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गरारे करते समय इन 5 बातों का जरूर रखें ख्याल

गरारे करते समय इन 5 बातों का जरूर रखें ख्याल

मौसम बदलने पर गले में खराश या आवाज बैठ जाने की शिकायत सुनने में आती है। गला खराब यानि गले में दर्द होना या खुजली जैसा होना, गले में कफ जम जाना और गले की आवाज बदल जाना।
गला खराब होने पर नमक के गरारे से काफी मदद मिलती है। नमक का सांद्र घोल गले की परत पर चढ़ाई किए हुए कई रोगाणुओं के लिए काफी खतरनाक है। इसके प्रभाव से रोगाणु मर भी जाते हैं।

कफ जमा हो तो यह गाढ़े कफ को पतला कर काफी मात्रा में ठोस पदार्थों को गले से बाहर निकालने में मदद करता है, इसलिए नमक के घोल से गरारे करने को कहा जाता है। लेकिन गरारे करते वक्त इन बातों का ध्यान रखना चाहिए –

1 सहन कर सकने योग्य एक गिलास गरम पानी में एक चम्मच नमक डालकर इस पानी से गरारे करना चाहिए।

2 फिटकरी का एक बारीक सा टुकड़ा भी इस पानी में डालकर गरारे करने पर आराम मिलता है।

3 नमक के साथ या तो खाने का सोडा दो चुटकी मिलाकर गरारे करने से भी आराम मिलता है।

4 नमक के साथ गरम पानी में हल्दी का प्रयोग करना भी फायदेमंद होता है, क्योंकि इसमें एंटी बैक्टीरियल गुण मौजू होते हैं

5 लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि या तो फिटकरी डालें या खाने का सोडा मिलाएं यानी नमक के साथ कोई एक चीज को प्रयोग करें।


 

साइटिका के दर्द से राहत दिलाएंगे ये योगासन, फैट भी होगा कम

साइटिका के दर्द से राहत दिलाएंगे ये योगासन, फैट भी होगा कम

आजकल हमारी बदलती जीवनशैली में कई तरह की शारीरिक परेशानियां घेरने लगी हैं. साइटिका का दर्द भी इनमें से एक है. सायटिका में पैर में असहनीय दर्द होता है. इसमें मरीज को चलने में भी परेशानी होती है. दरअसल, साइटिका एक नर्व है. जब इसमें सूजन या खिंचाव होता है, तो दर्द शुरू हो जाता है. इसी को सायटिका का दर्द कहा जाता है. इस दर्द को दूर करने के लिए कई तरह के योग आसन बताए गए हैं. इनकी मदद से साइटिका के दर्द को दूर किया जा सकता है.


भुजंगासन:
इस आसन को कोबरा पोज भी कहा जाता है. यह आसन साइटिका के दर्द को दूर करने के अलावा पेट की चर्बी को भी कम करता है. इसे करने के लिए सबसे पहले पेट के बल लेट जाएं. अपने दोनों पैरों के बीच दूरी कम रखें और गहरी सांस लेते हुए अपने ऊपरी शरीर को ऊपर की ओर उठाएं. आपकी कोहनी इस दौरान शरीर के साथ सीधी रेखा में होनी चाहिए. पैरों को इस तरह स्ट्रेच करें कि आपको अधिक खिंचाव महसूस न हो. इसके अलावा अपने सिर को जितना हो सके ऊपर की तरफ उठाएं. इसे 3 से 4 बार करें.


अपानासन योग:
इस आसन की शुरुआत करने के लिए समतल जमीन पर पीठ के बल लेट जाएं. इसके बाद अपने दोनों पैरों को घुटनो से मोड़ लें. फिर धीरे से सांस छोड़ते हुए दोनों घुटनो को छाती की ओर लाने का प्रयास करें. इसके बाद अपने दोनों हाथो से घुटनो को पकड़ लें. मगर ध्यान रखें कि आपके कंधे जमीन पर ही टिके हुए हों. कुछ देर इसी स्थिति में रहें. फिर गहरी सांस लेते हुए सामान्य अवस्था में आ जाएं.


अधोमुख श्वान आसन:
इस आसन को करने के लिए पहले दोनों हाथ और घुटनों के बल जमीन पर लेट जाएं. इसके बाद सांस खींचते हुए अपने पैरों और हाथों के बल शरीर को उठाएं और टेबल जैसी आकृति बनाएं. अब शरीर के पिछले हिस्से को ऊपर की ओर उठाइए. इसके साथ-साथ अपने दोनों घुटनों और हाथों को भी सीधा कर लें. इस आसन के अभ्यास के दौरान कंधे और हाथ एक सीध में रहने चाहिए. पैर हिप्स की सीध में रखें. ध्यान रखें कि आपके दोनों हाथ की हाथेलियां फैली हुई हों. अब कुछ देर तक इसी अवस्था में रहें.


सुप्त पादांगुष्ठासन:
यह आसन साइटिका की समस्या में बहुत आराम देता है. इसे करने के लिए सबसे पहले अपने दोनों पैरों को फैला कर लेट जाएं. अब अपने एक पैर को उठाएं. इसके बाद एक ऐसा कपड़ा लें, जो लंबाई में काफी बड़ा हो. इसके बाद इस कपड़े को अपने पैर के पंजे में डाल कर हाथो में अच्छे से पकड़ लें. अपने पैर को धीरे-धीरे स्ट्रेच करें. अब अपने घुटने को बिना मोड़े ही पैर को अपने सिर की ओर लाने का प्रयास करें. कुछ देर तक इसी अवस्था में रहें.

 

बालको मेडिकल सेंटर में हो रहा है दुर्लभ किस्म के कैंसर का उपचार, जानिए क्या है तकनीक, किन्हें मिल सकता है लाभ

बालको मेडिकल सेंटर में हो रहा है दुर्लभ किस्म के कैंसर का उपचार, जानिए क्या है तकनीक, किन्हें मिल सकता है लाभ

रायपुर, बालको मेडिकल सेंटर में सीआरएस + हाईपैक के जरिए दुर्लभ किस्म के कैंसर का उपचार किया जा रहा है. यह पेट में फैले विकसित कैंसर वाले कुछ रोगियों के लिए उम्मीद की किरण है. नसों के जरिए की जाने वाली पारंपरिक कीमोथेरेपी के विपरीत हाइपरथर्मिक इंट्रा-पेरिटोनियल कीमोथेरेपी (हाईपैक) के जरिए पेट के कैंसर कोशिकाओं को सीधे उच्च मात्रा की कीमोथेरेपी प्रदान की जाती है.


हाल ही में बालको मेडिकल सेंटर के सर्जिकल ऑन्कोलॉजी टीम ने एक नहीं बल्कि दो हाईपैक प्रक्रियाओं को सफ़लतापूर्वक किया. एक मध्यम आयु वर्ग की महिला रोगी, इसमें एक मरीज स्यूडोमिक्सोमा पेरिटोनी से पीड़ित थी, वहीं दूसरी महिला अंडाशय के कैंसर की मरीज थी. दोनों मरीज इस जटिल सर्जरी के सफलतापूर्वक होने के बाद ठीक हो रहे हैं.
हाईपैक प्रक्रिया साइटोरेडेक्टिव सर्जरी (सीआरएस) कैंसर सर्जरी के साथ की जाती है, जिसके दौरान एक सर्जन पेट के अंदर से सभी दिखाई देने वाले कैंसर को हटा देता है। गर्म, जीवाणुरहित कीमोथेरेपी (41-43 डिग्री सेल्सियस तापमान के साथ) पेट में शेष कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए लगभग ढेड़ घंटे तक पहुंचाया जाता है. भिन्न कैंसरों के लिए भिन्न कीमोथेरेपी एजेंट्स का उपयोग होता है.


बालको मेडिकल सेंटर के चिकित्सा सेवाएं प्रमुख डॉ. जयेश शर्मा कहते हैं कि हाईपैक एक जटिल प्रक्रिया है, इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि हम उन रोगियों की पहचान करें जो इससे सबसे अधिक लाभान्वित होंगे. कुछ प्रकार के कैंसर में हाईपैक के साथ सफलता और संभावित इलाज सबसे अच्छा है. बालको मेडिकल सेंटर के ऑन्कोसर्जन डॉ. अश्वनी सचदेवा बताते हैं कि कीमोथेरेपी को गर्म करना इसकी प्रभावशीलता को बढ़ाता है. क्योंकि जब यह गर्म होता है, तो कीमोथेरेपी ऊतक में अधिक गहराई से प्रवेश करती है, और अधिक से अधिक कैंसर कोशिकाओं को मार सकती है.


सेंटर के ऑन्कोसर्जन डॉ. सुनील कौशिक कोमांडुरी बताते हैं कि अपेंडिक्स और बृहदान्त्र के उन्नत मेटास्टेटिक कैंसर, उन्नत डिम्बग्रंथि के कैंसर, और पेरिटोनियल मिसोथिलिओमा वाले लोगों में हाईपैक से जीवन काल में काफी वृद्धि कर सकता है. हाईपैक के साथ, इस प्रकार के कैंसर को पूरी तरह से ठीक करने और जीवन काल में वृद्धि करना संभव है.


डॉक्टरों ने बताया कि इस प्रकार की जटिल प्रक्रियाएँ, जो पहले मेट्रो शहरों तक सीमित थीं, अब बालको मेडिकल सेंटर में कैंसर रोगियों के लाभ के लिए उपलब्ध कराई गई हैं. केवल उन्नत कैंसर केंद्रों में हाईपैक जैसे उन्नत ऑपरेशन संभव हैं, जहां निदान, उपचार, महत्वपूर्ण देखभाल, संक्रमण नियंत्रण प्रथाओं और रोगियों की पोषण-संबंधी जरूरतों के हर पहलू को एक ही छत के नीचे ध्यान दिया जाता है.

