नई दिल्ली, रियलमी ने भारत में आज अपने दो नए स्मार्टफोन- Realme X7 और Realme X7 Pro को लॉन्च कर दिया है। रियलमी X7 के 6जीबी रैम+128जीबी इंटरनल स्टोरेज वाले वेरियंट की कीमत 19,999 रुपये और 8जीबी रैम+128जीबी इंटरनल स्टोरेज वाले वेरियंट की कीमत 21,999 रुपये है। बात अगर रियलमी X7 प्रो की करें तो यह सिंगल वेरियंट- 8जीबी+128जीबी में लॉन्च किया गया है। इसकी कीमत कंपनी ने 29,999 रुपये रखी है।
अगले हफ्ते है पहली सेल
रियलमी X7 प्रो की सेल 10 फरवरी की दोपहर 12 बजे और रियलमी X7 की सेल 12 फरवरी की दोपहर 12 बजे शुरू होगी। दोनों डिवाइसेज को realme.com और फ्लिपकार्ट से खरीदा जा सकेगा। लॉन्च ऑफर के तहत कंपनी इस फोन को कुछ खास ऑफर में भी खरीदने का मौका देगी। ICICI बैंक के क्रेडिट कार्ड से शॉपिंग करने पर 2 हजार रुपये का इंस्टैंट डिस्काउंट मिलेगा। वहीं, अगर आप ऐक्सिस बैंक के क्रेडिट कार्ड से पेमेंट करेंगे को आपको 1500 रुपये का डिस्काउंट मिलेगा।
रियलमी X7 प्रो के स्पेसिफिकेशन्स
फोन में 6.55 इंच का फुल एचडी+ AMOLED डिस्प्ले दिया गया है। डिस्प्ले 120Hz के रिफ्रेश रेट और 91.6 प्रतिशत के आस्पेक्ट रेशियो के साथ आता है। डिस्प्ले प्रटेक्शन के लिए फोन में कॉर्निंग गोरिल्ला ग्लास 5 मिलता है। 8जीबी रैम और 128जीबी UFS 2.1 स्टोरेज वाले इस फोन में Dimensity 1000+ SoC प्रोसेसर दिया गया है।
फोटोग्राफी के लिए इस फोन में आपको चार रियर कैमरे मिलेंगे। इसमें 64 मेगापिक्सल के प्राइमरी कैमरा के साथ एक 8 मेगापिक्सल और दो 2 मेगापिक्सल के कैमरे दिए गए हैं। सेल्फी के लिए इस फोन में 32 मेगापिक्सल का कैमरा लगा है। फोन को पावर देने के लिए इसमें 4500mAh की बैटरी दी गई है जो 65 वॉट की फास्ट चार्जिंग को सपॉर्ट करती है।
रियलमी X7 के स्पेसिफिकेशन्स
इस फोन में 1080x2400 पिक्सल रेजॉलूशन के साथ 6.4 इंच का फुल एचडी+ सुपर एमोलेड डिस्प्ले दिया गया है। 8जीबी तक की रैम और 128जीबी के इंटरनल स्टोरेज वाले इस फोन में मीडियाटेक Dimensity 800U चिपसेट दिया गया है। फोन के रियर पैनल पर तीन कैमरे लगे हैं। इनमें 64 मेगापिक्सल के प्राइमरी कैमरा के साथ एक 8 मेगापिक्सल का अल्ट्रा-वाइड ऐंगल लेंस और एक 2 मेगापिक्सल का मैक्रो सेंसर दिया गया है। सेल्फी के लिए फोन में 16 मेगापिक्सल का कैमरा मौजूद है।
बैटरी की बात करें तो इस फोन में आपको 50 वॉट की फास्ट चार्जिंग के साथ 4310mAh की बैटरी मिलेगी। कनेक्टिविटी के लिए इस फोन में ड्यूल-बैंड वाई-फाई, ब्लूटूथ 5.1, जीपीएस और यूएसबी टाइप-C पोर्ट मिलेगा। इन-डिस्प्ले फिंगरप्रिंट सेंसर के साथ आने वाला यह फोन ऐंड्रॉयड 10 पर बेस्ड Realme UI पर काम करता है।
नईदिल्ली। वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) मुआवजे की कमी को पूरा करने के लिए आज राज्यों को 6,000 करोड़ रुपये की 14वीं किश्त जारी की है। इसमें से 5,516.60 करोड़ रुपये की राशि 23 राज्यों को तथा 483.40 करोड़ रुपये की राशि उन विधानसभा वाले 3 केन्द्र शासित प्रदेशों (दिल्ली, जम्मू-कश्मीर और पुदुचेरी) को प्रदान की गई है, जो जीएसटी परिषद के सदस्य हैं। बकाया पांच राज्यों – अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मिजोरम, नगालैंड और सिक्किम में जीएसटी कार्यान्वयन के कारण राजस्व का कोई अंतर नहीं है।
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अभी तक, राज्यों और विधानसभा वाले केन्द्र शासित प्रदेशों को कुल अनुमानित जीएसटी मुआवजे की कमी की 76 प्रतिशत राशि जारी की जा चुकी है। इसमें से 76,616.16 करोड़ रुपये की राशि राज्यों को और विधानसभा वाले तीन केन्द्र शासित प्रदेशों को 7,383.84 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई है। भारत सरकार ने जीएसटी कार्यान्वयन के कारण पैदा हुई 1.10 लाख करोड़ रुपये की कमी को पूरा करने के लिए अक्टूबर 2020 में एक विशेष उधार विंडो स्थापित की थी।
