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बदलते मौसम में हो गई बलगम वाली खांसी, इन उपायों से करें दूर

बदलते मौसम में हो गई बलगम वाली खांसी, इन उपायों से करें दूर

भारत में कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. एक तरफ इस महामारी ने लोगों को घेरा हुआ है, तो वहीं दूसरी तरफ अप्रैल के महीने में भी कभी सर्दी, तो कभी गर्मी पड़ रही है. जिसके कारण लोगों को खांसी, जुकाम जैसी समस्याएं आ रही हैं. सूखी खांसी वाले लोग तो परेशान नहीं हो रहे हैं, लेकिन जिन लोगों को बलगम वाली खांसी आ रही है उन्हें बार-बार कफ बन रहा है, जिसके कारण वो परेशान हो रहे हैं. ऐसे में क्या करना चाहिए आइए जानते हैं इसके बारे में...


बलगम वाली खांसी के कारण


सिर्फ मौसम बदलने से नहीं बल्कि कई बार गले में इंफेक्शन के कारण भी बलगम वाली खांसी हो सकती है. ऐसा माना जाता है कि नियमित तौर पर बलगम वाली खांसी का इलाज नहीं किया जाता तो ये कई बीमारियों की वजह बन सकता है. आइए जानते हैं कैसे खत्म की जा सकती है बलगम वाली खांसी. बलगम वाली खांसी को ठीक करने के लिए लोग कुछ खास तरह की दवाओं का सेवन करने लगते हैं. दवाइयों के अलावा आप घर पर ही कुछ प्राकृतिक चीजों को अपनाकर बलगम वाली खांसी को ठीक कर सकते हैं.


शहद


किसी भी प्रकार की बीमारी में शहद सबसे स्टीक दवा है. रात को सोने से लगभग आधे घंटे पहले 1.5 चम्मच शहद को पिएं. ऐसा करने से नींद भी अच्छी आएगी और गले का कफ भी कम हो जाएगा.


विटामिन सी


शरीर के इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाए रखने के लिए विटामिन सी बहुत जरूरी माना जाता है. विटामिन सी का इस्तेमाल करने से यह शरीर के वायरस से तेजी से लडऩे में सक्षम हो पाता है. बलगम वाली खांसी में विटामिन सी युक्त फल जैसे की संतरा खा सकते हैं. संतरा खाते वक्त ध्यान रहे कि यह ठंडा न हो.

अदरक की चाय


एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर अदरक की चाय पीना हर किसी को बहुत पसंद होता है. दिन में 2 बार अदरक की चाय पीने से गले को आराम मिल सकता है और बलगम वाली खांसी खत्म हो सकती है.

भाप


भाप को देसी इलाज माना जाता है. नियमित तौर पर भाप लेने से चेस्ट में जमा हुए म्यूकस टूट जाते हैं. जिन लोगों को बलगम वाली खांसी होती है उन्हें दिन में कम से कम 5 मिनट तक भाप लेने की सलाह दी जाती है.

 

जानिए तुलसी के पत्तों से होने वाले 5 आश्चर्यजनक फायदे

जानिए तुलसी के पत्तों से होने वाले 5 आश्चर्यजनक फायदे

तुलसी के पत्तों का इस्तेमाल केवल पूजन सामग्री के तौर पर ही नहीं किया जाता। आयुर्वेद के अनुसार तुलसी के पत्तों में आश्चर्यजनक गुण होते है, जो सेहत की दृष्टि से बेहद फायदेमंद होते है। आइए, जानते हैं उन्हीं के बारे में -


1. तुलसी के पत्तों में एंटी ऑक्सीडेंट होते है, जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता यानी कि इम्यून सिस्टम को मजबूत करते हैं।

 

2. यदि आपको सर्दी व फिर हल्का बुखार हो गया हो तो आप मिश्री, काली मिर्च और तुलसी के पत्ते को पानी में अच्छी तरह से पकाकर काढ़ा बना ले और फिर इसे पी ले। आप चाहें तो इस घोल को सुखाकर इसकी गोलियां बनाकर भी खा सकते हैं। इससे आपको सर्दी व हल्के बुखार में फायदा होगा।

 

3. जिन लोगों को सांस की दुर्गंध की समस्या होती है उन्हें रोजाना सुबह उठकर तुलसी के कुछ पत्तों को मुंह में रखना चाहिए, ऐसा करने से सांस की दुर्गंध धीरे-धीरे कम होने लगेगी।

 

4. यदि आपको कहीं चोट लग जाए तो आप तुलसी के पत्तों को फिटकरी के साथ मिलाकर, अपने घाव पर लगा सकते हैं, ऐसा करने से चोट व घाव जल्दी ठीक होने में मदद मिलेगी।

 

5. यदि आपको दस्त हो गए हैं तो तुलसी के पत्तों को जीरे के साथ मिलाएं और पीस लें। अब इस मिश्रण को दिनभर में 3-4 बार चाटते रहें। ऐसा करने से आपको दस्त बंद होने में फायदा मिलेगा।


 

कोरोना बनाम कैंसर देखभाल: आमतौर पर पूछे जाने वाले प्रश्नों के जवाब बालको मेडिकल सेंटर के डॉ द्वारा

कोरोना बनाम कैंसर देखभाल: आमतौर पर पूछे जाने वाले प्रश्नों के जवाब बालको मेडिकल सेंटर के डॉ द्वारा

रायपुर,दुनिया भर में कोरोनवायरस के संक्रमण के कारण बढ़ता हुआ लॉकडाउन लोगों की असुविधा का कारण बनता जा रहा है । कुछ स्वास्थ्यप्रद कमजोर लोगों के मन में कुछ वास्तविक संदेह हो सकते हैं, खासकर कैंसर के मरीजों में , कैंसर सरवाइवर और उनके चाहने वाले को । नया रायपुर के एक प्रमुख कैंसर अस्पताल बालको मेडिकल सेंटर के डॉक्टरों ने कोरोना महामारी के समय कैंसर से संबंधित आम दुविधा को दूर किया।


1. 'इम्यूनोकोम्प्रोमाइज़' होने का क्या मतलब है?
बालको मेडिकल सेंटर के सी एम् एस और सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ। जयेश शर्मा ने विस्तृत रूप से बताया कि इम्यूनोकोम्प्रोमाइज़ वे व्यक्ति हैं जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर, अधिक बिगड़ा हुआ या औसत स्वस्थ वयस्क की तुलना में कम मजबूत माना जाता है। हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली संक्रमण से लड़ने में मदद करती है। इम्यूनोकोम्प्रोमाइज्ड व्यक्तियों को संक्रमण होने का अधिक खतरा होता है, जिसमें वायरल संक्रमण जैसे कोविड -19 शामिल हैं। कैंसर, मधुमेह, या हृदय रोग, अधिक उम्र, या धूम्रपान की आदतें जैसे स्वास्थ्य की स्थिति भी कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली में योगदान कर सकती हैं। कैंसर रोगियों के कैंसर के प्रकार, उनके द्वारा प्राप्त उपचार के प्रकार, अन्य स्वास्थ्य स्थितियों और उनकी आयु के आधार पर इम्यूनोकोम्प्रोमाइज्ड होने का अधिक खतरा होता है। सक्रिय, चल रहे कैंसर उपचार के दौरान आमतौर पर इम्यूनोकोम्प्रोमाइज्ड होने का जोखिम सबसे अधिक होता है। कम श्वेत रक्त कोशिका की गिनती या रक्त में इम्युनोग्लोबुलिन के निम्न स्तर व्यक्ति के इम्यूनोकोम्प्रोमाइज्ड अवस्था का संकेत देते हैं।

 

2. क्या कोविड -19 से स्वास्थ्य-संबंधी जटिलताओं के लिए कैंसर का इतिहास मेरे जोखिम को बढ़ाता है?
डॉ। जयेश ने बताया कि कैंसर रोगियों और कैंसर से ठीक होने वाले लोगों को कोरोनवायरस संक्रमण से होने वाली स्वास्थ्य जटिलताओं का अधिक खतरा है। ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि ऐसे लोग अकसर इम्यूनोकोम्प्रोमाइज्ड अवस्था में पाएं जाते हैं। द लैंसेट ऑन्कोलॉजी में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, कैंसर के इतिहास वाले मरीजों में गंभीर जटिलताओं की अधिक घटना होती है, जिसमें अन्य रोगियों की तुलना में जिनमें कैंसर नहीं था,आई.सी.यू. देखभाल या वेंटिलेशन की जरूरत या यहां तक कि मृत्यु हो सकती है । हालांकि, अध्ययन किए गए रोगियों की कम संख्या के कारण, यह आवश्यक रूप से कैंसर के सभी रोगियों के लिए सामान्य कृत नहीं हो सकता है। अपने व्यक्तिगत जोखिम के मूल्यांकन के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श करना सबसे अच्छा है।

 

3. क्या अतीत में कीमोथेरेपी या विकिरण प्राप्त होने से कोविड -19 संक्रमण या बीमारी का अधिक गंभीर होने का खतरा है?
अब तक, इस बात का कोई वैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध नहीं है कि कोई भी कैंसर उपचार कोरोनोवायरस से संक्रमित होने का जोखिम बढ़ाता है, जो वायरस के संपर्क में आने वाले किसी भी व्यक्ति से कम या ज्यादा होता है। कुछ सबूत बताते हैं कि कैंसर के मरीज़ कोविड -19 संक्रमण का अधिक गंभीर लक्षण अनुभव कर सकते हैं, सबसे अधिक संभावना है कि कैंसर और इसके उपचार से प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो सकती है, जिससे अंततः संक्रमण से लड़ने की क्षमता कम हो सकती है। वे स्वास्थ्य सेवाओं के लिए लगातार हॉस्पिटल विजिट के कारण ज्यादा एक्सपोज्ड हो जाते है, जिससे संक्रमण होने का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है।

 

4. यदि कोई कैंसर रोगी या कैंसर बीमारी से ठीक होने वाले कुछ शुरुआती लक्षणों जैसे बुखार, खांसी या सांस लेने में तकलीफ महसूस करता है, तो क्या उन्हें अपने ऑन्कोलॉजिस्ट या अन्य चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए?
यदि सक्रिय कैंसर उपचार चल रहा है तो रोगियों को तुरंत अपने ऑन्कोलॉजिस्ट से फोन पर संपर्क करना चाहिए और उनकी सलाह का पालन करना चाहिए। यदि सक्रिय उपचार पर नहीं है, तो कैंसर सरवाइवर लोगों को अपने नजदीकी प्राथमिक देखभाल चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए या फोन पर ऑन्कोलॉजिस्ट से सलाह करना चाहिए और इतिहास के बारे में विस्तार से जानकारी देनी चाहिए और सभी लक्षणों को बताना चाहिए, जो तब रोगी का आवश्यकतानुसार मार्गदर्शन करेंगे ।

 