 

डायबिटीज के मरीज खाएं मूंगफली, जानिए फायदा

डायबिटीज के मरीज खाएं मूंगफली, जानिए फायदा

लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियों में सबसे ज्यादा खतरनाक डायबिटीज है. ये बीमारी तेजी से देश में फैल रही है और युवा भी इसकी चपेट में आ रहे हैं. डायबिटीज अकेली बीमारी नहीं है, इसके साथ ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रोल और हार्ट संबंधी बीमारियां भी होने लगती है.. डायबिटीज इसलिए भी खतरनाक है कि इसे दवाओं से कंट्रोल किया जा सकता है लेकिन खत्म नहीं. डायबिटीज होने पर दवाओं के साथ लाइफस्टाइल और खासकर फूड हैबिट्स में बहुत बदलाव करने पड़ते हैं तभी शुगर कंट्रोल में रहता है. मूंगफली भी एक ऐसा खाना है जिसे लेकर डायबिटिक लोग शंका में रहते हैं कि इसे खाये या ना खायें. लेटेस्ट रिसर्च के मुताबिक अगर मूंगफली को सही तरीके से खाया जाये तो ये फायदा करती है.


मूंगफली के फायदे
मूंगफली में ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है जो डायबिटिक लोगों के लिये अच्छा है. मूंगफली में फाइबर, प्रोटीन और अल्फा लिपोइक एसिड भरपूर होता है जिससे ब्लड शुगर कंट्रोल में रहता है. मूंगफली टाइप-2 डायबिटीज में फायदा करने वाला खाना है. इसके सेवन से दिल की बीमारियां होने का खतरा भी कम होता है. डायबिटीज के मरीज मूंगफली की कोई डिश अपने खाने में जरूर शामिल करें. हालांकि इस बात का ध्यान रखें कि वो डिश ऑइली या मीठी ना हो वरना उल्टा असर भी पड़ सकता है. हम आपको बताने जा रहे हैं 4 ऐसी डिश जो हेल्दी होने के साथ साथ काफी टेस्टी हैं और इनको बनाना भी है बेहद आसान.

मूंगफली की चाट-  अगर मूंगफली को अपने खाने में शामिल करना चाहते हैं इसकी चाट बनाकर खायी जा सकती है. भुने हुए मूंगफली के दानों में अपने स्वादानुसार प्याज, टमाटर, हरी मिर्च नींबू और नमक डालकर ये चाट बनाये. स्वाद बदलने के लिए इस चाट में रोस्टेड चने भी मिला सकते है. ये चाट डायबिटीज और बिना डायबिटीज वालों के लिए बेहद हेल्दी और टेस्टी खाना है जिसे नाश्ते या शाम को स्नैक्स के तौर पर खा सकते हैं.


मूंगफली की चटनी- चटनी तो भारतीय खाने में और स्वाद बढ़ाने वाला आयटम है. लोग धनिया, पुदीने, टमाटर की चटनी तो बनाते ही है लेकिन साउथ इंडियन खाने के साथ कई बार मूंगफली की चटनी भी बनती है. इस चटनी को भीगी हुई या रोस्टेड मूंगफली के साथ बनाते हैं. स्वाद बढ़ाने के लिए इसमें थोड़े तिल भी डाल सकते हैं. ये चटनी खाने का मजा बढ़ा देती है और काफी हेल्दी भी है.

 

मूंगफली वाला पोहा-  वैसे तो पोहा महाराष्ट्र की डिश है लेकिन अब ये पूरे इंडिया में स्नैक्स और खासतौर पर ब्रेकफास्ट में खाये जाने वाली डिश बन चुका है. पोहा खाने में टेस्टी होता है और हल्का भी इसलिए डायबिटिक लोग भी इसे खा सकते हैं. पोहे में भुनी हुआ मूंगफली से इसका स्वाद और बढ़ जाता है. इसके अलावा पोहे की ड्राई नमकीन भी बना सकते हैं और उसमें भी मूंगफली डाली जा सकती है. ये नमकीन भी रोस्टेड होने की वजह से हल्की होती है

पीनट बटर खायें- विदेशों में तो पीनट बटर यानी मूंगफली का मक्खन काफी पॉपुलर है और अब ये अपने देश में भी खूब पॉपुलर हो रहा है. पीनट बटर खाने में काफी टेस्टी होता है और जिनको पीनट का टेस्ट पसंद है वो लोग पीनट बटर खा सकते हैं. पीनट बटर सैंडविच में इस्तेमाल कर सकते हैं या सिंपली मल्टीग्रेन ब्रेड या रोटी पर लगाकर खा सकते है. इस बटर में स्वीटनेस होती है इसलिए स्मूदी में भी इसका टेस्ट अच्छा लगता है. 

सर्दी-जुकाम से परेशान है तो इन उपायों से मिलेगी फौरन राहत

सर्दी-जुकाम से परेशान है तो इन उपायों से मिलेगी फौरन राहत

मौसम के बदलते ही सर्दी और जुकाम का होना आम बात है। लेकिन आप थोड़ा सावधानी बरतकर सर्दी और जुकाम की समस्या से निजात पा सकते हैं। सर्दी और जुकाम के साथ ही खांसी की समस्या होने लगी है। अगर सुबह उठते ही आपका गला बैठा रहता है और छींक के साथ ही सिर में भारीपन भी रहता है तो आप इस मौसम में छोटी-छोटी सावधानियां बरतकर इस समस्या को खुद ही दूर कर सकते हैं।
सर्दी-खांसी और जुकाम की समस्या संक्रमण की वजह से होती है। अगर आपके आसपास किसी को सर्दी और जुकाम हो रहा है तो यह आपको भी हो सकता है। इसके अलावा इस मौसम में एलर्जी भी सर्दी और जुकाम की वजह बनती है। अगर ठीक वक्त पर इसका इलाज नहीं हुआ तो यह वायरल का रूप भी ले सकता है।
दरअसल सिरदर्द, आंखों से पानी बहना, बदन टूटना वायरल के लक्षण हैं। ये लक्षण सर्दी, खांसी और जुकाम के साथ ही शुरू होती हैं। ऐसे में इस समस्या के बचाव के लिए हल्का खाना खाएं और डाइट में हरी सब्जियां और ताजे फल ज्यादा लें।
आप घर में ही काढ़ा बनाकर सर्दी और जुकाम की समस्या में राहत पा सकते हैं। इसके अलावा ब्लैक टी भी इस समस्या में फायदेमंद होती है। दरअसल मौसम के करवट लेते ही हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है और हमें वायरल होने लगता है। ऐसे में अगर आपका नाक बंद हो गया हो या गले में तेज खराश हो रही है तो आप गर्म पानी से गरारे करें और स्टीम लें। आप सर्दी, खांसी और जुकाम से बचने के लिए रात में हल्दी दूध पिएं।
सर्दी और जुकाम की समस्या से बचने के लिए हरी सब्जियां ज्यादा खाएं। नींद भरपूर लें और हल्का खाना खाएं। आप शहद का सेवन करें। ग्रीन टी भी इस मौसम में लाभकारी होती है। ठंडे पानी की जगह गर्म पानी पिएं और मसाला चाय का सेवन करें। अदरक के सेवन से भी सर्दी और जुकाम में राहत मिलती है।

 

बालको मेडिकल सेंटर में राज्य का पहला चिकित्सीय प्लाज़्मा एक्सचेंज किया गया

बालको मेडिकल सेंटर में राज्य का पहला चिकित्सीय प्लाज़्मा एक्सचेंज किया गया

रायपुर | नया रायपुर का सबसे बड़ा एवं अत्याधुनिक कैंसर अस्पताल, बालको मेडिकल सेंटर ने छत्तीसगढ़ राज्य में पहली बार चिकित्सीय प्लाज़्मा एक्सचेंज किया है। बालको मेडिकल सेंटर में 73 वर्ष के एक सज्जन में एक दुर्लभ रक्त कैंसर का पता चला, जिसे वाल्डेनस्टॉर्म मैक्रोग्लोबुलिनमिया कहा जाता है।

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वह बहुत उच्च इम्युनोग्लोबुलिन स्तर के साथ सिरदर्द, उच्च रक्तचाप के लक्षणों के साथ आया था, जिससे स्ट्रोक और अन्य जटिलताओं का बहुत अधिक जोखिम होता है। उन लक्षणों को कम करने के लिए, उनके प्लाज़्मा को चिकित्सीय प्लाज़्मा एक्सचेंज (टीपीई) नामक एक प्रक्रिया द्वारा बदलना आवश्यक था।

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बालको मेडिकल सेंटर में हेमटोलॉजिस्ट डॉ. दिब्येंदु डे और डॉ. नीलेश जैन, ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विशेषज्ञ के अनुसार, “किसी के प्लाज़्मा को बदलना एक बहुत ही मुश्किल काम है, और एक बुजुर्ग मरीज में,जिनकी नसें नाज़ुक हो, उनमें ऐसी प्रक्रियाएँ करने में बहुत जोखिम हैं। हालांकि, बालको मेडिकल सेंटर की विशेषज्ञ टीम द्वारा बिना किसी जटिलता के इसे सफलतापूर्वक किया गया।“

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डॉ. दिब्येन्दु ने आगे कहा, “टीपीई को विभिन्न अन्य न्यूरोलॉजिकल स्थितियों में इस्तेमाल किया गया है, जैसे जीबीएस और क्रॉनिक इंफ्लेमेटरी डेम्येलीनेटिंग पॉलिन्यूरोपैथी, और गैर-न्यूरोलॉजिकल स्थितियों में भी, जैसे मायस्थेनिया ग्रेविस (एमजी), हाइपर विस्कॉसिटी सिंड्रोम, थ्रोम्बोटिक थ्रोम्बोसाइटोपेनिक पुरपुरा (टीटीपी), हीमोल्य्टिक यूरेमिक सिंड्रोम, आदि ।