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राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों की ओर से भारत सरकार द्वारा इस विंडो के माध्यम से ऋण लिया जा रहा है। 23 अक्टूबर, 2020 से शुरू होने के बाद अब तक ऋण के 14 दौर पूरे हो चुके हैं। इस सप्ताह जारी की गई राशि राज्यों को उपलब्ध कराई गई धनराशि की 14वीं किश्त थी। अभी तक केन्द्र सरकार द्वारा इस विशेष उधार विंडो के माध्यम से 4.7395 प्रतिशत की औसत ब्याज दर पर 84,000 करोड़ रुपये की राशि उधार ली गई है।
जीएसटी के कार्यान्वयन के कारण राजस्व में हुई कमी को पूरा करने के लिए विशेष ऋण विंडो के माध्यम से धन उपलब्ध कराने के अलावा भारत सरकार ने जीएसटी मुआवजे की कमी को पूरा करने के लिए विकल्प-1 चुनने वाले राज्यों को उनके सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के 0.50 प्रतिशत के बराबर अतिरिक्त ऋण लेने की अनुमति भी दी है, ताकि इन राज्यों की अतिरिक्त वित्तीय संसाधन जुटाने में मदद की जा सके। सभी राज्यों ने विकल्प-1 के लिए अपनी प्राथमिकता दी है। इस प्रावधान के तहत 28 राज्यों को 1,06,830 करोड़ रुपये (जीएसडीपी का 0.50 प्रतिशत) की पूरी अतिरिक्त राशि उधार लेने की अनुमति दी गई है। 28 राज्यों को दी गई अतिरिक्त ऋण अनुमति की राशि और विशेष विंडो के मार्फत जुटाई गई निधियों की राशि तथा राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को अभी तक जारी की गई राशि यहां संलग्न है।
नई दिल्ली,पोको ने आज भारत में अपने नए स्मार्टफोन Poco M3 को लॉन्च कर दिया। फोन के 6जीबी रैम+64जीबी इंटरनल स्टोरेज वेरियंट की कीमत 10,999 रुपये और 6जीबी+128जीबी इंटरनल स्टोरेज वेरियंट की कीमत 11,999 रुपये है। फोन की सेल 9 फरवरी की दोपहर 12 बजे से फ्लिपकार्ट पर शुरू होगी।
तो आइए जानते हैं पोको M3 में क्या कुछ है खास।
पोको M3 के फीचर और स्पेसिफिकेशन्स
फोन में 1080x2340 पिक्सल रेजॉलूशन के साथ 6.53 इंच का फुल एचडी+ डिस्प्ले दिया गया है। डिस्प्ले कॉर्निंग गोरिल्ला ग्लास प्रटेक्शन के साथ आता है और इसका आस्पेक्ट रेशियो 19.5:9 है। 6जीबी रैम और 128जीबी तक के इंटरनल स्टोरेज वाले इस फोन में स्नैपड्रैगन 662 प्रोसेसर लगा है।
फोटोग्राफी की बात करें तो फोन में ट्रिपल रियर कैमरा सेटअप मिलता है। इसमें 48 मेगापिक्सल के प्राइमरी सेंसर के साथ एक 2 मेगापिक्सल का मैक्रो लेंस और एक 2 मेगापिक्सल का डेप्थ सेंसर लगा है। सेल्फी के लिए इस फोन में आपको 8 मेगापिक्सल का कैमरा मिलेगा।
512 जीबी तक के माइक्रो एसडी कार्ड को सपॉर्ट करने वाले इस फोन में 6000mAh की बैटरी दी गई है, जो 18 वॉट की फास्ट चार्जिंग को सपॉर्ट करती है। कनेक्टिविटी के लिए फोन में IR ब्लास्टर, 4G VoLTE , वाई-फाई के अलावा सारे स्टैंडर्ड ऑप्शन मिल जाते हैं।
नई दिल्ली, बजट में पट्रोल पर 2.5 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 4 रुपये प्रति लीटर कृषि बुनियादी ढांचा उपकर (सेस) लगाया गया है. नया कृषि बुनियादी ढांचा विकास उपकर कल यानी 2 फरवरी से लागू होगा. लेकिन उपभोक्ताओं को इस उपकर के बोझ से बचाने के लिए इसी अनुपात में उत्पाद शुल्क (एक्साइज ड्यूटी) में कटौती का भी फैसला किया है.
सरकार ने अर्थव्यवस्था के इन दो प्रमुख क्षेत्रों में आवश्यक बड़े निवेश के लिए अतिरिक्त संसाधन जुटाने के लिए सेस लगाने का कदम उठाया है, जो देश को विकास की राह पर वापस लाने की कुंजी है. हालांकि, देशभर में पहले से ही ऐतिहासिक रूप से उच्च स्तर पर पहुंच चुके दोनों पेट्रोलियम उत्पादों (पेट्रोल और डीजल) के खुदरा मूल्य को अतिरिक्त उपकर के प्रभाव से बचाने के लिए भी उपाय किए गए हैं. वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की कि मूल उत्पाद शुल्क और पेट्रोल और डीजल पर विशेष अतिरिक्त उत्पाद शुल्क की दरें मौजूदा स्तरों से कम की जा रही हैं.
