायम बन जाते हैं. साथ ही स्किन भी ग्लोइंग दिखती है.

सरसों का तेल

सरसों का तेल फटे होंठों की समस्या को दूर करने के लिए सबसे फायदेमंद माना जाता है. नाभि में सरसों का तेल लगाने से फटे होंठ सही हो जाते हैं. साथ ही त्वचा भी मुलायम और खूबसूरत बन जाती है.

नारियल का तेल

बालों के साथ साथ नारियल का तेल त्वचा के लिए भी बहुत अच्छा होता है. नारियल का तेल भी विटामिन ई से भरपूर होता है. इसको नाभि में लगाने से त्वचा बेहद खूबसूरत बनती है और फटे हुए होंठ भी सुंदर और मुलायम बन जाते हैं.

घी

नाभि में घी लगाना त्वचा के लिए बहुत फायदेमंद होता है. इससे स्किन तो खूबसूरत बनती ही है साथ ही होंठ भी नरम और मुलायम रहते हैं.

नीम का तेल

नीम के तेल में चिकनाई तो होती ही है साथ ही एंटी-बैक्टीरियल गुण भी होते हैं. इसमें कई एंटी-ऑक्सीडेंट्स होते हैं. रात को सोने से पहले या नहाने से आधा घंटा पहले नाभि में नीम का तेल लगाने से होंठ मुलायम और खूबसूरत बनते हैं. साथ ही स्किन के दाग-धब्बे और पिंपल्स भी दूर होते है. त्वचा में कोई इंफेक्शन भी नहीं होता है.

लेमन ऑयल

नींबू में विटामिन सी होता है. लेमन ऑयल नाभि में लगाने से होंठो का रूखापन दूर होता है और होंठ नरम बन जाते हैं. साथ ही स्किन भी फ्रेश नजर आती है.

ऑलिव ऑयल

ऑलिव ऑयल (जैतून का तेल) नाभि में लगाना त्वचा और होंठों के लिए बेहद फायदेमंद होता है. ऑलिव ऑयल में विटामिन ई भरपूर होता है. इसे नाभि में लगाने से होंठ खूबसूरत बनते हैं. साथ ही त्वचा में भी निखार आता है.

 
फरवरी-मार्च में जरूर खाएं ये चीजें, नहीं होगा सर्दी-जुकाम और वायरल फीवर

फरवरी-मार्च में जरूर खाएं ये चीजें, नहीं होगा सर्दी-जुकाम और वायरल फीवर

मौसम के बदलते ही कई लोगों को अलर्जी, वायरल फीवर और सर्दी-जुकाम की समस्या होने लगती है. फरवरी और मार्च का महीने में सर्दी भाग रही होती है और गर्मी की शुरुआत होने लगती है. तापमान में भी अंतर नजर आने लगता है. ऐसे में शरीर को विभिन्न प्रकार के इंफेक्शन से बचाना जरूरी हो जाता है. दरअसल शरीर पर मौसम का प्रभाव सबसे पहले पड़ता है.

इस समय अधिकतर लोग बुखार, एलर्जी, सर्दी-जुकाम और खांसी से पीडि़त हो जाते हैं. ऐसे में हेल्दी खाने पर विशेष ध्यान देना जरूरी होता है. आपकी डाइट ही आपकी सुरक्षा कर सकता है. आइए आपको बताते हैं इस मौसम में किन चीजों का सेवन करने से आप अपने आप को इंफेक्शन से बचा सकते हैं.

विटामिन सी का सेवन करें

इस बदलते मौसम में विटामिन सी का सेवन करना बहुत जरूरी होता है. विटामिन सी एक पावरफुल एंटीऑक्सीडेंट है जो इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है. यह शरीर में हानिकारक बैक्टीरिया से लडऩे की क्षमता को बढ़ाता है. विटामिन सी भरपूर मात्रा में खाने से सर्दी-जुकाम की समस्या कम होती है. विटामिन सी से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे संतरे, बेल, मिर्च, अंगूर, कीवी, अमरूद, और स्ट्रॉबेरी को अपने डाइट में जरूर शामिल करें.

मसाले करेंगे मदद

इस मौसम में हल्दी, अदरक, लहसुन, अजवायन, दालचीनी, लौंग, जीरा, तुलसी और पुदीना का सेवन जरूर करना चाहिए. ये मसाले कई तरह की बीमारियों को दूर रखने में मदद करते हैं. ये मसाले एंटीऑक्सीडेंट और फाइटोन्यूट्रिएंट्स से भरे होते हैं जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत करते हैं. इस मौसम में चाय, सूप और सलाद को भी अपनी डाइट में शामिल जरूर करें.

खूब नट्स खाएं

नट्स सबसे अधिक पौष्टिक खाद्य पदार्थों में से एक हैं. ज्यादातर लोग वजन घटाने के लिए इन्हें अपनी डाइट में शामिल करते हैं. बादाम, अखरोट और पिस्ता जैसे नट्स को मौसम के बदलाव के दौरान जरूर खाना चाहिए. ये आपकी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं. ये नट्स विटामिन ई से भरपूर होते हैं, जो विटामिन सी की तरह ही एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है. यह इंफेक्शन को दूर रखने के काम आते हैं.

हरी सब्जियों को डाइट में करें शामिल

इस समय पालक, सरसों के पत्ते, मेथी के पत्ते और बथुआ को अपनी डाइट में जरूर शामिल करें. पत्तेदार हरी सब्जियां लोगों को बीमारियों से दूर रखती हैं. ये इम्यून सिस्टम को भी मजबूत बनाती हैं. इन सब्जियों में विटामिन, खनिज और फाइबर भरपूर मात्रा में मौजूद होता है. इस मौसम में आप ग्रीन स्मूदी, सूप, स्टू या सलाद का विकल्प चुन सकते हैं.

ग्रीन टी पिएं

ग्रीन टी एंटीऑक्सीडेंट पॉलीफेनोल्स से भरपूर होती है जो मौसमी परिवर्तनों से जूझने के लिए शरीर को मजबूत बनाती है. ग्रीन टी में मौजूद कैटेचिन (एक प्रकार का पॉलीफेनोल) आम फ्लू वायरस के खिलाफ बेहद प्रभावी होता है. इसे पीने से इंफेक्शन काखतरा कम होता है.

 
क्या आपके बच्चे को हर बात पर न कहने की है आदत ? ऐसे बदलें ये हैबिट

क्या आपके बच्चे को हर बात पर न कहने की है आदत ? ऐसे बदलें ये हैबिट

जब पैरेंट्स बच्चों के लिए न शब्द का इस्तेमाल करते हैं तो बच्चे भी उनसे यही सीखते हैं. नकारात्मक शब्द जैसे न, नहीं करना और नहीं ये बच्चों को बुरा बर्ताव सिखाता है. इन नकारात्मक शब्द की जगह बच्चों के लिए उनके पैरेंट्स को अलग शब्द तलाशने चाहिए जिससे बच्चे इस नकारात्मक शब्द का इस्तेमाल करने से बचें.

अक्सर बच्चे बात बात पर न कहने की आदत बना लेते हैं. ऐसे में पैरेंट्स को बच्चों की इस आदत को बदलने की कोशिश करनी चाहिए. आइए आपको बताते हैं कैसे आप अपने बच्चे की इन आदतों को बदल सकते हैं.

न की जगह बाद में कहें

अगर आपका बच्चा बात-बात पर न बोलता हो तो आपको उनके इन शब्दों में बदलाव करने की कोशिश करनी चाहिए. आप अपने बच्चों को सिखाएं कि आप न की जगह जरूर, लेकिन बाद में कहें. इससे आपके बच्चे के व्यवहार में पॉजिटिविटी नजर आएगी. इससे आपका बच्चा किसी भी चीज को करने के लिए न कहने से पीछे हटेगा.

ध्यान भटकाएं

कई बार बच्चे अपनी जिद को पूरा करने के लिए चिल्लाते हैं तो ऐसे में आपको उनका ध्यान भटकाना चाहिए. आप उनका ध्यान भटकाने के लिए कुछ भी कह सकते हैं. उनकी जिद्द को मानने से आप इनकार करें. बच्चों का ध्यान किसी और चीज पर लगाएं ताकि वह न कहने से डरें और आपकी बात सुनने की पूरी कोशिश करें.

किसी और खेल में व्यस्त करें

कैंची और चाकू जैसी खतरनाक चीजें बच्चों को बहुत पसंद होती हैं. बच्चे ऐसी चीजों से खेलने के लिए उत्सुक नजर आते हैं. लेकिन जब आप उन्हें इन हरकतों के लिए डांटते हैं या उनसे ये चीजें वापस लेते हैं तो वह इस बात के लिए साफतौर पर न कह देते हैं. इसकी जगह आप अपने बच्चे को कुछ और खेल में बिजी कर सकते हैं. कई बार आपको भी बच्चों को समझने की जरूरत होती है जिससे की आप उनके मुताबिक चीजें कर सकें.

बच्चों के साथ समय बिताएं

जरूरी नहीं कि आपका बच्चा स्कूल में ही सब चीजें सीख जाए. आपको भी उनके पीछे समय देने की जरूरत होती है. आप अपने बच्चों को समझने के लिए उनके साथ थोड़ा समय जरूर बिताएं. बच्चे छोटे हों या बड़े, सभी अपेन पैरेंट्स का प्यार और अटेंशन दोनों चाहते हैं. प्यार से बच्चों को कुछ भी सिखाया जा सकता है.