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डॉ. नीलेश जैन ने प्रक्रिया के बारे में बताते हुए कहा, “चिकित्सीय प्लाज़्मा एक्सचेंज एक उपचार है जो आपके रक्त से प्लाज़्मा को निकालता है।प्लाज़्मा निष्कासन शरीर से विभिन्न विषाक्त पदार्थों और इम्युनोग्लोबुलिन को बाहर निकालता है। प्लाज़्मा को हटा दिया जाता है और प्लाज़्मा विकल्प के साथ बदल दिया जाता है । टीपीई रक्त से प्लाज़्मा को अलग करने के लिए एफेरेसिस मशीन नामक एक विशेष उपकरण का उपयोग करता है, जबकि शरीर में रक्त के आवश्यक घटक शेष रहते हैं। उम्मीद है, यह प्रक्रिया रोगी को बिना किसी जटिलता के कैंसर का मुकाबला करने में मदद करेगी। चिकित्सीय प्लाज़्मा एक्सचेंज के अलावा, एफेरेसिस तकनीक का उपयोग ल्यूकेफैरेसिस और ग्रैनुलोसाइटैफेरिस प्रक्रियाओं में भीकिया गया है, जो पहली बार छत्तीसगढ़ में हमारे अस्पताल में ही किया गया था।”

वजन घटाने के लिए बेस्ट आहार होता है मखाना, जानें इसके सेवन का तरीका

वजन घटाने के लिए बेस्ट आहार होता है मखाना, जानें इसके सेवन का तरीका

किसी भी इंसान के लिए अपना वजन घटाना बहुत ही चुनौतियों से भरा होता है. इसके लिए आपको नियमित व्यायाम के साथ ही अपनी डाइट पर भी ध्यान देने की आवश्यकता होती है. लेकिन ज्यादातर लोग इसको नियमित तौर पर नहीं अपना पाते हैं. आपके शरीर की चरेबी बढ़ने में आपकी जीवनशैली और खानपान का बहुत बड़ा योगदान होता है. आप हर रोज कैलोरी का सेवन कर रहे हैं आपके वजन को कम करना इस बात पर भी निर्भर करता है. आपके वजन को कम करने में नट्स जैसे कि मखाना एक बुहत ही अच्छा विकल्प माना जाता है, जो आपके वजन को घटाने में बेहद मददगार साबित हो सकता है. इसमें कम कैलोरी पायी जाती है जो आपके पेट को देर तक भरा रखने में उपयोगी है, तो आइए आज हम आपको बताते हैं कि कैसे आप मखाना खाकर अपना वजन कम कर सकते हैं.


मखाने में पाए जाने वाले पोषक तत्‍व


मखाने में कोलेस्ट्रॉल, फैट और सोडियम की कम मात्रा पायी जाती है. यह असामयिक भूख के लिए एक बहुत अच्छा स्नैक माना जाता है. इसलिए इसको एक हल्का फुल्का नाश्ता भी माना जाता है. इसके साथ ही यह आपकी सेहत के लिए बेहद फायदेमंद हातो है. इसका आप कई तरह से सेवन कर सकते हैं. जानते हैं 100 ग्राम मखानों में पाए जाने वाले पोषक तत्‍वों के बारे में.


-वसा: 0.1 ग्राम पायी जाती है.
-फाइबर: 14.5 ग्राम पाया जाता है.
-कैलोरी: 347kcl पायी जाती है.
-प्रोटीन: 9.7 ग्राम पाया जाता है.
-वसा: 0.1 ग्राम पायी जाती है.
-प्रोटीन: 9.7 ग्राम पाया जाता है.
-कार्बोहाइड्रेट: 76.9 ग्राम पाया जाता है.


कैसे मखानों से वजन कम किया जा सकता है?


मखाना एक उत्तम स्नैक्स होते है जिनमें कैलोरी की भी कम मात्रा पायी जाती है. यह आपकी हर रोज की कैलोरी काउंट को कंट्रोल करने में मदद करता है, जो आपकी वजन कम करने की प्रक्रिया के महत्वपूर्ण नियमों में से एक है. मखाने लंबे सेमय तक आपके पेट को भरा रखने में सहायक होते हैं, जिससे आपको जल्दी भूख नहीं लगती है. यह प्रोटीन और फाइबर की पर्याप्‍त मात्रा से भरपूर होते हैं. प्रोटीन के सेवन से आप ओवरईटिंग और अनहेल्दी क्रेविंग्स से बच सकते हैं. इसके अलावा इसमें फैट और कोलेस्ट्रॉल की भी कम मात्रा पायी जाती है.


मखाना के अन्य स्वास्थ्य लाभ


-मखाना आयरन, कैल्शियम, पोटैशियम और फॉस्फोरस की पर्याप्त मात्रा से भरे होते हैं. इसका नियमित सेवन आपकी सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होता है.


-मखाना में कैल्शियम भरपूर मात्रा होने की वजह से यह आपकी हड्डी और दांतों को हेल्दी बनाए रखने में मददगार होते हैं.


-मखानों में मौजूद कसैले के गुण के कारण यह गुर्दे की समस्याओं को कम करने और उसे हेल्दी रखने में सहायक होता है.


-मखानों में एंटीऑक्सिडेंट और एंटी इंफ्लामेट्री गुण पाए जाते हैं जो आपके शरीर में पुरानी सूजन और ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करने में लाभकारी होते हैं.


-मखानों में कई एंजाइमों की मौजूदगी होने के कारण एंटी-एजिंग गुणों को भी रोकने में सहायता मिलती है.


-मखाने में मैग्नीशियम भी पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है जो आपके दिल को हेल्दी बनाए रखने का काम करता है.


मखाने का सेवन करने का तरीका
मखाना एक ऐसा नट्स है जिसका सेवन आप चाहें कैसे भी कर सकते हैं. आप इन्‍हें भूनकर या एक चम्मच घी या नारियल तेल डालकर भी खा सकते हैं. साथ ही आप इनमें कुछ नमक और काली मिर्च मिलाकर भी खा सकते हैं. यह वास्तव में आपके लिए हेल्दी है, लेकिन इसके अधिक सेवन से बचें. 

सप्ताह के सातों दिन 7 अलग फ्लेवर में पिएं दूध, सेहत रहेगी ठीक

सप्ताह के सातों दिन 7 अलग फ्लेवर में पिएं दूध, सेहत रहेगी ठीक

सेहत के मामले में अपनी लाइफ को सेट करना है तो हर दिन दूध का सेवन जरूरी है। लेकिन एक ही चीज को एक ही रूप में हर रोज सेवन करते रहने से मन ऊब जाता है। आज हम आपके लिए इसी उलझन का समाधान लेकर आए हैं। आपको सिर्फ इतना करना है कि हर दिन अपने लिए एक अलग फ्लेवर में दूध को तैयार करना है। यहां जानें सात दिन के लिए सात अलग फ्लेवर्स के बारे में...


नाश्ते में या सोने से पहले कभी भी लीजिए
-आप चाहें तो आज से या फिर कल से मिल्क रुटीन की शुरुआत कर सकते हैं। यहां बताई गई सात अलग-अलग चीजों को अपने घर की रसोई में स्टोर करके रखना है। ताकि हर दिन एक नए फ्लेवर में टेस्टी और हेल्दी दूध तैयार किया जा सकें। यदि सुबह के समय आपके पास दूध पीने का समय नहीं होता है तो आप रात को सोने से पहले इन फ्लेवर्ड मिल्क का स्वाद ले सकते हैं। इससे आपको नींद भी अच्छी आएगी...


शुरुआत करते हैं मखाना से
-सबसे पहले मखाना मिल्क की बात करते हैं। मखाना मिल्क तैयार करने के लिए आपको अपनी जरूरत के हिसाब से दूध लेना है और फिर उसमें एक मुट्टी मखाना डालकर 1 मिनट के लिए मिक्सी में फेट लें।


-अब इस दूख और मखाने के मिश्रण में अपने स्वाद के अनुसार शुगर मिलाएं। लीजिए तैयार है आपका मखाना मिल्क। हां, पोषण के बारे में भी जान लीजिए...मखाना कुछ मात्रा में विटमिन-डी और भरपूर मात्रा में आयरन का सोर्स होता है। वहीं दूध कैल्शियम से भरपूर होता है।
-दूध और विटमिन-डी हड्डियों को मजबूती देता है तो आयरन शरीर में रक्त का प्रवाह बढ़ाता है। यानी दूध और मखाना दोनों के मेल से हमारा शरीर मजबूत बनता है।


केसर युक्त दूध
-केसर युक्त दूध तैयार करने के लिए भी आपको इलायची का दूध तैयार करने की विधि अपनानी है। एक गिलास दूध तैयार करने के लिए एक गिलास से अधिक दूध छोटे बर्तन में डालकर पकने के लिए रखें और इसे धीमी आंच पर पकाएं।
-दूध पकने रखते समय ही इसमें केसर की एक स्ट्रेन (एक पत्ती) डाल दें। जब दूध एक गिलास रह जाए तो इसमें शुगर मिलाकर दो से तीन मिनट के लिए इसे ढंककर रखे दें। इसके बाद आप आराम से इस दूध को खूबसूरत गिलास में सर्व करके इंजॉय कर सकते हैं।

हरी इलायची
-हरी इलायची युक्त एक गिलास दूध तैयार करने के लिए आपको सवा गिलास दूध चाहिए होगा। इस दूध को धीमी आंच पर गर्म होने के लिए रखें और इसमें एक हरी इलायची को पीसकर डाल दें।


-जब दूध पकते-पकते एक गिलास रह जाए तब इस दूध को उतारकर छान लें और इसमें अपने स्वाद के हिसाब से मीठा मिला लें। आपके लिए हेल्दी-टेस्टी और मदहोश करनेवाली सुंगध के साथ इलायची का दूध तैयार है।

शहद और दूध
-अपने देश की बात छोडि़ए पूरी दुनिया में शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा, जिसे शहद का स्वाद पसंद ना हो। शहद विटमिन्स, मिनरल्स और प्राकृतिक शुगर प्राप्त करने का एक शानदार विकल्प है।
-शहद मिला दूध तैयार करने के लिए आप या तो सामान्य तापमान पर रखे दूध में शहद मिला लें। या फिर दूध को हल्का-सा गुनगुना कर लें और इसके बाद दूध में शहद मिलाएं। आपके लिए हनी-मिल्क तैयार है।