मुंबई । बजट में घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देने और सरकारी उधारी बढ़ाने के प्रस्तावों से घरेलू शेयर बाजारों में आज 10 महीने की सबसे बड़ी तेजी देखी गई। लगातार छह दिन की गिरावट से उबरता हुआ बीएसई का सेंसेक्स 2,314.84 अंक यानी पाँच प्रतिशत उछलकर 48,600.61 अंक पर बंद हुआ। पिछले कारोबारी दिवस यह 46,285.77 अंक पर रहा था।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 646.60 अंक यानी 4.74 प्रतिशत की बढ़त के साथ 14,281.20 अंक पर पहुँच गया। दोनों प्रमुख सूचकांकों में पिछले साल 07 अप्रैल के बाद इतना बड़ा उछाल नहीं देखा गया था। बाजार में सुबह से ही तेजी थी। बजट से पहले ही सेंसेक्स 500 अंक चढ़ चुका था। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जैसे-जैसे बजट भाषण पढ़ती गईं शेयर बाजार की तेजी बढ़ती गई।
जब उन्होंने घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए लोहा और इस्पात समेत कई प्रकार के कच्चे माल के आयात पर सीमा शुल्क घटाने और तैयार सामान तथा कलपुर्जों पर आयात शुल्क बढ़ाने की घोषणा की शेयर बाजार तेजी से चढ़ा। बजट की 36 प्रतिशत राशि उधारी और अन्य देनदारियों से जुटाने की योजना है।
बैंकिंग एवं वित्तीय कंपनियों के शेयर तेजी से उछले। मझोली और छोटी कंपनियों में भी लिवाली का जोर रहा। बीएसई का मिडकैप 3.03 प्रतिशत चढ़कर 18,630.31 अंक पर और स्मॉलकैप 2.03 प्रतिशत की बढ़त के साथ 18,353.32 अंक पर पहुँच गया। बीएसई के सभी समूह हरे निशान में रहे। बैंकिंग समूह का सूचकांक आठ प्रतिशत, वित्त समूह का सात प्रतिशत और रियलिटी का छह फीसदी से अधिक चढ़ा।
सेंसेक्स की 30 कंपनियों में से 27 के शेयर हरे निशान में रहे। इंडसइंड बैंक का शेयर 15 प्रतिशत के करीब, आईसीआईसीआई बैंक का 12 प्रतिशत, बजाज फिनसर्व का 11 प्रतिशत और भारतीय स्टेट बैंक का 10 प्रतिशत से अधिक चढ़ा। डॉ. रेड्डीज लैब में करीब पौने चार प्रतिशत से अधिक की गिरावट रही। विदेशों में भी चौतरफा तेजी रही। एशिया में दक्षिण कोरिया का कोस्पी 2.70 प्रतिशत, हांगकांग का हैंगसेंग 2.15 प्रतिशत, जापान का निक्की 1.55 प्रतिशत और चीन का शंघाई कंपोजिट 0.64 प्रतिशत चढ़ गया। यूरोप में शुरुआती कारोबार में जर्मनी का डैक्स 1.08 प्रतिशत और ब्रिटेन का एफटीएसई 0.57 प्रतिशत मजबूत हुआ।
नई दिल्ली: सभी तरह के वाहन जिनमें कार, दुपहिया, बस, ट्रक, ट्रैक्टर खरीदने वालों के लिए बजट से अच्छी खबर आई है. आने वाले दिनों में वाहनों की कीमतें 1-3 फीसदी तक कम हो सकती हैं. इसकी वजह है स्टील उत्पादों पर आयात शुल्क में की गई कटौती. दरअसल बजट में स्टील उत्पादों पर आयात शुल्क को 12.5 फ़ीसदी से घटाकर 7.5% कर दिया गया है. सभी प्रकार के वाहनों को बनाने में स्टील सबसे मुख्य उत्पाद है.
जानकारों का मानना है कि वाहनों को बनाने में स्टील की हिस्सेदारी 30 फ़ीसदी से लेकर 60 फ़ीसदी तक होती है. ऐसे में जब वाहन बनाने की लागत कम होगी तो कंपनियां ग्राहकों के लिए इनकी कीमतें 1 फ़ीसदी से लेकर 3 फ़ीसदी तक घटा सकती हैं. 2021 के आगाज के साथ ही कार कंपनियों ने अपने वाहनों की कीमतें यह कहते हुए बढ़ाई थीं कि उनकी उत्पादन लागत बढ़ रही है. उत्पादन लागत बढ़ने की सबसे मुख्य वजह स्टील के दामों में बढ़ोतरी था. अब जब बजट में स्टील पर आयात शुल्क घटा दिया गया है तो ऐसे में कंपनियों की लागत भी घटने की उम्मीद है.
स्क्रेपेज पॉलिसी
बजट में ऑटोमोबाइल उद्योग कि लंबे समय से स्क्रेपेज पॉलिसी की जो मांग थी उस का एलान बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कर दिया है. 15 साल से पुराने वाणिज्यिक वाहन और 20 साल से पुराने पैसेंजर वाहन अब स्क्रेपेज पॉलिसी के दायरे में आएंगे. फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन का अनुमान है कि अगर 1990 को आधार माना जाए तो लगभग 37 लाख वाणिज्यिक वाहन और लगभग 52 लाख पैसेंजर व्हीकल स्क्रेपेज के दायरे में आ जाएंगे. अगर ऐसे में वाणिज्यिक वाहनों का 10 फ़ीसदी और पैसेंजर वाहनों का 5 फ़ीसदी भी स्क्रेपेज में जाता है तो इससे ऑटोमोबाइल उद्योग में बेहद तेजी के साथ मांग बढ़ेगी.
हाईवे से मिलेगी रफ्तार
बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने तमिलनाडु, केरल, पश्चिम बंगाल और असम में 6 हज़ार 575 किलोमीटर के नए हाईवे बनाने का एलान किया है. इसके अलावा 19 हज़ार 500 किलोमीटर के भारतमाला प्रोजेक्ट के चलते वाणिज्यिक वाहनों की बिक्री को तेजी के साथ रफ्तार मिलेगी. गौरतलब है कि बीते 2 साल के दौरान सबसे ज्यादा मार वाणिज्यिक वाहनों की बिक्री पर ही पड़ी है.