 
दूध या जूस, सुबह की पहली ड्रिंक के लिहाज से क्या है बेहतर, जानें

दूध या जूस, सुबह की पहली ड्रिंक के लिहाज से क्या है बेहतर, जानें

ह बात न सिर्फ हमारे बड़े बुजुर्ग कहते आ रहे हैं बल्कि अब तो यह बात पूरी तरह से साबित भी हो चुकी है कि ब्रेकफस्ट हमारे दिन का सबसे अहम मील है और किसी भी हाल में ब्रेकफस्ट को स्किप नहीं करना चाहिए। इतना ही नहीं, आप ब्रेकफस्ट में क्या खाते हैं इस पर ध्यान देना बेहद जरूरी है। रात के डिनर के बाद जब हम सोते हैं तो कम से कम 8-9 घंटे की फास्टिंग हो जाती है और ऐसे में सुबह-सुबह शरीर को फिर से एनर्जी पाने के लिए ब्रेकफस्ट की जरूरत होती है। लिहाजा पोषक तत्वों से भरपूर चीजों को ब्रेकफस्ट में शामिल करना चाहिए। 

ब्रेकफस्ट में दूध या जूस?
लेकिन एक सवाल जो अक्सर लोगों के मन में आता है कि- ब्रेकफस्ट में दूध पीना चाहिए या जूस? बहुत से लोग ब्रेकफस्ट में कैल्शियम से भरपूर 1 गिलास दूध पीना पसंद करते हैं तो वहीं कुछ लोगों को सुबह-सुबह नाश्ते में ब्रेड-टोस्ट या ऑमलेट के साथ विटमिन सी से भरपूर 1 गिलास ऑरेंज जूस पीना पसंद होता है। लेकिन सुबह की पहली ड्रिंक के लिहाज से दूध या जूस क्या है बेहतर, यहां जानें दोनों के फायदे और नुकसान। 
दूध पीने के हैं इतने फायदे
दूध कैल्शियम का तो बेस्ट सोर्स है ही, साथ ही दूध में प्रोटीन, विटमिन बी 12, हेल्दी फैट्स आदि भी भरपूर मात्रा में होते हैं। सदियों से दूध को एक कम्प्लीट मील के तौर पर देखा जाता रहा है। दूध के तमाम फायदों की वजह से ही शरीर को हेल्दी और ऐक्टिव रखने के लिए बड़ी संख्या में लोग दूध का सेवन करते हैं। ऐसे में देखा जाए तो सुबह ब्रेकफस्ट में दूध पीना फायदेमंद हो सकता है। 
दूध के कुछ नुकसान भी हैं
दूध में सैच्युरेटेड फैट होता है जिससे मोटापा और दिल से जुड़ी बीमारियों का खतरा हो सकता है। साथ ही इन दिनों दूध देने वाले जानवरों को इंजेक्शन भी लगाया जाता है ताकि वे ज्यादा दूध दे सकें और इस इंजेक्शन का भी हमारी सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है। ऐसे में जब तक आप दूध की क्वॉलिटी को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त न हों सुबह-सुबह दूध पीने से बचें। बहुत से लोगों में लैक्टोज इनटॉलरेंस की भी दिक्कत होती है और ऐसे लोगों को भी दूध से बचना चाहिए। कई बार ज्यादा दूध पीने से डाइजेशन से जुड़ी दिक्कतें भी हो जाती हैं। हालांकि आप चाहें तो डेयरी मिल्क की जगह सोया मिल्क का सेवन कर सकते हैं। 
विटमिन सी से भरपूर ऑरेंज जूस के फायदे
विटमिन सी और ऐंटिऑक्सिडेंट्स से भरपूर ऑरेंज जूस हमारी शरीर की इम्यूनिटी बढ़ाकर हमें बीमारियों से दूर, फिट और हेल्दी रहने में मदद करता है। विटमिन सी शरीर को वातावरण से जुड़ी दिक्कतें जैसे- पलूशन, सूर्य की हानिकारक यूवी किरणें आदि से भी बचाता है। सुबह ब्रेकफस्ट में अगर आप 1 गिलास ऑरेंज जूस पी लें तो आपके दिनभर की विटमिन सी की जरूरत पूरी हो जाती है। 
ऑरेंज जूस के नुकसान
हालांकि अगर आप घर में खुद ऑरेंज का जूस निकालकर फ्रेश जूस पी रहे हैं तभी वो फायदेमंद होगा। डिब्बाबंद या पैकेज्ड ऑरेंज जूस में चीनी की मात्रा बहुत अधिक होती है और वो फ्रेश नहीं होता, काफी पुराना होता है, उसमें जूस का टेस्ट बढ़ाने के लिए केमिकल्स भी मिले होते हैं। फ्रेश ऑरेंज जूस के साथ भी एक दिक्कत ये है कि जब आप फल का जूस निकालते हैं तो उसके ज्यादातर पोषक तत्व बाहर निकल जाते हैं और जूस में सिर्फ पानी ही रह जाता है। 
ऑरेंज जूस नहीं दूध है बेहतर
जूस और दूध की इस जंग में दूध बाजी मारता नजर आ रहा है क्योंकि दूध में कैल्शियम होता है जो हमारी हड्डियों और दांतों को मजबूत बनाता है जबकी ऑरेंज जूस दांतों के इनैमल को नुकसान पहुंचा सकता है। दूसरी बात ये है कि 1 गिलास दूध पीने से आपका पेट भरा हुआ महसूस होता है और आपको देर तक भूख नहीं लगती जबकी 1 गिलास जूस पीने के बाद आपको पेट भरने वाली फीलिंग नहीं आती। दूध में हेल्दी प्रोटीन होता है जिससे आप दिनभर अनहेल्दी स्नैकिंग करने से बच सकते हैं। लिहाजा डिनर और ब्रेकफस्ट के बीच के 8-9 घंटे की फास्टिंग को तोडऩे के लिए जूस से बेहतर ऑप्शन है दूध।
 
सिर्फ हंसना ही नहीं रोना भी सेहत के लिए है फायदेमंद, कैसे यहां जानें

सिर्फ हंसना ही नहीं रोना भी सेहत के लिए है फायदेमंद, कैसे यहां जानें

हुत से लोगों को ऐसा लगता है कि रोना कमजोरी की निशानी है और शायद यही वजह है कि पुरुष तकलीफ होने पर भी आंसू बहाने और रोने से परहेज करते हैं। लेकिन साइंस की मानें तो रोने के ढेर सारे फायदे हैं। जिस तरह खुलकर हंसना सेहत के लिए फायदेमंद है, ठीक उसी तरह फूट फूट कर रोना भी बेहद जरूरी है। रोना भी आपकी सेहत को उतना ही फायदा देता है, जितना हंसना। लेकिन आखिर आप और हम रोते क्यों है? रोने और आंसू आने के पीछे की वजह क्या है? रोने के क्या-क्या फायदे हैं, यहां जानें।

शरीर और दिमाग दोनों के लिए फायदेमंद

रोना एक सामान्य ह्यूमन ऐक्शन है जो हमारे अलग-अलग इमोशन्स की वजह से ट्रिगर होता है। जब हम दुखी होते हैं, उदास होते हैं, किसी बात को लेकर टेंशन या स्ट्रेस में होते हैं तो इन अलग-अलग भावनाओं की वजह से रोना आ जाता है। अनुसंधानकर्ताओं की मानें तों रोना आपके तन के साथ-साथ मन के लिए भी फायदेमंद है और इसकी शुरुआत तभी से हो जाती है जब बच्चा जन्म लेते वक्त पहली बार रोता है। 

आंसूओं के जरिए टॉक्सिन्स निकलते हैं बाहर

एक स्टडी के मुताबिक, जिस तरह से पसीना और यूरिन जब शरीर के बाहर निकलते हैं तो शरीर से विषाक्त पदार्थ बाहर निकलते हैं, वैसे ही आंसू आने पर भी आंखों की सफाई हो जाती है। आपको बता दें कि आंसू 3 तरह के होते हैं। 

अनैच्छिक आंसू तब निकलता है जब आंखों में कोई कचरा, धूल के कण या धुंआ चला जाए तो आंखों से पानी आने लगता है। 

बुनियादी आंसू जिसमें 98 प्रतिशत पानी होता है, यह आंखों को लुब्रिकेट रखता है और इंफेक्शन से बचाता है।

भावनात्मक आंसू जिसमें स्ट्रेस हॉर्मोन्स और टॉक्सिन्स की मात्रा सबसे अधिक होती है और इनका बह जाना फायेदमंद होता है।

रोने से खुद को शांत करने में मिलती है मदद

खुद को सांत्वना देने और शांत करने का बेस्ट तरीका है रोना। 2014 में हुई एक स्टडी से जुड़े अनुसंधानकर्ताओं की मानें तो रोने से हमारे शरीर में पैरासिम्प्थेटिक नर्वस सिस्टम (पीएनएस) उत्तेजित हो जाता है और इसी पीएनएस की वजह से शरीर को आराम करने और डाइजेशन में मदद मिलती है। रोने के फायदे आपको तुरंत नजर नहीं आएंगे। लेकिन अगर आप कुछ देर तक आंसू बहाएं तो आपको खुद में रोने के फायदे नजर आएंगे। 

रोने से दर्द होता है कम

लंबे वक्त तक रोने से ऑक्सिटोसिन और इन्डॉर्फिन जैसे केमिकल्स रिलीज होते हैं। ये फील गुड केमिकल हैं जिससे शारीरिक और भावनात्मक दोनों ही तरह के दर्द को कम करने में मदद मिलती है। एक बार जब ये केमिकल्स रिलीज हो जाते हैं तो ऐसा लगता है मानो शरीर सुन्न की अवस्था में पहुंच जाता है। ऑक्सिटोसिन हमें राहत का अहसास कराता है और इसी वजह से रोने के बाद हमारा मन शांत हो जाता है। 

मूड होता है बेहतर

दर्द दूर करने के साथ-साथ रोने से आपका मूड भी बेहतर होता है और आपको बेहतर महसूस होता है। जब आप रोते हैं या सिसकियां लेते हैं तो ठंडी हवा के कुछ झोंके शरीर के अंदर जाते हैं जिससे ब्रेन का तापमान कम होता है और शरीर का तापमान भी रेग्युलेट होने लगता है। जब आपका दिमाग ठंडा हो जाता है तो आपका मूड भी बेहतर हो जाता है। 

रोने से स्ट्रेस कम होता है

जैसा कि हमने आपको पहले ही बताया जब आप किसी इमोशनल वजह से रोते हैं तो आपके आंसूओं में स्ट्रेस हॉर्मोन्स और दूसरे केमिकल्स की मात्रा सबसे अधिक होती है। ऐसे में रोने से शरीर में इन केमिकल्स की मात्रा कम होती है क्योंकि ये केमिकल्स आंसूओं के जरिए आंखों से बह जाते हैं जिससे आपका स्ट्रेस कम होता है। 

आंखों की रोशनी बनी रहती है

आंसू आंखों में मेमब्रेन को सूखने नहीं देते। इसके सूखने की वजह से आंखों की रोशनी में फर्क पड़ता है, जिस वजह से लोगों को कम दिखना शुरू हो जाता है। मेमब्रेन सही बना रहता है, तो आंखों की रोशनी लंबे समय तक ठीक बनी रहती है।

 
फिटनेस के साथ यादाश्त भी बढ़ाती है एरोबिक एक्सर्साइज

फिटनेस के साथ यादाश्त भी बढ़ाती है एरोबिक एक्सर्साइज

हालही हुई कई स्टडीज में सामने आया है कि तेज गति से की जानेवाले एक्सर्साइज दिमाग की सेहत और यादाश्त को दुरुस्त रखने में मददगार हैं। खास बात यह है कि केवल युवाओं में ही नहीं इन फास्ट एक्सर्साइज का सकारात्मक प्रभाव 60 साल से अधिक उम्र के लोगों में भी देखने को मिलता है। साथ ही धीमी गति से की जानेवाली एक्सर्साइज की जगह सेफ्टी का ध्यान रखते हुए तेज गति से यदि एक्सर्साइज की जाए तो उसका असर शरीर और दिमाग पर कहीं अधिक देखने को मिलता है। 