-ध्यान रखें कि बहुत तेज गर्म दूध में शहद नहीं मिलाते हैं। ऐसा करने से शहद के गुणों पर विपरीत असर होता है। इसके साथ ही फ्रिज में रखे दूध में शहद नहीं मिलाते। क्योंकि इतने ठंडे दूध में शहद ठीक से घुल नहीं पाता है।

ड्राईफ्रूट्स मिल्क
-काजू, बादाम, छुआरा इन तीनों चीजों को एक साथ मिक्सी में डालें। बेहतर होगा कि छुआरा आप रात को पानी में भिगोकर रखें और फिर सुबह ड्राईफ्रूट्स मिल्क तैयार करने में उनका उपयोग करें। नहीं तो आपक उनका बीज निकालकर भी उन्हें काजू और बादाम के साथ दूध में पीस सकते हैं।
-आपको एक मुट्ठी काजू-बादाम और मखाना मिश्रण लेना है। इसमें एक गिलास दूध डालकर अच्छी तरह मिक्सी में मिक्स कर लें। तैयार दूध में अपने स्वाद के अनुसार मीठा मिलाएं और सेहतभरे दूध का आनंद लें। आप चाहें तो इसकी नैचरल मिठास को इंजॉय करने के लिए बिना शुगर मिलाए भी उपयोग कर सकते हैं।
-ध्यान रखें कि ड्राईफ्रूट्स मिल्क तैयार करते समय उसमें किशमिश, मुनक्का और पिस्ता जैसे ड्राईफ्रूट्स का उपयोग नहीं करना चाहिए। क्योंकि किशमिश और मुनक्का में कुछ खट्टापन होता है, जो दूध का विरोधी गुण हैं। साथ ही पिस्ता तैयार करने में नमक का उपयोग किया जाता है, जो दूध के साथ सेवन करने पर नुकसान करता है।


हल्दी और दूध
-हल्दी वाला दूध यानी गोल्डन मिल्क। इस दूध को तैयार करने के लिए और इस दूध की खूबियों को बताने के लिए नए सिरे से बात करने की कोई जरूरत नहीं है। क्योंकि कोरोना के टाइम में इस दूध और इसकी खूबियों के बारे में इतनी बातें हम आपके साथ कर चुके हैं कि अब आप सब कुछ जान चुके हैं।
-आपको एक छोटी-सी लेकिन महत्वपूर्ण बात याद दिलानी है और वह यह है कि यदि नियमित रूप से आप हल्दी मिले दूध का सेवन करते हैं तो एक गिलास दूध में एक-चौथाई (1/4)चम्मच से अधिक हल्दी का उपयोग ना करें। साथ ही हल्दी का दूध तैयार करते समय दूध को गर्म जरूर करें और घूंट-घूंट करके गर्म दूध का ही सेव करें।


प्लेन दूध और गुड़
-दूध पीने का यह सदियों पुराना तरीका है। क्योंकि संभवत: गुड़ ही इंसान द्वारा तैयार की जानेवाली सबसे पहले मिठाई है। गर्म दूध के साथ गुड़ का सेवन करना एक अलग तरह की संतुष्टि देता है। गुड़ और दूध दोनों के गुण मिलकर हमारी सेहत को मजबूत बनाए रखने के काम करते हैं।

 

क्या आप भी कुछ सीढिय़ां चढ़कर ही हांफने लगते हैं तो जरूर करें यह काम

क्या आप भी कुछ सीढिय़ां चढ़कर ही हांफने लगते हैं तो जरूर करें यह काम

हम सभी के साथ ऐसा कभी ना कभी जरूर होता है, जब दूसरे फ्लोर तक सीढिय़ों से जाने के बाद ही हमारे दिल की धड़कनें बढ़ जाती हैं और हमारी सांस फूलने लगती है। इस तरह की समस्या से आमतौर पर महिला और पुरुष दोनों ही गुजरते हैं लेकिन महिलाओं में यह समस्या अपेक्षाकृत अधिक देखी जाती है...
सीढिय़ां चढऩे पर क्यों हांफने लगते हैं?
-सीढिय़ां चढ़ते समय थकान होना बहुत सामान्य घटना है अगर आपको तीसरे या चौथे फ्लोर पर जाने के बाद इस तरह की समस्या का अनुभव हो। लेकिन यह भी बहुत ही सीमित मात्रा में होना चाहिए। क्योंकि चौथे फ्लोर तक जाना या पांचवे फ्लोर तक जाना और बहुत अधिक थकान का अनुभव ना करना, एक स्वस्थ शरीर की निशानी है।


-फिटनेस की बात करें तब भी सीढिय़ां चढऩे और उतरने से हमारे शरीर की कैलरी खर्च होती हैं और फैट पिघलता है। इस कारण हमें अधिक ऊर्जा लगानी होती है और हमें थकान का अनुभव होता है। लेकिन अगर दो फ्लोर चढ़कर ही आपको थकान होने लगती है तो यह अच्छे संकेत नहीं हैं। यह आपके शरीर में छिपी कमजोरी को दिखाती है।


सांस लेने में दिक्कत होना
-कोई बहुत मेहनत का काम करने के बाद सांस फूलना एक सामान्य घटना है लेकिन अगर दो फ्लोर चढ़कर ही आपको सांस लेने में दिक्कत होने लगती है तो इसका अर्थ है कि आपका हृदय पूरी तरह स्वस्थ नहीं है। इसलिए अपने कमजोर होते हृदय को बीमार होने से बचाने के लिए अपनी सेहत का ध्यान रखें।


-क्योंकि यह स्थिति शरीर में चुपके से पनप रही बीमारियों का प्रारंभिक संकेत हो सकती है। कई बार यह समस्या इसीलिए भी होती है कि हम बहुत अधिक आलस्य युक्त जीवन (लेजी लाइफस्टाइल) जी रहे हैं। इस कारण भी दो सीढिय़ां चढ़ते ही सांस फूलने की दिक्कत होती है।
आपको जो करना है...


-कुछ लोगों को सीढिय़ां चढऩे के बाद सिर भारी होना, सिर घूमना या आंखों के आगे धुंध आना जैसी समस्याएं होती हैं। अगर आपके साथ भी इस तरह की समस्या हो रही है तो आपको डॉक्टर से तुरंत सलाह लेनी चाहिए। क्योंकि यह स्थिति शरीर में किसी गंभीर बीमारी का संकेत है।
-साथ ही अपनी डायट का पूरा ध्यान रखें। इस बात का पता लगाएं कि क्या आपके भोजन से आपको पूरा पोषण मिल रहा है? क्योंकि जब शरीर को पूरा पोषण नहीं मिलता है तब शरीर में कमजोरी रहती है और कई रोग पनपने लगते हैं, जिनके कारण सांस फूलना और थकान जैसी समस्या होती है।


-आपको इस बात को सुनिश्चित करना होगा कि लॉकडाउन या कोरोना के कारण आपकी शारीरिक गतिविधियां कम ना हों। आप घर की इन सीढिय़ों पर हर दिन चक्कर लगाकर भी खुद को ऐक्टिव रख सकते हैं। योग कर सकते हैं, घर के आंगन या छत पर वॉक कर सकते हैं।

 

बारिश में खाएं अदरक और शहद की चटनी, स्वाद के साथ बढ़ाएं अपनी इम्यूनिटी

बारिश में खाएं अदरक और शहद की चटनी, स्वाद के साथ बढ़ाएं अपनी इम्यूनिटी

बारिश का मौसम आते ही चिलचिलाती गर्मी से तो राहत मिल जाती है लेकिन इस मौसम में सबसे ज्यादा संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है. मानसून में वायरल, डेंगू, टाइफाइड और हैजा जैसी बीमारियां सबसे ज्यादा होती हैं. इनमें से ज्यादातर बीमारियां पानी की वजह से होती हैं. इस मौसम में गले में इनफेक्शन होना भी आम बात है. इसलिए बारिश के मौसम में बचाव सबसे जरूरी है. हालांकि मानसून आते ही हमारा मन तरह तरह के स्वादिष्ट भोजन खाने के लिए करता है. तला भुना इस मौसम में सबसे ज्यादा अच्छा लगता है.


गर्मागरम समौसे और चाय या चाय के साथ गर्म गर्म पकौड़े बारिश में सभी को पसंद होते हैं. लेकिन क्या आपको पता है ये तला भुना, ज्यादा मसालेदार या ज्यादा भारी खाना हमें इस मौसम में सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाता है. वहीं बारिश में भीगने का मन हर किसी का रहता है. बच्चों को तो बारिश में भीगने का बस बहाना चाहिए. जिसके बाद सर्दी, जुकाम की समस्या सबसे पहले होती है. बारिश के मौसम में हमारा इम्यून सिस्टम काफी वीक हो जाता है जिसकी वजह इस तरह के खाने को पचाने में परेशानी होती है. शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता कम होने की वजह से हम जल्दी बीमार भी पड़ते हैं. इसलिए मानसून में आपको अपने खाने पीने का विशेष ध्यान रखना चाहिए. आज हम आपको बता रहे हैं कि कैसे आप खुद को मजबूत बना सकते हैं. कैसे अदरक और शहदी की चटनी से आप अपनी इम्यूनिटी बढ़ा सकते हैं. जानिए इसे बनाने का तरीका.


अदरक शहद की चटनी से बढ़ाएं इम्यूनिटी
आयुर्वेद में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए अदरक और शहद की चटनी फायदेमंद मानी जाती है. इस चटनी को खाने से आपकी इम्यूनिटी बढ़ती है. बारिश में अपने इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाए रखना बहुत जरूरी है. इससे आपका पाचनतंत्र सही से काम करता है और आप कई बीमारियों से बचे रहते हैं.

 

चटनी बनाने का तरीका
करीब 2 इंच कसा हुआ अदरक का टुकड़ा लें. अब इसमें 2 चम्मच नींबू का रस मीठा करने के लिए थोड़ा शहद या गुड़ मिला दें. अब इसमें स्वाद बढ़ाने के लिए एक चुटकी नमक और एक चुटकी काली मिर्च मिलाएं. इस चटनी को आप तुरंत खा सकते हैं या फिर इस फ्रिज में एक एयरटाइट कंटेनर में स्टोर करे लें.