रायपुर, कल पेश होने वाले केन्द्रीय बजट में रायपुर शहर के जाने माने CA किशोर बरडिया जो की Chairman, Raipur ICAI है , उनके द्वारा बजट में इन बातो के समावेश होने चाहिए कहा है
उन्होंने कहा कोरोना संक्रमण की आर्थिक मंदी से निकलने के लिए केंद्र सरकार के द्वारा सबसे ज्यादा आर्थिक पैकेज की घोषणा सूक्ष्म लघु व मझोले उपक्रमों (एमएसएमई) के लिए की गयी। मगर इसके बाद भी राज्य में एमएसएमई सेक्टर की हालत काफी बेहतर नहीं है। रोजगार के अवसर बढ़ाएं और संसाधनों को और अधिक मजबूत करें।
भारत के आर्थिक परिदृश्य को बदलने वाला परिवर्तनकारी बजट प्रस्तुत करना चाहिए। इतिहास गवाह है कि त्वरित और सतत विकास में सामाजिकता ईंधन का काम करती है और सामाजिक-आर्थिक पिरामिड के विकास का शक्तिशाली यंत्र भी है।
निवेश को बढ़ावा देना चाहिए
सरकार को निवेश को बढ़ावा देना चाहिए और उपभोक्ताओं की जेब में पैसे डालने चाहिए। वित्त मंत्री को जीएसटी दर में कटौती के साथ-साथ मांग का सृजन करने वाले मध्यम वर्ग के हित में आयकर में कमी लाने की व्यवस्था करनी चाहिए।
विकासशील बजट में खपत के विभिन्न चक्रों, मांग, नियोजन के अवसर, निवेश के साथ-साथ संपन्नता लाने की भी क्षमता होती है। विकास उपभोक्ताओं में आशा का संचार करता है, उद्यमियों में विश्वास पैदा करता है और निवेश को बढ़ावा देता है। वित्त मंत्री को आत्मनिर्भर भारत तक की सीमित नहीं रहना चाहिए। बजट दुनिया के लिए निवेश का रास्ता खोलने के साथ-साथ व्यावहारिक और तात्कालिकता पर केंद्रित होना चाहिए। वित्त मंत्री को वास्तविकता को स्वीकार करते हुए उसकी सराहना भी करनी चाहिए। मेक इन इंडिया पहल अवसरों का निमंत्रण तो देती है, साथ ही जटिल चुनौतियों को भी आमंत्रित करती है।
आलोचना की बजाय उन्हें इसके हल पर ध्यान देना होगा
अर्थव्यवस्था को औपचारिक बनाए जाने की आलोचना की बजाय उन्हें इसके हल पर ध्यान देना होगा। विकास में बड़ा योगदान देने वाले और सबसे ज्यादा रोजगार का सृजन करने वाले सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग यानी एमएसएमई की समस्याओं का समाधान करना चाहिए और औपचारीकरण के बड़े लक्ष्य को हासिल करने के लिए भी काम करना चाहिए। औपचारीकरण से मध्यम कंपनियों का सृजन होता है जो बड़े संगठनों में क्षमता और मूल्यों का समावेश करती हैं।
सूक्ष्म, लघु व मझोले उपक्रमों को थोड़ा मिला, थोड़े की जरूरत है
कोरोना संक्रमण की आर्थिक मंदी से निकलने के लिए केंद्र सरकार के द्वारा सबसे ज्यादा आर्थिक पैकेज की घोषणा सूक्ष्म, लघु व मझोले उपक्रमों (एमएसएमई) के लिए की गयी। मगर इसके बाद भी राज्य में एमएसएमई सेक्टर की हालत काफी बेहतर नहीं है। ऐसे में एमएसएमई उद्योग से जुड़े कारोबारी भी टैक्स में राहत, उद्योग पैकेज और व्यापार के लिए बेहतर इज आफ डूइंग बिजनेस का माहौल बनाने की राह देख रहे हैं।
एमएसएमई उद्योग अभी भी वेंटिलेटर पर है, हमें बजट में आक्सीजन मिलने की उम्मीद है। हमें मिलने वाले कर्ज के ब्याज पर अधिक छूट की आस है।
आर्थिक व्यवस्था पर मंथन
दो तरह की बातें होना चाहिए – एक साल में देश की अर्थव्यवस्था कैसी रही. सरकार का पैसा किस सेक्टर में कितना गया, देश में उद्योगों की हालत कैसी रही, रोज़गार कितना रहा, कृषि क्षेत्र का हाल क्या है, कितना हमने आयात-निर्यात किया. इन सब विषयों का डेटा होता है.