हैमिल्टन की मैकमास्टर यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने 12 सप्ताह तक 60 से 88 वर्ष की आयु के बीच के 64 सेडेंटरी (ज्यादातर समय बैठे रहनेवाले लोग) लोगों पर शोध किया। इस दौरान इन लोगों के ग्रुप को तीन भागों में बांटा, जिन्हें अलग-अलग तरह की एक्सर्साइज कराई गईं। इन लोगों के यह शोध शुरू करने से पहले और शोध के बाद लिए गए डेटा विश्लेषण में सामने आया कि जो एडल्ट तीव्र गति वाली अक्सर्साइज करते हैं उनमें अल्जाइमर होने का रिस्क कम होता है। साथ ही उनकी यादाश्त पहले के मुकाबले कहीं बेहतर हो जाती है।

इनको कराई गई तीव्र गति वाली एक्सर्साइज में 4 मिनट तक ट्रेड मिल वॉक के चार सेट और मीडियम तीव्रता वाली एरोबिक्स एक्सर्साइज शामिल थीं, जो इन्हें हर रोज करीब 50 मिनट तक कराई जाती थीं। शोध में यह भी सामने आया कि धीमी गति से लंबे समय तक की जानेवाली एक्सर्साइज की तुलना में अधिक प्रभाव डालने वाली तीव्र गति की एक्सर्साइज कम समय तक करना ब्रेन के लिए अधिक प्रभावी रहता है। हालांकि शोधकर्ताओं ने यह बात भी साफ कर दी कि इस तरह का व्यायाम लोगों को डिमेंशिया और अल्जाइमर जैसी बीमारियों से बचाने में मददगार है अगर ये ऐक्टिविटीज किसी एक्सपर्ट की देखरेख में की जाएं। लेकिन बीमारी हो जाने पर उन्हें ठीक करने में इनके रोल के बारे में अभी कुछ स्पष्ट तौर पर नहीं कहा जा सकता।

 
रोज खाए चोकलेट , बढ़ेगा स्टैमिना

रोज खाए चोकलेट , बढ़ेगा स्टैमिना

चॉकलेट खाना भला किसे पसंद नहीं होता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि गर्म पिघली हुई चॉकलेट पीने से 60 साल की उम्र में अपने पैरों पर खड़े रहने और चलने में मदद मिलती है. हाल ही में हुए एक अध्ययन के अनुसार कोको जिससे चॉकलेट बनता है, पैरों में रक्त के प्रवाह को सुचारू बनाए रखने में मदद करता है.

शोध में सामने आई ये बात : शोध के दौरान शोधकर्ताओं ने पाया कि अध्ययन के तहत जिन प्रतिभागियों ने हर दिन तीन कप गर्म चॉकलेट का सेवन छह महीनों तक किया उनके चलने की गति और तरीके में सुधार पाया गया.

पैड से पीडि़त लोगों पर किया अध्ययन :

दरअसल, कोको में इपिकैटेचिन नामक एक पदार्थ होता है जो डार्क चॉकलेट में भी पाया जाता है. शोधकर्ताओं का मानना है कि इपिकैटेचिन लोगों के पैरों के पीछे की मांसपेशियों में रक्त के प्रवाह को बढ़ाता है जिससे उन्हें ज्यादा चलने में मदद मिलती है. बता दें कि  शोध को ऐसे लोगों पर किया गया था जो कॉमन पेरीफेरल आर्टरी डिजीज (पैड) से पीडि़त थे.

पैरों की मांसपेशियों में रक्त प्रवाह नहीं होता : अमेरिकी शोधकर्ता प्रोफेसर मेरी मैकडरमोट ने कहा, पैड से जूझ रहे लोगों के चलने की क्षमता में सुधार करने के लिए ज्यादा थेरेपी मौजूद नहीं है. शोधकर्ता नेओमी हैमबर्ग ने कहा, पैड से पीडि़त लोगों को चलने में उतनी ही परेशानी होती है जितना दिल की धड़कन रुकने वाले मरीजों को होती है.

क्या है पैड:

पेरीफेरल आर्टरी डिजीज एक ऐसी बीमारी है जिसमें आर्टरी (धमनियां) संकरी हो जाती हैं. पैड की वजह से चलने के दौरान पैरों की मांसपेशियों में दर्द, कड़ापन और जकडऩ महसूस होती है.

 
क्या आपके दांतों में पीलापन है, तो आजमाएं इन घरेलू नुस्खों को मिनटों में दूर होंगे दांतों के पीलेपन

क्या आपके दांतों में पीलापन है, तो आजमाएं इन घरेलू नुस्खों को मिनटों में दूर होंगे दांतों के पीलेपन

मुस्कान, स्माइल, हंसी- ये हमारी पर्सनैलिटी का अहम हिस्सा है। लेकिन मुस्कुराते वक्त अगर आपके पीले दांत नजर आएं तो आप न सिर्फ हंसी का पात्र बन सकते हैं बल्कि आपकी ओवरऑल पर्सनैलिटी पर भी नेगेटिव असर पड़ता है। कई बार रोजाना अच्छी तरह से दांतों को साफ करने के बाद भी दांतों में पीलापन आ जाता है तो कई बार साफ-सफाई और हाइजीन का पूरा ध्यान न रखना भी इसका एक कारण हो सकता है। ऐसे में अगर आपके दांत भी पीले हो गए हैं तो डेंटिस्ट के पास जाकर महंगा ट्रीटमेंट करवाने से पहले एक बार इन घरेलू नुस्खों को अपनाकर देखें। इनसे आप घर बैठे ही बड़ी आसानी से महज 5 मिनट में दांतों का पीलापन दूर कर पाएंगे।

इन वजहों से पीले होते हैं दांत

बहुत से ऐसे कारण जिनकी वजह से दांतों की सफेदी खत्म हो जाती है और दांतों में पीलापन आ जाता है। खाने-पीने की ऐसी कई चीजें हैं जिनसे दांतों पर लगा इनैमल दूषित हो जाता है और दांत पीले नजर आने लगते हैं। इसके अलावा अगर दांत पर प्लाक की परत जम जाए तो इससे भी दांत पीले नजर आने लगते हैं। अधिक चाय या कॉफी का सेवन करना या फिर जो लोग दांतों की सफाई ठीक तरीके से नहीं करते हैं उन्हें भी दांतों से संबंधित अधिक समस्याएं होती हैं। 

सरसों का तेल और नमक करें यूज

दांतों का पीलापन दूर करने में सरसों का तेल आपकी मदद कर सकता है। आयुर्वेद भी मानता है कि पीले दांतों की समस्या दूर कर सफेद और चमकदार दांत पाने के लिए सरसों के तेल का इस्तेमाल करना चाहिए। दांतों को चमकाने के साथ ही मुंह में मौजूद बैक्टीरिया को भी दूर करता है सरसों का तेल। इसके लिए आधा चम्मच सरसों के तेल में चुटकी भर नमक मिलाएं और इस मिश्रण से दातों पर कुछ देर के लिए मसाज करें। आप चाहें तो उंगली की मदद से दांत और मसूड़ों की मसाज कर सकते हैं या फिर टूथब्रथ का इस्तेमाल कर सकते हैं। करीब 3 से 5 मिनट तक इस नुस्खे को अपनाएं और फर्क खुद देखें। 

सरसों का तेल और हल्दी

आप चाहें तो मोतियों जैसे सफेद और चमकदार दांत पाने के लिए सरसों के तेल के साथ नमक की जगह हल्दी का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए आधा चम्मच हल्दी पाउडर में 1 चम्मच सरसों का तेल मिलाएं और इस पेस्ट को दांतों पर उंगलियों की मदद से धीरे-धीरे रगड़ें। इस मिश्रण का नियमित रूप से इस्तेमाल करें और कुछ ही दिनों में दातों का पीलापन पूरी तरह से दूर हो जाएगा। 

केले का छिलका

दांतों को सफेद करने के लिए आप केले के छिलके का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। जी हां, केला जितना फायदेमंद फल है, उसका छिलका भी उतना ही फायदेमंद है। केले के छिलके का जो सफेद वाला हिस्सा है उस तरह से छिलके को रोजाना दांतों पर 1 या 2 मिनट तक रगड़ें और उसके बाद हर दिन तकी तरह ब्रश कर लें। केले में मौजूद पोटैशियम, मैग्नीज और मैग्नीशियम जैसे मिनरल्स को दांत सोख लेते हैं। इससे दांत न सिर्फ सफेद बनते हैं बल्कि मजबूत भी होते हैं। केले के छिलके के इस नुस्खे को हफ्ते में 2 से 3 बार ट्राई करें और फिर देखें पीलापन कैसे दूर हो जाएगा। 

बेकिंग सोडा और नींबू का रस

दांतों को घर पर ही आसानी से सफेद करने का ये एक और नुस्खा है। एक प्लेट में 1 चम्मच बेकिंग सोडा लें और उसमें थोड़ा सा नींबू का रस मिलाएं। जब तक आपको पेस्ट जैसी कन्सिस्टेंसी न मिल जाए उसमें नींबू का रस मिलाते रहें। अब इस पेस्ट को टूथब्रश पर लगाएं और दांतों पर अच्छी तरह से मसाज करें। इसे करीब 1 मिनट तक दांतों पर लगा रहने दें और उसके बाद मुंह धो लें। बेकिंग सोडा वाले इस पेस्ट को 1 मिनट से ज्यादा दांतों पर लगा न रहने दें वरना दांतों के इनैमल को नुकसान हो सकता है। 

स्ट्रॉबेरी से चमकाएं अपने दांत

1 या 2 फ्रेश स्ट्रॉबेरी लें और उन्हें अच्छी तरह से मैश कर लें। फिर इसे अपने दांतों पर 2 से 3 मिनट तक लगाकर रखें और फिर मुंह धो लें। आप चाहें तो स्ट्रॉबेरी लगाने के बाद अच्छी तरह से ब्रश भी कर सकते हैं। स्ट्रॉबेरी में मैलिक ऐसिड नाम का नैचरल इन्जाइम पाया जाता है जो दांतों का पीलापन दूर कर नैचरली उन्हें सफेद बनाने में मदद करता है। साथ ही स्ट्रॉबेरी में मौजूद फाइबर मिुंह के बैक्टीरिया को दूर करने में मदद करते हैं।

अपने बढ़ते हुए चिढ़चिढ़ेपन के लिए इस तरह जिम्मेदार हैं खुद आप

अपने बढ़ते हुए चिढ़चिढ़ेपन के लिए इस तरह जिम्मेदार हैं खुद आप

मनोवैज्ञानिक और काउंसलर्स के अनुसार, जिन लोगों को प्यार की जरूरत होती है उन्हें भी गुस्सा बहुत अधिक आता है! यह बात आपको हैरान जरूर कर सकती है लेकिन मनोभावों की हकीकत से जुड़ी है। दरअसल, जब किसी इंसान को लगातार अनदेखा किया जाता है तो वह एक तरह की नेगेटिविटी से भर जाता है। खासतौर पर घर और परिवार में अगर यह स्थिति लंबे समय तक बनी रहे तो व्यक्ति का दुनिया-समाज और रिश्तों को देखने का नजरिया बदलने लगता है। जो की नकारात्मकता से भरा हुआ होता है। इसलिए अधिक गुस्सा करनेवाले लोगों को आमतौर पर प्यार और सम्मान की जरूरत होती है। यह मानसिक अवस्था की बात हो रही है। जबकि कुछ लोग गुस्सा दिखाकर खुद को सुपीरियर साबित करने की कोशिश भी करते हैं। इन दोनों व्यवहारों में अंतर है। 