चटनी को कैसे खाएं?
हर रोज एक चम्मच चटनी लें और इसे थोड़े से पानी में मिलाएं. आप इसे दिन में 3-4 बार खा सकते हैं. इस चटनी से आपका इम्यून स्वास्थ्य अच्छा होगा. अगर आपको चटनी का स्वाद पसंद नहीं आए तो आप इसकी जगह अदरक और नींबू की चाय भी पी सकते हैं ये चाय भी उतनी ही फायदेमंद है.

 

क्या है गिलोय का काढ़ा बनाने का सही तरीका, जानिए कितनी मात्रा में पीना चाहिए?

क्या है गिलोय का काढ़ा बनाने का सही तरीका, जानिए कितनी मात्रा में पीना चाहिए?

बदलते मौसम में हमारी इम्यूनिटी यानि रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है. ऐसे में लोग जल्दी बीमार पड़ते हैं. वहीं दूसरी ओर कोरोना महामारी ने भी लोगों को डरा रखा है. ऐसे में हर कोई संक्रमण से बचने के लिए अपनी इम्यूनिटी बढ़ाने की कोशिश कर रहा है. सरकार की ओर से भी लोगों से स्वस्थ रहने की अपील की जा रही है. ताकि कोविड-19 के प्रकोप से बचा जा सके.


भारत सरकार के आयुष मंत्रालय की ओर से इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए कई उपाय बताए गए हैं. जिसमें से एक है गिलोय का काढ़ा. वैसे तो हर कोई अपने अपने तरीके से गिलोय का काढ़ा बनाता है, लेकिन इसे बनाने का सही तरीका बहुत कम लोगों को पता है. आज हम आपको गिलोय का काढ़ा बनाने का सही तरीका बताएंगे. गिलोय का काढ़ा कैसे बनाएं और इसे बनाते वक्त कौन सी औषधियों का इस्तेमाल करें. साथ ही आपको बताएंगे कि आपको एक दिन में कितना काढ़ा पीना चाहिए.

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कितना फायदेमंद है गिलोय?
गिलोय काफी सस्ती आयुर्वेदिक औषधि है और ये हर किसी की पहुंच में है. गिलोय को गुडूची या अमृता के नाम से भी जाना जाता है. आयुर्वेद में कई रोगों के इलाज में गिलोय का इस्तेमाल किया जाता है. गिलोग का रस और काढ़ा डेंगू, चिकनगुनिया, बुखार जैसी गंभीर बीमारियों में दिया जाता है. इसके अलावा बदलते मौसम में गिलोय कई तरह के वायरल और बैक्टीरियल इंफेक्शन से भी बचाता है. कोरोना वायरस से बचाव करने और इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए भी गिलोय का इस्तेमाल किया जा रहा है. आप गिलोय की काढ़ा या गोली भी खा सकते हैं. कुछ लोग नियमित रुप से गिलोय का जूस भी पीते हैं.


गिलोय का काढ़ा बनाने के लिए सामग्री
दो कप पानी
गिलाय के एक-एक इंच के 5 टुकड़े
एक चम्मच हल्दी
2 इंच अदरक का टुकड़ा
6-7 तुलसी के पत्ते
स्वादानुसार गुड़


बनाने का तरीका
1 सबसे पहले एक पैन में 2 कप पानी को मीडियम आंच पर उबलने के लिए रख दें.
2 अब इसमें बाकी सभी सामग्री को डालें और गिलोय भी डाल दें. अब धीमी आंच पर इसे पकने दें.
3 जब पानी आधा रह जाए और सभी चीजें अच्छे से पक जाएं तो गैस बंद कर दें.
4 किसी कपड़े या छन्नी से इसे छानकर कप में डालें और चाय की तरह पीएं.

कितनी मात्रा में पीएं गिलोय का काढ़ा?
गिलोय का काढ़ा आपको प्रतिदिन एक कप से ज्यादा नहीं पीना चाहिए. एक कप से ज्यादा मात्रा में काढ़ा पीने से आपको नुकसान भी हो सकते हैं. वहीं अगर आप किसी बीमारी से ग्रसित हैं तो आपको डॉक्टर की परामर्श के बाद ही इसे पीना चाहिए. गर्भवती महिलाएं, नवजात बच्चों को काढ़ा देने से पहले भी चिकित्सक की सलाह लें. ऐसे लोगों को ये काढ़ा पीने से लो ब्लड प्रेशर और ऑटो इम्यून बीमारियों का खतरा हो सकता है.


गिलोय का काढ़ा पीने के फायदे?

1 गिलोय का काढ़ा पीने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. इसमें मौजूद अदरक और हल्दी मिलकर इम्यूनिटी बढ़ाने का काम करते हैं.
2 रोजाना गिलोय का काढ़ा पीने से शरीर कई तरह के संक्रमण और संक्रामक तत्वों से बच सकता है.
3 डेंगू में प्लेटलेट्स कम होने पर भी गिलोय का सेवन किया जाता है जिससे काफी तेजी प्लेटलेट्स बढ़ती हैं.
4 गठिया रोग में भी गिलोय बहुत फायदेमंद होता है.
5 ब्लड शुगर कंट्रोल करने के लिए भी फायदेमंद है गिलोय. आयुर्वेद में डायबिटीज के मरीजों को गिलोय खाने की सलाह दी जाती है.

 

मास्क के इस्तेमाल के दौरान इन बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है

मास्क के इस्तेमाल के दौरान इन बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है

कोरोना वायरस से बचने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क और हाथों को साफ रखने की सलाह दी जा रही है। इन सभी का अधिकतर लोग पालन भी कर रहे हैं। लेकिन जब आप मास्क का इस्तेमाल करते हैं, तो आपको कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है, जैसे मास्क का उपयोग कैसे करना है और कैसे नहीं?
इस लेख में हम आपको बताएंगे कि मास्क के इस्तेमाल के दौरान किन बातों का आपको ध्यान रखना चाहिए...
- जब आप अकेले हों तो इसे उतार दें और पूरे समय इसे पहनकर न बैठें।
- कार में भी चेहरे पर मास्क का इस्तेमाल करने से बचें। आप यदि अकेले हैं तो आपको मास्क की जरूरत नहीं है।
- एसी में मास्क पहनने से बचें।
- मास्क का इस्तेमाल घर में करने की जरूरत नहीं होती।
- जब आप किसी भीड़ वाली जगह पर हैं, तब इसका उपयोग करें।
- अपने आपको सबसे अधिक बार अलग करते हुए इसका उपयोग कम करें।
- अपने साथ 2 मास्क रखें और हमेशा हर 4-5 घंटे में बदलाव करें और अधिक समय तक लगातार मास्क का इस्तेमाल न करें।
 

भरपूर नींद लेने से अच्छी सेहत के साथ बढ़ती है आपकी खूबसूरती

भरपूर नींद लेने से अच्छी सेहत के साथ बढ़ती है आपकी खूबसूरती

रात में अच्छी और गहरी नींद लेने के लिए डॉक्टर भी सलाह देते हैं. अगर आप रात में पूरे आठ घंटे नींद लेते हैं, तो सुबह तरोताजा महसूस करेंगे. अच्छी नींद लेने से कई तरह की बीमारियां आपसे दूर हो जाती हैं. डॉक्टरों का कहना है कि भरपूर नींद ना लेने के कारण थकान, सिर दर्द और आखं के आसपास काले धब्बे पडऩे लगते हैं.


डॉक्टरों का कहना है कि भरपूर नींद लेने के कई फायदे हैं. डॉक्टरों का कहना है कि अगर आप स्किन से संबंधित समस्याओं से छुटकारा पाना चाहते हैं तो आपको भरपूर नींद लेनी चाहिए. विशेषज्ञों का कहना है कि आदमी को एक दिन में छह से आठ घंटे की नींद लेनी चाहिए. इससे कम सोने पर चेहरे पर झुर्रियां पड़ सकती हैं. कम नींद लेने से त्वचा शुष्क हो जाती है. डॉक्टरों का कहना है कि सोते वक्त शरीर में खून का बहाव तेज होता है, इससे त्वचा में चमक आती है.


भरपूर नींद त्वचा संबंधी समस्या का हल

आधी अधूरी नींद लेने पर रंग-रूप की दमक (कमप्लेक्शन) फीकी-फीकी लगने लगेगी और त्वचा बेजान दिखाई देगी. विशेषज्ञ भरपूर नींद का राज खूबसूरती से जोड़ते हैं. उनका कहना है कि नींद न पूरी होने से आंखों के आसपास हल्का निशान पड़ जाता है. ये हल्के निशान चेहरे की खूबसूरती को प्रभावित करने लगते हैं. हालांकि नींद की कमी काले निशान पडऩे की बुनियादी वजह में शामिल नहीं है. मगर किसी के काले धब्बे हों तो नींद की कमी निशान को खराब करने में भूमिका जरूर निभाती है.


आंखों की सूजन, निशान को करती है दूर
न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के त्वचा विशेषज्ञ प्रोफेसर डोरस डे के मुताबिक अगर आप मुनासिब नींद लेते हैं तो आपकी आंखें सूजी हुई नहीं रहेंगीं. इसके लिए रात को बिस्तर पर जाने से पहले ठीक से पानी पीकर सोएं. तकिए पर सिर रखकर सोने से आपकी आखों की सूजन रहेगी. उनका कहना है कि भरपूर नींद और आराम आखों के आसपास के निशान को कम करता है.