दूसरा, आर्थिक सर्वे में अगले साल की अर्थव्यवस्था का अनुमान दिया जाता है. ये बताया जाता है कि किस सेक्टर में कितनी ग्रोथ हो सकती है, और उसकी वजह बताई जाती हैं. यानी नए वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था तेज़ी से दौड़ेगी तो क्यों दौड़ेगी उसकी वजह बताई जाती है, या खराब रहेगी तो क्यों रहेगी, ये वजह बताई जाती है. एक तरह से आर्थिक सर्वे बजट का आधार तय करता है. बजट में सरकार ने किस सेक्टर को कितना फंड अलोकेट किया है, इसका तर्क आर्थिक सर्वे के आंकड़ों में खोजा जाता है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक ऐसे वक़्त में बजट पेश करने जा रही हैं जब जीडीपी ऐतिहासिक संकुचन के दौर में है। इस साल अर्थव्यवस्था में क़रीब 8 फ़ीसद की गिरावट होने की उम्मीद है लेकिन अगले वित्त वर्ष में इसमें 11 फ़ीसद की तेज़ी की संभावना है।
वित्त मंत्री ने कहा है कि महामारी से बर्बाद हुई अर्थव्यवस्था को फिर से उच्च विकास दर की पटरी पर लाने के लिए इस बार का बजट ऐसा होगा जैसा पिछले 100 सालों में नहीं रहा है। उनके इस बयान से कई तरह की अटकलबाज़ियाँ शुरू हो गई हैं। लेकिन भारत की नाज़ुक वित्तीय स्थिति को देखते हुए वित्त मंत्री को उन क्षेत्रों पर सावधानी से ध्यान देना होगा जिन क्षेत्रों में ख़र्चे बढ़े हैं।
किन क्षेत्रों पर हो सकता है फ़ोकस
वित्त वर्ष में बजट का अंतर अनुमानित 3.4 फ़ीसद से बढ़कर सात फ़ीसद से अधिक होगा। हालाँकि ख़राब निजी निवेश की स्थिति को देखते हुए क्या स्वास्थ्य, आधारभूत संरचना और अनौपचारिक सार्वजनिक क्षेत्रों में उदारता के साथ ख़र्च करने की उम्मीद की जा सकती है ताकि आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहन मिले? ऐसा हो भी सकता है।
बैंकों की स्थिति सुधारने के लिए कितना ख़र्च किया जाएगा, इस पर भी फ़ोकस हो सकता है। बैंकों की ख़राब स्थिति को देखते हुए उन्हें फ़ंड की ज़रूरत होगी ताकि वो बाज़ार में नए क़र्ज़ देने की स्थिति में हो। नॉन परफॉर्मिंग एसेट (एनपीए) के 14 फ़ीसद तक बढ़ने की वजह से एक बैड बैंक के निर्माण की भी चर्चा है।
बैड बैंक एक आर्थिक अवधारणा है जिसमें घाटे में चल रहे बैंक अपने देयताओं को नए बैंक को स्थानांतरित कर देते हैं। यह देखना भी महत्वपूर्ण होगा कि क्या राजकोषीय घाटे और महामारी के दौर में बढ़े हुए ख़र्च को देखते हुए अमीरों पर नए टैक्स लगाए जाएंगे।
मनरेगा की तर्ज़ पर शहरी क्षेत्रों में भी रोज़गार गारंटी योजना प्रोग्राम की घोषणा पर सबकी नज़रें रहेंगी।
इसके अलावा क्या देश भर में वैक्सीन प्रोग्राम को लेकर भी किसी फ़ंड की घोषणा हो सकती है? हालांकि इसकी संभावना कम लगती है।
जब से मैसेजिंग ऐप व्हाट्सप ने अपनी नई प्राइवेसी पॉलसी को इंट्रोड्यूस किया है तब से यूजर्स अपनी प्राइवेसी को लेकर काफी सजग है और इस नई प्राइवेसी पॉलिसी से व्हाट्सएप्प को कहीं न कहीं झटका भी लगा है. व्हाट्सएप्प की इस पॉलिसी के बाद लाखों की संख्या में लोगों ने दूसरे मैसेजिंग ऐप को तलाशना शुरू कर दिया है. इस बीच टेलीग्राम में यूजर्स की संख्या 60 करोड़ को पार चुकी है और टेलीग्राम यूजर्स को लुभाने के लिए नए नए फीचर्स ला रहा है.
एनक्रिप्टेड मैसंजिंग एप टेलीग्राम की तरफ से एक नया अपडेट पेश किया गया है, जिसके तहत व्हाट्सएप, लाइन और काकाओटॉक जैसे एप्स से टेलीग्राम के प्लेटफॉर्म पर यूजर्स अपने चैट को ट्रांसफर कर सकेंगे. इसमें किसी एक इंसान को भेजे गए चैट से लेकर ग्रुप चैट तक को ट्रांसफर किया जा सकेगा और साथ ही साथ फोटोज सहित वीडियो कॉल्स को भी स्थानांतरित किया जा सकेगा.
Move your message history from apps like WhatsApp, Line and KakaoTalk to Telegram. https://t.co/PediepRhyt pic.twitter.com/VPeuilGt2T
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टेलीग्राम संग 60 करोड़ से अधिक यूजर्स जुड़ गए हैं. ऐप ने अपने एक बयान में कहा है कि मैसेजेस को आज के दिन इम्पोर्ट तो किया जा सकेगा, लेकिन उनमें ओरिजिनल टाइमस्टैंप्स शामिल होंगे.
कंपनी ने कहा, “टेलीग्राम पर चैट के सभी मेंबर्स मैसेजेस को देख पाएंगे. इस अपडेट के साथ आपको और भी कई सारी चीजें मिलेंगी जैसे कि सीक्रेट चैट या अपना बनाया हुआ कोई ग्रुप या कॉल हिस्ट्री को यूजर्स अपने मन मुताबिक कभी भी डिलीट कर पाएंगे.”