नींद पूरी ना होना

कुछ लोगों को यह बात हैरान कर सकती है कि नींद पूरी ना होने का गुस्सा बढऩे से क्या संबंध? क्योंकि नींद पूरी ना होने पर थकान महसूस होती रहती है। ऐसा सोचनेवाले लोग बिल्कुल सही हैं, बस उन्हें यह जानने की जरूरत है कि अगर यह थकान लंबे समय तक बनी रहती है तो हमारे ब्रेन और डायजेस्टिव सिस्टम के फंक्शन पर बुरा असर डालने लगती है।

नींद का डायजेशन पर असर 

नींद पूरी ना होने पर कुछ लोगों को स्ट्रेस लेवल बढऩे से बहुत अधिक भूख लगने लगती है, वहीं कुछ लोगों को स्ट्रेस की वजह से कुछ खाने की इच्छा ही नहीं होती है। इस कंडीनशन में मेटाबॉलिज़म का रोल बहुत अधिक महत्वपूर्ण होता है। जिनका मेटाबॉलिक सिस्टम फास्ट होता है और जो लोग हाइपरऐक्टिव होते हैं या बहुत अधिक सोचते हैं, उनमें अधिक भूख लगने के लक्षण देखे जाते हैं। जबकि मेटाबॉलिज़म स्लो होने पर लोगों की भूख गायब हो जाती है और वे अत्यधिक मासिक दबाव महसूस करने लगते हैं।

बहुत अधिक सोना 

मनोविज्ञान के अनुसार, जो लोग बहुत अधिक सोते हैं, उनके अधिक सोने के पीछे उनका अकेलापन महसूस करना या किसी भी कारण खालीपन से भरा हुआ होना हो सकता है। बहुत अधिक मानसिक तनाव के कारण भी अधिकतर लोग लेटे रहना पसंद करते हैं, फिर भले ही वे सो ना रहे हों। ऐसा हॉर्मोनल डिसबैलंस के चलते होता है। अगर आपके आस-पास ऐसा कोई व्यक्ति है, जो सामान्य से अधिक सोता है तो आपको उससे बात करने की जरूरत है। जरूरी लगे तो सायकाइट्रिस्ट से जरूर संपर्क करें।

बीपी लो रहना 

जिन लोगों का बीपी लो रहता है, उन्हें भी बहुत अधिक नींद आती है। जब परिवार के लोग उन्हें खाना-खाने या किसी अन्य काम के लिए जगाते हैं तो वे अक्सर खीज जाते हैं। क्योंकि गुस्सा शारीरिक कमजोरी की निशानी भी होता है। वहीं, बीपी हाई होने की स्थिति में व्यक्ति को घबराहट के साथ ही अधिक गुस्सा आने की शिकायत रहने लगती है। 

क्या है समाधान? 

अगर आप चाहते हैं कि आपका गुस्सा शांत रहे और स्वस्थ रहें। साथ ही अपने काम, पढ़ाई या करियर पर फोकस कर सकें तो जरूरी है कि आप पूरी नींद लें। क्योंकि जब तक नींद पूरी नहीं होगी तब तक डायजेस्टिव सिस्टम ठीक से काम नहीं करेगा। इस स्थिति में बॉडी में ब्लड सर्कुलेशन ठीक से नहीं हो पाए। इससे हमारे शरीर में एनर्जी की कमी होगी। एनर्जी की कमी होने पर हमें थकावट महसूस होगी और हमारा अधिक सोने का मन करेगा। यह स्थिति हमारे काम पर गलत असर डालेगी और बढ़ते तनाव के कारण हमारा गुस्सा भी बढऩे लगता है। इसलिए इन सभी स्थितियों से बचना चाहते हैं तो हर रोज पूरे 7 से 8 घंटे की नींद जरूर लें।

 
जानिए शहद और दालचीनी के 10 आश्चर्यजनक फायदे

जानिए शहद और दालचीनी के 10 आश्चर्यजनक फायदे

शहद और दालचीनी, दोनों ही आयुर्वेद और घरेलू नुस्खों के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण है। इन दोनों के फायदों को जानने के बाद आप हैरान हुए बिना नहीं रह सकेंगे।घर के मसालों की रानी दालचीनी का उपयोग तो आपने कई बार किया होगा। लेकिन यह आपकी हर बीमारी का इलाज करने में सक्षम है और जब दालचीनी के साथ शहद का भी मेल हो जाए, फिर तो यह समझो सोने पर सुहागे वाली बात हो गई।
अगर आप अब तक इसके गुणों से अनजान हैं, तो जरूर पढ़े दालचीनी और शहद के यह अनमोल गुण और उससे होने वाले 10 फायदे -


1 कैंसर - दालचीनी का प्रयोग कैंसर जैसे रोग पर नियंत्रण पाने में सक्षम है। वैज्ञानिकों ने अमाशय के कैंसर और हड्डी के बढ़ जाने की स्थति में दालचीनी और शहद को लाभदायक बताया है। एक माह तक गरम पानी में दालचीनी पाउडर और शहद का सेवन इसके लिए बेहद फायदेमंद होता है। यह रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करता है, जिससे शरीर बीमारियों से लड़ सके।
2 हृदय रोग - हृदय को स्वस्थ बनाए रखने और हृदय रोगों पर नियंत्रण रखने में दालचीनी सहायक होती है, क्योंकि यह हृदय की धमनियों में कोलेस्ट्रॉल को जमने से रोकती है। प्रतिदिन शहद और दालचीनी का गर्म पानी के साथ सेवन करें। आप दालचीनी और शहद के मिश्रण को रोटी के साथ भी खा सकते हैं। इसके अलावा दालचीनी को चाय में डालकर भी ले सकते हैं। इसके प्रयोग से हार्ट अटैक की संभावना कम हो जाती है।
3 मोटापा - मोटापे के लिए दालचीनी का सेवन एक रामबाण उपाय है। यह शरीर में कोलेस्ट्रॉल को कम करती है, जिससे मोटापा नहीं बढ़ता। इसके लिए दालचीनी की चाय बहुत फायदेमंद है।एक चम्मच दालचीनी पाउडर को एक गिलास जल में उबालकर आंच से उतार लें। इसके बाद उसमें दो बड़े चम्मच शहद मिलाकर सुबह नाश्ता करने से आधा घंटा पहले पिएं। रात को सोने से पहले भी इसका सेवन करना दुगुना फायदेमंद होता है, और अतिरिक्त चर्बी धीरे-धीरे समाप्त हो जाती है।
4 जोड़ों में दर्द - जोड़ों में दर्द होने पर दालचीनी का प्रयोग आपको राहत देता है। इसके लिए प्रतिदिन दालचीनी का गर्म पानी में सेवन तो लाभप्रद है ही, इसके अलावा इस हल्के गर्म पानी की दर्द वाले स्थान पर मालिश करने से भी जोड़ों के दर्द में राहत मिलती है।इसके पानी को पीने एक सप्ताह में संधिवात के दर्द से निजात मिलती है और एक महीने तक इका सेवन करने से चलने फिरने में असमर्थ लोग भी चलने में सक्षम हो जाते हैं। आर्थाइटिस के दर्द में भी दालचीनी काफी फायदेमंद साबित होती है।
5 सर्दी-खांसी - सर्दी, खांसी या गले की तकलीफों में दालचीनी बेहद असरकारक दवा के रूप में काम करती है। इसे पीसकर एक चम्मच शहद के साथ एक चुटकी मात्रा में खाने से जुकाम में लाभ मिलता है। आप गर्म या गुनगुने पानी में दालचीनी के पाउडर को शहद के साथ मिलाकर पी सकते हैं। दालचीनी के पाउडर को पिसी हुई काली मिर्च के साथ सेवन करने से भी राहत मिलती है। इससे पुराने कफ में भी राहत मिलेगी।

6 पेट के रोग - अपच, गैस, पेट दर्द और एसिडिटी जैसी समस्यों में भी दालचीनी का पाउडर लेने से आराम मिलता है। इससे उल्टी-दस्त की समस्या में भी लाभ होता है, और भोजन का पाचन भी बेहतर होता है। शहद और दालचीनी के पावडर का मिश्रण लेने से पेट का अल्सर जड़ से ठीक हो जाता है।\

7 सिर दर्द - ठंडी हवा लगने या सर्दी के कारण होने वाले सिरदर्द में दालचीनी का लेप करना फायदेमंद होता है। गर्मी के कारण होने वाले सिरदर्द में दलचीनी और तेजपत्ते को मिश्री के साथ चावल के पानी में पीसकर सूंघने से सिरदर्द दूर हो जाता है। इसके अलावा दालचीनी के तेल कुछ बूंदें, तिल के तेल में मिलाकर सिर पर मालिश करने से भी सिरदर्द ठीक हो जाती है। दालचीनी को पानी में रगड़कर कनपटी पर गर्म लेप करने से भी आराम मिलता है। नियमित रूप से शहद और दालचीनी का सेवन करने से तनाव से राहत मिलती है, साथ ही स्मरणशक्ति भी बढ़ती है।
8 सौंदर्य - त्वचा और बालों के सौंदर्य में भी दालचीनी पीछे नहीं है। यह त्वचा को निखारने के साथ ही झुर्रियों को भी कम करती है। दालचीनी पाउडर में नीबू के रस में मिलाकर लगाने से मुंहासे व ब्लैकहैड्स दूर होते हैं। एक नीबू के रस में दो बड़े चम्मच जैतून का तेल, एक कप चीनी, आधा कप दूध, दो चम्मच दालचीनी पाउडर मिलाकर पांच मिनट के लिए शरीर पर लगाएं। इसके बाद नहा लें, त्वचा खिल उठेगी। शहद और दालचीनी के पेस्ट को रात को सोते वक्त चेहरे पर लगाएं और सुबह गरम जल से धो लें, इससे चेहरा कांतिमय हो जाता है। गंजेपन या बालों के गिरने की समस्या के लिए गरम जैतून के तेल में एक चम्मच शहद और एक चम्मच दालचीनी पाउडर का पेस्ट बनाकर इसे सिर में लगाए और पंद्रह मिनट बाद धो लें।
9 दालचीनी के तेल का प्रयोग दर्द, घाव और सूजन को समाप्त करने के लिए किया जाता है। यह त्वचा की खुजली को भी समाप्त करने के साथ, दांतों के दर्द में भी राहत देती है। मुंह से बदबू आने की समस्या में दालचीनी को मुंह में रखकर चूसना बहुत लाभदायक होता है।