5. यदि कोई व्यक्ति कैंसर चिकित्सा शुरू करने वाला है, तो क्या उन्हें कोविड -19 के कारण उपचार स्थगित करने पर विचार करना चाहिए?
ध्यान रखें कि कोविड -19 के साथ संक्रमण के जोखिम के बारे में चिंताओं के कारण कैंसर के उपचार को स्थगित करना या छोड़ देना एक गंभीर निर्णय है और कैंसर रोगियों को अपने उपचार करने वाले ऑन्कोलॉजिस्ट के साथ इसकी चर्चा करनी चाहिए। कैंसर उपचार के संभावित जोखिम एवं लाभ बनाम संक्रमण के जोखिम के बारे में सावधानीपूर्वक मूल्यांकन करें और एक सूचित निर्णय लें।

 

6. मैं एक कैंसर सरवाइवर हूं जो संभावित पुनरावृत्ति का पता लगाने के लिए नियमित स्कैन / इमेजिंग / परीक्षण के लिए जाता है। क्या मुझे यह परीक्षण करवाते रहना चाहिए?
इस महामारी के दौरान, किसी भी अस्पताल का दौरा स्थगित किया जा सकता है यदि रोगी को जोखिम न हो । कैंसर की पुनरावृत्ति का पता लगाने के लिए नियमित स्कैन आमतौर पर 3 से 6 महीने की सीमा के भीतर होता है, इसलिए मूल्यांकन के बीच समय का विस्तार अभी भी अनुशंसित अवधि के भीतर हो सकता है।

 

यदि आपमें एक नया लक्षण विकसित होता हैं जो पुनरावृत्ति का संकेत दे रहा है, तो देरी के बिना टेलीफोन या वीडियोकांफ्रेंसिंग द्वारा अपनी कैंसर देखभाल टीम से संपर्क करें। कैंसर रोगियों के लाभ के लिए, बालको मेडिकल सेंटर ने टेलीकंसल्टेशन सुविधा उपलब्ध करायी है और मरीज टेलीफोनिक और वीडियो परामर्श के लिए 828282 3333 पर अपॉइंटमेंट बुक कर सकते हैं। 

CoronaVirus : रोज के इस्तेमाल में आने वाली इन चीजों को न करें नजरअंदाज, करें सेनिटाइज

CoronaVirus : रोज के इस्तेमाल में आने वाली इन चीजों को न करें नजरअंदाज, करें सेनिटाइज

इस वक्त कोरोना वायरस से पूरा देश परेशान है। हर जगह सिर्फ कोविड-19 के बारे में ही बात हो रही है और इससे कैसे बचा जा सकता है, किन बातों का ध्यान रखना है, ये तमाम जानकारियां हम तक पहुंच रही हैं। कोरोना से बचना है तो इसका एकमात्र तरीका है और वो है सिर्फ सफाई। जी हां, आप खुद भी सफाई का पूरा ध्यान रखें, साथ ही घर की सफाई का भी पूरा ध्यान रखें।
कोरोना से बचने का यही एक तरीका है कि बार-बार हाथ धोएं और पूरी तरह से जागरूक रहें। लेकिन घर की सफाई में ऐसी कई चीजें हैं, जो कहीं-न-कहीं हमसे साफ होने से रह ही जाती हैं और इन चीजों का रोजमर्रा में ज्यादा इस्तेमाल भी हम करते हैं, जैसे मोबाइल, टीवी रिमोट, चश्मा, घड़ी, रूमाल, अंगूठी, पेन, टूथब्रश, स्लीपर, कड़ा, पानी की बॉटल, बालों में लगाने वाले क्लिप्स, रबर बैंड, कंघी, पर्स, लाइटर आदि।

इन सभी चीजों का इस्तेमाल तो हम रोज करते हैं लेकिन इन्हें साफ व सैनिटाइज करना भूल जाते हैं। लेकिन यह लापरवाही आज के माहौल को देखते हुए छोटी नहीं है इसलिए सफाई में इन सभी रोजमर्रा की चीजों को शामिल करना बेहद जरूरी है।


तो आइए जानते हैं घर की साफ-सफाई के साथ-साथ आप इन सभी चीजों को कैसे साफ रख सकते हैं?

घर की सफाई-

घर की सफाई में आप 1 बाल्टी में फिनाइल डालकर पूरे घर की सफाई कर सकते हैं। अपने पूरे घर को पोंछें। इसके बाद आप एक अलग कपड़ा लेकर फ्रिज का हैंडल, गेट व डाइनिंग टेबल को साफ करें। इस बात का भी ध्यान रहे कि जब आप सिंक पर बर्तन धोते हैं, उसी समय आप अपने नल को भी साबुन से साफ कर सकती हैं, क्योंकि हाथ धोने के बाद आप नल को बंद करते हैं। अगर नल साफ नहीं रहेगा तो बैक्टीरिया वापस आपके हाथों में लग सकते हैं इसलिए बर्तन धोने के साथ ही हर बार नल को भी साफ करें।


मोबाइल को करें सैनिटाइज

आप अपने फोन का उपयोग नियमित रूप से करते हैं, चाहे कॉल का जवाब देना हो, ऑनलाइन खरीदारी की सूची देखनी हो या लेटेस्ट न्यूज पढ़नी हो या कोई वीडियो देखना हो। वहीं रिसर्च में पाया गया है कि कोरोना वायरस कुछ सतहों पर जीवित रहने में सक्षम हो सकता है। आपके प्रिय मोबाइल सहित कोई भी बैक्टीरिया फोन से सीधे आपकी स्कीन पर जा सकता है और अपनी जगह बना सकता है। बार-बार हाथ धोने पर आप वायरस से तो बच सकते हैं लेकिन वापस अपना मोबाइल फोन उठाने पर वायरस को आपके हाथों में जगह मिल जाती है। इसके लिए हमारे फोन का साफ होना बेहद जरूरी है।
मोबाइल फोन साफ करने के लिए आप क्लोरॉक्स शीट्स का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह बात Apple ने अपनी वेबसाइट पर कही है। इसके लिए आप क्लोरॉक्स शीट्स से सुरक्षित रूप से अपने मोबाइल फोन को साफ कर सकते हैं।

इसके साथ ही सैमसंग ने भी अपनी वेबसाइट में कहा है कि अल्कोहल आधारित सॉल्यूशन (70%) का उपयोग कर सकते हैं। इसके लिए आप माइक्रोफाइबर कपड़े का इस्तेमाल कर सकते हैं। ध्यान रहे कि सीधे सॉल्यूशन को अपने मोबाइल में न लगाएं। सबसे पहले इसे आप माइक्रोफाइबर कपड़े में लें और बिलकुल हल्के हाथों से आप इसे क्लीन करें। चाहो तो आप सिर्फ माइक्रोफाइबर कपड़े के माध्यम से ही अपने फोन को साफ कर सकते हैं।


चश्मा करें सैनिटाइज

चश्मे को भी साफ करना बेहद जरूरी है। इसके लिए आप सबसे पहले अपने हाथों को अच्छी तरह साबुन से धो लें। हैंडवॉश या किसी लिक्विड सोप की 1-1 बूंद दोनों लैंस पर डालें।

अब अपने साफ हाथों से पूरे लैंस व किनार और कोनों को साफ धीमे से बहते हुए पानी में चश्मे को धो लें। अब आखिर में जिस तरह के कपड़े का टुकड़ा आपने सभी ऑप्टिकल्स की दुकानों पर देखा होगा या जो आपके नंबर वाले चश्मे के साथ बॉक्स में आया होगा, उससे अपने गीले चश्मे को अच्छी तरह से पोंछ लें। तो लीजिए इन आसान प्रक्रिया को अपनाकर आपने अपने चश्मे को भी साफ कर लिया है। चलिए इसके साथ आगे बढ़ते हैं।


अंगूठी, पेन

अंगूठी और पेन को भी नियमित साफ करें। अंगूठी को साफ करने के लिए आप लिक्विड सोप लें। अब इससे अच्छी तरह से अपनी अंगूठी को साफ करें। आप या आपके बच्चे पेन का तो इस्तेमाल करते ही होंगे, इसके लिए आपको इसकी सफाई करना भी जरूरी है। इसके लिए आप अपने पेन को हैंडवॉश से साफ कर सकती हैं। इसके बाद इसे पानी से धो लें। इसे भी आपको नियमित साफ करना है।

 

पानी की बॉटल


गर्मी का मौसम आ चुका है। हम में से अधिकतर लोग होंगे जिन्होंने ठंडा पानी पीना भी शुरू कर दिया होगा। लेकिन फ्रिज में रखी बॉटल का साफ होना भी जरूरी है। आप इसके लिए सारी बॉटल को साबुन के घोल से धो लें। साथ ही पूरी तरह से साफ करने के लिए बॉटल में सफेद सिरका करीब 2 ढक्कन बॉटल में डालें। ढक्कन को बंद करने के बाद पानी की बॉटल को अच्छी तरह से हिलाएं। बॉटल को ब्रश से साफ करें। इसके बाद गर्म पानी से बॉटल को धो लें।


कंघी

कंघी जिसका इस्तेमाल हम सुबह-शाम करते है, लेकिन क्या नियमित इस्तेमाल की जाने वाली कंघी को आप साफ करते हैं? कंघी को साफ करने के लिए आप डिटर्जेंट का घोल तैयार करें और इसमें कंघी को डाल दें। अब ब्रश के माध्यम से इसे अच्छी तरह से साफ करें, फिर साफ पानी से इसे धो लें।

रिमोट

रिमोट को साफ करने के लिए आप सर्फ के घोल को एक कपड़े में लें। अब इससे रिमोट को साफ करें। रिमोट बटन साफ करने के लिए आप टूथ ब्रश का इस्तेमाल कर सकती हैं। ध्यान रहे, आपको डाइरेक्ट घोल को रिमोट पर नहीं डालना है। सिर्फ हल्का-सा कपड़े में लेकर साफ करना है।

लैपटॉप

इस वक्त अधिकतर लोग 'वर्क फ्रॉम होम' हैं और लैपटॉप का इस्तेमाल भी नियमित ही किया जा रहा है। इसी के साथ लैपटॉप की सफाई की भी जरूरत है ताकि संक्रमण से दूर रहा जा सके। लैपटॉप साफ करने के लिए माइक्रो फाइबर कपड़े का इस्तेमाल किया जा सकता है।

बालों में लगाने वाले क्लिप्स व रबर बैंड

बालों में लगाने वाले क्लिप्स, रबर बैंड। जी हां, भले ही ये बहुत छोटी चीजें हैं लेकिन इनका साफ होना भी बेहद जरूरी है, क्योंकि इनका इस्तेमाल भी आप नियमित करती हैं। इसको आप साबुन के घोल से साफ कर इनका इस्तेमाल कर सकती हैं।


 

इम्यूनिटी बढ़ाने के साथ माइग्रेन में असरदार है अंगूर का सेवन, होते हैं ये 7 बेहतरीन फायदे