Android and iOS users can now move chats from apps like WhatsApp to Telegram. https://t.co/PediepRhyt
— Telegram Messenger (@telegram) January 28, 2021
नईदिल्ली । केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज संसद में आर्थिक समीक्षा, 2020-21 पेश करते हुए कहा कि भारतीय कृषि क्षेत्र ने कोविड-19 की वजह से लगाए गए लॉकडाउन के समय में भी अपनी उपयोगिता और लचीलेपन को साबित किया है। आर्थिक समीक्षा के अनुसार कृषि क्षेत्र और संबंधित गतिविधियों ने वर्ष 2020-21 (पहला अग्रिम अनुमान) के दौरान स्थिर मूल्यों पर 3.4 प्रतिशत की वृद्धि दर दर्ज की। मुख्य सांख्यिकी अधिकारी के द्वारा 29 मई, 2020 को पेश किए गए राष्ट्रीय आय से संबंधित आंकड़ों के आधार पर आर्थिक समीक्षा के अनुसार 2019-20 में देश के सकल मूल्य संवर्धन (जीवीए) में कृषि और संबंधित गतिविधियों का योगदान 17.8 प्रतिशत रहा है।
रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन
2019-20 में कृषि क्षेत्र की आर्थिक समीक्षा (चौथे अग्रिम अनुमान) के अनुसार देश में 296.65 मिलियन टन खाद्यान्न का उत्पादन हुआ जबकि 2018-19 में 285.21 मिलियन टन खाद्यान्न का उत्पादन हुआ था। इस प्रकार वर्तमान सत्र में 11.44 मिलियन टन अधिक खाद्यान्न का उत्पादन हुआ।
कृषि निर्यात
वर्ष 2019-20 की आर्थिक समीक्षा के अनुसार भारत का कृषि और संबंधित वस्तु निर्यात लगभग 252 हजार करोड़ रुपये का हुआ। भारत से सर्वाधिक निर्यात अमेरिका, सऊदी अरब, ईरान, नेपाल और बांग्लादेश को किया गया। भारत की ओर से दूसरे देशों को भेजी जाने वाली प्रमुख वस्तुओं में मछलियां और समुद्री संपदा, बासमती चावल, भैंस का मांस, मसाले, साधारण चावल, कच्चा कपास, तेल, चीनी, अरंडी का तेल और चाय की पत्ती शामिल हैं। कृषि आधारित और संबंधित वस्तुओं के निर्यात में भारत की स्थिति विश्व स्तर पर अग्रणी रही है। इस क्षेत्र में विश्व का लगभग 2.5 प्रतिशत निर्यात भारत से ही किया जाता है।
न्यूनतम समर्थन मूल्य
आर्थिक समीक्षा के अनुसार वर्ष 2018-19 के बजट में फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य फसल की वास्तविक लागत का डेढ़ गुना रखने की घोषणा की गई थी। इसी सिद्धांत पर काम करते हुए भारत सरकार द्वारा 2020-21 सत्र में खरीफ और रबी की फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि की गई है।
कृषि सुधार
हालिया कृषि सुधारों पर आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि तीन नए कानूनों को छोटे और सीमांत किसानों को अधिकतम लाभ सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया है। ऐसे कृषकों की संख्या देश के कुल किसानों में लगभग 85 प्रतिशत है और इनकी फसलें एपीएमसी आधारित बाजारों में विक्रय की जाती है। नए कृषि कानूनों के लागू होने से किसानों को बाजार के प्रतिबन्धों से आजादी मिलेगी और कृषि क्षेत्र में एक नए युग की शुरुआत होगी। इससे भारत के किसानों को अधिक लाभ होगा और उनके जीवन स्तर में सुधार आएगा।
आत्मनिर्भर भारत अभियान
आर्थिक समीक्षा कहती है कि आत्मनिर्भर अभियान के तहत कृषि और खाद्य प्रबंधन क्षेत्र में अनेक बड़ी घोषणाएं की गई हैं। कृषि ढांचा निर्माण के लिए एक लाख करोड़ रुपये की धनराशि सुनिश्चित की गई। सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करणों (एमएफई) की स्थापना के लिए 10 हजार करोड़ रुपये की योजना की घोषणा की गई। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) के लिए 20 हजार करोड़ रुपये निर्धारित किए गए। राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम तथा पशुपालन ढांचा निर्माण विकास के लिए 15 हजार करोड़ रुपये की घोषणा की गई। इनके अलावा आवश्यक वस्तु अधिनियम, कृषि विपणन और कृषि उत्पाद मूल्य तथा गुणवत्ता; प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना; और एक राष्ट्र एक राशन कार्ड जैसी योजनाएं शुरु की गईं।
कृषि ऋण
आर्थिक समीक्षा के अनुसार भारत में छोटे और सीमांत किसानों को बड़े पैमाने पर वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई गई है। किसानों की कृषि संबंधी गतिविधियों को सुचारू रूप से चलाने के लिए समय पर ऋण की उपलब्धता को प्रमुखता दी गई। वर्ष 2019-20 में 13 लाख 50 हजार करोड़ रुपये का कृषि ऋण निर्धारित किया गया था जबकि किसानों को 13,92,469.81 करोड़ रुपये का ऋण प्रदान किया गया जो कि निर्धारित सीमा से काफी अधिक था। 2020-21 में 15 लाख करोड़ रुपये का ऋण प्रदान करने का लक्ष्य रखा गया था। 30 नवंबर, 2020 तक 9,73,517.80 करोड़ रुपये का ऋण किसानों को उपलब्ध कराया गया। आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि आत्मनिर्भर भारत अभियान के एक हिस्से के रूप में कृषि ढांचा विनिर्माण कोष के तहत दिया जाने वाला ऋण कृषि क्षेत्र को और अधिक लाभ पहुंचाएगा।
आर्थिक समीक्षा के अनुसार फरवरी 2020 में बजट की घोषणाओं के अनुसार किसान क्रेडिट कार्ड को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया। प्रधानमंत्री आत्मनिर्भर भारत पैकेज के हिस्से के रूप में डेढ़ करोड़ दुग्ध डेयरी उत्पादकों और दुग्ध निर्माता कंपनियों को किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) प्रदान करने का लक्ष्य रखा गया था। आंकड़ों के अनुसार मध्य जनवरी, 2021 तक कुल 44,673 किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) मछुआरों और मत्स्य पालकों को उपलब्ध कराए गए थे जबकि इनके अतिरिक्त मछुआरों और मत्स्य पालकों के 4.04 लाख आवेदन बैंकों में कार्ड प्रदान करने की प्रक्रिया के विभिन्न चरणों में हैं।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना
आर्थिक समीक्षा के अनुसार प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) मील का पत्थर साबित हुई है। इसमें देश के किसानों को न्यूनतम प्रीमियम राशि पर फसलों का बीमा प्रदान किया जाता है। पीएमएफबीवाई के तहत साल दर साल 5.5 करोड़ से ज्यादा आवेदनों को स्वीकार कर किसानों को योजना का लाभ दिया जाता है। इस योजना के अंतर्गत 12 जनवरी, 2021 तक 90 हजार करोड़ रुपये के दावों का भुगतान किया गया है। आधार की वजह से किसानों को तेजी से भुगतान हुआ है और दावे की राशि सीधे उनके बैंक खातों में पहुंचाई गई है। मौजूदा कोविड-19 महामारी की वजह से लगाए गए लॉकडाउन के बावजूद 70 लाख किसानों को इस योजना का लाभ मिला है और लाभार्थियों के बैंक खातों में 8741.30 करोड़ रुपये के दावों का भुगतान किया गया है।
प्रधानमंत्री किसान योजना
आर्थिक समीक्षा कहती है कि प्रधानमंत्री किसान योजना के तहत दी जाने वाली वित्तीय सहायता की सातवीं किस्त के रूप में दिसंबर, 2020 में देश के 9 करोड़ किसान परिवारों के बैंक खातों में 18 हजार करोड़ रुपये की धनराशि वितरित की गई।
पशुधन क्षेत्र
पशुधन क्षेत्र की आर्थिक समीक्षा के अनुसार 2014-15 के मुकाबले 2018-19 में पशुधन के क्षेत्र में संयुक्त वार्षिक विकास दर के आधार पर 8.24 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। कृषि क्षेत्र और संबंधित गतिविधियों वाले क्षेत्रों के सकल मूल्य संवर्धन पर आधारित नेशनल अकाउंट्स स्टेटिस्टिक्स (एनएएस) 2020 के अनुसार पशुधन की हिस्सेदारी में वृद्धि देखी गई है। सकल मूल्य संवर्धन में (स्थिर मूल्य पर) पशुधन का योगदान लगातार बढ़ रहा है। 2014-15 में यह 24.32 प्रतिशत था जबकि 2018-19 में 28.63 प्रतिशत दर्ज किया गया। 2018-19 के सकल मूल्य संवर्धन में पशुधन की हिस्सेदारी 4.19 प्रतिशत रही।
मत्स्य पालन
आर्थिक समीक्षा में जानकारी दी गई है कि भारत का मत्स्य उत्पादन इतिहास में अबतक का सर्वाधिक रहा है। 2019-20 में 14.16 मिलियन मिट्रिक टन मत्स्य उत्पादन किया गया। इसके अतिरिक्त राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था ने मत्स्य क्षेत्र में 2,12,915 करोड़ रुपये की हिस्सेदारी दर्ज की है। यह कुल राष्ट्रीय सकल मूल्य संवर्धन का 1.24 प्रतिशत और कृषि क्षेत्र के सकल मूल्य संवर्धन का 7.28 प्रतिशत है।
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना
आर्थिक समीक्षा में बताया गया है कि वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान खाद्यान्न का वितरण दो चैनलों के माध्यम से किया गया। ये हैं - राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) और प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई)। वर्तमान में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम को सभी 36 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों में लागू किया जा रहा है और ये सभी एनएफएसए के अंतर्गत मासिक आधार पर खाद्यान्न प्राप्त कर रहे हैं। कोविड-19 महामारी के चलते प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज के अंतर्गत भारत सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) की शुरुआत की थी। जिसके तहत लक्षित जनवितरण प्रणाली (टीपीडीएस) के अंतर्गत आने वाले सभी लाभार्थियों को 5 किलो खाद्यान्न प्रतिव्यक्ति मुफ्त प्रदान करने की सुविधा प्रदान की गई। (इनमें अंत्योदय अन्य योजना और प्राथमिकता दिए जाने वाले नागरिक शामिल हैं।) प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के अंतर्गत नवंबर 2020 तक प्रतिव्यक्ति 5 किलो खाद्यान्न देने की व्यवस्था के तहत 80.96 करोड़ लाभार्थियों को अतिरिक्त खाद्यान्न उपलब्ध कराया गया था। इस दौरान 75000 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के 200 लाख मीट्रिक टन से ज़्यादा अनाज का वितरण किया गया। इसके अलावा आत्मनिर्भर भारत पैकेज के अंतर्गत चार महीनों तक (मई से अगस्त के बीच) प्रतिव्यक्ति 5 किलो खाद्यान्न उपलब्ध कराया गया, जिससे उन 8 करोड़ प्रवासी मजदूरों को लाभ मिला जो राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम या फिर राज्य राशन कार्ड योजना के अंतर्गत नहीं आते थे, जिसकी सब्सिडी लागत लगभग 3109 करोड़ रुपये थी।
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग
आर्थिक समीक्षा के अनुसार 2018-19 तक बीते पांच वर्षों में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग (एफपीआई) क्षेत्र में औसत वार्षिक वृद्धि दर (एएजीआर) पर 9.99 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो रही है। 2011-12 से कृषि क्षेत्र में यह बढ़ोतरी 3.12 प्रतिशत रही है और विनिर्माण क्षेत्र में वृद्धि दर 8.25 प्रतिशत रही है।
नई दिल्ली। टेलिग्राम पर दुनियाभर के 50 करोड़ से ज्यादा फेसबुक यूजर्स के मोबाइल फोन नंबर की बिक्री की जा रही है। इसमें 60 लाख से ज्यादा इंडियन फेसबुक यूजर्स के फोन नंबर शामिल हैं। सिक्योरिटी रिसर्चर एलन गैल, यह सिक्योरिटी का बड़ा उल्लंघन है। इससे फेसबुक यूजर्स की प्राइवेसी खतरे में पड़ गई है। एलन गैल ने ट्विटर कर बताया, इस बोट को चला रहे व्यक्ति ने दावा किया है कि सोशल मीडिया कंपनी की एक खामी से 53.3 करोड़ फेसबुक यूजर्स की जानकारी आई है, जिसे कंपनी ने 2019 में छुपा दिया था।
नईदिल्ली । केंद्र सरकार आगामी आम बजट में घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहन देने के लिए खिलौना क्षेत्र के लिए एक प्रतिबद्ध नीति की घोषणा कर सकती है. इस नीति से देश में उद्योग के लिए एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र बनाने और स्टार्टअप को आकर्षित करने में मदद मिलेगी. वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय पहले ही खिलौनों के घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहन देने हेतु कदम उठा रहा है. मंत्रालय ने क्षेत्र के लिए गुणवत्ता नियंत्रक आदेश जारी किया है और साथ ही पिछले साल खिलौनों पर आयात शुल्क बढ़ाया है. गुणवत्ता नियंत्रण आदेश से घरेलू बाजार में सस्ते कम गुणवत्ता वाले खिलौनों के प्रवाह को रोका जा सकेगा.