10 दालचीनी और शहद के मिश्रण का सेवन कान के रोगों को भी दूर करता है, और बहरेपन की समस्या को भी समाप्त करता है। दालचीनी के तेल की कुछ बूंदें कान में डालने से लाभ मिलता है। अस्थमा और लकवा लगने पर भी यह बेहद फायदेमंद होता है।

 

गर्म पानी के साथ इलायची खाने से मिलेंगी सेहत और सुंदरता

गर्म पानी के साथ इलायची खाने से मिलेंगी सेहत और सुंदरता

भारतीय पकवानों में डलने वाला एक महत्वपूर्ण मसाला है इलायची। अगर अभी तक आपको लगता था कि इलायची खाने में इस्तेमाल करने से केवल खाने की महक और स्वाद ही बढ़ता है, तो आप गलत सोच रहे हैं। इलायची का इस्तेमाल आपके भोजन का स्वाद बढ़ाने के साथ ही आपकी सेहत और सुंदरता को भी बढ़ा सकता है। आइए जानते हैं कि कैसे -

1. यदि आपको कील-मुंहासे की समस्या रहती है तो आप नियमित रात को सोने से पहले गर्म पानी के साथ एक इलायची का सेवन करें। इससे आपकी त्वचा संबंधी समस्या दूर होगी।

2. यदि आपको पेट से संबंधित समस्या है, आपका पेट ठीक नहीं रहता या आपके बाल बहुत ज्यादा झड़ते है तो इन सभी समस्याओं से बचने के लिए आप इलायची का सेवन करें। इसके लिए आप सुबह खाली पेट 1 इलायची गुनगुने पानी के साथ खाएं।

3. दिनभर की बहुत ज्यादा थकान के बाद भी अगर आपको नींद आने में परेशानी होती है तो इसका उपाय भी इलायची है। नींद नहीं आने की समस्या से निजात पाने के लिए आप रोजाना रात को सोने से पहले इलायची को गर्म पानी के साथ खाएं। ऐसा करने से नींद भी आएगी और खर्राटे भी नहीं आएंगे।

 

शूज उतारते ही पैरों की बदबू से परेशान हैं तो अपनाइये ये टिप्स, मिलेगा आपको आराम

शूज उतारते ही पैरों की बदबू से परेशान हैं तो अपनाइये ये टिप्स, मिलेगा आपको आराम

जैसे ही कुछ लोग अपने शूज उतारते हैं तो आस-पास बैठे लोग दूर भाग जाते हैं...या तिरछी नजरों से उनकी तरफ देखने लगते हैं, इसका कारण होता है उनके पैरों से आ रही दुर्गंध। जिन लोगों के साथ यह समस्या होती है वे खुद इस दिक्कत के चलते कई बार पब्लिक प्लेस पर या किसी इवेंट में हंसी का पात्र बन जाते हैं। अक्सर ये लोग समझ नहीं पाते कि आखिर बहुत साफ-सफाई का ध्यान रखने के बाद भी इनके पैरों से बदबू आ क्यों रही है? यहां जाने इस परेशानी की वजह और इसका समाधान...

इसलिए आती है पैरों से दुर्गंध

पैरों से स्मेल आने की वजह होती है पैरों में पसेब का आना। आप पसेब को पैरों में होनेवाली स्वेटिंग की तरह समझ सकते हैं लेकिन वास्तव में पसीने और पसेब में टेक्निकल डिफरेंस होता है। दरअसल, पसीना हमारे उन बॉडी पार्ट्स में आता है जहां स्किन में रोम छिद्र या पोर्स होते हैं, स्किन पर बाल होते हैं। लेकिन पसेब हथेली और तलुओं पर ही आता है और यहां की त्वचा पर रोए या महीन बाल नहीं होते हैं। 

पसीना नैचरल प्रॉसेस लेकिन...

पसीना आना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। प्राकृति तौर पर जो पसीना आता है वो हमें रोम छिद्रों से आता है। जब यह नैचरल प्रॉसेस से आता है तो यह सेहत के लिए अच्छा होता है। यहां नैचरल प्रॉसेस से मतलब उन स्थितियों से है जब आप घबराहट या तनाव में नहीं होते हैं। गर्म मौसम के कारण पसीना आना या एक्सर्साइज के बाद पसीना आना सामान्य होता है।

पसेब है अलार्मिंग साइन

पैर के तलुओं या हथेलियों में पसेब आने की दिक्कत आमतौर पर उन लोगों को होती है जो चिंतालु प्रवृत्ति के होते हैं। वैद्य सुरेंद्र सिंह राजपूत के अनुसार, हथेलियों और पैर के तलुओं में पसेब आना इस कई बार बदलते मौसम के कारण होता है तो कई बार यह इस बात का इशारा होता है कि आप किसी तरह के मानसिक दबाव से गुजर रहे हैं।

मेंटल हेल्थ की सुरक्षा का संदेश

जब लंबे समय तक कोई टेंशन या स्ट्रेस हमारे दिमाग पर हावी रहता है तो हमारे शरीर पर इसके कई नकारात्मक प्रभाव देखने को मिलते हैं। हम वक्त रहते अपने आप को इन परेशानियों से दूर करने के लिए जरूरी प्रयास करें, पैरों और हथेलियों का पसेब मेंटल हेल्थ की दिशा में इस तरह का संदेश देने का काम करता है।

बचाता है ऐंग्जाइटी और डिप्रेशन से

अगर साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखने, सही डायट लेने और प्रॉपर केयर के बाद भी पैरों से और हथेलियों से पसेब आ रहा है तो आपको डॉक्टर से जरूर मिलना चाहिए। क्योंकि यह दिमगा के द्वारा अपनी सेफ्टी के लिए दिया जानेवाला एक तरह का संकेत है कि अगर आपने अभी अपनी मेंटल हेल्थ पर ध्यान नहीं दिया तो आप ऐंग्जाइटी और स्ट्रेस की तरफ बढ़ सकते हैं।

इन लोगों में होती है यह समस्या

आयुर्वेद के अनुसार, पैरों और हथेलियों में पसेब आने की समस्या ज्यादातर उन लोगों के साथ होती है, जो चिंतालु प्रवृत्ति के होते हैं। ये लोग सोचते अधिक हैं लेकिन जितना सोचते हैं उसकी तुलना में परफॉर्म नहीं कर पाते हैं। साथ ही इनके दिमाग में हर समय कोई ना कोई थॉट प्रॉसेस चलता रहता है। 

इस तरह चलता है प्रॉसेस

लगातार सोच-विचार में उलझे रहने के कारण ये लोग अपने काम को उतने अच्छे तरीके से अंजाम नहीं दे पाते, जैसा देने की चाहत रखते हैं। इस कारण इन्हें अपनी इच्छा के अनुरूप रिजल्ट भी नहीं मिल पाता। इससे ये और अधिक तनाव में आ जाते हैं। इस दौरान पैर के तलुओं और हथेलियों में पसेब की समस्या बढ़ जाती है। क्योंकि पैर अक्सर शूज में बंद रहते हैं इस कारण पैरों में तेज स्मेल आने लगती है। 

एक के बाद एक ऐसे बढ़ती हैं समस्याएं

हर समय चिंता में रहने के कारण हमारे पाचनतंत्र पर बुरा असर पड़ता है। इस कारण हमारा मेटाबॉलिज़म स्लो हो जाता है। खाना ठीक से डायजेस्ट नहीं होता, कब्ज रहने लगता है, शारीरिक और मानसिक थकान बनी रहती है। इसका सीधा असर हमारी परफॉर्मेंस पर पड़ता है और फिर वही सर्कल घूमने लगता है कि हम परफॉर्म नहीं कर पाते तो स्ट्रेस बढऩे लगता है।

पैरों की दुर्गंध दूर करने के आसान टिप्स

-पैरों की बदबू से निजात पाने के लिए आप सबसे पहले टाइम मैनेजमेंट पर ध्यान दें। अपने काम तय समय पर करना शुरू करें ताकि आपके दिमाग का बोझ कम हो और खुद को खुश और लाइट फील कर सकें।

- एक्सर्साइज या वॉक जरूर करें। इन्हें करने से हमारे शरीर में ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है और ब्रेन तक जरूरी मात्रा में ऑक्सीजन पहुंचती है। इससे तनाव कम करने में मदद मिलती है।

- सही डायट यानी डीप फ्राइड चीजों का कम से कम सेवन, मौसमी फलों का उपयोग, सात्विक भोजन खाने और योग या एक्सर्साइज से हमारे ब्रेन को हैपी हॉर्मोन्स प्रड्यूस करने में मदद मिलती है। जब हम खुश रहते हैं तो तनाव कम होता है और ब्रेन ठीक से काम करता है पैरों से बदबू की समस्या दूर हो जाती है।

अगर ना मिले आराम

अगर हेल्दी डायट और फिजिकली ऐक्टिव रहने के बाद भी आपको पैरों की दुर्गंध और हथेलियों में पसेब आनी की समस्या बनी हुई तो ऐसी स्थिति में आप चिकित्सक से परामर्श करें। बहुत कम समय के ट्रीटमेंट से ही आप इस परेशानी से मुक्ति पा सकते हैं और लोगों की घृणा या मजाक का विषय बनने से बच सकते हैं।

बदलते मौसम में बेहद गुणकारी है लेमन टी, ये बीमारियां भी रहेंगी कोसों दूर

बदलते मौसम में बेहद गुणकारी है लेमन टी, ये बीमारियां भी रहेंगी कोसों दूर

प में से कई लोग ऐसे होंगे जो अपने दिन की शुरुआत चाय के साथ करते होंगे। चाय पीने से दरअसल हम एक्टिव फील करते हैं और चुस्त तंदुरुस्त भी बने रहते हैं। इसलिए हमारे आसपास आज कई तरह की चाय मौजूद है जिनमें से एक लेमन टी भी है। 

लेमन टी में साइट्रिक एसिड की मात्रा होने के कारण यह वजन घटाने में सहायक होने के साथ - साथ आपके स्वास्थ्य के लिए कई भी कई प्रकार से लाभदायक है। बदलते मौसम में लेमन टी पीना बेहद फायदेमंद हो सकता है। यहां जानें नींबू से बनी यह चाय आपके शरीर पर और कौन कौन से कमाल दिखा सकती है-

वजन घटाने में है सहायक 

वैसे तो ज्यादातर लोग यही सोचते हैं कि नींबू पानी पीने से वजन घटता है लेकिन लेमन टी पीने से भी वजन को नियंत्रित करने में और उसे घटाने में मदद मिल सकती है। दरअसल नींबू में कैलोरी की बहुत कम मात्रा पाई जाती है। यही वजह है कि लेमन टी का उपयोग वजन घटाने में मदद करता है। 

ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में करता है मदद 

हाई ब्लड प्रेशर की समस्या से पीडि़त लोगों के लिए भी लेमन टी फायदेमंद है। लेमन टी पीने से हाई ब्लड प्रेशर की समस्या खत्म हो जाती है। इसमें पोटेशियम की मात्रा पाई जाती है। यह ब्लड प्रेशर को सामान्य रूप से बनाए रखने में मदद करता है। इसलिए ब्लड प्रेशर की समस्या से पीडि़त लोगों के लिए लेमन टी एक बढिय़ा विकल्प है।

रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में है मददगार 

रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में भी लेमन टी पीने के फायदे शामिल हैं। लेमन टी में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का गुण पाया जाता है। इस कारण अगर आप लेमन टी पीते हैं तो आप की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत रहेगी और आप कई प्रकार की बीमारियों से भी बचे रहेंगे। 

बढ़ती उम्र के प्रभाव के लिए है कारगर चाय 

लेमन टी पीने से आप स्लो एजिंग की समस्या से बचे रहते हैं। दरअसल इसमें एंटी ऑक्सीडेंट का गुण पाया जाता है जो स्लो एजिंग यानी कि बढ़ती उम्र की प्रक्रिया से होने वाले प्रभाव को कम कर देता है और आपकी त्वचा निखरी हुई लगती है। अपनी दिनचर्या में लेमन टी को शामिल करने के बाद आप खुद ब खुद इस फायदे को देख सकेंगे।

कैंसर के जोखिम को कम करने में करता है मदद 

लेमन टी पीने के फायदे में कैंसर के जोखिम को कम करना भी शामिल है। जैसा कि हमने आपको ऊपर बताया कि लेमन टी में एंटीऑक्सीडेंट एक्टिविटी पाई जाती है। यह एक्टिविटी कैंसर के लिए जोखिम बनने वाली कोशिकाओं को पनपने से रोकता है। इसलिए आप लेमन टी को अपनी दिनचर्या में शामिल करके कैंसर के जोखिम से बचे रहेंगे।

क्या आप भी  ठंड में एड़ियां फटने से परेशान है,तो पढ़े कैसे इससे छुटकारा पाया जाए

क्या आप भी ठंड में एड़ियां फटने से परेशान है,तो पढ़े कैसे इससे छुटकारा पाया जाए

ठंड के मौसम में रूखी त्वचा और होंठ फटने की समस्या तो होती ही है, एड़ियां फटना भी इन दिनों में एक बड़ी समस्या होती है। इससे बचने के लिए कारणों को जानना जरूरी है। जानिए क्या है एड़ियां फटने का कारण और उपाय -

एड़ियां फटने की मुख्य वजह शरीर में कैल्शियम और चिकनाई की कमी होती है। एड़ी व तलवों की त्वचा मोटी होती है, इसलिए शरीर के अंदर बनने वाला सीबम यानी कुदरती तेल, पैर के तलवों की बाहरी सतह तक नहीं पहुंच पाता। फिर पौष्टिक तत्व व चिकनाई न मिल पाने की वजह से ही एड़ियां खुरदरी-सी हो जाती हैं और इनमें दरार पड़ने लगती है। एड़िया ज्यादा फटने से दर्द और जलन तो होती ही है, कभी-कभी खून भी निकल आता है।

ठंड में फटी एड़ियों से छुटकारा पाने के नुस्खे
1 डेढ़ चम्मच वैसलीन में एक छोटा चम्मच बोरिक पावडर डालकर अच्छी तरह मिला लें और इसे फटी एड़ियों पर अच्छी तरह से लगा लें, कुछ ही दिनों में फटी एड़ियां फिर से भरने लगेंगी।

2 अगर एड़ियां ज्यादा फटी हुई हों तो मैथिलेटिड स्पिरिट में रुई के फाहे को भिगोकर फटी एड़ियों पर रखें। ऐसा दिन में तीन-चार बार करें, इससे एड़ियां ठीक होने लगेंगी।

3 गुनगुने पानी में थोड़ा शैंपू, एक चम्मच सोड़ा और कुछ बूंदें डेटॉल की डालकर मिला लें। इस पानी में पैरों को 10 मिनट तक भिगोकर रखें। त्वचा फूलने पर मैथिलेटिड स्पिरिट लगाकर एड़ियों को प्यूमिक स्टोन या झांवे से रगड़कर साफ कर लें। इससे एड़ियों कीमृत त्वचा साफ हो जाएगी। फिर साफ तौलिए से पोंछकर गुनगुने जैतून या नारियल के तेल से मालिश करें।

4 पैरों को साफ व खूबसूरत बनाए रखने के लिए पैडिक्योर को अवश्य चुनें। यह पैरों के नाखून, एड़ी व तलवों की सफाई का शानदार तरीका है।

5 पैडीक्योर एक आसान विधि है, इसे आप खुद घर पर भी कर सकती हैं अगर आपके पैरों की दशा ज्यादा खराब है तो पैडीक्योर किसी ब्यूटी स्पेशलिस्ट से ही करवाना मुनासिब है।

 

रात में केला खाना चाहिए या नहीं, क्या कहता है आयुर्वेद, जानें

रात में केला खाना चाहिए या नहीं, क्या कहता है आयुर्वेद, जानें

पोटैशियम, विटमिन बी6, विटमिन सी, मैग्नीशियम, कॉपर, फाइबर और कार्ब्स से भरपूर केला सेहत के लिए बेहद फायदेमंद है। केला खाने से पाचन तंत्र बेहतर होता है, हार्ट को हेल्दी बनाए रखने में मदद मिलती है, अनीमिया दूर करने में मदद मिलती है और ब्लड प्रेशर भी कंट्रोल में रहता है। इतने सारे फायदों को जानने के बाद जाहिर सी बात है कि आप भी केला खाना शुरू कर देंगे। लेकिन एक और सवाल जो केला खाने वाले बहुत से लोगों के मन में आता है कि क्या रात के समय केला खाना चाहिए? क्या सोने से पहले केला खाना सेफ है? अगर आपके मन में भी हैं ये सवाल तो यहां जानें उनका जवाब...

केले के बारे में क्या है आयुर्वेद की राय ?
आयुर्वेद की मानें तो रात के समय केला खाने में किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं है। लेकिन अगर आपको सर्दी-खांसी है, अस्थमा है, साइनस की दिक्कत है तो आपको रात में केला नहीं खाना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि सोने से पहले केला खाने से म्यूकस बनने का खतरा रहता है जो आपकी सर्दी-खांसी की समस्या को बढ़ा सकता है। इसके साथ ही केले को पचने में थोड़ा ज्यादा वक्त लगता है इसलिए रात में केला खाकर सोने से वेट बढऩे का भी रिस्क होता है। बावजूद इसके रात में केला खाने के कई फायदे भी हैं।
ऐसिडिटी और सीने में जलन को रोकता है
अगर आपने रात के डिनर में बहुत हेवी मील खायी है जिसमें तेल मसाले बहुत ज्यादा थे या फिर अगर आपने रात में सोने से पहले बहुत ज्यादा मसालेदार स्ट्रीट फूड खाया है तो हो सकता है कि आपको ऐसिडिटी और सीने में जलन होने लगे। ऐसी सिचुएशन में अगर आप सोने से पहले 1 केला खा लें तो ऐसिडिटी की दिक्कत नहीं होगी। केला, पेट में मौजूद ऐसिड को बेअसर करने में मदद करता है।
अच्छी नींद आने में मददगार है
अगर आपका दिन बहुत ज्यादा थकान से भरा था और आपको बहुत ज्यादा बॉडी पेन हो रहा है जिस वजह से आपको नींद भी नहीं आ रही है तो ऐसी स्थिति में आप रात में केला खा सकते हैं। केले में पोटैशियम की मात्रा अधिक होती है और यह मांसपेशियों को रिलैक्स करने में मदद करता है। सोने से कुछ देर पहले 1 या 2 केला खा लें तो आपको अच्छी नींद आएगी। एक बड़े केले में 487 मिलीग्राम पोटैशियम होता है जो हमारी जरूरत का 10 प्रतिशत हिस्सा है।
मीठा खाने की तीव्र इच्छा (क्रेविंग्स) को रोकता है
अगर आप भी उन लोगों में से हैं जिन्हें खाने के बाद मीठा खाना बहुत पसंद है या फिर अगर देर रात आपको कुछ मीठा खाने की तीव्र इच्छा होने लगती है तो ऐसे में आप केले के ऑप्शन पर जा सकते हैं। रात के वक्त कैलरीज और शुगर से भरपूर मिठाई या डेजर्ट खाने से बेहतर है कि आप केला खाएं। केला हेल्दी विकल्प है, मीठा भी होता है और आपकी स्वीट क्रेविंग्स को भी शांत करता है।
ब्लड प्रेशर कम करने में मदद करता है केला
अगर आपको हाई ब्लड प्रेशर की दिक्कत है तो आपको अपनी डायट में पोटैशियम की मात्रा बढ़ानी चाहिए और सोडियम की मात्रा घटानी चाहिए। ऐसे में केले में पोटैशियम भरपूर मात्रा में होता है जो आपके ब्लड प्रेशर को कंट्रोल में रखने में मदद कर सकता है। ऐसे में आप चाहें तो रात में एक केला खा सकते हैं ताकि शरीर को डायट्री पोटैशियम का डोज मिल सके।
 
क्या आप जानते हैं दांतों को ब्रश करने का सही तरीका, जाने कैसे करे ब्रश

क्या आप जानते हैं दांतों को ब्रश करने का सही तरीका, जाने कैसे करे ब्रश

दांतों की सफाई और उन्हें स्वस्थ रखने के लिए आप रोजाना ब्रश करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं ब्रश करने का सही तरीका? जी हां, दांतों की सही देखभाल के लिए उन्हें सही तरीके से ब्रश करना बेहद जरूरी है, वरना आपकी सारी मेहनत दांत में दर्द या अन्य समस्याओं के रूप में बेकार हो सकती है। जानिए दांतों की सफाई का यह तरीका –

1 दांतों को स्वस्थ रखने के लिए जरूरी है कि आप खाने के बाद ब्रश करें। लेकिन खाने के ठीक बाद ब्रश न करें, बल्कि कम से कम एक घंटे के बाद ही दांत साफ करें ताकि खाने के बाद बनने वाला एनेमल आपके दांतों पर काम कर सके।

2 सिर्फ सुबह के समय ही नहीं बल्कि रात को भी खाने के एक घंटे बाद या फिर सोते समय ब्रश करें, ताकि बैक्टीरिया मुंह में व दांतों में जमे न रहें, रातभर जमे रहने वाले बैक्टीरिया दांतों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।