इम्यूनिटी बढ़ाने के साथ माइग्रेन में असरदार है अंगूर का सेवन, होते हैं ये 7 बेहतरीन फायदे

अंगूर तो आप सभी लोग खाते होंगे लेकिन क्या आपको पता है कि अंगूर खाने से आपको कितना लाभ होता है। इतना ही नहीं, फलों के रूप में छोटा सा दिखने वाला ये फल माइग्रेन जैसे गंभीर सिरदर्द की स्थिति में भी आपके लोए काफी फायदेमंद हो सकता है।

गर्मियों में यह फल सबसे ज्यादा बिकता है और वो भी बेहद सस्ते दाम में। नीचे आपको अंगूर के सेवन से होने वाले फायदों के बारे में बताया जा रहा है, जो आपको सेहतमंद रखने के साथ-साथ कई प्रकार के रोगों से भी बचाए रखने का काम करता है।

इम्यूनिटी बूस्ट करने के लिए खाएं अंगूर

रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी कि इम्यून सिस्टम को मजबूत करके आप विभिन्न प्रकार के रोगों से बचे रह सकते हैं। एक मजबूत इम्यून सिस्टम होने के कारण आपको किसी भी प्रकार की संक्रामक बीमारी भी आसानी से नहीं होगी। दरअसल अंगूर में विटामिन सी की मात्रा पाई जाती है जो कि इम्यूनिटी बढ़ाने का गुण भी रखता है। इसलिए एक स्ट्रांग इम्यून सिस्टम के लिए अपनी डायट में अंगूर को आज से ही शामिल कर सकते हैं।

माइग्रेन में असरदार है अंगूर का सेवन

माइग्रेन सिरदर्द की एक ऐसी स्थिति है जिसमें 2 से 3 दिन तक सिर दर्द बना रहता है और कभी-कभी यह सिर दर्द बर्दाश्त से बाहर भी हो जाता है और लोगों को ड्रिप तक का भी सहारा लेना पड़ता है। जबकि अंगूर के सेवन से माइग्रेन की स्थिति में काफी हद तक राहत पाई जा सकती है क्योंकि इसमें सूदिंग का गुण पाया जाता है जो सिर दर्द की स्थिति को कम करने में मददगार साबित हो सकता है। अगर आप भी माइग्रेन की समस्या से परेशान हैं तो अपनी डायट में अंगूर को जरूर शामिल करें।

आंखों के लिए फायदेमंद हैं अंगूर

यह तो हम सभी जानते हैं कि आंखों को स्वस्थ बनाए रखने के लिए विटामिन ए का सेवन करना बहुत जरूरी है। हालांकि विटामिन ए किन खाद्य पदार्थों में पाया जाता है, हमें इसके बारे में भी जरूर जाना चाहिए। अगर बात की जाए अंगूर की तो इसमें विटामिन ए की भरपूर मात्रा पाई जाती है जो आंखों के लिए लाभदायक हो सकती है। इसलिए आंखों के स्वास्थ्य के लिए आप भी अपनी डायट में अंगूर को शामिल कर सकते हैं।

किडनी रोग का नहीं होगा खतरा

किसी भी इंसान के शरीर में किडनी उसके शरीर की बहुत जरूरी क्रिया का संचालन करती है। हालांकि इसे स्वस्थ रखने के लिए आपको अपने खान-पान पर भी विशेष ध्यान देना चाहिए और खासकर एल्कोहल जैसे पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए। किसी स्वस्थ बनाए रखने के लिए आप अंगूर का भी सहारा ले सकते हैं, क्योंकि इसमें एंटीऑक्सीडेंट और एंटी इन्फ्लेमेटरी क्रिया होने के कारण किडनी से जुड़ी होने वाली कई प्रकार की बीमारियों से बचे रहने में मदद मिल सकती है। इसलिए किडनी को स्वस्थ्य बनाए रखने के लिए आप भी अपनी डायट में अंगूर को जरूर शामिल करें।

वायरल संक्रमण से सुरक्षा

वायरल संक्रमण से आपको कई प्रकार की बीमारियां हो सकती हैं। खासकर इन दिनों पूरे विश्व में महामारी के रूप में फैल चुका कोविड-19 भी एक संक्रामक रोग है जो एक लोग से दूसरे लोग तक पहुंचता है। दूसरी ओर वायरल संक्रमण के जरिए आपको खांसी सर्दी जुकाम जैसी जैसी परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है। वहीं अंगूर का सेवन आपको वायरल संक्रमण से बचाने में मदद कर सकता है। वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार अंगूर में एंटीवायरल गुण पाया जाता है जिसकी वजह से यह आपको विभिन्न प्रकार के संक्रामक रोगों से बचाए रखने में सुरक्षा प्रदान कर सकता है।

ब्रेस्ट कैंसर का खतरा हो जाएगा कम

अंगूर खाने के फायदे महिलाओं के लिए भी काफी लाभदायक हो सकते हैं क्योंकि इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट गुण एक एंटी कैंसर एजेंट की तरह कार्य करते हैं। यही कारण है कि अगर महिलाओं के द्वारा भी अंगूर का सेवन किया जा रहा है तो उनमें ब्रेस्ट कैंसर के साथ-साथ पेट के कैंसर के जोखिम से भी बचने में मदद मिल सकती है।

कोलेस्ट्रोल के संतुलन में मिलती है मदद

कोलेस्ट्रॉल की मात्रा में अगर असंतुलन हो जाए तो यह हृदय रोग का कारण बन सकता है। इसलिए आपको अपने खान-पान पर विशेष ध्यान देना चाहिए ताकि कोलेस्ट्रॉल की मात्रा में किसी भी प्रकार का असंतुलन ना होने पाए। वहीं, अंगूर का सेवन आपको कोलेस्ट्रॉल के संतुलन में काफी मदद प्रदान कर सकता है क्योंकि इसके सेवन से आपके शरीर में अच्छे कोलेस्ट्रॉल की वृद्धि हो सकती है जो आपको हृदय रोगों से बचाए रखने की भी बहुत काम आ सकता है।

 

नहाने के टॉवल में भी होते हैं कई तरह के वायरस, ऐसे करें सफाई

नहाने के टॉवल में भी होते हैं कई तरह के वायरस, ऐसे करें सफाई

टॉवल एक ऐसी चीज है जिसका इस्तेमाल सभी लोग नहाने के समय करते हैं. दिन की शुरुआत में नहाने से लेकर रात को सोते समय मुंह धोने तक लोग दिन में कई बार टॉवल का इस्तेमाल करते हैं. आपको बता दें कि हर बार इसको यूज करने के साथ ही टॉवल के सरफेस पर कई प्रकार के कीटाणु आ जाते हैं. क्या आपको पता है कि एक गंदा टॉवल यूज करने से आपके शरीर में एकसाथ कई प्रकार के खतरनाक जर्म्स प्रवेश कर सकते हैं. टॉवल को रोज धोना-सुखाना मुश्किल होता है तो ऐसे में इसे साफ करना और जर्म्स फ्री रखने के टिप्स के बारे में जरूर जानना चाहिए. आइए आपको बताते हैं कि कैसे आप कुछ स्टेप्स को फॉलो करके टॉवल को क्लीन और हाइजीनिक बना सकते हैं.

नियमित रूप से करें साफ

लोग हर रोज नियमित रूप से टॉवल का इस्तेमाल करते हैं. इसलिए जरूरी हो जाता है कि इसकी सफाई भी नियमित रूप से ही की जाए. ध्यान रखें कि टॉवल को हर 5 से 7 बार यूज करने के बाद अच्छे से धो दिया जाए. इसको जर्म्स फ्री बनाने के लिए इसे गर्म पानी में धोएं. टॉवल को माइक्रोब्स फ्री बनाने के लिए ऑक्सीजन ब्लीच वाले किसी भी डिटर्जेंट का इस्तेमाल किया जा सकता है. सादे पानी से हर रोज धोने की कोशिश करें.

खुली हवा और धूप में सुखाएं

ज्यादातर लोग टॉवल का इस्तेमाल करने के बाद उसको बेड, चेयर या बाथरूम में ही छोड़ देते हैं जिससे उसमें अधिक मात्रा में जर्म्स और बैक्टीरिया पैदा हो जाते हैं. टॉवल को क्लीन बनाए रखने के लिए इसको धुप में जरूर सुखाएं या किसी ऐसे स्थान पर डालें जहां हवा आ रही हो. जिन जगहों पर वेंटिलेशन रहता है वहां इसको सुखाने से बैक्टीरिया और सीलन की बदबू पैदा नहीं होगी.

विनेगर मिलाकर धोएं

टॉवल को अच्छे से साफ करने के लिए धोने वाले पानी में डिटर्जेंट के साथ साथ विनेगर भी मिला सकते हैं. दरअसल हार्ड वॉटर के कुछ रिमेंस जो टॉवल के रेशों में जम जाते हैं वह विनेगर की मदद से आसानी से साफ हो जाते हैं. इस तरह आपका टॉवल पूरी तरह क्लीन हो जाएगा.

ज्यादा पुरानी टॉवल का न करें इस्तेमाल

एक टॉवल को लम्बे समय तक इस्तेमाल करने से उसके धागे कमजोर पड़ जाते हैं जिससे वह अच्छी तरह आपकी बॉडी को क्लीन नहीं कर पाता है. जैसे ही आपको लगे कि आपका टॉवल हल्का हो गया है या काफी पुराना हो गया है तो उसे तुरंत बदल दें.

अपना टॉवल शेयर न करें

माइक्रोब्स और जर्म्स से बचने के लिए टॉवल को साफ रखना तो जरूरी होता ही है साथ ही इसे घर के किसी और सदस्य के साथ शेयर नहीं करना चाहिए. कुछ घरों में कई लोग एक ही टॉवल को शेयर करते हैं. ऐसा करने से उनको कई प्रकार के इन्फेक्शन और स्किन एलर्जी हो सकती है. इसलिए हमेशा अपने टॉवल को किसी भी फैमिली मेंबर या पार्टनर के साथ शेयर बिल्कुल न करें.

 
लॉकडाउन के इस दौर में खुद को रखें स्ट्रेस फ्री, फॉलो करें ये 5 टिप्स

लॉकडाउन के इस दौर में खुद को रखें स्ट्रेस फ्री, फॉलो करें ये 5 टिप्स

कोरोना महामारी के प्रकोप से बचने के लिए दुनिया के कई देशों में लॉकडाउन जारी है. ऐसे में लोग घरों में बंद हैं और स्ट्रेस फील कर रहे हैं. जो लोग वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं उनके शरीर पर भी तनाव का असर साफ दिखाई दे रहा है. हालांकि कोविड 19 से बचने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग और लॉकडाउन बहुत जरूरी है और साथ ही साथ स्ट्रेस को दूर करना भी बहुत जरूरी है. आइए आपको बताते हैं ऐसे पांच टिप्स के बारे में जिनसे आप घर में बैठकर ही स्ट्रेस व तनाव से दूर रह सकते हैं.