अच्छी नींद के लिए अपनाएं ये आसान टिप्स
- नियमित व्यायाम करें और सोने के तीन घंटे पहले ज्यादा थकाने वाला व्यायाम न करें.
- अपनी दिनचर्या में सोने के लिए एक समय निर्धारित करें और सप्ताहांत के दौरान भी उसे अमल में लाएं.
- यदि आप दिन में झपकी लेते हैं तो कोशिश करें कि यह 20 से 30 मिनट की हो.
- यदि सोने के समय आपको कोई विचार परेशान कर रहा है तो उसे कागज पर लिख लें और सुबह तक उसे भूलने की कोशिश करें.
- दिन में तीन बजे के बाद कैफीनयुक्त पदार्थों का सेवन न करें.
- सोने के पहले गरिष्ठ भोजन न करें और न ही भूखे पेट सोएं. कार्बोहाइड्रेट से भरपूर हल्का-फुल्का नाश्ता ले सकते हैं.
- यदि आप धूम्रपान करते हैं तो इसे छोड़ दें. निकोटिन का सेवन भी नींद में बाधक है. अल्कोहल लेने से नींद खराब हो सकती है.

 

इन रोगों के लिए औषधि का काम करता है प्याज का रस, जानिए लाभ

इन रोगों के लिए औषधि का काम करता है प्याज का रस, जानिए लाभ

प्याज को लगभग हर सब्जी में डाला जाता है। इसे सलाद के रूप में कच्चा भी खूब खाया जाता है। प्याज हरा और सूखा दोनों प्रकार का प्रयोग में लाया जाता है। यकीनन प्याज के प्रयोग से भोजन का स्वाद बढ़ जाता है परंतु यह केवल भोजन को स्वादिष्ट ही नहीं बनाता अपितु इसमें अनेक ऐसे तत्व होते है, जिनसे शरीर को पोषण मिलता है साथ ही यह अनेक रोगों के लिए औषधि का काम भी करता है। यह भोजन पचाने में सहायता करता है तथा शरीर का बल बढ़ाता है। प्याज अच्छा रक्त विकार नाशक भी है।


* रक्त विकास को दूर करने के लिए 50 ग्राम प्याज के रस में 10 ग्राम मिश्री तथा 1 ग्राम भूना हुआ सफेद जीरा मिला लें।

* कब्ज के इलाज के लिए भोजन के साथ प्रतिदिन एक कच्चा प्याज जरूर खाएँ। यदि अजीर्ण की शिकायत हो तो प्याज के छोटे-छोटे टुकड़े काटकर उसमें एक नीबू निचोड़ लें या सिरका डाल लें तथा भोजन के साथ इसका सेवन करें।

* बच्चों को बदहजमी होने पर उन्हें प्याज के जूस की तीन-चार बूँदें चटाने से लाभ होता है। अतिसार के पतले दस्तों के इलाज के लिए एक प्याज पीसकर रोगी की नाभि पर लेप करें या इसे किसी कपड़े पर फैलाकर नाभि पर बाँध दें।


* हैजे में उल्टी-दस्त हो रहे हों तो घंटे-घंटे बाद रोगी को प्याज के जूस में जरा सा नमक डालकर पिलाने से आराम मिलता है। प्रत्येक 15-15 मिनट बाद 10 बूँद प्याज का रस या 10-10 मिनट बाद प्याज और पुदीने के रस का एक-एक चम्मच पिलाने से भी हैजे से राहत मिलती है।

* हैजा हो गया हो तो सावधानी के तौर पर एक प्याला सोडा पानी में एक प्याला प्याज का जूस, एक नीबू का रस, जरा सा नमक, जरा-सी काली मिर्च और थोड़ा सा अदरक का रस मिलाकर पी लें, इससे हाजमा दुरुस्त हो जाएगा तथा हैजे का आक्रमण नहीं होगा।

बारह ग्राम प्याज के टुकड़े एक किलोग्राम पानी में डालकर काढ़ा बनाकर दिन में तीन बार नियमित रूप से पिलाने से पेशाब संबंधी कष्ट दूर हो जाते हैं। इससे पेशाब खुलकर तथा बिना कष्ट आने लगता है।

* खाँसी, साँस, गले तथा फेफड़े के रोगों के लिए व टांसिल के लिए प्याज को कुचलकर नसवार लेना फायदेमंद होता है। जुकाम में भी प्याज की एक गाँठ का सेवन लाभदायक होता है।

* पीलिया के निदान में भी प्याज सहायक होता है। इसके लिए आँवले के आकार के आधा किलो प्याजों को बीच में से चीर कर सिरके में डाल दीजिए। जरा सा नमक और कालीमिर्च भी डाल दीजिए। प्रतिदिन सुबह-शाम एक प्याज खाने से पीलिया दूर होगा।


* प्याज को बारीक पीसकर पैरों के तलुओं में लेप लगाने से लू के कारण होने वाले सिरदर्द में राहत मिलती है।

* कान बहता हो, उसमें दर्द या सूजन हो तो प्याज तथा अलसी के रस को पकाकर दो-दो बूँदें कई बार कान में डालने से आराम मिलता है। यदि कोई अंग आग से जल गया हो तो तुरंत प्याज कूटकर प्रभावित स्थान पर लगाना चाहिए।


 

कोरोना काल में अपने खाने में जरूर शामिल करें शिमला मिर्च, जानिए इसके फायदे

कोरोना काल में अपने खाने में जरूर शामिल करें शिमला मिर्च, जानिए इसके फायदे

कोरोना वायरस से पूरी दुन्यिा बुरी तरह से प्रभावित है। इस वायरस ने लाखों लोगों की जान ले ली है। विशेषज्ञों की मानें तो इस वायरस की वजह से सबसे ज्यादा हमारी इम्यूनिटी पर इफेक्ट पड़ता है। इसलिए हमें ऐसी चीजों का सेवन करना चाहिए, जिससे इम्यूनिटी पावर मजबूत होती है। हमारे आस-पास कई ऐसे फूड्स हैं, जो हमारे शरीर में इम्यून सिस्टम को बूस्ट करता है। शिमला मिर्च उन्हीं सब्जियों में से एक है, जिससे इम्यूनिटी बूस्ट होती है। आज हम आपको इसके फायदों के बारे में बताने जा रहे हैं। चलिए जानते हैं शिमला मिर्च खाने के फायदे....


- इम्यूनिटी सिस्टम को बूस्ट करने के लिए शिमला मिर्च काफी मददगार होता है। इसमें विटामिन सी की मात्रा अधिक होती है। विटामिन सी इम्यून सिस्टम को बूस्ट करने के साथ-साथ हमारे मस्तिष्क को भी फायदा पहुंचाता है। इसके साथ ही शिमला मिर्च के सेवन से तनाव और अस्थमा जैसी बीमारी को कंट्रोल किया जा सकता है।


- अगर आप अपना वजन कम करना चाहते हैं, तो अपने डायट में शिमला मिर्च को जरूर शामिल करें। शिमला मिर्च में कैलोरी बहुत ही कम होता है। इसके कारण शिमला मिर्च का सेवन करने से काफी हद तक वजन कम होता है। इसके साथ-साथ शिमला मिर्च से मेटाबॉलिज्म काफी अच्छा होता है। मेटाबॉलिज्म बेहतर होने से हमारा वजन काफी तेजी से घटता है।


- शिमला मिर्च में विटामिन सी, विटामिन ए, अल्कालॉइड्स, फलेवानाइॅड्स और टैनिन्स जैसे तत्व प्रचूर मात्रा में पाए जाते हैं। इसमें मौजूद अल्कालॉइड्स एंटी-इंफलेमेटरी और एनलजेस्टिक हमारे शरीर के लिए एंटीऑक्सीडेंट की तरह काम करता है।


- शिमल मिर्च में फलेवॉनाइड्स तत्व पाया जाता है, जो कई तरह के दिल की समस्याओं को हमसे दूर रखती है। शिमला मिर्च के सेवन से पूरे शरीर में ऑक्सीजन का सप्लाय काफी अच्छा होता है। इस वजह से हार्ट अटैक का खतरा कम होता है। अगर आपको दिल से संबंधित कोई समस्या है, जो इस सब्जी को जरूर अपने डायट में शामिल करें।
 

Home Isolation में रखें इन बातों का ख्याल, जानिए जरूरी बातें

Home Isolation में रखें इन बातों का ख्याल, जानिए जरूरी बातें

कोरोना वायरस की रफ्तार कम होने का नाम नहीं ले रही है लेकिन इस संक्रमण से छुटकारा पाने के लिए यह हम सबकी जिम्मेदारी है कि हम खुद जागरूक रहें और समझदारी के साथ इस वायरस से लड़ें और जीत भी हासिल करें। ऐसे कई लोग हैं, जो पूरी हिम्मत के साथ इस वायरस से मुकाबला कर रहे हैं और उसे मात भी दे रहे हैं, वहीं लगातार इस कोविड-19 से छुटकारा पाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं जिसमें लॉकडाउन का पालन करना सबसे ज्यादा जरूरी है। वहीं इस कुछ लोग होम आइसोलेशन में भी हैं। लेकिन इस दौरान हमें कुछ बातों का विशेषतौर पर ध्यान रखने की जरूरत है। तो आइए जानते हैं कुछ खास बातें।


होम आइसोलेशन के दौरान रखें इन बातों का ध्यान

अगर कोई व्यक्ति होम आइसोलेशन में है तो इस बात का जरूर ध्यान रखें कि घर के बुजुर्गों और बच्चों के संपर्क में बिलकुल भी न आएं, क्योंकि आपके परिवार की सुरक्षा आपके हाथों में है। इसलिए इस बात का अवश्य ध्यान रखें।

होम आइसोलेशन में मरीज का कमरा अलग होना जरूरी है। उसका सोने का बिस्तर व खाने की प्लेट इन सबको अलग रखें।
यदि कोई व्यक्ति मरीज या मरीज के कमरे के संपर्क में आता है तो उसे अच्छी तरह से अपने हाथों को धोना चाहिए।

मरीज के कमरे में जाएं तो ट्रिपल लेयर वाला मेडिकल मास्क पहनना होगा।

जब भी मरीज के बर्तन को साफ करें तो ग्लव्स पहनकर ही उन्हें साफ करें। इस दौरान बर्तन को साबुन या डिटर्जेंट से अच्छी तरह साफ करें और इसके बाद ग्लव्स उतारकर अपने हाथों को भी अच्छी तरह साबुन से धोएं।