3 ब्रश करते समय अगर आप जल्दबाजी में होते हैं और सिर्फ एक या दो राउंड ब्रश करके कुल्ला कर लेते हैं, तो यह तरीका गलत है। कम से कम 2 मिनट तक ब्रश करें और दांतों की जड़ों यानि मसूड़े की ओर से नीचे की ओर ब्रश को चलाएं जिससे प्लाक साफ हो सके।

4 ब्रश करते समय दांतों पर जोर न लगाएं, इससे उनकी जड़ें कमजोर हो सकती है और दांत में दर्द की समस्या भी हो सकती है। हल्के हाथों से ब्रश करें और नर्म ब्रिसल्स वाले ब्रश का उपयोग करें।

5 सप्ताह में एक बार नींबू से दांतों को साफ करें जिससे उनका पीलापन कम हो जाएगा और आपके दांत सफेद और चमकदार नजर आएंगे। इसके अलावा विटामिन सी, दही, सलाद आदि का प्रयोग करते रहें, यह दांतों के लिए फायदेमंद है।

अगर आप खर्राटों से हैं परेशान, तो ये योग और घरेलू नुस्खे दिलाएंगे आराम

अगर आप खर्राटों से हैं परेशान, तो ये योग और घरेलू नुस्खे दिलाएंगे आराम

आप भले ही ये सोचे कि जो व्यक्ति खर्राटे ले रहा है उसे तो कोई दिक्कत नहीं हो रही और उसकी वजह से आसपास सो रहे लोगों की नींद खराब हो रही है। लेकिन शायद आप ये नहीं जानते कि खर्राटे लेना, खराब सेहत और बीमारी का संकेत हो सकता है। नैशनल स्लीप फाउंडेशन की मानें तो हर 3 में से 1 पुरुष और 4 में से 1 महिला हर रात खर्राटे लेते हैं। अगर आप भी अपने पार्टनर के खर्राटों से परेशान हैं तो उनसे नाराज होने की बजाए उन्हें योग करने की सलाह दें और कुछ घरेलू उपायों को आजमाएं जिससे पार्टनर की खर्राटों की दिक्कत हो जाएगी दूर।
आखिर क्यों आते हैं खर्राटे
खर्राटे तब आते हैं जब कोई व्यक्ति सोते वक्त सांस लेने के दौरान नाक से अजीब-अजीब सी आवाजें निकालने लगता है। ये आवाजें सांस लेने के दौरान होने वाली रुकावटों की आवाज होती है। मुंह, नाक और कंठ में मौजूद टीशू और पैलेट के वाइब्रेशन से ये आवाजें निकलती है। नींद में सोते वक्त अगर सांस लेने के दौरान एयरफ्लो में किसी तरह की रुकावट आती है नाक और कंठ में मौजूद टीशू में वाइब्रेशन होने लगता है जिससे खर्राटे आने लगते हैं। कुछ लोग खर्राटे तो लेते हैं लेकिन उसकी आवाज बहुत धीमी होती है वहीं, कुछ लोगों के खर्राटों की आवाज इतनी तेज होती है कि उसे दूसरे कमरे तक सुना जा सकता है।
योग से दूर होंगे खर्राटे
खर्राटों को दूर करने के लिए बाजार में मिलने वाले अजीबोगरीब गैजट्स या मास्क लगाकर अनकम्फर्टेबल फील करने की बजाए रोजाना योग करना शुरू कर दें। हम आपको बता रहे हैं योग के उन आसनों के बारे में जिससे फेफड़ों की क्षमता बेहतर बनेगी, ब्रीदिंग स्मूथ हो जाएगी और खर्राटों की भी दूर होगी।
भुजंगासन या कोबरा पोज
खर्राटों की समस्साय दूर करने के लिए सबसे बेस्ट योगासन है भुजंगासन। इस आसन को करने के दौरान व्यक्ति का चेस्ट यानी सीना पूरी तरह से खुल जाता है। इस पॉस्चर में हमारे फेफड़े क्लियर हो जाते हैं और वायु मार्ग भी क्लीन और फ्री हो जाता है जिससे खर्राटे लेने की आशंका कम हो जाती है। साथ ही साथ इस योगासन को करने से शरीर में ऑक्सिजन और ब्लड फ्लो भी रेग्युलेट होता है जिससे आपकी ब्रीदिंग और शरीर के बाकी फंक्शन्स भी बेहतर तरीके से काम करने लगते हैं।
धनुरासन या बो पोज
भुजंगासन की ही तरह इस योगासन में भी आपका सीना, कंधा और गला पूरी तरह से खुल जाता है जिससे आप और ज्यादा गहरी सांस लेने लगते हैं जिससे सांस लेने और छोडऩे के दौरान कंठ में किसी तरह की रुकावट नहीं होती और खर्राटे भी नहीं आते। हालांकि धनुरासन को करने के लिए बहुत सारे प्रैक्टिस की जरूरत है। लिहाजा किसी योगा एक्सपर्ट की देखरेख में ही इसे करें।
भ्रामरी प्राणायाम
योग के ये आसन मुख्य तौर पर एक ब्रीदिंग टेक्नीक है जिसे कोई भी बड़ी आसानी से कर सकता है। इस आसन को करने से शरीर और मन दोनों शांत होता है और ऐंग्जाइटी कम होती है। इस ब्रीदिंग आसन को करने से शरीर में हाई ब्लड प्रेशर की दिक्कत कम होती है जिससे खर्राटों की दिक्कत दूर होती है और कई बार रात में अगर अचानक नींद टूटने की परेशानी हो तो वो भी दूर हो जाती है।
घरेलू नुस्खे भी आएंगे काम- अदरक और शहद
अदरक ऐंटी-इन्फ्लेमेट्री और ऐंटी-बैक्टीरियल प्रॉपर्टी से भरपूर होता है जो सलाइवा (थूक) के स्त्राव को बढ़ाता है जिससे कंठ और गले को राहत मिलती है और खर्राटे नहीं आते। रोजाना दिन में 2 बार अदरक और शहद की चाय पीने से खर्राटों की दिक्कत दूर हो सकती है।
लहसुन,प्याज और मूली खाएं
लहसुन, प्याज और मूली जैसे स्ट्रॉन्ग अरोमा वाले फूड खाने से लंग्स में कंजेशन की दिक्कत कम होती है और नाक के सूखने की समस्या भी नहीं होती। इन चीजों को खाने से टॉन्सिल में सूजन भी नहीं होता। रात में सोने से पहले अगर आप इन्हें चबा लें तो खर्राटों की दिक्कत नहीं होगी।
अनानास, केला और संतरा
खर्राटों से छुटकारा पाने का एक और बेस्ट तरीका यही है कि आप अपनी नींद की क्वॉलिटी को बेहतर बनाएं और इसके लिए शरीर में मेलाटॉनिन की मात्रा बढ़ाने की जरूरत होती है। मेलाटॉनिन ही वो हॉर्मोन है जो हमें सोने में मदद करता है। ऐसे में अनानास, केला और संतरा जैसी चीजों का सेवन करें जिसमें मेलाटॉनिन कॉन्टेंट बहुत ज्यादा होता है। जब नींद अच्छी आएगी तो खर्राटे अपने आप ही बंद हो जाएंगे।
 

जानिये कैसे परीक्षा के सीजन में अपने बच्चे के मानसिक तनाव को दूर किया जा सकता है

जानिये कैसे परीक्षा के सीजन में अपने बच्चे के मानसिक तनाव को दूर किया जा सकता है

फरवरी से लेकर मार्च तक एग्जाम का सीजन रहता है। इस दौरान 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं के साथ-साथ हर क्लास के फाइनल एग्जैम्स भी होते हैं और इस दौरान ज्यादातर बच्चे अपनी पढ़ाई, कोर्स पूरा करना, एग्जाम देना और फिर रिजल्ट कैसा होगा इन सारी बातों को लेकर हद से ज्यादा टेंशन और स्ट्रेस में रहते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन की मानें तो भारत के करीब 5 करोड़ 70 लाख लोग डिप्रेशन का शिकार हैं और इनमें से भी सबसे ज्यादा तादाद युवाओं की है। मेंटल हेल्थ से जुड़ी समस्याओं के मामले में युवाओं की संख्या साल दर साल बढ़ती जा रही है।
डिप्रेशन, ऐंग्जाइटी, स्ट्रेस के मामले बढ़े
ज्यादातर स्टडीज और रिसर्च में भी यह बात साबित हो चुकी है कि मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी बीमारियां जैसे- डिप्रेशन, ऐंग्जाइटी, बेचैनी, स्ट्रेस ये सब युवाओं में बहुत ज्यादा देखने को मिल रहा है। आपको यकीन नहीं होगा कि एक तरफ जहां यंगस्टर्स हर वक्त सोशल मीडिया पर ऐक्टिव रहते हैं, फेसबुक से लेकर इंस्टा, टिकटॉक इस तरह के हर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर हजारों दोस्त होने के बाद भी यंगस्टर्स अकेलेपन का शिकार हो रहे हैं। इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल में साइकॉलजी की सीनियर कंसल्टेंट डॉ एकता सोनी बता रही हैं बेहद आसान और क्विक टिप्स के बारे में जिससे बच्चों में स्ट्रेस को बेहतर तरीके से मैनेज किया जा सकता है।
ऐसे में अगर आपका बच्चा भी अपने एग्जाम या पढ़ाई को लेकर स्ट्रेस में है तो इन टिप्स को जरूर अपनाएं...
1. फिजिकल ऐक्टिविटी जरूर करें
स्ट्रेस दूर करने का सबसे अच्छा तरीका है फिजिकल ऐक्टिविटी। फिर चाहे वॉकिंग हो, रनिंग, स्वीमिंग, पावर योगा, ऐरोबिक्स, कार्डियो वर्कआउट या फिर जो आपकी पसंद हो उसे जरूर करें। हर वक्त एक ही जगह बैठे रहने से भी स्ट्रेस बढ़ता है। लिहाजा बॉडी को थोड़ा मूव करें और कुछ ऐक्टिविटी जरूर करें।
2. नींद पूरी करना है जरूरी
एग्जाम्स आए नहीं कि सबसे पहले बच्चों की नींद गायब हो जाती है और वे रात-रातभर जागकर पढ़ाई करने लगते हैं। लेकिन आपको बता दें कि अगर आप अपना स्ट्रेस लेवल कम करना चाहते हैं तो बेहद जरूरी है कि आप कम से 7 से 8 घंटे की नींद जरूर लें। प्रॉपर नींद भी स्ट्रेस को कम करने में मदद करती है।
3. मसल्स को रिलैक्स करें
एक और बेहतरीन स्ट्रेस रिलिवर का काम करता है प्रोग्रेसिव मसल रिलैक्सेशन टेक्नीक जिसे पीएमआर भी कहते हैं। इस टेक्नीक में शरीर के हर एक मसल यानी मांसपेशियों को रिलैक्स करने की कोशिश की जाती है ताकि शरीर की थकान और स्ट्रेस पूरी तरह से दूर हो जाए। यह टेक्नीक स्टूडेंट्स के लिए खासकर बहुत मददगार है।
4. हेल्दी डायट का सेवन करें
आपको भले ही ये बात अभी समझ न आ रही हो लेकिन आपकी डायट आपके ब्रेन पावर को या तो बढ़ा सकती है या फिर आपकी मेंटल एनर्जी को कम कर सकती है। हेल्दी डायट भी स्ट्रेस मैनेजमेंट में मददगार साबित हो सकती है। अगर आप अच्छी और हेल्दी डायट का सेवन करेंगे तो मूड स्विंग्स और सिरदर्द जैसी दिक्कतें भी नहीं होंगी।
5. परिवार और दोस्तों से बात करें
स्ट्रेस को मैनेज करने में सबसे ज्यादा मदद परिवार के सदस्य और आपके दोस्त ही करते हैं। लिहाजा बेहद जरूरी है कि आप अपने घरवालों से हर दिन बात करें, उनसे अपनी बातें, समस्याएं और दिक्कतें शेयर करें। जब आप अपनी बातें और विचार परिवारवालों के साथ शेयर करते हैं तो बड़ी सी बड़ी प्रॉब्लम का भी सलूशन निकल जाता है और स्ट्रेस के लिए जगह ही नहीं बचती।
 