नियमित रूप से करें एक्सरसाइज


घरों में बंद हो जाने के बाद भी लोगों को नियमित रूप से एक्सरसाइज करते रहना चाहिए. लॉकडाउन के चलते सभी पार्लर व योग सेंटर बंद कर दिए गए हैं. इसके अलावा बाहर जाकर जॉगिंग और वॉकिंग करना खतरे से खाली नहीं है. ऐसे में लोगों को घर पर ही कुछ हल्की एक्सरसाइज की मदद लेनी चाहिए. एक्सरसाइज करने से स्ट्रेस व तनाव से आसानी से दूर रहा जा सकता है.


हेल्दी डाइट का करें सेवन


स्ट्रेस को दूर करने के लिए हेल्दी डाइट का सेवन भी बहुत जरूरी है. खानपान का असर शरीर के साथ-साथ दिमाग पर भी पड़ता है. ऐसे में हेल्दी डाइट लेने से तनाव को दूर किया जा सकता है. अपनी डाइट में ऐसी चीजों का इस्तेमाल करें जिनसे आपका शरीर भी स्वस्थ रहे और दिमाग भी.

काम के बीच में जरूर लें ब्रेक


लॉकडाउन में जो लोग वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं उनके लिए समय-समय पर ब्रेक लेना बेहद जरूरी होता है. काम के बीच में स्ट्रेचिंग करें, अच्छा खाना खाएं, बातचीत करें, कुछ अच्छा पढ़ें. ऐसा करने से शरीर तो फ्रेश रहता ही है साथ ही दिमाग भी रिफ्रेश फील करता है. काम के स्ट्रेस को दूर करने के लिए ब्रेक जरूर लें.


लोगों से बनाएं रखें कनेक्शन


लॉकडाउन में घर से बाहर निकलना भले ही बंद हो गया हो लेकिन इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स की मदद से आप लोगों से कनेक्शन बनाकर रख सकते हैं. आप अपने परिवार, रिश्तेदारों और दोस्तों से कॉल, मैसेज और वीडियो चैट के जरिए जुड़े रह सकते हैं. इसके अलावा आप घर के दूसरे सदस्यों के साथ घर में ही इंडोर गेम्स का मजा ले सकते हैं.


करें आराम और लें भरपूर नींद


स्ट्रेस को दूर करने के लिए आराम करना भी बहुत जरूरी होता है. शरीर को आराम तभी मिलता है जब नींद पूरी होती है. लॉकडाउन में घर से बाहर न निकलें. घर पर ही आराम करें और भरपूर नींद लें.

 

कोविद-19 आउट ब्रेक के दौरान बालको मेडिकल सेंटर के कर्मचारियों ने किया रक्तदान

कोविद-19 आउट ब्रेक के दौरान बालको मेडिकल सेंटर के कर्मचारियों ने किया रक्तदान

हर कुछ सेकंड्स में किसी न किसी को कहीं न कहीं रक्त चढ़ाने की आवश्कता पड़ती है | पर्याप्त रक्त सप्लाई जनता के स्वास्थ्य के लिए परम आवश्यक है | हमारे देश में रक्त की ज़रुरत एवं सप्लाई के बीच पहले से ही एक बहुत बड़ा अंतर रहा है | हर साल हमारे देश में लगभग 11 मिलयन यूनिट ही रक्तदान होता है जबकि साल में लगभग 13 मिलयन यूनिट ब्लड की आवश्कता होती है |
कई बीमारियाँ ऐसी होती है जिनमे हमेशा ही ब्लड ट्रांसफ्यूज़न की आवश्कता होती है जैसे की थालेसेमिया,सिकल सेल अनेमिया , ब्लड कैंसर , अप्लास्टिक अनेमिया इत्यादि |


डॉ. श्री. नीलेश जैन , ट्रांसफ्यूज़न मेडिसिन विशेषज्ञ , बालको मेडिकल सेंटर , नवा रायपुर , ने हमे बताया कि कोविद -19 के चलते हमारे रोजाना होने वाले ब्लड डोनेशन में भरी गिरावट आई है , जिसके चलते ब्लड की आपूर्ति सुचारू रूप ने होने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है |
कोविद -19 से बचाव के लिए सामाजिक दूरी बनाये रखना बहुत जरूरी है परन्तु ब्लड आपूर्ति बनाये रखना भी बहुत महत्वपूर्ण है , जिससे कई जानलेवा बीमारीयों के उपचार में कोई व्यवधान न आने पाए एवं समय से पीड़ित मरीज को इलाज मुहैया कराया जा सके |
डॉ. श्री. नीलेश जैन आगे बताते है कि विश्व स्वस्थ्य संस्थान की अन्तरिम दिशा निर्देशों के अनुसार रक्तदान से नावेल कोरोना वायरस नहीं फेलता है एवं अभी तक इसके स्पष्ट प्रमाण नहीं मिले है | इसीलिए हर वो व्यक्ति जो पूर्ण-तह स्वस्थ्य है एवं कोविद -19 प्रोटोकॉल के अनुसार फिट है, वह रक्तदान कर सकता है | ब्लड बैंक भी इन प्रोटोकॉल का पलान करते हुये सामाजिक दुरी बना के एवं युनिवेर्सल प्रीकोशन को अपनाते हुये विशेष डोनेशन की पूरी व्यवस्था कर सकते है , जिससे ब्लड की आपूर्ति को सुनिशित किया जा सके |
बालको मेडिकल सेंटर में भी कुछ मरीजो को प्लेटलेट ( जो की ब्लड का एक भाग है ) की अत्यंत आवश्कता थी जिसके लिए हमारे बी .एम .सी के स्टाफ जैसे डॉ., नर्सिंग स्टाफ, पैरामेडिकल स्टाफ एवं एडमिन स्टाफ ने आगे आकर रक्तदान और इस दौरान कोविद -19 प्रोटोकॉल का पूर्ण रूप से पालन किया गया| 

नींद कम लेने से इम्यून सिस्टम हो सकता है कमजोर, बढ़ सकता है स्ट्रेस

नींद कम लेने से इम्यून सिस्टम हो सकता है कमजोर, बढ़ सकता है स्ट्रेस

कोरोना वायरस से बचाव के लिए पूरे देश में लॉकडाउन है. लॉकडाउन के चलते कई लोग वर्क फ्रॉम होम भी कर रहे हैं. इस दौरान वो लैपटॉप की स्क्रीन या फिर अपने मोबाइल फोन के संपर्क में कई घंटे रहते हैं. काम खत्म होने के बाद भी कुछ लोग मोबाइल स्क्रॉल करते रहते हैं जिससे वजह से उन्हें नींद आने में काफी परेशानी होती है. रात को देर से सोना और सुबह शिफ्ट के लिए जल्दी उठ जाने से कई बार लोगों की नींद पूरी नहीं होती है जिसका सीधा असर न केवल उनके चेहरे और स्वभाव पर पड़ता है बल्कि उनकी इम्यूनिटी पावर भी काफी कमजोर हो जाती है. लेकिन क्या आप कम सोने के नुकसान जानते हैं


इम्यूनिटी सिस्टम पर पड़ता है बुरा असर:
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर आप कम नींद लेते हैं तो इम्यूनिटी काफी कम हो सकती है. हालांकि कमजोर इम्यूनिटी के पीछे और भी कई वजहें जिम्मेदार हो सकती हैं.

सेक्सुअल डिसऑर्डर की समस्या:
नींद कम ले पाने का सीधा प्रभाव लोगों की यौन क्षमता पर भी पड़ता है. दरअसल, टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन की वजह से ही महिलाओं और पुरुषों में यौन संबंध बनाने की इच्छा होती है. जब आप सोते हैं तो टेस्टोस्टेरॉन का लेवल बढ़ जाता है.

याददाश्त होती है कमजोर:
कम नींद लेने से लोगों का मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है. इसका सीधा असर उनकी याददाश्त पर भी पड़ता है. लोगों की लॉन्ग टर्म मेमोरी प्रभावित होती है और वो बातों को काफी जल्दी भूलने लगते हैं.

निर्णय लेने की क्षमता होती है प्रभावित:
कम नींद लेने से आपकी निर्णय लेने की क्षमता प्रभावित हो सकती है. कई बार आपने शायद ऐसा महसूस किया होगा कि आप किसी बात को लेकर क्विक डिसिजन नहीं ले पा रहे हैं और निर्णय लेने के बाद भी आप उसे लेकर श्योर नहीं हैं. नींद कम लेने की वजह से अक्सर निर्णय लेते वक्त लोग असमंजस का शिकार हो जाते हैं.


बढ़ सकता है स्ट्रेस:
कम नींद लेने का सीधा असर हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है. दरअसल, सोने से दिमाग फ्रेश रहता है और ऊर्जा से भरा रहता है. लेकिन जब नींद पूरी नहीं हो पाती है तो दिमाग भी फ्रेश नहीं महसूस करता हैं. यही वजह है कि कम नींद लेने से स्ट्रेस बढ़ सकता है.

 

वर्क फ्रॉम होम करते हुए बढ़ती जा रही है पेट की चर्बी, इन टिप्स से करें कम

वर्क फ्रॉम होम करते हुए बढ़ती जा रही है पेट की चर्बी, इन टिप्स से करें कम

कोरोना वायरस की वजह से पूरे देश लॉकडाउन में के चलते कई ऐसे लोग हैं जो वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं. वर्क फ्रॉम होम यानी ऑफिस का काम घर से ऑनलाइन करना. वर्क फ्रॉम होम सुनने में जितना आसान लगता है वास्तविकता में ऐसा होता नहीं है. दरअसल, ऑफिस में टेबल चेयर और एक सिस्टम पर काम करना ज़्यादा प्रोफेशनल होता है. वर्क फ्रॉम होम के दौरान शायद ज़्यादातर लोग ऐसे होंगे जो अपना लैपटॉप लेकर या तो बिस्तर पर बैठे काम कर रहे होंगे या कुछ जमीन पर भी. ऐसे में कई बार स्ट्रेस काफी ज़्यादा तो होता ही है साथ ही पोश्चर सही न होने की वजह से पेट और कमर के आसपास की चर्बी भी बढ़ सकती है. आइए हेल्थलाइन के हवाले ऐसे जानते हैं कि किस तरह आप बेली फैट यानी पेट की चर्बी कम कर सकते हैं...


घुलनशील फाइबर का करें सेवन:
खाने में ऐसे आहार को शामिल करें जिसमें प्रचुर मात्रा में घुलनशील फाइबर पाया जाता है. यह फाइबर कैलोरी को सोख लेता है. घुलनशील फाइबर इन फ़ूड आइटम्स में प्रचुर मात्रा में फाइबर पाया जाता है:अलसी का बीज, शिराताकी नूडल्स, ब्रसल स्प्राउट, एवोकेडो, फलियां और काले शहतूत.