देखभाल करने वाला व्यक्ति अपनी हेल्थ को खुद मॉनिटर करे। रोज शरीर के तापमान की जांच करे।

अब सबसे जरूरी बात कि जो व्यक्ति होम आइसोलेशन में है, उसे इस बात का जरूर एहसास करवाए कि वह बहुत जल्द ठीक हो जाएगा। उसे नकारात्मकता से दूर रखें और यह बात जरूर बताएं कि जो सावधानियां रखी जा रही हैं, वे अपने परिवार की सुरक्षा को ध्यान में रखकर रखी जा रही हैं जिससे कि उन पर नकारात्मकता हावी न हो पाए।


 

अगर आपको भी छोटी-छोटी बातों पर आता है गुस्सा? तो जरूर रखें इन बातों का ध्यान

अगर आपको भी छोटी-छोटी बातों पर आता है गुस्सा? तो जरूर रखें इन बातों का ध्यान

हमारी लाइफ में हमेशा अच्छा ही हो, ऐसा नहीं है. कभी दिन खुशियों में बीतेंगे तो कभी किसी बात पर तनाव होगा, गुस्सा आएगा. मगर अक्सर कुछ लोगों को छोटी से छोटी बात पर गुस्सा आता है और वे इसकी वजह से कई बार नुकसान भी उठाते हैं. जैसे कि आपकी सुबह की ट्रेन में देरी हो रही हो या जब दफ्तर में आपका दिन अच्छा न गुजर रहा हो तब आपको गुस्सा आता है और आप खुद को बेहद तनाव में महसूस करते हैं. अगर आपको भी छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा आता है, तो यह न सिर्फ आपकी सेहत, बल्कि आपके काम, संबंधों के लिए भी सही नहीं है. आज हम आपको अपना गुस्सा शांत करने के कुछ टिप्स बता रहे हैं.


जब आप गुस्से में होते हैं, तो उन जगहों के बारे में सोचने की कोशिश करें, जहां आप खुद को खुश और शांत महसूस करते हैं. फिर एक गहरी सांसें लें और अपने मन ही मन में किसी खास शब्द या वाक्य को दोहराएं. इससे आपका ध्यान उस बात से हटेगा जिस पर गुस्सा आया हो और आप अपने गुस्से पर काबू कर पाएंगे.


गुस्सा अक्सर तब तक शांत नहीं होता, जब तक कि उसकी प्रतिक्रिया न दी जाए. ऐसे में आप अपना गुस्सा अपने शौक पर निकाल सकते हैं. जी, हां. इसका मतलब सिर्फ यही है कि अगर आप डांस में रुचि रखते हैं या फिर आपको दौडऩा पसंद है या फिर कुछ और आपका शौक है. तो अपने शौक में रम जाइए और तनावमुक्त हो जाइए. यह माहौल को बेहतर बनाने का अच्छा तरीका है.


अगर आपका दिन तनाव से भरा हुआ है और आप किसी बात पर गुस्सा दबाए बैठे हैं, तो इसे बाहर कड़े शब्दों में बाहर निकालने की बजाय अपना ध्यान किसी दूसरी बात पर लगाएं. जैसे कि जब आप अपने अंदर गुस्से के तूफान को उठता हुआ महसूस करते हैं, तो अपना ध्यान अपने परिवार या दोस्तों के साथ गुजारी हुई उन यादों पर लगाएं, जो आपके लिए अहमियत रखती हैं और जो आपको खुशी देती हैं.


अगर किसी एक जगह पर रहते हुए आपको बोरियत महसूस हो रही है और आप वहां खुद को तनाव में महसूस कर रहे हैं, आपको गुस्सा आ रहा है, तो आप अपने परिवेश को बदलने की कोशिश करें. क्या आपको अपने काम की जगह या जिम जैसी जगहों पर किसी खास इंसान की वजह से गुस्सा आता है या किसी निश्चित स्थान पर आपका गुस्सा फूटता है, तो खुद से ये सवाल पूछें कि क्या मुझे यहां के लोग पसंद नहीं हैं? क्या मुझे यहां रहना, आना पसंद नहीं है? अगर इसका जवाब यह है कि ऐसा नहीं है, तो आपको जरूरत है कुछ बदलाव की. यानी आपको नई जगह खोजने की जरूरत हे, जहां आप खुद को कम उत्तेजित महसूस करें.


गुस्से को काबू में करना कुछ लोगों के लिए एक वास्तविक मुद्दा हो सकता है. अगर आप नियमित रूप से ऐसा महसूस करते हैं कि आप अपने स्वभाव पर नियंत्रण नहीं रख सकते हैं और आप मानते हैं कि यह आपके जीवन का एक बड़ा हिस्सा बन गया है, जिसे आप काबू में नहीं कर पा रहे हैं, तो इसके लिए किसी पेशेवर की मदद लें, ताकि आप अपनी भावनाओं पर नियंत्रण पा सकें.
 

सावधान इम्युनिटी के लिए विटमिन्स की ओवरडोज से  हो सकती हैं घातक बीमारियां

सावधान इम्युनिटी के लिए विटमिन्स की ओवरडोज से हो सकती हैं घातक बीमारियां

स्वास्थ्य विशेषज्ञों के माध्यम से हम लगातार आपको इस बात की जानकारी दे रहे हैं कि विटमिन-ए, विटमिन-सी और विटमिन-डी अगर आपके शरीर में पर्याप्त मात्रा में हैं तो इस बात की संभावना बहुत कम होती है कि कोरोना वायरस आपके शरीर पर हावी हो पाए। लेकिन विटमिन्स के सेवन का यह अर्थ बिल्कुल नहीं है कि आप पूरी जानकारी जुटाए बिना अपने मन से इनका सेवन शुरू कर दें ...


बीमार कर रहा है विटमिन्स का अधिक सेवन
विटमिन्स आपकी इम्युनिटी को बनाए रखने का काम करती हैं। लेकिन दिल्ली सहित देश के अलग-अलग डॉक्टर्स के पास इस समय जो पेशंट्स आ आ रहे हैं, उनमें ऐसे मरीजों की संख्या अधिक है, जो अधिक मात्रा में विटमिन्स के सेवन के कारण सेहत संबंधी समस्याओं से जूझ रहे हैं...

लाभ से अधिक हानि की आशंका
कोरोना के संक्रमण से बचने के लिए लोग बड़ी मात्रा में विटमिन्स का सेवन कर रहे हैं। आइए, यहां जानते हैं कि विटमिन्स का अधिक सेवन करने पर प्रारंभिक स्तर पर शरीर में किस तरह की समस्याएं देखने को मिलती हैं और अगर लंबे समय तक अधिक मात्रा में इनका सेवन किया जाए तो किस विटमिन के अधिक खाने से कौन-सी बीमारी हो सकती है...

विटमिन्स की अधिक खरीदारी है भारी
हमने हेल्थ एक्सपर्ट्स से यह समझने की कोशिश की कि आखिर अधिक मात्रा में विटमिन्स के सेवन से किस तरह की समस्याएं होती हैं। क्योंकि आजकल लोग विटमिन-ए, विटमिन-सी और विटमिन-डी का भरपूर मात्रा में सेवन कर रहे हैं। शहर के अलग-अलग मेडिकल स्टोर्स पर इन विटमिन की गोलियां खरीदनेवालों की बड़ी संख्या पहुंच रही है।

बढ़ रही हैं इस तरह की समस्याएं
-विटमिन्स के अधिक उपयोग को लेकर हमने ना केवल अलग-अलग डॉक्टर्स से बात की बल्कि अलग-अलग पेथी से जुड़े डॉक्टर्स से यह भी जाना कि उनके पास इस समय जो मरीज आ रहे हैं, उनमें इन विटमिन्स के अधिक सेवन के कारण किस तरह की समस्याएं देखने को मिल रही हैं? इस बारे में होम्योपेथी के डॉक्टर चरनजीत सिंह का कहना है कि पेट में जलन, गले में रूखापन और थकान की समस्या से ग्रसित लोग अधिक आ रहे हैं। इनकी शिकायत होती है कि हम तो हेल्दी खाना खा रहे हैं, विटमिन्स का सेवन कर रहे फिर थकान क्यों रहती है?

-तब इनकी दिनचर्या के बारे में पता कर इनकी डायट और विटमिन्स की डोज से जुड़ी जानकारी लेने के बाद हम इन्हें विटमिन्स की सही मात्रा के बारे में बताते हैं और तुरंत राहत के लिए कुछ जरूरी दवाएं देते हैं। वैसे विटमिन्स की प्राप्ति के लिए जो लोग अधिक मात्रा में अलग-अलग सप्लिमेंट्स का उपयोग कर रहे हैं, जब वे ऐसा करना छोड़ देते हैं तो दो-तीन दिन बाद ही उनकी स्थिति में सुधार होने लगता है।
विटमिन-ए की अधिकता से होता है यह नुक्सान

-आयुर्वेदाचार्य वैद्य सुरेंद्र सिंह कहते हैं कि विटमिन-ए आंखों की सेहत और रेटिना को हेल्दी बनाए रखने में बहुत सहायक होता है। यह हमारी आंखों की नर्व्स में फैट को जमा नहीं होने देता और कोशिकाओं को लंबे समय तक स्वस्थ रखता है। इससे हमारी आंखों की रोशनी बनी रहती है।

-लेकिन यह विटमिन ऐंटिऑक्सीडेंट के रूप में भी काम करता है। आप इसकी प्राप्ति खाद्य पदार्थों द्वारा करेंगे, तब तो यह शरीर को इस तरह की हानि नहीं पहुंचाता है लेकिन यदि सप्लिमेंट्स के माध्यम से आप विटमिन-ए की ओवरडोज लंबे समय तक लेते रहते हैं तो आंखों को स्वस्थ रखनेवाला यह तत्व आंखों को नुकसान पहुंचा देता है।
विटमिन-सी की अधिकता से होनेवाली दिक्कत
अभी ज्यादातर लोग विटमिन-सी की प्राप्ति के लिए खट्टे फलों का सेवन किया करते थे। लेकिन अब बड़ी मात्रा में इसकी टैबलेट्स ले रहे हैं। यह बात सही है कि यह विटमिन हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।