प्रधानमंत्री ने क्या कहा?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मन की बात कार्यक्रम के जरिए देसी खिलौनों को बढ़ावा देने के बात कह चुके हैं. प्रधानमंत्री के मुताबिक ग्लोबल खिलौना बाजार सात लाख करोड़ रुपए से भी बड़ा है लेकिन भारत का हिस्सा उसमें बहुत ही कम है. इसे आगे बढ़ाने में देश को मिलकर मेहनत करनी है. प्रधानमंत्री पहले भी कई बार भारतीय खिलौना उद्योग को बढ़ावा देने हेतु इंडस्ट्री को आगे आने के लिए कह चुके हैं.
खिलौने के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना
गुणवत्ता नियंत्रण आदेश से घरेलू बाजार में सस्ते कम गुणवत्ता वाले खिलौनों के प्रवाह को रोका जा सकेगा. अंतरराष्ट्रीय खिलौना उद्योग में भारत की हिस्सेदारी काफी कम है. वैश्विक मांग में भारत के निर्यात का हिस्सा 0.5 प्रतिशत से भी कम है. ऐसे में इस क्षेत्र में काफी अवसर हैं.
मुंबई । भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) सकारात्मक वृद्धि दर हासिल करने के करीब है। भारतीय रिजर्व बैंक ने यह अनुमान लगाया है। रिजर्व बैंक के जनवरी के बुलेटिन में अर्थव्यवस्था की स्थिति पर लेख में कहा गया है, 2021 कैसा होगा? सुधार का आकार वी-आकार का होगा। वी से तात्पर्य वैक्सीन से है। इन लेख को रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर माइकल देवव्रत पात्रा और अन्य ने लिखा है। लेख में कहा गया है कि दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान में भारत के साथ लाभ की स्थिति सबसे बड़ी टीका विनिर्माण क्षमता है। इसके अलावा भारत के पास पोलियो और चेचक के खिलाफ टीकाकरण का अनुभव भी है। केंद्रीय बैंक ने कहा कि यदि यह सफल रहता है, तो इससे जोखिम का संतुलन ऊपर की ओर झुक जाएगा। हालांकि, रिजर्व बैंक ने स्पष्ट किया है कि लेख में विचार लेखकों के हैं और आवश्यक रूप से इन्हें केंद्रीय बैंक की राय नहीं माना जाए। लेख में कहा गया है कि भारत की स्थिति को उबारने में ई-कॉमर्स और डिजिटल प्रौद्योगिकी की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। हालांकि, महामारी से पूर्व का उत्पादन स्तर और रोजगार हासिल करने में अभी काफी समय लगेगा। लेख में कहा गया है कि वृहद आर्थिक क्षेत्र में हालिया बदलाव से कुल परिदृश्य चमकदार हुआ है और जीडीपी की वृद्धि दर सकारात्मक होने के करीब है। साथ ही मुद्रास्फीति भी घटकर लक्ष्य के पास आ रही है। सरकार के अनुमान के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2020-21 में भारतीय अर्थव्यवस्था में 7.7 प्रतिशत की गिरावट आने का अनुमान है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही अप्रैल-जून में अर्थव्यवस्था में 23.9 प्रतिशत की जबर्दस्त गिरावट आई थी। वहीं दूसरी जुलाई-सितंबर की तिमाही में अर्थव्यवस्था 7.5 प्रतिशत नीचे आई थी। लेख में कहा गया है कि सीजन समाप्त होने से पहले रबी का बुवाई क्षेत्र सामान्य से अधिक हो गया है। ऐसे में 2021 में कृषि उत्पादन बंपर रहने की उम्मीद है। इसमें कहा गया है कि भारत वैक्सीन विनिर्माण की वैश्विक राजधानी है। ऐसे में वैश्विक स्तर पर टीकाकरण शुरू होने से भारत का फार्मास्युटिकल्स निर्यात तेजी से बढ़ेगा। उत्पादन से संबंधित (पीएलआई) योजना के तहत कृषि निर्यात जुझारू क्षमता दिखा रहा है।