ट्रांस फैट वाले खाद्य पदार्थों से रहें दूर:
कुछ अध्ययनों में यह बात सामने आयी है कि पेट की चर्बी बढऩे का ट्रांस फैट के ज़्यादा सेवन से गहरा कनेक्शन है. चाहे आप अपना वजन कम करने की कोशिश कर रहे हों, ट्रांस फैट का खाने में कम से कम इस्तेमाल करें.

अल्कोहल बहुत कम मात्रा में लें:
अगर आप ज़्यादा मात्रा में शराब का सेवन करते हैं तो आपकी बेली फैट यानी कि तोंद बढ़ सकती है. अगर आप कमर के बढ़ते हुए घेरे को कम करना चाहते हैं तो शराब का सेवन बिलकुल संतुलित मात्रा में करें और चाहें तो न ही करें.

हाई प्रोटीन युक्त डाइट लें:
अगर आप अपनी कमर के आसपास के घेरे को कुछ कम करना चाहते हैं तो ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन करें जिनमें प्रोटीन की प्रचुर मात्रा होती है. फिश, दाल, और बीन्स में प्रोटीन काफी मात्रा में पाया जाता है.

तनाव से रहें दूर:
तनाव आपकी कमर और पेट के आसपास की चर्बी को बढ़ा सकता है. लेकिन अगर आप अपना वजन कम करने की कोशिश कर रहे हैं तो तनाव कम करना आपकी प्रायोरिटी लिस्ट में शामिल होना चाहिए. दरअसल स्ट्रेस से एड्रिनल ग्रंथि में कोर्टिसोल हार्मोन ज़्यादा मात्रा में बनने लगता है. कोर्टिसोल हार्मोन को स्ट्रेस हार्मोन कहा जाता है. रिसर्च में यह बात सामने आई है कि कोर्टिसोल हार्मोन की ज़्यादा मात्रा होने से भूख काफी तेज लगती है और इससे पेट की चर्बी बढ़ती है.

 

क्या आपको भी बार-बार आती है छींक? क्या है इसके पीछे का कारण

क्या आपको भी बार-बार आती है छींक? क्या है इसके पीछे का कारण

दिन में कभी भी छींक आना एक नॉर्मल प्रक्रिया है. हालांकि कई बार ये परेशानी का कारण भी बन जाता है. सर्दी-जुकाम के दौरान छींक आना एक आम बात है (जब तक ये गंभीर न हो) क्योंकि सामान्य सर्दी-जुकाम समय के साथ ठीक हो जाता है. वैसे कई बार छींक आने के पीछे कोई गंभीर समस्या हो सकती है, जो आपको लंबे समय तक प्रभावित कर सकती है. क्या आपके साथ अक्सर ऐसा होता है कि आपको कभी भी छींक आ जाती है. आप कहीं पर भी छींकने लगते हैं? यह बहुत चिंताजनक नहीं है क्योंकि यह बहुत सामान्य है और यह बहुत से लोगों के साथ ऐसा होता है. ऐसे कई कारण हैं जो छींक को बढ़ावा देते हैं. आइए आपको बताते हैं कि छींक आने के पीछे क्या कारण होता है.
मौसमी एलर्जी
मौसमी एलर्जी को एलर्जिक राइनाइटिस कहा जाता है. यह घर की धूल, जानवरों के बालों और फंगल बैक्टीरिया के प्रति अति संवेदनशील होते हैं. यहां तक कि किसी के तकिए या बिस्तर से भी एलर्जी हो सकती है. जब आप सोते हैं तो लक्षण बढ़ जाते हैं क्योंकि आपकी नाक का मार्ग लंबे समय तक सोने के दौरान इन कारकों को ट्रिगर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
क्या आपका कमरा ड्राई है?
एयर कंडीशन की वजह से ड्राई नोज की समस्या हो सकती है. लंबे समय तक एयर कंडीशनर वाले रूम में बैठने के कारण शरीर में शुष्कता बढ़ती है. यह छींक आने का एक बड़ा कारण हो सकता है.
क्या आपको साइनस है?
साइनस की वजह से नाक के अंदर एक लाइनिंग होती है, उसको नैजल लाइनिंग बोलते हैं उसमें समस्या होती है, जिसकी वजह से नाक से म्यूकस निकलता है और हल्का दर्द होता है. यह भी छींक का कारण बन सकता है.
वासोमोटर राइनाइटिस
वासोमोटर राइनाइटिस नाक के अंदर की झिल्लियों में एक प्रकार सूजन है. यह अक्सर तापमान में बदलाव या नींद के दौरान शरीर की इम्यूनिटी सिस्टम में बदलाव के बाद छींकने का कारण बनता है. यदि आपको भी यह समस्या है, तो आपको ठंडी/गर्म हवा के संपर्क में आने से छींक का कारण बन सकता है.
 

रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है गाजर, बदलते मौसम में खाने के हैं कई फायदे

रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है गाजर, बदलते मौसम में खाने के हैं कई फायदे

फूड एक्सपर्ट्स के अनुसार, गाजर एक मल्टी न्यूट्रिशनल फूड है। गाजर नैचरल बायोऐक्टिव कंपाउंड्स से भरपूर होती है, जो हमारे शरीर को मजबूत बनाने का काम करते हैं। गाजर में चार प्रकार के फाइटोकैमिकल्स पाए जाते हैं। ये भी एक तरह के बायोऐक्टिव कंपाउंड्स होते हैं, जो पौधों से प्राप्त होनेवाले फल-सब्जियों में पाए जाते हैं। लेकिन गाजर उन चुनिंदा फूड्स में शामिल है, जो इनकी खूबियों से भरपूर होते हैं।
क्यों सर्दियों की सब्जी है गाजर?
गाजर की फूड प्रॉपर्टीज की बात करें तो इसमें पाए जानेवाली शर्करा, कैरोटिनॉइड्स और कुछ वाष्पशील यौगिक होते हैं। गर्म तापमान में उगाई गई गाजर में शरीर को इनका सही अनुपात नहीं मिल पाता है। इसलिए सर्दी के मौसम में उगाई गई गाजर सेहतमंद होती है।
कड़वा हो जाता है गाजर का स्वाद
गर्म मौसम उत्पन्न की जानेवाली गाजर में टेपरिन का संश्लेषण बढ़ जाता है। इससे गाजर का स्वाद सर्दी के मौसम में आनेवाली मीठी गाजर की तुलना में कड़वा हो जाता है। साथ ही इसके पोषक तत्वों का स्तर भी बदल जाता है। यह स्तर कैसा होगा, इस बात की जांच मौसम और मिट्टी के आधार पर ही की जा सकती है।
हृदय रोगों से बचाए
गाजर में पाए जानेवाले फाइटोकैमिकल्स के नाम इस प्रकार हैं- फेनोलिक्स, कैरोटीनॉइड, पॉलीएसेटाइलीन और एस्कॉर्बिक एसिड। गाजर को सलाद और जूस के रूप में उपयोग करने पर इसका अधिक लाभ प्राप्त होता है। खासतौर पर गाजर का जूस शरीर में ऐंटिऑक्सीडेंट्स की मात्रा बढ़ती है, जो हमारे कार्डियोवस्कुलर सिस्टम को प्रभावित करनेवाली हानिकारक बायॉलजिकल प्रॉसेस को रोकते हैं।
कैंसर रोधी तत्व
गाजर में पाए जानेवाले फाइटोकैमिकल्स को कैंसर रोधी माना जाता है। हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार, फेनोलिक्स, कैरोटीनॉइड, पॉलीएसेटाइलीन और एस्कॉर्बिक एसिड शरीर में कैंसर उत्पन्न होनेवाली कोशिकाओं को पनपने से रोकने में सहायता करते हैं। क्योंकि ये ऐंटिऑक्सीडेंट्स (ऑक्सीकरणरोधी) और ऐंटिइंफ्लामेट्री (सूजन घटाने) गुणों से भरपूर होते हैं।
गाजर के अलग रंग और गुण
गाजर नारंगी, पीले और लाल रंग की होती हैं। इनके रंगों के आधार पर ही इनमें अगल-अलग पोषक तत्वों की मात्रा होती है। गाजर में रंग के इस अंतर को जीनोटाइप कहा जाता है। गाजर के अलग-अलग रंग होने में भी फाइटोकैमिकल्स की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
बायोकंपाउंड्स और गाजर के गुण
नारंगी रंग की गाजर में कैरोटीन की मात्रा अधिक होती है। पीले रंग की गाजर में ल्यूटिन, लाल रंग की गाजर में लाइकोपीन अधिक मात्रा में पाया जाता है। कैरोटीन हमारी आंखों, मसल्स और स्किन सेल्स को हेल्दी रखने में मदद करता है। ल्यूटिन आंखों के लिए अच्छा होता है और जरूरी प्रोटीन के निर्माण में सहायता करता है।
बैंगनी और काली गाजर के गुण
लाल गाजर में पाया जानेवाला लाइकोपीन रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने, दिल की कार्यक्षमता को मजबूत करने का काम करता है। इनके अलावा बैंगनी और काले रंग की गाजर भी होती हैं। बैंगनी गाजर की जड़ में एंथोसायनिन और काली गाजर में फेनोलिक यौगिक पाए जाते हैं। एंथोसायनिन और फेनोलिक ऐंटिऑक्सीडेंट्स का ही एक क्लास हैं।

 

 डॉ उत्कर्ष त्रिवेदी व स्पर्श एक कोशिश सामाजिक संस्था ने मिलकर बांटे मास्क, सैनिटाइजर व नि:शुल्क दवा

डॉ उत्कर्ष त्रिवेदी व स्पर्श एक कोशिश सामाजिक संस्था ने मिलकर बांटे मास्क, सैनिटाइजर व नि:शुल्क दवा

रायपुर, बरसाना एनक्लेव रायपुर में स्पर्श एक कोशिश सामाजिक संस्था के आग्रह पर डॉ त्रिवेदी होमियोपैथी के चिकित्सक डॉ उत्कर्ष त्रिवेदी द्वारा कोरोनावायरस के बारे में जानकारी व लक्षण बता कर उससे बचने के उपाय बताकर रोग प्रतिरोधक दवाई फेस मास्क और सेनीटाइजर वितरित की गई। इसके अलावा आज ही के दिन 2 बस्तियों में भी यह वितरित किया गया। यह अभियान 8 दिन से चल रहा है जिसमें प्रतिदिन एक हजार के करीब मास्क, सैनिटाइजर और दवाई दी जाती है डॉक्टर त्रिवेदी ने बताया कि ,करोना जैसी महामारी से सावधानी और सतर्कता ही सबसे बड़ा इलाज है करोना जैसी बीमारी से जागरूक रहना है ना की दहशत में आकर अपने आप को किसी भी मानसिक परेशानी में डालना है करोना से बचने का सबसे सही इलाज आप शारीरिक रूप से सावधानी तो बरतें पर मानसिक रूप से किसी भी प्रकार का टेंशन इस बीमारी को लेकर ना करें।
,यह संस्था प्रतिदिन सुरक्षाकर्मियों के लिए खाना और चाय नाश्ते का इंतजाम घर से कर रही हैं जिससे हम उनकी इस समाज सेवा में कुछ सहयोग कर सकें आज 144 धारा लगने के बावजूद बाहर ना जाकर अपने अपने घरों से खाना चाय बनाकर उन तक पहुंच आती है इस शिविर में मुख्य रूप से अध्यक्ष- सत्यभामा मिश्रा ,उपाध्यक्ष -उषा अग्रवाल ,फाउंडर -अनीता लुनिया, फाउंडर -सोनाली लुनिया, प्रतिभा शर्मा, अमित अग्रवाल ,केडिया, अवस्थी, टावर, दोषी आदि उपस्थित थे।
 