रोजाना 30 मिनट की वॉक रखेगी आपको हेल्दी, योग और मेडिटेशन दिल को रखेगे दुरुस्त

रोजाना 30 मिनट की वॉक रखेगी आपको हेल्दी, योग और मेडिटेशन दिल को रखेगे दुरुस्त

दिल को दुरुस्त रखने के लिए योग और मेडिटेशन की भूमिका अहम है। योग से किस तरह दिल की बीमारी को दूर रख सकते हैं
कसरत है जरूरी
फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टिट्यूट के चेयरमैन डॉ. अशोक सेठ के अनुसार दिल को फिट रखने और बीमारी से बचने के लिए रोजाना कम-से-कम 30 मिनट या हफ्ते में 5 दिन 45 मिनट कार्डियो एक्सरसाइज करना जरूरी है। इससे वजन और ब्लड प्रेशर, दोनों कम होते हैं। कार्डियो एक्सरसाइज में ब्रिस्क वॉक, जॉगिंग, साइक्लिंग, स्विमिंग, डांस, जुंबा आदि आते हैं।
इसका सीधा-सा फॉर्म्युला है कि वॉक या दूसरी एक्सरसाइज की स्पीड इतनी तेज हो कि इस दौरान हार्ट बीट पीक तक जानी चाहिए। पीक हार्ट रेट निकालने का फॉर्म्युला है: 220 - उम्र = जवाब का 75 फीसदी। अगर उम्र 40 साल है तो पीक हार्ट रेट होगा: 220 - 40 (साल) = 180 का 75 फीसदी यानी 135 तक। मोटे तौर पर इसे यूं भी कह सकते हैं कि 45 मिनट में 5-6 किमी चलने की कोशिश करनी चाहिए। कार्डियो के अलावा योगासन, प्राणायाम और मेडिटेशन भी दिल को सेहतमंद रखने में मदद करते हैं।
आसन
योग गुरु योगी अमृतराज के अनुसार ताड़ासन, उत्तानपादासन, कटिचक्रासन, धनुरासन, नौकासन, पवनमुक्तासन, अर्ध-हलासन और बिलाव आसन (कैट पॉश्चर) दिल के लिए खासतौर पर फायदेमंद हैं। इन सभी के करीब 3-5 राउंड कर लें और हर राउंड में फाइनल पॉश्चर पर पहुंचने के बाद 10-15 सेकंड या 3-5 सांस तक रुकें। फिर वापस आएं।
अगर है दिल की बीमारी...
*रोजाना 45-50 मिनट वॉक करें। एक बार में नहीं कर सकते तो 15-15 मिनट के लिए तीन बार में करें। साइक्लिंग और स्वीमिंग करना भी फायदेमंद है।
*जॉगिंग, एयरोबिक्स या हेवी एक्सरसाइज से पहले डॉक्टर से सलाह ले लें, क्योंकि इससे ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है।
*योग और प्राणायाम करें, लेकिन भस्त्रिका प्राणायाम न करें।
*शवासन करें। इससे मांसपेशियों का तनाव कम होता है और बीपी कंट्रोल होता है।
*ऐसे आसन डॉक्टर की सलाह के बिना न करें, जिनमें सारा वजन सिर पर या हाथों पर आता है, जैसे कि मयूरासन, शीर्षासन आदि।
प्राणायाम
*चंद्रभेदी प्राणायाम
*सूर्यभेदी प्राणायाम
*शीतली प्राणायाम
*भ्रामरी प्राणायाम
*ओम का उच्चारण
*डीप ब्रिदिंग
*अनुलोम-विलोम
हर प्राणायाम और क्रिया 3-5 मिनट कर लें। ये तमाम प्राणायाम और क्रियाएं मन को रिलैक्स कर ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने में मदद करती हैं। शीतली और चंद्रभेदी प्राणायाम सर्दियों में न करें क्योंकि ये शरीर को ठंडक पहुंचाने वाले होते हैं।
मेडिटेशन
10-15 मिनट मेडिटेशन करें। सबसे आसान मेडिटेशन है, आराम से बैठकर सांस पर फोकस करना। मेडिटेशन से मन शांत होने के साथ-साथ एकाग्रता भी बढ़ती है।
योग के फायदे
शरीर बनता है मजबूत, फिट और फुर्तीला।
आसन से शरीर में लचक बढ़ती है
पसीने के साथ टॉक्सिन्स बाहर निकल जाते हैं।
ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है जिससे इम्यूनिटी सुधरती है।
मेडिटेशन टेंशन को कम करता है।
ऐंग्जाइटी खत्म होती है और कॉन्फिडेंस बढ़ता है।
कंसंट्रेशन बढ़ाकर मेमरी को बेहतर करता है।
ये न भूलें
भगवान का शुक्रिया अदा करना और दूसरों को माफ करना सीखें। ये दोनों बातें मन को शांत करने के लिए बहुत जरूरी हैं।
नोट: किसी भी एक्सरसाइज के दौरान बेचैनी, दर्द, उल्टी आदि हो, तो एक्सरसाइज तुरंत बंद कर लें और डॉक्टर को दिखाने के बाद ही फिर से एक्सरसाइज शुरू करें। वैसे, दिल के मरीज डॉक्टर से पूछकर एक्सरसाइज और योग गुरु की देखरेख में योग करें तो बेहतर है।
 

बिना व्यायाम के कैसे करें अपना वजन कम, जानें 10 काम की बातें...

बिना व्यायाम के कैसे करें अपना वजन कम, जानें 10 काम की बातें...

वजन भी घटाना है और व्यायाम भी नहीं करना? फिक्र मत कीजिए, आपके लिए ही हैं ये 10 जादुई तरीके, जो बिना किसी एक्सरसाइज के आसानी से घटाएंगे आपका वजन। तो फिर देर किस बात की, पढ़िए और आज ही अपनाइए, यह वजन घटाने के यह नायाब तरीके -
1 अच्छी नींद लें - नींद की कमी और अधिक नींद दोनों ही हानिकारक होते हैं, और वजन को अनियंत्रित करने में मदद करते हैं। शारीरिक क्रियाओं के ठीक से कार्य करने के लिए 6
से 8 घंटे की नींद लेना आवश्यक है। कम नींद लेने पर तनाव भी बढ़ सकता है, कई बार तनाव भी मोटापे का कारण होता है।

2 प्रोटीन और फाइबर - अपने आहार में प्रोटीन और फाइबर से भरपूर चीजों का सेवन करें। इससे आपका पेट भी अधि‍क समय तक भरा रहेगा और आप अतिरिक्त कैलोरी लेने से बच जाएंगे। इसके अलावा फाइबर आपको उर्जा देगा जो सक्रिय रहने में मदद करेगा और आपका वजन कम होता रहेगा।
3 पानी - दिनभर में हर घंटे सीमित मात्रा में पानी जरूर पिएं। भोजन करने से कुछ समय पहले और बाद में भी थोड़ी मात्रा में पानी पिएं। इससे चयापचय की प्रक्रिया ठीक तरह से होगी।

4 भूख से कम खाएं - एक ही बार में अधिक न खाएं बल्कि जितनी भूख हो उससे थोड़ा कम ही भोजन करें, ताकि पाचन ठीक से हो और शरीर में वसा का जमाव न हो। इसके अलावा रात के खाने में सलाद, फल या तरल पदार्थों को लेने पर फोकस करें।

5 टुकड़ों में खाएं - अपनी कुल डाइट को तीन से चार बार थोड़ी-थोड़ी मात्रा में लें। सुबह का नाश्ता, दोपहर का खाना और रात के खाने के बीच में भी कुछ न कुछ हल्का-फुल्का खाते रहें। इसमें आप फल, सलाद या सूप को भी शामिल कर सकते हैं।

6 रात का खाना - रात का भोजन और सोने के समय के बीच दो से तीन घंटे का अंतर जरूर रखें, ताकि भोजन के पचने में आसानी हो। इस समय में आप घर के छोटे मोटे काम या पैदल चलना शुरू करें, जिससे पाचनक्रिया बेहतर हो।
7 सक्रिय रहें - यहां हमारा मतलब व्यायाम करने से नहीं है, बल्कि हर काम के प्रति आपको सुस्त रहने के बजाए थोड़ा सक्रिय रूख अपनाना होगा। इससे रक्त संचार भी तेज होगा और आपके शरीर की हल्की फुल्की एक्सरसाइज भी होती रहेगी।

8 आराम - अगर आपको बहुत आराम करने की आदत हो गई है, तो इससे बचें। ऑफिस या घर में घंटों एक ही स्थान पर बैठे न रहें। इससे शरीर के निचले हिस्से में वसा का जमाव हो सकता है और पेट की चर्बी भी बढ़ सकती है। थोड़ी-थोड़ी देर में उठकर घूमते-फिरते रहें, ताकि शरीर में वसा का जमाव न हो।
9 गरम पानी - सुबह खाली पेट गरम पानी पीने से पेट की चर्बी कम होगी। खाना खाने के बाद गरम पानी का सेवन करना वसा को जमने से रोकेगा और पाचन क्रिया में मदद करेगा। इसके अलावा भी दिन में दो से तीन बार गरम पानी का सेवन आपके वजन में बहुत जल्दी कमी लाएगा।

10 फैटी फूड - पिज्जा, पास्ता, चीज, बर्गर जैसी चीजों को खाने से आपको जरूर बचना होगा, क्योंकि यह एक ही दिन में आपके वजन को असंतुलित कर देता है। अनाज से बनी चीजों की अपेक्षा इनमें बहुत अधिक फैट होता है। अगर इनका मोह नहीं छोड़ा तो वजन कम करना आसान नहीं है, यह याद रखें।