-इम्यून सेल्स और खासतौर पर वाइट ब्लड सेल्स काउंट बढ़ाने में विटमिन-सी सहायक है। लेकिन गोलियों के माध्यम से अधिक मात्रा में लंबे समय तक इसका सेवन पेट में दर्द बने रहना, उल्टी, दस्त होना जैसी समस्याओं का कारण बन जाता है। अगर स्थिति अधिक गंभीर हो तो गुर्दे की पथरी भी हो सकती है।

विटमिन-डी की अधिकता से समस्या
आमतौर पर इस तरह के केस कम देखने को मिलते हैं, जिनमें मरीज को कोई दिक्कत विटमिन-डी की अधिकता के कारण हुई हो। क्योंकि आमतौर पर पूरी दुनिया के लोगों में इस विटमिन की कमी ही पाई जाती है। खासतौर पर हमारे देश की महिलाओं और सिटिंग जॉब करनेवाले उन लोगों में जो सनलाइट में बिल्कुल नहीं रहते हैं।

-लेकिन फिर भी अगर कोई व्यक्ति सप्लिमेंट्स के जरिए विटमिन-डी का अधिक मात्रा में सेवन करता रहता है तो उसे मांसपेशियों में अकडऩ, दर्द या किडनी स्टोन जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए यह बात बहुत जरूरी है कि आप विटमिन्स का सेवन भी अपने चिकित्सक की देखरेख में करें। ताकि सही डोज से आपको केवल लाभ हो।

स्किन की सुंदरता के लिए ई का सेवन
-कुछ साल पहले अमेरिकन हार्ट असोसिएशन द्वारा विटमिन-ई के शरीर पर प्रभाव से जुड़ी एक स्टडी में यह बात सामने आई थी कि यदि विटमिन-ई का अधिक मात्रा में सेवन किया जाए तो 3 से 4 साल के अंदर इसका बुरा असर आंखों की रोशनी पर दिखाई पड़ता है।
 

वजन घटाने डायटिंग की जरूरत नहीं, बस ये खाकर ही वजन करें कंट्रोल

वजन घटाने डायटिंग की जरूरत नहीं, बस ये खाकर ही वजन करें कंट्रोल

टमाटर एक ऐसी सब्जी है जो हर घर का अहम हिस्सा है। यह स्वाद और पोषण दोनों से ही भरी हुई है। इसमें पोटैशियम, विटामिन सी, लाइकोपीन आदि भारी मात्रा में पाए जाते हैं, जो आपकी स्किन के कलर को साफ दमकाने का काम करते हैं। टमाटर में फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं, जो सेहत के लिए फायदेमं हैं।


यही नहीं अगर इस लॉकडाउन के दौरान आपका वजन बढ़ गया है और बाहर निकलकर व्यायाम करना आपके लिए मुमकिन नहीं है, तो उसमें भी टमाटर आपकी मदद करेगा। आप टमाटर के जूस को या सलाद आदि में प्रयोग कर अपने वजन को घटा सकते हैं। यहां जानें इसे डेली डाइट में शामिल कर वजन को कैसे कंट्रोल किया जा सकता है।


कैलोरी में कम


टमाटर पोषक तत्वों से भरपूर है। इसमें मिनरल्स, विटामिन, प्रोटीन और फाइबर भारी मात्रा में पाए जाते हैं। एक मध्यम आकार (123 ग्राम) टमाटर में लगभग 24 कैलोरी होती है, जबकि एक बड़े टमाटर (182 ग्राम) में 33 कैलोरी होती है।


फाइबर में उच्च


टमाटर फाइबर से भरपूर होता है, जिसमें घुलनशील और अघुलनशील फाइबर शामिल होते हैं। टमाटर में घुलनशील फाइबर आपको लंबे समय तक पेट भरा रखने का एहसास करवाते हैं। इससे कैलोरी सेवन को कम करने में मदद मिलती है। टमाटर में अघुलनशील फाइबर शरीर के वजन को नियंत्रित करता है और पाचन तंत्र को कब्ज से मुक्त रखता है।


लो कार्बोहाइड्रेट


टमाटर में कार्बोहाइड्रेट कम होता हैं, जो वजन घटाने में काफी मदद कर सकता है। एक बड़े टमाटर में 7 ग्राम कार्ब होता है। वजन कम करने के लिए, एक या दो टमाटर को अपने दैनिक आहार में शामिल कर सकते हैं।


पाचन के लिए अच्छा है


अपच या कब्ज की परेशानी आपको मोटापे का शिकार बना सकती है। अच्छी पाचन क्रिया से शरीर का मेटाबॉलिज्म ठीक होता है। यही नहीं, इससे वेट लॉस जर्नी को तेजी मिलती है।


इस तरह कीजिए टमाटर को भोजन में शामिल


*सैंडविच या रैप्स के बीच टमाटर की स्लाइस शामिल करें।
*ताजे सलाद को बेबी टमौटो या कटे हुए टमाटर के साथ गार्निश करें।
*उबले अंडे और आमलेट में कच्चे कटे टमाटर डालें।
*उन्हें अपने कॉटेज पनीर, पिज्जा, पास्ता, और कबाब में मिलाएं।
*टमाटर का रस या टमाटर की स्मूदी बनाएं।
*दोपहर या रात के खाने के लिए एक कप टमाटर का सूप लें।


 

अच्छी नींद पाने के आसान उपाय, सही पोजिशन में सोने से आयेगी सुकून भरी नींद

अच्छी नींद पाने के आसान उपाय, सही पोजिशन में सोने से आयेगी सुकून भरी नींद

अच्छी नींद स्वस्थ शरीर की निशानी है. ज्यादातर लोग रात में 6-8 घंटे की नींद लेते हैं लेकिन कुछ लोगों को गहरी नींद नहीं आती .खराब नींद की वजह से सुबह उठने के बाद फ्रेश और खुश महसूस नहीं करते हैं. अगर नींद की क्वालिटी अच्छी नहीं है या रातभर करवट बदलते रहते हैं तो आगे चलकर गंभीर समस्या हो सकती है. लंबे टाइम तक नींद की कमी और अच्छी नींद न लेने से आपको कई तरह की शारीरिक और मानसिक परेशानियां हो सकती हैं. साउंड स्लीप के लिए जरूरी है कि आप सही पोजिशन में सोयें. वैसे तो रात में सभी लोग कई बार करवट बदलते हैं लेकिन फिर भी जरूरी है कि आप सही पोजिशन में सोने की कोशिश करें. आज हम आपको बतायेंगे तीन स्लीपिंग पोजिशन और उनके फायदे-नुकसान


करवट से सोना सबसे अच्छा
सोने के लिए सबसे अच्छी पोजिशन लेफ्ट करवट से सोना है. ये पोजीशन आपके हार्ट के लिए भी बेहतर है और इससे आपके शरीर में दर्द होने की संभावना भी बहुत कम होती है. प्रेगनेंट लेडीज को भी बाईं करवट से सोने की सलाह दी जाती है और ये पोजिशन मां और बच्चे दोनों के लिए हेल्दी मानी जाती है. वैसे ज्यादातर लोग रातभर लेफ्ट और राइट दोनों करवट लेकर सोते हैं लेकिन लेफ्ट साइड से सोने में ब्लड सर्कुलेशन अच्छा रहता है. करवट लेकर सोने से सोने में खर्राटे भी कम आते है. इसलिए करवट लेकर सोना अच्छी नींद के लिए बेहतर माना जाता है.


सीधे पीठ के बल सोना
पीठ के बल सोने में ज्यादा आराम नहीं रहता है इसीलिए बहुत कम लोग पीठ के बल सोते हैं. हालांकि रात में सोने में कई बार लोग पीठ के बल भी सो जाते हैं. पीठ के बल सोने में रीढ़ की हड्डी को सपोर्ट मिलता है इसलिए इस पोजीशन में सोने से आपको गले का दर्द नहीं होता, पाचन अच्छा रहता है. साथ ही मोटे पेट वाले इस पोजिशन में कंफर्टेबल फील करते हैं लेकिन इस पोजीशन में सोने वालों की नींद ज्यादा खुलती है और खर्राटों की समस्या भी रहती है.


उल्टा होकर पेट के बल सोना
पेट के बल सोने को बेबी पोज भी कहते हैं लेकिन ये पोशिजन छोटे बच्चों के लिए ठीक है. बड़े लोगों को इस तरह सोने में आराम नहीं पड़ता. हालांकि जिन लोगों को अनिद्रा की समस्या होती है, उन्हें इस पोजीशन में सोने से थोड़ा लाभ मिल सकता है. इसके अलावा अगर किसी खास दिन आपके सीने में थोड़ी जलन है, तो भी आपके लिए इस पोजीशन में सोना बेहतर है. बाकी हेल्दी लोगों के लिए इस पोजिशन में सोना मुश्किल है क्योंकि इससे पेट पर दबाव पड़ता है.


अच्छी नींद के लिए जरूरी बातें
सोने की पोजिशन अच्छी नींद के लिए बेहद जरूरी है इसलिए सोने में जो पोजिशन आपको आरामदायक लगे उस पोजिशन में सोना बेहतर है. इसके अलावा अच्छी और सुकून भरी नींद के लिए आपके शरीर का थकना भी बहुत जरूरी है इसलिए अगर आप शारीरिक मेहनत कम करते हैं, तो शाम के समय थोड़ी एक्सरसाइज करें, पैदल चलें, डांस करें या स्विमिंग करें इससे आपको अच्छी नींद आएगी. साथ ही सही तकिया और सही गद्दे भी आपकी सुकूनभरी नींद के लिए जरूरी है. अगर साउंड स्लीप चाहिये तो योगा, मेडिटेशन और सही वक्त पर सोना और जागना भी अपनी दिनचर्या में शामिल करें.