कोरोना वायरस के मरीजों में 20 प्रतिशत को ही होते हैं खांसी-सर्दी के लक्षण,पढ़े पूरी खबर

कोरोना वायरस के मरीजों में 20 प्रतिशत को ही होते हैं खांसी-सर्दी के लक्षण,पढ़े पूरी खबर

नई दिल्ली,भारत में कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के निदेशक डॉ. बलराम भार्गव ने कहा कि कोरोना वायरस के जो मरीज सामने आ रहे हैं, उनमें 80 प्रतिशत में सर्दी, जुकाम बुखार के होते हैं।
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के निदेशक डॉ. बलराम भार्गव ने रविवार को प्रेस कॉन्फेंस में कहा कि कोरोना से संक्रमित होने पर 80 प्रतिशत मामलों में हल्की ठंड व बुखार होता है। केवल 20 प्रतिशत को ही खांसी, सर्दी, जुकाम, तेज बुखार आता है। इनमें से भी कुछ को ही अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत होती है।

स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा कि देश में अब तक 341 मामले सामने आए हैं, जिनमें बढ़ोतरी होगी। सरकार ने 1200 नए वेंटिलेटर की खरीद का ऑर्डर दिया है।
भार्गव ने प्रेस कॉन्फेंस में बताया कि कोरोना वायरस हवा में मौजूद नहीं है। यह एक व्यक्ति से दूसरे में संक्रमित होता है। वर्तमान हालातों को देखते हुए संक्रमण की चैन को तोड़ने के लिए जरूरी है कि हम बाहरी लोगों से दूर रहें।

भार्गव ने कहा कि हमने राज्यों से अनुरोध किया है कि वे ऐसे अस्पतालों को चिह्नित करें, जहां सिर्फ कोरोना वायरस के मरीजों का ही इलाज किया जाए।
भार्गव ने बताया कि अब तक 60 निजी लैब ने कोरोना वायरस की जांच के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया है। देश में रोजाना अब तक 15 से 17 हजार टेस्ट किए गए हैं। हमारे पास प्रतिदिन 10 हजार टेस्ट करने की क्षमता है। हम हर सप्ताह 50 से 70 हजार टेस्ट कर सकते हैं।

 

कब होगा कोरोना वायरस का संकट ख़त्म? क्या हो पायेगी ज़िंदगी सामान्य?

कब होगा कोरोना वायरस का संकट ख़त्म? क्या हो पायेगी ज़िंदगी सामान्य?

कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से पूरी दुनिया लगभग थम सी गई है। जिन जगहों पर रोज़ाना भयंकर भीड़ हुआ करती थी वो अब भुतहा लगने लगी हैं। स्कूल-कॉलेज से लेकर यात्राओं पर प्रतिबंध है, लोगों के इकट्ठा होने पर पाबंदी है। दुनिया का हर शख़्स इससे किसी ना किसी रूप में प्रभावित है।

यह एक बीमारी के ख़िलाफ़ बेजोड़ वैश्विक प्रतिक्रिया है। लेकिन सवाल ये उठ रहे हैं कि आख़िर यह सब कहां जाकर ख़त्म होगा और लोग अपनी आम ज़िंदगियों में लौट पाएंगे।

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन का मानना है कि ब्रिटेन अगले 12 हफ़्तों में इसके पर फ़तह पा लेगा और देश 'कोरोना वायरस को उखाड़ फेंकेगा।'

भले ही अगले तीन महीनों में कोरोना वायरस के मामले ज़रूर कम हो भी जाएं लेकिन फिर भी हम इसे जड़ से उखाड़ फेंकने में बहुत दूर होंगे। ये समाप्त होने में बहुत समय लगेगा, ऐसा अनुमान है कि इसमें शायद सालभर भी लगे।

हालांकि, यह भी साफ़ है कि सब कुछ बंद करने की नीति बड़े तबके के लिए लंबे समय तक संभव नहीं है। सामाजिक और आर्थिक नुक़सान तो विध्वंसकारी हैं ही।

दुनिया के देश अब 'एग्ज़िट स्ट्रेटेजी' चाहते हैं ताकि प्रतिबंध हटाए जाएं और सब सामान्य हो सके। लेकिन यह भी सच है कि कोरोना वायरस ग़ायब नहीं होने जा रहा है। अगर आप प्रतिबंध हटाते हैं तो वायरस लौटेगा और मामले तेज़ी से बढ़ेंगे।

एडिनब्रा विश्वविद्यालय में संक्रामक रोग महामारी विज्ञान के प्रोफ़ेसर मार्क वूलहाउस कहते हैं, "हमारी सबसे बड़ी समस्या इससे बाहर निकलने की नीति को लेकर है कि हम इससे कैसे पार पाएंगे।" "एग्ज़िट स्ट्रेटेजी सिर्फ़ ब्रिटेन के पास ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के किसी देश के पास नहीं है।"

कोरोना वायरस इस समय की सबसे बड़ी वैज्ञानिक और सामाजिक चुनौती है।

इस संकट से निकलने के तीन ही रास्ते हैं।

1. टीका

2. लोगों में संक्रमण से बचने के लिए प्रतिरोधक क्षमता का विकास

3. या हमारे समाज या व्यवहार को स्थाई रूप से बदलना

इनमें से हर एक रास्ता वायरस के फैलने की क्षमता को कम करेगा।

टीका आने में कितना वक़्त लगेगा?
एक टीका किसी शरीर को वो प्रतिरोधक क्षमता देता है जिसके कारण वो बीमार नहीं पड़ता है। तक़रीबन 60 फ़ीसदी आबादी को रोग से मुक्त करने के लिए उनकी प्रतिरोधक क्षमता को विकसित करने को 'हर्ड इम्युनिटी' कहते हैं ताकि कोई वायरस महामारी न बन जाए।

इस सप्ताह अमेरिका में कोरोना वायरस के एक टीके का परीक्षण एक व्यक्ति पर किया गया। इस परीक्षण में शोधकर्ताओं को छूट दी गई थी कि वो पहले जानवरों पर इसका प्रयोग करने की जगह सीधे इंसान पर करें।

कोरोना वायरस के टीके पर शोध बहुत ही अभूतवूर्व गति से हो रहा है लेकिन इसकी कोई गारंटी नहीं है कि यह सफल होगा या नहीं और क्या वैश्विक स्तर पर यह सभी को दिया जा सकेगा।

अगर सब सही जाता है तो ऐसा अनुमान है कि 12 से 18 महीनों में यह टीका बन सकता है। यह इंतज़ार का एक बहुत लंबा समय होगा जब दुनिया पहले ही इतनी पाबंदियों का सामना कर रही है।

प्रोफ़ेसर वूलहाउस कहते हैं कि टीके के इंतज़ार करने को रणनीति का नाम नहीं दिया जाना चाहिए और यह कोई रणनीति नहीं है।

मनुष्यों में प्राकृतिक प्रतिरक्षा पैदा हो सकती है?
ब्रिटेन की रणनीति इस समय वायरस के संक्रमण को कम से कम फैलने देने की है ताकि अस्पतालों पर अधिक बोझ न पड़े क्योंकि इस समय आईसीयू के बेड खाली नहीं हैं।

एक बार इसके मामले आने कम हुए तो कुछ प्रतिबंधों में ढील दी जाएगी लेकिन यह मामले आना ऐसे ही बढ़ते रहे तो और प्रतिबंध लगाने पड़ जाएंगे।

ब्रिटेन के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार सर पैट्रिक वेलेंस कहते हैं कि 'चीज़ों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा देना संभव नहीं है।' कोरोना वायरस से संक्रमित होने के कारण अनजाने में लोगों की रोग प्रतिरोधक शक्ति भी बढ़ सकती है लेकिन इसे होने में काफ़ी साल लग सकते हैं।

इंपीरियल कॉलेज लंदन के प्रोफ़ेसर नील फ़र्ग्युसन कहते हैं, "हम एक स्तर पर संक्रमण को दबाने की बात कर रहे हैं। आशा है कि एक छोटे स्तर पर ही लोग इससे संक्रमित हो पाएं।"

"अगर यह दो से अधिक सालों तक जारी रहता है तो हो सकता है कि देश का एक बड़ा हिस्सा संक्रमित हो गया हो जिसने अपनी प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर ली हो।" लेकिन यहां सवाल यह है कि यह प्रतिरोधक क्षमता कब तक रहेगी?

क्योंकि बुख़ार के लक्षण वाले दूसरे कोरोना वायरस भी कमज़ोर प्रतिरोधक क्षमता वाले पर हमला करते हैं और जो लोग पहले कोरोना वायरस की चपेट में आ चुके हैं, उनके नए कोरोना वायरस की चपेट में आने की आशंका अधिक होती है।

क्या हैं दूसरे रास्ते?
प्रोफ़ेसर वूलहाउस कहते हैं, "तीसरा विकल्प हमारे व्यवहार में हमेशा के लिए बदलाव करना है, जिससे कि संक्रमण का स्तर कम रहे।"

इनमें वो कुछ उपाय शामिल हो सकते हैं जिन्हें लागू किया गया है। इसमें कुछ कड़े परीक्षण और मरीज़ों को पहले से अलग करने की प्रक्रिया भी शामिल की जा सकती है।

प्रोफ़ेसर वूलहाउस कहते हैं, "हमने मरीज़ों की पहले से पहचान और उनके संपर्क में आए लोगों को ढूंढने की प्रक्रिया अपनाई थी लेकिन इसने काम नहीं किया।"

अन्य रणनीतियों में Covid-19 संक्रामक बीमारी के लिए दवाई विकसित करना भी शामिल हो सकती है। इसका उपयोग उन लोगों पर कर सकते हैं जिनमें इसके लक्षण दिखे हों ताकि संक्रमण फैलने से रोका जा सके।

या एक तरीक़ा यह भी हो सकता है कि मरीज़ों का अस्पताल में ही इलाज किया जाए ताकि यह कम जानलेवा बने। इसके साथ ही आईसीयू के बेड की संख्या बढ़ाकर भी इस संकट का सामना किया जा सकता है।

मैंने ब्रिटेन के मुख्य चिकित्सा सलाहकार प्रोफ़ेसर क्रिस विटी से पूछा कि उनके पास इस संकट से बाहर निकलने की क्या रणनीति है। तो उन्होंने कहा, "साफ़तौर पर एक टीका ही इससे बाहर निकाल सकता है और उम्मीद है कि वो जल्द से जल्द होगा और विज्ञान किसी नतीजे के साथ सामने आएगा।"

 

केमिकल युक्त फ्लोर क्लीनर के इस्तेमाल से बचें, बच्चे के दिमाग पर पड़ता है बुरा असर

केमिकल युक्त फ्लोर क्लीनर के इस्तेमाल से बचें, बच्चे के दिमाग पर पड़ता है बुरा असर

घर साफ-सुथरा रहे और खतरनाक बैक्टीरिया और विषाणु न पनप पाएं इसके लिए लोग घर की साफ-सफाई में केमिकल युक्त क्लीनर का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन क्या आपको इस बात का जरा भी अंदाजा है कि यह केमिकल युक्त क्लीनर आपकी सेहत के लिए कितना नुकसानदायक साबित हो सकता है. कुछ समय पहले ही एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि घरेलू सफाई उत्पादों से बच्चों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है. अध्ययन के मुताबिक, घरेलू सफाई उत्पाद खासतौर पर शिशुओं के विकास को प्रभावित कर सकते हैं.

बौद्धिक विकास पर पड़ता है असर:
अध्ययन ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया है. उन्होंने पाया कि घरेलू कीटनाशकों से बच्चों का भाषा विकास प्रभावित हो सकता है. उन्होंने कहा कि छोटे बच्चों के नियमित रूप से जहरीले घरेलू रसायनों के संपर्क में रहने से उनकी सोचने, समझने की क्षमता पर नकारात्मक असर पड़ता है. साथ ही वे शब्दों को सीखने और बोलने में भी समय लेते हैं. ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर और शोधकर्ता हुई जियांग ने कहा, निष्कर्षों का कहना है कि जहरीले घरेलू रसायनों के इस्तेमाल को प्रतिबंधित करने के लिए अभिभावकों को परामर्श देने की जरूरत है.
दिमागी विकास के लिए दो वर्ष की आयु महत्वपूर्ण समय :
गर्भावस्था के दौरान लगभग 20 फीसदी माताओं ने जहरीले सफाई उत्पादों को इस्तेमाल करने की बात कही. लेकिन जब बच्चे एक से दो साल के बीच के थे, तो लगभग 30 फीसदी माताओं ने इन उत्पादों का इस्तेमाल किया. शोध के मुताबिक, माताओं ने बच्चे के जन्म के बाद जहरीले सफाई उत्पादों का अधिक से अधिक इस्तेमाल किया.
शोधकर्ता ने कहा, जब बच्चे दो साल की उम्र में पहुंचते हैं, तो यह उनके दिमाग के विकास का महत्वपूर्ण समय होता है. अगर वे जहरीले रसायनों के संपर्क में आते हैं, तो उनकी भाषा और संज्ञानात्मक विकास में समस्याएं हो सकती हैं.
 
मसूड़ों की सूजन से छुटकारा दिलाएंगे ये घरेलू नुस्खे, आज ही करें ट्राई

मसूड़ों की सूजन से छुटकारा दिलाएंगे ये घरेलू नुस्खे, आज ही करें ट्राई

अनियमित खानपान, जल्दबाजी में ब्रश करना जैसी चीजों के कारण मसूड़ों में सूजन, दांतों में दर्द जैसी समस्या हो सकती है. खासकर मसूड़ों की सूजन इन दिनों काफी आम हो चुकी है. मसूड़ों की सूजन में बहुत तेज दर्द होता है. इसकी वजह से खाना चबाने, कुछ भी खाने या पीने पर झंझनाहट जैसी समस्याएं हो सकती हैं. कुछ मामलों में सूजन के कारण मसूड़ों से खून भी आने लगता है.

मसूड़ों की समस्या से निजात पाने के लिए अक्सर लोग बाजार में मिलने वाले टूथ पेस्ट, माउथवॉश का इस्तेमाल करते हैं. बाजार में मिलने वाले प्रोडक्ट्स मसूड़ों की सूजन को कम करने का दावा तो करते हैं लेकिन इसमें बहुत ज्यादा समय लेते हैं. इसलिए मसूड़ों की सूजन को खत्म करने का सबसे बेस्ट तरीका है घरेलू नुस्खा. इसलिए आज हम आपके लिए लेकर आए हैं मसूड़ों की सूजन को खत्म करने के सबसे बेस्ट नुस्खे...

नमक का पानी

नमक के पानी में कई सारे गुण पाए जाते हैं, जो इंफेक्शन से दांतों को बचाते हैं. मसूड़ों की सूजन को खत्म करने के लिए गुनगुने पानी में आधा चम्मच नमक मिलाकर उससे कुल्ला करें. नियमित तौर पर नमक के पानी से कुल्ला करने से मसूड़ों की सूजन खत्म हो सकती है. इतना ही नहीं नमक का पानी मसूड़ों के बैक्टीरिया को भी खत्म कर देता है.

लहसुन

जब भी बात सर्दी और खांसी को खत्म करने की आती है तो भारतीय घरों में लहसुन का इस्तेमाल किया जाता है. लहसुन जितना सर्दी- खांसी को खत्म करने में सहायक है उतना ही मुंह के बैक्टीरिया को खत्म करने की क्षमता रखता है. मसूड़ों की सूजन कम करने के लिए लहसुन की कलियों को छिलकर पीस लें और दांतों, मूसड़ों पर लगाकर रखें. 10 से 15 मिनट तक लहसुन के पेस्ट को लगाने के बाद कुल्ला करें. सप्ताह में 2 से 3 बार लहसुन को इस तरह से इस्तेमाल करके आप मसूड़ों की समस्या से निजात पा सकते हैं.

लहसुन का इस्तेमाल करने वाले लोगों को हो सकता है कि शुरुआत के कुछ दिनों में मुंह से बदबू की समस्या आए. इसके लिए माउथफ्रेशनर का इस्तेमाल करें. अगर, आपके मसूड़ों के दर्द की समस्या ज्यादा बढ़ती है तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें.

 
हैवी वर्कआउट के बाद हमेशा खाएं ये फूड्स, तुरंत होगी मसल्स रिकवरी

हैवी वर्कआउट के बाद हमेशा खाएं ये फूड्स, तुरंत होगी मसल्स रिकवरी

आज के बिजी लाइफस्टाइल में फिट रहना ज्यादातर लोगों की पहली पसंद होती है. हालांकि फिट रहने के लिए लोग जिम में जाकर कड़ी मेहनत के साथ एक्सरसाइज करते हैं और हेल्दी डाइट भी लेते हैं. बॉडी को हेल्दी बनाए रखने के लिए मांसपेशियों का स्वस्थ होना भी बहुत जरूरी होता है. जिम जाने वाले ज्यादातर युवा मसल्स बनाने की कोशिश में तो लग जाते हैं लेकिन इसके लिए प्रोपर डाइट नहीं लेते. दरअसल मसल्स बनाने या मजबूत करने का मतलब ये नहीं है कि सिर्फ जिम जाकर बॉडी बनाई जाए बल्कि आपको मांसपेशियों को स्वस्थ रखने का तरीका भी पता होना चाहिए.

आज के समय में प्रोटीन और सप्लीमेंट ने युवाओं को अपनी गिरफ्त में ले लिया है, जिस कारण ज्यादातर युवा कम उम्र में ही कई रोगों का शिकार हो जाते हैं. बॉडी बनाने वाले लोगों को ये जानना बेहद जरूरी है कि ऐसे कई फूड्स हैं, जिन्हें हैवी वर्कआउट के बाद खाकर बॉडी बनाई जा सकती है. आइए आपको बताते हैं ऐसे 6 फूड्स के बारे में जिन्हें आप हैवी वर्कआउट के बाद खा सकते हैं और बॉडी बना सकते हैं.

पीनट बटर

अगर आप बॉडी बिल्डिंग के शौकीन हैं तो पीनट बटर बॉडी बनाने में आपकी मदद कर सकता है. ज्यादातर बॉडी बिल्डर्स और एथलीट्स पीनट बटर का सेवन करते हैं. प्रोटीन, फाइबर, हेल्दी फैट्स, पोटेशियम, एंटी-ऑक्सीडेंटस, मैगनीशियम और अन्य कई पोषक तत्वों का भंडार पीनट बटर में मौजूद है. ये कई बीमारियों से भी बचाने की क्षमता रखता है. इसके अलावा पीनट बटर के सेवन से आपको मैग्निशियम भी प्राप्त होता है, जिससे हैवी वर्कआउट के बाद आपकी हड्डियों ओर मांसपेशियों को रिकवरी करने में मदद मिलती है. पीनट में विटामिन बी6 और जिंक भी होता है, जो आपकी इम्यूनिटी को बूस्ट करने में भी मदद करता है.

चिकन

चिकन में बहुत अधिक मात्रा में प्रोटीन मौजूद होता है. प्रोटीन के साथ-साथ चिकन अच्छी कैलोरी भी प्रदान करता है. आप चाहें तो इसे अच्छे से उबाल कर खा सकते हैं और इसमें नमक, धनिया, काली मिर्च और नींबू डालकर इसका हेल्दी सूप भी बना सकते हैं. इसका पूरा पोषण लेने के लिए इसमें कोई दूसरा मसाला न मिलाएं.केला

केले बाजार में आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं और जिम जाने वाली व्यक्ति की पहली पसंद भी होते हैं. आप इन्हें कभी भी खा सकते हैं और ये कार्ब का एक अच्छा स्त्रोत है. ये आपको तुरंत एनर्जी देने में सक्षम होते हैं. अगर आप केले से संपूर्ण पोषण लेना चाहते हैं तो पीले केले ही खाएं.

अंडा

हैवी वर्कआउट के बाद शरीर को प्रोटीन की सबसे ज्यादा जरूरत होती है ताकि मसल्स की रिकवरी तेजी से हो सके. अंडा प्रोटीन का एक समृद्ध स्त्रोत होता है. वर्कआउट के बाद दो से 3 अंडे (सिर्फ अंडे का सफेद भाग) खाए जा सकते हैं. आप इस पर नमक और फिर काली मिर्च लगाकर भी खा सकते हैं.

लाल चावल

लाल चावल यानी रेड राइस सेहत के लिए बहुत अच्छा होता है. वजन घटाने से लेकर ये आपके दिल को भी हेल्दी रखता है. साथ ही ये आपके ब्लड शुगर को भी कंट्रोल में रखता है. आप इन्हें उबाल कर चिकन और अंडे के साथ खा सकते हैं. हैवी वर्कआउट के बाद ये आपको रिकवरी करने में मदद करता है.

नट्स

आप हैवी वर्कआउट के बाद 10 से 12 बादाम और 5 से 6 अखरोट खा सकते हैं. अगर आपको शेक पीना पसंद है तो आप इसे बारीक-बारीक काट लें और मिल्कशेक या बनाना शेक में डालकर पिएं. ऐसा करने से आपको एनर्जी और रिकवरी करने में मदद मिलेगी.

 
चेहरे के अनचाहे बालों से हो परेशान, तो बालों को हटाने के लिए अपनाए ये घरेलु नुस्खे

चेहरे के अनचाहे बालों से हो परेशान, तो बालों को हटाने के लिए अपनाए ये घरेलु नुस्खे

अगर आप भी घर बैठे चेहरे के अचनाहे बालों को हटाने का सुरक्षित और असरकारी तरीका ढूंढ रही हैं तो आपको बता दें कि हेल्दी ओटमील और जिलेटिन से भी आप ऐसा कर सकती हैं। जिनकी सेंसिटिव स्किन है, वो भी ओटमील और जिलेटिन से बने पैक की मदद से अनचाहे बालों से हमेशा के लिए निजात पा सकती हैं। 

जौ, दूध और नींबू का रस

अगर आप भी चेहरे के अनचाहे बालों को हटाने के तरीके के बारे में सोच रही हैं तो आपको बता दें कि जौ, दूध और नींबू के रस की मदद से आप ऐसा कर सकती हैं। इसके लिए एक चम्मच जौ का पाउडर लें और उसमें एक चम्मच दूध और एक चम्मच नींबू का रस मिलाएं। अब आपके पाए एक पेस्ट तैयार हो जाएगा। इसे अनचाहे बालों पर 30 मिनट के लिए लगाएं और उसके बाद हल्के हाथों से रगड़ कर पेस्ट को निकाल लें और चेहरे को ठंडे पानी से धो लें। आपको इस नुस्खे का इस्तेमाल हफ्ते में दो से तीन बार करना है। संवेदनशील त्वचा वाले लोग भी इस नुस्खे का इस्तेमाल कर सकते हैं लेकिन आप स्किन को ज्यादा रगड़ें नहीं।

ओटमील और केला

ये अनचाहे बाल हटाने का तरीका बहुत आसान है। दो चम्मच ओटमील लें और उसे एक पके केले के साथ ब्लेंड कर लें। अब इस पेस्ट को अनचाहे बालों पर लगाएं। इस पेस्ट से 15 मिनट तक चेहरे की मालिश करें और फिर ठंडे पानी से चेहरा धो लें। ओटमील एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है जो कि स्किन से लालिमा को कम करने में मदद करते हैं। चेहरे के अनचाहे बालों को हटाने के साथ-साथ ये पेस्ट चेहरे पर चमक भी लाता है। 

जिलेटिन और दूध

एक चम्मच अनफ्लेवर्ड जेलेटिन पाउडर लें और 3 चम्मच कच्चा दूध एवं नींबू के रस की कुछ बूंदें लें। अब एक कटोरी में जिलेटिनडालकर दूध और नींबू के रस को मिक्स कर लें। इस मिश्रण को 15 से 20 सेकंड के लिए माइक्रोवेव में गर्म करें। माइक्रोवेव से निकालने के बाद इस पेस्ट को थोड़ा ठंडा होने के लिए रख दें और फिर चेहरे के अनचाहे बालों पर लगाएं। इस मास्क को चेहरे पर 5 मिनट के लिए रहने दें और फिर उंगलियों की मदद से इसे हटाएं। ये मास्क बालों को हटाने के साथ-साथ ब्लैकहैड्स और त्वचा की मृत कोशिकाओं को भी खत्म करता है। सेंसिटिव और मुहांसों वाली त्वचा के लिए भी ये नुस्खा कारगर और सुरक्षित है। 

चेहरे के बालों को साफ करने के और भी तरीके हैं जिनके बारे में नीचे बताया जा रहा है। चेहरे के अलावा शरीर के किसी भी हिस्से से बालों को साफ करने के लिएआप इन तरीकों का इस्तेमाल कर सकती हैं।

हल्दी और दूध

एक चम्मच हल्दी में एक चम्मच दूध डालकर मिक्स कर लें। अब इस मिश्रण को चेहरे के उस हिस्से पर लगाएं जहां पर बाल हैं। लगभग 20 मिनट के बाद ये पैक पूरी तरह से सूख जाएगा। अब उंगलियों को हल्का-सा गीला करके उस हिस्से पर हल्के से रब करें। ध्यान रहे आपको बालों की ग्रोथ की विपरीत दिशा में तब तक रब करना है, जब तक कि पेस्ट पूरी तरह से स्किन से हट न जाए। अब इस हिस्से को ठंडे पानी से धो लें।

शहद और चीनी

चेहरे से बालों को जड़ से साफ करने के लिए एक चम्मच शहद, दो चम्मच चीनी और एक चम्मच पानी लें। एक कटोरी लें और चीनी, शहद और पानी डालकर तीनों चीजों को अच्छी तरह से मिक्स कर लें। इस मिश्रण को 30 सेकंड के लिए माइक्रोवेव पर रखें और चीनी को पूरी तरह से पिघलकर घुलने दें। 

अब माइक्रोवेव से कटोरी निकालकर इस पेस्ट को अच्छी तरह से मिक्स कर लें और हल्का ठंडा होने पर चेहरे के अनचाहे बालों पर लगाएं। जिस जगह आपने पेस्ट लगाया है वहां पर सूती कपड़े या वैक्सिंग स्ट्रिप को लगाएं और कुछ सेकेंड बाद बालों की ग्रोथ की उल्टी दिशा में तेजी से खींच लें। ये नुस्खा बालों को हटाने के साथ-साथ त्वचा की मृत कोशिकाओं को भी हटाता है। सभी स्किन टाइप के लोग इस नुस्खे का इस्तेमाल कर सकते हैं।

अंडे की सफेद जर्दी और कॉर्न फ्लोर

एक छोटी कटोरी लें और उसमें एक अंडे का सफेद भाग डालें। अब इसमें आधा चम्मच कॉर्न फ्लोर यानी मक्के का आटा डालें और 1 चम्मच चीनी डालकर स्मूद पेस्ट तैयार होने तक मिक्स करते रहें। पेस्ट तैयार होने के बाद इसे चेहरे के अनचाहे बालों पर लगाएं। 20 मिनट बाद जब ये पेस्ट सूख जाए तो इसे बालों की ग्रोथ की उल्टी दिशा में हल्के से निकालने की कोशिश करें। इसके बाद चेहरे को ठंडे पानी से धो लें।

पपीता और हल्दी

अनचाहे बालों से छुटकारा पाने का उपाय है कच्चा पपीता और हल्दी। एक कच्चा पपीता और आधा चम्मच हल्दी पाउडर लें। पपीते को छीलकर उसके छोटे-छोटे टुकड़े कर लें। पूरा पपीता लेने की बजाय उसमें से अपनी जरूरत के अनुसार या तीन पपीते के 4 से 5 टुकडें लें और उसे पीस लें। अब इसमें हल्दी डालकर मिक्स करें। इस पेस्ट को चेहरे के अनचाहे बालों पर लगाएं। इस पेस्ट से पहले त्वचा की मालिश करें और फिर इस पेस्ट को सूखने के लिए 15 से 20 मिनट के लिए छोड़ दें। 15 से 20 मिनट के बाद जब पेस्ट सूख जाए, तब गुनगुने पानी से चेहरा धो लें। आपको इस नुस्खे का इस्तेमाल हफ्ते में दो बार करना है। पपीते में पपेइन नामक एंजाइम होता है जो कि बालों को साफ करने का काम करता है।

बेसन, दूध और हल्दी

चेहरे से अनचाहे बालों से छुटकारा पाने के लिए आधी कटोरी बेसन और 1 चम्मच हल्दी पाउडर एवं 1 चम्मच ताजा क्रीम लें। अब इसमें उतना दूध मिलाएं कि ये सब चीजें मिलकर एक स्मूद पेस्ट के रूप में तैयार हो जाएं। चेहरे को धो लें और फिर उस पर इस पेस्ट को लगाएं। इस पेस्ट को 20 से 25 मिनट तक सूखने दें। पेस्ट के सूखने पर उसे बालों की ग्रोथ की उल्टी दिशा में हल्के हाथों से रब करें। इस नुस्खे का लगातार इस्तेमाल करने से आपको धीरे-धीरे अनचाहे बालों से हमेशा के लिए छुटकारा मिल जाएगा। इस पेस्ट को लगाने से त्वचा मुलायम और चमकदार बनेगी। बेहतर परिणाम के लिए इस पेस्ट को हफ्ते में एक बार जरूर लगाएं। 

चेहरे से अनचाहे बालों को हटाने के इन तरीकों से कोई दर्द या साइड इफेक्ट भी नहीं होता है। आप घर पर ही जब चाहें इनकी मदद से अनचाहे बालों से हमेशा के लिए छुटकारा पा सकती हैं।

 
अगर ज्यादा अचार खाने के हैं शौकीन तो जान लीजिए ये नुकसान

अगर ज्यादा अचार खाने के हैं शौकीन तो जान लीजिए ये नुकसान

अधिकांश लोग खाने के साथ विभिन्न प्रकार के अचार खाना पसंद करते हैं, अगर आप भी अचार खाने के शौकिन हैं तो आपको मालूम होना चाहिए कि अधिक मात्रा में आचार का सेवन सेहत के लिए समस्याएं भी खड़ी कर सकता है।
खाने के साथ चटपटे अचार के शौकीन लोगों की कोई कमी नहीं है, आखिर अचार खाने का स्वाद और खाने के प्रति दिलचस्पी को बढ़ा जो देते हैं। अगर आप भी उन्हीं लोगों में शामिल हैं जो नियमित तौर पर अचार खाते हैं, तो एक बार अचार खाने के यह नुकसान भी जरूर जान लीजिए -
1 अचार में तेल की मात्रा बहुत ज्यादा होती है और उसमें प्रयोग किए जाने वाले मसाले भी अक्सर पके हुए नहीं होते, जिसके कारण कोलेस्ट्रॉल और अन्य समस्याएं हो सकती है।
2 अचार का प्रयोग पेट में अम्लीयता को बढ़ावा देता है जिसके कारण इसके अधिक सेवन से आपको एसिडिटी, गैस, खट्टी डकार आना जैसी अन्य समस्याएं हो सकती हैं।
3 अचार में नमक की मात्रा भी ज्यादा होती है, जो सोडियम की अधिकता के अलावा हाई ब्लडप्रेशर और अन्य सेहत समस्याएं भी पैदा कर सकता है।
4 अचार में मसालों के अलावा सिरके का प्रयोग भी काफी मात्रा में किया जाता है, जिसका सेवन नियमित रूप से करने पर आपको अल्सर भी हो सकता है और अन्य समस्याएं भी पैदा हो सकती हैं।
5 अचार बनाने और उसे सुरक्षित रखने के लिए जिन प्रिसजर्वेटिव का प्रयोग होता है, वे शरीर के लिए हानिकरक होते हैं और एसिडिटी या शरीर में सूजन आदि के लिए जिम्मेदार होते हैं।